Bihar Board Inter Accountancy Exam 2025 : कक्षा 12 लेखां शास्त्र VVI महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ

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Bihar Board Inter Accountancy Viral Question 2025: बिहार बोर्ड 12वीं लेखां शास्त्र परीक्षा 2025 (BSEB Inter Viral Question 2025) के लिए सबसे महत्वपूर्ण और वायरल प्रश्न यहां दिए गए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सभी प्रमुख ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न प्रदान कर रहे हैं, जो आगामी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
इन प्रश्नों को अच्छे से तैयार करके आप अपनी परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं। सभी छात्रों से अनुरोध है कि इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगामी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को और बेहतर बनाएं।
Bihar Board Class 12th Accountancy Most Important Question 2025
आप नीचे दिए गए लेखां शास्त्र के Most VVI Question (BSEB Inter Important Question 2025) के महत्वपूर्ण प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है, जिससे लेखां शास्त्र के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।
Bihar Board Class 12th Accountancy Most Important Objective Question 2025
1. बकाया चन्दा है ?
(a) आय
(b) सम्पत्ति
(c) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (b) सम्पत्ति
2. पुरस्कार कोष से सम्बन्धित आय एवं व्यय को दिखाया जाता है ?
(a) आय एवं व्यय खाते में
(b) आर्थिक चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में
(c) चिट्ठे के दायित्व पक्ष में
(d) रोकड़ खाता में
Answer ⇒ (a) आय एवं व्यय खाते में
3. लाभ न कमाने वाली संस्था का मुख्य उद्देश्य होता है ?
(a) लाभ कमाना
(b) समाज की सेवा करना
(c) लाभ कमाना एवं समाज की सेवा करना
(d) उपरोक्त सभी
Answer ⇒ (b) समाज की सेवा करना
4. कौन-सा क्रम सही एवं उचित है ?
(a) रोकड़ बही, प्राप्ति एवं भुगतान खाता, आय-व्यय खाता तथा चिट्ठा
(b) प्राप्ति एवं भुगतान खाता, रोकड़ बही, आय-व्यय खाता एवं चिट्ठा
(c) आय-व्यय खाता, प्राप्ति एवं भुगतान खाता, रोकड़ बही तथा चिट्ठा
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) रोकड़ बही, प्राप्ति एवं भुगतान खाता, आय-व्यय खाता तथा चिट्ठा
5. निम्नांकित कथनों में कौन सही है ?
(a) रोकड़ बही तथा प्राप्ति एवम् भुगतान खाता में कोई अन्तर नहीं है
(b) प्राप्ति एवम् भुगतान खाता रोकड़ बही के बाद तैयार किया जाता है
(c) प्राप्ति एवम् भुगतान खाता गैर व्यापारिक संस्था तैयार करती है। जबकि रोकड़ बही व्यापारिक संस्थान द्वारा रखी जाती है।
(d) प्राप्ति एवं भुगतान खाता रोकड़ बही से पहले तैयार किया जाता है
Answer ⇒ (c) प्राप्ति एवम् भुगतान खाता गैर व्यापारिक संस्था तैयार करती है। जबकि रोकड़ बही व्यापारिक संस्थान द्वारा रखी जाती है।
6. जब आहरण का समय न दिया हो तो आहरण.पर ब्याज लगाया जाता है ?
(a) 6% महीने के लिये
(b) 6 महीने के लिये
(c) 5% महीने के लिये
(d) 12 महीने के लिये
Answer ⇒ (d) 12 महीने के लिये
7. निम्न में से कौन लाभ न कमाने वाली संस्था नहीं है ?
(a) महाविद्यालय
(b) खेलकूद क्लब
(c) मारुति उद्योग
(d) हॉस्पीटल
Answer ⇒ (c) मारुति उद्योग
8. प्राप्ति एवं भुगतान खाता सामान्यतया दर्शाता है ?
(a) आधिक्य
(b) पूँजीकोष
(c) डेबिट शेष
(d) क्रेडिट शेष
Answer ⇒ (c) डेबिट शेष
9. लाभ न कमाने वाली संस्थाओं में व्यय की आय पर अधिकता को कहा जाता है ?
(a) हानि
(b) लाभ
(c) कमी/घाटा
(d) अधिशेष
Answer ⇒ (c) कमी/घाटा
10. साझेदारों के चालू खाते तब खोले जाते हैं, जबकि उनके पूँजी खाते होते हैं ?
(a) स्थिर
(b) परिवर्तनशील
(c) दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) स्थिर
11. वसूली खाता है ?
(a) व्यक्तिगत खाता
(b) नाममात्र खाता
(c) वास्तविक खाता
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (b) नाममात्र खाता
12. वसूली खाता के लाभ/हानि का बँटवारा साझेदारों के मध्य होता है ?
(a) लाभ विभाजन अनुपात में
(b) पूँजी अनुपात में
(c) वसूली खातों में
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) लाभ विभाजन अनुपात में
13. फर्म के समापन पर होने वाले व्यय को कहते हैं ?
(a) वसूली व्यय
(b) कानूनी व्यय
(c) हानिगत व्यय
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) वसूली व्यय
14. साझेदारों द्वारा फर्म का ऐच्छिक समापन किया जा सकता है ?
(a) बहुमत के आधार पर
(b) 3/4 सदस्यों के निर्णय पर
(c) 1/3 सदस्यों के निर्णय पर
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) बहुमत के आधार पर
15. साझेदारों के आहरणों पर ब्याज कम किया जाता है ?
(a) साझेदारों के पूँजी खाता में
(b) लाभ-हानि खाता में
(c) आहरण खाता में
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) साझेदारों के पूँजी खाता में
16. फर्म के विघटन पर साझेदार के ऋण खाते को हस्तांतरित करेंगे
(a) वसूली खातों में
(b) साझेदार के ऋण खाते में
(c) साझेदार के चालू खाते में
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (d) कोई नहीं
17. साझेदारों के आहरणों पर ब्याज व्यय किया जाता है ?
(a) साझेदारों के पूँजी खाता
(b) लाभ-हानि खाता
(c) आहरण खाता
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) साझेदारों के पूँजी खाता
18. आर्थिक चिट्ठे में दिखाए गए रोकड़ शेष को समापन के समय दिखाते
(a) वसूली खाता में
(b) रोकड़ खाता में
(c) पूँजी खाता में
(d) लाभ-हानि खाता में
Answer ⇒ (b) रोकड़ खाता में
19. संयुक्त पूँजी कंपनी है ?
(a) वैधानिक कृत्रिम व्यक्ति
(b) प्राकृतिक व्यक्ति
(c) सामान्य व्यक्ति
(d) गैर निवासी भारतीय
Answer ⇒ (a) वैधानिक कृत्रिम व्यक्ति
20. अंश आबंटन खाता है ?
(a) व्यक्तिगत खाता
(b) वास्तविक खाता
(c) नाममात्र खाता
(d) लाभ-हानि खाता
Answer ⇒ (a) व्यक्तिगत खाता
21. नए साझेदार के द्वारा ख्याति की राशि नकद लाने को कहते हैं ?
(a) सम्पत्ति
(b) लाभ
(c) अधिमूल्य
(d) हानि
Answer ⇒ (c) अधिमूल्य
22. नए साझेदार के प्रवेश पर पुराने तुलन-पत्र में दर्शाए गए संचय हस्तांतरित करेंगे
(a) सभी साझेदारों के पूँजी खाते में
(b) नए साझेदारों के पूँजी खाते में
(c) पुराने साझेदारों के पूँजी खाते में
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) पुराने साझेदारों के पूँजी खाते में
23. किसी साझेदार की सेवानिवृत्ति पर सेवानिवृत्त साझेदार के पूँजी खाते को जमा किया जाएगा
(a) उसके भाग की ख्याति के साथ
(b) फर्म की ख्याति के साथ
(c) शेष साझेदारों के भाग की ख्याति के साथ
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) उसके भाग की ख्याति के साथ
24. राजेंद्र, सतीश तथा तेजपाल का पुराना लाभ-विभाजन 2 : 2 : 1 है। सतीश को सेवानिवृत्ति के बाद उनका लाभ-विभाजन अनुपात 3 : 2 है। अधिलाभ अनुपात है ?
(a) 3 : 2
(b) 2 : 1
(c) 1 : 1
(d) 2 : 3
Answer ⇒ (c) 1 : 1
25. एक साझेदार की मृत्यु की दशा में संचित लाभ व हानियाँ साझेदारों द्वारा बाँटी जाती है, उनके
(a) पुराने लाभ-विभाजन के अनुपात में
(b) नए लाभ-विभाजन अनुपात में
(c) पूँजी अनुपात में
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) पुराने लाभ-विभाजन के अनुपात में
26. एक साझेदार की मृत्यु होने पर संयुक्त बीमा पॉलिसी को निम्न के पूँजी खाते में जमा किया जाता है ?
(a) सिर्फ मृत साझेदार
(b) मृत साझेदार साहित सभी साझेदारों
(c) शेष बचे साझेदारों उनके पुराने लाभ-विभाजन अनुपात में
(d) शेष बचे साझेदारों उनके पुराने लाभ-विभाजन अनुपात में
Answer ⇒ (b) मृत साझेदार साहित सभी साझेदारों
27. संचालन से रोकड़ प्रवाह की गणना करते समय ……………. को शुद्ध लाभ में जोड़ेंगे।
(a) रहतिया में वृद्धि
(b) रहतिया में कमी
(c) लेनदार में वृद्धि
(d) लेनदार में कमी
Answer ⇒ (b) रहतिया में कमी
28. ……………. वित्तीय विश्लेषण के उपकरण हैं।
(a) तुलनात्मक विवरण
(b) प्रवृत्ति विवरण
(c) आनुपातिक विवरण
(d) उपरोक्त सभी
Answer ⇒ (d) उपरोक्त सभी
29. वित्तीय विश्लेषण ……………. के लिए उपयोगी हैं।
(a) विनियोगकर्ताओं
(b) अंशधारियों
(c) ऋण पत्रधारियों
(d) उपरोक्त सभी
Answer ⇒ (d) उपरोक्त सभी
30. ……………. के समय त्याग अनुपात निकालना पड़ता है।
(a) एक साझेदार के प्रवेश
(b) एक साझेदार के अवकाश ग्रहण
(c) एक साझेदार के मृत्यु
(d) साझेदारी के विघटन पर
Answer ⇒ (a) एक साझेदार के प्रवेश
31. ऋण-पत्रों के निर्गमन पर कटौती है
(a) स्थायी सम्पत्ति
(b) चालू संपत्ति
(c) वास्तविक सम्पत्ति
(d) अवास्तविक संपत्ति
Answer ⇒ (d) अवास्तविक संपत्ति
32. ऋणपत्रों के निर्गमन पर हानि को दिखाया जाता है ?
(a) चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में
(b) चिट्ठे के दायित्व पक्ष में
(c) लाभ अथवा हानि खाते के क्रेडिट पक्ष में
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में
33. कौन-सी क्रिया “संचालन क्रिया’ के अन्तर्गत आती है ?
(a) भूमि का क्रय
(b) मजदूरी एवं वेतन
(c) समता अंशों के निर्गमन से प्राप्तियाँ
(d) नकद बिक्री
Answer ⇒ (b) मजदूरी एवं वेतन
34. कौन-सी क्रिया ‘वित्तीय क्रिया’ के अन्तर्गत आती है ?
(a) समता अंशों के निर्गमन से प्राप्तियाँ
(b) नकद बिक्री
(c) बैंक अधिविकर्ष
(d) ऋण-पत्रों का क्रय
Answer ⇒ (a) समता अंशों के निर्गमन से प्राप्तियाँ
35. साझेदारों के पूँजी खाते पर ब्याज क्रेडिट किया जाता है
(a) लाभ-हानि खाता में
(b) ब्याज खाता में
(c) साझेदारों के पूँजी खातों में
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) साझेदारों के पूँजी खातों में
36. संचालन क्रियाओं से रोकड़ प्रवाह में कमी आयेगी
(a) चालू सम्पत्तियों में वृद्धि
(b) चालू दायित्वों में कमी
(c) दोनों में कोई नहीं
(d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों
Answer ⇒ (d) ‘a’ तथा ‘b’ दोनों
37. तरल सम्पत्ति में शामिल नहीं है ?
(a) स्कन्ध
(b) देनदार
(c) प्राप्य बिल
(d) नकद एवं बैंक शेष
Answer ⇒ (a) स्कन्ध
38. लाभांश सामान्यतया दिया जाता है ?
(a) अधिकृत पूँजी
(b) निर्गमित पूँजी
(c) माँगी गई पूँजी पर
(d) प्रदत्त पूँजी
Answer ⇒ (a) अधिकृत पूँजी
39. नाममात्र की पूँजी जानी जाती है ?
(a) अधिकृत पूँजी
(b) रजिस्टर्ड पूँजी
(c) a तथा b दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) a तथा b दोनों
40. जब कोई साझेदार किसी बाह्य दायित्व के भुगतान का दायित्व ले लेता है, तो खाता क्रेडिट किया जायेगा।
(a) वसूली खाता
(b) रोकड़ खाता
(c) साझेदार का पूँजी खाता
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) वसूली खाता
41. पुनर्मूल्यांकन पर लाभ या हानि को वहन करते हैं ?
(a) पुराने साझेदार
(b) नये साझेदार
(c) सभी साझेदार
(d) केवल दो साझेदार
Answer ⇒ (a) पुराने साझेदार
42. नये साझेदार द्वारा ख्याति की राशि नगद लाने पर पुराने साझेदारों द्वारा बाँटी जाती है ?
(a) त्याग अनुपात में
(b) पुराने अनुपात में
(c) नये अनुपात में
(d) बराबर अनुपात में
Answer ⇒ (a) त्याग अनुपात में
43. अंशों के छूट पर निर्गमन हैं ?
(a) पूँजीगत लाभ
(b) पूँजीगत हानि
(c) आयगत लाभ
(d) आयगत हानि
Answer ⇒ (b) पूँजीगत हानि
44. आर्थिक चिट्ठे के ऋण-पत्र पर कटौती को दिखाया जाता है ?
(a) दायित्व पक्ष
(b) सम्पत्ति पक्ष
(c) चिट्ठे के बाहर
(d) दोनों पक्ष में
Answer ⇒ (b) सम्पत्ति पक्ष
45. समता अंशधारी होते हैं ?
(a) कम्पनी का ग्राहक
(b) कम्पनी का मालिक
(c) कम्पनी का लेनदार
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (b) कम्पनी का मालिक
46. अंशों का अधिमूल्य पर निर्गमन है ?
(a) पूँजीगत लाभ
(b) पूँजीगत हानि
(c) सामान्य लाभ
(d) सामान्य हानि
Answer ⇒ (a) पूँजीगत लाभ
47. स्टॉक आवर्त अनुपात के अन्तर्गत आता है ?
(a) तरलता अनुपात
(b) लाभप्रदता अनुपात
(c) निष्पादन अनुपात
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) निष्पादन अनुपात
48. निम्नलिखित में कौन-सा संचालन व्यय नहीं है ?
(a) विज्ञान
(b) वेतन
(c) मोटरकार के बिक्री पर हानि
(d) किराया
Answer ⇒ (c) मोटरकार के बिक्री पर हानि
49. निम्नलिखित में से किसे चालू अनुपात की गणना करते समय ध्यान नहीं रखा जाता ?
(a) लेनदार
(b) देनदार
(c) फर्नीचर
(d) अधिविकर्ष
Answer ⇒ (c) फर्नीचर
50. आन्तरिक और बाह्य स्वामित्व के मध्य एक संतोषजनक अनुपात ……………. हैं।
(a) 1 : 1
(b) 2 : 1
(c) 3 : 1
(d) 4 : 1
Answer ⇒ (a) 1 : 1
लघु उत्तरीय प्रश्न :-
1. आय एवं व्यय खाता क्या है ?
Answer ⇒ गैर-व्यापरिक संस्थाएँ एवं व्यावसायिक व्यक्ति अपनी आय-व्यय की स्थिति ज्ञात करने के उद्देश्य से आय-व्यय तैयार करते हैं। चूँकि इन संस्थाओं का उद्देश्य लाभार्जन नहीं होता अतः ये लाभ-हानि खाता तैयार नहीं करते। गैर-व्यापारिक संस्थाएँ एवं व्यावसायिक व्यक्ति तथा सामान्य व्यक्ति वर्ष के अंत में यह ज्ञात करने के लिए कि संबंधित अवधि में उसके आय एवं व्यय में से किसका और कितना आधिक्य रहा, आय-व्यय खाता तैयार करते हैं। वित्तीय वर्ष के अंत में जब व्यय अधिक और आय कम होती है, तो अंतर की राशि को ‘व्यय का आय पर आधिक्य’ (Excess of expenditure over income) कहा जाता है, और यदि आय अधिक व व्यय कम होते हैं, तो इसे ‘आय का व्यय पर आधिक्य’ (Excess of surplus of income over expenditure) कहा जाता है।
2. साझेदारी फर्म के पुनर्गठन से आप क्या समझते हैं ?
Answer ⇒ साझेदारी एक समझौता का परिणाम है जो व्यक्तियों में किसी व्यवसाय के लाभों को बाँटने के लिए किया जाता है। ऐसे साझेदारी समझौता या ठहराव (Agreement) में किसी भी परिवर्तन से वर्तमान ठहराव तो समाप्त हो जाता है और एक नया ठहराव शुरू हो जाता है। ठहराव में परिवर्तन से साझेदारों के आपसी सम्बन्धों में भी परिवर्तन हो जाता है। ऐसी दशा में, यद्यपि साझेदारी फर्म चालू तो रही है परन्तु इससे साझेदारी फर्म का पुनर्गठन (Reconstitution) हो जाता है। दूसरे शब्दों में साझेदारी समझौता समाप्त होने के बावजूद साझेदार फर्म चलता रहता है और साझेदारी समझौता में परिवर्तन करके फिर से पुनर्गठन किया जाता है, उसे साझेदारी फर्म का पुनर्गठन कहा जाता है।
3. वसूली खाता (Relisation account) किसे कहते हैं ? फर्म के समापन पर वसूली खाता क्यों बनाया जाता है ?
Answer ⇒ फर्म के विघटन पर सबसे पहला काम फर्म की सम्पत्तियों का विक्रय तथा वसूली व दायित्वों का भुगतान करना होता है। इस कार्य के लिये फर्म की पुस्तकों में एक वसूली खाता (Realisation account) खोला जाता है। इस खाते के माध्यम से सम्पत्तियों के विक्रय का व वसूली और दायित्वों के निपटारे तथा इन सबसे होने वाले लाभ या हानि का लेखा पुस्तकों में किया जाता है।
4. अनुपात विश्लेषण क्या है ?
Answer ⇒ अनुपात एक ऐसा संख्यात्मक सम्बन्ध प्रदर्शित करता है, जो वित्तीय विवरणों के दो या दो से अधिक मदों के बीच मापा जाता है। हंट, विलियम तथा डोनाल्डसन के अनुसार, “अनुपात वित्तीय विवरणों या लेखांकन से प्राप्त संख्याओं के सम्बन्ध अंकगणितीय रूप में प्रदर्शित करने का साधन मात्र है।”
5. वित्तीय विश्लेषण क्या है ?
Answer ⇒ वित्तीय विवरण किसी संस्था की वित्तीय स्थिति संबंधी सूचना प्रदान करने वाले साधन हैं। वित्तीय विवरण के विश्लेषण का अर्थ किसी संस्था की आर्थिक और लाभ कमाने की स्थिति का पता लगाने के लिए विवरणों के तथ्यों को इस प्रकार वर्गीकृत करना है जिसमें इनका एक-दूसरे से संबंध स्थापित किया जा सके।
6. स्थायी प्रभार तथा चल प्रभार से आप क्या समझते हैं ?
Answer ⇒ स्थायी प्रभार :- जब प्रभार को कंपनी को निश्चित संपत्तियों के विरुद्ध सृजित किया जाता है, तो इसे स्थिर प्रभार कहते हैं।
चल प्रभार :- जब प्रभार को कम्पनी की सभी संपत्तियों (उन संपत्तियों को छोड़कर जोकि सुरक्षित लेनदारों को दी गयी है) के विरुद्ध सृजित किया जाता है, तो इसे चल प्रभार कहते हैं।
7. रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है ?
Answer ⇒ रोकड़ प्रवाह विवरण एक ऐसा विवरण है जो रोकड तथा रोकड तुल्य में हए परिर्वतन को दर्शाता है। यह विवरण निर्धारित अवधि में निम्नलिखित को दर्शाता है-
- परिचालन क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह
- निनियोग क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह
- वित्त-पूर्ति क्रियाओं से शुद्ध रोकड़ प्रवाह
- रोकड़ प्रवाह एवं रोकड़ में शुद्ध परिवर्तन।
8. ऋण-पत्र क्या है ?
Answer ⇒ ऋणपत्र कम्पनी का सार्वमुद्रा (Common seal) में स्वीकृत तथा निर्गमित ऋण-प्राप्ति का प्रमाणपत्र है, जिसपर ऋण संबंधी शर्ते जैसे, ब्याज की दर, अवधि, शोधन की विधि आदि उल्लेखित रहती है। वस्तुतः यह कम्पनी की ऋणदाता प्रतिभूति है।
9. साझेदारी के किन्हीं तीन विशेषताओं को लिखें।
Answer ⇒ साझेदारी की विशेषताएँ :-
- साझेदारी दो या दो से अधिक व्यक्तियों का समूह है।
- इसमें सभी सम्बद्ध व्यक्तियों द्वारा समझौता होता है।
- लाभ (हानियों) के विभाजन हेतु समझौता होता है।
10. लेखांकन अनुपात से आप क्या समझते हैं ? इसके क्या उद्देश्य हैं ?
Answer ⇒ आर० एन० एन्थोनी के अनुसार, “लेखांकन अनुपात साधारणतया एक संख्या को दूसरी संख्या के संदर्भ में प्रकट करता है। यह एक संख्या को दूसरी संख्या से भाग देने पर जो अनुपात निकलता है उस अनुपात को लेखांकन. अनुपात कहा जाता है। लेखांकन अनपात के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- संस्था की लाभदायकता की माप करना।
- व्यवसाय की परिचालन कुशलता निर्धारित करना।
- व्यवसाय की शोधन क्षमता का मूल्यांकन करना।
- पूर्वानुमान एवं बजटन में सहायता प्रदान करना।
- लेखांकन सूचनाओं को सरल बनाना एवं सारांशित करना।
- तुलनात्मक विश्लेषण में सहायता प्रदान करना।
- निर्णय लेने में प्रबंध को मदद करना।
- वित्तीय नियोजन में सहायता प्रदान करना।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
1. किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख करें जिनके लिए प्रतिभूमि प्रीमियम का प्रयोग किया जा सकता है।
Answer ⇒ भारतीय कम्पनी अधिनियम की धारा 78 के अनुसार प्रतिभूति प्रीमियम का प्रयोग निम्न का योग हो सकता है :
- सदस्यों को बोनस देने के लिए
- कम्पनी के प्रारंभिक कार्यों को अपलिखित करने के लिए
- अंशों या ऋणपत्रों के निर्गमन पर दी गई कटौती को अपलिखित करने के लिए।
2. साझेदारी के समापन और फर्म के समापन में अंतर बताइए।
Answer ⇒ फर्म के समापन और साझेदारी के समापन में प्रमुख अन्तर निम्नलिखित हैं-
- अर्थ (Meaning)- साझेदारी के समापन से आशय साझेदारों के मध्य वर्तमान ठहराव में परिवर्तन से है। जबकि फर्म के समापन से आशय फर्म के सभी साझेदारों के मध्य साझेदारी के समापन से है।
- व्यवसाय का चाल रहना (Continuation of the Business)- साझेदारी के समापन की दशा में फर्म का व्यवसाय चालू रहता है जबकि फर्म के समापन की दशा में फर्म का व्यवसायबंद हो जाता है।
- लेखा पस्तकें (Books of Account)- साझेदारी के समापन की दशा में लेखा पुस्तकें बंद करना आवश्यक नहीं है जबकि फर्म के समापन की दशा में लेखा पुस्तकें बंद करनी पड़ती हैं।
- प्रभाव (Effects)- साझेदारी फर्म के समापन पर यह अनिवार्य नहीं कि फर्म का भी समापन हो जाए जबकि फर्म के समापन पर साझेदारी का समापन भी अनिवार्य है।
3. रोकड़ प्रवाह विवरण क्या है ? इसके किसी चार उद्देश्यों को स्पष्ट करें।
Answer ⇒ रोकड प्रवाह विवरण का अर्थ - सेकड़ प्रवाह विवरण एक विशेष अवधि के दौरान रोकड़ के स्रोतों एवं रोकड़ के प्रयोगों का सारांश है। यह दो तिथियों के मध्य व्यवसाय के रोकड़ शेष में हुए परिवर्तनों के कारणों की व्याख्या करता है। अत: रोकड़ प्रवाह विवरण एक विशेष अवधि के दौरान रोकड़ की प्रतियों तथा भुगतानों का विवरण है। रोकड़ प्रवाह विवरण में केवल उन्हीं मदों को शामिल किया जाता है जो रोकड़ को प्रभावित करती है, अतः इसे वित्तीय स्थिति . में हुए परिवर्तनों का विवरण रोकड़ आधार भी कहा जाता है।
रोकड़ प्रवाह विवरण के उद्देश्य-
- कोष प्रवाह विवरण बनाने का मूल उद्देश्य रोकड़ के स्रोतों तथा प्रयोगों की जानकारी प्राप्त करना।
- दो चिट्ठों की तिथियों के बीच रोकड़ एवं रोकड़ समतुल्यों में हुए परिवर्तन को ज्ञात करना।
- विभिन्न निवेश सम्बन्धी पस्यिोजनाओं में सेकड़ की आवश्यकताओं का निर्धारण करना।
- कम्पनी की वित्तीय स्थिति के कुशल प्रबन्धन में सहायता प्रदान करना।
4. साझेदारी फर्म का विघटन किन परिस्थितियों में हो सकता है ?
Answer ⇒ साझेदारी फर्म का विघटन न्यायालय के आदेश से या न्यायालय के हस्तक्षेप के बिना भी हो सकता है। भारतीय साझेदारी अधिनियम, 1932 की धारा 40 से 44 तक में साझेदारी फर्म के विघटन के विभिन्न ढंग/तरीकों का वर्णन किया गया है।
1. ‘समझौते द्वारा विघटन (धारा 40)-फर्म का विघटन निम्न परिस्थितियों में हो सकता है :-
(अ) सभी साझेदारों की सहमति द्वारा या
(ब) साझेदारों के मध्य अनुबंध के अनुसार।
2. अनिवार्य विघटन (धारा 41)- फर्म का अनिवार्य विघटन निम्न परिस्थितियों में होता है :-
(अ) जब कोई एक साझेदार या सभी साझेदार दिवालिया हो जाएं, या किसी अनुबंध को करने में अक्षम हो जाए;
(ब) जब फर्म का व्यवसाय गैर-कानूनी हो जाए अथवा
(स) जब कोई ऐसी स्थिति पैदा हो जाए कि साझेदारी फर्म का व्यवसाय गैर-कानूनी हो जाए, उदाहरणार्थ जब एक साझेदार ऐसे देश का नागरिक हो जिसका भारत के साथ युद्ध घोषित हो जाए।
3. किसी घटना के घटने की स्थिति में (धारा 42)-साझेदारों के बीच अनुबंध की स्थिति में फर्म का विघटन :-
(अ) यदि एक निर्धारित अवधि के लिए गठित है तो उस अवधि के समापन पर,
(ब) यदि एक या अधिक उपक्रम के लिए गठित है तो उसके पूरा होने पर।
(स) साझेदारी की मृत्यु पर।
(द) साझेदार के दिवालिया घोषित होने पर होता है।
5. वित्तीय विवरण की सीमाएँ बताएँ।
Answer ⇒ यद्यपि वित्तीय विवरण विभिन्न व्यक्तियों के लिए महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदान करते हैं, परन्तु इन्हीं सूचनाओं के आधार पर निकाले गए निष्कर्ष अंतिम एवं शुद्ध नहीं माने जा सकते हैं। साथ ही इन खातों की कुछ निजी सीमाएँ एवं मर्यादाएँ होती हैं और यह नितांत आवश्यक होता है कि इस विवरणों द्वारा प्रदत्त सूचनाओं का प्रयोग करते समय इन मान्यताओं एवं सीमाओं को ध्यान में रखा जाए। वित्तीय विवरण केवल सूचना प्रदान करते हैं और वह भी अंकों के रूप में। ये आवश्यक सूचनाएँ व्यवसाय के लिए गुणों या दोषों पर प्रकाश डालती हैं, इसकी खोज करना विश्लेषक या प्रयोगकर्ता का कार्य है।
सामान्यतया वित्तीय विवरणों का प्रयोग (निर्वाचन के उद्देश्य से) करते समय निम्नांकित बातों को ध्यान में रखना चाहिए :-
(i) वित्तीय विवरणों द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ सुतथ्य (Precise) नहीं होती हैं। चूँकि वित्तीय विवरणों की रचना लेखा विधि पेशा के कई वर्षों के आधार पर प्रतिपादित एवं प्रयोगमुक्त व्यावहारिक विधियों एवं नियमों के आधार पर की जाती है, अतः इनसे प्राप्त सूचनाओं को सुतथ्यतापूर्वक मापा नहीं जा सकता है।
(ii) वित्तीय विवरण व्यापारिक संस्था की सही वित्तीय स्थिति को नहीं दर्शाते हैं। एक संस्था की वित्तीय स्थिति अनेक कारणों आर्थिक, सामाजिक एवं वित्तीय से प्रभावित होती है; परन्तु वित्तीय स्थिति में केवल वित्तीय कारणों का ही लेखा हो पाता है, आर्थिक व सामाजिक कारणों का उनमें समावेश नहीं हो पाता है। अतः वित्तीय विवरणों द्वारा प्रदर्शित वित्तीय स्थिति सही एवं शुद्ध न होकर वास्तविकता से परे होती है। जब तक आर्थिक एवं सामाजिक घटनाओं के संदर्भ में वित्तीय स्थिति का अध्ययन न किया जाय, उसके संबंध में वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं हो पाता है।
(iii) आर्थिक चिट्ठा एक स्थिर प्रलेख माना जाता है और वह कम्पनी की स्थिति को केवल एक निश्चित क्षण पर दर्शाता है, अर्थात् इससे यह पता चलता है कि कम्पनी ने एक निश्चित क्षण’ पर साधनों का किस प्रकार प्रयोग किया है, और इस दृष्टिकोण से आर्थिक चिट्ठे को एक तात्कालिक चित्र (Instantaneous photograph) कह सकते हैं। कम्पनी की वास्तविक स्थिति दिन-प्रतिदिन परिवर्तित हो सकती है। इस सीमा के कारण आर्थिक चिट्ठे में दिखावटीपन (Window-dressing) की प्रवृत्ति पायी जाती है।
(iv) आर्थिक चिट्ठा कोई मूल्यांकन विवरण नहीं है, अर्थात् इसमें प्रदर्शित मूल्य सम्पत्तियों का उचित मूल्य नहीं होता है। लेखा-विधि के सिद्धांतों के अनुसार आर्थिक चिट्ठे में स्थायी सम्पत्तियों को कालिक लागत (Historical cost) पर दिखाया जाता है, अर्थात् सम्पत्तियों की मूल लागत में से ह्रास की रकम घटाकर दिखाया जाता है। ह्रास की रकम चाहे कितने ही वैज्ञानिक ढंग से क्यों न आकलित की गयी हो, एक अनुमान मात्र होती है। इस प्रकार आर्थिक चिट्ठे में प्रदर्शित सम्पत्तियों का मूल्य वह मूल्य नहीं होता है जिस पर सम्पत्तियों को बेचा जा सकता हो। स्पष्ट है कि इस दशा में व्यवसाय की वास्तविक स्थिति का ज्ञान नहीं हो पाता है।
(v) लाभ-हानि खाते द्वारा प्रदर्शित लाभ वास्तविक लाभ नहीं होता है। किसी वर्ष के लिए लाभ-हानि खाते द्वारा दिखाया गया। लाभ कभी भी गणितीय ढंग या आर्थिक दृष्टिकोण से शुद्ध नहीं होता है, क्योंकि लाभ-हानि खाते में प्रदर्शित बहुत-सी मदें अनुमान के आधार पर निकाली गयी होती हैं।
(vi) वित्तीय विवरणों द्वारा प्रदत्त-सूचनाएँ मूक होती हैं। यह भी ध्यान देने योग्य हैं कि वित्तीय विवरणों के निर्वचन में मानव निर्णय (Human Judgement) निहित होता है और सूचनाएँ अपने आप कुछ नहीं कहती हैं। प्रयोग करने वाला जुबान देता है। प्रायः ऐसा शायद ही संभव हो कि वित्तीय विवरणों के प्रयोग करने वाले विभिन्न व्यक्ति लेखा संबंधी किसी आँकड़े पर एक ही राय रखते हों। प्रत्येक प्रयोगकर्ता अपनी कुशलता एवं अनुभव के आधार पर एक ही सूचना का भिन्न-भिन्न अर्थ लगा सकता है।
(vii) वित्तीय विवरणों की निर्माण तिथि में अंतर होने के कारण उनके द्वारा प्रदत्त सूचनाएँ तुलना योग्य नहीं हो सकती हैं। साथ ही लेखा-विधि एवं व्यवसाय की प्रकृति में अंतर होने के कारण भी दो संस्थाओं के वित्तीय विवरणों का तुलनात्मक अध्ययन संभव नहीं होता है। दो संस्थाएँ लेखे की अलग-अलग विधि अपना सकती हैं या दोनों के यहाँ अंतिम खाते बनाने की तिथि अलग हो सकती है या दोनों के व्यवसायों में भिन्नता हो सकती है। इन दशाओं में दोनों संस्थाओं की उनके विवरण के आधार परं तुलनात्मक जाँच नहीं की जा सकती है।
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