Self Studies

Hindi Mock Test...

TIME LEFT -
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I

    आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I

    इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।

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    'निर्वाण' से अभिप्राय है -

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I

    आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I

    इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।

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    ‘बुद्धत्व’ से अभिप्राय है-

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I

    आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I

    इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।

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    बुद्धत्व के साक्षात्कार का माध्यम है -

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I

    आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I

    इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।

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    मानव सभ्यता के लिए ज़रूरी है -

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I

    आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I

    इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।

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    गद्यांश में किसके अस्तित्व के समाप्त होने की चर्चा की गई है?

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

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    स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी में किसका अंतर है?

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

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    स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी को मिले सम्मान का कारण है-

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

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    'समवयस्क ' से तात्पर्य है-

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

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    स्वामी विवेकानंद कौन-सी भाषाएँ जानते थे?

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।

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    स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी किस महान कार्य के लिए याद किये जाते हैं?

  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः

    परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है, पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है, वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े-बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व-प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं, किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य

    सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया, फिर उससे मिले बिना चैन कहां? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं, किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं, उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है, परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है, किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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    रहस्यवाद क्या है?

  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः

    परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है, पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है, वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े-बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व-प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं, किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य

    सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया, फिर उससे मिले बिना चैन कहां? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं, किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं, उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है, परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है, किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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    दीर्घकाल तक विचार करने के बाद मनीषियों को क्या अनुभव हुआ?

  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः

    परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है, पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है, वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े-बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व-प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं, किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य

    सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया, फिर उससे मिले बिना चैन कहां? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं, किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं, उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है, परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है, किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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    अदृश्य सत्ता से मिलने के लिए साधक बेचैन क्यों हैं?

  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः

    परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है, पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है, वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े-बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व-प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं, किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य

    सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया, फिर उससे मिले बिना चैन कहां? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं, किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं, उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है, परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है, किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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    ब्रह्म का वर्णन करने में कठिनाई क्या है?

  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः

    परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है, पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है, वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े-बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व-प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं, किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य

    सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया, फिर उससे मिले बिना चैन कहां? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं, किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं, उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है, परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है, किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।

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    ‘विवेक’ शब्द का अर्थ छांटिए।

  • Question 16
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य कौन-सा है ?

  • Question 17
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्य, दिए गए विकल्पों में से किस प्रकार का है ?

    आप झूठ बोलते है, इसलिए आप झूठें है।

  • Question 18
    5 / -1

    'सुबोध' का विलोम है-

  • Question 19
    5 / -1

    ‘घर फूँक तमाशा देखना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?

  • Question 20
    5 / -1

    ‘आधा तीतर-आधा बटेर’ लोकोक्ति का अर्थ क्या है?

  • Question 21
    5 / -1

    निर्देश: निचे दिए गए मुहावरों का सही अर्थ छांटिए.

    नौ दो ग्यारह होना -  

  • Question 22
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।

    A) सकारात्मक सोच एक ऊर्जा प्रदान करती है,

    B) जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है

    C) होंसला देती है सफल होने का और उत्साहित करती है

    D) तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है।

    E) नित नए आयाम स्थापित करने के लिए

    F) वही नकारत्मक सोच इसके बिलकुल विपरीत प्रभाव डालती है

  • Question 23
    5 / -1

    'अन्वेषण’ का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?

  • Question 24
    5 / -1

    इनमें से 'भवन ' किसका पर्यायवाची है?

  • Question 25
    5 / -1

    'रोहिणेय' का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?

  • Question 26
    5 / -1

    ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या होगा?

  • Question 27
    5 / -1

    ‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?

  • Question 28
    5 / -1

    'उन्नति' का संधि विच्छेंद निम्न में से कौन सा है?

  • Question 29
    5 / -1

    'यथार्थ' शब्द में निम्न में से कौन-सा समास है?

  • Question 30
    5 / -1

    'वागीश' में संधि है-

  • Question 31
    5 / -1

    'घूमने - फिरने वाला साधु' - वाक्यांश के लिए सार्थक शब्द क्या होगा?

  • Question 32
    5 / -1

    निम्नलिखित विकल्पों में 'स्थूल' शब्द का विलोम क्या है?

  • Question 33
    5 / -1

    ‘जो दूसरे से ईर्ष्या करता है’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है -

  • Question 34
    5 / -1

    'बहुत-थोड़ा" में समास है-

  • Question 35
    5 / -1

    'अनभिज्ञ' का संधि-विच्छेद है

  • Question 36
    5 / -1

    ‘पुस्तकों की समीक्षा करने वाला’ के लिए एक शब्द बताइये।

  • Question 37
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।

    A) मनुष्य के जन्म से भी पहले से उसकी गुरु है प्रकृति। वह अनगिनत आंखों,

    B) हाथों और मन से मनुष्य को कुछ न कुछ

    C) मां और बाप भी है। वह रक्षक भी है और न्यायाधीश भी है।

    D) सिखाती चली आ रही है। वह गुरु होने के साथ-साथ

    E) वह गति और विकास का व्याकरण सिखाती है।

    F) उसे छेड़ा तो वह विनाश का सबक भी सिखाती है।

  • Question 38
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।

    A) प्रातः काल में शरीर को पूर्ण मानसिक

    B) कुछ प्राणायामों के साथ अंतर्ध्यान करवाना अपेक्षित होगा

    C) जिससे स्वदुर्गुण यदि हैं तो उन्हें दूर करने के लिए

    D) दृढ़संकल्प शक्ति तैयार की जा सकती है।

    E) और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए

    F) इसप्रकार जीवन स्वयमेव धार्मिक बन जायेगा I

  • Question 39
    5 / -1

    'निर्भय' का विलोम चुनिये:-

  • Question 40
    5 / -1

    'नवयुवक' शब्द में निम्न में से कौन सा समास है?

  • Question 41
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।

    A) सभी बड़ी हस्तियां समय प्रबंधन को साधकर ही

    B) कार्य कितना महत्वपूर्ण है और उसे किस समय पर पूरा करना है,

    C) यह निर्धारित करना बहुत आवश्यक है।

    D) अधिकांश लोग ये दोनों बातें निर्धारित ही नहीं कर पाते।

    E) सफलता की ऊंचाई तक पहुंची हैं।

    F) यहीं से उलझन शुरू हो जाती है।

  • Question 42
    5 / -1

    वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे क्या कहते हैं?

  • Question 43
    5 / -1

    ‘जो व्यर्थ का व्यय करता हो’ के लिए एक शब्द बताइये।

  • Question 44
    5 / -1

    'करवाल' का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?

  • Question 45
    5 / -1

    'गंगातट पर कुछ लोग भजन कर रहे थे |' रेखांकित शब्द में कौन-सा समास है?

  • Question 46
    5 / -1

    ‘फिसल पड़े तो हर गंगा’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या है

  • Question 47
    5 / -1

    'संधि' का विलोम है-

  • Question 48
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें, जो दी गई लोकोक्ति के लिए सही अर्थ वाला विकल्प है।

    एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी 

  • Question 49
    5 / -1

    ‘पानी पानी होना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?

  • Question 50
    5 / -1

    'प्रातःकाल' का संधि विच्छेद निम्न में से कौन सा है?

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