Self Studies

अपठित गद्यांश (Narrative) Test - 5

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अपठित गद्यांश (Narrative) Test - 5
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी यह कि बहुत से लोग 'निर्धारित कार्य को 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा किससे युक्त है?
    Solution

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा 'गंभीर दोषों से' युक्त है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता।

    Key Points

    • गंभीर गहन, गूढ़, जटिल, कठिन, दुर्गम, दुर्भेद्य, दुरुह।
      • विलोम शब्द- 'ओछा, अगंभीर'
    • दोष- अवगुण, ऐब, खराबी, विकार, खामी, बुराई, अपराध, कुसूर, जुर्म। 
      • विलोम शब्द- 'गुण'

    Additional Informationदुःखद:-

    • अर्थ: दुख देने वाला, अप्रिय, कष्टकारी, खेदजनक। 
      • विलोम शब्द- 'सुखद'

    परिणाम:-

    • परि + नाम = परिणाम 
    • इसमें व्यंजन संधि है।
    • 'परि' (चारो तरह) उपसर्ग और 'नाम' मूल शब्द 
    • अर्थ: नतीजा, निष्कर्ष, फल, अंजाम।

    सरल:-

    • अर्थ: आसान, सादा, सुगम, सहज, सुलभ, सहल, सीधा। 
      • विलोम शब्द- 'कठिन'
  • Question 2
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी यह कि बहुत से लोग 'निर्धारित कार्य को 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    जाति-प्रथा का श्रम विभाजन किस पर निर्भर नहीं रहता ?
    Solution

    जाति-प्रथा का श्रम विभाजन 'मनुष्य की स्वेच्छा पर' निर्भर नहीं रहता।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता।

    Key Points

    • स्वेच्छा = स्व + इच्छा 
    • इसमें गुण संधि है
    • 'स्व' (अपना) उपसर्ग और 'इच्छा' मूल शब्द
    • अर्थ: अपनी इच्छा, मनमरज़ी, आज़ादी, छूट, स्वैराचार। 

    Additional Informationमनुष्य:- 

    • अर्थ: जन, मानव, नर, पुरुष, मर्त्य, मनुज, मानुष, इंसान, व्यक्ति, मर्द

    समझदारी:-

    • समझदार + ई = समझदारी
    • 'समझदार' मूल शब्द और 'ई' प्रत्यय 
    • अर्थ: बुद्धिमान, होशमंद, होशियार।
    • विलोम शब्द- 'बेवकूफी'
  • Question 3
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी यह कि बहुत से लोग 'निर्धारित कार्य को 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    श्रम विभाजन पर मनुष्य की किस भावना का कोई महत्त्व नहीं रहता ?
    Solution

    श्रम विभाजन पर मनुष्य की 'व्यक्तिगत भावना' भावना का कोई महत्त्व नहीं रहता। 

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • श्रम विभाजन पर मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। 

    Key Points

    • व्यक्तिगत- एक व्यक्ति तक सीमित, निजीपन, अपनत्व, आत्मीयता।
      • विलोम शब्द- 'सार्वभौम'
    • भावना- कल्पना भाव, विचार, ख्याल। 

    Additional Informationभेदभावपूर्ण:-  

    • अर्थ: जिसमें फ़र्क किया गया हो, असमान

    राजनीतिक:-

    • अर्थ: राजनीति से संबंधित, सियासी, प्रशासनिक
  • Question 4
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी यह कि बहुत से लोग 'निर्धारित कार्य को 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    किसी भी काम में कुशलता कब प्राप्त नहीं होती है?
    Solution

    किसी भी काम में कुशलता प्राप्त नहीं होती है - 'जब तक व्यक्ति का दिल और दिमाग काम नहीं करता'

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है।
      • ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता प्राप्त नहीं की जा सकती है। 

    Key Points

    • व्यक्ति- मनुष्य, जन, मानव, नर, पुरुष, मर्त्य, मनुज, मानुष, इंसान, मर्द।
    • दिमाग- मस्तिक, जेहन, मगज, भेजा, मानसिक शक्ति, बुद्धि, प्रज्ञा, मेधा। 

    Additional Informationसमाज:- 

    • अर्थ: समूह, संघ, गरोह, दल, सभा।

    सहायता:-

    • अर्थ: सहारा, सहयोग, मदद, अनुदान।

    परिवार:-

    • अर्थ: कुटुंब, कुल, कुनबा, खानदान, घराना

    चिंता:-

    • अर्थ: चिन्ता, ध्यान, फिक्र, सोच, ऊहापोह, परवाह, विचार
  • Question 5
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    इस प्रकार हम देखते हैं कि श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न इतनी बड़ी समस्या नहीं जितनी यह कि बहुत से लोग 'निर्धारित कार्य को 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर टालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    जाति-प्रथा मनुष्य को निष्क्रिय कैसे बना देती है?
    Solution

    जाति-प्रथा मनुष्य को निष्क्रिय बना देती है- (i) और (ii) दोनों {(i) मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि को दबाकर और (ii) मनुष्य की आत्मशक्ति को दबाकर}

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचिआत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।​

    Key Points

    • स्वभाव + इक = स्वाभाविक 
      • 'स्वभाव' मूल शब्द और 'इक' प्रत्यय 
      • अर्थ: नैसर्गिक, सहज, कुदरती, प्रकृति।
      • विलोम शब्द- 'अस्वाभाविक' 
    • प्रेरणा- उत्तेजना, प्रोत्साहन, बढ़ावा।
    • रुचि- चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, दिलचस्पी। 
      • विलोम शब्द- 'अरुचि'

    Additional Informationमनुष्य:- 

    • अर्थ: जन, मानव, नर, पुरुष, मर्त्य, मनुज, मानुष, इंसान, व्यक्ति, मर्द।

    आलसी:-

    • अर्थ: सुस्त, स्फूर्तिहीन, निकम्मा, मंद, टीला, शिथिल
  • Question 6
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :

    सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।

    गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित 'विदाई का अभिशाप' शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।

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    महादेव के किन गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था?
    Solution

    महादेव के लिखावट की शुद्धता और विनम्र स्वभाव के गुणों ने उन्हें सबका लाडला बना दिया था।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • महादेव जी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। वे कर्तव्यनिष्ठ थे, विनम्र स्वभाव के थे। उनकी लेखन शैली का सभी लोहा मानते थे।
      • वे कट्टर विरोधियों के साथ भी सत्यनिष्ठता और विवेक युक्त बात करते थे। 

    Key Points

    • लिखावट = लिख + आवट
      • 'लिख' मूल शब्द और 'आवट' प्रत्यय
      • अर्थ: लिखने का ढंग, लिपि, लेख।
    • शुद्धता = शुद्ध + ता 
      • 'शुद्ध' मूल शब्द और 'ता' प्रत्यय
      • अर्थ: शुद्ध होने का भाव, स्वच्छता, निर्मलता।
      • विलोम शब्द- 'अशुद्धता'
    • विनम्र = वि + नम्र 
      • 'वि' (विशेष) उपसर्ग और 'नम्र' (झुका हुआ) मूल शब्द
      • अर्थ: विशेष रूप से नम्र, विनय और सुशील।
      • विलोम शब्द- 'उद्दण्ड'
    • स्वभाव = स्व + भाव
      • 'स्व' (अपना) उपसर्ग और 'भाव' मूल शब्द
      • अर्थ: सहज प्रकृति, नेचर, अपनी अवस्था। 
      • विलोम शब्द- 'कुस्वभाव'       

    Additional Informationसाहित्य:- 

    • अर्थ: साहित्य वह है जिसमें प्राणी के हित की भावना निहित है।

    संस्कार:-

    • अर्थ: अच्छे आचरण या स्वभाव वाला, सज्जन, सुशील
      • विलोम शब्द- 'कुसंस्कार'

    मतभेद:-

    • अर्थ: मत की भिन्नता, राय न मिलना।
      • विलोम शब्द- 'मतैक्य'
    विरोधी:-
    • अर्थ: विरोध करनेवाला, हित के प्रतिकूल चलने वाला
      • विलोम शब्द- 'अविरोधी'
    प्रचार:- 
    • अर्थ: नारा, आदर्श वाक्य, (स्लोगन)। 
    • विलोम शब्द- 'अप्रचार'
  • Question 7
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :

    सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।

    गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित 'विदाई का अभिशाप' शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।

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    गांधीजी को पत्र किस प्रकार के लोगो द्वारा लिखा जाता था?
    Solution

    गांधीजी को पत्र उग्र और उदार प्रकार के लोगो द्वारा लिखा जाता था।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते।

    Key Pointsउग्र:-

    • अर्थ: तीव्र, तेज, महादेव, उत्कट , प्रचण्ड, भयानक। 
    • विलोम शब्द- 'सौम्य' 

    उदार:-

    • अर्थ:  जो संकीर्णचित न हो, उँचे दिल का, महान्, बड़ा, श्रेष्ठ, दानी। 
    •  विलोम शब्द- 'अनुदारकट्टर'

    Additional Information

    विनय:-

    • अर्थ: नम्रतापूर्वक, नम्रता के साथ, दीनतापूर्वक। 
    • विलोम शब्द- 'अविनय'

    विवेक:-

    • अर्थ: भले बुरे का ज्ञान, समझ।
    • विलोम शब्द- 'अविवेक'

    प्रचारक:-​

    • अर्थ: प्रचार करने वाला, विज्ञापन करने वाला।

    विरोधी:-

    • अर्थ: वह जिससे शत्रुता या वैर हो, जो विरुद्ध में हो, विरोध करने वाला 

    विवेक:-

    • अर्थ: भले बुरे का ज्ञान, समझ।
    • विलोम शब्द- 'अविवेक'

    आग्रह:-

    • आ + ग्रह = आग्रह
    • 'आ' (तक/से) उपसर्ग और 'ग्रह' मूल शब्द
    • अर्थ: अनुरोध, निवेदन, किसी बात पर अड़े रहना।
    • विलोम शब्द- 'दुराग्रह'
  • Question 8
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :

    सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।

    गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित 'विदाई का अभिशाप' शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।

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    गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में किसकी चर्चा किया करते थे?
    Solution

    गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में संवाददाता के द्वारा लिखे गये पत्र की चर्चा किया करते थे।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते।

    Key Points

    • संवाददाता- संवाद देनेवाला, अखबारों में स्थानिक घटनाओं का विवरण भेजनेवाला व्यक्ति। 

    Additional Informationप्रतिदिन:-

    • प्रति + दिन = प्रतिदिन
    • 'प्रति' (प्रत्येक) मूल शब्द और 'दिन' मूलशब्द
    • अर्थ: प्रत्येक दिन, हर रोज़
    • प्रतिदिन में अव्ययीभाव समास है।
    • विलोम शब्द- 'कभी-कभी

    विरोधी:-

    • वि + रोध + ई = विरोधी
    • 'वि' (विशेष) उपसर्ग, 'रोध' (बाधा) मूल शब्द और 'ई' प्रत्यय 
    • अर्थ: वह जिससे शत्रुता या वैर हो, जो विरुद्ध में हो, विरोध करने वाला 
    • विशेषण शब्द 

    पत्र:-

    • अर्थ: पत्ता, पत्ती, पल्लव, किसलय, खत, चिट्ठी, समाचार पत्र, अख़बार।

    टीका-टिप्पणी:-

    • कोई प्रसंग छिड़ने या बात सामने आने पर उसके गुण-दोष आदि के संबंध में प्रकट किए जाने वाले विचार, 
    • किसी के कार्यों या स्वभाव-चरित्र पर आलोचनात्मक विचार प्रकट करना।
  • Question 9
    1 / -0.25

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :

    सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।

    गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित 'विदाई का अभिशाप' शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।

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    महादेव भाई के विद्यार्थी अवस्था में सबसे जिगरी दोस्त कौन थे?
    Solution

    महादेव भाई ने वकालत नरहरि भाई के साथ पढ़ी थी। अत: गद्यांश अनुसार महादेव भाई के विद्यार्थी अवस्था में सबसे जिगरी दोस्त नरहरि भाई थे

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी।
      • नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे।

    Key Pointsनरहरि भाई:- 

    • नरहरि = नर जैसा हरि
    • नरहरि में कर्मधारण्य समास होता है |
    • अर्थ: भगवान विष्णु के चौथे अवतार का वह रूप जो आधे पुरुष और आधे सिंह के रूप में था
      •  बहुत बड़ा वीर और साहसी पुरुष।
    • अर्थात- 
      • नरहरि भाई पारिख एक लेखक स्वतंत्रता सेनानी तथा समाज सुधारक थे।
      • उनका जन्म 7 अक्टूबर 1891 अहमदाबाद, गुजरात में हुआ था।
      • वे गांधीजी के कार्यों से बहुत प्रभावित थे।
      • वे गांधीजी के करीब थे तथा उन्होंने अपना सारा जीवन गांधीजी से जुड़े संस्थानों में बिताया।
      • उनके लेखन में गांधीवाद झलकता है।

    Additional Informationभाई:-

    • अर्थ: तात, अनुज, अग्रज, भ्राता, भ्रातृ सहोदर, सगर्भ, बंधु, सोदर, सजात, भ्राता।

    शरतचन्द्र:-

    • शरत चंद्र चट्टोपाध्याय (15 सितंबर, 1876 - 16 जनवरी, 1938) एक प्रसिद्ध बंगाली उपन्यासकार और लघु कथाकार थे।
    • वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार हैं। 
    • उनकी अधिकांश रचनाएँ गाँव के लोगों की जीवन शैली, उनके संघर्षों और उनके द्वारा सहे गए संकटों का वर्णन करती हैं। 
    • इसके अलावा उनकी रचनाएँ तत्कालीन बंगाल के सामाजिक जीवन की झलक देती हैं। 
    • शरत चंद्र भारत में अब तक के सबसे लोकप्रिय और सबसे अधिक अनुवादित लेखक हैं।

    गाँधीजी:-

    • मोहनदास करमचन्द गांधी (जन्म: 2 अक्टूबर 1869 - निधन: 30 जनवरी 1948) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, 
    • भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।
    • कार्यकर्ता और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है।
    • महात्मा गांधी के जन्मदिवस को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

    टैगोर:-

    • गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर का जन्‍म 7 मई सन् 1861 को कोलकाता में हुआ था।
    • रवींद्रनाथ टैगोर एक कवि, उपन्‍यासकार, नाटककार, चित्रकार, और दार्शनिक थे।
    • रवींद्रनाथ टैगोर एशिया के प्रथम व्‍यक्ति थे, जिन्‍हें नोबल पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया गया था।
    • वे अपने माता-पिता की तेरहवीं संतान थे।
  • Question 10
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    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए :

    सब प्रांतों के उग्र और उदार देशभक्त, क्रांतिकारी और देश-विदेश के धुरंधर लोग, संवाददाता आदि गांधीजी को पत्र लिखते और गांधीजी 'यंग इंडिया' के कॉलमों में उनकी चर्चा किया करते। महादेव गांधी जी की यात्राओं के और प्रतिदिन की उनकी गतिविधियों के साप्ताहिक विवरण भेजा करते। इसके अलावा महादेव, देश विदेश के अग्रगण्य समाचार पत्र, जो आँखों में तेल डालकर गांधी की प्रतिदिन की गतिविधियों को देखा करते थे और उन पर बराबर टीका टिप्पणी करते रहते थे उनको आड़े हाथ लेने वाले लेख भी समय-समय पर लिखा करते थे। बेजोड़ कॉलम, भरपूर चौकसाई, ऊंचे से ऊंचे ब्रिटिश समाचार पत्रों की परंपराओं को अपनाकर चलने का गांधीजी का आग्रह और कट्टर से कट्टर विरोधियों के साथ भी पूरी-पूरी सत्यनिष्ठा में से उत्पन्न होने वाली विनय विवेक युक्त विवाद करने की गांधी जी की तालीम इन सब गुणों ने तीव्र मतभेदों और विरोधी प्रचार के बीच भी देश-विदेश के सारे समाचार पत्रों की दुनिया में और एंग्लो-इंडियन समाचार पत्रों के बीच भी व्यक्तिगत रूप से एम.डी. को सबका लाडला बना दिया था।

    गाँधीजी के पास आने से पहले अपनी विद्यार्थी अवस्था में महादेव ने सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी की थी। नरहरि भाई उनके जिगरी दोस्त थे। दोनों एक साथ वकालत पढ़े थे। दोनों ने अहमदाबाद में वकालत भी साथ-साथ ही शुरू की थी। इस पेशे में आमतौर पर स्याह को सफ़ेद और सफ़ेद को स्याह करना होता है। साहित्य व संस्कार के साथ इनका कोई संबंध नहीं रहता। लेकिन इन दोनों ने तो उसी समय से टैगोर, शरतचन्द्र आदि के साहित्य को उलटना-पुलटना शुरू कर दिया था। चित्रांगदा कच-देवयानी की कथा पर टैगोर द्वारा रचित 'विदाई का अभिशाप' शीर्षक नाटिका, शरत बाबू की कहानियाँ आदि अनुवाद उस समय की उनकी साहित्यिक गतिविधियों की देन है।

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    गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई कहाँ नौकरी करते थे?
    Solution

    गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • गांधीजी से मिलने से पहले महादेव भाई सरकार के अनुवाद विभाग में नौकरी करते थे।
      • इसके साथ-साथ उन्होंने अहमदाबाद में वकालत भी शुरू कर दी थी।

    Key Pointsअनुवाद विभाग:- 

    • वर्तमान में केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो, राजभाषा विभाग (गृह मंत्रालय) के अधीनस्थ कार्यालय के रूप में कार्य कर रहा है। 
    • अनुवाद में सरलता, सहजता और शब्दावली की एकरूपता सुनिश्चित करने तथा अनुवाद-कौशल विकसित करने के लिए वर्ष 1973 से अनुवाद प्रशिक्षण का कार्य ब्यूरो को सौंपा गया।

    Additional Informationडाक विभाग:- 

    • भारत की आजादी के बाद हमारी डाक प्रणाली को आम आदमी की जरूरतों को केंद्र में रख कर विकसित करने का नया दौर शुरू हुआ।
    • नियोजित विकास प्रक्रिया ने ही भारतीय डाक को दुनिया की सबसे बड़ी और बेहतरीन डाक प्रणाली बनाया है।
    • राष्ट्र निर्माण में भी डाक विभाग ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसकी उपयोगिता लगातार बनी हुई है।

    सूचना विभाग:-

    • यह कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, कार्मिक मंत्रालय, लोक शिकायत और पेंशन विभाग द्वारा नागरिकों को आरपीआई पोर्टल गेटवे प्रदान करने के लिए नागरिकों को पहली अपीलीय प्राधिकरणों, पीआईओ इत्यादि के विवरणों के बारे में जानकारी की त्वरित खोज के लिए एक पहल की गई है।

    साहित्य विभाग:-

    • साहित्य-विभाग का प्रयास है कि शास्त्री से आचार्य तक अध्ययन के उपरान्त छात्र एक पूर्ण-विकसित साहित्य-परम्परा से उद्बुद्ध हो।
    • स्नातकोत्तर स्तर पर काव्यशास्त्र, नाट्यशास्त्र एवं अलंकारशास्त्र के रूप में संस्कृत-साहित्य एवं साहित्यशास्त्र के विशद अध्ययन एवं अध्यापन से इस विभाग का गौरव और अधिक वर्द्धित है।
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