Self Studies

UP Board 12th Physics Exam 2024 : Most Important Question Answers

UP Board 12th Physics Exam 2024 : Most Important Question Answers

SHARING IS CARING

If our Website helped you a little, then kindly spread our voice using Social Networks. Spread our word to your readers, friends, teachers, students & all those close ones who deserve to know what you know now.

Self Studies Self Studies

UP बोर्ड 12वीं की Physics - भौतिक विज्ञान परीक्षा 4 March, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।

यहाँ पर UP Board क्लास 12th के भौतिक विज्ञान (UP Board Physics Class 12th Exam 2024 VVI Most Important Question) से संबंधित महत्वपूर्ण objective, subjective प्रश्न दिए गए है। महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है जो बहुत ही अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किये गए है। इसमें प्रत्येक महत्वपूर्ण प्रश्नों को छांट कर एकत्रित किया गया है, जिससे कि विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

UP Board Physics Class 12th Exam 2024 VVI Most Important Question

Objective Answer Type Questions

1.

2.

3.

4.

5.

6.

7. धारावाही चालक के चारों तरफ उत्पन्न क्षेत्र होता है-
(a) केवल विद्युत
(b) केवल चुम्बकीय
(c) दोनों विद्युत तथा चुम्बकीय
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (b): जब किसी चालक तार में धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारो ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है। अतः विकल्प (b) सही है।

8.

9. एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में किसी आवेशित कण के वृत्तीय पथ की त्रिज्या अनुक्रमानुपाती होती है:
(a) कण के आवेश के
(b) कण के संवेग के
(c) चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता के
(d) कण की ऊर्जा के

उत्तर (b) प्रश्नानुसार,
अभिकेन्द्र बल Eq से प्राप्त होगा ।

10.

11.

12.

13. वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों में कलान्तर होता है-
(a) 0
(b) π
(c) π/2
(d) 3π/2

उत्तर (c): वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्र सदिश समान कला में तथा परस्पर एक दूसरे के लम्बवत होते हैं। अर्थात् θ = π/2

14.

15.

16. प्रिज्म से गुजरने के पश्चात् श्वेत प्रकाश के किस रंग का विचलन न्यूनतम होता है?
(a) बैंगनी
(b) पीला
(c) हरा
(d) लाल


चूँकि बैगनी रंग के लिए तरंगदैर्ध्य सबसे कम तथा लाल रंग के लिए तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है। इसलिए बैगनी रंग का विचलन अधिकतम तथा लाल रंग के लिए विचलन न्यूनतम होता है |

17. पतले प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक क्या होगा यदि उसके अपवर्तक कोण तथा विचलन कोण का मान समान हो?
(a) 1.5
(b) 2.0
(c) 1.33
(d ) शून्य

18. किसी प्रिज्म के प्रिज्म कोण और न्यूनतम विचलन कोण के मान बराबर A हों तो प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक होगा-

19. दो स्रोत कला - संबद्ध (coherent) होते हैं यदि वे तरंगें उत्पन्न करती हैं-

(a) एक समान तरंगदैर्ध्य की
(b) एक समान वेग की
(c) एक समान आवृत्ति की
(d) नियत कलांतर की

उत्तर (c): दो स्त्रोत कला सबद्ध है यदि वे समान आवृत्ति की तरंगे उत्पन्न करती हैं जिनके कलान्तर नियत (शून्य) होता है ।

20.

21. प्रकाश की अनुप्रस्थ प्रकृति सिद्ध होती है-
(a) केवल परावर्तन द्वारा
(b) केवल व्यतिकरण द्वारा
(c) केवल विवर्तन द्वारा
(d) केवल ध्रुवण द्वारा

उत्तर (d) प्रकाश का अपवर्तन, परावर्तन, व्यतिकरण, विवर्तन तथा ध्रुवण आदि गुणों से प्रकाश की तरंग प्रकृति सिद्ध होती है। परन्तु प्रकाश तरंग की अनुप्रस्थ प्रकृति केवल ध्रुवण द्वारा सिद्ध होती है।

22. द्रव्य तरंगों के सम्बन्ध में सत्य कथन है :
(a) ये विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं।
(b) ये यांत्रिक तरंगे हैं।
(c) इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य कण के आवेश पर निर्भर नहीं करता है।
(d) द्रव्य तरंगों का वेग प्रकाश के वेग के बराबर होता है।

उत्तर (c) द्रव्य तरंगों के सम्बन्ध में इन तरंगों का तरंगदैर्ध्य कण के आवेश पर निर्भर नहीं करता है।

23. प्लांक- नियतांक की विमा समान है-
(a) बल x समय
(b) बल x दूरी
(c) बल x चाल
(d) बल x दूरी x समय

24.

25. N - टाइप अर्धचालक होता है:
(a) ऋणात्मक आवेशित
(b) धनात्मक आवेशित
(c) विद्युतीय उदासीन
(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर (a) N-टाइप अर्द्धचालक ऋणात्मक आवेशित होता है।

Very Short Answer Type Questions

1. वैद्युत क्षेत्र रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेदन नहीं करती हैं। समझाइए |

उत्तर : यदि वैद्युत क्षेत्र रेखायें परस्पर एक-दूसरे का प्रतिच्छेदन करेगी तो इसका अर्थ यह होगा कि उस बिन्दु पर कोई बिन्दु आवेश दो दिशाओं की ओर वैद्युत क्षेत्र को संकेत करेगा जो सम्भव नहीं है।

2. वैद्युत - द्विध्रुव की अक्षीय रेखा पर वैद्युत विभव का सूत्र लिखिए।

3. धारामापी को वोल्टमीटर में कैसे बदलते हैं?

उत्तर: श्रेणीक्रम में उच्च प्रतिरोध का शन्ट / चालक तार जोड़कर धारामापी को वोल्टमीटर में परिवर्तित किया जाता है।

4. एक तार को खींचकर दो गुनी लम्बाई कर देते हैं। तार की प्रतिरोधकता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

5. शन्ट से क्या समझते हो? इसका एक अनुप्रयोग विद्युत परिपथ में दर्शाइए।

उत्तर : शन्ट (Shunt ) - साधारणतः कीलकित (Privoted type) चल - कुण्डली धारामापी को ही अमीटर के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसके लिए इसकी कुण्डली के समान्तर क्रम में एक कम प्रतिरोध का तार जोड़ दिया जाता है। जिसे शन्ट कहते हैं। चित्र इस प्रबन्ध का संयुक्त प्रतिरोध धारामापी की कुण्डली तथा शन्ट दोनों के अलग-अलग प्रतिरोधों से कम होता है। जब इसे किसी परिपथ में जोड़ते हैं तो यह परिपथ की धारा में कोई विशेष परिवर्तन नहीं करता इस प्रकार यह प्रबन्ध एक अच्छे अमीटर का कार्य करता है।



6. एम्पियर का परिपथीय नियम लिखिए ।

उत्तर : एम्पियर का परिपथीय नियम (Ampere's circuital law) - किसी बन्द समतल वक्र (पाश) के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र का रेखीय समाकलन उस वक्र से घिरे पृष्ठ से गुजरने वाली कुल विद्युत धारा के मान का μ0 गुना होता है। यही एम्पियर का परिपथीय नियम है।

जहाँ i बन्द पाश से होकर गुजरने वाली कुल वैद्युत धारा है।

7. किसी शुद्ध प्रेरणिक प्रत्यावर्ती परिपथ में वोल्टता एवं धारा में कलांतर लिखिए।
उत्तर :
किसी शुद्ध प्रेरणिक प्रत्यावर्ती परिपथ में वोल्टता एवं धारा के बीच कलांतर  होता है।

8. लेन्ज का नियम क्या है समझाइए कि लेन्ज का नियम ऊर्जा संरक्षण पर आधारित है।

उत्तर- लेंज का नियम - इस नियम के अनुसार “किसी परिपथ में प्रेरित वैद्युत धारा की दिशा सदैव ऐसी होती है कि वह उस कारण का विरोध करती है जिससे वह स्वयं उत्पन्न होती है।"

यदि कुण्डली के समीप रखे एक चुम्बक को गति करने ( पास लाने और दूर हटाने) में प्रेरित धारा की दिशा चुम्बक की गति का विरोध न करे तो हमें बिना कोई कार्य किये ही लगातार वैद्युत ऊर्जा प्राप्त होती रहेगी जोकि असम्भव है। अतः लेंज का नियम ऊर्जा संरक्षण के सिद्धान्त पर कार्य करता है।

9.


10.

11. एक अवतल लेंस के प्रत्येक पृष्ठ की वक्रता -त्रिज्या 30 सेमी. तथा अपवर्तनांक 1.5 है। इसकी फोकस दूरी ज्ञात कीजिए।

12. पराबैंगनी किरणों के किन्हीं दो उपयोग को लिखिए।

उत्तर : (i) अदृश्य लिखाई, नकली दस्तावेजों, अंगुली के निशानों का पता लगाने में।

(ii) खाद्य वस्तुओं के संरक्षण तथा जल के शोधन में ।

13. विवर्तन प्राप्त करने के लिए रेखा छिद्र की चौड़ाई लगभग कितनी होनी चाहिए?

उत्तर : विवर्तन प्राप्त करने के लिए रेखा छिद्र की चौड़ाई प्रकाश के तरंगदैर्ध्य 5 x 10-7 मीटर की कोटि की होनी चाहिए।

14. प्रकाश के विवर्तन के प्रयोग में केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई पर क्या प्रभाव पड़ेगा यदि प्रयोग जल में रख दिया जाय ?

15. एक प्रकाश-विद्युत् सेल से एकवर्णीय बिन्दु प्रकाश स्त्रोत को r दूरी पर रखने पर, निरोधी विभव V प्राप्त होता है। जब स्रोत को 3r दूरी पर रख दिया जाए, तब निरोधी विभव पर क्या प्रभाव पड़ेगा। अपने उत्तर को स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर: कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि एक प्रकाश विद्युत सेल पर आपतित एक वर्णीय प्रकाश की तीव्रता पर निर्भर करता है, न कि प्रकाश स्त्रोत से दूरी पर निर्भर करता है ।

16. फोटॉन के संवेग का सूत्र लिखिए ।

उत्तर : फोटॉन का संवेग P = mc = 

17. नाभिक के द्रव्यमान संख्या से क्या तात्पर्य है? यह परमाणु- क्रमांक से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर : द्रव्यमान संख्या- किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉनों की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते है । इसे A से प्रदर्शित करते हैं।

परमाण्विक संख्या- किसी नाभिक में प्रोटॉनों की संख्या को परमाणविक संख्या कहते हैं। इसे Z से प्रदर्शित करते हैं। किसी परमाणु के नाभिक में यह धन आवेश का निर्धारण करता है ।

18. रेडियो -एक्टिव पदार्थ के औसत आयु तथा अर्द्ध आयु में सम्बन्ध लिखिए।

19. जर्मेनियम को कैसे p-प्रकार का अर्द्धचालक बनाया जाता है?

उत्तर : जब जर्मेनियम (अथवा सिलिकॉन) के क्रिस्टल में एक इलेक्ट्रॉन किसी परमाणु के सह संयोजक बंध को तोड़कर मुक्त होता है तो उस परमाणु में एक इलेक्ट्रॉन की कमी हो जाती है। इसके फलस्वरूप परमाणु में जो स्थान रिक्त हो जाता है, उसे कोटर कहते
हैं। इस प्रकार कोटर के चालन से ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह त्रिसंयोजकता वाले तत्व (AI) अपद्रव्य के रूप में मिलाने पर चालन संभव होता है।

20. फोटो डायोड क्या है?

उत्तर- एक ऐसी युक्ति जो प्रकाशीय संकेतो (Optical signals) के संसूचन में प्रयोग की जाती है फोटो डायोड कहलाती है।

Short Answer Type Questions

1. चित्र में दर्शाए गए आवेशों के निकाय की कुल विद्युत् स्थितिज ऊर्जा ज्ञात कीजिए:

2. किसी चालक की धारिता में वृद्धि कैसे की जा सकती है ? एक समान्तर पट्ट वायु संधारित्र के प्लेटों की त्रिज्या 3x10-2 मी. तथा धारिता 1 मी. त्रिज्या वाले आवेशित गोले की धारिता के बराबर है। संधारित्र के प्लेटों के बीच की दूरी ज्ञात कीजिए।

3. विभवमापी का सिद्धान्त क्या है? एक विभवमापी के तार का प्रतिरोध 8 ओम है। 4 ओम के प्रतिरोध तार के सिरों के बीच विभवान्तर ज्ञात कीजिए जब विसर्पी कुंजी का सम्पर्क विभवमापी तार के ठीक मध्य बिन्दु C पर किया जाता है।

उत्तर- विभवमापी -यह किसी सेल का विद्युत वाहक बल (E.M.F.) अथवा किसी वैद्युत परिपथ के दो बिन्दुओं के बीच वैद्युत विभवान्तर (P.D.) नापने वाला एक यथार्थ उपकरण है।

सिद्धान्त- इसमें मुख्यतः एक लम्बा व एकसमान व्यास का धातु का प्रतिरोध - तार AB होता है। इसका एक सिरा A एक संचायक - बैटरी के धन ध्रुव से जुड़ा होता है। बैटरी का ऋण ध्रुव एक कुन्जी (K) तथा एक धारा - नियन्त्रक (Rh) के द्वारा तार के दूसरे सिरे B से जोड़ दिया जाता है। धारा नियन्त्रक के द्वारा तार AB में धारा को घटाया अथवा बढ़ावा जा सकता है। E एक वैद्युत सेल है जिसका विद्युत वाहक बल हमें नापना है । इसका धन ध्रुव तार के A सिरे से जुड़ा है तथा ऋण ध्रुव एक धारामापी G के द्वारा जो कि J जौकी से जुड़ा होता है जो तार पर खिसकाकर कहीं भी स्पर्श करायी जा सकती है।

4.

5. 5 सेमी2 क्षेत्रफल वाली एक कुण्डली 1.5 न्यूटन / ऐम्पियर मीटर के एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र में रखी है। यदि कुण्डली में फेरों की संख्या 100 तथा इसमें 0.2 ऐम्पियर की धारा प्रवाहित की जाए, तब ज्ञात कीजिए:
(i) कुण्डली का चुम्बकीय द्विध्रुव आघूर्ण
(ii) कुण्डली पर अधिकतम बल-आघूर्ण

6. चुम्बकीय याम्योत्तर से 30° के कोण पर एक चुम्बक को लटकाने पर वह क्षैतिज के साथ 45° का कोण बनाती है। वास्तविक नति कोण का मान क्या होगा?

7.


8. एक 50 वाट और 100 वोल्ट लैम्प को 200 वोल्ट और 50 हर्ट्ज़ विद्युत् मेन्स से जोड़ा गया है। लैम्प को जलाने के लिए उसके श्रेणीक्रम में जुड़े आवश्यक संधारित्र की धारिता ज्ञात कीजिए ।


9. वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के किन्हीं दो गुणों का उल्लेख कीजिए। 25 MHz की विद्युत चुम्बकीय तरंग x - दिशा में संचारित हो रही है। किसी बिन्दु पर वैद्युत क्षेत्र सदिश  वो / मी है। इस बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र सदिश  मान ज्ञात कीजिए ।

उत्तर: वैद्युत चुम्बकीय तरंगों के मुख्य गुण निम्न हैं-
(i) इनके गमन के लिए किसी द्रव्य माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।
(ii) ये आपस में लम्बवत् परिवर्तनशील वैद्युत एवं चुम्बकीय क्षेत्रों से निर्मित होती है।
(iii) ये त्वरित अथवा कंपनशील आवेश द्वारा उत्पन्न होती है ।
(iv) वैद्युत चुम्बकीय तरंगों की ऊर्जा एवं चुम्बकीय क्षेत्र सदिशों में समान रूप में बंटी होती है।
(v) ये प्रकृति में अनुप्रस्थ होते हैं।
प्रश्नानुसार,

10. निम्नलिखित का वर्णन कीजिए:
(i) भू-तरंगे
(ii) व्योम तरंगे
(iii) आकाश तरंगें

उत्तर- (i) भू-तरंगे :- भू-तरंगे निम्न आवृत्ति की वे तरंग होती हैं जो सीधे अथवा पृथ्वी की सतह से होते हुये एक बिन्दु से दुसरे
बिन्दु तक पहुँचती हैं। इनमें आवृत्ति परास लगभग 500 -1500KHz तक होता है ।

(ii) व्योम तरंगे :- ऐसी तरंगे जिनकी आवृत्ति परास लगभग मेगाहर्ट्ज से 30 मेगाहर्ट्ज तक होती हैं। पृथ्वी की ओर परावर्तित कर दी जाती हैं। ये दो प्रकार की होती हैं -
(i) सीधी तरंगे
(ii) परावर्तित तरंगे

(iii) आकाश तरंगे :- आकाश तरंगे वे तरंगे होती हैं जिनका प्रयोग लम्बी दूरी के संचरण में होता है। ये तरंगे प्रेसित एन्टिना से सीधे अभिग्राही एन्टिना तक दृष्टि रेखा पर गमन करती है । ये तरंगे प्रेसित एन्टिना से सीधे पृथ्वी तल से परावर्तन के पश्चात् अभिग्राही पर लौट आती है। इन तरंगो का आवृत्ति परास 40 मेगाहर्ट्ज से 300 मेगाहर्ट्ज होती है ।

11. एक उत्तल लेंस के प्रत्येक वक्र पृष्ठ (तल) की त्रिज्या 20 सेमी है तथा लेंस के माध्यम का अपवर्तनांक 1.5 है। यदि लेंस को निम्नलिखित चित्र में AB के अनुदिश काट दिया जाए, तो प्रत्येक नए लेंस की फोकस दूरी क्या होगी ?

12. प्रकाशिक - पथ क्या होता है? एक काँच के गुटके में की एकवर्णी प्रकाश किरण आपतित है। गुटके का अपवर्तनांक 1.5 है। गुटके से परावर्तित एवं अपवर्तित किरणों की चाल तथा तरंगदैर्ध्य ज्ञात कीजिए।

उत्तरः प्रकाशित पथ- प्रकाश किरण द्वारा 'd' मोटाई के पारदर्शी माध्यम को पार करने में लिए गए समय के अन्तर्गत निर्वात या वायु में चली गई दूरी माध्यम की मोटाई 'd' के लिए प्रकाशीय पथ कहलाता है।

माना पारदर्शी माध्यम में प्रकाश की चाल = v
प्रकाश द्वारा माध्यम की 'd' मोटाई पार करने में लगा समय

13.

14. एकल स्लिट के विवर्तन प्रतिरूप में केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई किन कारकों पर निर्भर करती है? विवर्तन प्रतिरूप में प्रकाश का तीव्रता विभाजन चित्र द्वारा प्रदर्शित कीजिए ।

उत्तर- केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई - केन्द्रीय उच्चिष्ठ के दोनों ओर प्रथम निम्निष्ठों के बीच की कोणीय दूरी केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई कहलाती है।

केन्द्रीय उच्चिष्ठ का किसी भी ओर कोणीय फैलाव θ = λ/e है। अतः केन्द्रीय उच्चिष्ठ की दोनों ओर की कुल कोणीय चौड़ाई 

केन्द्रीय उच्चिष्ठ की कोणीय चौड़ाई को प्रभावित करने वाले कारक
(1) एकल स्लिट (झिर्री) की चौड़ाई
(2) प्रयुक्त प्रकाश की आवृत्ति
(3) पृष्ठ प्रकाश की तरंगदैर्ध्य
एकल स्लिट द्वारा प्रकाश विवर्तन प्रतिरूप में तीव्रता विभाजन का वक्र -

यह वक्र एकल पतले रेखा - छिद्र द्वारा प्राप्त विवर्तन प्रारूप का तीव्रता विभाजन वक्र है। इसमें आपतित प्रकाश की तीव्रता का अधिकतम भाग केन्द्रीय उच्चिष्ठ में केन्द्रित होता है और शेष तीव्रता द्वितीयक उच्चिष्ठों में तेजी से घटते क्रम में पायी जाती है। उदाहरण के लिए,
यदि केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता 1 है तो द्वितीयक उच्चिष्ठों की तीव्रताएँ क्रमश: 10/22, 10/61,....... इत्यादि होती है।

15. लुइस द-बाग्ली के द्रव्य तरंग अवधारणा से क्या तात्पर्य है? द- बाग्ली तरंगदैर्ध्य के लिये सम्बन्ध गतिज ऊर्जा के पदों में स्थापित कीजिए ।

Ans: लुइस द-बाग्ली के द्रव्य तरंगों की अवधारणा- प्रत्येक गतिमान द्रव्य कण के साथ एक तरंग सम्बद्ध होती है, जिसे डी- ब्रोग्ली तरंग कहते हैं। इसकी तरंगदैर्ध्य को डी- ब्रोग्ली तरंगदैर्ध्य कहते हैं।

16. एक धातु का कार्य फलन 2.0 इलेक्ट्रॉन-वोल्ट है और इसे 5000 एंग्सट्राम तरंगदैर्ध्य के एकवर्णी प्रकाश से प्रकाशित किया जाता है।
(i) देहली तरंगदैर्ध्य तथा
(ii) निरोधी विभव की गणना कीजिए |

17.

18.

19. अपमिश्रित अर्द्धचालक क्या होते हैं? अर्धचालक के चालकता पर (i) अपमिश्रण तथा (ii) ताप के प्रभाव को स्पष्ट कीजिए |

उत्तर : अपमिश्रित अर्द्धचालक - निज (शुद्ध) अर्द्धचालकों की वैद्युत चालकता अति अल्प होती है । परन्तु यदि किसी ऐसे पदार्थ की बहुत थोड़ी-सी मात्रा, जिसकी संयोजकता 5 अथवा 3 हो, शुद्ध जर्मेनियम (अथवा सिलिकॉन) क्रिस्टल में अपद्रव्य के रूप में मिश्रित
कर दें तो क्रिस्टल की चालकता काफी बढ़ जाती है। मिश्रित करने की क्रिया को अपमिश्रण कहते हैं। उदाहरण- 108 जर्मेनियम परमाणुओं में 1 अपद्रव्य परमाणु मिश्रित कर देने पर, जर्मेनियम की चालकता 16 गुना तक बढ़ जाती है।

(i) ऐसे अशुद्ध अर्द्धचालकों को बाह्य अथवा ताप के प्रभाव से (अपद्रव्य अथवा अपमिश्रित अर्द्धचालक कहते हैं। इस अर्द्धचालकों में मिश्रित किये जाने वाले अपद्रव्य की मात्रा को नियन्त्रित करके इच्छानुसार चालकता अर्जित की जा सकती है।
(ii) ताप के प्रभाव से चालकता बढ़ जाती है, प्रतिरोध घट जाता है। क्योंकि ताप बढ़ाने पर अर्द्धचालक में कुछ और सहसंयोजक बन्ध टूट जाते हैं जिससे कुछ और संयोजक इलेक्ट्रॉन आवेश ले जाने के लिए मुक्त हो जाते हैं।

20. सौर सेल की कार्य प्रणाली समझाइए तथा इसकी उपयोगिता लिखिए।

उत्तर : सौर सेल- सौर सेल मूल रूप से p-n सन्धि डायोड है जो अपने ऊपर पड़ने वाले सौर विकिरण को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है। सौर सेल के निर्माण करने के लिए सिलिकॉन (Si) का उपयोग करते हैं क्योंकि सौर विकिरण की अधिकतम ऊर्जा
लगभग 1.5eV के कोटि की होती है जो सिलिकॉन (Si) के ऊर्जा बैण्ड अन्तराल अर्थात् Eg = 1.2eV से अधिक है।

कार्य प्रणाली - सेल के p-पृष्ठ पर आपतित सूर्य का प्रकाश p-n सन्धि पर पहुँच कर वहाँ उपस्थित सहसंयोजी बन्धों को तोड़कर इलेक्ट्रॉन - कोटर युग्म उत्पन्न कर देता है। p-सतह के आवेश अवक्षय क्षेत्र में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन अवक्षय क्षेत्र में पहले से विद्यमान वैद्युत क्षेत्र
Ei जो n से p की ओर दिष्ट होता है, के कारण n - क्षेत्र की ओर चले जाते हैं। परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन कोटर युग्म के, कोटर p- क्षेत्र की सतह पर आ जाते हैं। इसी प्रकार n - क्षेत्र में आपाती फोटॉनों के अवशोषण से उत्पन्न कोटर अवक्षय क्षेत्र में उपस्थित विद्युत क्षेत्र के
कारण p-सतह की ओर आकर्षित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप n-क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन - कोटर युग्म के इलेक्ट्रॉन बचे रह जाते हैं और अन्ततः सतह पर आ जाते है। निर्णायक रूप से p-क्षेत्र में अतिरिक्त कोटर तथा n-क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति से यह युक्ति एक बैटरी की
भाँति व्यवहार करने लगती है। जिसके सिरे के मध्य एक विभवान्तर स्थापित हो जाता है जिसे अबाध परिपथ विभवान्तर कहते है । चित्र

(a) इसे Vi से प्रदर्शित किया गया है।

अब चित्र (b) में यदि सेल के p तथा n सिरों के मध्य एक लोड प्रतिरोध लगा दें तो विभवान्तर Vi के कारण उसमें धारा iL प्रवाहित होने लगती है।
उपयोगिता-
(1) सुदूर क्षेत्रों में जहाँ विद्युतीय ऊर्जा के कोई और स्रोत उपलब्ध नहीं है घरेलू उपकरणों यथा रेडियों, टेलीविजन आदि को चलाने हेतु सोलर पैनलों का उपयोग किया जाता है।

(2) मानव निर्मित उपग्रहों में लगी बैटरियों के आवेशन हेतु सोलर पैनलों का उपयोग किया जाता है।

Long Answer Type Questions

1. एक बिन्दु आवेश के कारण किसी बिन्दु पर वैद्युत विभव का सूत्र प्राप्त कीजिए। चित्र में प्रदर्शित वर्ग के विभिन्न बिन्दुओं पर रखे आवेशों के कारण वर्ग के केन्द्र P पर वैद्युत विभव का मान ज्ञात कीजिए ।

2. विभवमापी का सिद्धांत समझाइए | यह वोल्टमीटर से क्यों श्रेष्ठ होता है? विभवमापी द्वारा दो सेलों के विद्युत् वाहक बल की तुलना आप कैसे करेंगे? प्रासंगिक परिपथ आरेख खींचकर समझाइए ।

उत्तर : विभवमापी ( Potentiometer) - विभवमापी एक युक्ति (Device) है जो दिए गए विद्युत परिपथ से बिना धारा लिए ही विभवान्तर माप सकती है। अतः विभवमापी एक आदर्श वोल्टमीटर की भाँति कार्य करता है।

विभवमापी का सिद्धान्त (Principle of potentiometer) -

चित्र में AB सर्वत्र समान मोटाई का कांस्टेण्टन मैग्निन या नाइक्रोम से बना तार है। एक बैटरी B1 से श्रेणीक्रम में कुन्जी 'K' धारा नियंत्रक (Rh) जोड़कर बैटरी का धन इलेक्ट्रोड बिन्दु 'A' से तथा ऋण इलेक्ट्रोड बिन्दु 'B' से जोड़े देते हैं।

धारा नियंत्रक 'Rh' की सहायता से तार AB में विद्युत धारा का मान आवश्यकतानुसार समायोजित किया जा सकता है। एक | विद्युत् सेल E, जिसका किलोवाट बल 'E' है, इसका धन इलेक्ट्रोड 'A' में जुड़ा है तथा ऋण ध्रुव एक धारामापी 'G' के एक सिरे से
जुड़ा है और धारामापी का दूसरा सिरा जौकी में जुड़ा है जौकी की नोक तार AB पर खिसकायी जाती है।


3. बायो- सावर्ट नियम क्या है? इसकी सहायता से वृत्ताकार धारावाही कुण्डली की अक्षीय रेखा के किसी बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र का सूत्र स्थापित कीजिए ।

उत्तर- बायो-सेवर्ट का नियम- उपर्युक्त प्रश्न की व्याख्या देखें।

वृत्ताकार धारावाही कुण्डली की अक्ष के अनुदिश चुम्बकीय क्षेत्र - माना एक वृत्ताकार कुण्डली की त्रिज्या r है, इसमें धारा प्रवाहित हो रही है। माना कुण्डली की अक्ष पर, कुण्डली के केन्द्र से x दूरी पर एक बिन्दु P है जिस पर चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता
ज्ञात करनी है।

4. फैराडे के विद्युत् -चुम्बकीय प्रेरण के नियम क्या हैं? 100 टेस्ला के चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् तल में एक तार को 10 सेमी त्रिज्या वाले वृत्त के रूप में रखा जाता है । यदि इस तार को 0.1 सेकण्ड में खींचकर उसी तल में वर्गाकार रूप दे दिया जाए, तो लूप में उत्पन्न औसत प्रेरित विद्युत्-वाहक बल ज्ञात कीजिए।

उत्तर : फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के नियम - फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के प्रयोगों के परिणामों को दो नियमों के रूप में प्रतिपादित किया गया है जिन्हें 'फैराडे के विद्युतचुम्बकीय प्रेरण के नियम' कहते हैं।

प्रथम नियम- जब किसी परिपथ में बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स परिवर्तन होता है तो परिपथ में एक प्रेरित विद्युत वाहक बल उत्पन्न हो जाता है जिसका परिणाम चुम्बकीय फ्लक्स के परिवर्तन की 'ऋणात्मक' दर के बराबर होता है। इसे 'न्यूमैन का नियम' भी कहते हैं ।
यदि Δt समयान्तराल में चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन ΔϕB हो तो परिपथ में प्रेरित विद्युत वाहक बल

ऋणात्मक चिन्ह यह प्रदर्शित करता है कि प्रेरित विद्युत वाहक बल सदैव फ्लक्स परिवर्तन का विरोध करता है । यदि dϕB 'वेबर' में हो तथा dt 'सेकण्ड' में हो तो प्रेरित विद्युत वाहक बल e 'वोल्ट' में होगा। यदि परिपथ में कोई कुण्डली जिसमें तार के N फेरे हैं तो
प्रत्येक फेरे में विद्युत वाहक बल प्रेरित होगा तथा सभी फेरों के विद्युत वाहक बल जुड़ जायेंगे। यदि कुण्डली के फेरे बहुत पास-पास हैं तो प्रत्येक फेरे में से गुजरने वाला चुम्बकीय फ्लक्स एक ही होगा । अतः सम्पूर्ण कुण्डली में प्रेरित विद्युत वाहक बल

5.

उत्तर- द्रव्य तरंगे- डी-ब्रॉग्ली के अनुसार, जब कोई अत्यन्त सूक्ष्म कण (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन या α कण आदि) गति करते हैं तो उन कणों से सम्बद्ध तरंगे, द्रव्य तरंगे ( पदार्थ तरंगे ) या डी -ब्रॉग्ली तरंगे कहलाती हैं। ये तरंगे क्वांटम सिद्धान्त का पालन करती हैं तथा इनके संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जो स्वयं एक माध्यम होती है।

6. वायु के सापेक्ष किसी द्रव के अपवर्तनांक का वायु में प्रकाश चाल तथा द्रव में प्रकाश चाल से संबंधित व्यंजक लिखिए। द्रव में स्थित किसी वस्तु की आभासी गहराई के सूत्र का निगमन कीजिए ।

7.

उत्तर : व्यतिकरण- जब किसी माध्यम में एक ही आवृत्ति की दो तरंगे एक साथ एक ही दिशा में चलती है तो उनके अध्यारोपण से माध्यम के विभिन्न बिन्दुओं पर परिणामी तीव्रता उन तरंगों की अलग-अलग तीव्रताओं के योग से भिन्न होती है। माध्यम के कुछ बिन्दुओं पर परिणामी तरंग की आवृत्ति बहुत अधिक पायी जाती है। जबकि कुछ बिन्दुओं पर बहुत कम अथवा शून्य रहती है। इस घटना को व्यतिकरण कहते हैं। जिन बिन्दुओं पर तीव्रता अधिकतम होती है। उन बिन्दुओं पर हुए व्यतिकरण को संपोषी व्यतिकरण कहते हैं।
जिन बिन्दुओं पर तीव्रता लगभग शून्य होती है। उन बिन्दुओं पर हुए व्यतिकरण को विनाशी व्यतिकरण कहते हैं ।

8. द्रव्य तरंगें क्या हैं? डी ब्रॉगली तरंगदैर्घ्य का सूत्र लिखिए। सिद्ध कीजिए कि विद्युत चुम्बकीय विकिरण हेतु तरंगदैर्ध्य संगत फोटॉन के डी ब्रॉगली तरंगदैर्घ्य के बराबर होती है।

उत्तर : द्रव्य तरंगें- डी-ब्रॉगली के अनुसार, जब कोई अत्यन्त सूक्ष्म कण (इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन, न्यूट्रॉन या α कण आदि) गति करते हैं तो उन कणों से सम्बद्ध तरंगे, द्रव्य तरंगे ( पदार्थ तरंगे ) या डी- ब्रॉगली तरंगे कहलाती हैं। ये तरंगे क्वांटम सिद्धान्त का पालन करती हैं तथा इनके
संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जो स्वयं एक माध्यम होती है।

डी ब्रॉगली तरंगर्दर्ध्य का सूत्र - प्रत्येक गतिमान द्रव्य कण के साथ एक तरंग सम्बद्ध होती है, जिसे डी- ब्रॉगली तरंग कहते हैं। इसकी तरंगदैर्ध्य को डी- ब्रॉगली तरंगदैर्ध्य कहते हैं। जब कभी m द्रव्यमान का कण v वेग से गतिशील होता है, तो सम्बद्ध डी- ब्रॉगली तरंगदैर्ध्य,

9. बोर के परमाणु प्रारूप के अभिगृहीतों को लिखिए। इसके आधार पर हाइड्रोजन परमाणु के बोर कक्षा की त्रिज्या के लिए सूत्र निगमित कीजिए।

उत्तर : परमाणु के बोहर मॉडल के अभिगृहीत (हाइड्रोजन परमाणु का बोर मॉडल): नील्स बोहर ने कवाण्टम सिद्धान्त के आधार पर रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में उपस्थित कमियों को दूर किया। इन कमियों को दूर करने के लिए बोहर ने निम्न तीन परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की है-

(i) इलेक्ट्रॉन लगातार बिना ऊर्जा खोए अपनी अनुमत कक्षाओं में घूमते रहते हैं। इस प्रकार प्रत्येक कक्षा की ऊर्जा की मात्रा निश्चित होती है। अतः इन्हे ऊर्जा स्तर भी कहते हैं। प्रदर्शित चित्र में एक परमाणु के ऊर्जा स्तरों को स्पष्टतः दिखाया गया है।

इन कक्षाओं ( या कोशों) को K, L, M, N... अक्षरों या सख्याओं 1, 2, 3, 4 ..... से प्रदर्शित किया जाता है।

(iii) साधारणतयाः इलेक्ट्रॉन, परमाणु में निम्नतम ऊर्जाओं की कक्षाओं में रहते हैं। यह अवस्था उनकी मूल अवस्था (Ground State) कहलाती है। जब इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा से उच्च ऊर्जा वाली कक्षा में जाता है, तो ऊर्जा का अवशोषण होता है, तथा जब इलेक्ट्रॉन अपनी कक्षा से निम्न ऊर्जा की कक्षा में जाता है, तो ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, अर्थात् किसी परमाणु द्वारा ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन केवल तब होता है, जब इलेक्ट्रॉन एक ऊर्जा स्तर से दूसरे ऊर्जा स्तर तक जाता है।


10. सौर सेल क्या हैं? सौर सेल की संरचना एवं कार्यविधि लिखिए।

उत्तर: सौर सेल (Solar Cell) - सौर सेल मूल रूप से p-n सन्धि डायोड है जो अपने ऊपर पड़ने वाले सौर विकिरण को विद्युत ऊर्जा में परिणत करती है। सौर सेल के निर्माण करने के लिए सिलिकॉन (Si ) का उपयोग करते हैं क्योंकि सौर विकिरण की अधिकतम ऊर्जा लगभग 1.5eV के कोटि की होती है जो सिलिकॉन (Si) के ऊर्जा बैण्ड अन्तराल अर्थात् Eg = 1.2ev से अधिक है। 

सिद्धान्त - सूर्य का प्रकाश जब सिलिकॉन क्रिस्टल के अवक्षय परत पर डालते हैं तो सुगमता से सह-संयोजक बन्ध टूट जाता है । फलस्वरूप इलेक्ट्रॉन कोटर युग्म उत्पन्न होता है । 

संरचना - आजकल सौर सेल बनाने के लिए गैलियम आर्सेनाइड (GaAs) का उपयोग करते हैं जिसका ऊर्जा बैण्ड अन्तराल ( Energy Band Gap ) अर्थात् Eg = लगभग 1.43 eV है तथा इनकी अवशोषण क्षमता बहुत अधिक होती है। सौर सेल को प्लास्टिक या काँच के आवरण में इस प्रकार रखा जाता है सतह सूर्य की ओर हो वह पारदर्शी हो, बाकी पृष्ठ को या तो काला या किसी हल्की धातु के आवरण से ढक दिया जाता है। चित्र में p-n सौर सेल दर्शाया गया है। लगभग 300μm मोटी p-टाइप सिलिकॉन पटलिका ली जाती है जिसके एक फलक पर n - टाइप सिलिकॉन (Si) की एक पतली (0.3μm ) परत विसरण प्रक्रिया द्वारा वर्धित की जाती है।

p - टाइप पदार्थ के दूसरे फलक पर किसी धातु का लेपन ( पश्च स्पर्श) किया जाता है । n-टाइप पदार्थ की सतह के शीर्ष पर अँगुलीनुमा धातु की पट्टियाँ लगाई जाती हैं, जो इलेक्ट्रोड का कार्य करती हैं।

कार्य विधि - सेल के p-पृष्ठ पर आपतित सूर्य का प्रकाश p-n सन्धि पर पहुँच कर वहाँ उपस्थित सहसंयोजी बन्धों को तोड़कर इलेक्ट्रॉन - कोटर युग्म उत्पन्न कर देता है । p-सतह के आवेश अवक्षय क्षेत्र में उत्पन्न इलेक्ट्रॉन अवक्षय क्षेत्र में पहले से विद्यमान वैद्युत क्षेत्र
Ei जो n से p की ओर दिष्ट होता है, के कारण n-क्षेत्र की ओर चले जाते हैं। परिणामस्वरूप इलेक्ट्रॉन कोटर युग्म के, कोटर p- क्षेत्र की सतह पर आ जाते हैं। इसी प्रकार n - क्षेत्र में आपाती फोटॉनों के अवशोषण से उत्पन्न कोटर अवक्षय क्षेत्र में उपस्थित विद्युत क्षेत्र के
कारण p-सतह की ओर आकर्षित हो जाते हैं। परिणामस्वरूप n-क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन - कोटर युग्म के इलेक्ट्रॉन बचे रह जाते हैं और अन्ततः सतह पर आ जाते है। निर्णायक रूप से p-क्षेत्र में अतिरिक्त कोटर तथा n-क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनों की उपस्थिति से यह युक्ति एक बैटरी की
भाँति व्यवहार करने लगती है। जिसके सिरे के मध्य एक विभवान्तर स्थापित हो जाता है जिसे अबाध परिपथ विभवान्तर कहते है । चित्र

(a) इसे Vi से प्रदर्शित किया गया है।

 

Self Studies Home Quiz Quiz Self Studies Short News Self Studies Web Story
Self Studies Get latest Exam Updates
& Study Material Alerts!
No, Thanks
Self Studies
Click on Allow to receive notifications
Allow Notification
Self Studies
Self Studies Self Studies
To enable notifications follow this 2 steps:
  • First Click on Secure Icon Self Studies
  • Second click on the toggle icon
Allow Notification
Get latest Exam Updates & FREE Study Material Alerts!
Self Studies ×
Open Now