Self Studies

Hindi Mock Test - 19

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Hindi Mock Test - 19
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिएI

    जुलाई से अक्टूबर, घनघोर बारिश के महीने! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों से बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते हैं। बूढ़े बाँस सख़्त होते हैं और टूट भी तो जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं। इसके बाद ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिसमें गाँठें दूर-दूर होती हैं। दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसे फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैंI खपच्चियों की लम्बाई पहले से ही तय कर ली जाती हैI मसलन, आसन जैसी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लम्बी खपच्चियाँ काटी जाएँI यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।

    आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं I इन्हें चीर कर पतली खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं। खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है हाथों की कलाकारी के बिना खपच्चियों की मोटाई बराबर बनाए रखना आसान नहीं। इस हुनर को पाने में काफ़ी समय लगता है।

    टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता हैI खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

    ...view full instructions

    गद्यांश में मुख्य रूप से वर्णन है -
    Solution

    गद्यांश में मुख्य रूप से वर्णन है - 'बाँस से बनने वाली चीज़ों का'

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:-

    • खपच्चियों के लिए ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिनमें गाँठ-गाँठ दूर-दूर होती है।
    • दाओ यानी चौड़े चाँद जैसी फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैं।
    • खपच्चियों की लंबाई पहले से ही तय कर ली जाती है, जैसे-आसन जैसी छोटी चीजें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है।

    Additional Information

    • खपच्ची- बाँस की तीली या कमची, बांस का चीरा 
    • बाँस- तिनके की जाति का एक लंबा, सीधा, गिरहदार पौधा।
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिएI

    जुलाई से अक्टूबर, घनघोर बारिश के महीने! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों से बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते हैं। बूढ़े बाँस सख़्त होते हैं और टूट भी तो जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं। इसके बाद ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिसमें गाँठें दूर-दूर होती हैं। दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसे फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैंI खपच्चियों की लम्बाई पहले से ही तय कर ली जाती हैI मसलन, आसन जैसी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लम्बी खपच्चियाँ काटी जाएँI यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।

    आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं I इन्हें चीर कर पतली खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं। खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है हाथों की कलाकारी के बिना खपच्चियों की मोटाई बराबर बनाए रखना आसान नहीं। इस हुनर को पाने में काफ़ी समय लगता है।

    टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता हैI खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

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    'दाओ' है -
    Solution

    'दाओ' है - एक प्रकार का चाकू

    • एकल-धार वाली चीनी तलवारें हैं , जिनका उपयोग मुख्य रूप से काटने और छीलने के लिए किया जाता है। 

    Key Points

    • खपच्चियों के लिए ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिनमें गाँठ-गाँठ दूर-दूर होती है।
    • दाओ यानी चौड़े चाँद जैसी फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैं।
    • खपच्चियों की लंबाई पहले से ही तय कर ली जाती है
    •  जैसे- आसन जैसी छोटी चीजें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है।

    Additional Informationबाँस:-

    • तिनके की जाति का एक लंबा, सीधा, गिरहदार पौधा।

    चाकू:-

    • काटने या चीरने आदि का एक छोटा औजार

    खपच्ची:-

    • बाँस की तीली या कमची, बांस का चीरा हुआ
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिएI

    जुलाई से अक्टूबर, घनघोर बारिश के महीने! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों से बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते हैं। बूढ़े बाँस सख़्त होते हैं और टूट भी तो जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं। इसके बाद ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिसमें गाँठें दूर-दूर होती हैं। दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसे फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैंI खपच्चियों की लम्बाई पहले से ही तय कर ली जाती हैI मसलन, आसन जैसी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लम्बी खपच्चियाँ काटी जाएँI यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।

    आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं I इन्हें चीर कर पतली खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं। खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है हाथों की कलाकारी के बिना खपच्चियों की मोटाई बराबर बनाए रखना आसान नहीं। इस हुनर को पाने में काफ़ी समय लगता है।

    टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता हैI खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

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    'पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं' में 'पतली' में विशेषण है -
    Solution

    'पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं' में 'पतली' में विशेषण है- 'गुण बोधक विशेषण'

    Key Pointsगुणवाचक विशेषण:- 

    • जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम के गुण या दोष का पता चलता है, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
    • जैसे- अच्छा, बुरा, सफेद, काला, रोगी, मोटा, पतला, लंबा, चौड़ा, नया, पुराना, ऊँचा, मीठा, चीनी, नीचा, प्रातःकालीन आदि।
      • वह आदमी लम्बा है।

    Additional Informationसंख्या बोधक विशेषण:- 

    • जिन विशेषण शब्दों से संख्या का बोध हो वे संख्यावाचक विशेषण कहलाते है।
    • जैसे- दो, तीन, ढाई, पहला, दूसरा, इकहरा, दुहरा, तीनों चारों, दर्जन, जोड़ा, प्रत्येक, कई, कुछ, काफी, कम, ज्यादा, बहुत आदि।
      • ​टोकरी में पांच आम हैं।

    परिणाम बोधक विशेषण:-

    • जिन विशेषण शब्दों से किसी वस्तु के परिमाण, मात्रा, माप या तोल का पता चले, वे परिमाणवाचक विशेषण कहलाते है।
    • जैसे- तीन किलो, डेढ़ मीटर, थोड़ा, इतना, कुछ, ज्यादा, बहुत, अधिक, कम, तनिक, थोड़ा, इतना, जितना, ढेर सारा आदि।
      • मुझे थोड़ा दूध चाहिए

    सार्वनामिक विशेषण:-

    • जो सर्वनाम शब्द संज्ञा के पहले आकर विशेषण का काम करते हैं, उन्हे सार्वनामिक विशेषण कहते हैं 
    • जैसे- यह विद्यालय, वह बालक, वह खिलाड़ी आदि।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिएI

    जुलाई से अक्टूबर, घनघोर बारिश के महीने! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों से बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते हैं। बूढ़े बाँस सख़्त होते हैं और टूट भी तो जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं। इसके बाद ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिसमें गाँठें दूर-दूर होती हैं। दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसे फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैंI खपच्चियों की लम्बाई पहले से ही तय कर ली जाती हैI मसलन, आसन जैसी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लम्बी खपच्चियाँ काटी जाएँI यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।

    आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं I इन्हें चीर कर पतली खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं। खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है हाथों की कलाकारी के बिना खपच्चियों की मोटाई बराबर बनाए रखना आसान नहीं। इस हुनर को पाने में काफ़ी समय लगता है।

    टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता हैI खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

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    गद्यांश में खपच्चियों को चिकना बनाने में प्रयोग किया जाता है -
    Solution

    गद्यांश में खपच्चियों को चिकना बनाने में प्रयोग किया जाता है - 'दाओ'

    • दाओ- बड़ा धारदार हथियार जिससे बाँस को छीला जाता है। 

    Key Pointsगद्यांश के अनुसार:-

    • टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है।
    • यहाँ फिर दाओ काम आता है I खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

    Additional Informationमसलन:- 

    • अर्थ: रगड़ने का भाव, मर्दन, स्पर्श।

    आसन:-

    • अर्थ: बैठक, बैठने का ढंग।

    उस्तादी:-

    • अर्थ: बुद्धिमान होने की अवस्था या भाव, प्रवीणता, दक्षता।
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिएI

    जुलाई से अक्टूबर, घनघोर बारिश के महीने! यानी लोगों के पास बहुत सारा खाली वक्त या कहो आसपास के जंगलों से बाँस इकट्ठा करने का सही वक्त आमतौर पर वे एक से तीन साल की उम्र वाले बाँस काटते हैं। बूढ़े बाँस सख़्त होते हैं और टूट भी तो जाते हैं। बाँस से शाखाएँ और पत्तियाँ अलग कर दी जाती हैं। इसके बाद ऐसे बाँसों को चुना जाता है जिसमें गाँठें दूर-दूर होती हैं। दाओ यानी चौड़े, चाँद जैसे फाल वाले चाकू से इन्हें छीलकर खपच्चियाँ तैयार की जाती हैंI खपच्चियों की लम्बाई पहले से ही तय कर ली जाती हैI मसलन, आसन जैसी चीज़ें बनाने के लिए बाँस को हरेक गठान से काटा जाता है लेकिन टोकरी बनाने के लिए हो सकता है कि दो या तीन या चार गठानों वाली लम्बी खपच्चियाँ काटी जाएँI यानी कहाँ से काटा जाएगा यह टोकरी की लम्बाई पर निर्भर करता है।

    आमतौर पर खपच्चियों की चौड़ाई एक इंच से ज्यादा नहीं होती है। चौड़ी खपच्चियाँ किसी काम की नहीं होतीं I इन्हें चीर कर पतली खपच्चियाँ बनाई जाती हैं। पतली खपच्चियाँ लचीली होती हैं। खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है हाथों की कलाकारी के बिना खपच्चियों की मोटाई बराबर बनाए रखना आसान नहीं। इस हुनर को पाने में काफ़ी समय लगता है।

    टोकरी बनाने से पहले खपच्चियों को चिकना बनाना बहुत ज़रूरी है। यहाँ फिर दाओ काम आता हैI खपच्ची बाएँ हाथ में होती है और दाओ दाएँ हाथ में।

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    'खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है' वाक्य में _______ भाव निहित है।
    Solution

    'खपच्चियाँ चीरना उस्तादी का काम है' वाक्य में तकनीक और कला का भाव निहित है।

    Key Points

    • तकनीक- किसी विशेष कला का ज्ञान, यांत्रिकी, प्रविधि
    • कला- शिल्प, हूनर, आर्ट, हुनर, कौशल, दस्तकारी।

    Additional Informationसौंदर्य:- 

    • अर्थ: सुंदर होने की अवस्था या भाव, सुंदरता, खूबसूरती।

    खतरा:-

    • अर्थ: आशंका या संभावना से युक्ति स्थिति, डर, भय, आशंका।

    सावधानी:-

    • अर्थ: सतर्क रहने की अवस्था, सतर्कता, चौकसी, होशियारी, सचेतता।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए।

    वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लाभ है। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष। वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है। ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है। वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है। वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है। पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई, वार्निश, रेशम, प्लाइवुड, कागज, रबर आदी उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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    मानवता को सदैव किसने सहायता पहुँचाई है?
    Solution

    मानवता को सदैव वृक्षों ने सहायता पहुँचाई है।

    • मानवता-  मानव होने की अवस्था, गुण या भाव
    • 'मानव' मूल शब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • विशेषण शब्द 

    Key Points

    • वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है।
    • वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं।
    • छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। 

    Additional Informationमनुष्य:- 

    • संस्कृत (संज्ञा पुल्लिंग)
    • अर्थ: इंसान, आदमी, नर, मानव
    • विलोम शब्द राक्षस

    सभ्यता:-

    • अर्थ: शिष्टता,नम्रता,शिष्टाचार, शीलवत्ता, भद्रता।
    • सभ्य होने का भाव।
    • विशेषण शब्द 
    • विलोम शब्द असभ्यता, बर्बरता
    • ता उपसर्ग और मूल शब्द सभ्य

    शिक्षक:-

    • अर्थ: गुरु, मार्गदर्शक,अध्यापक, टीचर, मास्टर 
    • शिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जो जागृत कर पाते हैं वे ही शिक्षक कहलाते हैं।

    वृक्ष:-

    •  तरू, अगम, पेड़, पादप, विटप, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम।
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए।

    वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लाभ है। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष। वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है। ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है। वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है। वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है। पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई, वार्निश, रेशम, प्लाइवुड, कागज, रबर आदी उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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    वनों के बारे में कौन-सा कथन सही नहीं है?
    Solution

    वनों के बारे में कथन सही नहीं है- वनों से बाँधों को नुकसान होता है।

    • वन- जंगल, कानन, बीहड़, विटप, विपिन।

    Key Points

    • वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं।
    • वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है।
    • लानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है।
    • नों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। 

    Additional Informationवातावरण:- 

    • वातावरण को पर्यावरण भी कहते है, पर्यावरण दो शब्दो से मिलकर बनना हैं-  परि + आवरण यानी चारों ओर से घेरने वाला या ढकने वाला होगा।
    • अत: हम कह सकते हैं कि वातावरण वह वस्तु है जो व्यक्ति या वस्तु को चारों ओर से घेरे हुआ है।
    • पृथ्वी का वातावरण लगभग 78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन, 0.9% आर्गन, 0.04% कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य गैसों से बना है।
    • अधिकांश जीवों द्वारा श्वसन के लिए ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है। 

    मिट्टी का कटाव या मृदा अपरदन के मुख्य कारण:-

    • वृक्षों का अविवेकपूर्ण कटाव
    • वानस्पतिक फैलाव का घटना
    • वनों में आग लगना
    • भूमि को बंजर/खाली छोड़कर जल व वायु अपरदन के लिए प्रेरित करना
    • मृदा अपरदन को त्वरित करने वाली फसलों को उगाना
    • त्रुटिपूर्ण फसल चक्र अपनाना
    • क्षेत्र ढलान की दिशा में कृषि कार्य करना

    इंधन:-

    • ईधंन (Fuel) ऐसे पदार्थ हैं, जो आक्सीजन के साथ संयोग कर काफी ऊष्मा उत्पन्न करते हैं।
    • 'ईंधन' संस्कृत की इन्ध्‌ धातु से निकला है जिसका अर्थ है - 'जलाना'
    • ठोस ईंधनों में काष्ठ (लकड़ी), पीट, लिग्नाइट एवं कोयला प्रमुख हैं। 
    • पेट्रोलियम, मिट्टी का तेल तथा गैसोलीन द्रव ईधंन हैं। 
    • कोलगैस, भाप-अंगार-गैस, द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस और प्राकृतिक गैस आदि गैसीय ईंधनों में प्रमुख हैं।
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए।

    वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लाभ है। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष। वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है। ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है। वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है। वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है। पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई, वार्निश, रेशम, प्लाइवुड, कागज, रबर आदी उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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    वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति कैसे बढ़ाई जा सकती है?
    Solution

    वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति वृक्षों की पत्तियों से खाद बनने से बढ़ाई जा सकती है।

    Key Points

    • वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं।
    • वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है।
    • ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है।
    • नों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं।  

    Additional Informationमृदा अपरदन या मिट्टी का कटाव:-

    • भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भू-क्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं।  

    वृक्ष:-

    • अर्थ: गाछ, तरू, अगम, पेड़, पादप, विटप, शाखी, विटप, द्रुम।

    वन:-

    •  जंगल, विपिन, कानन, अरण्य, गहन, कांतार, बीहड़।

    भूमि:-

    • धरती, धरा, वसुधा, ज़मीन, पृथ्वी, भू, धरणी

    मिट्टी:-

    • माटी, मृत्तिका, मृदा, धूल
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए।

    वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लाभ है। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष। वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है। ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है। वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है। वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है। पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई, वार्निश, रेशम, प्लाइवुड, कागज, रबर आदी उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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    वर्षा का मूल कारण क्या है?
    Solution

    वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष है।

    • वर्षा- ‌‌‌बारिश, बरसात, वृष्टि, मेह, बरखा, जलार्णव, जल-वृष्टि।

    Key Points

    •  वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है।
    • वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है।
    • वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है।
    • क्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है।  

    Additional Informationवृक्ष:-

    • 'वृक्ष' का पर्यायवाची शब्द है - 'गाछ'
    • अन्य पर्यायवाची शब्द- तरू, अगम, पेड़, पादप, विटप, दरख्त, शाखी, विटप, द्रुम आदि।

    दुर्लभ:-

    • अर्थ: कठिनता से प्राप्त होनेवाला
    • अन्य अर्थ: अनोखा, विरल, अनूठा, कठिन,अनमोल, अप्राप्य, अलभ्य। 
    • संधि विच्छेद- दुः + लभ (विसर्ग संधि)
    • दुर् उपसर्ग और लभ मूल शब्द हैं। 

    सुरम्य:-

    • अर्थ: अत्यंत मनोरम, रमणीय, बेहद सुंदर, आकर्षक, ख़ूबसूरत।
    • विशेषण शब्द 
    • विलोम असुंदर,अनाकर्षक

    पक्षी:-

    • पर्यायवाची शब्द- पतंग, पंछी, खग, विहग, परिन्दा, चिडिया, गगनचर, पखेरू, विहंग
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों का सही उत्तर दीजिए।

    वृक्षों ने मानव सभ्यता तथा मानवता को सदैव सहायता पहुँचाई है। वृक्ष एक सहायक, शिक्षक तथा मित्र रहे हैं। छायादार वृक्ष हमें छाया प्रदान करते हैं। वनों से दो प्रकार के लाभ है। प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष। वनों से हमें ईंधन, इमारती लकड़ी, गोंद, लाख, रबर, औषधियाँ, रंग, फल, फूल आदि प्राप्त होते हैं। वनों से वातावरण शुद्ध होता है। वनों से मिट्टी का कटाव रुकता है। ढलानों तथा बाँधों पर वृक्षारोपण करके वर्षा के कारण होने वाले भूमिक्षरण को रोका जा सकता है। वनों से भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है क्योंकि वृक्षों की पत्तियाँ खाद बनाने के काम आती हैं। वनों से वर्षा का भी घनिष्ठ संबंध है। वर्षा का मूल कारण हरे-भरे वृक्ष ही है। वनों मे ही अनेक दुर्लभ जीव-जन्तुओं का निवास होता है। पक्षियों का कलरव प्रकृति के सुरम्य वातावरण अर्थात वनों में ही मिलता है। दियासलाई, वार्निश, रेशम, प्लाइवुड, कागज, रबर आदी उद्योगों को भी वनों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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    भूमिक्षरण का अर्थ होगा-
    Solution

    भूमिक्षरण का अर्थ होगा- भूमि का कटाव

    • भूमि का क्षरण

    Key Points

    • भूमि के कणों का अपने मूल स्थान से हटने एवं दूसरे स्थान पर एकत्र होने की क्रिया को भूमिक्षरण या मृदा अपरदन कहते हैं

    Additional Informationभूमि:-

    • अर्थ: भू, पृथ्वी, धरा, धरती, धरित्री, धरणी, वसुधा, वसुंधरा 

    उद्भव:-

    • अर्थ: आरम्भ , जीवन , जन्म , उत्पत्ति , प्रसूति , शुरुआत , श्रीगणेश
    • उद्भव का विलोम अवसान
    • विशेषण शब्द 

    शक्ति:-

    • अर्थ: बल, ताकत, जोर, क्षमता, योग्यता, सामर्थ्य। 
    • शक्ति का विलोम क्षीणता

    रक्षा:-

    • अर्थ: ​संरक्षण, सुरक्षा, प्रतिरक्षा, हिफाजत, बचाव, रखवाली। 
    • रक्षा का  विलोम विनाश
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश : गद्याश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए

    हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती । यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं । मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे – ‘मास’ के लिए या ‘क्लास' के लिए । उनके दायरे सीमित थे । लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ । शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ | बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी । तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे । न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच । यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल । फिर भी ये रचनाएँ| कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं | पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती |

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    लेखक ने क़िस्सागोई को ज़िंदगी से अलग नहीं माना, क्योंकि
    Solution

    "हम अपने आस-पास जो देखते, महसूस करते हैं, उसे शब्द देते हैं" इसलिए लेखक ने क़िस्सागोई को ज़िंदगी से अलग नहीं माना।

    Key Points

    • किस्सागोई :- किस्सा कहानी सुनाने वाला 
    • कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं।
    • पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती।
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश : गद्याश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए

    हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती । यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं । मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे – ‘मास’ के लिए या ‘क्लास' के लिए । उनके दायरे सीमित थे । लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ । शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ | बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी । तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे । न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच । यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल । फिर भी ये रचनाएँ| कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं | पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती |

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    ‘दलील का हलक से नहीं उतरने’ का आशय है

    Solution

    ‘दलील का हलक से नहीं उतरने’ का आशय है "दलील को स्वीकार न कर पाना।"

    Key Points

    • लेखक के अनुसार:-
      • दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ ।
      • युक्ति, तर्क,बहस :- दलील
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश : गद्याश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए

    हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती । यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं । मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे – ‘मास’ के लिए या ‘क्लास' के लिए । उनके दायरे सीमित थे । लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ । शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ | बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी । तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे । न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच । यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल । फिर भी ये रचनाएँ| कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं | पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती |

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     लेखक के लेखन की क्‍या ख़ास बात है ?
    Solution

    "उनका लेखन सभी तरह के लोगों के दिल को छूता है..." यही लेखक के लेखन ख़ास बात है।

    Key Points

    • आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती।
    • यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं।
    • मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी।
  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश : गद्याश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए

    हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती । यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं । मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे – ‘मास’ के लिए या ‘क्लास' के लिए । उनके दायरे सीमित थे । लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ । शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ | बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी । तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे । न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच । यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल । फिर भी ये रचनाएँ| कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं | पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती |

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    गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि

    Solution

    गद्यांश के आधार पर कहा जा सकता है कि "लेखक बेहद कल्पनाशील और सृजनशील हैं।"

    Key Points

    • कल्पना + शील = कल्पनाशील
    • सृजन + शील = सृजनशील 
      • शील यहाँ प्रत्यय है
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश : गद्याश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों में सबसे उचित विकल्प चुनिए

    हैरानी की बात यह है कि मेरी दलील मित्रों के हलक से नहीं उतरती थी, तब मैं उनसे कहता था - साहित्य की हर विधा को, हर तरह की लेखनी को मैं बतौर चुनौती स्वीकार करता हूँ । आम आदमी से लेकर ख़ास आदमी तक के हृदय को छूना कोई मामूली बात नहीं होती । यह तो आप भी स्वीकार करेंगे, क्योंकि यह काम सिर्फ रामबाण और महाभारत जैसे ग्रंथ ही कर पाते हैं । मेरी यह दलील रामबाण सिद्ध होती थी, वे सारे मित्र सोच में पड़ जाते थे, क्योंकि वे केवल किसी भी एक वर्ग के लिए लिख पाते थे – ‘मास’ के लिए या ‘क्लास' के लिए । उनके दायरे सीमित थे । लेकिन मैं दायरों के बाहर का शख्स हूँ । शायद इसी कारण मैं आपसे खुलकर अंतरंग बातें भी कर सकता हूँ | बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी । तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे । न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच । यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल । फिर भी ये रचनाएँ| कहानी के शिल्प में कहानी विधा के अंतर्गत लिखी गई पुख्ता क़िस्सागोई हैं | पर यह किस्सागोई ज़िंदगी से अलग नहीं हो सकती |

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    लेखक को कहानी लिखने में
    Solution

    लेखक को कहानी लिखने में "मेहनत नहीं करनी पड़ती है।"

    • लेखक और गद्यांश के अनुसार
      • बात कहानी की रचना-प्रक्रिया से आरंभ की थी।
      • तब मैं ‘ओ हेनरी' की एक कहानी पढ़ता था और भीतर दो नई कहानियों के बीज अपने आप पड़ जाते थे।
      • न कोई मशक़्क़त, न कोई गहरी सोच।
      • यह प्रोसेस मेरे लिए उतना ही आसान था जितना कि कैरम का खेल ।
  • Question 16
    5 / -1
    दिये गए विकल्पों में से ‘अपना उल्लू सीधा करना’ मुहावरे के अर्थ का चयन कीजिये।
    Solution

    दिये गए विकल्पों में से ‘अपना उल्लू सीधा करना’ मुहावरे का उचित अर्थ ‘अपना स्वार्थ पूरा करना’ है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    मुहावरा

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    अपना उल्लू सीधा करना

    अपना स्वार्थ पूरा

    अरुण को तो अपना उल्लू सीधा करना था , अब वह तुषार से बात भी नहीं करता ।

     

    अन्य विकल्प:

    मुहावरा

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    अँगूठा दिखाना

    समय पर धोखा देना

    मैंने राधिका से कुछ पैसे मांगे तो उसने मुझे अंगूठा दिखा दिया।

    अक्ल का दुश्मन 

    मूर्ख

    अरे! अक्ल के दुश्मन , यदि जीवन में सफलता पानी है तो मेहनत करो।

    अक्ल पर पत्थर पढ़ना

    बुद्धि नष्ट होना

    मुसीबत आने पर मनुष्य की अक्ल पर पत्थर पड़ जाते हैं।

  • Question 17
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्य में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं| बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं| चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें|

    A) भारतीय किसानों की भयंकर गरीबी और

    B) कमी आयी जो जमीन के मालिक थे।

    C) उनके जीवन पर धीरे - धीरे कब्ज़ा कर लिया।

    D) इस तरह ऐसे किसानों की संख्या में

    E) उनकी कर्जदार स्थिति के कारण व्यापारियों और साहूकारों या जमीदारी ने

    F) इसके स्थान पर जमीन का स्वामित्व कुछ लोगों के हाथों से सिमटता चला गया।
    Solution
    उपर्युक्त विकल्पों के सही क्रमानुसार वाक्य होगा - भारतीय किसानों की भयंकर गरीबी और उनकी कर्जदार स्थिति के कारण व्यापारियों और साहूकारों या जमीदारी ने उनके जीवन पर धीरे - धीरे कब्ज़ा कर लिया। इस तरह ऐसे किसानों की संख्या में कमी आयी जो जमीन के मालिक थे। इसके स्थान पर जमीन का स्वामित्व कुछ लोगों के हाथों से सिमटता चला गया।
  • Question 18
    5 / -1
    हर्ष, शोक, विस्मय इत्यादि भावों को प्रकट करने वाला अव्यय है-
    Solution

    हर्ष, शोक, विस्मय इत्यादि भावों को प्रकट करने वाला अव्यय है-'विस्मयादिबोधक अव्यय'

    Key Pointsविस्मयादिबोधक अव्यय:- 

    • जिन अव्यय शब्दों से हर्ष , शोक , विस्मय , ग्लानी , लज्जा , घर्णा , दुःख , आश्चर्य आदि के भाव का पता चलता है उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं।
    • इनका संबंध किसी पद से नहीं होता है। इसे घोतक भी कहा जाता है। विस्मयादिबोधक अव्यय में (!) चिन्ह लगाया जाता है।
    • जैसे-
      • (i) वाह! क्या बात है।
      • (ii) हाय! वह चल बसा।

    Additional Informationसमुच्चयबोधक अव्यय:-

     

    • जो शब्द दो शब्दों , वाक्यों और वाक्यांशों को जोड़ते हैं उन्हें समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।
    • इन्हें योजक भी कहा जाता है। ये शब्द दो वाक्यों को परस्पर जोड़ते हैं।
    • पहचान- जहाँ पर और, तथा, लेकिन, मगर, व, किन्तु, परन्तु, इसलिए, इस कारण, अत:, क्योंकि, ताकि, या, अथवा, चाहे, यदि, कि, मानो, आदि, यानि, तथापि आते हैं वहाँ पर समुच्चयबोधक अव्यय होता है।
    • जैसे-
      • सूरज निकला और पक्षी बोलने लगे।
      • तुम जाओगे कि मैं जाऊं।

    ​संबंधसूचक अव्यय:-

    • जिन अव्यय शब्दों के कारण संज्ञा के बाद आने पर दूसरे शब्दों से उसका संबंध बताते हैं उन शब्दों को संबंधबोधक शब्द कहते हैं। ये शब्द संज्ञा से पहले भी आ जाते हैं।
    • पहचान- जहाँ पर बाद, भर, के ऊपर, की और, कारण, ऊपर, नीचे, बाहर, भीतर, बिना, सहित, पीछे, से पहले, से लेकर, तक, के अनुसार, की खातिर, के लिए आते हैं वहाँ पर संबंधबोधक अव्यय होता है।
    • जैसे-
      • ​मैं पूजा से पहले स्नान करता हूँ।
      • धन के बिना व्यवसाय चलाना कठिन है।

    क्रिया-विशेषण:-

    • जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उसे क्रिया -विशेषण कहते हैं।
    • पहचान- जहाँ पर यहाँ , तेज , अब , रात , धीरे-धीरे , प्रतिदिन , सुंदर , वहाँ , तक , जल्दी , अभी , बहुत आते हैं वहाँ पर क्रियाविशेषण अव्यय होता है।
    • जैसे-
      • वह यहाँ से चला गया।
      • घोडा तेज दौड़ता है।
  • Question 19
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्य, दिए गए विकल्पों में से किस प्रकार का है ?

    यदि रमण मेहनत करता, तो अवश्य सफल होता
    Solution

    ‘यदि रमण मेहनत करता, तो अवश्य सफल होताl’ अतिरिक्त विकल्प असंगत हैं। अतः सटीक विकल्प मिश्र वाक्य है।

    स्पष्टीकरण

    मिश्र वाक्य

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    शीला ने एक पुस्तक मांगी और वह उसे मिल गईl

     

    विकल्पों का स्पष्टीकरण

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    सरल वाक्य 

    ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी।

    चाय तैयार कर दोl

    संयुक्त वाक्य

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।

    राधा धूप में बैठकर सब्जी काटने लगीl

  • Question 20
    5 / -1
    इनमें से आदिकाल की कौन-सी रचना गद्य में लिखी गयी है?
    Solution

    आदिकाल में 'वर्ण रत्नाकार' रचना गद्य में लिखी गयी है।

    Key Points

    • वर्ण रत्नाकर (14 वी सदी) के रचनाकार ज्योतिरीश्वर ठाकुर है।

    वर्ण रत्नाकर से संबंधित अन्य बिंदुः-

    • हिन्दी दरबार और भारतीय जीवन पद्धति का यथार्थ चित्रण।
    • मैथिली हिंदी मे इसकी रचना हुई है
    • इसका संपादन सुनीति कुमार चटर्जी ने किया है।

    Additional Information 

    रचना रचनाकार
    जयचंद प्रकाश (महाकाव्य)केदार भट्ट 
    परमाल रासोजगनिक
    वसंत विलास

    लेखक अज्ञात है।

    यह एक अलौकिक श्रृंगारिक कृति है।

    Important Pointsआदिकालीन गद्य साहित्यः-

    रचनारचनाकार
    कुवलयमाला कहा (9 वी सदी)उद्यतन सूरि
    राउलवेल (10 वी सदी) रोड कवि
    उक्तिव्यक्तिप्रकरण (12 वी सदी)दामोदर शर्मा
    वर्णरत्नाकर (14 वी सदी)ज्योतिरीश्वर ठाकुर 
  • Question 21
    5 / -1

    दिए गए वाक्यांश के लिए उचित विकल्प चुनिए- 

    जो ज्ञात न हो 

    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘अज्ञात’ होगा। अन्य विकल्प इसके सही उत्तर नहीं हैं।

    • जिसका पता ना हो  - अज्ञात 

    अन्य विकल्प:

    एक शब्द

    वाक्यांश

    अप्रत्याशित

    जिसकी आशा न की गयी हो

    असहिष्णु

    जो सहनशील न हो

    अकिंचन

    जिसके पास कुछ भी न हो

     

  • Question 22
    5 / -1
    कबूतर का पर्यायवाची शब्द है-
    Solution
    • कबूतर का पर्यायवाची शब्द पारावत है। अतः सही विकल्प पारावत है, अन्य सभी विकल्प असंगत है|

     Key Points
    पर्यायवाची अर्थात समान अर्थ को बताने वाले शब्द |

    • कबूतर: पारावत, रक्तलोचन, हारीत
    • अकिंचन: गरीब, निर्धन, दरिद्र
    • कोपल: किसलय, नवपल्लव
    • उलूक: कौशिक, खूसट, लक्ष्मीवाहन
  • Question 23
    5 / -1
    कृष्ण काव्य-धारा के प्रवर्तक हैं |
    Solution
    जिन सगुण भक्त कवियों के द्वारा भगवान् विष्णु के अवतार के रूप में ‘कृष्ण’ की उपासना की गयी, उनके द्वारा रचित काव्य कृष्ण भक्ति काव्य कहलाता है | 

    प्रवर्तक – वल्लभाचार्य जी

    Additional Information

     काव्यधारा 

       परिचय 

    सन्त काव्य धारा

    हिंदी सन्त काव्य का प्रारम्भ निर्गुण काव्य धारा से होता है । आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने नामदेव और कबीर द्वारा प्रवर्तित भक्ति धारा को 'निर्गुण ज्ञानाश्रयी धारा' की संज्ञा प्रदान की है 

    सुफी काव्य धारा

    सूफी काव्य धारा के अधिंकाश कवि मुसलमान है लेकिन इनमें धार्मिक कट्टरता का अभाव है। इन कवियों ने सूफी मत के प्रचार-प्रसार के लिए हिन्दू घरों में प्रचलित प्रेम-कहानियों को अपना काव्य विषय बनाया। हिन्दी के प्रथम सूफी कवि 'मुल्लादाऊद' को माना जाता है। आचार्य शुक्ल ने हिन्दी का प्रथम सूफी कवि 'कुतुबन' को माना है।

    रामभक्ति काव्य धारा

    जिन भक्त कवियों ने विष्णु के अवतार के रूप में राम की उपासना को अपना लक्ष्य बनाया वे 'रामाश्रयी शाखा' या 'राम काव्य धारा' के कवि कहलाए। 

     

    Important Points

     कृष्णभक्ति काव्य के विविध संप्रदाय -

    क्र.स.

    संप्रदाय का नाम 

    प्रवर्तक आचार्य 

    कृष्ण का स्वरूप

    1

    बल्लभ संप्रदाय

    बल्लभाचार्य 

    पूर्णानंद परब्रह्म पुरषोत्तम

    2

    निम्बार्क संप्रदाय 

    निम्बार्काचार्य 

    राधा – कृष्ण की युगल मूर्ति

    3

    राधाबल्लभ संप्रदाय 

    हितहरिवंश 

    राधा ही प्रमुख है , कृष्ण ईश्वरों के भी ईश्वर हैं। 

    4

    हरिदासी संप्रदाय (सखी संप्रदाय ) 

    स्वामी हरिदास 

    निकुंज बिहारी कृष्ण

    5

    चैतन्य संप्रदाय 

    चैतन्य महाप्रभु 

    ब्रजेन्द्र कुमार कृष्ण

  • Question 24
    5 / -1
    'पुराना’ किस प्रकार का विशेषण है?
    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 2 ‘गुणवाचक’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
    जैसे - उसका मकान अत्यधिक 'पुराना' है।

    Key Points 

    विशेषण

    परिभाषा

    उदाहरण

    गुणवाचक विशेषण

    वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण, धर्म, स्वाभाव आदि का बोध कराये।

    बलशाली, पुराण, नया, तीक्ष्ण, कमजोर, मोटा, दुर्बल, पठारी आदि।

    परिमाणबोधक विशेषण

    ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा का बोध कराते हैं।

    चार किलो, एक मीटर, दो लीटर, थोड़ा, बहुत आदि।

    सार्वनामिक विशेषण

    वे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले आयें और विशेषण की तरह उस संज्ञा शब्द की विशेषता बताएं।

    यह लड़की वही है जिसने मेरा पेन लिया था।

      संख्यावाचकऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं।दो, तीनों, चार गुना, प्रत्येक आदि।
     

    Additional Information

    विशेषण

    जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताते हैं। उन्हें विशेषण कहा जाता है।

    विशेषण  के मुख्यतः आठ भेद हैं –

    विशेषण

    परिभाषा

    उदाहरण

    गुणवाचक विशेषण

    वे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के गुण, धर्म, स्वाभाव आदि का बोध कराये।

    बलशाली, पुराण, नया, तीक्ष्ण, कमजोर, मोटा, दुर्बल, पठारी आदि।

    संख्यावाचक विशेषण

    ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं।

    दो, तीनों, चार गुना, प्रत्येक आदि।

    परिमाणवाचक विशेषण

    ऐसे शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम की मात्रा का बोध कराते हैं।

    चार किलो, एक मीटर, दो लीटर, थोड़ा, बहुत आदि।

    सार्वनामिक विशेषण

    वे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले आयें और विशेषण की तरह उस संज्ञा शब्द की विशेषता बताएं।

    यह लड़की वही है जिसने मेरा पेन लिया था।

    व्यक्तिवाचक विशेषण

    ऐसे शब्द जो संज्ञा के भेद व्यक्तिवाचक संज्ञा से बने होते हैं एवं विशेषण शब्दों की रचना करते हैं।

    मुझे भारतीय खाना बहुत पसंद है।

    प्रश्नवाचक विशेषण

    ऐसे शब्द जिनका संज्ञा या सर्वनाम में जानने के लिए प्रयोग होता है।

    यह व्यक्ति कौन है ?

    तुलनाबोधक विशेषण

    जब वस्तुओं के गुण - दोष की तुलना आपस में की जाये।

    वह राधा से भी ज्यादा सुरीला गाती है।

    सम्बन्धवाचक विशेषण

    विशेषण शब्दों का प्रयोग करके किसी एक वस्तु या व्यक्ति का सम्बन्ध दूसरी वस्तु या व्यक्ति के साथ दर्शाया जाये।

    घर की बाहरी दीवार ख़राब हो रही है।

  • Question 25
    5 / -1
    आदिकाल को 'सिद्धसामंतकाल' किसने कहा था ?
    Solution

    आदिकाल को 'सिद्धसामंतकाल' कहा है-राहुल सांकृत्यायन।

    राहुल सांकृत्यायन-

    • इनके अनुसार इस कालखंड के सामाजिक जियन पर सिद्धों और राजनीतिक जीवन पर सामंतों का एकाधिकार था।
    • इस युग के कवियों ने सामंतों का यशोगान ही अधिक किया है। 
    • इस युग की प्रवृतियों से पता चलता है कि इस समय सिद्धों व सामंतों का वर्चस्व था। 
      • लकिन इन सब बिन्दुओं से आदिकाल का नाम सिद्धसामंत काल उचित नही ठहरता है। 

    Key Pointsअन्य विद्वानों द्वारा दिए गये नाम-

    विद्वान नामकरण 
    रामकुमार वर्मासंधि एवं चारणकाल
    महावीरप्रसाद द्विवेदीबीजवपन काल
    हजारीप्रसाद द्विवेदीआदिकाल

    Important Pointsआदिकाल-

    • शुक्ल के अनुसार-
      • "हिंदी साहित्य का आदिकाल संवत 1050 से लेकर संवत 1375 तक अर्थात महाराज भोज के समय से लेकर हम्मीर देव के समय के कुछ पीछे तक माना जा सकता है।"
    • अन्य नाम-
      • चारण काल-ग्रियर्सन
      • प्रारम्भिक काल-मिश्रबन्धु
      • वीरगाथाकाल-रामचन्द्र शुक्ल
      • वीरकाल-विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
      • आधार काल-सुमन राजे 
    • सर्वमत हजारीप्रसाद द्विवेदी द्वारा दिया गया नाम आदिकाल ही मान्य है।
  • Question 26
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्य, दिए गए विकल्पों में से किस प्रकार का है ?

    गायें घास खा रही है और बकरियां भी घास खा रही है।

    Solution

    ‘गायें घास खा रही है और बकरियां भी घास खा रही है।’ अतिरिक्त विकल्प असंगत हैं। अतः सटीक विकल्प संयुक्त वाक्य है।

    स्पष्टीकरण:

    संयुक्त वाक्य

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।

    राधा धूप में बैठकर सब्जी काटने लगीl

     

    विकल्पों का स्पष्टीकरण:-

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    मिश्र वाक्य

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    शीला ने एक पुस्तक मांगी और वह उसे मिल गईl

    सरल वाक्य

    ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी।

    चाय तैयार कर दोl

  • Question 27
    5 / -1
    'बीजक' नामक ग्रंथ के लेखक थे
    Solution

    "बीजक" का लेखन "कबीरदास" ने किया है अतः उक्त विकल्पों में से कबीरदास विकल्प (2) सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

    Key Points

    • कबीर की रचनाओं का संकलन "बीजक" कहलाता है।
    • इस कृति को कबीर पंथ की पवित्र पुस्तक मानी जाती है।
    • बीजक के तीन भाग है:-
      • साखी 
      • सबद 
      • रमैनी

    Additional Information

    बीजक के भाग

    संबंधित

    रमैनी

    • मूलबीह्ज पहला प्रकरण है। 
    • इसमें 'रमैनी' नामक चौरासी पद्ध हैं।

    शब्द

    • यह दूसरा प्रकरण है। 
    • इसमें 'शब्द' नामक 115 पद्ध हैं।
  • Question 28
    5 / -1
    "इंद्र पर विजय प्राप्त करने वाला" - वाक्यांश के लिए एक शब्द बताइये।
    Solution

    यहाँ दिए  गये विकल्पों में 'इंद्र पर विजय प्राप्त करने वाला' सबसे सटीक विकल्प हैI अन्य विकल्प अपेक्षित उत्तर नहीं हैंI अतः सही विकल्प इंद्र पर विजय प्राप्त करने वाला हैI 

    Key Points

    •  "इंद्र पर विजय प्राप्त करने वाला" इस वाक्यांश के लिए एक शब्द 'इन्द्रजीत' हैI
    • वाक्यांश के लिए एक शब्द से तात्पर्य है वह शब्द जिसकी परिभाषा के लिए शब्दों के समूह का प्रयोग किया जाता हैI
    • उदाहरण : - 'जिसका मन ममता से भरा हुआ हो' = ममत्व

    Additional Information

    शब्द

    वाक्यांश

    इंद्रराज

    जहाँ इंद्र का राज हो

     इन्द्रीयजीत

    इन्द्रियों पर विजय पाने वाला

     

  • Question 29
    5 / -1
    'नीरस' शब्द का विलोम शब्द ज्ञात कीजिए। 
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'सरस है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 


    Key Points

    • 'नीरस' का विलोम शब्द 'सरस' होगा। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे। 
    • नीरस के पर्यायवाची शब्द हैं - फीका, बेरस, बेजायका, अस्वाद। 
    • सरस के पर्यायवाची शब्द हैं - रसीला, आर्द्र, मोहक, मनोहर, शोभनीय, भावपूर्ण, रसपूर्ण, तालाब।


    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/

    विपरीतार्थक

    'विलोम' शब्द का अर्थ है-उल्टा या विपरीत। अत: किसी शब्द का उल्टा अर्थ व्यक्त करने वाला शब्द विलोमार्थक या विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं। 

    राग-द्वेष

    सामिष-निरामिष

    व्यष्टि-समष्टि

  • Question 30
    5 / -1
    'धीरज' किस प्रकार की संज्ञा है
    Solution

    'धीरज' भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है।

    Key Points

    • धीरज’ शब्द भाववाचक संज्ञा का उदाहरण है। 
    • किसी प्राणी या पदार्थ के स्वभाव, गुण, भाव आदि का बोध करने वाले शब्द भाववाचक संज्ञा कहलाते हैं।
    • - मीठा, थकान, गुस्सा आदि

    Additional Information 
     

    संज्ञा - किसी प्राणी, वस्तु, स्थान, गुण या भाव के नाम को संज्ञा कहते है। संज्ञा के प्रकार -

    संज्ञा

    परिभाषा

    उदाहरण

    व्यक्तिवाचक

    जो शब्द केवल एक व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध कराते हैं उन शब्दों को व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    राम, गंगा, पटना

    जातिवाचक

    जो संज्ञा एक ही प्रकार की वस्तुओं का (पूरी जाति का) बोध कराती है।

    नदी, पर्वत, लड़की

    पदार्थवाचक 

    जिस संज्ञा शब्द से उस सामग्री या पदार्थ का बोध होता है जिससे कोई वस्तु बनी है।

    सोना, चाँदी, पानी

    समूहवाचक

    जो संज्ञा शब्द किसी एक व्यक्ति का वाचक न होकर पूरे समूह या समुदाय का वाचक हो।

    वर्ग, सभा

    भाववाचक

    जो संज्ञा किसी भाव, गुण, दशा आदि का बोध कराती है।

    क्रोध, मिठास, यौवन 

  • Question 31
    5 / -1
    'पहचान' शब्द का तत्सम रूप है
    Solution
    पहचान शब्द का तत्सम रूप प्रत्यभिज्ञान है। Key Pointsअभिज्ञान
    • अभिज्ञान संज्ञा है। 
    • समानार्थी शब्द - पहचान , अभिज्ञा , पहिचान,याद करना , पहचानना , जानना , पहचान , निशानी , मुद्रा की छाप , मुहर ।
    • अभिज्ञान एक तरह की क्रिया  है।
    • लिंग - पुल्लिंग
    • अभिज्ञान में कौनसा उपसर्ग है?
    • अभिज्ञान में 'अभि' उपसर्ग है।

    परिखा

    • परिखा संज्ञा है।
    • समानार्थी शब्द - खाई , परिखात
    • परिखा- एक तरह का गड्ढा , मानव कृति 

    Additional Information

    • नियम १- श्र का प्रयोग ज़्यादातर तत्सम (संस्कृत क शब्दों ) में होता है 
    • जैसे क्षत्रिय , नक्षत्र ,शिक्षक ,लक्षय। 
    • नियम २-प्राय तत्सम में  व वर्ण और तद्भव में ब वर्ण हो जाता है।  
    • नियम ३- प्राय जिन तत्सम शब्दों में श होता है।  उनके तद्भव शब्दों में  स हो जाता है।  
    • तत्सम शब्दों में ‘ष’ वर्ण का प्रयोग होता है।
    • तत्सम शब्दों में ‘श’ का प्रयोग होता है और तद्भव शब्दों में ‘स’ का प्रयोग हो जाता है। 
    तत्सम तद्भव
    दिपशलाकादिया सलाई
    धन्नश्रेष्ठी धन्नासेठी
    आम्रचूर्णआमचूर
    आदित्यवारइतवार

     

  • Question 32
    5 / -1

    राम और लक्ष्मण दशरथ के पुत्र थे।

    इस वाक्य में 'और' है

    Solution
    राम और लक्ष्मण दशरथ के पुत्र थे।इस वाक्य में समुच्चय बोधक हैImportant Points
    • जैसे की रेलवे का जंक्शन में दो गाडी मिलती है उसे जंक्शन कहते है। उसी तरह समुच्चय बोधक में  दो  वाक्य  को जोड़ के एक वाक्य बनता है उसे समुच्चय बोधक बोलते है। 

    जहाँ पर तब , और , वरना, किन्तु , परन्तु ,इसलिए ,क्योकि या अथवा हो वह पर समुच्चय बोधक होगा।  Additional Information 

    • वाक्य का प्रयोग -
    • राम ने खाना खाया और सो गया।
    • सीता ने बहुत महेनत करी फिर भी सफल नहीं हुई।

    अगर तुम बुलाते तो मैं जरूर आता।

    संबंध बोधकजो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के बाद आकर वाक्य के दूसरे शब्द के साथ सम्बन्ध बताए उसे संबंधबोधक कहते.मेज के ऊपर किताबे है।
    कारक परसर्गसम्बन्धो को प्रकट करने के लिए जो शब्द चिन्हो का उपयोग किया जाता है उसे परसर्ग कहते है इसलिए इस कारक को परसर्ग कारक कहते है।राम ने पत्र लिखा।

    Important Points

    • परसर्ग -जो शब्द है पर के साथ सर्ग की बाद करता है।पर +सर्ग= परसर्ग का मतलब बाद की बात या दूसरा
    • सर्ग का मतलब टुकड़ा हिस्सा या भाग या विपरीत के अर्थ में भी लिया जाते है इसको।
    • जब हमने इसको अलग अलग की दो अलग अलग अर्थ लेके आये है।
    • परसर्ग क्यों कहते है -
    • ये शब्द के बाद का जो हिस्सा होता है वो शब्द परसर्ग कहलाता है। सम्बन्धो को प्रकट करने के लिए जो शब्द चिन्हो का उपयोग किया जाता है उसे परसर्ग कहते है इसलिए इस कारक को परसर्ग कारक कहते है।
    • परसर्ग का विलोम है उपसर्ग होता है। उप का मतलब पहले होता है।
    • शब्द के साथ करक चिन्हो के साथ प्रयोग होता है।
    • राम ने (कारक चिन्ह )खाना खाया।
    • कारक -वो वाक्य में प्रयुक्त होने वाले संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का क्रिया के साथ सम्बन्ध बताता है।
    • राम ने पत्र लिखा।
    • क्रिया क्या हो रही है-लिखने की
    • संज्ञा राम है राम का सम्बन्ध क्रिया के साथ है।
      क्रिया को करने वाला कर्ता होता है।
  • Question 33
    5 / -1
    'शहद' शब्द है 
    Solution
    शहद तद्भव शब्द है, अतः विकल्प 2 सही उत्तर होगा 
    शहद शब्द संस्कृत के मधु शब्द से बना हैKey Points
    तत्सम शब्द तद्भव शब्द 
    श्वेत सफ़ेद 
    नासिका नाक 
    रुक्ष रुख 
    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्सम

    ऐसे शब्द जो संस्कृत से ज्यों के त्यों लिए गए, तत्सम होते हैं।

    कूप, उष्ट्र, पंचम आदि

    तद्भव

    संस्कृत से हिंदी में आने पर जिन शब्दों का रूप बदल गया हो, तद्भव कहलाते हैं।      

    आग, काम, पाँच आदि

    देशज शब्द

    ऐसे शब्द जो देश की अन्य या क्षेत्रीय भाषा से हिंदी में सम्मिलित हुए हैं।

    थैला, लोटा आदि।

    विदेशज शब्द

    अन्य देश की भाषा से आए हुए शब्द जो हिंदी भाषा में सम्मिलित हुए। इन विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, उर्दू, अंग्रेजी व पुर्तगाली शामिल हैं।   

    अदालत,   ऑफिस  आदि।

  • Question 34
    5 / -1
    सलाई शब्द का तत्सम रूप है -
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "शलाका" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

    Key Points
    • सलाई शब्द का तत्सम रूप शलाका है।
    • तत्सम शब्द
      • जिन संस्कृत के मूल शब्दों को बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में ज्यों का त्यों प्रयोग किया जाता है, उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं।
    • शलाका
      • स्त्रीलिंग
        • सलाखा।
        • सलाई।
    Additional Information
    • शिला का तद्भव रूप:- सिल
    • शिला के पर्याय
      • शैल, प्रस्तर, उपल, अश्म, पत्थर, पाहन, पाषाण।
    • शलाका के पर्याय
      • भाला, कुंत, बर्छा, नेजा, बरछा।
  • Question 35
    5 / -1

    निर्देश: पर्यायवाची शब्द के आधार पर निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिये|

    कटक का पर्यायवाची शब्द है

    Solution

    कटक’ का पर्यायवाची शब्द ​​चतुरंगिणी है|  अतः सही विकल्प ​​चतुरंगिणी है|

    Key Points

    • कटक का पर्यायवाची ( Synonym ) शब्द है -

    फौज, सेना, पलटन, लश्कर

    अन्य विकल्प-

    कातिल

    खूनी, हत्यारा, घातक

    किरीट

    ताज, मुकुट, शिरोभूषण

    खंड

    अंश, भाग, हिस्सा, टुकड़ा

     

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    पर्यायवाची

    एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।

    आग-अनल, पावक, दहन।

    हवा-समीर, अनिल, वायु।

  • Question 36
    5 / -1
    निम्‍न में कौन सा शब्‍द तद्भव है ?
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "प्यास" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत है।

    Key Points

    • प्यास शब्द तद्भव शब्द है।
    • तत्सम रूप :- पिपासा
    • प्यास का पर्यायवाची शब्द
      • पिपासा, तृष्णा, तृषा, कामना, लालसा, ललक।
    • तद्भव
      • तद्भव का शाब्दिक अर्थ है - उससे बने (तत् + भव = उससे उत्पन्न), अर्थात जो उससे (संस्कृत से) उत्पन्न हुए हैं।
      • यहाँ पर तत् शब्द भी संस्कृत भाषा की ओर इंगित करता है। अर्थात जो संस्कृत से ही बने हैं।
    Additional Information
    • शेष अन्य सभी विकल्प तत्सम रूप हैं।
    • पुरातन का तद्भव :-  पुराना 
    • पौत्र का तद्भव :- पोता
    • पुत्र का तद्भव :- पूत
  • Question 37
    5 / -1
    'शुष्क' शब्द का विलोम होगा:
    Solution
    • 'शुष्क' शब्द का विलोम 'आर्द्र' होगा
    • शुष्क का अर्थ सूखा होता है, जबकि आर्द्र का अर्थ गीला होता है


    Key Points

    • विलोम शब्द: जो शब्द हमें उल्टा अर्थ बताते है,उन्हें 'विलोम शब्द' कहा जाता है।
    • जैसे शीर्ष - तल,अग्रज - अनुज
    • अन्य विकल्पों का विश्लेषण:
       
    शब्द उसके विलोम शब्द 
    सरस नीरस 
    सीलन सूखा 

    Important Points
    • विलोम शब्द का चुनाव करते समय शब्द तत्सम है या तद्भव यह भी देख लेना चाहिए
    • इस प्रश्न में 'शुष्क' शब्द का सीलन भी सही विकल्प हो सकता है,परन्तु सीलन तद्भव है और
    • शुष्क तत्सम शब्द है। इसलिये 'आर्द्र' शब्द तत्सम है जो सही माना जाएगा। 
  • Question 38
    5 / -1
    निम्नलिखित में से कौन-सा शब्द विदेशज है? 
    Solution

    समाधान:

    उपर्युक्त विकल्पों में से उपरोक्त सभी विदेशज हैं।

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्सम शब्द

    ऐसे शब्द जिन्हें बिना किसी परिवर्तन के संस्कृत से हिन्दी में शामिल कर लिया गए हों।

    जैसे - आम्र, उष्ट्र, ऐश्वर्य, षष्ठी आदि।

    तद्भव शब्द

    ऐसे शब्द जो संस्कृत से हिंदी में आने पर उनका रूप बदल गया।

    जैसे - आग, खीर, छत आदि।

    देशज शब्द

    ऐसे शब्द जो देश की अन्य या क्षेत्रीय भाषा से हिंदी में सम्मिलित हुए ।

    जैसे – थैला, लोटा, टाँग, पगड़ी आदि।

    विदेशज/ आगत/ विदेशी शब्द

    अन्य देश की भाषा से आये हुए शब्द जो हिंदी भाषा में सम्मिलित हुए। इन विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, उर्दू, अंग्रेजी व पुर्तगाली शामिल हैं।

    जैसे - अदालत, ऑफिसर, बुखार, हज़म आदि।

    संकर शब्द

    हिंदी में वे शब्द जो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बनाए गए हैं, संकर शब्द कहलाते हैं।

    जैसे - उप-बोली, भोजन-घर, छायादार, फलदार इत्यादि।

     

  • Question 39
    5 / -1
    निम्न में से "इन्दिरा" का पर्यायवाची कौन-सा है?
    Solution

    यहाँ दिए गये विकल्पों में रमा सबसे उपयुक्त शब्द हैI अन्य विकल्प सही नहीं हैंI अतः सही विकल्प रमा हैI

    Key Points

    • 'इंदिरा' का पर्यायवाची शब्द है  लक्ष्मी, चंचला, कमला, पद्मा, रमा, हरिप्रिया, श्री, पद्ममा, सिन्धुसुता, कमलासना।
    • पर्यायवाची शब्द अर्थात पर्यायवाची शब्द उन्हें कहते हैं, जब भिन्न-भिन्न शब्दों का अर्थ समान हो, अर्थात एक ही शब्द के स्थान पर समान अर्थ वाले अलग अलग शब्द प्रयोग किये जा सके।

    Additional Information

    शब्द

    पर्यायवाची

    भय

    भीति, त्रास, खौफ, साध्वस, अंदेशा, आतंक, विभीषिका

    आतुर

    अधीर, धैर्यहीन, व्यग्र, बेकरार, उतावला।

    उपक्रम

    आरंभ करने के पहले का आयोजन,  योजना, तैयारी।

  • Question 40
    5 / -1
    'घोड़े बेचकर सोना' मुहावरे का सही अर्थ है -
    Solution

    उपर्युक्त मुहावरे का सही अर्थ 'बेफिक्र होना' है।

    Key Points

    • 'घोड़े बेचकर सोना' मुहावरे का अर्थ - बेफिक्र होना है
    • वाक्य प्रयोग - आज तो बहुत थक गया इस कारण रोजेश घोडे बेच कर सो रहा है उसे ‌‌‌जगाना मत।
    • अन्य विकल्प उचित अर्थ नहीं हैं।

    Additional Information

    मुहावरा परिभाषा

    उदाहरण

    मुहावरा का शाब्दिक अर्थ ‘अभ्यास’ है। मुहावरा शब्द अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में ऐसे वाक्यांशों को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर  विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।

    अंक भरना- स्नेह से लिपटा लेना

    वाक्य-माँ ने स्नेह से अपने पुत्र को अंक में भर लिया।  

  • Question 41
    5 / -1
    निम्न में से कौन सा शब्द विदेशी है-
    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 4 है। अन्य विकल्प सही उत्तर हैं।

    Key Points

    • 'काजू' विदेशी शब्द है।
    • यह पुर्तगाली शब्द है।

    अन्य सभी विकल्प देशज शब्द हैं।

    Additional Information

    हिंदी भाषा में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते हैं- तत्सम, तद्भव, देशज तथा और विदेशज।

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्सम शब्द

    तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत + सम, जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है।

    उल्लास, लघुक, हस्तिनी

    तद्भव शब्द

    तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं।

    मुख से मुँह, ग्राम से गाँव, दुग्ध से दूध

    देशज शब्द

    वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो परन्तु वे प्रचलन में हों। ऐसे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द आम तौर पर क्षेत्रीय भाषा में प्रयोग किये जाते हैं।

    लोटा, कटोरा, डोंगा, डिबिया

    विदेशज शब्द

    विदेशी भाषाओं से हिंदी में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है। इन विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी व पुर्तगाली शामिल है।

    अदा, अजब, अजीब, अमीर

     

  • Question 42
    5 / -1
    कामायनी के रचयिता कौन है?
    Solution
    • उपर्युक्त विकल्पों में से सही विकल्प 2 'जयशंकर प्रसाद' है, अन्य विकल्प गलत हैं।

    Key Points

    • 'कामायनी' हिंदी भाषा का एक महाकाव्य है जो जयशंकर प्रसाद द्वारा लिखा गया है।
    • यह आधुनिक छायावादी युग का सर्वोत्तम और प्रतिनिधि हिंदी महाकाव्य माना जाता है।
    • 'प्रसाद' जी की यह अंतिम काव्य रचना 1936 ई. में प्रकाशित हुई थी।
    • इसमें 15 सर्ग हैं।

    Additional Information 

    • भारतेंदु हरिश्चन्द्र जी की प्रसिद्ध रचनाएँ:- अंधेर नगरी नाटक, वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति (1873ई., प्रहसन), विषस्य विषमौषधम् 1976ई. (भाण)
    • रामधारी सिंह दिनकर जी की प्रसिद्ध रचनाएँ:- उर्वशी, रश्मिरथी, रेणुका, संस्कृति के चार अध्याय, हुंकार, सामधेनी
    • आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की रचनाएँ:-  'हिन्दी साहित्य का इतिहास', 'चिंतामणि' निबन्ध संग्रह , 'हिन्दी शब्द सागर'
  • Question 43
    5 / -1
    'पैसे से मनुष्य की जीवन जीने की इच्छा बलवती होती है |' रेखांकित वाक्यांश के लिए एक शब्द है -
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर 'जिजीविषा' है। 

    Key Points

    • 'जीवन जीने की इच्छा' इसके लिए एक शब्द 'जिजीविषा' उचित है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 
    • चतुरानन- चार मुख वाला अर्थात गणेश। 
    • जीविका - जीवन निर्वाह का साधन। 

    Additional Information

    वाक्यांश

    भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।

  • Question 44
    5 / -1
    जो सर्वनाम शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु आदि का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं वे कौन से सर्वनाम होते हैं?
    Solution

    दिये गए विकल्पों में से विकल्प 3 निश्चयवाचकसही उत्तर होगा अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    निश्चयवाचक

    जो सर्वनाम शब्द किसी व्यक्ति, वस्तु आदि का निश्चयपूर्वक बोध कराते हैं वे निश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

    वे, यह, वह

     

    अन्य विकल्प:

    अनिश्चयवाचक

    जिन सर्वनाम शब्दों से वस्तु, व्यक्ति, स्थान आदि की निश्चितता का बोध नही होता वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं।

    कुछ, कोई

    निजवाचक

    जहाँ स्वयं के लिए 'आप, अपना, अपने आप' शब्दों का प्रयोग हो।

    अपने आप, स्वतः 

    पुरुषवाचक (व्यक्तिवाचक)

    जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता द्वारा स्वयं के लिए या अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है।

    मैं, हम, मुझे, तू, तुम, तुझे, तुम्हारा, वह, वे, उसने

     

    Additional Information 

    सर्वनाम - संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे - मैं, वह, वे, उन्हें, अपने तुम, हम, मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या’

    सर्वनाम के छः भेद हैं निश्चयवाचक, पुरुषवाचक (व्यक्तिवाचक), निजवाचक, प्रश्नवाचक, अनिश्चयवाचक, संबंधवाचक

  • Question 45
    5 / -1
    निम्नलिखित में से लोकोक्ति का उदाहरण नहीं है?
    Solution
    उड़ती चिड़िया पहचानना यह एक मुहावरा है, अन्य सभी लोकोक्ति के उदाहरण है। अतः विकल्प 1 सही है।
    उड़ती चिड़िया पहचानना -  दूर से ताड़ या भाँप लेना।
     समीर लोगों को पहचानने में इतना अनुभवी है कि उसे उड़ती चिड़िया पहचानने में देर नहीं लगती।
    Key Points
    • थोथा चना बाजे घना - गुणहीन होने पर भी गुणों का दिखावा करना
    • दूर के ढोल सुहावने - दूर की वस्तु अच्छी लगना
    • नौ नगद न तेरह उधार - अधिक मूल्य पर उधार बेचने से कम मूल्य पर नगद बेचना अच्छा है
    Additional Information

    मुहावरा: यह एक ऐसा वाक्यांश है जो उस वाक्य से संबंधित सामान्य अर्थ के बोध की जगह विलक्षण अर्थ का बोध कराते हैं।
    लोकोक्ति: यह एक ऐसा से वाक्यांश है जिसका प्रयोग वाक्य के अंत में कथन की पुष्टि के लिए या उदाहरण देने के लिए किया जाता है।

    • भाषा की सुंदर रचना हेतु मुहावरों एवं लोकोक्तियों का संदर्भानुसार प्रयोग शिक्षण के संदर्भ में सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। 
    • शिक्षण कार्य के दौरान पाठ में निहित तथ्यों के संदर्भ में मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग पाठ को सजीव, प्रवाहपूर्ण, रुचिकर और अर्थपूर्ण बनाता है।

    ​संदर्भ में मुहावरों और लोकोक्तियों का उचित प्रयोग:

    • भाषा प्रयोग को प्रभावी बनाता है।
    • भाषिक अभिव्यक्ति को सजीव बनाता है।
    • पाठ को अर्थपूर्ण, प्रवाहपूर्ण और रुचिकर बनाता है।
    • बच्चों में लिखित-मौखिक अभिव्यक्ति कौशल का विकास करता है।
    • बच्चों को तथ्यों को संदर्भ में जोड़ कर आसानी से समझने में मदद करता है।
  • Question 46
    5 / -1
    देशज शब्द कौन सा है?
    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 3 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    • 'भिंडी' देशज शब्द है।

    अन्य विकल्प:

    • रिक्शा- जापानी शब्द
    • बुजुर्ग- रूसी शब्द
    • डांडी- तिब्बती शब्द

    Additional Information 

    हिंदी भाषा में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते हैं- तत्सम, तद्भव, देशज तथा और विदेशज।

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्सम शब्द

    तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत + सम, जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है।

    उल्लास, लघुक, हस्तिनी

    तद्भव शब्द

    तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं।

    मुख से मुँह, ग्राम से गाँव, दुग्ध से दूध

    देशज शब्द

    वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो परन्तु वे प्रचलन में हों। ऐसे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द आम तौर पर क्षेत्रीय भाषा में प्रयोग किये जाते हैं।

    लोटा, कटोरा, डोंगा, डिबिया

    विदेशज शब्द

    विदेशी भाषाओं से हिंदी में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है। इन विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी व पुर्तगाली शामिल है।

    अदा, अजब, अजीब, अमीर

     

  • Question 47
    5 / -1
    'आजाद' शब्द का विलोम क्या होगा?
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 2 ‘गुलाम’ इसका सही उत्तर है। अन्य विकल्प इसके सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    आजाद का अर्थ – मनमौजी।

    गुलाम का अर्थ –  नौकर।

    अन्य विकल्प

    शब्द

    विलोम

    अंधेरा

    उजाला

    अत्यधिक

    अत्यल्प

    आदत्त

    प्रदत्त


    Additional Information 

    शब्द

    परिभाषा

    विलोमविपरीतार्थक

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

    जैसे - रात-दिन; धरती-आकाश।

  • Question 48
    5 / -1
    देशज शब्द की पहचान कीजिये।
    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 2 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points

    • 'जगमग' शब्द देशज है।

    अन्य विकल्प:

    • तीर, चाकू और शोर सभी फारसी शब्द हैं।

    Additional Information

    हिंदी भाषा में उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के होते हैं- तत्सम, तद्भव, देशज तथा और विदेशज।

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्सम शब्द

    तत्सम दो शब्दों से मिलकर बना है – तत + सम, जिसका अर्थ होता है ज्यों का त्यों। जिन शब्दों को संस्कृत से बिना किसी परिवर्तन के ले लिया जाता है उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं। इनमें ध्वनि परिवर्तन नहीं होता है।

    उल्लास, लघुक, हस्तिनी

    तद्भव शब्द

    तत्सम शब्दों में समय और परिस्थितियों के कारण कुछ परिवर्तन होने से जो शब्द बने हैं उन्हें तद्भव कहते हैं।

    मुख से मुँह, ग्राम से गाँव, दुग्ध से दूध

    देशज शब्द

    वे शब्द जिनकी उत्पत्ति के मूल का पता न हो परन्तु वे प्रचलन में हों। ऐसे शब्द देशज शब्द कहलाते हैं। ये शब्द आम तौर पर क्षेत्रीय भाषा में प्रयोग किये जाते हैं।

    लोटा, कटोरा, डोंगा, डिबिया

    विदेशज शब्द

    विदेशी भाषाओं से हिंदी में आये शब्दों को विदेशी शब्द कहा जाता है। इन विदेशी भाषाओं में मुख्यतः अरबी, फारसी, तुर्की, अंग्रेजी व पुर्तगाली शामिल है।

    अदा, अजब, अजीब, अमीर

     

  • Question 49
    5 / -1

    ''सुधि मेरे आगम की जग में

    सुख की सिहरन हो अंत खिली।''

    उपरोक्त पंक्तियॉं किस कवि की हैं ?

    Solution

    उपरोक्त पंक्तियॉं महादेवी वर्मा जी की कविता मैं नीर भरी दुःख की बदली से अवतरित है
    महादेवी वर्मा की यह एक प्रसिद्ध कविता है। यह 'सांध्य-गीत' (1936) काव्य-संग्रह में संगृहीत है।
    पंक्ति का अर्थ:

    • ये स्मृतियाँ अथवा यादें कैसी हैं
    • वे सुख भरी हैं और उन विचारों से तन-मन सिहर उठता है। उनके साथ नवजीवन के प्रस्फुटन और विस्तार की सुधियाँ हैं जो सुख की सिहरन दे जाती हैं। यही नवजीवन खेतों, मैदानों, वनों में हरियाली के रूप में दिखाई पड़ रहा है, जो वर्षा के आगमन की, उसके उपकार की याद दिलाता है-सुखकर याद। अन्यथा बादलों का क्या? वे तो आते हैं, और चले जाते हैं। 

    Key Points

    महादेवी वर्मा

    1907-1987
     

    नीहार (1930)
    रश्मि (1932)
    नीरजा (1934)
    सांध्यगीत (1936)
    दीपशिखा (1942)
    सप्तपर्णा (अनूदित 1959)
    प्रथम आयाम (1974)
    अग्निरेखा (1990)

    Additional Information

    कविरचनाएँ 
    मैथिलीशरण गुप्त  

    जयद्रथ वध-1910
    भारत-भारती-1912
    पंचवटी-1925

    जयशंकर प्रसाद  

    प्रेमपथिक 
    झरना 
    करुणालय

    सुभद्राकुमारी चौहान

    झाँसी की रानी
    कदम्ब का पेड़
    सभा का खेल

  • Question 50
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित वाक्य में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं| बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं| चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें|

    A) विद्यार्थी, महिला, दलित वर्ग, डॉक्टर, संपादक

    B) विकास करने वाले ऐसे ही अन्य सामाजिक समूहों ने

    C) ऐसे समूहों ने ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस

    D) खुद को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करने का प्रयास किया।

    E) और अपने भीतर साझा हित की चेतना का

    F) और अन्य संगठनों का गठन किया।
    Solution

    विकल्प  3 " E B D C" सही उत्तर है |

    Key Points

    उपर्युक्त विकल्पों के सही क्रमानुसार सही वाक्य होगा - विद्यार्थी, महिला, दलित वर्ग, डॉक्टर, संपादक और अपने भीतर साझा हित की चेतना का विकास करने वाले ऐसे ही अन्य सामाजिक समूहों ने खुद को राष्ट्रीय स्तर पर संगठित करने का प्रयास किया। ऐसे समूहों ने ऑल इंडिया विमेंस कॉन्फ्रेंस और अन्य संगठनों का गठन किया।

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए
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