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Hindi Mock Test...

TIME LEFT -
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    ‘धूल की तरह झाड़कर फेंक देना’ का आशय है:

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    लेखक लोगों की शिकायतों को हलके में लेता है, क्योंकि:

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    प्रस्तुत गद्यांश साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आएगा?

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    इस दूनिया में कहा-सुनी होती है” --- ‘इस दुनियाका संकेत है:

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉल्फिन की खोज किस सन् में हुई ?

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गद्यांश के अनुसार गंगा की डॉलफिन भारतीय उपमहाद्वीप के किस देश की नदी में नहीं पाई जाती?

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉल्फिन भारत के कितने राज्यों की नदियों में पाई जाती हैं ?

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉलफिन कैसे पानी में पाई जाती है?

  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    वीणा अवश्य कब बोलेगी?

  • Question 12
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    कला के लिए एकदम विरोधी स्थिति कौन-सी है ? 

  • Question 13
    5 / -1

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    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'असाध्य वीणा' कविता के दुसरे पक्ष में कौन अकेला है ? 

  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

    ...view full instructions

    'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य किसके लिए लिखा गया है ? 

  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

    ...view full instructions

    'दर्प' से तात्पर्य है ? 

  • Question 16
    5 / -1

    निम्नलिखित शब्दों में से कौन सा 'कृष्ण' का विलोम नहीं है?

  • Question 17
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ,, ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) हिंदी की

    य) निर्धारित नहीं

    र) विशेष रूप से स्पष्ट

    ल) इनकी रूपरेखा अभी तक

    व) कुछ अपनी विशेष संधि है ,

    (6) हुई है l

  • Question 18
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए शब्द के समानार्थी शब्द का सही विकल्प हो।

    गाथा

  • Question 19
    5 / -1

    व्‍यायाम(1) / ने(2) / किया(3) / दीपक(4)

    वाक्‍य संरचना का सही क्रम क्‍या है ?

  • Question 20
    5 / -1

    “उद्यत' का पर्यायवाची शब्द है-

  • Question 21
    5 / -1

    इनमें से कौन सा वाक्य-प्रकार 'अर्थ की दृष्टि से किये गये वाक्य-भेद' के अंतर्गत नहीं आता है?

  • Question 22
    5 / -1

    'गुणहीन' शब्द में समास है:

  • Question 23
    5 / -1

    हिन्दी में आधारभूत वाक्य कितने प्रकार के होते हैं?

  • Question 24
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए मुहावरे का सही अर्थ वाला विकल्प है।

    घाट - घाट का पानी पीना । 

  • Question 25
    5 / -1

    मात्रंश में कौनसी संधि है-

  • Question 26
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, दिए गए शब्द के समान अर्थ वाले विकल्प को चुनिए।

    असुर

  • Question 27
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों से, उस विकल्प चयन करें जो दिए गए शब्द के लिए सही द्विगु समास के विग्रह का विकल्‍प हो।

    अठन्नी

  • Question 28
    5 / -1

    आकाश में उड़ने वाला ______ कहलाता है।

  • Question 29
    5 / -1

    पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े का अर्थ है-

  • Question 30
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्य में आए खाली स्थान के लिए सही शब्द चुनिए – घर में ________ बिखरा पड़ा है।

  • Question 31
    5 / -1

    संयुक्त वाक्य का चयन करें-

  • Question 32
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्प दिए गए हैं जिनमें से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए शब्द का सबसे अच्छा ‘एक शब्द’ विकल्प है।

    न सुनने योग्य

  • Question 33
    5 / -1

    'आमिष' का विलोम होगा

  • Question 34
    5 / -1

    इस विश्‍व में अस्तित्‍व के प्रत्‍येक स्‍तर पर एक _____वस्‍तु राशि दिखाई पड़ती है।

  • Question 35
    5 / -1

    'भल रहिहैं जेठानी तौ रखिहै आपन पानी'- इस लोकोक्ति के लिए उचित अर्थ वाले विकल्प का चयन कीजिये।

  • Question 36
    5 / -1

    खण्डन का विलोम है।

  • Question 37
    5 / -1

    'आँखें बिछाना' मुहावरे का अर्थ है

  • Question 38
    5 / -1

    ‘जिसकी कोई उपमा न हो’ के लिए एक शब्द बताइये।

  • Question 39
    5 / -1

    दिए गए शब्दों के समूह के लिए उचित लोकोक्ति का चयन कीजिए।

    मार-मार कर हकीम बनाना'

  • Question 40
    5 / -1

    जहाँ जाना कठिन हो' वाक्यांश के लिए उपयुक्त शब्द होगा -

  • Question 41
    5 / -1

    'लुटिया डुबोना" मुहावरे का अर्थ है _______।

  • Question 42
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) जब क्रिया को

    य) है तो उसे

    र) करता को छोडकर

    ल) कर्म की आवश्यकता होती

    व) सकर्मक क्रिया

    (6)  कहते है l

  • Question 43
    5 / -1

    "ओजस्वी" का विलोमार्थी क्या होगा?

  • Question 44
    5 / -1

    निम्नलिखित समास विग्रह को अन्य किस नाम से सम्बोधित किया जाता है?

    "पद्म आसन है जिसका"

  • Question 45
    5 / -1

    'स्त्री' का पर्यायवाची शब्द है:

  • Question 46
    5 / -1

    'नीरव' शब्द का संधि विग्रह है:

  • Question 47
    5 / -1

    मनुष्य-जन्म में ही ______की साधना हो सकती है।

  • Question 48
    5 / -1

    'अपने पैरों पर खड़े होना' का भावार्थ है

  • Question 49
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्य में आए खाली स्थान के लिए सही शब्द चुनिए – मैंने सुबह से कुछ नहीं ______।

  • Question 50
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) गंभीर विषयों के

    य) क्लिष्ट रूप

    र) वर्णन तथा

    ल) आलोचनात्मक निबन्धों

    व) की भाषा का

    (6) मिलता है l

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