Self Studies

वाख Test 1

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वाख Test 1
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Self Studies

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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    1 / -0

    कवयित्री के दुख का कारण क्या है?

    Solution

    कवयित्री के दुख कारण है ईश्वरीय मिलन में बाधा उत्पन्न होना है। कहीं-न-कहीं आकर उसे पता चलता है कि उसने जो प्रयास किए वह ईश्वर को प्राप्त करने के लिए काफी नहीं है। वह विभिन्न तरह के उपाय करती है परन्तु ईश्वर से उसका मिलन नहीं हो पा रहा है। वह इससे दुखी हो उठती है।

    सही उत्तर (ख) है।

  • Question 2
    1 / -0

    रस्सी कच्चे धागे की, खींच रही मैं नाव।

     

     प्रस्तुत पंक्ति में लेखिका की भाषा किस प्रकार की प्रतीत होती है?

    Solution

    प्रस्तुत पंक्ति में लेखिका की भाषा दार्शनिक प्रतीत होती है। दार्शनिक का अर्थ होता है विचारों को सूक्ष्मता से समझने वाला या देखने वाला। इससे तत्वज्ञानी के नाम से भी जाना जाता है। कवयित्री ऐसी ही  व्यक्ति हैं। इस पंक्ति में वह स्पष्ट रूप से झलकता है।

    सही उत्तर (क) है।

  • Question 3
    1 / -0
    हर मनुष्य यह बात जानता है कि पृथ्वी के कण-कण में ईश्वर बसता है। बहुत से संतों ने इस बात को बार-बार अपनी रचनाओं में दोहराया भी है।

     

    ऊपर दिए कथन को पढ़िए और बताइए कि संतों का ऐसा करने के पीछे क्या उद्देश्य रहा होगा?

    Solution

    इस बात को संतों ने बार-बार अपनी रचनाओं में दोहराया है। उनका यही उद्देश्य रहा है कि वह लोगों को ईश्वर की व्यापकता के दर्शन करवा सकें। इस तरह लोगों को गलत कार्य को करने से रोका जाता है। ताकि मनुष्य को सदैव इस बात का भय रहे कि ईश्वर तो सर्वव्यापक है। उसके द्वारा किए गए कार्यों को वह देख रहे हैं।

    सही उत्तर (क) है।

  • Question 4
    1 / -0

    खा-खाकर कुछ पाएगा नहीं

     

    ऊपर दिए कथन में लेखिका किसे खाने की बात करती हैं?

    Solution

    कवयित्री के अनुसार सांसारिक वस्तुएँ के लगातार खाने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है और यदि तो इनको नहीं खाता है, तो तुझे अंहकार उत्पन्न हो जाएगा कि मैंने इन पर नियंत्रण हासिल कर लिया है। ऐसी स्थिति में कल्याण नहीं होता है। अत: इसके स्थान पर स्वयं की सभी प्रकार की इंद्रियों में नियंत्रण रखना आवश्यक है।

    सही उत्तर (घ) है।

  • Question 5
    1 / -0

    'सुषुम्ना नाड़ी' का उल्लेख ललद्यद ने वाख में किया है। 'सुषुम्ना नाड़ी' का प्रयोग लेखिका ने किसे दर्शाने हेतु किया होगा?

    Solution

    ललद्यद ने 'सुषुम्ना नाड़ी' का प्रयोग योग-साधना को दर्शाने हेतु किया है। उनके अनुसार उन्होंने अपना आधा जीवन योग-साधना करने में बिता दिया परन्तु ईश्वर के दर्शन नहीं कर पाई। उन्हें लगता है कि उन्होंने अपना बहुत-सा कीमती समय नष्ट कर दिया है। 

    सही उत्तर (ख) है।

  • Question 6
    1 / -0

    'साहिब से पहचान करने' का अर्थ ललद्यद ने क्या लिया है?

    Solution

    साहिब से पहचान करने का अर्थ ललद्यद ने लिया है स्वयं को जानना। उनके अनुसार जिस मनुष्य ने स्वयं को जान लिया उसने ईश्वर को भी पहचान लिया। ललद्यद का मानना है कि मनुष्य स्वयं की कमजोरियों, कमियों और बुराइयों की तरफ से आँखें बंद करके रखता है। वह आशा रखता है कि ईश्वर उसे अपनी कृपा का पात्र बनाएँगे। वह वर्त, रोज़े, नमाज, पूजा इत्यादि करके ईश्वर की कृपा को पाने के लिए प्रयास करता रहता है। ये सब उसे ईश्वर से नहीं मिला पाते हैं। जिस दिन वह अपने ह्दय में झाँकना आरंभ कर देता है ईश्वर के निकट आता चला जाता है। अत: ललद्यद मनुष्य को स्वयं को जानने के लिए कहती है।

    सही उत्तर (ग) है।

  • Question 7
    1 / -0

    वाख में ललद्यद सांकल शब्द का प्रयोग करती है। बताइए यह सांकल किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग में लायी गई होगी?

    Solution

    कवयित्री ने मोह-माया के बंधनों को 'सांकल' के रूप में लिया है। उनके अनुसार मनुष्य इनमें जकड़ा रहता है। इनसे छुटकारा पाने के बाद ही मनुष्य मुक्ति पा सकता है और अपने ईश्वर से मिल सकता है।  

    सही उत्तर (ग) है।

  • Question 8
    1 / -0

    थल-थल में बस्ता है शिव ही,

    भेद न कर क्या हिंदू-मुसलमां।

    ज्ञानी है तो स्वयं को जान,

    वही हैं साहिब से पहचान।।

     

    ऊपर दिए वाख में किस प्रकार का संदेश दिया गया है?

    Solution

    ऊपर दिए वाख में लेखिका धार्मिक सद्भावना को बढ़ाने का संदेश देती है। उनके अनुसार दोनों धर्म के लोग एक हैं। वे कहती हैं कि धर्म के नाम पर लड़ने से अच्छा है कि स्वयं को जानने का प्रयास करें तभी भगवान को जाना जा सकता है।

    सही उत्तर (घ) है।

  • Question 9
    1 / -0

    ईश्वर के लिए कवयित्री ने किन दो शब्दों का प्रयोग किया है?

    Solution

    ईश्वर के लिए कवयित्री साहिब और शिव दो शब्दों का प्रयोग करती है।

    सही उत्तर (ख) है।

  • Question 10
    1 / -0
    1. जाने कब सुन मेरी पुकार, करें देव भवसागर पार।
    2. जी में उठती रह-रह हूक, घर जाने की चाह है घेरे।
    3. सुषुम-सेतु पर खड़ी थी, बीत गया दिन आह!

     

    ऊपर दिए रेखांकित शब्दों में किस-किस अंलकार की छटा बिखरी हुई है? नीचे दिए विकल्पों के आधार पर बताइए।

    Solution

    1. भवसागर में रूपक अंलकार है। कारण भव का अर्थ होता है; जन्म लेता हुआ या सांसारिक जीवन। जिस प्रकार सागर का क्षेत्र बहुत विशाल होता है और उसकी गहराई अथाह होती है, वैसी ही सांसारिक जीवन भी होता है। यहाँ रूप और गुण को बहुत अधिक समानता के कारण उपमेय (भव) में उपमान (सागर) को आरोपित कर दिया गया है तथा मान लिया गया है कि संसार सागर के समान है। इस कारण से इनके बीच का अंतर समाप्त हो जाने से वह एक हो गए हैं। अत: यहाँ रूपक अलंकार है।

    2. रह-रह कर में पुनरुक्ति प्रकार अंलकार है कारण 'रह' शब्द की आवृत्ति इसी अर्थ में हुई है। अत: यह पुनरुक्ति अंलकार है।

    3. सुषुम-सेतु में 'स' वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति के कारण अनुप्रास अंलकार है।

    सही उत्तर (क) है।

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