बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा 2022-23 : Sanskrit - संस्कृत महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ

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बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा 2022-23 : Sanskrit - संस्कृत महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ
बिहार बोर्ड मैट्रिक (कक्षा 10वीं) परीक्षा 2023 के लिए Sanskrit - संस्कृत के सब्जेक्टिव प्रश्न ( Class 10th Sanskrit VVI Subjective Question ) इस पोस्ट मे दिये गए है, जो कि सभी छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कक्षा 10वीं Sanskrit - संस्कृत के प्रत्येक अध्याय के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न, उत्तर के साथ दिये गए है। जो कि छात्रों के लिए बहुत समय बचाता है।
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प्र 1. उपनिषद् का क्या स्वरूप हैं ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर - उपनिषद् वैदिक वाङ्मय का अभिन्न अंग है। इसमें दर्शनशास्त्र सिद्धान्तों का परमपुरुष परमात्मा का गुणगान किया गया है। परमात्मा के द्वारा ही यह संसार व्याप्त और अनुशंसित है। सत्य की पराकाष्ठा ही ईश्वर का मूर्तरूप है। ईश्वर ही सभी तपस्याओं का परम लक्ष्य है।
प्र 2. आत्मा का स्वरूप क्या है ? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट करें।
उत्तर - कठोपनिषद में आत्मा के स्वरूप का ही अपूर्व विश्लेषण किया गया है। आत्मा मनुष्य की हृदय रूपी गुफा में अवस्थित है । यह अणु से भी सूक्ष्म महान् से भी महान् है । इसका रहस्य समझने वाला सत्य का अन्वेषण करता है। वह शोकरहित होता है।
प्र 2. मङ्गलम् पाठ का पाँच वाक्यों में परिचय दें।
उत्तर - इस पाठ में चार मन्त्र क्रमशः ईशावास्य, कठ, मुण्डक तथा श्वेताश्वतर नामक उपनिषदों में विशुद्ध आध्यात्मिक ग्रन्थों प्रति श्रद्धा उत्पन्न होती है, सत्य के अन्वेषण की प्रवृत्ति होती है। तथा आध्यात्मिक खोज की उत्सुकता होती है। उपनिषद्ग्रन्थ विभिन्न वेदों से सम्बद्ध हैं।
प्र 4. महान लोग संसाररूपी सागर को कैसे पार करते हैं ?
उत्तर - श्वेताश्वर उपनिषद् में ज्ञानी के लोग और अज्ञानी लोग में अंतर स्पष्ट करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि अज्ञानी लोग अंधकारस्वरूप और ज्ञानी प्रकाशस्वरूप हैं। महान लोग इसे समझकर मृत्यु को पार कर जाते हैं, क्योंकि संसाररूपी सागर को पार करने का इससे बढ़कर अन्य कोई रास्ता नहीं है।
प्र 5. विद्वान पुरुष ब्रह्म को किस प्रकार प्राप्त करता है ?
उत्तर - मुण्डकोपनिषद् में महर्षि वेदव्यास का कहना है कि जिस प्रकार बहती हुई नदियाँ अपने नाम और रूप अर्थात् व्यक्तित्व को त्यागकर समुद्र में मिल जाती हैं उसी प्रकार महान पुरुष अपने नाम और रूप, अर्थात् को त्यागकर ब्रह्म को प्रात कर लेता है।
प्र 6. मंगलम् पाठ के आधार पर सत्य की महत्ता पर प्रकाश डालें ?
उत्तर - सत्य की महत्ता का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि हमेशा सत्य की ही जीत होती है। मिथ्या कदापि नहीं जीतता । सत्य से ही देवलोक का रास्ता प्रशस्त है । मोक्ष प्राप्त करने वाले ऋषि लोग सत्य को प्राप्त करने के लिए ही देवलोक जाते हैं, क्योंकि देवलोक सत्य का खजाना है।
प्र 7. मंगलम् पाठ के आधार पर आत्मा की विशेषताएँ बतलाएँ ?
उत्तर - मंगलम् पाउ में संकलित कठोपनिषद् से लिए गए मंत्र में महर्षि वेदव्यास कहते हैं कि प्राणियों की आत्मा हृदयरूपी गुफा में बंद है। यह सूक्ष्म से सूक्ष्म और महान-से-महान है। इस आत्मा को वश में नहीं किया जा सकता है। विद्वान लोग शोक- रहित होकर परमात्मा अर्थात ईश्वर का दर्शन करते हैं।
प्र 8. उपनिषद् को आध्यात्मिक ग्रंथ क्यों कहा गया है ?
उत्तर - उपनिषद् एक आध्यात्मिक ग्रंथ है, क्योंकि यह परमात्मा के संबंध के बारे में विस्तृत व्याख्या करता परमात्मा संपूर्ण संसार में शांति स्थापित करते हैं। सभी तपस्वियों का परम लक्ष्य परमात्मा को प्राप्त करना ही है ।
प्र 9. लेखक 'पाटलिपुत्र वैभवम् पाठ से हमें क्या संदेश देना चाहते हैं ?
उत्तर - लेखक का कहना है कि प्राचीन काल में पाटलिपुत्र एक महान नगर था, जहाँ शिक्षा. वैभव और समृद्धि थी। मध्यकाल में इसकी स्थिति ठीक नहीं थी । मुगलकाल में इस नगर का पुनः उद्धार हुआ तथा अंग्रेजी के शासन काल से लेकर वर्तमान में
इस नगर का अत्यधिक विकास हो रहा है।
प्र 10. प्राचीन पाटलिपुत्र में शिक्षा के संबंध में लेखक के क्या विचार हैं ?
उत्तर - प्रस्तुत पाठ में लेखक ने बताया है कि दामोदर नामक कवि से हमें जानकारी मिलती है कि सरस्वती के वंशज यहाँ रहते थे । राजशेखर कवि के अनुसार पाणिनी, पिंगल, वररूचि आदि महान विद्वानों की परीक्षा यहाँ ली जाती थी । इससे ज्ञात
होता है कि प्राचीन पाटलिपुत्र शिक्षा का एक महान केंद्र था।
प्र 11. लेखक के विचार में प्राचीन काल से आज तक पाटलिपुत्र किस प्रकार का नगर रहा है ?
उत्तर - लेखक के विचार से पाटलिपुत्र नगर प्राचीन काल से आज तक राजनैतिक, धार्मिक, औद्योगिक और शिक्षा संकलित रूप से दर्शन किया जा सकता है। यहाँ के लोग कई से विविध क्षेत्रों में वैभव धारण करता रहा है और यहाँ इनका उत्सव मनाते आए हैं। पाटलिपुत्रवासी पटनदेवी की पूजा करते हैं । पाटलिपुत्र एक महान नगर रहा है।