Self Studies

Hindi Mock Test - 15

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Hindi Mock Test - 15
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    ‘धूल की तरह झाड़कर फेंक देना’ का आशय है:
    Solution
    • उपरोक्त गद्यांश लेखक के भावों एवं विचारों का उसके जावन की एक घटना के द्वारा वर्णन है। गद्य हमें बिहार के निवासी गरीब वर्ग के लोगों के भावों के बारे जानकारी प्रदान करता है।
    • लेखक के अनुसार एक ही स्थान से संबंधित लोग बाहर आपस में प्रेम के साथ रहतें है।
    • वो आपस में झगड़ने पर भी मन में कोई बात नहीं रखतें और सब कुछ पूरी तरह भुला देतें हैं।

    अतः निष्कर्ष निकलता है कि ‘धूल की तरह झाड़कर फेंक देना’ का आशय पूरी तरह भुला देना है।

    Additional Information

    • धूल की तरह झाड़कर फेंक देना --> पूरी तरह भुला देना 
    • वाक्य प्रयोग : सैम ने अपने पहले प्रेम की मृत्यु की याद को धुल की तरह झाड़कर वापस जीना शुरू कर दिया।
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    लेखक लोगों की शिकायतों को हलके में लेता है, क्योंकि:
    Solution
    • लेखक का बचपन स्वयं गाँव व गरीबी में बीता है। उसका बचपन खेत की मिट्टी में रमा हुआ है। उस मिट्टी को भुलाकर यदि वह शहरी बनना भी चाहे तो भी वह ऐसा नहीं कर पाता क्योंकि, आज भी उस मिट्टी की रसमयता व महक उसके अंदर बसी हुई है।
    • उस मिट्टी से जुड़े तमाम गरीब व ईमानदार लोग उसे भातें हैं, इसलिए वह लोगो की शिकायतों को हलके में लेता है।
    • अतः निष्कर्ष निकलता है कि लेखक लोगों की शिकायतों को हलके में लेता है, क्योंकि जुटने वाले लोग गरीब और ईमानदार हैं

    Key Points

    • तमाम :  का अर्थ है--> सभी, सारे
      • यह अरबी फ़ारसी का शब्द है।  
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    साधारण बात पर भी हंगामा कौन खड़ा कर देते हैं?
    Solution
    • अमीर लोग गरीब लोगो से भेदभाव का व्यवहार रखतें हैं। गरीब लोगो का उनके समाज के आसपास घुमना, उठना-बैठना उन्हें नागवार गुजरता है। कुछ असभ्य अमीर लोग इतनी छोटी सी बात पर हंगामा खड़ा कर देते हैं।
    • अतः निष्कर्ष निकलता है कि अमीर किन्तु असभ्य लोग साधारण बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं

    Key Points

    • असभ्य : गँवार, असंस्कृत, अशिष्ट, अभद्र, अविनीत, दुःशील, कुशील, अकुलीन, हीनाचार, असौम्य, अननुग्रही, उजड्ड।
    • सभ्य, असभ्य का विलोम शब्द है।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    प्रस्तुत गद्यांश साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आएगा?
    Solution

    सही उत्तर 'रेखाचित्र' होगा।
    Important Points

    •  रेखाचित्र-रेखाचित्र या आरेखण दृश्य कला है, जो द्वि-आयामी साधन को चिह्नितकरने के लिए किसी भी तरह के रेखाचित्र उपकरणों का उपयोग करता है।
    • अतः निष्कर्ष निकलता है कि प्रस्तुत गद्यांश साहित्य की रेखाचित्र विधा के अंतर्गत आएगा।

    Key Points

    • विधा शब्द का साधारण अर्थ प्रकार, वर्ग या श्रेणी से है। साहित्य रचनाओं को समझने में सुविधा के लिए इसे विभिन्न विधाओं में बाँट दिया गया है।
    • कहानी- जीवन अथवा समाज की किसी भी घटना का सुंदर ढंग से चित्रण ही कहानी है। इसमें विचार निबंध की तरह सीधे-सीधे न प्रकट करके घटना अथवा पात्रों के माध्यम से प्रकट किये जाते हैं।
    • जीवनी- संक्षिप्त परिभाषा में इसे एक व्यक्ति का जीवन कहा जाता है।
    • संस्मरण विधा अतीत से जुड़ी विधा है। इसमें किसी भी छोटे अथवा बड़े व्यक्ति को तटस्थता से याद कर लिपिबद्ध किया जाता है।
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: नीचे दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    मेरे मकान के आगे चौराहे पर ढाबे के आगे फुटपाथ पर खाना खाने वाले लोग बैठते हैं---रिक्शेवाले, मज़दूर, फेरीवाले, कबाड़ी- वाले...। आना-जाना लगा ही रहता है। लोग कहते हैं-- “आपको बुरा नहीं लगता? लोग सड़क पर गंदा फैला रहे हैं और आप इन्हें बरदाश्त कर रहे हैं? इनके कारण पूरे मोहल्ले की आबोहवा खराब हो रही है।“

    मैं उसकी बातों को हलके में ही लेता हूँ। मुझे पता है कि यहाँ जो लोग जुटते हैं वे गरीब लोग होते हैं। अपने काम-धाम के बीच रोटी खाने चले आते है और खाकर चले जाते हैं। ये आमतौर पर बिहार से आए गरीब ईमानदार लोग है जो हमारे इस परिसर के स्थायी सदस्य हो गए है। ये उन अशिष्ट अमीरों से भिन्न हैं जो साधारण-सी बात पर भी हंगामा खड़ा कर देते हैं। लोगों के पास पैसा तो आ गया पर धनी होने का शऊर नहीं आया। अधजल गगरी छलकत जाए की तर्ज पर इनमें दिखावे की भावना उबाल खाती है। असल में यह ढाबा हमें भी अपने माहौल से जोड़ता है। मैं लेखक हूँ तो क्या हुआ? गाँव के एक सामान्य घर से आया हुआ व्यक्ति हूँ। बचपन में गाँव-घरों की गरीबी देखी है और भोगी भी है। खेतों की मिट्टी में रमा हूँ, वह मुझमें रमी है। आज भी उस मिट्टी को झाड़झूड़ कर भले ही शहरी बनने की कोशिश करता हूँ, बन नहीं पाता। वह मिट्टी बाहर से चाहे न दिखाई दे, अपनी महक और रसमयता से वह मेंरे भीतर बसी हुई है। इसीलिए मुझे मिट्टी से जुड़े ये तमाम लोग भाते हैं। इस दुनिया में कहा-सुनी होती है, हाथापाई भी हो जाती है लेकिन कोई किसी के प्रति गाँठ नहीं बाँधता। दूसरे-तीसरे ही दिन परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं। ये सभी कभी-न-कभी एक-दूसरे से लड़ चुके हैं लेकिन कभी इसकी प्रतीति नहीं होती कि ये लड़ चुके हैं। कल के गुस्से को अगले दिन धूल की तरह झाड़कर फेंक देते हैं।

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    इस दूनिया में कहा-सुनी होती है” --- ‘इस दुनियाका संकेत है:

    Solution
    • लेखक के अनुसार गरीब वर्ग के ऐसे लोग जो गाँव से आकर शहर में आ बसे है, उन लोगो में आपसी-तालमेल, प्रेम एवं सद्भावना बनी रहती है।
    • इनकी दुनीया में कहा-सुनी, लड़ाई-झगड़ा होने पर भी ये लोग अपने मन में एक दुसरे के प्रति ईष्या की भावना नहीं लाते।
    • ये लोग हरहाल में  परस्पर हँसते-बतियाते और एक-दूसरे के दुख-दर्द में शामिल होते दिखाई पड़ते हैं

    अतः यह निष्कर्ष निकलता है कि इस दूनिया में कहा-सुनल होती है” वाक्य में  ‘इस दुनिया’ का संकेत गाँव से शहर आ बसे गरीब लोगो से है।

    Additional Information

    • अशिष्ट : अभद्र, असभ्य, अकुलीन, अविनीत।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉल्फिन की खोज किस सन् में हुई ?
    Solution

    गंगा की डॉल्फिन की खोज 1801 सन् में हुई।

    Key Points

    • गंगा की डॉल्फिन  एक अत्यंत प्राचीन जलचर है।
    • औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी।
    • पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। 

    Additional Informationडॉल्फिन के बारे अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:-

    • डॉल्फिन मीठे पानी का जलीय जीव हैं।
    • केंद्र सरकार ने 18 मई 2010 को गंगा डॉल्फिन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है।
    • गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डॉल्फिन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी घ्राण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
    • विलुप्त प्राय इस जीव की वर्तमान में भारत में 2000 से भी कम संख्या रह गयी है
    • उत्तर प्रदेश के नरोरा और बिहार के पटना साहिब के बहुत थोड़े से क्षेत्र में गंगा डॉल्फिन बचीं हैं।
    • बिहारउत्तर प्रदेश में इसे 'सोंस' जबकि आसामी भाषा में 'शिहू' के नाम से जाना जाता है।
    • विक्रमशिला गंगा डॉल्फिन अभ्यारण्य बिहार में है जो गंगा की डॉल्फिन की सुरक्षा के लिए बनाया गया है।
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गद्यांश के अनुसार गंगा की डॉलफिन भारतीय उपमहाद्वीप के किस देश की नदी में नहीं पाई जाती?

    Solution

    गद्यांश के अनुसार गंगा की डॉलफिन भारतीय उपमहाद्वीप के पाकिस्तान देश की नदी में नहीं पाई जाती।

    • व्यक्तिवाचक संज्ञा- भारत, पाकिस्तान,बांग्लादेश, नेपाल

    Key Points

    • यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है।
    • कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है। 

    Additional Informationव्यक्तिवाचक संज्ञा:-

    • जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान अथवा वस्तु के नाम का बोध हो, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।
    • जैसे- जयपुर, दिल्ली, रामायण, अमेरिका, राम इत्यादि।
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉल्फिन भारत के कितने राज्यों की नदियों में पाई जाती हैं ?
    Solution

    गंगा की डॉल्फिन भारत के सात राज्यों की नदियों में पाई जाती हैं।

    • डॉल्फिन का अर्थ- एक प्रकार की मछली।
    • संख्यावाचक विशेषण- सात, आठ, छह,दस

    Key Points

    • गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है।
    • ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल

    Additional Informationसंख्यावाचक विशेषण:-

    • जिससे संख्या का बोध होता है उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं।
    • जैसे- उस मैदान में पाँच लड़के खेल रहे हैं।

    गंगा:-

    • मन्दाकिनी, भागीरथी, सुरसरिता, देवनदी, विष्णुपदी, विश्नुपगा, देवपगा, ध्रुवनंदा, देवनदी, त्रिपथगा।

    नदी:- 

    • सरिता, तटिनी, वाहिनी, तरंगिणी, निर्झरिणी, शैलजा, जलमाला, नद, शैवालिनी, प्रवाहिनी, तनूजा
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गद्यांश के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?

    Solution

    गद्यांश के अनुसार सत्य कथन है- डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलीय प्राणी है।

    Key Points

    • कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है।
    • औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी।
    • पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। 
    • केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है।
    • इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। 

    Additional Informationडॉल्फिन:-

    • अर्थ: एक प्रकार की मछली।

    प्राचीन:-

    • अर्थ: जो पूर्व काल में उत्पन्न हुआ हो । 
    • पूर्वकालीन, पुराना, भूतकालीन, आदिम, कदीम।
    • विलोम शब्द- अर्वाचीन 

    सतलुज:-

    • सतलुज नदी उत्तरी भारत में बहनेवाली एक सदानीरा नदी है।
    • इसका पौराणिक नाम शतद्रु है।

    संकुचित:-

    • अर्थ: सिकुड़ा हुआ 
    • विलोम शब्द-प्रशस्त
    • संकोच (मूल शब्द) + इत (प्रत्यय) |

    क्षेत्र:- 

    •  प्रदेश, देश, भूखंड, भूमि, इलाका, रियासत

    प्राणी:-

    • जीवधारी, प्राणधारी, जानवर, जीव, प्राणवान।

    जल:-

    • वारि, पानी, नीर, सलिल, तोय, उदक, अंबु, जीवन, पय, अमृत, मेघपुष्प।

    झुंड:-

    • समूह, गिरोह, समुदाय, जत्था, गण, भीड़, दल, जमघट, टुकड़ी।

    नदी:-

    • रिता, तटिनी, वाहिनी, तरंगिणी, निर्झरिणी, शैलजा, जलमाला, नद, शैवालिनी
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के रूप में सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    कछुआ, मगर और शार्क के समान, गंगा की डॉलफिन एक अत्यंत प्राचीन जलचर है। औपचारिक रूप से इसकी खोज सन् 1801 में हुई थी। पहले यह दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई थी तथा बड़ी संख्या में पाई जाती थी। यह भारत, बांग्लादेश तथा नेपाल में कई नदियों में मिलती थी, किंतु वर्तमान समय में केवल गंगा, ब्रह्मपुत्र, मेघना और कर्णफुली में शेष बची। है। कभी-कभी यह चम्बल, घाघरा और सप्तकोशी नदियों में भी देखने को मिल जाती है।

    गंगा की डॉलफिन भारत के सात राज्यों की चुनी हुई नदियों में मिलती है। ये राज्य हैं- असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, झारखंड और पश्चिम बंगाल। यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है। केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है। इसके झुंड में सदस्यों की संख्या प्रायः तीन से अधिक नहीं होती। सामान्यतया बच्चेवाली मादा डॉलफिन, अपने बच्चे के साथ विचरण करती हुई दिख जाती है।

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    गंगा की डॉलफिन कैसे पानी में पाई जाती है?

    Solution

    गंगा की डॉलफिन केवल ताज़े पानी में पाई जाती है।

    Key Points

    • यहाँ इसे गंगा, चंबल, घाघरा, गंडक, सोन, कोसी, ब्रह्मपुत्र आदि नदियों तथा इनकी सहायक नदियों में देखा जा सकता है।
    • केवल ताज़े पानी की नदियों में रहने वाली यह डॉलफिन अकेली अथवा बहुत छोटे-छोटे झुंडों में रहती है।  

    Additional Informationखारा पानी:- 

    • खारा जल अथवा नमकीन पानी प्रकृति में पाए जाने वाले नमक युक्त जल को कहते हैं।
    • सामान्यतः जल में घुले नमक में सोडियम क्लोराइड की प्रधानता होती है लेकिन अन्य लवण भी महत्वपूर्ण होते हैं। 
    • पानी में घुले नमक की मात्रा को लवणता कहते हैं और यह सामन्यतः ग्राम/किलोग्राम जल या अंश प्रतिहजार (%) के रूप में व्यक्त की जाती है।

    ताज़ा पानी:-

    • ताजा पानी (या मीठे पानी ) कोई भी प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला पानी है जिसमें घुलित लवणों और अन्य कुल घुलित ठोस पदार्थों की कम सांद्रता होती है।
    • हालांकि इस शब्द में विशेष रूप से समुद्री जल और खारे पानी को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन इसमें गैर-नमकीन खनिज युक्त पानी जैसे चैलीबीट स्प्रिंग्स शामिल हैं।
    • ताजे पानी में बर्फ की चादरें, बर्फ की टोपियां, ग्लेशियर, हिमखंड, दलदल, तालाब, झीलें, वर्षा, नदियाँ शामिल हो सकते हैं, धाराओं और भूजल भूमिगत में निहित जलवाही स्तर

    समुद्र पानी:-

    • समुद्र का पानी हमें खारा लगता है
    • औसत समुद्री लवणता 35 प्रति हजार है।
    • इसका अर्थ है एक किलोग्राम जल में 35 ग्राम लवण की मात्रा का होना। 
    • समुद्री जल में प्रवेश करने वाला सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व है - कैल्शियम। 
    • समुद्री लवणता का 77.8 प्रतिशत केवल सोडि़यम क्लोराइड के कारण होता है।
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    वीणा अवश्य कब बोलेगी?
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है।

    वीणा सृजन का प्रतीक बन कर आती है। ‘वीणा बोलेगी अवश्य ‘- मनुष्य की सृजन शक्ति में आस्था को अभिव्यक्ति मिलती है और इसमें राजा की आस्था वास्तव में अज्ञेय की आस्था है।

    यहाँ जो आस्था और विश्वास है , राम की शक्ति पूजा में यही विश्वास जामवंत को भी है।

    जापानी लोककथा के भारतीय संस्करण की पृष्ठभूमि में सर्जनात्मक रहस्यवाद की अभिव्यक्ति और इस क्रम में यहाँ पर सर्जना की अर्हता का संकेत।

    विजय देव नारायण साही और रमेश चंद्र साह ने अज्ञेय को प्रसाद के सांस्कृतिक भाव बोध के करीब माना है और यहाँ पर अज्ञेय अस्तित्ववादी अनास्था को भारतीय जीवन परक आस्था के जरिये प्रतिस्थापित करते हुए उनकी इस मान्यता की पूर्ति करते हैं। अतः स्पष्ट है कि विकल्प जब उसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा I सटीक है अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    कला के लिए एकदम विरोधी स्थिति कौन-सी है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है।जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कला और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। अतः स्पष्ट है कि विकल्प कलाकार का शासन की भाषा बोलना सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'असाध्य वीणा' कविता के दुसरे पक्ष में कौन अकेला है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प प्रियंवद सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य किसके लिए लिखा गया है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने यहाँ राजा का संकेत जीवन सार्थकता की ओर है। 'उसमें मनुष्यता और करुणा स्त्रोत अभी सुखा नहीं है I' यह वाक्य राजा के लिए लिखा गया है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, दवेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प राजा सटीक है । अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश: 'असाध्य वीणा' कविता में अज्ञेंय ने दो पक्षों को सामने रखा है। एक पक्ष जो दरबार और दरबारी संस्कृति का है और दूसरा जो अकेला प्रियंवद है। यह एक तरह से हमारे समय और समाज का ही चित्रण है। सत्ता जहाँ विरोधी को अकेला करने की साजिश दिन-रात करती है। यह समय जो कि अकृत ताकत और हिंसा से भरा है। ये राजसी वैभव जहाँ की संस्कृति भी दूषित है। यहाँ सब कुछ पहुँच और चाटुकारिता पर निर्भर है। सत्य और निष्ठा पर विश्वास करने वालों के लिए उस दरबार में कोई जगह नहीं है। वहाँ वही भरे हैं जो ज्ञानी और गुणी हैं। एकदम कलावंत। उनकी भाषा में शासन की भाषा बोलती है। जबकि कला के लिए यह एकदम विरोधी स्थिति है। जहाँ ताकत होगी वहाँ कला नहीं होगी। कल्ना और ताकत एक-दूसरे के दुश्मन हैं। यही कारण है कि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। उसे वैसी ही भीड़ चाहिए जो उसका गुण गाए। उसकी तारीफ में कसीदे गढ़े। इस राजा में इतनी चेतना बची है कि वह वीणा के संगीत को सुनने की इच्छा भी रखता है। यह इच्छा संगीत के प्रति राजसी इच्छा प्रकृति से कुछ भिन्‍न है। प्रियंदद केशकंवली का आना ही इसी इच्छा को फलीभूत होते देखना है। उसे पता है कि “वीणा बोलेगी आवश्य, पर तभी/जब इसे सच्चा-स्वरसिद्ध गोद लेगा।' उसके भीतर भी ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा, द्वेष, चाटुता भरा हुआ है जो शासन का अनिवार्य अंग बन गया है। पर उसमें मनुष्यता और करुणा का स्रोत अभी सूखा नहीं है। यही कारण है कि संगीत को सुनने के बाद ये सभी “पुराने लुगड़े से झर गए" और वह वैसे ही निखर गया जैसे तपने के बाद सोना निखर जाता है।

    उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर नीचे पूछे गए प्रश्न का उत्तर बताइये: 

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    'दर्प' से तात्पर्य है ? 
    Solution

    स्पष्टीकरण:

    प्रस्तुत सुसंगठित, सारगर्भित, सुललित पंक्तियों में श्री कवि शिरोमणि अज्ञेय ने 'दर्प' से तात्पर्य यहाँ अहंकार से है। क्योंकि वीणा को बजाने की सब कोशिश करते हैं पर वह बजती किसी से नहीं। राजा भी इस सच को देख रहा है, 'मेरे हार गए जाने माने सब कलावन्त / सबकी विद्या हो गई अकारथ, दर्प चूर / कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका।' पर वह कुछ नहीं कर सकता। उसे भी ऐसे दरबारियों की आदत सी हो गई है। अतः स्पष्ट है कि विकल्प अहंकार सटीक है अन्य विकल्प असंगत हैं।

    विशेष :

    यहाँ जो आस्था और विश्वास है , राम की शक्ति पूजा में यही विश्वास जामवंत को भी है।

    जापानी लोककथा के भारतीय संस्करण की पृष्ठभूमि में सर्जनात्मक रहस्यवाद की अभिव्यक्ति और इस क्रम में यहाँ पर सर्जना की अर्हता का संकेत।

    विजय देव नारायण साही और रमेश चंद्र साह ने अज्ञेय को प्रसाद के सांस्कृतिक भाव बोध के करीब माना है और यहाँ पर अज्ञेय अस्तित्ववादी अनास्था को भारतीय जीवन परक आस्था के जरिये प्रतिस्थापित करते हुए उनकी इस मान्यता की पूर्ति करते हैं।

    भाषायी अभिजत्यापन , परन्तु तदभव शब्दों के जरिये जीवन्तता प्रदान की है।
  • Question 16
    5 / -1
    निम्नलिखित शब्दों में से कौन सा 'कृष्ण' का विलोम नहीं है?
    Solution

    कृष्ण' का विलोम काला नहीं है। श्वेत, धवल और शुक्ल ये तीनो कृष्ण शब्द के विलोम है
    कृष्ण का अर्थ काला और काला शब्द पर्यायवाची हुआ, इसलिए काला सही विकल्प होगा।

    Key Points 

    • कृष्णा को हमेशा साँवला शब्द का प्रयोग होता है।  
    • काला कृष्ण का पर्यायवाची मान सकते है
    Additional Information
    शब्दपर्यावाची 
    श्वेतसफेद, उजला, धवल 
    कालाश्याम, कृष्ण, कलूटा, साँवला, स्याह।
    धवलश्वेत, उजला, सफेद, निर्मल, स्वच्छ, साफ, मनोहर, सुन्दर, आकर्षक।
    शुक्ल सफेद, उजला, धवल ।
  • Question 17
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ,, ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) हिंदी की

    य) निर्धारित नहीं

    र) विशेष रूप से स्पष्ट

    ल) इनकी रूपरेखा अभी तक

    व) कुछ अपनी विशेष संधि है ,

    (6) हुई है l

    Solution

    विकल्प 2 "व्, ल, र, य" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) हिंदी की

    (2) कुछ अपनी विशेष संधि है , 

    (3) इनकी रूपरेखा अभी तक

    (4)  विशेष रूप से स्पष्ट

    (5) निर्धारित नहीं

    (6) हुई है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 18
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए शब्द के समानार्थी शब्द का सही विकल्प हो।

    गाथा

    Solution

    गाथा का समानार्थी शब्द 'कहानी' होता है 

    गाथा के पर्यायवाची शब्द - कथा, कहानी, किस्सा, दास्तान।

    Key Points


    अन्य विकल्प:

    शब्द

    पर्यायवाची

    चाह 

    लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, ईप्सा, मर्जी, इच्छा, अभिलाषा, चाह

    वचन 

    आश्वासन, वादा, प्रण, प्रतिज्ञा।

    कामना 

    लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, ईप्सा, मर्जी, इच्छा, अभिलाषा, चाह


    Additional Information

    विशेष:

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    पर्यायवाची

    एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

    आग-अनल, पावक, दहन।

    हवा-समीर, अनिल, वायु।

  • Question 19
    5 / -1

    व्‍यायाम(1) / ने(2) / किया(3) / दीपक(4)

    वाक्‍य संरचना का सही क्रम क्‍या है ?

    Solution

    वाक्‍य संरचना का सही क्रम 4, 2, 1, 3  है। अन्य विकल्प असंगत है ।अतः सही उत्तर विकल्प 1)  4, 2, 1, 3 होगा ।

    Key Points

    सही वाक्य :

    दीपक ने व्यायाम किया।


    Additional Information
     
    • व्यायाम का अर्थ - कसरत, मेहनत 
    • व्यायाम का संधि विच्छेद  - वि + आयाम 
  • Question 20
    5 / -1
    “उद्यत' का पर्यायवाची शब्द है-
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "तत्पर" सही है तथा अन्य विकल्प गलत हैं।

    Key Points
    • उद्यत का पर्याय
    • तैयार , तत्पर , प्रस्तुत
    • तत्पर
      • विशेषण
        • जो काम करने को तैयार हो, उद्यत, मुस्तैद।
        • मनोयोगपूर्वक लगा हुआ।
    Important Points
    • यदि किसी भी जल के पर्यायवाची के आखिर में ‘ज’ वर्ण जोड़ दिया जाए तो वह “कमल” का पर्यायवाची बन जाता है ।
    • जल के पर्याय
      • वारि, पानी, नीर, सलिल, तोय, उदक, अंबु, पय।  
    Additional Information
    • प्रमुख पर्यायवाची शब्द
      • किनारा :- तट, कूल, तीर, कगार, पुलिन।
      • कुत्ता :- सारमेय, सोनहा, शुनक, गंडक, कुकर, श्वान,कुक्कुर।
      • केला :- कदली, भानुफल, गजवसा, कुंजरासरा, मोचा, रम्भा।
      • कृतज्ञ :- ऋणी, आभारी, अनुग्रहित, उपकृत ।
      • गरुड़ :- खगेश, खगपति, नागांतक, सुपर्ण, वैनतेय।
      • घड़ा :- घट, कलश, कुंभ, घटक, कुट।
      • घी :- हव्य, अमृतसार, क्षीरसार, आज्य।
      • घास :- शष्प, शाद, शाद्वल, तृण, दूर्वा, दूब।
  • Question 21
    5 / -1
    इनमें से कौन सा वाक्य-प्रकार 'अर्थ की दृष्टि से किये गये वाक्य-भेद' के अंतर्गत नहीं आता है?
    Solution

    सही उत्तर "सरल वाक्यहै।

    • अर्थ की दृष्टि से, 'सरल वाक्य' वाक्य-भेद' के अंतर्गत नहीं आता है।
    • सरल वाक्य: ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं।
    • इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी।
    • उदाहरण: राकेश पढ़ता है।
    • कमला और विमला मंदिर जाती हैं।
    • अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं-
    • विधानवाचक, निषेधवाचक, आज्ञावाचक, विस्मयवाचक, संकेतवाचक, संदेहवाचक, प्रश्नवाचक तथा इच्छावाचक।

    Key Points

     वाक्य - शब्दों का वह व्यवस्थित रूप जिसमें विचारों का आदान - प्रदान होता है। एक सामान्य वाक्य में कर्ता, कर्म, क्रिया होते हैं।

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    विधानवाचक वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो, वह वाक्य विधानवाचक वाक्य कहलाता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।

    ममता ने खाना खा लिया।

    इच्छावाचक वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनसे हमें वक्ता की कोई इच्छा, कामना, आकांशा, आशीर्वाद आदि का बोध हो, वह वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।

    ईश्वर करे सब कुशल लौटें।

    आज्ञावाचक वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनमें आदेश, आज्ञा या अनुमति का पता चले या बोध हो, वे वाक्य आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।

    वहां जाकर बैठिये।

    निषेधवाचक वाक्य

    जिन वाक्यों से कार्य के निषेध का बोध होता है, वह वाक्य निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    मैं घर नहीं जाऊँगा।

    प्रश्नवाचक वाक्य

    जिन वाक्यों में कोई प्रश्न किया जाये या किसी से कोई बात पूछी जाये, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैँ।

    तुम्हारा क्या नाम है?

    विस्मयादिबोधक वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनमे हमें आश्चर्य, शोक, घृणा, अत्यधिक ख़ुशी, स्तब्धता आदि भावों का बोध हो, ऐसे वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) लगता है।

    ओह ! कितनी ठंडी रात है।

    संकेतवाचक वाक्य

    वे वाक्य जिनसे हमें एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो, ऐसे वाक्य संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    अगर तुम परिश्रम करते तो आज सफल हो जाते।

    संदेहवाचक वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनसे हमें किसी प्रकार के संदेह या संभावना का बोध होता है, वह वाक्य संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    आज बहुत तेज़ बारिश हो सकती है।

  • Question 22
    5 / -1
    'गुणहीन' शब्द में समास है:
    Solution

    'गुणहीन' शब्द में 'तत्पुरुष समास' होगा।​
    तत्पुरुष समास में अंतिम पद की प्रधानता रहती है। उसमें दोनों पदों के बीच में कारक विभक्ति लुप्त रहती है, तत्पुरुष समास कहलाता है

     
    • गुणहीन शब्द का समास विग्रह गुण से हीन होता है। जो अपादान तत्पुरुष का उदाहरण है। 
    • समास की परिभाषा: दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने नये सार्थक शब्द को 'समास' कहते है
    • जैसे: राजपुत्र,कठपुतली,घुड़सवार

      समास

      परिभाषा

      उदाहरण

      अव्ययीभाव समास

      जिस समास में पहला पद (पूर्वपद) अव्यय तथा प्रधान हो'।

      जैसे – जन्म से लेकर = आजन्म, मति के अनुसार = यथामति।

      कर्मधारय समास

      जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह 'कर्मधारय समास' कहलाता है।

      जैसे - लालटोपी – लाल है जो टोपी महाविद्यालय – महान है जो विद्यालय

      द्वंद्व समास

      जिस समास में दोनों पद प्रधान हो तथा विग्रह करने पर उनके बीच ‘तथा’, ‘या’, ‘अथवा’, ‘एवं’ या ‘और’ का प्रयोग होता हो।

      जैसे – अन्न और जल = अन्न-जल, अपना और पराया = अपना-पराया।

    Additional Information
    • तत्पुरुष समास के भी अन्य भेद है
    • कर्म तत्पुरुष 
    • करण तत्पुरुष 
    • सम्प्रदान तत्पुरुष 
    • अपादान तत्पुरुष 
    • सम्बन्ध तत्पुरुष 
    • अधिकरण तत्पुरुष 
    • नञ तत्पुरुष 
  • Question 23
    5 / -1
    हिन्दी में आधारभूत वाक्य कितने प्रकार के होते हैं?
    Solution

    सही उत्तर 'आठ' है

    Key Points

    स्पष्टीकरण: 

    अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं-

    विधानवाचक, निषेधवाचक, आज्ञावाचक, विस्मयवाचक, संकेतवाचक, संदेहवाचक, प्रश्नवाचक तथा इच्छावाचक।

    Additional Information 

    विशेष:

    वाक्य - शब्दों का वह व्यवस्थित रूप जिसमें विचारों का आदान - प्रदान होता है। एक सामान्य वाक्य में कर्ता, कर्म, क्रिया होते हैं।

    अर्थ के आधार पर वाक्य के आठ भेद हैं-

    वाक्यपरिभाषाउदाहरण
    विधानवाचक वाक्यऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो, वह वाक्य विधानवाचक वाक्य कहलाता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं।ममता ने खाना खा लिया।
    इच्छावाचक वाक्यऐसे वाक्य जिनसे हमें वक्ता की कोई इच्छा, कामना, आकांशा, आशीर्वाद आदि का बोध हो, वह वाक्य इच्छावाचक वाक्य कहलाते हैं।ईश्वर करे सब कुशल लौटें।
    आज्ञावाचक वाक्यऐसे वाक्य जिनमें आदेश, आज्ञा या अनुमति का पता चले या बोध हो, वे वाक्य आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।वहां जाकर बैठिये।
    निषेधवाचक वाक्यजिन वाक्यों से कार्य के निषेध का बोध होता है, वह वाक्य निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।मैं घर नहीं जाऊँगा।
    प्रश्नवाचक वाक्यजिन वाक्यों में कोई प्रश्न किया जाये या किसी से कोई बात पूछी जाये, उन्हें प्रश्नवाचक वाक्य कहते हैँ।तुम्हारा क्या नाम है?
    विस्मयादिबोधक वाक्यऐसे वाक्य जिनमे हमें आश्चर्य, शोक, घृणा, अत्यधिक ख़ुशी, स्तब्धता आदि भावों का बोध हो, ऐसे वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं। इन वाक्यों में विस्मयादिबोधक चिन्ह (!) लगता है।ओह ! कितनी ठंडी रात है।
    संकेतवाचक वाक्यवे वाक्य जिनसे हमें एक क्रिया का दूसरी क्रिया पर निर्भर होने का बोध हो, ऐसे वाक्य संकेतवाचक वाक्य कहलाते हैं।अगर तुम परिश्रम करते तो आज सफल हो जाते।
    संदेहवाचक वाक्यऐसे वाक्य जिनसे हमें किसी प्रकार के संदेह या संभावना का बोध होता है, वह वाक्य संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं।आज बहुत तेज़ बारिश हो सकती है।
  • Question 24
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो दिए गए मुहावरे का सही अर्थ वाला विकल्प है।

    घाट - घाट का पानी पीना । 

    Solution

    सही उत्तर 'बहुत अनुभवी होना' है। 

    Key Points
    • मुहावरा - घाट - घाट का पानी पीना
    • अर्थ - बहुत अनुभवी होना
    • वाक्य - रोहन को घाट घाट का पानी का स्वाद पता है फिर भी उसने अपनी नॉलेज का कोई खास इस्तेमाल नहीं किया।

    अन्य विकल्प: 

    • खुशी मनाना - घी के दीपक जलाना 
    • लज्जित होना - शर्म से सर झुक जाना 

    Additional Information

    •  जब वाक्य में किसी शब्द या शब्द-समूह का सामान्य अर्थ नहीं लिया जाता, बल्कि उसी से मिलता-जुलता अर्थ अर्थात् लाक्षणिक अर्थ लिया जाता है और यह अर्थ रुढ़ बन जाता है तब हम उसे मुहावरा कहते हैं।
  • Question 25
    5 / -1
    मात्रंश में कौनसी संधि है-
    Solution

    मात्रंश में यण संधि हैं
    मातृ + अंश = 
    मात्रंश

    Key Points

    संधि परिभाषा उदाहरण
    यण संधि "जब संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है , जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है"।अधि + आय : अध्याय (इ + आ = या)
    अनु + एषण : अन्वेषण (उ + ए = व्)
    गुण  संधि"जब संधि करते समय  (अ, आ) के साथ (इ , ई) हो तो ‘ए‘ बनता है, जब (अ ,आ)के साथ (उ , ऊ) हो तो ‘ओ‘ बनता है, जब (अ, आ) के साथ (ऋ) हो तो ‘अर‘ बनता है तो यह गुण संधि कहलाती है"।महा + ईश : महेश (आ + ई = ए)
    नर + ईश : नरेश (अ + ई = ए)
    नर + इंद्र : नरेन्द्र (अ + इ = ए)
    व्यंजन संधि "जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में ओअरिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं"।दिक् + अम्बर = दिगम्बर
    अभी + सेक = अभिषेक
    दिक् + गज = दिग्गज
    जगत + ईश = जगदीश

    Additional Information

    शब्द परिभाषा भेद  
    संधि "संधि का अर्थ होता है मेल या फिर मिलना। जब हम डो शब्दों को मिलाते हैं तो पहले शब्द की अंतिम ध्वनी एवं दुसरे शब्द कि पहली ध्वनी मिलकर जो परिवर्तन लाती है, उसे ही संधि कहते हैं"।
    1. स्वर संधि
    2. व्यंजन संधि
    3. विसर्ग संधि

    Important Points 

     संधि परिभाषा भेद उदाहरण  

    स्वर संधि

    "जब दो स्वर आपस में जुड़ते हैं या दो स्वरों के मिलने से उनमें जो परिवर्तन आता है, तो वह स्वर संधि कहलाती है"।
    1. दीर्घ संधि
    2. गुण संधि
    3. वृद्धि संधि
    4. यण संधि
    5. अयादि संधि

    विद्यालय : विद्या + आलय 

    पर्यावरण : परी + आवरण 

    व्यंजन संधि

    "जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में ओअरिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं"।
    1. जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या (य्, र्, ल्, व्, ह) से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है।
    2. अगर व्यंजन से स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी।

    दिक् + अम्बर = दिगम्बर

    अभी + सेक = अभिषेक

    दिक् + गज = दिग्गज

    जगत + ईश = जगदीश

    विसर्ग संधि

    "जब संधि करते समय  विसर्ग के बाद स्वर या व्यंजन वर्ण के आने से जो विकार उत्पन्न होता है, हम उसे विसर्ग संधि कहते हैं"।
    1. अगर कभी शब्द में विसर्ग के बाद च या छ हो तो विसर्ग श हो जाता है। ट या ठ हो तो ष तथा त् या थ हो तो स् हो जाता है।

    अंतः + करण : अन्तकरण

    अंतः + गत : अंतर्गत

    अंतः + ध्यान : अंतर्ध्यान

    अंतः + राष्ट्रीय : अंतर्राष्ट्रीय

  • Question 26
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, दिए गए शब्द के समान अर्थ वाले विकल्प को चुनिए।

    असुर

    Solution
    दनुज ,असुर का समान अर्थ  शब्द है । Key Pointsअसुर
    • असुर एक तरह का  पौराणिक पुरुष  है ।
    • धर्म-ग्रंथों में मान्य वे दुष्ट आत्माएँ जो धर्म विरोधी कार्य करती हैं तथा देवताओं, ऋषियों आदि की शत्रु हैं
    • हिन्दू धर्मग्रन्थों में असुर वे लोग हैं जो 'सुर' (देवताओं) से संघर्ष करते हैं।
    • समानार्थी शब्द - राक्षस , दैत्य , निशाचर , दानव
    • असुर  में  जातिवाचकसंज्ञा है ।
    • उपसर्ग - अ

    भृत्य

    • भृत्य-नौकर; सेवक; दास;वह जो वेतन आदि लेकर सेवा करता हो
    • समानार्थी शब्द - नौकर , सेवक , दास , अनुचर , सहचर
    • विलोम शब्द - नौकरानी , मालिक , सेविका , अनुचरी

    दर्प

    • दर्प-अहंकार; घमंड; गर्व; मन का एक भाव जिसके कारण व्यक्ति दूसरों को कुछ न समझे; अक्खड़पन।
    • विलोम शब्द - अनभिमान
    • लिंग - पुल्लिंग
    • वाक्य प्रयोग  -अहंकार आदमी को ले डूबता है।पता नहीं सुमित तुम्हे  किस बात की अकड़ है तुमको!।

    कर

    • कर एक ऐसा भुगतान है जो आवश्यक रुप से सरकार को उसके बनाए गए कानूनों के अनुसार दिया जाता है।
    • समानार्थी शब्द - टैक्स , महसूल
  • Question 27
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों से, उस विकल्प चयन करें जो दिए गए शब्द के लिए सही द्विगु समास के विग्रह का विकल्‍प हो।

    अठन्नी

    Solution

    अठन्नी शब्द का विग्रह करने पर आठ आनों का समूह शब्द प्राप्त होता हैं। अतः स्पष्ट है कि विकल्प द्विगु समास सटीक विकल्प है। अन्य विकल्प असंगत है।

    • 'अठन्नी' का समास विग्रह करने पर 'आठ आनों का समाहार' होगा।
    • इसमें 'आठ' संख्यावाचक विशेषण आने पर 'द्विगु समास' है। 
    • 'द्विगु समास' में समस्त पद का पहला शब्द संख्यावाचक या परिणामवाचक विशेषण होता है।
       

    Additional Information

    समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र - राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -

    समास का नाम

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्पुरुष
    समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    बहुव्रीहि
    समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

    कर्मधारय
    समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्यययीभाव 
    समास

    जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।

    प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक

  • Question 28
    5 / -1
    आकाश में उड़ने वाला ______ कहलाता है।
    Solution

    नभचर, यहाँ सही विकल्प है। आकाश में उड़ने वाला नभचर कहलाता है।

    कुछ अन्य उदाहरण :

    आकाश को चूमने वाला

    गगनचुंबी

    आकाश में उड़ने वाला

    नभचर

    रात्रि में विचरण करने वाले 

    निशाचर

    तीनों लोकों का स्वामी

    त्रिलोकी

    Additional Information

    वाक्यांश

    भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

    जैसे- जिसे देखकर डर लगे- डरावना

  • Question 29
    5 / -1
    पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े का अर्थ है-
    Solution
    सही उत्तर 'ओछे लोग मुँह लगाने पर अनुचित लाभ उठाते है'।
    Key Points
    • पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े का अर्थ है - ओछे लोग मुँह लगाने पर अनुचित लाभ उठाते है।
    • वाक्य प्रयोग - मैं तो इसका दुःखी समझ सहायता करता था लेकिन इसने तो मेरा ही नुकसान कर दिया। सच है पुचकारा कुत्ता सिर चढ़े।

    Additional Information

    लोकोक्ति परिभाषा

    उदाहरण

    लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ ‘लोक में प्रचलित उक्ति’ है। जब कोई पूर्व  कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धृत किया जाता है तो उसे लोकोक्ति कहते हैं।

    अपनी करनी पर उतरनी अर्थात किए का फल भोगना।

    वाक्य- एक छोटी सी चोरी के कारण वह आज तक जेल में पश्चचाताप कर रहा है, अपनी करनी पार उतरनी।

  • Question 30
    5 / -1
    निम्नलिखित वाक्य में आए खाली स्थान के लिए सही शब्द चुनिए – घर में ________ बिखरा पड़ा है।
    Solution

    घर में सामान बिखरा पड़ा है। अत: इसका सही विकल्प 1 सामानहै। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    Key Points

    • दिए गए विकल्पों में दाने, कपड़े शब्द बहुवचन है जबकि वाक्य में क्रिया एकवचन है।
    • इसलिए विकल्प सामान यहाँ उचित शब्द है।

    Additional Information

    वचन: संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध हो, वचन कहलाता है। वचन के दो भे द हैं- एक वचन और बहुवचन।

    एकवचन

    शब्द के जिस रूप से उसके एक होने का बोध हो, एकवचन कहलाता है।

    स्त्री, रुपया आदि। 

    बहुवचन

    शब्द के जिस रूप से उसके एक से अधिक होने का बोध हो, बहुवचन कहलाता है।

    स्त्रियाँ, रुपये आदि।

  • Question 31
    5 / -1
    संयुक्त वाक्य का चयन करें-
    Solution
    बालक बहुत रोया फिर सो गया।-संयुक्त वाक्य Key Pointsबालक बहुत रोया फिर सो गया
    • जिस प्रकार से ऊपर उदाहरण में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है कि यहां पर एक वाक्य में दो सरल वाक्य है।
    • इन दोनों सरल वाक्य को फिर संयोजक अव्यय के माध्यम से जोड़ा गया है।

    अतः यह उदाहरण संयुक्त वाक्य के अंतर्गत रखा जाएगा।Additional Informationसरल वाक्य

    • मेरी बेटी कर्णिका ने मधुर गीत गाकर सबको प्रसन्न कर दिया।
    • कोशिश करने वालों को कामयाबी मिलती है।
    • मैंने बहुत बड़ा अजगर देखा।
    • ऐसा वाक्य जिसमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता हो और उन वाक्यों का एक ही उद्देश्य हो, ऐसे वाक्य को सरल वाक्य कहा जाता है।
  • Question 32
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्प दिए गए हैं जिनमें से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए शब्द का सबसे अच्छा ‘एक शब्द’ विकल्प है।

    न सुनने योग्य
    Solution

    दिए गए सभी विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘अश्रव्य’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।  

    Key Points

    • ‘न सुनने योग्य’ इस वाक्यांश के लिए एक शब्द ‘अश्रव्य’ है।
    • ‘श्रव्य’ विशेषण शब्द है जिसका अर्थ सुने जाने योग्य या सुना हुआ होता है।
    • ‘श्रव्य’ शब्द में ‘अ’ उपसर्ग लगाकर ‘अश्रव्य’ शब्द बना है।

    Additional Information

    वाक्यांश

    भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

    जैसे- जिसे देखकर डर लगे- डरावना

  • Question 33
    5 / -1
    'आमिष' का विलोम होगा
    Solution

    दिए गए विकल्पों मे उचित उत्तर विकल्प 2 ‘निरामिष है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    • आमिषशब्द का उचित विलोम शब्द निरामिषहोगा।
    • आमिष’ का अर्थ मांस।
    • निरामिष का अर्थ मांसरहित होगा।

    Key Points 

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/विपरीतार्थक

    शब्द

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। विलोम शब्दों को विपर्यायवाची, प्रतिलोमार्थक और विपरीतार्थक शब्द भी कहते हैं।

    नीचे-ऊपर

    धरती- आकाश 

  • Question 34
    5 / -1
    इस विश्‍व में अस्तित्‍व के प्रत्‍येक स्‍तर पर एक _____वस्‍तु राशि दिखाई पड़ती है।
    Solution

    दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्प 1अखंड होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    Key Points

    • ‘अखंड’ का विलोम शब्द ‘खंड’ है।,
    • सम्पूर्ण , अक्षय, सकल सभी समानार्थी शब्द है।
    • ‘अखंड’ (अ+खंड) शब्द में ‘अ’ उपसर्ग है।
    • ‘अखंड’ शब्द एक संस्कृत विशेषण है, जिसका अर्थ है- ‘जिसके टुकड़े न हों’ आदि
  • Question 35
    5 / -1
    'भल रहिहैं जेठानी तौ रखिहै आपन पानी'- इस लोकोक्ति के लिए उचित अर्थ वाले विकल्प का चयन कीजिये।
    Solution
    भल रहिहैं जेठानी तौ रखिहै आपन पानी'- इस लोकोक्ति के लिए उचित अर्थ -अपनी मर्यादा की रक्षा अपने ही हाथ होती है  Key Points
    परिभाषा   लोकोक्ति

    लोकोक्ति का अर्थ है, लोक की उक्ति अर्थात जन–कथन या कहावत। लोकोक्तियाँ अथवा कहावततें लोक–जीवन की किसी घटना या अन्तर्कथा से जुड़ी रहती हैं।

     लोकोक्ति अपने आप में पूर्ण अर्थ वाली होती है, जबकि मुहावरे अपने आप में पूर्ण एवम् स्वतन्त्र नही होते हैं |

    लोकोक्ति को किसी वाक्य का सहारा लेने की आवश्यकता नही है, जबकि मुहावरे वाक्य में प्रयुक्त होकर ही अपना अर्थ प्रकट कर पाता है | 

     

         एक म्यान में दो तलवार          अर्थ-   एक स्थान पर दो समान गुणों या शक्ति वाले व्यक्ति साथ नहीं रह सकते

    Additional Information
     लोकोक्तिअर्थ 
    अपनी अपनी ढफली अपना-अपना रागअलग-अलग विचार होना
    अक्ल बड़ी या भैंस  शारीरिक शक्ति की तुलना में बौद्धिक शक्ति का श्रेष्ठ होना
    काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़तीकपटी व्यवहार हमेशा नहीं किया जा सकता
    काला अक्षर भैंस बराबर अनपढ़ व्यक्ति
  • Question 36
    5 / -1
    खण्डन का विलोम है।
    Solution
    सही उत्तर 'मण्डन' है। 
  • Question 37
    5 / -1
    'आँखें बिछाना' मुहावरे का अर्थ है
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 1 ‘प्रेमपूर्वक स्वागत करना’ है। 

    Key Points

    • आँखे बिछाना’ मुहावरे का अर्थ प्रेमपूर्वक स्वागत करना
    • वाक्य प्रयोग - राकेश अपने मित्र के आने खबर सुनकर कबसे आँखें बिछाए बैठा है।

    अन्य विकल्प -  

    अर्थ

    मुहावरा

    वाक्य प्रयोग

    अत्यंत प्रिय होना 

    गले का हार होना 

    वही दोस्त जो कल तक गले का हार थे, बुरा वक़्त आने पर छोड़ कर चले गए। 

    जरा भी कष्ट न आने देना 

    आँच न आने देना 

    सेनापति ने सिपाहियों से कहा कि अगर तुम मेरे आदेश का पालन करोगे तो तुम्हारे ऊपर आँच नहीं आने दूँगा।

    वश में न रह पानासुध-बुध खोनाअचानक बहुत से मेहमानों को देखकर गीता ने अपनी सुधबुध खो दी।

      

    Additional Information

    मोटे तौर पर जिस सुगठित शब्द-समूह से लक्षणाजन्य और कभी-कभी व्यंजनाजन्य कुछ विशिष्ट अर्थ निकलता है उसे मुहावरा कहते हैं। 
  • Question 38
    5 / -1
    ‘जिसकी कोई उपमा न हो’ के लिए एक शब्द बताइये।
    Solution

    इसका सही विकल्प 3 अनुपम होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    • ‘जिसकी कोई उपमा न हो’ के लिए एक शब्द ‘अनुपम’ होगा।
    • अनुपम का विलोम = उपमेय होता हैं।


    अन्य विकल्प:

    एक शब्द

    वाक्यांश

    अग्रगण

    जिसकी सबसे पहले गणना की जाये

    अवर्णनीय

    जिसका वर्णन न हो सके

    अगाध

    जो बहुत गहरा हो

    Additional Information

    वाक्यांश- भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

  • Question 39
    5 / -1

    दिए गए शब्दों के समूह के लिए उचित लोकोक्ति का चयन कीजिए।

    मार-मार कर हकीम बनाना'

    Solution

    इसका सही उत्तर 'जबरदस्ती आगे बढ़ाना' है।

    Key Points

    • 'मार-मार कर हकीम बनाना' लोकोक्ति का अर्थ - जबरदस्ती आगे बढ़ाना  है। 
    • वाक्य प्रयोग - कई बॉलीवुड किड्स को उनके माता पिता द्वारा मार मार के हाकिम बनाया जा रहा हैं। 

    अन्य विकल्प - 

    लोकोक्ति

    अर्थ

    वाक्य

    जैसी करनी वैसी भरनी

    कार्य के अनुसार परिणाम मिलता है

    श्याम अगर तुमने चोरी की है तो जेल जाना ही पड़ेगा क्योंकि जैसी करनी वैसी भरनीहोती है।

    मार-मार कर हकीम बनाना 

    जबरदस्ती आगे बढ़ाना 

    तुम्हारे बच्चे में खुद पढने की चाह जब तक नहीं होगी, वेह सफलता हासिल नहीं कर सकता, मार मार के हकीम बनाने से कोई फायदा नहीं।

    बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद

    मूर्ख गुण की कद्र करना नहीं जानता

    उपदेश झाड़ने आए हो, कह रहे हो – चाय मत पीयो। भला तुम क्या जानो इसके गुण – 'बन्दर क्या जाने अदरक का स्वाद'।

    Additional Information 

    लोकोक्ति परिभाषा

    उदाहरण

    लोकोक्ति का शाब्दिक अर्थ ‘लोक में प्रचलित उक्ति’ है। जब कोई पूर्य कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धृत किया जाता है तो उसे लोकोक्ति कहते हैं।

    अपनी करनी पर उतरनी अर्थात किए का फल भोगना।

    वाक्य- एक छोटी सी चोरी के कारण वह आज तक जेल में पश्चचाताप कर रहा है, अपनी करनी पार उतरनी।

  • Question 40
    5 / -1
    जहाँ जाना कठिन हो' वाक्यांश के लिए उपयुक्त शब्द होगा -
    Solution

    ‘दुर्गम’ का अर्थ है ‘जहाँ पहुँचना कठिन है’। इस आधार पर सही ‘दुर्गम’ शब्द का उचित अर्थ ‘जहाँ जाना कठिन हो’ है। अतः सही विकल्प जहाँ जाना कठिन हो है।

    अन्य महत्वपूर्ण वाक्यांश के लिए एक शब्द

    दुर्बोध

    जो शीघ्र समझ नही आए।

    दुर्गति

    जिसकी बुरी दशा है।

    अगम्य

    जिसमे प्रवेश नही जा सके।

    Additional Information

    कम से कम शब्दोँ मेँ अधिकाधिक अर्थ को प्रकट करना एक कला है जोकि एक अच्छी रचना के लिए आवश्यक है। ऐसे शब्दोँ के प्रयोग से वाक्य–रचना मेँ संक्षिप्तता, सुन्दरता व गंभीरता आती है।

  • Question 41
    5 / -1
    'लुटिया डुबोना" मुहावरे का अर्थ है _______।
    Solution

    सही उत्तर सारा काम बिगाड़ देना है l

    Key Points

    मुहावरा 

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    लुटिया डुबोना

    सारा काम बिगाड़ देना

     निखिल बिना अनुभव के काम करेगा तो उसकी लुटिया डूबना निश्चित है l

    Additional Information

    मुहावरे की परिभाषा

    उदाहरण

    ऐसे वाक्यांश जो अपने सामान्य अर्थ के स्थान पर विशेष अर्थ प्रकट करते हैं, मुहावरा कहलाते हैं।

    दाँत काटी रोटी, टोपी उछालना आदि

    अन्य विकल्प :

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    हाथ मलना

    बहुत पछताना

    रमेश ने पहले तो परीक्षा की तैयारी नहीं कि अब जब परीक्षाफल आया तो बेचारा हाथ मलता  रह गया l

    मंत्र मुग्ध होना

    मुग्ध होना

    स्वामी विवेकानंद जी के भाषण से भारतीय ही नहीं अपितु विदेशी भी मंत्र मुग्ध हो जाते थे l

  • Question 42
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) जब क्रिया को

    य) है तो उसे

    र) करता को छोडकर

    ल) कर्म की आवश्यकता होती

    व) सकर्मक क्रिया

    (6)  कहते है l

    Solution

    विकल्प 4 "र, ल, य, व्,​" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) जब क्रिया को

    (2) करता को छोडकर

    (3)  कर्म की आवश्यकता होती

    (4) है तो उसे

    (5) सकर्मक क्रिया

    (6)  कहते है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 43
    5 / -1
    "ओजस्वी" का विलोमार्थी क्या होगा?
    Solution

    ‘ओजस्वी’ शब्द का उचित विलोम शब्द ‘निस्तेज’ होगा।

    • ‘ओजस्वी’ का अर्थ शक्तिशाली।
    • ‘निस्तेज’ का अर्थ तेजहीन।

    अन्य विकल्प:

    शब्द

    विलोम

    यशस्वी 

    अयशस्वी 

    तेजस्वी 

    निस्तेज 

    निरभिमानी 

    अभिमानी 

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/विपरीतार्थक

    शब्द

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं। विलोम शब्दों को विपर्यायवाची, प्रतिलोमार्थक और विपरीतार्थक शब्द भी कहते हैं।

    नीचे-ऊपर

    धरती-आकाश

  • Question 44
    5 / -1

    निम्नलिखित समास विग्रह को अन्य किस नाम से सम्बोधित किया जाता है?

    "पद्म आसन है जिसका"

    Solution

    सही उत्तर लक्ष्मी है।  

    Key Points

    • पद्मासना का समास-विग्रह - पद्म है आसन जिसका अर्थात लक्ष्मी, यहाँ बहुब्रीहि समास है।  
    • बहुब्रीहि समास -जिस समास में दोनों पद प्रधान न होकर कोई अन्य पद की प्रधानता होती है। उसे बहुब्रीहि समास कहते है।
    • जैसे-दशानन-दस हैं मुख जिसके अर्थात् रावण 

    Additional Information

    समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -

    समास का नाम

    परिभाषा 

    उदाहरण 

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    बहुव्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं। 

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

    कर्मधारय समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्यययीभाव समास

    जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे। 

    प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक

    द्वंद्व समास 

    द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।

    माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न 

  • Question 45
    5 / -1
    'स्त्री' का पर्यायवाची शब्द है:
    Solution

    वनिता, स्त्री का पर्यायवाची है।

    • स्त्री के अन्य पर्यायवाची - अबला, नारी, महिला, रमणी, वनिता आदि

    Key Points

    • गृहणी :- कोई वस्तु गृहण करने वाले
    • गृहिणी :- घर की स्त्री 

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    पर्यायवाची/समानार्थी शब्द 

    एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

    आग-अनल, पावक, दहन।

    हवा-समीर, अनिल, वायु।

  • Question 46
    5 / -1
    'नीरव' शब्द का संधि विग्रह है:
    Solution

    दिए गए विकल्पों में ‘नीरव’ का विग्रहनिः + रव है। अत: विकल्प 1 ‘निः + रव इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर होंगे।
    Key Points

    स्पष्टीकरण:   

    • नीरव का अर्थ शब्द रहित, शान्त होता है
    • निः + रव  - नीरव इसमें विसर्ग संधि होगी।

     संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

    शिरोमणि = शिर: + मणि

    Additional Information

    विशेष:

    संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।

    संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + अर्थी = विद्यार्थी 

    महा + ईश = महेश

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    अहम् + कार = अहंकार

    उत् + लास = उल्लास

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा = दुरात्मा

    निः + कपट = निष्कपट

  • Question 47
    5 / -1
    मनुष्य-जन्म में ही ______की साधना हो सकती है।
    Solution

    दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर विकल्पमोक्षहोगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    Key Points

    • ‘मोक्ष’ का विलोम ‘बंधन’ होता है।
    • मुक्ति,निर्वाण,परधाम मोक्ष के पर्यायवाची है।
    • मोक्ष एक संस्कृत शब्द है।

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम शब्द

    एक-दूसरे के विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्द विलोम कहलाते हैं।

    रात-दिन

    धरती-आकाश

     

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    पर्यायवाची

    एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द, जो बनावट में भले ही अलग हों। 'पर्यायवाची-शब्द' को 'समानार्थी-शब्द' भी कहा जाता है|

    ज्ञान-सूचना, विद्या, बोध

    झील- सरोवर, कूल

  • Question 48
    5 / -1
    'अपने पैरों पर खड़े होना' का भावार्थ है
    Solution

    इसका सही उत्तर 'आत्मनिर्भर होना' है।

    Key Points

    • 'अपने पैरों पर खड़े होना' मुहावरे का अर्थ है- आत्मनिर्भर होना।
    • वाक्य प्रयोग - आकाश के माता पिता बहुत खुश हैं क्योंकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो गया है।

    मुहावरा और लोकोक्ति में निम्न अंतर है-

    1. मुहावरा एक वाक्यांश होता है जबकि लोकोक्ति एक पूरा वाक्य होता है। 
    2. मुहावरे का स्वतंत्र प्रयोग संभव नहीं है लोकोक्ति एक पूरे वाक्य के रूप में होती है इसलिए इसका स्वतंत्र प्रयोग संभव है।

     जैसे- आप डूबे जग डूबा एक लोकोक्ति है जिसका अर्थ है जो स्वयं बुरा होता है, दूसरो को भी बुरा समझता है अतः हम इसका स्वतंत्र प्रयोग कर सकते हैं।

    Additional Information

    मुहावरा परिभाषा

    उदाहरण

    मुहावरा का शाब्दिक अर्थ ‘अभ्यास’ है। मुहावरा शब्द अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में ऐसे वाक्यांशों को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर  विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।

    अंक भरना- स्नेह से लिपटा लेना

    वाक्य-माँ ने स्नेह से अपने पुत्र को अंक में भर लिया।  

  • Question 49
    5 / -1
    निम्नलिखित वाक्य में आए खाली स्थान के लिए सही शब्द चुनिए – मैंने सुबह से कुछ नहीं ______।
    Solution

    मैंने सुबह से कुछ नहीं खाया। अत: इसका सही उत्तर विकल्प खायाहोगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित विकल्प हैं।

    Key Points

    • ‘मैंने’ शब्द पुरूषवाचक सर्वनाम के भेद उत्तम पुरुष का उदाहरण है।
    • ‘मैंने’ एकवचन के साथ क्रिया ‘खाया’ उचित है।

    Additional Information

    • जिस शब्द के द्वारा किसी कार्य के करने या होने का बोध होता है उसे क्रिया कहते है। 
  • Question 50
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) गंभीर विषयों के

    य) क्लिष्ट रूप

    र) वर्णन तथा

    ल) आलोचनात्मक निबन्धों

    व) की भाषा का

    (6) मिलता है l

    Solution

    विकल्प 3 "र,ल,व्,य," सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) गंभीर विषयों के

    (2) वर्णन तथा

    (3) आलोचनात्मक निबन्धों

    (4) की भाषा का

    (5) वर्णन तथा

    (6) मिलता है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
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