Self Studies

Hindi Mock Test - 14

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Hindi Mock Test - 14
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    गाँधी जी किसका मुकदमा लड़ने के लिए डरबन गए थे?
    Solution

    गाँधी जी मुकदमा लड़ने के लिए डरबन गए थे- अब्दुल्ला एंड कंपनी 

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:- 

    • डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था।
    • इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे।
    • अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे।

    Additional Informationकंपनी:- 

    • अर्थ: फ़ैक्टरी, सेना का एक विभाग।

    मर्चेंट:-

    • अर्थ: व्यापारी, सौदागर, ताजिर, बनिया, महाजन।

    सॉफ्टवेयर:-

    • सामान्य शब्दों में Program के समूह को Software कहा जाता हैं।
    • कंप्यूटर से कार्य संपन्न करवाने के लिए उसे कुछ निर्देश देने होते हैं।
    • इन निर्देशों के समूह को हम कंप्यूटर प्रोग्राम कहते हैं तथा संबंधित प्रोग्रामों के समूह को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर कहते हैं।
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    रात्रिभोज का आयोजन किसकी विदाई के लिए किया गया था?
    Solution

    रात्रिभोज का आयोजन विदाई के लिए किया गया था- महात्मा गाँधी 

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:-

    • 22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था।
    • इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे।
    • अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। 

    Additional Informationमहात्मा गाँधी:- 

    • महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता और 'राष्ट्रपिता' माना जाता है।
    • महात्मा गांधी के जन्मदिवस को ‘अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
    • महात्मा गांधी के प्रमुख राष्ट्रवादी आंदोलनचंपारण आंदोलन (1917), खेड़ा आंदोलन (1918), खिलाफत आंदोलन (1919),असहयोग आंदोलन (1920), भारत छोड़ो आंदोलन (1942) आदि

    पंडित जवाहरलाल नेहरू:-

    • पंडित जवाहरलाल नेहरू (जन्म: 14 नवम्बर, 1889; मृत्यु: 27 मई, 1964) भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महान् सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री (1947-1964) थे।
    •  जवाहर लाल नेहरू, संसदीय सरकार की स्थापना और विदेशी मामलों में 'गुटनिरपेक्ष' नीतियों के लिए विख्यात हुए।

    नेताजी सुभाषचंद्र बोस:-

    • नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी सन् 1897 को ओड़िशा के कटक शहर में हिन्दू कायस्थ परिवार में हुआ था।
    • उनके पिता का नाम जानकीनाथ बोस और माँ का नाम प्रभावती था।
    • जानकीनाथ बोस कटक शहर के मशहूर वकील थे।
    • नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज का गठन किया था
    • दिल्ली चलो का नारा सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया था।
    • उन्होंने 1944 में इस नारे का प्रयोग भारतीय राष्ट्रीय सेना (आईएनए) को प्रेरित करने के लिए किया था,
    • जब आईएनए ने बर्मा के खिलाफ अपना सैन्य अभियान शुरू किया था।

    गोपाल कृष्ण गोखले:-

    • गोपालकृष्ण गोखले का जन्म रत्‍‌नागिरी कोटलुक ग्राम में एक सामान्य परिवार में कृष्णराव के घर 9 मई 1866 को हुआ।
    • पिता के असामयिक निधन ने गोपालकृष्ण को बचपन से ही सहिष्णु और कर्मठ बना दिया था।
    • देश की पराधीनता गोपालकृष्ण को कचोटती रहती।
    • राष्ट्रभक्ति की अजस्र धारा का प्रवाह उनके अंतर्मन में सदैव बहता रहता।
    • भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी रहे गोपाल कृष्ण गोखले महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही एक मंझे हुए राजनीतिज्ञ भी थे
    • उन्होंने गांधी जी को देश के लिए लड़ने की प्रेरणा दी. वो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु थे
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    गद्यांश में किस समाचार पत्र का उल्लेख किया गया है?
    Solution

    गद्यांश में समाचार पत्र का उल्लेख किया गया है- 'नेटाल मर्करी' 

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:-

    • तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा।
    • लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। 

    Additional Informationइंडियन एक्सप्रेस:-

    • इंडियन एक्सप्रेस एक अंग्रेजी भाषा का भारतीय दैनिक समाचार पत्र है।
    • यह इंडियन एक्सप्रेस ग्रुप द्वारा मुंबई में प्रकाशित किया जाता है।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    मताधिकार संशोधन विधेयक का क्या उद्देश्य था?
    Solution

    मताधिकार संशोधन विधेयक का उद्देश्य था- भारतीयों को मताधिकार से वंचित करना

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:-

    • लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए।
    • दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी।
    • इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है।
    • इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। 

    Additional Informationवंचित:-

    • अर्थ: जिसे वांछित वस्तु प्राप्त न हुई हो या प्राप्त करने से रोका गया हो, महरूम
    • विलोम शब्द- 'अवांछित'
    • विशेषण शब्द 

    व्यापार:-

    • अर्थ: व्यवसाय, रोजगार, वाणिज्य, बिजनेस, उद्योग धंधा।

    अवसर:-

    • अर्थ: मौका, अनुकूल समय, सुयोग, ठीक समय
    • विलोम शब्द- 'अनवसर' 
    • पुल्लिंग

    उपलब्ध:-

    • अर्थ: जो सुलभ या प्राप्त हो, सुलभ, जो मिल सकता हो, 
    • विलोम शब्द- 'अनुपलब्ध'
    • विशेषण शब्द 

    मताधिकार:-

    • अर्थ: राज्य के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार चलाने के हेतु, अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं।
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उतर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    22 मई 1894 की शाम थी। डरबन स्थित अब्दुल्ला के घर पर महात्मा गाँधी की विदाई व रात्रिभोज का आयोजन था। इस आयोजन में प्रिटोरिया डरबन और नेटाल के भारतीय आए थे। अब्दुल्ला एंड कंपनी के मुकदमे को निपटाने के बाद महात्मा गाँधी वापसी आने के लिए तैयार थे। तभी एक भारतीय व्यापारी ने महात्मा गाँधी को 'नेटाल मर्करी' नामक एक समाचार पत्र दिया और उनसे 'इंडियन फ्रेंचाईज़' नामक शीर्षक से छपा लेख पढ़ने के लिए कहा। लेख पढ़ने के बाद महात्मा गाँधी गंभीर हो गए। दरअसल यह लेख नेटाल विधानसभा में पेश किए गए मताधिकार संशोधन विधेयक के विषय में जिसमें भारतीयों को मताधिकार से वंचित करने के सभी पक्षों की विवेचना थी। इसका सारांश यह था कि जिन लोगों ने अपने देश में मताधिकार का उपयोग नहीं किया उन्हें दूसरे देश में मताधिकार देने का कोई मतलब नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य तो भारतियों के व्यापार को रोकना था। हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए। अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया। विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे। भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। उन्होंने समारोह को नेटाल इंडियन कांग्रेस में बदलकर भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

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    लोग गाँधीजी से रुकने का आग्रह करने लगे क्योंकि -
    Solution

    लोग गाँधीजी से रुकने का आग्रह करने लगे क्योंकि - वे चाहते थे कि गाँधीजी उनके लिए मताधिकार संशोधन विधेयक का विरोध करें

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:- 

    • हालात को बद से बदतर बनाने वाले कानून की जानकारी ने भारतीयों के होश उड़ा दिए।
    • अब विदाई समारोह विधेयक परिचर्चा में बदल गया।
    • विदा करने आए लोग गाँधी जी से रुकने का आग्रह करने लगे।
    • भारतीयों की पीड़ा और परेशानी देखकर गाँधी जी काफी व्यथित हो गए। 
    • उन्होंने भारतीयों के निवेदन को स्वीकार करते हुए कहा कि विधेयक का विरोध सार्वजनिक कार्य है और इसके लिए वह किसी भी प्रकार का शुल्क नहीं लेंगे। 

    Additional Informationप्रेम:- 

    • अर्थ: प्यार मोहब्बत, इश्क, अनुराग, प्रणय, स्नेह, अनुरक्ति।
    • विलोम शब्द- 'घृणा'
    • पुल्लिंग

    स्वभाव:-

    • अर्थ: चरित्र, करनी, फ़ितरत, आदत, अंदाज़, सहज प्रकृति, नेचर।
    • पुल्लिंग

    संशोधन:-

    • सम् + शोधन = संशोधन
    • 'सम्' उपसर्ग और 'शोधन' मूल शब्द 
    • अर्थ: ठीक करना, दुरुस्त करना, शुद्ध करना, साफ़ करना।

    विधेयक:-

    • अर्थ: विधि का प्रारूप या रूपरेखा

    समर्थन:-

    • अर्थ: किसी के मत या विचार पर सहमति जताने की क्रिया, अनुमोदन।
    • विलोम शब्द- 'विरोध'
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    वीणा अवश्य कब बोलेगी?
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है।

    वीणा सृजन का प्रतीक बन कर आती है। ‘वीणा बोलेगी अवश्य ‘- मनुष्य की सृजन शक्ति में आस्था को अभिव्यक्ति मिलती है और इसमें राजा की आस्था वास्तव में अज्ञेय की आस्था है।

    यहाँ जो आस्था और विश्वास है , राम की शक्ति पूजा में यही विश्वास जामवंत को भी है।

    जापानी लोककथा के भारतीय संस्करण की पृष्ठभूमि में सर्जनात्मक रहस्यवाद की अभिव्यक्ति और इस क्रम में यहाँ पर सर्जना की अर्हता का संकेत।

    विजय देव नारायण साही और रमेश चंद्र साह ने अज्ञेय को प्रसाद के सांस्कृतिक भाव बोध के करीब माना है और यहाँ पर अज्ञेय अस्तित्ववादी अनास्था को भारतीय जीवन परक आस्था के जरिये प्रतिस्थापित करते हुए उनकी इस मान्यता की पूर्ति करते हैं। अतः स्पष्ट है कि विकल्प जब उसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा I सटीक है अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    कला के लिए एकदम विरोधी स्थिति कौन-सी है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है।जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कला और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। अतः स्पष्ट है कि विकल्प कलाकार का शासन की भाषा बोलना सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

    ...view full instructions

    'असाध्य वीणा' कविता के दुसरे पक्ष में कौन अकेला है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प प्रियंवद सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

    ...view full instructions

    'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य किसके लिए लिखा गया है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है। 'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य राजा के लिए लिखा गया है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, दवेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प राजा सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'दर्प' से तात्पर्य है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने 'दर्प' से तात्पर्य यहाँ अहंकार से है। क्योंकि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प अहंकार सटीक है अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    यहाँ जो आस्था और विश्वास है , राम की शक्ति पूजा में यही विश्वास जामवंत को भी है।

    जापानी लोककथा के भारतीय संस्करण की पृष्ठभूमि में सर्जनात्मक रहस्यवाद की अभिव्यक्ति और इस क्रम में यहाँ पर सर्जना की अर्हता का संकेत।

    विजय देव नारायण साही और रमेश चंद्र साह ने अज्ञेय को प्रसाद के सांस्कृतिक भाव बोध के करीब माना है और यहाँ पर अज्ञेय अस्तित्ववादी अनास्था को भारतीय जीवन परक आस्था के जरिये प्रतिस्थापित करते हुए उनकी इस मान्यता की पूर्ति करते हैं।

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    ऊन से बनाया जा सकता है -
    Solution
    ऊन से 'कपड़ा' बनाया जा सकता है।  Key Points
    • ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है
    • ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है
    • महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। 
    • महीन ऊन मुख्य रूप से कपडो के लिए उपयोग किया जाता है Additional Information
      शब्द  पर्यायवाची 
       लम्बाई विशालता , चौड़ाई , विस्तार , फैलाव
      नस्ल कुल, वंश, ख़ानदान, रेस।
      रस्सी जेवरी , ताँत , डोरी , डोर , सुतली
      छाताछतरी, छत्र, छत्ता।
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    महीन ऊन किस काम में लाया जाता है?
    Solution
    महीन ऊन  कपड़ा बनाने में काम में लाया जाता है Key Points
    • महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है
    • जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। 
    • एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है
    •  10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है।Additional Information
      शब्द पर्यायवाची
      चादरविशालता , चौड़ाई , विस्तार , फैलाव
      कालीनकार्पेट, गलीचा, गिलिम, दुलीचा। 
      रस्सी डोरी,तार इत्यादि
       बिस्तर शय्या, बिछौना, बिछावन।
      पर्याप्तकाफी, बहुत, प्रचुर, पूरा, भरपूर, विपुल।
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

    ...view full instructions

    ऊन के उपयोग का निर्धारण किस विशेषता के आधार पर नहीं किया जा सकता है?
    Solution
    ऊन के उपयोग का निर्धारण 'गलनांक' विशेषता के आधार पर नही किया जा सकता हैAdditional Information
    शब्द पर्यायवाची
    निर्धारणफ़ैसला , व्यवस्थापन , अधिमत  अभिनिर्णय ,अवधार  अवधारण  इनफ़िसाल , नबेड़ा,  निर्णय ,निर्धारण निश्चय
    गलनांक द्रवण-बिंदु , गलनबिंदु।
    आधार मापदंड, कसौटी, आधारशिला
    साजसजावट, सज, सौंदर्य, रूप
    मोटातगड़ा, स्थूल, भारी-भरकम, साधारणतः।
    लम्बाऊँचा , बड़ा , दीर्घ , बड़ा , विशाल , विस्तृत
  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    एक भेड़ साल भर में कितने किलोग्राम ऊन प्रदान करती है?
    Solution
    • एक भेड़ साल भर में  साढ़े चार  किलोग्राम ऊन प्रदान करती है
    • जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है।
    Key Points
    शब्दविलोम
    पर्याप्तअपर्याप्त,अपर्याप्त
    प्रदानआदान
    विशेषताअवगुण
    उपयोग दुरूपयोग
     गुणअवगुण
    अधिकन्यून
    निर्भर अनिर्भर
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर उपयुक्त विकल्पों द्वारा दीजिये-

    ऊन का उपयोग विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है, यह रेशे की मोटाई तथा लम्बाई जैसी विशेषताओं पर निर्भर करता है। भेड़ की नस्ल की परवाह किये बिना, ऊन एक बहुत ही कामगार रेशा है, जिसमें कई अलग - अलग गुण होते हैं और महीन से लेकर मोटे ऊन तक सभी को उपयोग में लिया जाता है। महीन ऊन मुख्य रूप से कपड़ों के लिए उपयोग किया जाता है जबकि मोटे ऊन का उपयोग कालीन और साज सज्जा में किया जाता है। जैसे कि परदे या बिस्तर के लिए। एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है, जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है। यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।  

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    निम्न में से कौन सा कथन सही है?
    Solution
    ऊन के कपड़े गर्मी देते है Key Points
    • एक भेड़ प्रति वर्ष लगभग 4.5 किलोग्राम ऊन प्रदान करती है 
    • जो 10 या अधिक मीटर कपड़े के बराबर होती है।
    • यह छह स्वेटर, तीन सूट और ट्राउजर बनाने के लिए, एक बड़े सोफे या 15 कुर्सियों को ढकने करने के लिए पर्याप्त है।
    • Additional Information
      शब्दपर्यायवाची
      कामगार 'कामदार' , मजदूरी । मजदूरी करे रोजी कमाने वाला व्यक्ति 
      बराबरसमान, तुल्य।
      ऊन
      ऊब ऊना ऊनता ऊधो ऊधमी
      गर्मी ताप, ग्रीष्म, ऊष्मा, गरमी, निदाघ।
      महीनपतला, बारीक़, सूक्ष्म, झीना।
      विशेषताख़ूबी, विशिष्टता।
       अधिक
      अधिकतम ,अधिकतता
  • Question 16
    5 / -1
    ‘घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने’ लोकोक्ति का सही अर्थ होगा-
    Solution

    ‘घर में नहीं दाने अम्मा चली भुनाने’ लोकोक्ति का सही अर्थ होगा-“ना होने पर भी ढोंग करना” अन्य विकल्प अनुचित उत्तर है। अत: विकल्प 4 ना होने पर भी ढोंग करनासही उत्तर होगा।

    Key Points

    • वाक्य प्रयोग- यद्यपि भारत स्वयं अभाव की स्थिति में है तथापि वह पड़ोसी देशों की आर्थिक सहायता को तत्पर है फिर भी भारत के लिये यह नहीं कहा जा सकता कि घर में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने क्योंकि भारत के पास प्रचुर साधन है जिनका सदुपयोग करके भारत खुद भी आत्मनिर्भर हो सकता है तथा पड़ोसियों की भी सहायता कर सकता है। 

    Additional Information

    मुहावरा परिभाषा

    उदाहरण

    मुहावरा का शाब्दिक अर्थ ‘अभ्यास’ है। मुहावरा शब्द अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में ऐसे वाक्यांशों को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोडकर विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।

    अंक भरना- स्नेह से लिपटा लेना

    वाक्य- माँ ने स्नेह से अपने पुत्र को अंक में भर लिया।  

  • Question 17
    5 / -1
    मिताहारी’ शब्द के लिए वाक्यांश छाँटिए -
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 ‘कम भोजन करने वाला’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।

    Key Points

    • ‘कम भोजन करने वाले’ को मिताहारी कहा जाता है।
    • मिताहार शब्द का संधि विच्छेद है ‘मित + आहार = मिताहार।
    • यह दीर्घ संधि का विकल्प है।
    • मित + आहार + ई = मिताहारी।

    अन्य विकल्प:

    • उपवास करने वाला – उपवासी या व्रती
    • कम खर्च करने वाला – अल्पव्ययी
    • कंजूसी बरतने वाला – कंजूस

    Additional Information 

    वाक्यांश

    भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

  • Question 18
    5 / -1

    श्याम की 1) / खो गई 2) / कमीज़ 3) / उजली 4)

    वाक्य संरचना का सही क्रम क्या है?

    Solution

    वाक्य संरचना का सही क्रम 1, 4, 3, 2  है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 '1, 4, 3, 2' सही उत्तर होगा। 

    Key Points

    वाक्य संरचना का सही क्रम 1, 4,3, 2 है- 

    • श्याम की 1) / उजली 4) / कमीज़ 3)/ खो गई 2) 

    Additional Information

    • वाक्य की परिभाषा - दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
    • उदाहरण के लिए 'सत्य की विजय होती है। ' एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है।
    •  पंतजलि ने महाभाष्य में वाक्य की परिभाषा इस प्रकार की है - ‘‘आख्यात साव्यकारक विशेषण वाक्यम्।’’
    •        अर्थात् जहाँ क्रिया अव्यय, कारक तथा विशेषण पद एकत्रा हों, उसे वाक्य कहते हैं।
  • Question 19
    5 / -1
    सप्तसिंधु का समास विग्रह होगा
    Solution

    ‘सप्तसिंधु’ में 'द्विगु' समास है। इसका समास विग्रह होगा- सात सिंधुओं का समूह। अन्य विकल्प गलत हैं । अतः उत्तर सही विकल्प 1 'सात सिंधुओं का समूह​​' है।

    Key Points

    • 'सप्तसिंधु' का समास विग्रह करने पर 'सात सिंधुओं का समूह' होगा।
    • इसमें 'सात' संख्यावाचक विशेषण का प्रयोग होने के कारण द्विगु समास है।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।


    Additional Information

    समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -

    समास का नाम

    परिभाषा 

    उदाहरण 

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    बहुव्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं। 

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

    कर्मधारय समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्यययीभाव समास

    जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे। 

    प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक

    द्वंद्व समास 

    द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।

    माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न 

  • Question 20
    5 / -1

    दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प का चयन कर रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए। 

    जगत के ______ रूप को देखकर मोहित न होइए। 

    Solution

    सही उत्तर विकल्प 3 'वाह्य है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थान के लिए उचित शब्द 'बाह्य' होगा।  
    • पूर्ण शुद्ध वाक्य है - जगत के बाह्य रूप को देखकर मोहित न होइए। 
    • बाह्य का विलोम शब्द आभ्यांतर होगा। 
    • अन्य विकल्प दिए गए रिक्त स्थान में अनुचित होंगे।


    अन्य विकल्प :  

    1. आंतरिक - अंदर का 
    2. विकट - भयानक 
    3. दीर्घ - बड़ा 


    Additional Information

    • सामान्य ज्ञान की रिक्त स्थान पूर्ति अभ्यास का मूल उद्देश्य ज्ञान वर्धन करना है। 
    • साथ ही शब्दों के उचित प्रयोग की जानकारी अर्जित करना है। 
  • Question 21
    5 / -1

    'तत्रैव' का संधि-विच्छेद है

    Solution

    उपरोक्त विकल्पों में विकल्प -1 तत्र + एव सही विकल्प हैl 

    Key Points

    •  'तत्रैव' का संधि-विच्छेद तत्र + एव है 
    •  'तत्रैव' में वृद्धि संधि है
    • नियम- अ + ए = ऐ

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    वृद्धि संधि 

    जब संधि करते समय जब अ , आ के साथ ए , ऐ हो तो ' ऐ ' बनता है और जब अ , आ के साथ ओ , औ हो तो ' औ ' बनता है। उसे वृद्धि संधि कहते हैं।

    जैसे - सदा + एव
    = सदैव  

     
    Additional Information
     

    संधि- दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

    स्वर संधि

    दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।

    स्वार्थ =
    स्व + अर्थ

    व्यंजन संधि

    व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।

    दिग्गज = दिक् + गज

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

    शिरोमणि = शिर: + मणि

     
  • Question 22
    5 / -1
    निम्नलिखित में से कौन-सा वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य है?
    Solution

    ओह! कितनी ठंडी रात है। - यह वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य का प्रकार है। 

    Key Points

    अन्य विकल्प

    • हम यह कार्य नहीं करेंगे। यह निषेध वाचक वाक्य है। 
    • आप जीवन में उन्नति करें। यह इच्छावाचक वाक्य है। 
    • सुमित अब जा चुका होगा। यह संदेह वाचक वाक्य का उदाहरण है। 

    Additional Information

    विशेष

    वाक्य के भेद

    परिभाषा

    उदाहरण

    विधानवाचक

    वे वाक्य जिनसे किसी बात या कार्य के होने का बोध होता है, विधिवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    राजा बाज़ार गया।

    निषेधवाचक

    जिनसे किसी बात या कार्य के न होने अथवा इनकार किए जाने का बोध होता है, निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    कल नेहा घर नहीं गयी थी।

    आज्ञावाचक

    वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार की आज्ञा का बोध होता है, आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।

    श्याम पानी लाओ!

    विस्मयवाचक

    वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार का विस्मय, हर्ष, दुःख, आश्चर्य आदि का बोध होता है, विस्मयवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    अरे! वह उत्तीर्ण हो गया।

    संकेतवाचक

    वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार के संकेत या इशारे का बोध होता है, संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    जो परिश्रम करेगा वह सफल होगा।

    संदेहवाचक

    वे वाक्य, जिनसे किसी प्रकार के सन्देह या भ्रम का बोध होता है, सन्देहवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    वह अब जा चुका होगा।

    प्रश्नवाचक

    वे वाक्य, जिनसे किसी प्रश्न के पूछे जाने का बोध होता है, प्रश्नवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    तुम किस कक्षा में पढ़ते हो?

    इच्छावाचक

    इच्छावाचक वाक्य अर्थात वह वाक्य जिसमें किसी बात या कार्य की कामना की गयी हो।

    ईश्वर आपकी यात्रा सफल करे।

  • Question 23
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1)  जो दो शब्दों के मेल

    (य) और जिनके 

    (र) खंड सार्थक

    (ल) होते है 

    (व्) से बनते है 

    (6) यौगिक शब्द कहते है 

    Solution

    विकल्प 2- ", र, ," सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1)  जो दो शब्दों के मेल

    (2) से बनते है 

    (3) और जिनके 

    (4) खंड सार्थक

    (5) होते है 

    (6) यौगिक शब्द कहते है l

    Additional Information

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 24
    5 / -1
    'दूल्हे को पत्तल नहीं, बरातियों को थाली' लोकोक्ति का क्या अर्थ है?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘भीड़ के चक्कर में मुख्य व्यक्ति को अनदेखा करना’ है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • लोकोक्ति - दूल्हे को पत्तल नहीं, बरातियों को थाली
    • अर्थ - भीड़ के चक्कर में मुख्य व्यक्ति को अनदेखा करना
    • वाक्य - स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्र्म में मुख्य अतिथि की उपस्थिति के बावजूद लोगों का ध्यान महिला खिलाड़ी की तरफ ही ज्यादा था। सच में ये तो वो वाली बात हो गई दूल्हे को पत्तल नहीं बरातियों को खाना। 


    अन्य विकल्प:

    अर्थ

    लोकोक्ति

    असमंजस की स्थिति में किसी भी उद्देश्य का न पूर्ण हो पाना 

    दुविधा में दोनों गये माया मिली न राम

    अनुभवहीन व्यक्ति बड़ी गलतियाँ कर देता है 

    नया हकीम दे अफीम

    सच्चा न्याय

    दूध का दूध पानी का पानी

     

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    लोकोक्ति

    किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत भी कहते हैं।

    अपना रख, पराया चख अर्थात अपनी वस्तु की रक्षा और दूसरे की वस्तु का उपभोग।

  • Question 25
    5 / -1

    मुझ पर 1) / करें 2) / दया 3) / हे देव 4)

    वाक्य संरचना का सही क्रम क्या है?

    Solution

    वाक्य संरचना का सही क्रम 4, 1, 3, 2  है, अन्य विकल्प असंगत है, अत: विकल्प 3 '4, 1, 3, 2' सही उत्तर होगा। 

    Key Points

    वाक्य संरचना का सही क्रम 4, 1, 3, 2 है- 

    • हे देव 4) / मुझ पर 1) / दया 3)/ करें 2) 

    Additional Information

    • वाक्य की परिभाषा - दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
    • उदाहरण के लिए 'सत्य की विजय होती है। ' एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है।
    • पतंजलि ने महाभाष्य में वाक्य की परिभाषा इस प्रकार की है - ‘‘आख्यात साव्यकारक विशेषण वाक्यम्।’’
    •        अर्थात् जहाँ क्रिया अव्यय, कारक तथा विशेषण पद एकत्रा हों, उसे वाक्य कहते हैं।
  • Question 26
    5 / -1

    संभवतः आज वर्षा हो जाये।

    अर्थ के आधार पर उपयुक्त वाक्य का भेद पहचानिये।

    Solution

    दिए गए विकल्पों में विकल्प -1 संदेहवाचक सही उत्तर हैl

    Key Points

    • संभवतः आज वर्षा हो जाये। - वाक्य में वर्षा होने का संदेह है, अतः यह संदेहवाचक वाक्य का उदाहरण हैl
    • वाक्य के दो भेद होते हैंl
    • 1) अर्थ के आधार पर 
    • 2) रचना के आधार पर 
       
    अन्य विकल्प : 

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विस्मयादिबोधक

    जिन वाक्यों से आश्चर्य, शोक, घृणा जैसे भाव व्यक्त हो विस्मयादिबोधक शब्द कहलाता हैl

    अरे ! इतनी लम्बी रेलगाड़ी l

    इच्छा वाचक

    वक्ता की इच्छा, आशा को व्यक्त करने वाले वाक्य इच्छा वाचक कहलाते हैl

    इश्वर तुम्हे लम्बी आयु दे l

    संदेहवाचक

    जिन वाक्यों से कार्य के होने में संदेह या सम्भावना का बोध हो संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैl

    वह शायद आये l

    संकेत वाचक

    जिन वाक्यों में एक क्रिया से दुसरे क्रिया के निर्भर होना तय हो वह संकेत वाचक वाक्य कहलाते है l

    वर्षा होती तो फसल अच्छी होती l

    ​ Additional Information

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    सरल

    जिन वाक्यों में एक मुख्य क्रिया हो उन्हें सरल या साधारण वाक्य कहते हैं।

    राकेश पढ़ता है।

    संयुक्त

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।

    वह सुबह आगरा गया और शाम को लौट आया।

    मिश्र वाक्य

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    मैं खाना खा चुका, तब वह आया।

  • Question 27
    5 / -1
    ‘ज्योति’ का विपरीतार्थक शब्द है - 
    Solution

    ‘ज्योति’ का विलोमार्थी शब्द तम है,अन्य विकल्प अनुचित है। अत: विकल्प 3 तम सही उत्तर है।

    Key Points

    • ज्योति का अर्थ- प्रकाश
    • तम का अर्थ- अंधकार

    अत: ‘ज्योति’ का विलोमार्थी शब्द अंधेरा है।

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/विपरीतार्थक

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

    इच्छा-अनिच्छा

    मन- सम्मान 

  • Question 28
    5 / -1
    "मैंने स्वयं देखा था कि राजू खेल रहा था।" वाक्य का प्रकार है:
    Solution

    मैंने स्वयं देखा था कि राजू खेल रहा था।" यह वाक्य 'मिश्र वाक्य' का उदाहरण है।

    जिसमें एक उपवाक्य प्रधान होता है तथा अन्य, एक या अधिक उपवाक्य उस पर आश्रित होते हैं। वे ‘मिश्र वाक्य’ होते हैं। 

    Key Points

    मिश्र वाक्य

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    वह औरत जो पार्क में बैठी हैं मेरी मौसी हैं।

    Additional Information 

    विशेष:

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    सरल

    ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी। 

    राकेश पढ़ता है।

    कमला और विमला मंदिर जाती हैं।

    संयुक्त

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। ये ‘और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर’ आदि से जुड़े होते हैं।

    वह सुबह आगरा गया और शाम को लौट आया।

    मिश्र

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    वह औरत जो पार्क में बैठी हैं मेरी मौसी हैं।

    आश्रित वाक्य

    जिन क्रियायुक्त पदों से आंशिक भाव व्यक्त होता है, उन्हें उपवाक्य या आश्रित वाक्य कहते है।

    राम ने कहा कि मैं पढ़ूँगा।

  • Question 29
    5 / -1
    ‘युद्ध की इच्छा रखने वाला’ वाक्यांश के लिए एक शब्द है।
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 युयुत्सु है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर हैं।

    Key Points

    • ‘युद्ध की इच्छा रखने वाला’ वाक्यांश के लिए एक शब्द है युयुत्सु।
    • युयुत्सु पुल्लिंग शब्द है जिसका अर्थ योद्धा होता है।

     

    अन्य विकल्प:

    शब्द

    वाक्यांश

    पिपासा

    किसी चीज़ को पाने की प्रबल इच्छा

    जिज्ञासु

    जानने की इच्छा रखने वाला

    उत्सुक

    जो किसी काम के लिए अधीर हो


    Additional Information

    • भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।
  • Question 30
    5 / -1
    'पांडवों को तेरह वर्ष तक वन में रहना पड़ा।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह कौन-सा पर्यायवाची शब्द उपयुक्त हो सकता है?
    Solution

    सही उत्तर 'जंगल' हैं।

    • 'पांडवों को तेरह वर्ष तक वन में रहना पड़ा।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह 'जंगल' शब्द उपयुक्त हो सकता है।
    • जंगल का पर्यायवाची शब्द:अख्य, अरण्य, विपिन, कानन, गहन, विटप, कांतार, बीहड़, वन 
    • 'पांडवों को तेरह वर्ष तक जंगल में रहना पड़ा।'

    Key Pointsअन्य विकल्पों का विश्लेषण:

    शब्दपर्यायवाची शब्द
    मृगांकचंद्रमा, चाँद, हिमांशु, इंदु, सुधांशु, राकेश, मयंक, सारंग, कलानिधि।
    उपवनबाग़, बगीचा, उद्यान, वाटिका, गुलशन
    रण्ययुद्ध, संग्राम

    Additional Information 

    • जो विभिन्न शब्द एक ही अर्थ का बोध कराएं, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। सामान्य भाषा में इनको समानार्थक शब्द भी कहते हैं।
    • कुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द:

    शब्द 

    पर्यायवाची

    सागर

      समुद्र, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, नीरनिधि, अर्णव, पयोनिधि, अब्धि, वारीश, जलधाम, नीरधि, जलधि

    अनिल 

    पवन, वायु, समीर, वात, मरुत, हवा, पवमान, प्रभंजन, मातरिश्वा

    निर्जर

    देव, सुर, अमर, अमर्त्य, त्रिदश 

    अचंभा

    चकित, सन्न, आश्चर्य, ताज्जुब, विस्मय, हैरानी

    अनी

    कटक, दल, सेना, फौज, चमू, अनीकिनी

    अतिथि

    मेहमान, अभ्यागत, आगन्तुक, पाहुना

  • Question 31
    5 / -1

     सजग शब्द का विलोम निम्न में से चयन कीजिए।

    Solution

    उपरोक्त विकल्पों में से ‘सजग’ शब्द का सही विलोम असावधान होता है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 1 असावधान सही उत्तर है।

    शब्दार्थ

    शब्द

    अर्थ

    श्रद्धा

    विश्वास

    ईमानदार

    धर्मनिष्ठ

    चंचल

    अस्थिर

  • Question 32
    5 / -1
    दस है आनन जिसके = दशानन (रावण) यह कौन-सा समास है ?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'बहुब्रीहि’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • दस है आनन जिसके = दशानन (रावण) यह 'बहुब्रीहि समास' का उदाहरण है। 
    • जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं, वहाँ बहुब्रीहि समास होता है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    अन्य विकल्प: 

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    अव्ययी भाव समास

    जिसका पहला पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है। (उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता)

    जन्म से लेकर = आजन्म

      द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    पांच तंत्रों का समाहार = पंचतंत्र

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में प्रथम पद गौण और उत्तर पद की प्रधानता होती है और समास करते वक्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है। 

    यश को प्राप्त = यशप्राप्त

    Additional Information

    • समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है।
    • इसे समस्तपद भी कहते हैं।
    • समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।
  • Question 33
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थान की पूर्ति उपयुक्त विकल्प के द्वारा कीजिये।

    दिन के प्रकाश में _________ का _________ गहरे-नीले रंग के सतह जैसा प्रतीत होता है।
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से सही विकल्प 3 पृथ्वी, आकाश है। अन्य विकल्प रिक्त स्थानों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।

    Key Points

    • पृथ्वी के पर्यायवाची शब्द - भू, धरणी, वसुंधरा, अचला, धरा, जमीन, रत्नगर्भा, मही, वसुधा, धरित्री, क्षिति, उर्वी, भूमि, धरती।
    • आकाश शब्द के पर्यायवाची -  नभ, गगन, द्यौ, तारापथ, पुष्कर, अभ्र, अम्बर, व्योम, अनन्त, आसमान, अंतरिक्ष, शून्य, अर्श।


    अन्य विकल्प -

    शब्द

    पर्यायवाची

    सूर्य

    रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, दिवाकर, भास्कर।

    जल

    मेघपुष्प, अमृत, सलिल, वारि, नीर, तोय, अम्बु।

    प्रकाश

    ज्योति, चमक, प्रभा, छवि, द्युति।

    आकाश

    नभ, गगन, अम्बर, व्योम, अनन्त, आसमान।

    आसमान

    अनन्त, आकाश, द्यौ, व्योम, गगन, अभ्र, अम्बर, नभ।


    Additional Information

    • पूर्ण वाक्य - दिन के प्रकाश में पृथ्वी का आकाश गहरे-नीले रंग के सतह जैसा प्रतीत होता है।  
    • पर्यायवाची शब्द उन्हें कहते हैं, जब भिन्न-भिन्न शब्दों का अर्थ समान हो, अर्थात एक ही शब्द के स्थान पर समान अर्थ वाले अलग अलग शब्द प्रयोग किये जा सके। इसी कारण से इन्हें समानार्थी शब्दों के नाम से भी जाना जाता है।
  • Question 34
    5 / -1
    "आपकी परीक्षाएँ अच्छी हों" अर्थ की दृष्टि से यह किस प्रकार का वाक्य है?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'इच्छावाचक' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Key Points

    • ''आपकी परीक्षाएँ अच्छी हों" अर्थ की दृष्टि से यह वाक्य 'इच्छावाचक' वाक्य है। 
    • जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं। 
    • यह अर्थ के आधार पर वाक्य का एक भेद है। 
    • अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद होते हैं - 1-विधान वाचक वाक्य, 2- निषेधवाचक वाक्य, 3- प्रश्नवाचक वाक्य, 4- विस्म्यादिवाचक वाक्य, 5- आज्ञावाचक वाक्य, 6- इच्छावाचक वाक्य, 7-संकेतवाचक वाक्य, 8- संदेहवाचक वाक्य।

    अन्य विकल्प: 

    1. संदेहवाचक वाक्य - जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं। 
      उदाहरण- क्या वह यहाँ आ गया ?
    2. संकेतवाचक वाक्य- जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं। 
      उदाहरण- राम का मकान उधर है।
    3. आज्ञावाचक वाक्य - वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता हैं। 
      उदाहरण - बैठो।

    Additional Information

    • वाक्य - दो या दो से अधिक पदों के सार्थक समूह को, जिसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है, वाक्य कहते हैं।
    • सामान्य वाक्य में क्रमश: कर्ता, कर्म और क्रिया होते हैं। 
  • Question 35
    5 / -1
    ‘प्रवेश’ का विलोम शब्द निम्र में से कौन सा है?
    Solution

    उपरोक्त विकल्प में सही उत्तरनिकास है। अन्य विकल्प अंसंगत है।

    Key Points

    अर्थ

    विलोम

    असली

    नकली

    विधवा

    सधवा

    प्राण

    निष्प्राण

    Additional Information

    विलोम शब्द- कुछ शब्दों के युग्म में ऐसे होते हैं जो परस्पर विरोधी होते हैं। ऐसे युग्म विलोम अथवा विपरीतार्थक कहे जाते हैं। जैसे सुख और दुःख परस्पर विरोधी है।

  • Question 36
    5 / -1
    'जलवृष्टि के कारण चारों ओर हरियाली छा गई।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह कौन-सा पर्यायवाची शब्द उपयुक्त हो सकता है?
    Solution

    सही उत्तर 'वर्षा' हैं।

    • 'जलवृष्टि के कारण चारों ओर हरियाली छा गई।' वाक्य के रेखांकित शब्द की जगह 'वर्षा' शब्द उपयुक्त हो सकता है।
    • जलवृष्टि का पर्यायवाची शब्द: बारिश, मेह, पावस, वर्षा
    • 'र्षा के कारण चारों ओर हरियाली छा गई।'

    Key Pointsअन्य विकल्पों का विश्लेषण:

    शब्दपर्यायवाची शब्द
    बादअभ्र, मेघ, धर, जलधर, वारिधर 
    काली घटा घटाटोप,  घनघोर घटा
    बूँदकतरा, टोप, जलकण, बिंदु, जलबिंदु, कण, तरल पदार्थ का कण, कतरा 

    Additional Information 

    • जो विभिन्न शब्द एक ही अर्थ का बोध कराएं, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। सामान्य भाषा में इनको समानार्थक शब्द भी कहते हैं।
    • कुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द:-

    शब्द 

    पर्यायवाची

    पावक

     दहन, ज्वलन, धूमकेतु, कृशानु, हुताशन, वैश्वानर, शुचि, ज्वाला, आग,

    अनिल 

    पवन, वायु, समीर, वात, मरुत, हवा, पवमान, प्रभंजन, मातरिश्वा

    प्रस्तर

    उपल, अश्म, पत्थर, पाहन, पाषाण, शिला, शैल

    उत्पल

    नलिन, कमल , अरविन्द, अम्भोज, तामरस, पुष्कर

    भुजंग

    सरीसृप, सांप, अहि, नाग, विषधर, मणिधर, फणिधर, व्याल

    पन्नगारि

    गरुड़, खगेश, उरगारि, हरियान, वातनेय, खगपति, सुपर्ण, नागान्तक

  • Question 37
    5 / -1
    'उन्मुख' का पर्यायवाची शब्द कौन सा है? 
    Solution

    'उन्मुख' का पर्यायवाची शब्द है- 'लालायित'

    • 'उन्मुख' का अन्य पर्यायवाची शब्द है- प्रवृत्त, इच्छुक, उद्यत, तैयार, उत्कंठित, उत्सुक।
    • 'जुनून' का पर्यायवाची शब्द है- दीवानापन, उन्माद , पागलपन , विक्षिप्त, सनक,  खब्त।
    • 'प्रकट' का पर्यायवाची शब्द है- खुला, जाहिर, प्रत्यक्ष, अभिव्यक्त, स्पष्ट, साफ, प्रकाशित, व्यक्त। 

    Key Points

    •  एक ही शब्द के एक से ज्यादा अर्थ निकले उसे पर्यायवाची शब्द कहते है।

    Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द:-

    • अहंकार- दंभ, गर्व, अभिमान, दर्प, मद, घमंड, मान।
    • उत्कृष्ट- उत्तम, उन्नत, श्रेष्ठ, अच्छा, बढ़िया, उम्दा।
    • कृपा- प्रसाद, करुणा, अनुकम्पा, दया, अनुग्रह।
    • खतरा- भय, डर, खौफ, आशंका, खटका, अंदेशा।
    • गहन- अभेद्य, दुर्गम, घना, निविड़, सघन, गंभीर, गहरा।
    • चतुर- विज्ञ, निपुण, नागर, पटु, कुशल, दक्ष, प्रवीण, योग्य।
    • छूट- मुक्ति, छुटकारा, निस्तार, सुविधा, सहूलियत, ढील, कटौती।
  • Question 38
    5 / -1
    'कभी' का संधि विच्छेद होगाः
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 3  'कब + ही' होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Key Points

    • 'कभी' शब्द का उचित संधि विच्छेद 'कब + ही' है। 
    • यह व्यंजन संधि का उदाहरण है।
    • व्यंजन के साथ व्यंजन या स्वर का मेल होने से जो विकार होता है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।​

    Additional Information

    संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

     

    स्वर संधि

    दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।

    स्वार्थ = स्व + अर्थ

    व्यंजन संधि

    व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।

    दिग्गज = दिक् + गज

     

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

    शिरोमणि = शिर: + मणि

  • Question 39
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थान की पूर्ति उपयुक्त विकल्प के द्वारा कीजिये।

    मानव संसाधन के विकास का मूल _________ है।

    Solution

    दिए गए विकल्पों में से विकल्प 3 शिक्षा सही विकल्प है। अतः अन्य विकल्प रिक्त स्थान के लिए सही उत्तर नही हैं।

    Key Points

    • शिक्षा का अर्थ है - सीखना या सिखाना।
    • पूर्ण वाक्य - मानव संसाधन के विकास का मूल शिक्षा है।  

    Additional Information

    • शिक्ष्+अ = शिक्षा - शिक्षा शब्द संस्कृत के शिक्ष् धातु में अ प्रत्यय लगने से बना हैं।
    • शिक्षा वह प्रकाश है जिसके द्वारा बालक की समस्त शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा अध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है।
  • Question 40
    5 / -1
    'सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े' लोकोक्ति का सही अर्थ क्‍या है?
    Solution

    सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े'' लोकोक्ति का सही अर्थ है: शुरू में ही विघ्न पड़ना।

    वाक्य प्रयोग: जैसे ही उसने 12वीं में प्रवेश लिया कॉलेज जाने का नया – नया उत्साह वैसे ही पूरे देश में लॉक डाउन लग गया।

    Key Points 

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    खटाई में पड़ना 

    काम के बीच में व्‍यवधान पड़ना

     चुनाव के कारण सड़क निर्माण का कार्य खटाई में पड़ गया।

    Additional Information

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    लोकोक्ति

    'लोकोक्ति' शब्द 'लोक + उक्ति' शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन'। संस्कृत में 'लोकोक्ति' अलंकार का एक भेद भी है तथा सामान्य अर्थ में लोकोक्ति को 'कहावत' कहा जाता है।

    अंत भले का भला।        

    अढ़ाई दिन की बादशाहत।

  • Question 41
    5 / -1

    'नर-नारी' का सामासिक विग्रह क्या होगा-

    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 4 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    • 'नर-नारी' में द्वंद्व समास है।
    • इसका सामासिक विग्रह- 'नर और नारी' होगा।
    • द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
    • अन्य विकल्प असंगत हैं।

    Additional Information

    समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।

     जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छः प्रकार हैं -

    समास का नाम

    परिभाषा 

    उदाहरण 

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    बहुव्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं। 

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

    कर्मधारय समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्यययीभाव समास

    जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे। 

    प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक

    द्वंद्व समास 

    द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।

    माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न 

  • Question 42
    5 / -1
    'आसक्त' का विलोम हैः
    Solution

    'आसक्त (अनुरागयुक्त, अनुरक्त, प्रसन्न)’ शब्द का विलोम शब्द 'विरक्त (उदासीन, विमुख)' है। अतः सही विकल्प विरक्त है।

    अन्य विकल्प

    आसक्त (अनुरक्त, मोहित) का विलोम अनासक्त (निर्लिप्त, उदासीन, वीतराग) है।

    आरक्त अर्थात 'हलका लाल, लाल, सुर्ख'

    निरुक्त अर्थात 'निश्चित और स्पष्ट रूप से समझाया या कहा गया'

     

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/विपरीतार्थक 

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

    1. रात - दिन
    2. सुख - दुःख
  • Question 43
    5 / -1
    ‘किसी बात के मर्म को जानने वाला’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है -
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 ‘मर्मज्ञ’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।

    Key Points

    • ‘किसी बात के मर्म को जानने वाला’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है ‘मर्मज्ञ’।
    • मर्मज्ञ विशेषण शब्द है जिसका अर्थ होता है गूढ़ बातें जानने वाला।
    • अन्य शब्द मार्मिक, मर्मस्पर्शी और मर्मज्ञानी इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information 

    वाक्यांश

    भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

  • Question 44
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) सरहपा- ‘दोहा-कवि’

    य) सेवा के महत्व को

    र) गुरु की

    ल) इनकी प्रमुख

    व) रचना है l इस पुस्तक में

    (6) दर्शाया गया है l

    Solution

    विकल्प 4 "ल, व्, र, य" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) सरहपा- ‘दोहा-कवि’

    (2) इनकी प्रमुख

    (3) रचना है l इस पुस्तक में

    (4)  गुरु की

    (5)  सेवा के महत्व को

    (6) दर्शाया गया है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 45
    5 / -1
    'वह साहित्य जिसमें गद्य और पद्य दोनों मिश्रित हों' - के लिए सार्थक शब्द है:
    Solution

    इसका सही विकल्प 2 ‘चम्पू होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    • ‘वह साहित्य जिसमें गद्य और पद्य दोनों मिश्रित हों’ के लिए एक शब्द ‘चम्पू’ होगा।
    • चम्पू श्रव्य काव्य का एक भेद है, अर्थात गद्य-पद्य के मिश्रित् काव्य को चम्पू कहते हैं। गद्य तथा पद्य मिश्रित काव्य को "चंपू" कहते हैं।

    Additional Information

    • वाक्यांशभाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो,
    • वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।
  • Question 46
    5 / -1
    रसोई का घर = 'रसोईघर' यह कौन सा समास है ?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 'तत्पुरुष' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।  

    Key Points

    • दिए गए विकल्पों में से 'रसोई का घर = 'रसोईघर' यह' यह 'तत्पुरुष समास' का उदाहरण है। 
    • जिस समास में प्रथम पद गौण और उत्तर पद की प्रधानता होती है। 
    • इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 


    अन्य विकल्प: 

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    अव्ययीभाव समास

    जिसका पहला पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है। (उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता)

    जन्म से लेकर = आजन्म

    बहुव्रीहि समास 

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान

      द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    चार राहों का समूह = चौराहा


    Additional Information 

    • समास 'संक्षिप्तिकरण' को समास कहते हैं।
    • दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है।
    • दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं।
  • Question 47
    5 / -1

    निम्न विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए संधि-विच्छेद शब्द के सही संधि का विकल्प है।

    रजनी + ईश

    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में विकल्प 2 'रजनीश' सही विकल्प है।

    Key Points

    • 'रजनी + ईश'  = रजनीश में दीर्घ संधि है 
    • 'रजनी + ईश' = रजनीश (अ + आ = आ) यहाँ  'अ' और 'आ' के मेल से 'आ' बना है 
    • दीर्घ संधि - आ एवं अ मिलकर आ बना रहे हैं एवं संधि होने के बाद शब्द में परिवर्तन देखने को मिल रहा है। ये स्वर हैं अतः यह उदाहरण दीर्घ संधि के अंतर्गत आयेगा।        

    Additional Information

    संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।

    संधिकेतीनप्रकारहैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और3. विसर्ग,

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

     विद्या + अर्थी = विद्यार्थी 

    महा + ईश = महेश

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    अहम् + कार = अहंकार

    उत् + लास = उल्लास

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा =दुरात्मा

    निः + कपट =निष्कपट

  • Question 48
    5 / -1
    'प्रियभाषी' का पर्यायवाची शब्द कौन सा है?
    Solution

    'प्रियभाषी' का पर्यायवाची शब्द है- प्रियवादी

    • अन्य पर्यायवाची शब्द है- प्रिय बोलने वाला, मीठी बात बोलने वाला, मधुरभाषी, प्रियंवद।

    Key Points

    • प्रियदर्शी- सबको प्रेमपूर्वक देखने वाला, सबसे स्नेह करने वाला, मनोहर।
    • प्रियदर्शनी- सुलोचना, सुन्दरी, चंद्रमुखी, मृगनयनी, मीनाक्षी, गोरी, अलबेली, हसीना 
    • प्रियतमा- दिलरुबा, दीवानी, प्रिया, प्रेमिका, प्रेयसी, बिलावल, माशूका, वनिता, वल्लभा, सजनी

    Additional Information

    • जिन शब्दों के अर्थ में समानता होती है, उन्हें समानार्थक या पर्यायवाची शब्द कहते है

    कुछ महत्वपूर्ण पर्यायवाची शब्द:-

    • अंबिका- माता, माँ, पार्वती, देवी, दुर्गा, देवकन्या, अंबाष्ठालता।
    • आकर्षक- चित्ताकर्षक, मोहक, विमोहक, विमोही, प्रलोभक, मनमोहक, मनोहारी
    • उन्नति- प्रगति, तरक्की, विकास, उत्थान, बढ़ती, अभिवृद्धि, उदय, अभ्युदय, प्रसार
    • किरण- गभस्ति, रश्मि, अंशु, अर्चि, गो, कर, मयूख, मरीचि, ज्योति, प्रभा।
    • खग- पक्षी, द्विज, विहग, नभचर, अण्डज, शकुनि, पखेरू।
    • गंगा- भगीरथी, मंदाकिनी,सुरसरिता, देवनदी, जाहनवी।
    • चाँदनी- चन्द्रिका, कौमुदी, ज्योत्स्ना, चन्द्रमरीचि, उजियारी, चन्द्रप्रभा, जुन्हाई।
    • छाया- छाँह, छाँव, परछाई, प्रतिबिम्ब, प्रतिकृति, साया, प्रतिच्छाया।
  • Question 49
    5 / -1
    "निस्तार" में प्रयुक्त संधि का नाम बताइए?
    Solution
    "निस्तार" में प्रयुक्त संधि का नाम विसर्ग संधि है।  Key Points
    • निस्तार में प्रयुक्त संधि विसर्ग संधि है।
    • निस्तार का संधि विच्छेद नि:+ तार होगा।
    • अत: यहाँ सही विकल्प विसर्ग संधि ही होगा। 
    • विसर्ग संधि विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन मेल से जो विकार होता है उसे विसर्ग संधि कहते है।
    • विसर्ग ( : ) के साथ जब किसी स्वर अथवा व्यंजन का मेल होता है तो उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।

    Additional Information

    शब्दपरिभाषाउदाहरण
    वृद्धि  सन्धिअ, आ का मेल ए, ऐ के साथ होने पर 'ऐ' तथा ओ, औ के साथ होने पर 'औ' में परिवर्तित हो जाता है।जैसे – एक + एक (अ + ए) = एकैक, परम + ओजस्वी (अ + ओ) = परमौजस्वी।
    गुण सन्धिअ, आ के साथ इ, ई का मेल होने पर 'ए'; उ, ऊ का मेल होने पर 'ओ'; तथा ऋ का मेल होने पर 'अर्' हो जाने का नाम गुण संधि है।

    देव + ईश= देवेश

    चन्द्र + उदय= चन्द्रोदय

    अयादि सन्धिए, ऐ तथा ओ, औ का मेल किसी अन्य स्वर के साथ होने से क्रमशः अय्, आय् तथा अव्, आव् होने को अयादि संधि कहते हैं।

    ने + अन= नयन

    भौ + उक= भावुक

  • Question 50
    5 / -1

    निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये

    गुरु वह है  जो _________ दे।

    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 2 ज्ञान सही है। अतः अन्य विकल्प रिक्त स्थान के लिए सही नहीं हैं। 

    Key Points

    • ज्ञान का अर्थ है -  विद्या।
    • पूर्ण वाक्य - गुरु वह है जो ज्ञान दे।


    अन्य विकल्प- 

    शिक्षा का अर्थ- सीखने-सिखाने की क्रिया।

    अक्षर का अर्थ- अविनाशी, अपरिवर्तनशील, ब्रह्म, आत्मा

    आचरण का अर्थ - चरित्र।    

    Additional Information

    गुरु - संस्कृत भाषा के इस शब्द का अर्थ शिक्षक और उस्ताद से लगाया जाता है। 

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