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बिहार बोर्ड 10वी इतिहास परीक्षा 2023 : Top 50 महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्‍न उत्तर के साथ; रटलो परीक्षा से पहले

बिहार बोर्ड 10वी इतिहास परीक्षा 2023 : Top 50 महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्‍न उत्तर के साथ; रटलो परीक्षा से पहले

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बिहार बोर्ड 10वी इतिहास परीक्षा 2023 : Top 50 महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्‍न उत्तर के साथ; रटलो परीक्षा से पहले

यहां बिहार बोर्ड 10वी सामाजिक विज्ञान (इतिहास परीक्षा 2023 के लिए  Top 50 महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्‍न उत्तर के साथ दिए गए है  

इसमें शिक्षकों द्वारा चयनित शीर्ष 50 महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न दिए गए हैं जिनके साथ उत्तर भी शामिल हैं। यह एक गाइड है जो बिहार बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों को परीक्षा से पहले उन प्रश्नों को मदद करेगा जो परीक्षा में हर साल पूछे जाते है। 

आप नीचे दिए गए महत्वपूर्ण प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है, जिससे सामाजिक विज्ञान (इतिहास )के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।

सामाजिक विज्ञान (इतिहास)

1. राष्ट्रवाद क्या है ?

उत्तर :- राष्ट्रवाद अपने राष्ट्र के भौगालिक, संस्कृति और समाज में रहने वाले लोगो में प्रेम और एकता की भावना है।

2. मेजिनी कौन था ?

उत्तर :- मेजिनी साहित्यकार, गणतांत्रिक विचारों का समर्थक और योग्य सेनापति था। लेकिन मेजिनी में आदर्शवादी गुण अधिक और व्यावहारिक गुण कम थे। और इटली के एकीकरण में मेजिनी का महत्वपूर्ण योगदान था ।

3. मेटरनिख युग क्या है ?

उत्तर :- 1815 से 1848 तक के समय को युरोप में मेटरनिख युग के नाम से जाना जाता है।

4. 1848 के फ्रांसीसी क्रांति के कारण क्या थे ?

उत्तर :- लूई फिलिप एक उदारवादी शासक था, परन्तु बहुत अधिक महत्वकांक्षी था । उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए स्वर्णिम मध्यवर्गीय निति का अवलम्वन करते हुए 1840 मे गिजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था।

वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक एवं आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। लुई फिलिप ने पूंजीपति वर्ग को अपने साथ रखना पसंद किया, जिसे शासन के कार्यों में कोई रूचि नहीं थी और जो अल्पमत में भी था। उसके पास किसी भी तरह का सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था। उसके शासनकाल में देश में भुखमरी एवं एवं बेरोजगारी व्याप्त होने लगी, जिसके कारण 1848 की क्रांति हुई।

5. इटली, जर्मनी के एकीकरण में ऑस्ट्रिया की भूमिका क्या थी ?

उत्तर :- आस्ट्रिया, इटली और जर्मनी के एकीकरण का सबसे बड़ा विरोधी था । आस्ट्रिया के हस्तक्षेप से इटली में जनवादी आन्दोलन को कुचल दिया गया ।

6. गैरीबाल्डी के कार्यों की चर्चा करें।

उत्तर :- गैरीबाल्डी पेशे से एक नाविक था और मेजिनी के विचारों का समर्थक था परन्तु बाद में कावूर के प्रभाव में आकर सवैधानिक राजतंत्र का पक्षधर बन गया । गैरीबाल्डी ने अपनी कर्मचारियों तथा सेवकों की सशस्त्र सेना बनायीं और गौरीबाल्डी सशस्त्र क्रांति के द्वारा दक्षिणी इटली के रियासतों के एकीकरण तथा गणतंत्र की स्थापना करने का प्रयास कर रहा था। उसने अपने सैनिकों को लेकर इटली के प्रांत सिसली तथा नेपल्स पर आक्रमण किये। गैरीबाल्डी ने यहाँ गणतंत्र की स्थापना की तथा विक्टर इमैनुएल के प्रतिनिधि के रूप में वहाँ की सत्ता संभाली। दक्षिणी इटली के जीते गए क्षेत्र को बिना किसी संधि के गैरीबाल्डी ने विक्टर इमैनुएल को सौंप दिया। और वह अपनी सारी सम्पति राष्ट्र को समर्पित कर साधारण किसान की भाँति जीवन जीने की ओर अग्रसर हुआ । इटली के एकीकरण में गैरीबाल्डी का महत्वपूर्ण योगदान था ।

7. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएँ क्या थीं ?

उत्तर :- इटली के एकीकरण के दौरान ही जर्मन क्षेत्र में भी समान प्रक्रियाएँ चल रही थी। अतः दोनों देशों का एकीकरण लगभग साथ-साथ ही संपन्न हुआ।

आधुनिक युग आते-आते जर्मनी पूरी तरह से विखंडित राज्य था, जिसमें लगभग 300 छोटे-बड़े राज्य थे। उनमे राजनितिक, सामाजिक तथा धार्मिक विषमताएँ भी मौजूद थी। वहाँ प्रशा शक्तिशाली राज्य था एवं अपना प्रभाव बनाए हुए था । उनमे जर्मन राष्ट्रवाद की भावना का अभाव था, जिसके कारण एकीकरण का मुद्दा उनके समक्ष नही था ।

8. जुलाई 1830 की क्रांति का विवरण दें।

उत्तर :- चालर्स x एक निरकुंश एवं प्रतिक्रयावादी शासक था जिसने फ्रांस में उभर रही राष्ट्रीयता तथा जनतंत्रवादी भावनाओं को दवाने का कार्य किया और उसके द्वारा प्रतिक्रियावादी पोलीगनेक को प्रधानमंत्री बनाया गया। पोलिगनेक ने समान नागरिक संहिता के स्थान पर शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग की स्थापना किया और इस कदम को उदारवादियों ने चुनौती तथा क्रांति के विरुद्ध षड़यंत्र समझा । प्रतिनिधि सदन ने पोलिगनेक के विरुद्ध गहरा असंतोष प्रकट किया ।

चालर्स -x ने इस विरोध के प्रतिक्रियास्वरूप 25 जुलाई 1830 ई० को चार अध्यादेशों द्वारा उदार तत्वों को गला घोटने का प्रयास किया।

इस अध्यादेशों के विरोध में 28 जुलाई 1830 ई • से गृह युद्ध आरम्भ हो गया । इसे ही जुलाई 1830 की क्रांति कहते हैं।

9. पूँजीवाद क्या है ?

उत्तर :- पूंजीवाद से तात्पर्य ऐसी अर्थव्यवस्था से है, जिसमे उत्पादन के साधन पर व्यक्तिगत स्वामित्व होता है। जिसका उद्देश्य लाभार्जन है।

यह एक ऐसी राजनितिक आर्थिक व्यवस्था है जिसमे निजी सम्पति तथा निजी लाभ की अवधारणा को मान्यता दी जाती है। यह सार्वजनिक क्षेत्र में विस्तार एवं आर्थिक गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करती है।

10. खूनी रविवार क्या है ?

उत्तर :- 1905 ई० के रूस-जापान युद्ध में एशिया के एक छोटे देश जापान से पराजय के कारण रूस में क्रांति हो गई। 9 जनवरी 1905 को लोगों का समूह 'रोटी दो' के नारे के साथ सड़को पर प्रदर्शन करते हुए सेंट पीटर्सवर्ग स्थित महल की और जा रहा था। लेकिन जार की सेना ने इस निहत्थे लोहों पर गोलियाँ बरसायीं ,जिसमे हजारों लोग मारे गए। उस दिन रविवार था, इसीलिए इस तिथि को खुनी रविवार के नाम से जाना जाता है।

11. अक्टूबर क्रांति क्या है ?

उत्तर :- 7 नवंबर 1917 ई० को बोल्शेविकों ने पेट्रोग्राड के रेलवे स्टेशन, बैंक, डाकघर कचहरी तथा अन्य सरकारी भवनों पर अधिकार कर लिया और करेंस्की सरकार का तख्ता पलट दिया और रूस पर अधिकार जमा लिया। यह नवम्बर में हुई थी किन्तु रुसी कलेण्डर के अनुसार यह अक्टूबर था, जिस कारण इसे अक्टूबर क्रांति कहते है ।

12. सर्वहारा वर्ग किसे कहते है ?

उत्तर :- समाज का वैसा वर्ग जिसमें किसान, कृषक मजदुर, सामान्य मजदुर और आम गरीब लोग शामिल हो, उसे सर्वहारा वर्ग के नाम से जाना जाता है।

13. रुसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का वर्णन करें।

उत्तर :- रुसी क्रांति के दो कारण निम्नलिखित थे -

i. जार की निरंकुशता एवं अयोग्य शासन :- 1917 से पूर्व रूस में रोमनोव राजवंश का शासन था। इस समय रूस के सम्राट को 'जार' कहा जाता था। जार निकोलस ॥, जिसके शासनकाल में क्रांति हुई, जो राजा के दैवी अधिकारों में विशवास रखता था। उसे आम लोगों की सुख-दुःख की कोई चिंता नहीं थी। जार ने जो अफसरशाही बनायीं थी वह अस्थिर और अकुशल थी।

ii. मजदूरों की दयनीय स्थिति : रूस में मजदूरों की स्थिति अत्यंत दयनीय थी, उन्हें अधिक काम करना पड़ता था लेकिन उनकी मजदूरी काफी कम थी। मजदूरों को कोई राजनैतिक अधिकार नहीं थे। अपनी मांगों के समर्थन में वे हड़ताल भी नहीं कर सकते थे। अतः वे अपनी स्थिति से संतुष्ट नहीं थे।

14. प्रथम विश्वयुद्ध में रूस की पराजय क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया कैसे ?

उत्तर :- 1914 से 1918 ई० तक प्रथम विश्व युद्ध चला। जिसमें मित्र राष्ट्रों की ओर से रूस भी शामिल हुआ था,इस युद्ध में शामिल होने का मुख्य उद्देश्य था की रुसी जनता आंतरिक असंतोष भूलकर बाहरी मामलों में उलझ जाए। लेकिन इस युद्ध में चरों तरफ से से रुसी सेनाओं की हार हो रही थी, न तो उनके पास अच्छे हथियार थे और न ही पर्याप्त भोजन। युद्ध के मध्य में जार ने सेना का कमान अपने हाथों में ले लिया और उसके परिणामस्वरूप उसका दरबार खाली हो गया तथा उसकी अनुपस्थिति में जरीना और उसके गुरु पादरी को षड़यंत्र करने का मौका मिल गया, जिसके कारण राजतन्त्र की प्रतिष्ठा गिर गई। अतः हम कह सकते है कि प्रथम विश्व युद्ध में रूस की पराजय ने क्रांति हेतु मार्ग प्रशस्त किया।

15. अप्रैल थीसिस क्या है ?

उत्तर :- अप्रैल, 1917 ई0 में लेनिन ने रूस में क्रांतिकारी योजना प्रकाशित की जो 'अप्रैल थीसिस' के नाम से जानी जाती है।

16. नई आर्थिक निति क्या है ?

उत्तर :- 1921 में हुए विद्रोह के बाद लेनिन ने साम्यवादी व्यवस्था में परिवर्तन करने और पूंजीवादी व्यवस्था की ओर लौटने के उद्देश्य से "नई आर्थिक नीति" की घोषणा की और नई आर्थिक नीति का उद्देश्य श्रमिक वर्ग और कृषकों की आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाना, पूरे देश की कामगार आबादी को देश की अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना था ।

➜ नई आर्थिक नीति में निम्नलिखित प्रमुख बातें थी :-

i. ट्रेड यूनियन की अनिवार्य सदस्यता समाप्त कर दी गई।

ii. विभिन्न स्तरों पर बैंक खोले गए।

iii. विदेशी पूंजी भी सिमित तौर पर आमंत्रित की गई।

iv. किसानों से अनाज ले लेने के स्थान पर एक निश्चित कर लगाया गया ।

v. उद्योगों का विकेन्द्रीकरण कर दिया गया।

17. रुसी क्रांति के प्रभाव की विवेचना करें।

उत्तर :- रूसी क्रांति का प्रभाव निम्नलिखित क्षेत्रों पर पड़ा :-

i. नई सभ्यता, नई संस्कृति एवं नए समाज का पक्षपाती : साम्यवाद नई सभ्यता, नई संस्कृति एवं नए समाज का पक्षपाती था। उसे फ्रांस, इंग्लैंड व अमेरिका की व्यवस्था किसी क्षेत्र में प्रिय नहीं था ।

ii. साम्यवाद का प्रचारः- इस क्रांति के माध्यम से साम्यवाद का प्रचार तीव्र गति से हुआ। साम्यवाद आधे यूरोप और आधे एशिया में फैल गया।

iii. कृषक वर्ग और श्रमिक वर्ग का शासन सत्ता पर अधिकार :- इस क्रांति ने पूर्व से चली आ रही जारशाही का अंत किया और किसान एंव मजदूरों के हाथ में शासन की सत्ता सौंप दी गई।

iv. नवीन विचारधारा का जन्म :- 1917 क्रांति के फलस्वरूप साम्यवाद नामक विचारधारा का उदय हुआ । इस विचारधारा के अंतर्गत वर्गहीन समाज स्थापित हुआ और कृषक एंव श्रमिक शासन को चलाने वाले बन गए ।

18. कार्ल मार्क्स की जीवनी एवं सिद्धांतों का वर्णन करें।

उत्तर :- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई 1818 ई० को जर्मनी में राइन प्रांत के ट्रियर नगर में एक यहूदी परिवार में हुआ था। कार्ल मार्क्स के पिता हेनरिक मार्क्स एक प्रसिद्ध वकील थे। कार्ल मार्क्स, मार्क्स हीगल के विचारों से प्रभावित था । 1843 में बचपन की मित्र जेनी से विवाह किया। उसने राजनीतिक एवं सामाजिक इतिहास पर मॉन्टेस्क्यू तथा रूसो के विचारों का गहन अध्यन किया।

➤ कार्ल मार्क्स ने ऐंगेल्स के साथ मिलकर 1848 में एक 'साम्यवादी घोषणा पत्र प्रकाशित किया जिसे आधुनिक समाजवाद का जनक कहा जाता है।

➤ कार्ल मार्क्स ने 1867 में 'दास कैपिटल' नामक पुस्तक की रचना की जिसे "समाजवादियों की बाइबिल" कहा जाता है।

➤ कार्ल मार्क्स की मृत्यु 15 मार्च 1883 को हुई थी।

कार्ल मार्क्स के सिद्धांत

1. द्वंदात्मक भौतिकवाद का सिद्धांत

2. वर्ग संघर्ष का सिद्धांत

3. इतिहास की भूतिकवादी व्याख्या

4. मूल्य एवं अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत

5. राज्यहीन व वर्गहीन समाज की स्थापना

19. एक तरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी ?

उत्तर :- एकतरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी। वंहा मजदूरों को कोई अधिकार नहीं थी, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त थे।

20. बाओदायी कौन था ?

उत्तर :- बाओदायी पूर्व में अन्नान का शासक था,बाद में फ़्रांस के समर्थन से दक्षिणी वियतनाम का शासक बना ।

21. हिन्द - चीन का अर्थ क्या है ?

उत्तर :- दक्षिण पूर्व एशिया में हिन्द-चीन देशों से अभिप्रायः तत्कालीन समय में लगभग 3 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले उस प्रायद्वीपीय क्षेत्र से है जिसमें आज के वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया के क्षेत्र आते है।

22. होआ - होआ आन्दोलन की चर्चा करें।

उत्तर :- होआ-होआ एक बौद्धिष्ट धार्मिक क्रन्तिकारी आन्दोलन था, जो 1939 में शुरू हुआ था जिसके नेता हुईंह फू-सो था। ये क्रन्तिकारी उग्रवादी घटनाओं को भी अंजाम देते थे, जिसमे आत्मदाह तक भी शामिल होता था।

23. रासायनिक हथियारों एवं एजेन्ट ऑरेंज का वर्णन करें।

उत्तर :- अमेरिका ने कम्बोडिया में जहरीला एवं वियतनाम में नापाम बम तथा एजेन्ट ऑरेंज रासायनिक हथियारों का प्रयोग संघर्ष के दौरान किया जो अत्यंत घातक साबित हुआ। अगस्त 1964 में अमेरिका ने उत्तरी वियतनाम पर आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण में उसने खतरनाक हथियारों जैसे- नापाम बम एजेन्ट ऑरेंज तथा फॉस्फोरस बम का प्रयोग किया।

रासायनिक हथियार नापाम बम :- नापाम बम में नापाम नामक एक कार्बनिक यौगिक होता है जो अग्नि मों में गैसोलीन के साथ मिलकर एक ऐसा मिश्रण तैयार करता है जो त्वचा से चिपक जाता है और जलता रहता है।

एजेन्ट ऑरेंज :- एजेन्ट ऑरेंज एक ऐसा जहर है जिससे पेड़ो की पत्तियाँ तुरंत झुलस जाती है एवं पेड़ मर जाता है, जंगलों को ख़त्म करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसका नाम ऑरेंज पट्टियों वाले ड्रमों में रखे जाने के कारण पड़ा।

वियतनाम युद्ध में अमेरिका ने इसका इस्तेमाल जंगलों के साथ-साथ खेतो तथा आबादी पर भी जमकर किया। उस क्षेत्र में इसका असर जन्मजात विकलांगता तथा कैंसर के रूप में आज भी देखा जा सकता है।

24. हो ची-मिन्ह के विषय में संक्षिप्त में लिखें।

उत्तर :- 1917 ई० में हो - ची मिन्ह ( एक वियतनामी छात्र) ने पेरिस में सम्वादियों का एक गुट बनाया। बाद में हो - ची मिन्ह शिक्षा प्राप्त करने मास्को गया और साम्यवाद से प्रेरित होकर 1925 ई० में वियतनामी क्रन्तिकारी दल का गठन किया । अंततः 1930 ई० में वियतनाम के बिखरे राष्ट्रवादी गुटों को एकजुट कर "वियतनाम कांग सान देंग "अर्थात कम्युनिष्ट पार्टी की स्थापना की जो पूर्णतः उग्र विचारों पर चलने वाली पार्टी थी। 1954 ई० में जेनेवा समझौता के तहत वियतनाम को दो भागों में बाँट दिया गया। उत्तरी वियतनाम में हो ची मिन्ह की सरकार बनी ।

25. माई ली गावँ की घटना क्या थी ? इसका क्या प्रभाव पड़ा ?

उत्तर :- माई ली,दक्षिणी वियतनाम का एक गाँव था, जहाँ के लोगों को अमेरिकी सेना ने पुरे गाँव को घेर कर पुरषों को मार डाला औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनक सामूहिक बलात्कार किया फिर उन्हें भी मार कर पूरे गाँव में आग लगा दिया। लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा बच गया था, जिसने इस घटना को उजागर किया था।

उसी समय माई ली गाँव की घटना प्रकाश में आयी तब अमेरिकी सेना की आलोचना पुरे विश्व में होने लगी। तब राष्ट्रपति निक्सन ने शांति के लिए पाँच सूत्री कार्यक्रम की घोषणा की।

26. हिन्द- चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।

उत्तर :- हिंद-चीन में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न तत्त्वों का योगदान था, जिनमें औपनिवेशिक शोषण की नीतियों तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया। 20 वीं शताब्दी के शुरुआत में यह विरोध और तेज होने लगा।

➤ उसी परिपेक्ष्य में 1903 ई० में फान- बोई - चाऊ ने 'दुई तान होई' नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआंग दें थे।

➤ फान-बोई चाऊ ने "द हिस्ट्री ऑफ द लॉऑफ वियतनाम " लिखकर और हलचल पैदा कर दी।

➤ 1905 में जापान द्वारा रूस को हराया जाना हिंद- चीनियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया।

➤ इसी समय एक-दूसरे राष्ट्रवादी नेता फान चू-त्रिन्ह हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप की गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया।

➤ जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र इसी तरह के विचारों के समर्थक थे।

➤ इन्हीं छात्रों ने वियतनाम कुवान फुक होई (वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन) की स्थापना की। लेकिन हिंद- चीन में प्रारंभिक राष्ट्रवाद का विकास चीन, अन्नाम, तोकिन जैसे शहरों तक ही सीमित था, परंतु जब प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो इन्हीं प्रदेशों के हजारों लोगों को सेना में भर्ती किया गया।

➤ युद्ध में हिंद-चीनी सैनिकों की ही बड़ी संख्या में मृत्यु हुई।

इन सब बातों की तीखी प्रतिक्रिया हिंद-चीनी के लोगों पर हुई और 1914 ई० में ही देशभक्तों ने एक 'वियतनामी राष्ट्रवादी दल' नामक संगठन बनाया । 1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने भी राष्टवाद के विकास में योगदान किया।

27. असहयोग आन्दोलन प्रथम जन आन्दोलन था कैसे ?

उत्तर :- असहयोग आन्दोलन महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारंभ किया गया प्रथम जन आन्दोलन था। इस जन आंदोलन के मुख्यतः तीन कारण थे।

i. खिलाफत का मुद्दा

ii. पंजाब में सरकार की बर्बर कार्रवाइयों के विरुद्ध न्याय प्राप्त करना

iii. स्वराज की प्राप्ति करना

➜ इस आंदोलन में दो तरह के कार्यक्रम को अपनाया गया :-

पहला : अंग्रेजी सरकार को कमजोर करने एवं नैतिक रूप से पराजित करने के लिए विंध्वसात्मक कार्य , जिसके अंतर्गत सरकारी तथा गैर सरकारी समारोह का बहिष्कार करना तथा सरकारी स्कूलों एवं कॉलेजों का बहिष्कार करना आदि शामिल था।

दूसरा :- रचनात्मक कार्यो के अंतर्गत, न्यायालय के स्थान पर पंचो का फैसला मानना राष्ट्रीय विद्यालयों एवं कॉलेजों की स्थापना, स्वदेशी अपनाना चरखा खादी को लोकप्रिय बनाना आदि शामिल था। इस आंदोलन में महात्मा गाँधी के नेतृत्व में व्यापक स्तर पर लोगों की सहभागिता रही, अतः हम कह सकते है की असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था।

28. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?

उत्तर :- सविनय अवज्ञा आंदोलन के निम्नलिखित परिणाम हुए :-

i. इस आंदोलन ने राष्ट्रीय आंदोलन के सामाजिक आधार का विस्तार किया ।

ii. इस आंदोलन में महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा ली।

iii. इस आंदोलन के अंतर्गत आर्थिक वहिष्कारने ब्रिटिश आर्थिक हितों को प्रभावित किया।

iv. इस आंदोलन ने श्रमिक एवं कृषक आंदोलन को भी प्रभावित किया।

v. पहली बार ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस से समानता के आधार पर बात की।

29. गिरमिटिया मजदुर' किसे कहते है ?

उत्तर :-औपनिवेशिक देशों से (भारत से) लोगों को निश्चित अवधि के लिए एक अनुबंध के तहत यूरोपीय देश अपने यँहा या फिर अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में ले जाते थे। इन मजदूरों की मजदूरी बहुत कम होती थी तथा इन्हे मुख्यतः कृषि कार्य में लगाया जाता था। इस तरह के मजदूरों को ही गिरमिटिया मजदुर का जाता है।

30. भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में गांधीजी के योगदान की विवेचना करें।

उत्तर :- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महात्मा गाँधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा था। 1915 में दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद गाँधी जी ने रचनात्मक कार्यों के लिए अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। 1919 से लेकर 1947ई० तक राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी का भूमिका अहम रही। गांधीजी के द्वारा चंपारण में सत्याग्रह का प्रथम प्रयोग किया गया जो अंततः सफल रहा। चंपारण एवं खेड़ा में कृषक आंदोलन और अहमदाबाद में श्रमिक आंदोलन का नेतृत्व प्रदान कर गांधीजी ने प्रभावशाली राजनेता के रूप में अपनी राष्ट्रीय पहचान बनाई। ब्रिटिश सरकार की उत्पीड़नकारी नीतियाँ एवं रॉलेट एक्ट के विरोध में इन्होंने सत्याग्रह की शुरुआत की।
महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन के द्वारा राष्ट्रीय आंदोलन को एक नई दिशा प्रदान की और देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ।

31. फैक्ट्री प्रणाली के विकास के किन्ही दो कारणों को बतायें।

उत्तर :- फैक्ट्री प्रणाली के विकास के दो कारण निम्न है :-

i. मशीनों एवं नये-नये यंत्रों का आविष्कार,

ii. उद्योग तथा व्यापार के नये-नये केंद्रों के विकास ने फैक्ट्री प्रणाली को विकसित किया।

32. बुर्जुआ वर्ग की उत्पति कैसे हुई ?

उत्तर :- औद्योगीकरण के फलस्वरूप मध्यमवर्गीय बुर्जुआ वर्ग की उत्पत्ति हुई। यह वर्ग आधुनिक शिक्षा प्राप्त था, जिसने आगे चलकर देश के राष्ट्रीय आन्दोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।

33. निरुद्योगीकरण से आपका क्या तात्पर्य है ?

उत्तर :- एक तरफ जहाँ मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि कर औद्योगिकी प्रक्रिया की शुरुआत की थी,वहीं भारत में कुटीर उद्योग बंद होने के कगार पर पहुँच गया था। भारतीय इतिहासकारों ने भारत के उद्योग के लिए इसे निरुद्योगीकरण की संज्ञा दी है।

34. औधोगिकरण से आप क्या समझते है ?

उत्तर :- औद्योगीकरण उस क्रांति की देन है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मानव श्रम के द्वारा न होकर मशीनों के द्वारा होता है। इसमें उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, जिसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है। नये-नये मशीनों का आविष्कार एवं तकनीकी विकास पर ही औद्योगीकरणनिर्भर करता है। इसके प्रेरक तत्व के रूप में मशीनों का आलावा पूंजी निवेश एवं श्रम का भी महत्वपूर्ण स्थान है। साधारणतः औद्योगीकरण को समाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था का यांत्रिकीकरण कह सकते है।

35. औधोगिकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?

उत्तर :- औद्योगीकरण ने नई फैक्ट्री प्रणाली को जन्म दिया, जिससे कुटीर उद्योगों के मालिक मजदुर बन गये। ये मजदुर अपनी आजीविका के लिए बड़े-बड़े उद्योगपतियों से प्राप्त वेतन पर निर्भर हो गए। औद्योगीकरणने मजदूरों की आजीविका को इस तरह नष्ट कर दिया था की उनके पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदने के लिए धन नहीं रह गया था।

36. स्लम पद्धति की शुरुआत कैसे हुई ?

उत्तर :- औद्योगीकरण के फलस्वरूप औद्योगीक मजदुर वर्ग का उदय हुआ। ये मजदुर शहर में छोटे-छोटे घरों में निवास करने के लिए बाध्य थे, जहाँ कोई बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं थी ।

37. न्यूनतम मजदूरी कानून कब पारित हुआ और इसके क्या उद्देश्य थे ?

उत्तर :- न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 में पारित हुआ। इसका उद्देश्य कुछ उद्योगों में मजदूरी की दरें निश्चित करना था। न्यूनतम मजदूरी के सन्दर्भ में कहा गया की मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी ऐसा होना चाहिए जिससे मजदुर केवल अपना गुजारा न कर सके, बल्कि इससे कुछ और अधिक हो ताकि वह अपनी कुशलता को भी बनाये रख सके। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में यह कहा गया की न्यूनतम मजदूरी ऐसी होनी चाहिए की जिससे मजदूरों की स्थिति उनके अपने गुजर-बसर के स्तर से अधिक हो । तिसरी पंचवर्षीय योजना में मजदुर बोर्ड की स्थापना हुई तथा बोनस देने के लिए बोनस आयोग की नियुक्ति हुई।

38. औधोगिकरण के कारणों का उल्लेख करें।

उत्तर :- औद्योगीकरण के निम्नलिखित कारण है :-

i. आवश्यकता आविष्कार की जननी

ii. नये-नये मशीनों का आविष्कार

iii. कोयले एवं लोहे की प्रचुरता

iv. फैक्ट्री प्रणाली की शुरुआत

v. सस्ते श्रम की उपलब्धता

vi. यातायात की सुविधा

Note :- इन सभी को आप अपने शब्दों में उल्लेख करें।

39. शहरों ने किन नई समस्याओं को जन्म दिया ?

उत्तर :- नये-नये शहरों का उदय और शहरों में बढ़ती जनसंख्या ने शहरों में नई-नई समस्याओं को जन्म दिया। शहरों में श्रमिकों की बढ़ती आबादी ने कई नई समस्याओं को जन्म दिया जैसे  — बेरोजगारी में वृद्धि, प्रदुषण, आवास की समस्या तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि ।

40. ग्रामीण तथा नगरीय जीवन के बीच की भिन्नता को स्पष्ट करें।

उत्तर :- गावं और शहर के बीच काफी भिन्नताएं है। गावं की आबादी कम होती है, नगर की ज्यादा गावं में खेती और पशुपालन मुख्य आजीविका है, तो शहर में व्यापार, उत्पादन और नौकरी । गावं में प्राकृतिक वातावरण स्वच्छ है तो शहर में प्रदूषित। शिक्षा, यातायात, स्वास्थ सुविधाएँ आदि में शहर अधिक उन्नत है,जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में इन बुनियादी सुविधाओं का आभाव रहता है। शहर व्यक्ति को संतुष्ट करने के लिए अंतहीन संभावनाएं प्रदान करता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में सिमित संभवनाएं होती है। ग्रामीण जीवन में जहाँ सादगी व संतुष्टि देखने को मिलती है वही नगरीय जीवन में ज्यादा चमक-दमक व भागदौड़ तथा अंतहीन आवश्यकताओं के प्रति ललक देखने को मिलती है।

41. शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यमवर्ग एवं मजदुर वर्ग की भूमिका की चर्चा करें।

उत्तर :- शहरीकरण की प्रक्रिया में व्यवसायी वर्ग, मध्यम वर्ग एवं मजदुर वर्ग की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

व्यवसायी वर्ग - शहरीकरण की प्रक्रिया के कारण व्यापार तथा वाणिज्य का विकास हुआ। नये-नये व्यवसायों के कारण विभिन्न व्यवसायी वर्ग का उदय हुआ। शहरों में यह व्यवसायी वर्ग एक नये सामाजिक शक्ति के रूप में उभरकर आए।

मध्यम वर्ग – शहरीकरण के फलस्वरूप समाज में मध्यम वर्ग का उदय हुआ। यह एक शिक्षित वर्ग था, जो विभिन्न पेशों में रहकर भी औसतन एक समान आय प्राप्त करने वाला वर्ग के रूप में उभरकर सामने आया और यह बुद्धिजीवी वर्ग कहलाया। यह मध्यम वर्ग शहरों में विभिन्न रूपों में कार्यरत है। समाज पर इनका व्यापक प्रभाव था।

जैसे-शिक्षक, वकील, चिकित्सक, इंजीनियर, क्लर्क, एकाउंटेंट्स आदि ।

मजदूर वर्ग - शहरीकरण की प्रक्रिया ने समाज में जहाँ एक ओर पूँजीपति वर्ग को जन्म दिया वहीं दूसरी ओर श्रमिक या मजदूर वर्ग का । ये मजदूर वर्ग संगठित होकर अपना संगठन बनाये तथा अपनी मांगों के समर्थन में समय-समय पर हड़ताल भी किए। इस प्रकार हड़ताल और श्रमिक आंदोलन आधुनिक शहरों की विशेषता बन गई।

42. एक औपनिवेशिक शहर के रूप में बम्बई शहर के विकास की समीक्षा करें।

उत्तर :- 19वीं शताब्दी के अंत तक बम्बई का विस्तार तीव्र गति से हुआ। शुरुआत में बम्बई सात टापुओं इलाका था। जैसे-जैसे आबादी बढ़ी, इन टापुओं को एक-दूसरे से जोड़ दिया गया, और इस तरह एक विशाल शहर अस्तित्व में आया। बम्बई औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी। एक प्रमुख बंदरगाह होने के नाते यह अंतराष्ट्रीय व्यापार का केंद्र था, जहाँ से कपास और अफीम जैसे कच्चा माल बड़ी मात्रा में निर्यात किए जाते थे।

औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंबई को बंबई प्रेसीडेंसी की राजधानी बनाई। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ।

फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में यहाँ आकर बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया। औद्योगिकीकरण के कारण बंबई नगर का तेजी से विकास हुआ। 1854 में बंबई में पहली सूती मिल की स्थापना के साथ ही बंबई औद्योगिकीकरण के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ा।

43. विश्व बाजार किसे कहते है ?

उत्तर :- उस तरह के बाजारों को हम विश्व बाजार कहेंगे जहाँ विश्व के सभी देशों की वस्तुएँ आमलोगों को खरीदने के लिए उपलब्ध हो।

44. औद्योगिक क्रांति क्या है ?

उत्तर :- वाष्प शक्ति से संचालित मशीनों द्वारा बड़े-बड़े कारखानों में व्यापक पैमाने पर वस्तुओं उत्पादन को औद्योगिक क्रांति कहते है ।

45. आर्थिक संकट से आप क्या समझते है ?

उत्तर :- अर्थतंत्र में आनेवाली वैसी स्थिती जब कृषि, उद्योग और व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए, लाखों लोग बेरोजगार हो जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों का दिवाला निकल जाए तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत नहीं रहे, तो इसे आर्थिक संकट कहते है।

46. भूमंडलीकरण किसे कहते है ?

उत्तर :- भूमंडलीकरण जीवन के सभी क्षेत्रो का एक अंतर्राष्ट्रीय स्वरुप है। जिसने दुनिया के सभी भागों को आपस में जोड़ दिया है जिससे संपूर्ण विश्व एक बड़े गावं के रूप में परिवर्तित हो गया है। मूलरूप से भूमंडलीकरण राजनीतिकरण, आर्थिक समाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की एक प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगो को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करती है।

47. बहुराष्ट्रीय कंपनी क्या है ?

उत्तर :- कई देशों में एक ही साथ व्यापार और व्यवसाय करने वाले कंपनी को बहुराष्ट्रीय कंपनी कहा जाता है। 1920 के बाद इस तरह की कम्पनियों का उत्कर्ष हुआ जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद कफी बढ़ा। ये बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ पूंजीवादी देशों की बड़ी-बड़ी व्यापारिक एवं औद्योगिक कम्पनियाँ है।

जैसे :- फोर्ड कम्पनी, सैमसंग, डाबर, हिन्दुस्थान लिवर इत्यादि

48. 1929 के आर्थिक संकट के कारणों को संक्षेप में स्पष्ट करें।

उत्तर :- 1929 के आर्थिक मंदी का बुनियादी कारण इस अर्थव्यवस्था के स्वरूप में ही समाहित था। नवीन तकनीकी प्रगति तथा बढ़ते हुए मुनाफे के कारण उत्पादन में जो भारी वृद्धि हुई उससे ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई की जो कुछ उत्पादित किया जाता था उसे खरीद सकने वाले लोग बहुत कम थे। कृषि क्षेत्र में यह अति उत्पादन प्रथम महायुद्ध के बाद भी बना रहा, लेकिन उसे खरीद सकने वाले लोग बहुत कम थे। इससे उन कृषि उत्पादों की कीमते गिरी। गिरती कीमतों से किसानों की आय घटी, इस स्थिति से निकलने के लिए उन्होंने उत्पादन को और बढ़ाया ताकि कम कीमत पर ज्यादा माल बेचकर अपना आय स्तर बनाए रखा जा सके। इसने बाजारों में कृषि उत्पादों की आमद और बढ़ा दी तथा कीमते और नीचे चली गई। 

50. विश्व बाजार के लाभ हानि पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर :- विश्व बाजार ने व्यापार और उद्योग को तीव्र गति से बढ़ाया, व्यापार और उद्योग के विकास ने पूँजीपति, मजदूर और मजबूत मध्यमवर्ग नामक तीन शक्तिशाली सामाजिक वर्ग को जन्म दिया। कृषि उत्पादन के क्षेत्र में क्रन्तिकारी परिवर्तन हुआ, कुछ नवीन फसलों का उत्पादन इसी का परिणाम था।

जैसे:- रबर तम्बाकू, कॉफी, नील, इत्यादि ।

विश्व बाजार ने नवीन तकनीकी को सृजित किया। इन तकनीकों में रेलवे, वाष्प इंजन, भाप का जहा ,महत्वपूर्ण रहा। इन तकनीकों ने विश्व बाजार उसके लाभ को कई गुण बढ़ा दियाजैसे 1820 से 1914 के बीच विश्व व्यापार में 25 से 40 गुना वृद्धि हो चुकी थी ।

विश्व बाजार ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद के एक नये युग को जन्म दिया साथ ही साथ भारत जैसे पुराने उपनिवेशों का शोषण और तीव्र हुआ।

उपनिवेशों की अपनी स्थानीय आत्म निर्भर अर्थव्यवस्था जिसका आधार कृषि और लघु उद्योग तथा कुटीर उद्योग था, जो यूरोपीय देशों ने व्यवस्थित नीति के तहत नष्ट किया। क्योकि इसी पर उनकी औद्योगिक क्रांति सफल होती। औपनिवेशक लोगों के आजीविका को छीन लिया।

जैसे :- 1800ई0 में जहाँ भारतीय निर्यात में सूती कपडा का हिस्सा 30 प्रतिशत था वही 1815 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया। 1870 तक आते आते यह केवल 3 प्रतिशत रह गया। इसके विपरीत कच्चे कपास का भारत से निर्यात 1800 से 1872 के बीच 5 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया

51. ब्रेटन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

उत्तर :- ब्रेटन वुड्स सम्मेलन जुलाई, 1944 ई० में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थान पर हुआ  जिसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार था। क्योंकि इसी आधार पर विश्व शांति स्थापित की जा सकती थी ।

52. गुटेनवर्ग ने मुद्रणयंत्र का विकास कैसे किया ?

उत्तर :- गुटेनवर्ग ने अपने ज्ञान एवं अनुभव से टुकड़ों में बिखरी मुद्रण कला के ऐतिहासिक शोध को संगठित एवं एकत्रित करके टाइप के लिए पंच, मेट्रिक्स, मोल्ड आदि बनाने पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया। मुद्रण बनाने हेतु उसने सीसा, टिन और विस्मथ धातुओं से उचित मिश्रधातु बनाने का तरीका ढूँढ निकला। इसने आवश्यकतानुसार मुद्रण स्याही भी बनाई तथा हैंडप्रेस के द्वारा प्रथम बार मुद्रण किया। इस प्रकार एक सस्ता एवं शीघ्र कार्य करनेवाला गुटेनवर्ग का ऐतिहासिक मुद्रण शोध 1440ई0 में शुरू हुआ।

➤ माना जाता है की पुराने 42 लाइन एवं 36 लाइन के बाइबिल गुटेनवर्ग द्वारा छापे गए।

53. छापाखाना यूरोप में कैसे पहुँचा ?

उत्तर :- छापाखाना के आविष्कार का महत्व इस भौतिक संसारा में आग, पहिया और लिपि की तरह है जिसने अपनी उपस्थिति से पुरे विश्व में जीवन शैली को एक नया आयाम प्रदान किया। छापाखाना के आविष्कार एवं विकास का श्रेय चीन को है।

54. पांडुलिपि क्या है

उत्तर :- पाण्डुलिपि उस लिखित दस्तावेज को कहते हैं जो एक व्यक्ति या अनेक व्यक्तियों द्वारा हाथ से लिखी गयी हो ।

55. भारतीय प्रेस की विशेषतायों को लिखें।

उत्तर :- 19वीं शताब्दी के पहले जागरूकता के अभाव के कारण सामान्य जनता से लेकर जमींदारों तक की रूचि राजनीति में नहीं थी। इसी कारण समाचार पत्रों का वितरण कम था और पत्रकारिता घाटे का व्यापार था। 19वीं से 20वीं सदी में राजा राममोहन राय, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, महात्मा गाँधी, मौलाना आजाद आदि ने भारतीय प्रेस को शक्तिशाली तथा प्रभावकारी बनाया।

भारतीय प्रेस की निम्न विशेषताएँ थी :-

i. यह ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध भारतीयों की भावना को एकरूप देने, उसकी नीतियों एवं शोषण के विरुद्ध जागृति लाने एवं देशप्रेम की भावना जागृत कर राष्ट्र निर्माण में इसने महत्त्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया।

ii. इसके द्वारा न्यायिक निर्णयों में पक्षपात, धार्मिक एवं सामाजिक सुधार आंदोलन को बल मिला था भारतीय जनमत जाग्रत हुआ।

iii. इसने न केवल राष्ट्रवादी आंदोलन को एक नई दिशा दी अपितु भारत में शिक्षा को प्रोत्साहन, आर्थिक विकास एवं औद्योगिकीकरण तथा श्रम आंदोलन को भी प्रोत्साहित करने का कार्य किया ।

56. राष्ट्रीय आंदोलन को भारतीय प्रेस ने कैसे प्रभावित किया ?

उत्तर :- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में प्रेस की प्रभावशाली भूमिका रही। इसने राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं अन्य मुद्दों को उठाकर, उन्हें जनता के समक्ष लाकर उनमें राष्ट्रवादी भावना विकास में जागृति ला दी ।

प्रेस में प्रकाशित लेखों और समाचार पत्रों से भारतीय औपनिवेशिक शासन के वास्तविक स्वरूप से परिचित हुए। वे अंग्रेजों की प्रजातीय विभेद और शोषण की नीतियों से परिचित हुए। समाचार-पत्रों ने उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के घिनौने मुखौटा का पर्दाफाश कर दिया तथा इनके विरुद्ध लोकमत को संगठित किया। 

जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का दायित्व समाचार-पत्रों ने अपने ऊपर ले लिया। समाचार-पत्रों ने देश में चलने वाले विभिन्न आंदोलनों एवं राजनीतिक कार्यक्रमों से जनता को परिचित कराया। कांग्रेस के कार्यक्रम हों या उसके अधिवेशन, बंग-भंग आदोलन अथवा असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन समाचार पत्रों द्वारा लोगों को इनमें भाग लेने की प्रेरणा मिलती थी। कांग्रेस की भिक्षाटन की नीति का प्रेस ने विरोध किया तथा स्वदेशी और बहिष्कार की भावना को बढ़ावा देकर राष्ट्रवाद का प्रसार किया। इस प्रकार समाचार पत्रों ने राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा दी। तिलक, ऐनीबेसेंट, महात्मा गाँधी और अन्य प्रभावशाली नेता प्रेस के माध्यम से ही जनता तक पहुँच सके। समाचार-पत्रों के माध्यम से आम जनता भी प्रेस और राष्ट्रवाद से जुड़ गयी ।

57. वियना सम्मेलन की विवेचना करें।

उत्तर :- सन्न 1815ई० में फ़्रांस में नेपोलियन युग की समाप्ती हो गयी। 1815ई० में ही यूरोप की विजयी शक्तियाँ ऑस्ट्रिया की राजधानी वियाना में जमा हुई। इन सबों का यह उद्देश्य था की यूरोप महादेश में उसी व्यवस्था को फिर से स्थापित करना था, जिसे नेपोलियन ने अपने युद्धों के द्वारा अस्त-व्यस्त कर दिया। वियाना व्यवस्था के तहत फ़्रांस में क्रांति की पूर्व की व्यवस्था करने के लिए बुर्बी राजवंश को पुनः

स्थापित किया गया तथा किसी भी प्रकार के गणतांत्रिक सुधारों का विरोध किया गया। 

मेटरनिख,जो की वियाना सम्मलेन की मेजबानी कर रहा था, जो इटली में राष्ट्रवाद का विकास नहीं चाहता था। इसीलिए उसने इटली को कई भागों में बाँट दिया।

अतः वियाना सम्मलेन को किसी हद तक प्रतिक्रियावादी शक्ति की जीत कहा जा सकता है।

58. जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ ?

उत्तर :- जेनेवा समझौता मई 1954 में हिन्द- चीन समस्या पर वार्ता हेतु बुलाये गये सम्मलेन में हुआ।

इसमें वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट दिया गया तथा लाओस तथा कम्बोडिया में बैद्य राजतंत्र को स्वीकार कर संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया। 

59. चम्पारण सत्याग्रह का संक्षिप्त विवरण दें।

उत्तर :- बिहार में निलहों द्वारा निल की खेती के लिए तीन कठिया व्यवस्था लागु की गई थी, जिसके अनुसार प्रत्येक किसान को अपनी कुल भूमि को 3/20 हिस्से या 15 प्रतिशत भू-भाग पर निल की खेती करनी होती थी। इसी व्यवस्था के खिलाफ 1917 में गांधीजी ने सत्याग्रह किया जिसे चम्पारण सत्याग्रह कहा जाता है।
गांधीजी के आगमन एवं उनके प्रयास के बाद किसानो को राहत दी गई और गांधीजी के प्रयास से चम्पारण सत्याग्रह सफल हुआ।

60. गांधीजी की "यंग इण्डिया" पर टिप्पणी लिखें।

उत्तर :- 'यंग इंडिया' नामक पत्र का संपादन महात्मा गाँधी जी के द्वारा उनके विचारों एवं राष्ट्रवादी आंदोलन का प्रचार करने के लिए किया गया था। इस पत्र के माध्यम से गाँधीजी ने सरकार को अपने राजनीतिक कार्यक्रमों से अवगत कराया तथा भारतीयों को एक बड़े आंदोलन के लिए प्रशिक्षित किया।

61. इटली के एकीकरण में मेजिनी का क्या योगदान था ?

उत्तर :-मेजिनी एक उदारवादी -राष्ट्रवादी क्रांतिकारी था। वह इटली को निरंकुश शासको से मुक्त कराना चाहता था और उसे एकीकृत गणतंत्र के रूप में देखना चाहता था। वह योग्य सेनापति के साथ-साथ गणतांत्रिक विचारों का समर्थक भी था। अपने उदेश्य की पूर्ति के लिए उसने 'यंग इटली' नामक संस्था की स्थापना की। उग्र राष्ट्रवादी विचारों के कारण मेजिनी को निर्वासित होकर इंग्लैंड जाना पड़ा और वही से अपने लेखों एवं रचनाओं के जरिए इटली के एकीकरण के आंदोलन को प्रेरित करता रहा। मेजिनी को इटली के एकीकरण का पैगम्बर कहा जाता है।

62. दांडी यात्रा का उद्देश्य क्या था ?

उत्तर :- गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी यात्रा से की। दांडी यात्र का उद्देश्य समुद्र के पानी से नमक बनाकर कानून का उलंघन करना था । पुरे देश में नमक कानून का उलंघन किया गया।

63. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ ?

उत्तर :-प्रथम विश्वयुद्ध में ब्रिटेन के खिलाफ तुर्की की पराजय के फलस्वरूप ऑटोमन साम्राज्य को विघटित कर दिया गया। तुर्की के सुल्तान को अपने शेष प्रदेशों में भी अपनी सत्ता के प्रयोग से वंचित कर दिया गया। ऑटोमन सम्राज्य का शासक तुर्की के सुल्तान इस्लामिक संसार का खलीफा हुआ करता था। अतः भारत के मुसलमानों ने तुर्की के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार के कारण खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई।

64. खोड़ विद्रोह क्या था ?

उत्तर :-उड़ीसा के सामंतवादी रियासत के दासपल्ला में 1914 में खोड़ विद्रोह हुआ। यह विद्रोह उत्तराधिक विवाद से आरंभ हुआ परंतु शीघ्र ही इसने अलग रूप अखितयार कर लिया। इस विद्रोह का विस्तार पूर्वी घाट समूह की दुर्गम पर्वत शृंखलाओं काला हांडी और बस्तर तक फ़ैल गया।

65. अखिल भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस की स्थापना कैसे हुई ? इसके प्रारंभिक उद्देश्य क्या थे ?

उत्तर :-भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंतिम चरण में भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस की स्थापना से माना जाता है। इस संगठन के गठन के पूर्व आंदोलन शिक्षित मध्यमवर्ग में निहित था। परन्तु आगे चलकर अनेक भारतीय वर्गों की साहनभूति इसे प्राप्त होने लगी। इस समय लॉर्ड लिटन द्वारा बनाया गया प्रेस अधिनियम और शस्त्र अधिनियम का तथा इंडियन एसोसिएसन द्वारा रेंट बिल का विरोध किया जा रहा था। सरकार को मजबूर होकर प्रेस अधिनियम वापस लेना पड़ा । एक अखिल भारतीय राजनितिक संगठन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ए ओ हूयम ने 28 दिसम्बर 1885 को भारतीय राष्ट्रीय कॉग्रेस की स्थापना की ।

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