Bihar Board Inter Business Studies Exam 2025 : कक्षा 12 व्यवसाय अध्ययन VVI महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ

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Bihar Board Inter Business Studies Viral Question 2025: बिहार बोर्ड 12वीं व्यवसाय अध्ययन परीक्षा 2025 (BSEB Inter Viral Question 2025) के लिए सबसे महत्वपूर्ण और वायरल प्रश्न यहां दिए गए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सभी प्रमुख ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न प्रदान कर रहे हैं, जो आगामी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
इन प्रश्नों को अच्छे से तैयार करके आप अपनी परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं। सभी छात्रों से अनुरोध है कि इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगामी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को और बेहतर बनाएं।
Bihar Board Class 12th Business Studies Most Important Question 2025
आप नीचे दिए गए व्यवसाय अध्ययन का Most VVI Question (BSEB Inter Important Question 2025) के महत्वपूर्ण प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है, जिससे व्यवसाय अध्ययन के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।
Bihar Board Class 12th Business Studies Most Important Objective Question 2025
1. नियोजन सभी प्रबन्धकीय क्रियाओं का है
(a) प्रारम्भ
(b) अन्त
(c) प्रारम्भ तथा अन्त दोनों
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (a) प्रारम्भ
2. हेनरी फेयोल कौन थे?
(a) वैज्ञानिक
(b) खनन अभियन्ता
(c) लेखापाल
(d) उत्पादन अभियन्ता
Answer ⇒ (b) खनन अभियन्ता
3. नियुक्तिकरण है
(a) संगठन का भाग
(b) प्रबन्ध का कार्य
(c) कर्मचारी (कर्मिक) प्रबन्ध का भाग
(d) उपरोक्त सभी
Answer ⇒ (b) प्रबन्ध का कार्य
4. प्रबन्ध के सिद्धान्तों की रचना किस प्रकार से की जाती है ?
(a) प्रयोगशाला में
(b) प्रबन्धकों के अनुभव द्वारा
(c) ग्राहकों के अनुभव द्वारा
(d) सामजिक वैज्ञानिकों के प्रसारण द्वारा
Answer ⇒ (b) प्रबन्धकों के अनुभव द्वारा
5. निम्न में प्रबन्ध का उद्देश्य नहीं है
(a) लाभ अर्जन
(b) संगठन का विकास
(c) रोजगार प्रदान करना
(d) नीति निर्धारण
Answer ⇒ (c) रोजगार प्रदान करना
6. नियंत्रण प्रबन्ध का पहलू है
(a) सैद्धान्तिक
(b) व्यावहारिक
(c) मानसिक
(d) भौतिक
Answer ⇒ (c) मानसिक
7. वाणिज्यिक विपत्र लिखा जाता है
(a) क्रेता द्वारा
(b) विक्रेता द्वारा
(c) बैंक द्वारा
(d) सरकार द्वारा
Answer ⇒ (b) विक्रेता द्वारा
8. उद्यमिता की विशेषता नहीं है
(a) जोखिम लेना
(b) नवाचार
(c) सृजनात्मक क्रिया
(d) प्रबंधकीय प्रशिक्षण
Answer ⇒ (d) प्रबंधकीय प्रशिक्षण
9. अच्छे ब्राण्ड के लिए आवश्यक है
(a) छोटा नाम
(b) स्मरणीय
(c) आकर्षण आकृति
(d) उपर्युक्त सभी
Answer ⇒ (d) उपर्युक्त सभी
10. प्रभावी नियंत्रण है
(a) स्थिर
(b) निर्धारित
(c) गत्यात्मक
(d) उपर्युक्त सभी
Answer ⇒ (d) उपर्युक्त सभी
11. प्रभावी संदेशवाहन में भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए
(a) स्पष्ट
(b) प्रभावी
(c) अस्पष्ट
(d) शालीन
Answer ⇒ (d) शालीन
12. नियंत्रण प्रबंध का पहलू है
(a) सैद्धांतिक
(b) व्यावहारिक
(c) मानसिक
(d) भौतिक
Answer ⇒ (b) व्यावहारिक
13. नियंत्रण प्रबंध का कार्य है
(a) प्रथम
(b) अंतिम
(c) तृतीय
(d) द्वितीय
Answer ⇒ (b) अंतिम
(a) परिणाम
(b) कार्य
(c) प्रयास
(d) किसी से नहीं
Answer ⇒ (b) कार्य
15. वित्त का सबसे सस्ता स्रोत है
(a) ऋण-पत्र
(b) समता अंश पूँजी
(c) पूर्वाधिकार अंश
(d) प्रतिधारित आय
Answer ⇒ (a) ऋण-पत्र
16. बजट का अर्थ है
(a) निष्पादन का नियोजित लक्ष्य
(b) भविष्य के कार्यकलाप का प्रयोग
(c) संसाधनों का सही वितरण
(d) आशान्वित परिणाम का अंकों में वितरण
Answer ⇒ (a) निष्पादन का नियोजित लक्ष्य
17. प्रबन्ध विज्ञान के किस रूप में है ?
(a) पूर्ण विज्ञान
(b) सरल विज्ञान
(c) अर्द्ध विज्ञान
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (b) सरल विज्ञान
18. संगठन के जीवन में भर्ती होती है।
(a) एक बार
(b) दो बार
(c) कभी-कभी
(d) निरन्तर
Answer ⇒ (b) दो बार
19. व्यापारिक साख स्रोत है
(a) दीर्घकालीन वित्त का
(b) मध्यकालीन वित्त का
(c) अल्पकालीन वित्त का
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) अल्पकालीन वित्त का
20. निम्न में से कौन-सा उपभोक्ता उत्पाद नहीं है ?
(a) कच्चा माल
(b) रेफ्रीजरेटर
(c) पुरानी मूर्तियाँ
(d) जूते
Answer ⇒ (a) कच्चा माल
21. उपभोक्ता के लिए उत्तरदायी नहीं होता है
(a) मूल्य
(b) माल
(c) जोखिम
(d) भार
Answer ⇒ (c) जोखिम
22. जहाँ अप्रबन्धकीय सदस्य काम करते हैं उस क्षेत्र को क्या कहते हैं ?
(a) दुकान क्षेत्र
(b) शोरूम क्षेत्र
(c) प्लेटफार्म क्षेत्र
(d) उपरोक्त में से कोई नहीं
Answer ⇒ (d) उपरोक्त में से कोई नहीं
23. क्यों प्रबंध का गुण सफल संगठन को बढ़ावा देता है ?
(a) संसाधन का प्रभावपूर्ण उपभोग के कारण
(b) वरिष्ठ विशेषज्ञ की नियुक्ति के कारण
(c) क्योंकि कर्मचारी समूह उद्देश्य को अपना अधिकतम सहयोग देते हैं
(d) क्योंकि इसका उद्देश्य अधिकतम लाभदायकता है।
Answer ⇒ (c) क्योंकि कर्मचारी समूह उद्देश्य को अपना अधिकतम सहयोग देते हैं
24. प्रबन्ध एक शक्ति है
(a) दृश्य
(b) अदृश्य
(c) पृथक
(d) सामूहिक
Answer ⇒ (d) सामूहिक
25. S1, S2, S3, तीन अधीनस्थों को एक ही समय पर M1 से आदेश प्राप्त होते हैं। इस स्थिति में प्रबन्ध के किस सिद्धान्त का पालन हो रहा है?
(a) समता
(b) अनुशासन
(c) आदेश की एकता
(d) निर्देश की एकता।
Answer ⇒ (c) आदेश की एकता
26. ‘कर्मचारियों की माँग’ भर्ती प्रक्रिया का कौन-सा चरण है ?
(a) प्रथम
(b) द्वितीय
(c) तृतीय
(d) चतुर्थ
Answer ⇒ (a) प्रथम
27. प्रबन्ध के सिद्धान्त कहाँ लागू होता है ?
(a) व्यवसाय में
(b) गैर व्यवसाय में
(c) उपरोक्त दोनों में
(d) किसी में नहीं
Answer ⇒ (c) उपरोक्त दोनों में
28. नियुक्तिकरण की आवश्यकता किस प्रबन्धकीय स्तर पर होती है ?
(a) उच्च स्तर
(b) मध्य स्तर
(c) निम्न स्तर
(d) सभी स्तरों पर
Answer ⇒ (d) सभी स्तरों पर
29. बाजार की माँग मुख्यतः निर्भर करता है
(a) क्रय शक्ति पर
(b) इच्छा और आवश्यकता पर
(c) फैशन और तकनीक पर
(d) सभी
Answer ⇒ (d) सभी
30. एक अच्छे ट्रेडमार्क की आवश्यकता नहीं होती है
(a) अंग्रेजी में
(b) विशेष क्रम में
(c) याद रखने में
(d) उत्पाद की उपयुक्तता
Answer ⇒ (c) याद रखने में
31. स्टाफिंग प्रक्रिया में सम्मिलित है
(a) मानवीय आवश्यकताओं का अनुमान
(b) नियुक्ति
(c) चुनाव
(d) सभी
Answer ⇒ (d) सभी
32. एक फर्म की ख्याति सम्पत्ति है
(a) भौतिक
(b) अभौतिक
(c) गतिशील
(d) निश्चित
Answer ⇒ (b) अभौतिक
33. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उपभोक्ता के अधिकार हैं
(a) 6
(b) 7
(c) 8
(d) 9
Answer ⇒ (a) 6
34. पूँजी बाजार व्यापार करता है
(a) अल्पकालीन कोष
(b) मध्यकालीन कोष
(c) दीर्घकानीन कोष
(d) कोई नहीं
Answer ⇒ (a) अल्पकालीन कोष
35. मानव संसाधन प्रबंधन में शामिल है
(a) भर्ती
(b) चयन
(c) प्रशिक्षण
(d) सभी
Answer ⇒ (d) सभी
36. नवीन निर्गमित अंशों में व्यवहार करता है
(a) गौण बाजार
(b) प्राथमिक बाजार
(c) (a) एवं (b) दोनों बाजार
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (b) प्राथमिक बाजार
37. स्कन्ध विपणि हित की सुरक्षा करती है
(a) निवेशक
(b) कम्पनी
(c) सरकार
(d) इन सबों के
Answer ⇒ (a) निवेशक
38. व्यवसाय में संचार क्यों आवश्यक है ?
(a) मनुष्य की जानकारी के लिये
(b) वे काम के लिये जिसे करने के लिये कहा जाता
(c) अनुशासित कर्मचारी की तरह व्यवहार के लिये
(d) ईमानदार और न्याय के लिये
Answer ⇒ (a) मनुष्य की जानकारी के लिये
39. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत विवाद आते हैं
(a) कम्पनी के अंश सम्बन्धी विवाद
(b) दण्डित प्रकृति के विवाद
(c) विक्रेता द्वारा दोषी माल के विक्रय सम्बन्धी विवाद
(d) नौकरी संबंधी
Answer ⇒ (c) विक्रेता द्वारा दोषी माल के विक्रय सम्बन्धी विवाद
40. मैस्लो के अनुसार सबसे अंत में आवश्यकता की संतुष्टि होती है
(a) जीवन-निर्वाह
(b) सामाजिक
(c) आत्म-प्राप्ति
(d) सुरक्षा
Answer ⇒ (c) आत्म-प्राप्ति
41. प्रबन्धक होता है
(a) बॉस
(b) स्वामी
(c) नेता
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (c) नेता
42. नियंत्रण संबंधित है
(a) परिणाम
(b) कार्य
(c) प्रयास
(d) किसी से नहीं
Answer ⇒ (a) परिणाम
43. अभिप्रेरक साधनों के निर्धारण का आधार होना चाहिए
(a) सामूहिक
(b) व्यक्तिगत
(c) कृत्य
(d) इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (d) इनमें से कोई नहीं
44. विपणन विचारधारा है
(a) उत्पाद उन्मुखी
(b) विक्रय उन्मुखी
(c) उपभोक्ता उन्मुखी
(d) इनमें से सभी
Answer ⇒ (d) इनमें से सभी
45. निम्न में से कौन उद्यमिता की विशेषता नहीं है ?
(a) जोखिम लेना
(b) नवाचार
(c) प्रबंधकीय प्रशिक्षण
(d) सृजनात्मक क्रिया
Answer ⇒ (c) प्रबंधकीय प्रशिक्षण
46. वाणिज्यिक प्रपत्र की अधिकतम अवधि होती है
(a) 3 महीना
(b) 6 महीना
(c) 12 महीना
(d) 24 महीना
Answer ⇒ (c) 12 महीना
47. भारत में स्कंध विपणियों का भविष्य हैं
(a) उज्जवल
(b) अंधेरे में
(c) सामान्य
(d) कोई भविष्य नहीं
Answer ⇒ (a) उज्जवल
48. नियोजन व्यापार के सभी बुराइयों का उपाय नहीं है क्योंकि
(a) नियोजन सामान्यतः पक्षपातपूर्ण और समय खपत करने वाला होता है
(b) नियोजन लक्ष्य अभिमुखी होता है
(c) नियोजन भविष्य की अनिश्चितताओं का सामना करने के योग्य बनाता है
(d) नियोजन प्रतिस्पर्धात्मक शक्ति को बढ़ाता है
Answer ⇒ (c) नियोजन भविष्य की अनिश्चितताओं का सामना करने के योग्य बनाता है
49. निम्न में से कौन-सा पूँजी संरचना को निर्धारित करने वाला तत्व है ?
(a) रोकड़ प्रवाह विवरण
(b) ब्याज आवरण अनुपात
(c) ऋण भुगतान आवरण अनुपात
(d) उपरोक्त सभी
Answer ⇒ (d) उपरोक्त सभी
50. निम्न में से कौन उद्यमिता की विशेषता नहीं है ?
(a) जोखिम लेना
(b) नवाचार
(c) सृजनात्मक क्रिया
(d) प्रबन्धकीय प्रशिक्षण
Answer ⇒ (d) प्रबन्धकीय प्रशिक्षण
Bihar Board Business Studies Class 12th Important Questions in Hindi (Short and Long)
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Short Answer Type Questions)
1. अधिकार का अर्थ क्या है ?
Answer ⇒ किसी भी व्यापारिक संस्था, फर्म या कम्पनी के प्रबंधक अपने अधीनस्थों को प्रबंध सम्बन्धी कार्य करने की जिम्मेदारी देता है। तो इसे अधिकार कहा जाता है। अधिकार मिलने से ही अधीनस्थ कर्मचारी अपने कर्तव्यों का पालन अच्छी तरह से कर सकते हैं। वास्तव में औद्योगिक युग में कोई भी व्यक्ति न तो सभी कार्य स्वयं कर सकता है और न ही सभी निर्णय स्वयं ले सकता है। अतः वह कुछ कार्य दूसरों को सौंप देता है। इस प्रकार अपने कार्यभार का कुछ भाग दूसरे व्यक्तियों को सौपना ही भारार्पण या अधिकार कहलाता है।
दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि प्रबंध संबंधी शक्ति प्राप्त करना ही अधिकार कहलाता है।
2. विपणन से आप क्या समझते हैं ?
Answer ⇒ विपणन का अर्थ (Meaning of Marketing) – सामान्यतः व्यावसायिक प्रबन्ध का वह भाग जो ‘विक्रय’ से सम्बन्धित हो ‘विपणन’ के अन्तर्गत आता है। इस प्रकार ‘विपणन’ एवं विक्रय-प्रबन्ध (Sales Management) एक-दूसरे के पर्यायवाची कहे जा सकते हैं। ‘विपणन’ शब्द का प्रयोग दो अर्थों में किया जाता है। संकुचित दृष्टि से विपणन के अन्तर्गत उन समस्त क्रियाओं का समावेश किया जाता है जो वस्तुओं के उत्पादन केन्द्रों से उठाकर उन्हें उपभोक्ताओं तक पहुँचाने के लिए की जाती है। इस दृष्टि से विपणन के क्षेत्र में केवल क्रय, विज्ञापन, संग्रह परिवहन, श्रेणियन आदि क्रियाएँ ही आती हैं।
किन्तु व्यापक दृष्टि से विपणन की विषय सामग्री के अन्तर्गत विक्रय नीतियाँ, विक्रय प्रबन्ध व संगठन, मूल्य-निर्धारण, वस्तु का विकास व्यावसायिक जोखिमों को कम करने के साधन तथा विपणन अनुसन्धान आदि सभी क्रियाओं का समावेश किया जाता है। आधुनिक समय में विपणन का यह व्यापक अर्थ ही अधिक प्रचलित है। इस अर्थ में विपणन कार्य वस्तुओं का उत्पादन आरम्भ करने से पहले ही प्रारम्भ हो जाती है तथा विक्रय होने के बाद भी निरन्तर चलता है।
3. उपभोक्ता न्यायालय में कौन शिकायत दर्ज कर सकता है ?
Answer ⇒ उपभोक्ता न्यायालय में निम्नलिखित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है-
- कोई उपभोक्ता।
- कोई भी पंजीकृत उपभोक्ता संघ।
- राज्य एवं केन्द्रीय सरकार।
- उपभोक्ता के बदले कोई अन्य प्रतिनिधि जिसका समान हित हो।
- मृत उपभोक्ता के उत्तराधिकारी या अन्य प्रतिनिधि।
4. आंतरिक व्यापार को परिभाषित करें।
Answer ⇒ एक ही देश की सीमाओं के अंतर्गत होने वाला व्यापार आंतरिक व्यापार कहलाता है। आंतरिक व्यापार को घरेलू व्यापार अथवा अन्तर्देशीय व्यापार भी कहा जाता है। इसका अर्थ एक राष्ट्र की सीमाओं के अंदर वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना है। इसमें वस्तुओं का भुगतान राष्ट्रीय मुद्रा में किया जाता है। इस प्रकार भारत में आंतरिक व्यापार में व्यापारियों के मध्य केवल भारत में किए गये वस्तुओं के लेन-देन शामिल हैं। बहुत से थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी तथा वाणिज्य अभिकर्ता घरेलू व्यापार करते हैं। वे उत्पादक एवं उपभोक्ताओं के मध्य कड़ी का कार्य कहते हैं। आंतरिक तथा घरेलू व्यापार का मुख्य उद्देश्य देश भर में वस्तुओं एवं सेवाओं का वितरण सुविधाजनक बनाना है।
5. विनियोग निर्णय से क्या अभिप्राय है ?
Answer ⇒ विनियोग का अर्थ होता है पैसे का किसी भी क्षेत्र में निवेश करना। विशेष रूप से अंश और ऋण में पैसे का विनियोग करना लाभदायक होता है। विनियोग करने के संबंध में उचित निर्णय लेना ही विनियोग निर्णय कहलाता है। सोच-समझकर विनियोग का निर्णय करने से निवेशकों को लाभ के रूप में आय की प्राप्ति हो सकती है।
6. नियंत्रण की प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।
Answer ⇒ नियंत्रण की प्रक्रिया में निम्नलिखित कदम शामिल हैं-
- प्रमाप विचलन को निर्धारित करना ताकि वास्तविक निष्पादन की जाँच की जा सके।
- वास्तविक निष्पादन की माप विश्वसनीय तरीके से करना।
- वास्तविक निष्पादन की तुलना प्रमाप निष्पादन से करना ताकि विचलन का पता लगाया जा सके।
- विचलन का विश्लेषण करना और यह निर्धारित करना कि क्या यह स्वीकार्य है।
- अस्वीकार्य निष्पादन को तुरंत सही करने का निर्णय लेना।
7. प्रबंध के निर्देशन कार्य के तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
Answer ⇒ निर्देशन प्रबंध का एक प्रमुख कार्य है। निर्देशन के चार प्रमुख तत्त्व होते हैं, जो इस प्रकार हैं-
- अभिप्रेरणा (Motivation) – व्यक्तियों को अच्छा उत्साह तथा पहल भावना के साथ कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
- नेतृत्व (Leadership) – प्रभावपूर्ण नेतृत्व व्यक्तियों में काम कराने के लिए जादुई असर करता है।
- पर्यवेक्षण (Supervision) – आशातीत परिणामों को प्राप्त करने तथा योजनानुसार तरीके से कार्य कराने की दिशा में सुपरवाइजर काम पर नजर रखकर प्रभावपूर्ण निष्पादन का रास्ता तैयार करता है।
- संदेशवाहन (Communication) – संदेशवाहन निर्देशन का मूल-बिन्दु है।
8. क्या आप सोचते हैं कि नियोजन प्रबंध का महत्वपूर्ण कार्य है ? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बतावें।
Answer ⇒ नियोजन दक्षता का आधार है क्योंकि यह आवश्यकता एवं प्राथमिकता के बीच संतुलन स्थापित करता है। यह संसाधनों का समन्वय एवं क्रियाकलापों का निर्देशन है। नियोजन निश्चितता, निर्देशन एवं उपयोगिता को बढ़ावा देता है। नियोजन के निम्नलिखित लाभ, प्रबंध में इसके महत्व को दर्शाता है-
- सामूहिक रूप से यह संगठन के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिये कार्यों का निर्देशन करता है।
- यह भविष्य की घटना की अनिश्चितता एवं खतरे को कम करता है।
- यह सफल संचालन एवं प्रयासों के समन्वय के द्वारा बर्बादी एवं कार्य के दोहरेपन को रोकता है।
- यह भविष्य के कार्यक्रम के संबंध में नये विचार को बढ़ावा देता है जो संगठन के समृद्धि एवं वृद्धि में सहायक होती है।
- यह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये विभिन्न विकल्पों के संबंध में निर्णय लेने में सहायता करता है।
- यह वास्तविक निष्पादन को नियंत्रित करने के लिये प्रभाव को स्थापित करता है और किसी भी तरह के विचलन को दूर करने के लिये दिशा-निर्देश देता है।
नियोजन के उपर्युक्त योगदान के कारण यह प्रबंध का एक महत्वपूर्ण भाग है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Long Answer Type Questions)
1. वित्तीय नियोजन क्या है ? वित्तीय नियोजन को प्रभावित करने वाले कौन-कौन-से तत्व हैं ?
Answer ⇒ वित्तीय नियोजन का संबंध पूँजी की मात्रा निश्चित करने तथा यह निश्चित करने से है कि कितनी पूँजी स्वामी लगाएँगे तथा कितनी पूँजी अन्य साधनों से ऋण के रूप में प्राप्त की जाऐगी और यदि पूँजी बाजार से एकत्र की जाएगी तो कितनी पूँजी के अंश व ऋण पत्र निर्गमित किये जाएंगे। इनका विस्तृत निर्धारण ही वित्तीय नियोजन है।
ए० एस० डीइंग के शब्दों में, “वित्तीय नियोजन का पूँजीकरण या पूँजी के मूल्यांकन में पूँजी स्कंध (Stock) तथा ऋण पत्रों दोनों को सम्मिलित करते हैं।”
रॉबर्ट जैरट जूरियर (Robert Jerrett Jr.) के अनुसार “व्यापक वित्तीय नियोजन से आशय वित्तीय प्रबंध की समस्त योजनाओं के साथ एकीकरण एवं समन्वय करने से है।”
वित्तीय नियोजन को कुछ विद्वानों ने पूँजीकरण या पूँजी संरचना (Capitalisation or Capital Structure) के नाम से भी पुकारा है।
उपक्रम की वित्तीय नियोजना पर विभिन्न तत्वों का प्रभाव पड़ता है। अतः योजना बनाते समय उन तत्वों पर भली-भाँति विचार कर लेना चाहिए। ऐसे प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं-
1. उद्योग की प्रकृति (Nature of Industry) – वित्तीय नियोजन के निर्माण में उद्योग की प्रकृति अपना निर्णायक मत रखती है। पूँजी-सघन उद्योग के लिए अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है और श्रम-सघन उद्योगों के लिए कम पूँजी।
2. जोखिम को मात्रा (Amount of Risks) – अधिक जोखिम वाले उद्योगों को अपनी पूँजी जुटाने के लिए स्वामित्वशील प्रतिभूतियों (Ownership Securities) पर अधिक निर्भर रहना पड़ेगा जबकि कम जोखिम वाले उद्योग ऋण लेकर स्वामियों को समता पर व्यापार (Trading or . Equity) का लाभ दे सकते हैं।
3. औद्योगिक इकाई की प्रस्थिति (Status o Industrial Unit) – इसके अन्तर्गत उपक्रम . की निजी विशेषताएँ जैसे उसकी आयु, आकार, कार्य-क्षेत्र तथा प्रवर्तकों एवं प्रबन्धकों की साख एवं ख्याति आदि तत्व आते हैं। बड़े आकार वाली कम्पनियों को पूँजी जुटाने में अधिक कठिनाई नहीं होती। पुरानी तथा अच्छी साख वाली संस्थाओं में हर विनियोक्ता धन लगाने को तैयार रहता है लेकिन नए प्रवर्तकों को धन एकत्रित्र करने में अधिक कठिनाइयाँ उठानी पड़ती है।
4. विभिन्न वित्ताय साधना का मूल्याकन (Appraisal of atternative Sources or Finance) – जब भी पूँजी का आवश्यकता हो, बाजार में प्रचलित तथा लोकप्रिय प्रतिभूतियों को .देखना चाहिए और उनके अंकित मूल्य, निर्गमन लागत तथा उन्य तथ्यों पर विचार करना चाहिए। यह निश्चित करते समय कि किस-किस साधन से कितना धन एकत्रित करना है। यह भी ध्यान में रखना पड़ेगा कि उस साधन से उस समय धन एकत्रित करने का अनुकूल समय भी है अथवा नहीं।
5. उद्योग के भावी विस्तार की योजनाएँ – यह तत्व भी वित्तीय नियोजन को प्रभावित करने वाले तत्वों में से एक तत्व है। उद्योग के भावी विस्तार की योजनाएँ इनमें बनाई जाती है। जिससे भविष्य में उद्योग को कैसे विस्तार किया जाना है इसकी योजना बनायी जाती है।
6. प्रबंधकों की मनोवृति – यह तत्व भी उद्योग को प्रभावित करने वाले में से एक तत्व है। उद्योगों को कैसे संचालित करना है, यह प्रबन्धकों की मनोवृत्ति पर निर्भर करता है। जितना अच्छा प्रबंधकों की मनोवृति होगी उद्योग का विकास और विस्तार उतना ही तेजी से होगा।
7. बाहरी पूंजी की आवश्यकता – बाहरी पूँजी की आवश्यकता भी वित्तीय नियोजन को प्रभावित करती है। उद्योग में बाहरी पूँजी की आवश्यकता पड़े और इस पूँजी को कहाँ से लाया जाए वित्तीय नियोजन का एक प्रमुख अंग माना जाता है।
8. पूँजी संग्रह के स्रोतों की उपलब्धता – यह तत्व भी वित्तीय नियोजन को प्रभावित करता है। पूँजी को कैसे संग्रह किया जाए और किन-किन स्रोतों से संग्रह किया जाए वित्तीय नियोजन का एक प्रमुख अंग है। उद्योग से जो पूँजी प्राप्त होती है लाभ के रूप में उसे कैसे और किन साधनों से संग्रह किया जाए इसका भी ध्यान रखा जाता है।
9. सरकारी नियंत्रण – सरकारी नियंत्रण तत्व भी वित्तीय नियोजन को प्रभावित करते हैं। उद्योग पर सरकारी नियंत्रण रहना भी आवश्यक है। तभी एक उत्पादक अच्छी किस्म और गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन कर सकता है इसीलिए किसी भी उद्योग पर सरकारी नियंत्रण रहना भी एक आवश्यक तत्व है।
2. उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के भारत में व्यवसाय तथा उद्योग पर प्रतिकूल प्रभावों में से पाँच प्रभावों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
Answer ⇒ उदारीकरण एवं वैश्वीकरण के भारत में व्यवसाय तथा उद्योग पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है उनसे कुछ निम्न है-
- आयात में वृद्धि – उदारीकरण एवं वैश्वीकरण से हमारे देश में आयात की वृद्धि हुई है।
- निर्यात में वृद्धि – उदारीकरण एवं वैश्वीकरण से हमारे देश के निर्यात में काफी वृद्धि हुई है।
- विदेशी मुद्रा की बढ़ोत्तरी – उदारीकरण एवं वैश्वीकरण से हमारे देश में विदेशी मद्रा भंडार में काफी बढ़ोत्तरी हुआ है।
- नये उत्पाद की जानकारी – उदारीकरण एवं वैश्वीकरण से नये-नये उत्पाद की जानकारी आसानी से प्राप्त हो जाता है।
- रोजगार में वद्धि – उदारीकरण तथा वैश्विकरण का ही देन है कि आज हमारे देश में बेरोजगार को प्रतिष्ठित एवं उच्च वेतन पर काम मिल जाता है।
3. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के अन्तर्गत उपभोक्ता के शिकायत को कम करने के यंत्र उपलब्ध हैं, वर्णन करें।
Answer ⇒ उपभोक्ता के शिकायत को कम करने के लिये उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम त्रि-स्तरीय यंत्र प्रदान करता है-
1. जिला संघ- यह एक संस्था है जिसमें राज्य सरकार द्वारा नियुक्ति किये गये दो सदस्य एवं एक अध्यक्ष होते हैं। वस्तु एवं सेवा के मूल्य से संबंधित वैसी शिकायत जिसका मूल्य 20 लाख रुपये से अधिक न हो जिला संघ में जमा किये जाते हैं। जिला संघ शिकायत दर्ज किये गये व्यक्ति को सूचना भेजता है, उसकी दलील को सुनता है और फिर आदेश पारित करता है।
2. राज्य कमीशन- वस्तु एवं सेवा जिसका मूल्य 2 लाख से अधिक एवं एक करोड़ से कम हो, की शिकायत राज्य कमीशन में किया जाता है राज्य कमीशन जिनके विरुद्ध शिकायत दर्ज की गई, उन्हें नोटिस भेजता है, उनकी दलील सुनता है एवं पुनः आदेश पारित करता है, यदि जरूरत पड़ी तो वह लेबोरेटरी जाँच के लिये भी वस्तु या सैम्पल को भेजता है।
3. नेशनल कमीशन- भारत सरकार द्वारा सदस्यों की नियुक्ति की जाती है। वस्तु एवं सेवा का मूख्य क्षतिपूर्ति एवं ब्याज सहित यदि एक करोड़ से अधिक होता है तो उसकी शिकायत राष्ट्रीय कमीशन में की जाती है। शिकायत संबंधित व्यक्ति को भेज दी जाती हैं। उनकी दलील सुनी जाती है और फिर आदेश पारित किया जाता है। जरूरत पड़ने पर वस्तु एवं सैम्पल को लेबोरेटरी जाँच के लिये भेजा जा सकता है।
उपभोक्ता को संरक्षण प्रदान करने के लिये विभिन्न प्रकार के यंत्र उपलब्ध हैं। इसमें जिला संघ, राज्य कमीशन एवं नेशनल कमीशन प्रमुख हैं।
4. केन्द्रीयकरण तथा विकेन्द्रीयकरण के बीच अन्तर स्पष्ट करें।
Answer ⇒ केन्द्रीयकरण तथा विकेन्द्रीयकरण के बीच अन्तर :-
केन्द्रीयकरण :
- केन्द्रीयकरण में सारे निर्णय उच्च अधिकारी स्वयं ही लेते हैं, वह अपने अधीनस्थों के ऊपर सिर्फ आदेश रखते हैं।
- केन्द्रीयकरण उच्च अधिकारियों के भार में कमी नहीं करता।
- केन्द्रीयकरण लालफीताशाही के जन्म देता है।
- इसमें निर्णयों को विविधता नहीं मिल पाती।
- केन्द्रीयकरण अधीनस्थयों की प्रेरणा या उनके मनोबल में वृद्धि नहीं करता।
- केन्द्रीयकरण में निर्णयों का भार एक ही अधिकारी पर होने के कारण कभी-कभी निर्णयों में विलम्ब होता है।
- इसमें उच्च अधिकारियों के निर्णयों को अधीनस्थों को मानना ही होता है। वह अपने विचार प्रस्तुत नहीं करते।
- केन्द्रीयकरण प्रबन्ध में एकरूपता देता है।
- केन्द्रीयकरण में निर्णय लेने के अधिकार का केन्द्रीकरण होने के कारण नीतियों में समानता पायी जाती है।
विकेन्द्रीकरण :
- विकेन्द्रीकरण में अधीनस्थों के कुछ मामलों में उनके स्तर पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी जाती है।
- इसके माध्यम से उच्च अधिकारियों के कार्यभार में पर्याप्त कमी हो जाती है। वे छोटे-मोटे कार्यों में अपना ध्यान न उलझाकर, महत्वपूर्ण निर्णयों की ओर बढ़ते हैं।
- चूँकि विकेन्द्रीयकरण में क्रिया के निकटतम ही निर्णय लेने का अधिकार प्रदान किया जाता है, अतः लालफीताशाही नहीं पनपती।
- इसमें अलग-अलग क्रियाओं के लिए अधिक अध्यक्षों की नियुक्ति के कारण निर्णयों की विविधता मिलती है।
- विकेन्द्रित व्यवस्था अधीनस्थ कर्मचारियों को स्वतंत्र रूप से निर्णय लेने का अधिकार देकर उन्हें अधिक उत्तरदायी बनाया जा सकता है।
- विकेन्द्रीयकरण में प्रत्येक अध्यक्ष अपने स्तर पर शीघ्र निर्णय ले सकता है।
- विकेन्द्रीयकरण में अधीनस्थों द्वारा अपने-अपने विचार प्रस्तुत करते समय समन्वय का अभाव होने पर उनके मध्य मतभेद हो सकते हैं।
- विकेन्द्रीयकरण में एकरूपता का अभाव पाया जाता है।
- विकेन्द्रीयकरण के कारण कभी-कभी उपक्रम की नीतियों में इतनी अधिक भिन्नता आ जाती है कि उपक्रम का भविष्य खतरे में पड़ जाता है।
5. व्यवसाय के सामाजिक दायित्वों का वर्णन करें।
Answer ⇒ हालांकि व्यवसाय करने का प्रमुख उद्देश्य लाभ कमाना है, लेकिन व्यवसाय में समाज के प्रति कुछ उत्तरदायित्व भी हैं। व्यवसाय-कार्य करने के सिलसिले में यह बात ध्यान रखना चाहिए कि व्यवसाय ऐसे करना चाहिए जिससे कि समाज के लोगों का शोषण नहीं हो और समाज में शांति का वातावरण बना रहे। कानूनी दृष्टिकोण से वैध व्यापार करना चाहिए। अवैध व्यापार नहीं करना चाहिए। तभी समाज का वातावरण अच्छा बना रहता है।
वास्तव में, व्यवसाय के सामाजिक उत्तरदायित्वों को निम्नलिखित विचार-बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है-
- समाज को रोजगार के उचित अवसर प्रदान करना।
- समाज में नागरिकों के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाने में सहायता करना।
- व्यवसाय में स्वास्थ्यप्रद वातावरण बनाये रखना।
- समाज के विभिन्न कल्याणकारी कार्यों में सहयोग देना।
- समाज में शिक्षा, चिकित्सा इत्यादि की सुविधाएँ उपलब्ध कराना, जैसे-बड़ी-बड़ी औद्योगिक संस्थाएँ अपने स्कूल चलाती हैं।
- असहाय व अपाहिजों को रोजगार के अवसर देकर उनकी सहायता करना।
- प्राकृतिक विपदाओं के समय समाज की उन्नति में सहयोग देना। बाढ़ व सूखा क्षेत्रों में आर्थिक सहायता प्रदान करना।
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