Self Studies

Hindi Mock Test...

TIME LEFT -
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    गाँधी जी किसका मुकदमा लड़ने के लिए डरबन गए थे?

  • Question 2
    5 / -1

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    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    रात्रिभोज का आयोजन किसकी विदाई के लिए किया गया था?

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    गद्यांश में किस समाचार पत्र का उल्लेख किया गया है?

  • Question 4
    5 / -1

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    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    मताधिकार संशोधन विधेयक का क्या उद्देश्य था?

  • Question 5
    5 / -1

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    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    लोग गाँधीजी से रुकने का आग्रह करने लगे क्योंकि -

  • Question 6
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    वीणा अवश्य कब बोलेगी?

  • Question 7
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    कला के लिए एकदम विरोधी स्थिति कौन-सी है ? 

  • Question 8
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'असाध्य वीणा' कविता के दुसरे पक्ष में कौन अकेला है ? 

  • Question 9
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य किसके लिए लिखा गया है ? 

  • Question 10
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'दर्प' से तात्पर्य है ? 

  • Question 11
    5 / -1

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    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    ऊन से बनाया जा सकता है -

  • Question 12
    5 / -1

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    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    महीन ऊन किस काम में लाया जाता है?

  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    ऊन के उपयोग का निर्धारण किस विशेषता के आधार पर नहीं किया जा सकता है?

  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    एक भेड़ साल भर में कितने किलोग्राम ऊन प्रदान करती है?

  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    निम्न में से कौन सा कथन सही है?

  • Question 16
    5 / -1

    ‘घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने’ लोकोक्ति का सही अर्थ होगा-

  • Question 17
    5 / -1

    मिताहारी’ शब्द के लिए वाक्यांश छाँटिए -

  • Question 18
    5 / -1

    श्याम की 1) / खो गई 2) / कमीज़ 3) / उजली 4)

    वाक्य संरचना का सही क्रम क्या है?

  • Question 19
    5 / -1

    सप्तसिंधु का समास विग्रह होगा

  • Question 20
    5 / -1

    दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए। 

    जगत के ______ रूप को देखकर मोहित न होइए। 

  • Question 21
    5 / -1

    'तत्रैव' का संधि-विच्छेद है

  • Question 22
    5 / -1

    निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य है?

  • Question 23
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1)  जो दो शब्दों के मेल

    (य) और जिनके 

    (र) खंड सार्थक

    (ल) होते है 

    (व्) से बनते है 

    (6) यौगिक शब्द कहते है 

  • Question 24
    5 / -1

    'दूल्हे को पत्तल नहीं, बरातियों को थाली' लोकोक्ति का क्या अर्थ है?

  • Question 25
    5 / -1

    मुझ पर 1) / करें 2) / दया 3) / हे देव 4)

    वाक्य संरचना का सही क्रम क्या है?

  • Question 26
    5 / -1

    संभवतः आज वर्षा हो जाये।

    अर्थ के आधार पर उपयुक्त वाक्य का भेद पहचानिये।

  • Question 27
    5 / -1

    ‘ज्योति’ का विपरीतार्थक शब्द है - 

  • Question 28
    5 / -1

    "मैंने स्वयं देखा था कि राजू खेल रहा था।" वाक्य का प्रकार है:

  • Question 29
    5 / -1

    ‘युद्ध की इच्छा रखने वाला’ वाक्यांश के लिए एक शब्द है।

  • Question 30
    5 / -1

    'पांडवों को तेरह वर्ष तक वन में रहना पड़ा।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह कौन-सा पर्यायवाची शब्द उपयुक्त हो सकता है?

  • Question 31
    5 / -1

     सजग शब्द का विलोम निम्न में से चयन कीजिए।

  • Question 32
    5 / -1

    दस है आनन जिसके = दशानन (रावण) यह कौन-सा समास है ?

  • Question 33
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थान की पूर्ति उपयुक्त विकल्प के द्वारा कीजिये।

    दिन के प्रकाश में _________ का _________ गहरे-नीले रंग के सतह जैसा प्रतीत होता है।

  • Question 34
    5 / -1

    "आपकी परीक्षाएँ अच्छी हों" अर्थ की दृष्टि से यह किस प्रकार का वाक्य है?

  • Question 35
    5 / -1

    ‘प्रवेश’ का विलोम शब्द निम्र में से कौन सा है?

  • Question 36
    5 / -1

    'जलवृष्टि के कारण चारों ओर हरियाली छा गई।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह कौन-सा पर्यायवाची शब्द उपयुक्त हो सकता है?

  • Question 37
    5 / -1

    'उन्मुख' का पर्यायवाची शब्द कौन सा है? 

  • Question 38
    5 / -1

    'कभी' का संधि विच्छेद होगाः

  • Question 39
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थान की पूर्ति उपयुक्त विकल्प के द्वारा कीजिये।

    मानव संसाधन के विकास का मूल _________ है।

  • Question 40
    5 / -1

    'सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े' लोकोक्ति का सही अर्थ क्‍या है?

  • Question 41
    5 / -1

    'नर-नारी' का सामासिक विग्रह क्या होगा-

  • Question 42
    5 / -1

    'आसक्त' का विलोम हैः

  • Question 43
    5 / -1

    ‘किसी बात के मर्म को जानने वाला’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है -

  • Question 44
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) सरहपा- ‘दोहा-कवि’

    य) सेवा के महत्व को

    र) गुरु की

    ल) इनकी प्रमुख

    व) रचना है l इस पुस्तक में

    (6) दर्शाया गया है l

  • Question 45
    5 / -1

    'वह साहित्य जिसमें गद्य और पद्य दोनों मिश्रित हों' - के लिए सार्थक शब्द है:

  • Question 46
    5 / -1

    रसोई का घर = 'रसोईघर' यह कौन सा समास है ?

  • Question 47
    5 / -1

    निम्न विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए संधि-विच्छेद शब्द के सही संधि का विकल्प है।

    रजनी + ईश

  • Question 48
    5 / -1

    'प्रियभाषी' का पर्यायवाची शब्द कौन सा है?

  • Question 49
    5 / -1

    "निस्तार" में प्रयुक्त संधि का नाम बताइए?

  • Question 50
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

    गुरु वह है  जो _________ दे।

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