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Hindi Mock Test...

TIME LEFT -
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

    लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  लोक और साहित्य।  लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है।  यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है।  यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।

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    लोक साहित्य किसका प्रतिनिधित्व करता है? 

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

    लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  लोक और साहित्य।  लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है।  यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है।  यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।

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    लोक साहित्य किसका दर्पण होता है? 

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

    लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  लोक और साहित्य।  लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है।  यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है।  यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।

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    लोक साहित्य नहीं है - 

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

    लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  लोक और साहित्य।  लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है।  यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है।  यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।

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    लोक साहित्य किससे कोसों दूर है?

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए - 

    लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है  लोक और साहित्य।  लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है।  यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है।  यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।

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    उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा - 

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।

    साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।

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    गद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है?

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।

    साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।

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    पुस्तकालयों के द्वारा भारत को क्या गौरव प्राप्त था?

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।

    साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।

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    पुराने समय में पुस्तकालय में अधिक व्यय क्यों होता था?

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।

    साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।

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    साहित्य की उन्नति का सबसे अधिक महत्वपूर्ण साधन क्या है-

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।

    साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।

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    पुस्तकालय का प्रारम्भ कब से हुआ?

  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।

    उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

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    उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए ?

  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।

    उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

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    गद्यांश में खूँखार का क्या अर्थ है ?

  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।

    उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

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    निम्नलिखित में कौन - सा कथन सही है ?

  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।

    उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

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    स्फूर्ति से क्या आशय है ?

  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।

    उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

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    किस पशु की छलाँग शेर से तेज होती है ?

  • Question 16
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-

    एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।

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    कृषि प्रधान देश में अस्पृश्यों की जीविका का साधन क्या है? 

  • Question 17
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-

    एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।

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    अस्पृश्य वाजिब मजदूरी को मना नहीं कर सकते क्योंकि- 

  • Question 18
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-

    एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।

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    भारत के किस प्रांत में ‘भूमि स्वामित्व अधिनियम’ बना है? 

  • Question 19
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-

    एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।

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    अस्पृश्य से क्या आशय है? 

  • Question 20
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-

    एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।

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    दिए गए विकल्पों में कौन सा कथन अनुचित है? 

  • Question 21
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

    पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया

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    परीक्षित को किस ऋषि ने शाप दिया था?

  • Question 22
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

    पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया

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    जनमेयज ने कौन-सा यज्ञ किया?

  • Question 23
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

    पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया

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    जनमेजय के यज्ञ की प्रशंसा किसने की?

  • Question 24
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

    पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया

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    जनमेजय को वर देने से किसने मना किया?

  • Question 25
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

    पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया

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    जनमेजय के पिता का नाम क्या था?

  • Question 26
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

    राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |

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    राजा दशरथ के कितने विवाह हुए?

  • Question 27
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

    राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |

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    महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या सलाह दी?

  • Question 28
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

    राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |

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    महर्षि वशिष्ठ ने यज्ञ कराने के लिए किस महर्षि का नाम सुझाया?

  • Question 29
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

    राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |

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    राजा दशरथ ने किससे सलाह लेना आरंभ किया?

  • Question 30
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |

    राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |

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    राजा दशरथ के कुल पिता कौन थे?

  • Question 31
    5 / -1

    धर्म से भ्रष्ट = धर्मभ्रष्ट कौन सा समास है?

  • Question 32
    5 / -1

    "सदैव" में सन्धि है :

  • Question 33
    5 / -1

    निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य संयुक्त वाक्य का उदाहरण है?

  • Question 34
    5 / -1

    सही विकल्प का चयन करे जो वाक्यांशों के लिए एक शब्द है |

    जो सब कुछ जानता है |

  • Question 35
    5 / -1

    'अनुराग' शब्द का विलोम होता है:

  • Question 36
    5 / -1

    निम्न में से कौनसा शिव का सही अनेकार्थक शब्द है ?

  • Question 37
    5 / -1

    'प्रगति' में किस उपसर्ग का प्रयोग हुआ है?

  • Question 38
    5 / -1

    निम्नलिखित में से ‘भवन’ शब्द में कौन-सी संधि होगी?

  • Question 39
    5 / -1

    जो लोग समय का ख्याल नहीं रखते उनकी ________ की जाती है।

  • Question 40
    5 / -1

    दिए गए वाक्य में उचित संज्ञा का उपयोग करके रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।

    कभी - कभी लोग क्रोध में अपना ______ खो बैठते थे

  • Question 41
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए मुहावरे का सही अर्थ हो।

    आग पर लोटना-

  • Question 42
    5 / -1

    'तन पर नहीं लत्ता, पान खाए अलबत्ता' लोकोक्ति का अर्थ है -

  • Question 43
    5 / -1

    'अश्व' का पर्याय नहीं हैः

  • Question 44
    5 / -1

    'उदय' का निम्न में से कौन सा सही विलोम शब्द है?

  • Question 45
    5 / -1

    विस्यमादिबोधक वाक्य कौन सा है।

  • Question 46
    5 / -1

    'प्रकोष्ठ' शब्द का अर्थ है-

  • Question 47
    5 / -1

    ‘तप्त’ शब्द का अर्थ निम्नलिखित में से कौन सा है? 

  • Question 48
    5 / -1

    'अपने मौलिक बात कही है।' वाक्य में विशेषण पद हैः

  • Question 49
    5 / -1

    निम्न विकल्पों में से निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन का विकल्प चुनिए।

    मानसी दिल्‍ली जा रही है (कर्मवाच्य)

  • Question 50
    5 / -1

    अदोष का विलोम है___________।

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