Self Studies

Hindi Mock Test - 20

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Hindi Mock Test - 20
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Self Studies

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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

    साहित्य का आधार जीवन है, इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है जीवन, परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। मनुष्य अपने कार्यों के लिए परमात्मा के सामने जवाबदेह है या नहीं, हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है तो किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद, इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है।

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    जीवन को साहित्य का आधार क्‍यों कहा गया है?
    Solution

    जीवन को साहित्य का आधार कहा गया है क्योकिं साहित्य, जीवन को परिष्कृत करता है।

    • परिष्कृत- शुद्ध, साफ, स्वच्छ, निर्मल, अलंकृत, सुसज्जित, शिष्ट, सुसंस्कृत।

    Key Points

    • जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है।
    • जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं, लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है।
    • इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता।
    • मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। 

    Additional Informationसाहित्य:-

    • सहित = स+हित = सहभाव, अर्थात हित का साथ होना ही साहित्य है।
    • साहित्य शब्द अंग्रेजी के Literature का पर्यायी है।
    • जिसकी उत्पत्ति लैटिन शब्द Letter से हुई है।
    • भाषा के माध्यम से अपने अंतरंग की अनुभूति,अभिव्यक्ति करानेवाली ललित कला 'काव्य' अथवा 'साहित्य' कहलाती है।
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

    साहित्य का आधार जीवन है, इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है जीवन, परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। मनुष्य अपने कार्यों के लिए परमात्मा के सामने जवाबदेह है या नहीं, हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है तो किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद, इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है।

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    साहित्य के आनन्द का आधार कहाँ है?
    Solution

    साहित्य के आनन्द का आधार सुंदर और सत्य में है।

    • वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है। 

    Key Points

    • किसी शब्द का विलोम शब्द उस शब्द के अर्थ से उल्टा अर्थ वाला होता है। 

    Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण विलोम शब्द:- 

    शब्दविलोम
    सुंदरकुरूप
    सत्यअसत्य
    जीवनमृत्यु
    द्रव ठोस
    परमात्माआत्मा
    प्रकृति कृत्रिम
    आस्तिक नास्तिक
    अज्ञविज्ञ
    उन्नतिअवनति
    दुर्लभ सुलभ
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

    साहित्य का आधार जीवन है, इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है जीवन, परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। मनुष्य अपने कार्यों के लिए परमात्मा के सामने जवाबदेह है या नहीं, हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है तो किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद, इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है।

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    साहित्य का प्रमुख उद्देश्य क्या है?
    Solution

    साहित्य का प्रमुख उद्देश्य आनन्द प्रदान करना है।

    • साहित्य के आनन्द का आधार सुंदर और सत्य है।

    Key Points

    • जो शब्द समान अर्थ के कारण किसी दूसरे शब्द की जगह ले लेते हैं उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं

    Additional Information

    शब्दपर्यायवाची शब्द
    सत्य सच, यथार्थ, शुद्धता ,ठीक ,असली वास्तविक,सही,सच्चा
    खोजतलाश,अनुसंधान,अविष्कार,अन्वेषणा,जाँच-पड़ताल,शोध
    ऐश्वर्य सम्पन्नता, सम्पदा, वैभव, सम्रद्धि,धन-सम्पत्ति,विभूति
    परमात्मा प्रभु, विधाता, ईश्वर, भगवान, परमेश्वर, जगदीश,परमपिता
    आनन्दहर्ष, सुख, आमोद, मोद, प्रसन्नता, आह्राद, प्रमोद, उल्लास
     दुःख वेदना, व्यथा, यंत्रणा, तकलीफ, यातना, पीड़ा। 
    आत्माप्राणी, प्राण, जान, जीवन, चैतन्य, सर्वव्याप्त, विभु, जीव।
    ईर्ष्या स्पर्धा,मत्सर, डाह‌, जलन, कुढ़न।
    उत्पत्ति उद्भव, जन्म, जनन, आविर्भाव।
    कृतज्ञऋणी, आभारी, अनुग्रहित, उपकृत।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

    साहित्य का आधार जीवन है, इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है जीवन, परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। मनुष्य अपने कार्यों के लिए परमात्मा के सामने जवाबदेह है या नहीं, हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है तो किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद, इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है।

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    “परिमित” का अर्थ है -
    Solution

    परिमित का अर्थ सीमित है। 

    • परिमित के अन्य अर्थ- जो मापा जा चुका हो, कम, थोड़ा, मामूली, अल्प।  

    Key Points

    • समान अर्थ प्रदान करने वाले शब्द समानार्थक शब्द कहलाते हैं।   

    Additional Information

    कुछ महत्वपूर्ण समानार्थक शब्द:-

    शब्द  समानार्थक
    फैलानाबिछाना, पसारना,विस्तृत
    दबा हुआथका हुआ , झुका हुआ 
    सुबोधप्रकट , व्यक्त
    सुगम सरल, सहज में पाने योग्य
    अनुपमअनोखा, अनूठा
    ध्येयप्रयोजन, अभिप्राय
    प्रख्यातप्रसिद्ध, मशहूर
    कैवल्यमोक्ष, मुक्ति
    मतंगहाथी
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश - निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर, दिए गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए

    साहित्य का आधार जीवन है, इसी नींव पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियाँ, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दबी पड़ी है जीवन, परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है। मनुष्य अपने कार्यों के लिए परमात्मा के सामने जवाबदेह है या नहीं, हमें नहीं मालूम लेकिन साहित्य तो मनुष्य के सामने जवाबदेह है इसके लिए कानून है, जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवन पर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को वह रत्न द्रव्य में मिलता है तो किसी को ऐश्वर्य में। लेकिन साहित्य का आनंद, इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य है। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना, वही आनंद उत्पन्न करना, साहित्य का उद्देश्य है।

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    "लंबे चौड़े भवन” में रेखांकित शब्द व्याकरणिक दृष्टि से है -
    Solution

    लंबे चौड़े भवन में रेखांकित शब्द व्याकरणिक दृष्टि से विशेषण है।

    Key Points

    • जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण, रंग, आकार, दशा आदि) बतलाए, उसे विशेषण कहते हैं।
    • जैसे- सुंदर, कुरूप, लंबा, नाटा, अच्छा, बुरा, हलका, भारी, चतुर, मूर्ख, लाल, पीला, कुछ, थोड़ा, दो, चार, गोल, चौड़ा, दुबला, पतला आदि।

    Important Points

    उदाहरण:-
    • वह सुंदर है।                       (गुण) 
    • गीता कुरूप है।                  (दोष) 
    • तीन लड़के पढ़ रहे हैं।         (संख्या)
    • थोड़ा दूध पी लो।              (परिमाण) 
    • यह फूल लाल है।                 (रंग) 

    Additional Information

    क्रिया विशेषण:-

    • जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं।
    • जैसे- धीरे-धीरे, तेजजल्दी-जल्दी, वहाँ, वहाँ, कम, ज्यादा, आज, कल, इत्यादि।

    उदाहरण:-

    • राधिका धीरे-धीरे चलती है।
    • चिता सबसे तेज भागता है।

    संज्ञा:-

    • किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं।
    • जैसे - पशु (जाति), सुन्दरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।

    सर्वनाम:-

    • संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले शब्द सर्वनाम कहलाते हैं
    • जैसे-  मै, तुम, तुम्हारा, आप, आपका, इस, उस, यह, वह, हम, हमारा आदि।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    साहित्य का संबंध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से है। जगत की परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना वह रह ही नहीं सकता, इसीलिए कि वह स्वयं जगत का ही एक अंग है। जीवन में जो क्रियाएं हो रही हैं साहित्यकार में उनकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक और अनिवार्य है। समाज का प्रभाव साहित्यकार पर न पड़े, यह असंभव है। हां, साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, आंख बंद कर सकता है जैसा कि दरबारी कवियों ने किया। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। पात्रों और परिस्थिति का ख्यात रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकता। कोरा शब्दांडबर टिकाऊ नहीं। साहित्यकार तो सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक सहृदय, संवेदनशील प्राणी होता है कि अपने देश और काल की ठीक-ठीक परिस्थितियों का निर्भीक चित्रण करे। यदि देश दुखी है और भूख, गुलामी और शोषण का शिकार है और साहित्यकार इन सब क्लेशों की उपेक्षा करके मौज का राग अलापता है तो वह राष्ट्रीय जीवन से कोसों दूर है, वह राष्ट्र के प्रति, साहित्य के प्रति विश्वासघात करता है। उसे साहित्यकार कहलाने का अधिकार नहीं है। साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं है। यह उचित है कि साहित्यकार समाज का दोष जाने, परन्तु केवल उसी के यथार्थ - चित्रण से साहित्यकार का कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। पर साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं होती। हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार-भूमि पर प्रतिष्ठित किया है। अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान है। कोई साहित्यकार राष्ट्र के लिए उपयोगी साहित्य का सृजन कर रहा है, इस बात की अकेली पहचान यह है कि साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहीं।

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    उपर्युक्‍त अनुच्‍छेद के आधार पर निम्‍नलिखित में से कौन सा कथन सहीं है ?
    Solution
    • सही उत्तर विकल्प 1 हैI
    • साहित्यकार प्रचारक नहीं हैI 

    Key Points

    • साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं हैI
    • साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं हैI
    • कोरा शब्दाडम्बर टिकाऊ नहीं हैI 
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    साहित्य का संबंध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से है। जगत की परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना वह रह ही नहीं सकता, इसीलिए कि वह स्वयं जगत का ही एक अंग है। जीवन में जो क्रियाएं हो रही हैं साहित्यकार में उनकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक और अनिवार्य है। समाज का प्रभाव साहित्यकार पर न पड़े, यह असंभव है। हां, साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, आंख बंद कर सकता है जैसा कि दरबारी कवियों ने किया। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। पात्रों और परिस्थिति का ख्यात रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकता। कोरा शब्दांडबर टिकाऊ नहीं। साहित्यकार तो सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक सहृदय, संवेदनशील प्राणी होता है कि अपने देश और काल की ठीक-ठीक परिस्थितियों का निर्भीक चित्रण करे। यदि देश दुखी है और भूख, गुलामी और शोषण का शिकार है और साहित्यकार इन सब क्लेशों की उपेक्षा करके मौज का राग अलापता है तो वह राष्ट्रीय जीवन से कोसों दूर है, वह राष्ट्र के प्रति, साहित्य के प्रति विश्वासघात करता है। उसे साहित्यकार कहलाने का अधिकार नहीं है। साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं है। यह उचित है कि साहित्यकार समाज का दोष जाने, परन्तु केवल उसी के यथार्थ - चित्रण से साहित्यकार का कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। पर साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं होती। हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार-भूमि पर प्रतिष्ठित किया है। अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान है। कोई साहित्यकार राष्ट्र के लिए उपयोगी साहित्य का सृजन कर रहा है, इस बात की अकेली पहचान यह है कि साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहीं।

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    उपर्युक्‍त अनुच्‍छेद के आधार पर निम्‍नलिखित में से कौन सा कथन सही नही है ?
    Solution
    • सही उत्तर "साहित्‍यकार पर समाज का प्रभाव पड़ना आवश्‍यक है" विकल्प 2 होगाI 

    Key Points

    •  साहित्य का सम्बन्ध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से हैI 
    • समाज का प्रभाव साहित्यकार पर ना पड़े, यह असंभव हैI 
    • हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार भूमि पर प्रतिष्ठित किया हैI 
    • साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, जैसा कि दरबारी कवियों ने कियाI 

    Important Points

    • साहित्य समाज का दर्पण हैI - प्रेमचंद 
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    साहित्य का संबंध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से है। जगत की परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना वह रह ही नहीं सकता, इसीलिए कि वह स्वयं जगत का ही एक अंग है। जीवन में जो क्रियाएं हो रही हैं साहित्यकार में उनकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक और अनिवार्य है। समाज का प्रभाव साहित्यकार पर न पड़े, यह असंभव है। हां, साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, आंख बंद कर सकता है जैसा कि दरबारी कवियों ने किया। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। पात्रों और परिस्थिति का ख्यात रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकता। कोरा शब्दांडबर टिकाऊ नहीं। साहित्यकार तो सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक सहृदय, संवेदनशील प्राणी होता है कि अपने देश और काल की ठीक-ठीक परिस्थितियों का निर्भीक चित्रण करे। यदि देश दुखी है और भूख, गुलामी और शोषण का शिकार है और साहित्यकार इन सब क्लेशों की उपेक्षा करके मौज का राग अलापता है तो वह राष्ट्रीय जीवन से कोसों दूर है, वह राष्ट्र के प्रति, साहित्य के प्रति विश्वासघात करता है। उसे साहित्यकार कहलाने का अधिकार नहीं है। साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं है। यह उचित है कि साहित्यकार समाज का दोष जाने, परन्तु केवल उसी के यथार्थ - चित्रण से साहित्यकार का कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। पर साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं होती। हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार-भूमि पर प्रतिष्ठित किया है। अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान है। कोई साहित्यकार राष्ट्र के लिए उपयोगी साहित्य का सृजन कर रहा है, इस बात की अकेली पहचान यह है कि साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहीं।

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    उपर्युक्‍त अनुच्‍छेद के आधार पर राष्‍ट्र के लिए उपयोगी साहित्‍य - सर्जक की पहचान क्‍या है ? 
    Solution
    • सही उत्तर "सत्‍य का ग्रहण और निर्भयतापूर्ण अभिव्‍यक्ति" विकल्प 3 हैI

    Key Points

    •  साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहींI 
    • इस तरह के उदहारण हमें भारतेंदु युग और द्विवेदी युग में देखने को मिलते हैंI 
    • उस वक़्त राष्ट्रीय प्रेरणा से ओतप्रोत साहित्य का सर्जन हो रहा थाI 

    Important Points

    •  साहित्यकार संवेदनहीन नहीं हो सकताI
    • सामाजिक पीड़ा की उपेक्षा कर के अच्छा साहित्य नहीं रचा जा सकताI
    • पात्रों और परिस्थितियों के प्रति निरपेक्ष रहना आवश्यक है लेकिन अभिव्यक्ति रचनाकार का मूल उद्देश्य होना चाहिएI 

    Additional Information

    • उदहारण - रोवहु सब मिली, आवहु भारत भाईI हा! हा! भारत दुर्दशा न देखी जाईII  ( भारतेंदु ) 
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    साहित्य का संबंध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से है। जगत की परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना वह रह ही नहीं सकता, इसीलिए कि वह स्वयं जगत का ही एक अंग है। जीवन में जो क्रियाएं हो रही हैं साहित्यकार में उनकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक और अनिवार्य है। समाज का प्रभाव साहित्यकार पर न पड़े, यह असंभव है। हां, साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, आंख बंद कर सकता है जैसा कि दरबारी कवियों ने किया। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। पात्रों और परिस्थिति का ख्यात रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकता। कोरा शब्दांडबर टिकाऊ नहीं। साहित्यकार तो सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक सहृदय, संवेदनशील प्राणी होता है कि अपने देश और काल की ठीक-ठीक परिस्थितियों का निर्भीक चित्रण करे। यदि देश दुखी है और भूख, गुलामी और शोषण का शिकार है और साहित्यकार इन सब क्लेशों की उपेक्षा करके मौज का राग अलापता है तो वह राष्ट्रीय जीवन से कोसों दूर है, वह राष्ट्र के प्रति, साहित्य के प्रति विश्वासघात करता है। उसे साहित्यकार कहलाने का अधिकार नहीं है। साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं है। यह उचित है कि साहित्यकार समाज का दोष जाने, परन्तु केवल उसी के यथार्थ - चित्रण से साहित्यकार का कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। पर साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं होती। हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार-भूमि पर प्रतिष्ठित किया है। अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान है। कोई साहित्यकार राष्ट्र के लिए उपयोगी साहित्य का सृजन कर रहा है, इस बात की अकेली पहचान यह है कि साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहीं।

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    उपर्युक्‍त अनुच्‍छेद के आधार पर साहित्‍य का पुनीत अनुष्‍ठान क्‍या है ?
    Solution
    • सही उत्तर "अशिव की क्षति" विकल्प 4 होगाI 

    Key Points

    •  अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान हैI 
    • अशिव - दुर्भाग्य, अकल्याणकारी 

    Important Points

    • साहित्य में रसानुभूति और यथार्थ की उपेक्षा नहीं हो सकतीI
    • साहित्य सिर्फ मौज या मनोरंजन नहीं हैI
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित परिच्छेद को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए:

    साहित्य का संबंध व्यक्ति और राष्ट्रीय जीवन से है। जगत की परिस्थितियों से प्रभावित हुए बिना वह रह ही नहीं सकता, इसीलिए कि वह स्वयं जगत का ही एक अंग है। जीवन में जो क्रियाएं हो रही हैं साहित्यकार में उनकी प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक और अनिवार्य है। समाज का प्रभाव साहित्यकार पर न पड़े, यह असंभव है। हां, साहित्यकार पलायन अवश्य कर सकता है, आंख बंद कर सकता है जैसा कि दरबारी कवियों ने किया। आज की परिस्थितियां बिल्कुल भिन्न हैं। पात्रों और परिस्थिति का ख्यात रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकता। कोरा शब्दांडबर टिकाऊ नहीं। साहित्यकार तो सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा कहीं अधिक सहृदय, संवेदनशील प्राणी होता है कि अपने देश और काल की ठीक-ठीक परिस्थितियों का निर्भीक चित्रण करे। यदि देश दुखी है और भूख, गुलामी और शोषण का शिकार है और साहित्यकार इन सब क्लेशों की उपेक्षा करके मौज का राग अलापता है तो वह राष्ट्रीय जीवन से कोसों दूर है, वह राष्ट्र के प्रति, साहित्य के प्रति विश्वासघात करता है। उसे साहित्यकार कहलाने का अधिकार नहीं है। साहित्यकार फोटोग्राफर मात्र नहीं है। यह उचित है कि साहित्यकार समाज का दोष जाने, परन्तु केवल उसी के यथार्थ - चित्रण से साहित्यकार का कर्तव्य पूरा नहीं हो जाता। पर साहित्यकार प्रचारक नहीं है, इसका अर्थ यह नहीं है कि उसकी रचना की सामाजिक उपादेयता नहीं होती। हमारे प्राचीन, संस्कृत के साहित्याचार्यों ने साहित्य को उपादेयता की आधार-भूमि पर प्रतिष्ठित किया है। अशिव की क्षति साहित्य का बड़ा पुनीत अनुष्ठान है। कोई साहित्यकार राष्ट्र के लिए उपयोगी साहित्य का सृजन कर रहा है, इस बात की अकेली पहचान यह है कि साहित्यकार सत्य तथा राष्ट्रीयता को अपनी श्रद्धानुसार जिस रूप में ग्रहण करे, उसी रूप में निर्भयतापूर्ण व्यक्त करे, भागे नहीं।

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    उपर्युक्‍त अनुच्‍छेद के आधार पर साहित्‍यकार के लिए पात्रों और परिस्थितियों का ख्‍याल रखना क्‍यों जरूरी है ?
    Solution
    • सही उत्तर "रस के उद्रेक के लिए" विकल्प 3 होगाI

    Key Points

    • पात्रों और परिस्थितियों का ख्याल रखना जरुरी है, क्योंकि इनका ख्याल रखे बिना रस का उद्रेक नहीं हो सकताI 
    • साहित्य का सीधा सम्बन्ध व्यक्ति  से हैI
    • राष्ट्रीय जीवन महत्वपूर्ण हैI

    Important Points

    • रस - काव्यास्वाद या काव्यानंद 
    • रस उद्रेक - रस का प्रमुख और प्रचुर रूपI 
    • शब्दाडम्बर से साहित्य में कृत्रिमता आती हैI
    • अच्छा साहित्य प्रचार के लिए नहीं ललचाताI 
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए  I

    चिनार में पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I इंग्लैंड में, विशेष रूप से लंदन में एक बहुत बड़े क्षेत्र में चिनार से मिलते-जुलते वृक्ष पाए जाते हैं I इन वृक्षों में चिनार के सभी गुण देखने को मिलते हैं, किंतु कुछ भिन्‍नताएँ भी हैं I इनके संबंध में यह कहा जा सकता है कि इन्हें अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा भारत से ले जाया गया है अथवा यह भी हो सकता है कि ये चिनार की संकर प्रजातियाँ हों I

    30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    उत्तर भारत का यह शानदार विशाल वृक्ष पूरे वर्ष भर बहुत सुंदर दिखता है, किंतु सर्दियों के मौसम में अपने तने और फूलों के कारण यह सर्वाधिक सुंदर दिखाई देता है I 

    आजकल चिनार को उत्तर भारत के कुछ अन्य स्थानों पर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं I इस कार्य में कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है I अब हमें कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं है I

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    विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष है -
    Solution

    विश्व में सबसे तेजी से बढ़ने वाला वृक्ष चिनार है

    Key Pointsचिनार:-

    • पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I
    • यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I
    • यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया हैI 
    • वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I
    • 30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I
    • इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I 

    Additional Informationपीपल:-

    • पीपल की छाया बरगद से कम होती है, फिर भी इसके पत्ते अधिक सुन्दर, कोमल और चंचल होते हैं।
    • वसंत ऋतु में इस पर धानी रंग की नयी कोंपलें आने लगती है। बाद में, वह हरी और फिर गहरी हरी हो जाती हैं।
    • पीपल के पत्ते जानवरों को चारे के रूप में खिलाये जाते हैं, विशेष रूप से हाथियों के लिए इन्हें उत्तम चारा माना जाता है। 

    बरगद:-

    • इसे 'वट' और 'बड़' भी कहते हैं। यह एक स्थलीय द्विबीजपत्री एंव सपुष्पक वृक्ष है।
    • इसका तना सीधा एंव कठोर होता है।
    • इसकी शाखाओं से जड़े निकलकर हवा में लटकती हैं तथा बढ़ते हुए धरती के भीतर घुस जाती हैं एंव स्तंभ बन जाती हैं।
    • इसका फल छोटा गोलाकार एंव लाल रंग का होता है।
    • इसका बीज बहुत छोटा होता है किन्तु इसका पेड़ बहुत विशाल होता है। इसकी पत्ती चौड़ी, एंव लगभग अण्डाकार होती है।
    • इसकी पत्ती, शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ने से दूध जैसा रस निकलता है जिसे लेटेक्स अम्ल कहा जाता है।

    देवदार:-

    • एक सीधे तने वाला ऊँचा शंकुधारी पेड़ है, जिसके पत्ते लंबे और कुछ गोलाई लिये होते हैं तथा जिसकी लकड़ी मजबूत किन्तु हल्की और सुगंधित होती है।
    • इनके शंकु का आकार सनोबर (फ़र) से काफी मिलता-जुलता होता है।
    •  जिसकी ऊंचाई 40-50 मी. तक और कभी-कभार 60 मी. तक होती है। 
    • देवदार के पत्ते हरे रंग के और कुछ लाली लिए हुए होते है।
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए  I

    चिनार में पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I इंग्लैंड में, विशेष रूप से लंदन में एक बहुत बड़े क्षेत्र में चिनार से मिलते-जुलते वृक्ष पाए जाते हैं I इन वृक्षों में चिनार के सभी गुण देखने को मिलते हैं, किंतु कुछ भिन्‍नताएँ भी हैं I इनके संबंध में यह कहा जा सकता है कि इन्हें अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा भारत से ले जाया गया है अथवा यह भी हो सकता है कि ये चिनार की संकर प्रजातियाँ हों I

    30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    उत्तर भारत का यह शानदार विशाल वृक्ष पूरे वर्ष भर बहुत सुंदर दिखता है, किंतु सर्दियों के मौसम में अपने तने और फूलों के कारण यह सर्वाधिक सुंदर दिखाई देता है I 

    आजकल चिनार को उत्तर भारत के कुछ अन्य स्थानों पर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं I इस कार्य में कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है I अब हमें कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं है I

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    'ऊँचाई' शब्द है -
    Solution

    ऊँचाई शब्द भाववाचक संज्ञा हैI

    Key Points

    •  जिन शब्दों से किसी प्राणी या पदार्थ के गुण, भाव, स्वभाव के अवस्था का बोध होता है उन्हें भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
    • जैसे- लम्बाई, मिठास, बुढ़ापा, गरीबी, आजादी, साहस, वीरता आदि

    Additional Information

    विशेषण:-

    • जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, परिमाण, रंग, आकार, दशा आदि) बतलाए, उसे विशेषण कहते हैं।
    जैसे- 
    • सुंदर, कुरूप, लंबा, नाटा, अच्छा, बुरा, हलका, भारी, चतुर, मूर्ख, लाल, पीला, कुछ, थोड़ा, दो, चार, गोल, चौड़ा, दुबला, पतला आदि।

    क्रिया विशेषण:-

    • जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का बोध होता है उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। 

    जैसे-

    • धीरे-धीरे , जल्दी-जल्दी, वहाँ, वहाँ, कम, ज्यादा, आज, कल, इत्यादि।

    जातिवाचक संज्ञा:-

    • जिस शब्द से किसी प्राणी या वस्तु की समस्त जाति का बोध होता है,उन शब्दों को जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।

    जैसे-

    • फूल, मनुष्य, वृक्ष, लड़का, वस्तु, नदी  इत्यादि।
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए  I

    चिनार में पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I इंग्लैंड में, विशेष रूप से लंदन में एक बहुत बड़े क्षेत्र में चिनार से मिलते-जुलते वृक्ष पाए जाते हैं I इन वृक्षों में चिनार के सभी गुण देखने को मिलते हैं, किंतु कुछ भिन्‍नताएँ भी हैं I इनके संबंध में यह कहा जा सकता है कि इन्हें अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा भारत से ले जाया गया है अथवा यह भी हो सकता है कि ये चिनार की संकर प्रजातियाँ हों I

    30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    उत्तर भारत का यह शानदार विशाल वृक्ष पूरे वर्ष भर बहुत सुंदर दिखता है, किंतु सर्दियों के मौसम में अपने तने और फूलों के कारण यह सर्वाधिक सुंदर दिखाई देता है I 

    आजकल चिनार को उत्तर भारत के कुछ अन्य स्थानों पर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं I इस कार्य में कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है I अब हमें कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं है I

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    उत्तर भारत में चिनार के वृक्ष कहाँ मिलेंगे?
    Solution

    उत्तर भारत में चिनार के वृक्ष देहरादून मिलेंगेI

    • कुछ अन्य स्थान कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं हैI

    Key Points

    • भारत के उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून है। 
    • जो भारत की राजधानी दिल्ली से 230 किलोमीटर दूर दून घाटी में बसा हुआ है।
    • 9 नवंबर, 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य को विभाजित कर जब उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था, उस समय इसे उत्तराखण्ड (तब उत्तरांचल) की अंतरिम राजधानी बनाया गया
    • देहरादून नगर पर्यटन, शिक्षा, स्थापत्य, संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है।

    Additional Informationपुरानी दिल्‍ली:- 

    • इस शहर का इतिहास महाभारत के जितना ही पुराना है।
    • इस शहर को इंद्रप्रस्थ के नाम से जाना जाता था, जहां कभी पांडव रहे थे।
    • समय के साथ-साथ इंद्रप्रस्थ के आसपास आठ शहर : लाल कोट, दीनपनाह, किला राय पिथौरा, फिरोज़ाबाद, जहांपनाह, तुगलकाबाद और शाहजहानाबाद बसते रहे।

    पंचकुला:-

    • पंचकुला शब्द संस्कृत से लिया गया है पंच (संस्कृत: पंच) (पांच) और कुला (संस्कृत: कुला) (नहरों) जिसका मतलब है "5 नहरों का शहर"।
    • पंचकुला हरियाणा राज्य का एक सुव्यवस्थित शहर है।
    • यह संघ राज्य क्षेत्र चंडीगढ़ का एक उपग्रह शहर है।
    • भारतीय पश्चिमी कमांड के प्रतिष्ठित चंडीमंदिर छावनी मुख्यालय भी पंचकुला शहर में स्थित हैं।
    • पंचकूला, बरवाला, पिंजोर, कालका और रायपुर रानी नामक जिले में पांच शहरों हैं।
    • मोरनी के नाम से जाना जाने वाला एकमात्र हिल स्टेशन भी जिला पंचकूला में स्थित है।

    हरियाणा:-

    • हरियाणा उत्तर भारत का एक राज्य है जिसकी राजधानी चण्डीगढ़ है।
    • इसकी सीमायें उत्तर में पंजाब और हिमाचल प्रदेश, दक्षिण एवं पश्चिम में राजस्थान से जुड़ी हुई हैं।
    • यमुना नदी इसके उत्तर प्रदेश राज्य के साथ पूर्वी सीमा को परिभाषित करती है।
    • राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हरियाणा से तीन ओर से घिरी हुई है और फलस्वरूप हरियाणा का दक्षिणी क्षेत्र नियोजित विकास के उद्देश्य से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शामिल है।
  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए  I

    चिनार में पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I इंग्लैंड में, विशेष रूप से लंदन में एक बहुत बड़े क्षेत्र में चिनार से मिलते-जुलते वृक्ष पाए जाते हैं I इन वृक्षों में चिनार के सभी गुण देखने को मिलते हैं, किंतु कुछ भिन्‍नताएँ भी हैं I इनके संबंध में यह कहा जा सकता है कि इन्हें अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा भारत से ले जाया गया है अथवा यह भी हो सकता है कि ये चिनार की संकर प्रजातियाँ हों I

    30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    उत्तर भारत का यह शानदार विशाल वृक्ष पूरे वर्ष भर बहुत सुंदर दिखता है, किंतु सर्दियों के मौसम में अपने तने और फूलों के कारण यह सर्वाधिक सुंदर दिखाई देता है I 

    आजकल चिनार को उत्तर भारत के कुछ अन्य स्थानों पर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं I इस कार्य में कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है I अब हमें कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं है I

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    चिनार वृक्ष की विशेषता नहीं है -
    Solution

    चिनार वृक्ष की विशेषता नहीं है- एक स्थान से दूसरे स्थान पर न लगनाI

    Key Points

    •  चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I
    •  इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I
    •  इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता
    • चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    Additional Informationचिनार:- 

    • पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I
    • यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I
    • यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I 
    • वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I 
    • 30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I 
    • चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I 
    • इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I

    प्राकृतिक:-

    • मूल शब्द : प्रकृति और प्रत्यय : झ्क 
    • प्रकृति से उत्पन्न
    • प्रकृति, व्यापकतम अर्थ में, प्राकृतिक, भौतिक या पदार्थिक जगत या ब्रह्माण्ड हैं।
    • "प्रकृति" का सन्दर्भ भौतिक जगत के दृग्विषय से हो सकता है और सामन्यतः जीवन से भी हो सकता हैं।
    • प्रकृति का अध्ययन, विज्ञान के अध्ययन का बड़ा हिस्सा है।
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए  I

    चिनार में पर्यावरण के साथ अनुकूलन करने की विशिष्ट क्षमता होती है I यह पर्यावरण प्रदूषण को भी सरलता से सहन कर लेता है I यही कारण है कि एक विस्तृत क्षेत्र में फैलने वाला वृक्ष बन गया है I वर्तमान समय में इसे एशिया के अधिकांश देशों के साथ ही यूरोप और अमेरिका के बहुत से भागों में भी देखा जा सकता है I इंग्लैंड में, विशेष रूप से लंदन में एक बहुत बड़े क्षेत्र में चिनार से मिलते-जुलते वृक्ष पाए जाते हैं I इन वृक्षों में चिनार के सभी गुण देखने को मिलते हैं, किंतु कुछ भिन्‍नताएँ भी हैं I इनके संबंध में यह कहा जा सकता है कि इन्हें अंग्रेज़ी शासन काल में अंग्रेजों द्वारा भारत से ले जाया गया है अथवा यह भी हो सकता है कि ये चिनार की संकर प्रजातियाँ हों I

    30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I

    उत्तर भारत का यह शानदार विशाल वृक्ष पूरे वर्ष भर बहुत सुंदर दिखता है, किंतु सर्दियों के मौसम में अपने तने और फूलों के कारण यह सर्वाधिक सुंदर दिखाई देता है I 

    आजकल चिनार को उत्तर भारत के कुछ अन्य स्थानों पर लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं I इस कार्य में कुछ सफलता भी प्राप्त हुई है I अब हमें कश्मीर के साथ ही नई दिल्‍ली, मेरठ, देहरादून, चंडीगढ़ आदि स्थानों पर चिनार वृक्ष देखने को मिल जाएँगे, किंतु इन वृक्षों में कश्मीर के चिनार वृक्षों जैसी ऊँचाई और फैलाव नहीं है I

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    पर्यावरण के साथ अनुकूलन क्षमता के कारण चिनार -
    Solution

    पर्यावरण के साथ अनुकूलन क्षमता के कारण चिनार पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव नहीं पड़ता I

    Key Points

    •  चिनार 30-40 मीटर ऊँचा और लगभग 1.2 मीटर घेरे वाला यह भव्य एवं शानदार वृक्ष कश्मीर की शोभा है I
    • चिनार की गणना विश्व की सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाले वृक्षों में की जाती है I इसकी आयु भी बहुत लंबी होती है I 
    • यह वृक्ष 100 वर्षों में लगभग 30 मीटर की ऊँचाई प्राप्त कर लेता है एवं इसका तना 1 मीटर घेरे वाला हो जाता है I 
    • चिनार के वृक्षों को प्राकृतिक क्षति भी बहुत कम होती है I
    • इसमें विभिन्‍न प्रकार की मिट्टी में अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता होती है तथा यह तेज हवाएँ भी सहन कर लेता है I 
    • इसकी जड़ों से यदि कोई छेड़छाड़ की जाए तो भी यह नष्ट नहीं होता I 
    • चिनार की एक प्रमुख विशेषता यह है कि इसके पाँच मीटर ऊँचे वृक्ष को भी एक स्थान से उखाड़ कर दूसरे स्थान पर लगा सकते हैं I 

    Additional Informationपर्यावरण:-

    • पर्यावरण शब्द ‘परि’ एवं ‘आवरण’ से मिलकर बना है।
    • परि का अर्थ चारों ओर आवरण का अर्थ घेरा होता है अर्थात् हमारे चारों ओर जो कुछ भी दृश्यमान एवं अदृश्य वस्तुएँ हैं, वही पर्यावरण है।
    • दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि हमारे आस-पास जो भी पेड़-पौधें, जीव-जन्तु, वायु, जल, प्रकाश, मिट्टी आदि तत्व हैं वही हमारा पर्यावरण है।

    पर्यावरण प्रदूषण के कारण:-

    • जनसंख्या वृद्धि 
    • स्त्रोतों का अनियंत्रित दोहन 
    • आर्थिक विकास 
    • परिवहन विस्तार 
    • आधुनिक तकनीकों का प्रसार 
    • जनता का अशिक्षित एवं गरीब होना 
    • उर्वरकों तथा कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग 
    • वनों का विनाश 
  • Question 16
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिये गए गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

    कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। अगर सामाजिक मसलों पर पिछड़ने के कारण तलाशें तो कहीं न कहीं विसंगतिपूर्ण शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण कारण है।

    आजादी के छह दशक बाद भी समान शिक्षा प्रणाली की अवधारणा भारतीय समाज के लिए सपना है। दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। एजूकेशन फॉर ऑल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर विश्वास करें तो दुनिया की सर्वाधिक निरक्षर आबादी के साथ भारत प्रगति कर रहा है। पर इस विद्रूप प्रगति का लाभ निरक्षरता हटाने में कितना लाभकारी सिद्ध होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

    संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया, जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6 percent) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षो में आवश्यकता होती है। जिसमें से कुछ राशि वित्त आयोग राज्यों को देता है।

    स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जो निहित स्वार्थों के विरोध के चलते अंततः ख़ारिज हो गया था।

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    उपरोक्त गद्यांश के अनुसार राज्य विधि बनाकर किस वर्ग के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा।
    Solution

    प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा।अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 4 है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं। 

    Key Points

    •  विधि शब्द के पर्यायवाची :
    • विधि : कायदा, कानून, तरीका 

    Important Points

    •  अनिवार्य शब्द के विलोम : 
    • अनिवार्य = निवार्य,ऐच्छिक, वैकल्पिक 

    Additional Information

    •  नि: शुल्क शब्द का संधि विच्छेद : 
    • नि: शुल्क = नि: + शुल्क = नि: शुल्क 
    • नि: शुल्क में विसर्ग संधि है। 
  • Question 17
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिये गए गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

    कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। अगर सामाजिक मसलों पर पिछड़ने के कारण तलाशें तो कहीं न कहीं विसंगतिपूर्ण शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण कारण है।

    आजादी के छह दशक बाद भी समान शिक्षा प्रणाली की अवधारणा भारतीय समाज के लिए सपना है। दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। एजूकेशन फॉर ऑल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर विश्वास करें तो दुनिया की सर्वाधिक निरक्षर आबादी के साथ भारत प्रगति कर रहा है। पर इस विद्रूप प्रगति का लाभ निरक्षरता हटाने में कितना लाभकारी सिद्ध होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

    संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया, जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6 percent) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षो में आवश्यकता होती है। जिसमें से कुछ राशि वित्त आयोग राज्यों को देता है।

    स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जो निहित स्वार्थों के विरोध के चलते अंततः ख़ारिज हो गया था।

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    उपरोक्त गद्यांश का उचित शीर्षक है-
    Solution

    प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि सभी के लिए नि:शुल्क शिक्षा अनिवार्य की जाने चाहिए। अत: इस गद्यांश का उचित शीर्षक अनिवार्य शिक्षा अधिनियम एवं उसका महत्व ही होना चाहिए। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 3 यानि अनिवार्य शिक्षा अधिनियम एवं उसका महत्व ही है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं । 

    Key Points

    •  लाभ शब्द के पर्यायवाची :
    • लाभ = फायदा, मुनाफा, नफा, प्राप्ति 

    Important Points

    •  हानि शब्द के पर्यायवाची : 
    • हानि = नुकसान, घाटा, क्षय 

    Additional Information

    •  अशिक्षित शब्द शिक्षित शब्द में 'अ' उपसर्ग लगाने से बना है। इसी प्रकार से कुछ और शब्द भी बनाए जा सकते हैं : 
    शब्द नया शब्द 
    ज्ञान अज्ञान 
    खंड अखंड 
    धर्म अधर्म 
    हिंसा अहिंसा 

     

  • Question 18
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिये गए गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

    कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। अगर सामाजिक मसलों पर पिछड़ने के कारण तलाशें तो कहीं न कहीं विसंगतिपूर्ण शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण कारण है।

    आजादी के छह दशक बाद भी समान शिक्षा प्रणाली की अवधारणा भारतीय समाज के लिए सपना है। दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। एजूकेशन फॉर ऑल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर विश्वास करें तो दुनिया की सर्वाधिक निरक्षर आबादी के साथ भारत प्रगति कर रहा है। पर इस विद्रूप प्रगति का लाभ निरक्षरता हटाने में कितना लाभकारी सिद्ध होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

    संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया, जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6 percent) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षो में आवश्यकता होती है। जिसमें से कुछ राशि वित्त आयोग राज्यों को देता है।

    स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जो निहित स्वार्थों के विरोध के चलते अंततः ख़ारिज हो गया था।

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    उपरोक्त गद्यांश के अनुसार भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव किसने रखा था?
    Solution

    प्रस्तुत गद्यांश में बताया गया है कि गोपाल कृष्ण गोखले ने भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव किसने रखा था। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 3 यानि गोपाल कृष्ण गोखले है। अन्य सभी विकल्प गलत हैं। 

    Key Points

    •  मुफ्त शब्द के पर्यायवाची :
    • मुफ्त = नि : शुल्क, फिजूल 

    Important Points

    •  मुफ्त शब्द फारसी भाषा से लिया गया है। हिन्दी में अन्य और भी बहुत से शब्द फारसी भाषा से लिए गए हैं : 
    • दोस्त, आराम, दुकान, जवान, खूबसूरत, बहादुर, आवारा, दारोगा, नमक  आदि। 

    Additional Information

    •  शिक्षा से बनने वाले शब्द : 
    • शिक्षण, शिक्षक, शिक्षिका, शैक्षिक, शैक्षणिक 
  • Question 19
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिये गए गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

    कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। अगर सामाजिक मसलों पर पिछड़ने के कारण तलाशें तो कहीं न कहीं विसंगतिपूर्ण शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण कारण है।

    आजादी के छह दशक बाद भी समान शिक्षा प्रणाली की अवधारणा भारतीय समाज के लिए सपना है। दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। एजूकेशन फॉर ऑल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर विश्वास करें तो दुनिया की सर्वाधिक निरक्षर आबादी के साथ भारत प्रगति कर रहा है। पर इस विद्रूप प्रगति का लाभ निरक्षरता हटाने में कितना लाभकारी सिद्ध होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

    संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया, जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6 percent) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षो में आवश्यकता होती है। जिसमें से कुछ राशि वित्त आयोग राज्यों को देता है।

    स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जो निहित स्वार्थों के विरोध के चलते अंततः ख़ारिज हो गया था।

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    उपरोक्त गद्यांश के अनुसार शिक्षा अधिनियम 2009, जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इसमें कितने अधिनियम एवं खण्ड हैं?
    Solution

    प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार शिक्षा अधिनियम 2009, जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ था। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 3 यानि 7 अध्याय तथा 38 खण्ड है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं। 

    Key Points

    •  खंड शब्द के पर्यायवाची : 
    • खंड = भाग, हिस्सा 

    Confusion Points

    •  यहाँ प्रयुक्त शब्द ''खंड'' दो तरह से लिखा जा सकता है। ''खंड'' और ''खण्ड''। वास्तव में कुछ तत्सम शब्दों को हिंदी में प्रयुक्त किए जाने की दृष्टि से लेखन की सुगमता को देखते हुए भाषा वैज्ञानिकों ने उनके मूल रूप में कुछ परिवर्तन कर दिया है। इस कारण इन शब्दों की वर्तनी को लेकर कई बार भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। कुछ लोगों ने शब्दों के नए रूप को अपना लिया है जबकि कुछ लोग अभी भी पुराने रूप को ही अपनाए हुए हैं। 

    Important Points

    •  दो प्रकार से लिखे जाने वाले कुछ अन्य शब्द : 
    शब्द का प्राचीन रूप शब्द का नया रूप 
    गर्मी गरमी 
    गर्मगरम 
    हिन्दी हिंदी
    अंशअन्श

     

  • Question 20
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिये गए गद्यांश का ध्यानपूर्वक अध्ययन कर प्रश्नों का उत्तर दीजिए।

    कोई भी देश सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर अग्रणी तभी दिख सकता है, जब वहां शिक्षा प्रणाली सभी वर्गों के लिए समान और सुलभकारी हो। अगर सामाजिक मसलों पर पिछड़ने के कारण तलाशें तो कहीं न कहीं विसंगतिपूर्ण शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण कारण है।

    आजादी के छह दशक बाद भी समान शिक्षा प्रणाली की अवधारणा भारतीय समाज के लिए सपना है। दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। एजूकेशन फॉर ऑल मॉनिटरिंग रिपोर्ट पर विश्वास करें तो दुनिया की सर्वाधिक निरक्षर आबादी के साथ भारत प्रगति कर रहा है। पर इस विद्रूप प्रगति का लाभ निरक्षरता हटाने में कितना लाभकारी सिद्ध होगा, यह आने वाला वक्त बताएगा।

    संविधान के 86 में संशोधन अधिनियम 2002 द्वारा 21(A) जोड़ा गया, जो यह प्रावधान करता है कि राज्य विधि बनाकर 6 से 14 वर्ष के सभी बालकों के लिए निशुल्क शिक्षा अनिवार्य के लिए अपबंद करेगा। इस अधिकार को व्यवहारिक रूप देने के लिए संसद में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 पारित किया गया। जो 1 अप्रैल 2010 से लागू हुआ। इस अधिनियम में 7 अध्याय तथा 38 खण्ड हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत 6-14 वर्ष के लगभग 22 करोड़ बच्चों में से 92 लाख (4.6 percent) बच्चे विद्यालय नहीं जा पाते हैं, जिनकी शिक्षा के लिए 1.71 लाख करोड़ रुपये की 5 वर्षो में आवश्यकता होती है। जिसमें से कुछ राशि वित्त आयोग राज्यों को देता है।

    स्वर्गीय गोपाल कृष्ण गोखले ने 18 मार्च 1910 में ही भारत में "मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा" के प्रावधान के लिए ब्रिटिश विधान परिषद्‌ के समक्ष प्रस्ताव रखा था, जो निहित स्वार्थों के विरोध के चलते अंततः ख़ारिज हो गया था।

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    उपरोक्त गद्यांश के अनुसार विश्व के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद किस देश में है?
    Solution
    • प्रस्तुत गद्यांश  में बताया गया है कि दुनिया के सर्वाधिक निरक्षर लोगों की आबादी में 35 फीसद भारत में है। अत: इस प्रश्न का सही उत्तर विकल्प संख्या 2 यानि भारत है। 

    Key Points

    •  विश्व के पर्यायवाची : 
    • विश्व = दुनिया, जगत, संसार, जग 

    Important Points

    •  सर्वाधिक में सर्व उपसर्ग लगा है। इसी प्रकार सर्व उपसर्ग से अन्य शब्द भी बनाए जा सकते हैं : 
    शब्द नया शब्द 
    दल सर्वदल 
    नाश सर्वनाश 
    नाम सर्वनाम 
    ज्ञानीसर्वज्ञानी 
    श्रेष्ठ सर्वश्रेष्ठ 

    Additional Information

    •  निरक्षर शब्द का संधि विच्छेद : 
    • निरक्षर = नि: +अक्षर 
    • यहाँ विसर्ग संधि है। 
  • Question 21
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूँखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा न हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा। बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं।" बाघ ने कहा, "मैं एक दयालु दोस्त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे इस दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।"
    इस पर, सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।"

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    गद्यांश के अनुसार किसकी प्रतिष्ठा अच्छी नहीं थी?
    Solution
    गद्यांश के अनुसार बाघ की प्रतिष्ठा अच्छी नहीं थी । Key Points
    • " बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। "
    • सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे। 
    • उससे बचने का प्रयास करते थे।
    • कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था।  

    Additional Informationसारस

    • परिभाषा - एक प्रकार का सुन्दर बड़ा पक्षी
    • वाक्य में प्रयोग - सारस का प्रिय भोजन मछली है ।
    • समानार्थी शब्द - बग , पंकजन्मा , दीर्घपाद , नीलांग
    • लिंग - पुल्लिंग 

    बाघ

    • परिभाषा - शेर जाति का नर
    • वाक्य में प्रयोग - इस चिड़ियाघर में दो शेर तथा एक शेरनी हैं ।
    • समानार्थी शब्द - शेर , व्याघ्र , नाहर , शार्दूल
    • विलोम शब्द - शेरनी , बाघिन , व्याघ्री
    • लिंग - पुल्लिंग

    पक्षी

    • परिभाषा - पंख और चोंच वाला द्विपद जिसकी उत्पत्ति अंडे से होती है और जो नियततापी होता है
    • वाक्य में प्रयोग - बाग में एक रंग बिरंगा पंछी बैठा है।
    • समानार्थी शब्द - पंछी , चिड़िया , परिंदा
    • लिंग - पुल्लिंग
    • संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक

     जानवर

    • परिभाषा - चार पैरों से चलने वाला दुमदार जंतु
    • वाक्य में प्रयोग - जंगल में कई तरह के जानवर हैं।
    • बहुवचन - जानवर
    • समानार्थी शब्द - पशु
    • लिंग - पुल्लिंग
    • संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक
  • Question 22
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूँखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा न हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा। बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं।" बाघ ने कहा, "मैं एक दयालु दोस्त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे इस दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।"
    इस पर, सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।"

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    बाघ मदद के लिए अनुरोध कर रहा था क्योंकि...........
    Solution
    बाघ मदद के लिए अनुरोध कर रहा था क्योंकि उसके गले में हड्डी फंस गई थी। Key Points
    • बाघ  के गले में एक छोटी हड्डी फंस गई।
    • बाघ बहुत दर्द में था।
    • उसने रोना शुरू कर दिया
    •  जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया।
    • लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया।
    • अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की।
    • फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था।
    • वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा।
    • बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। 
  • Question 23
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूँखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा न हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा। बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं।" बाघ ने कहा, "मैं एक दयालु दोस्त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे इस दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।"
    इस पर, सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।"

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    कहानी पढ़ने के बाद हम कह सकते हैं कि बाघ ........था।
    Solution
    कहानी पढ़ने के बाद हम कह सकते हैं कि बाघ एहसान फरामोश था। Key Points
    • बाघ का जैसा ही काम हुआ उसने सारस को डरा धमका भगा दिया  और कोई भी इनाम नहीं दिया 
    • आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए।
    • अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।" 

    Additional Informationएहसान 

    • परिभाषा - किसी की भलाई या हित आदि करने की क्रिया
    • वाक्य में प्रयोग - सेठ की नेकी की बदौलत आज मैं इंजीनियर हूँ।
    • समानार्थी शब्द - उपकार , भला , भलाई , नेकी
    • विलोम शब्द - अपकार
    • लिंग - पुल्लिंग
    • एक तरह का - धर्म , सहायता

    गर्वित

    • परिभाषा - अभिमान या दर्प से भरा हुआ
    • वाक्य में प्रयोग - घमंडी लोगों के साथ रहना मुश्किल होता है। / मतवाले लोग मुझे पसंद नहीं।
    • समानार्थी शब्द - मतवाला , घमंडी , अभिमानी
    • विलोम शब्द - गर्वहीन , निरभिमानी , अनभिमानी , दर्पहीन , निरहंकारी , अदंभी
    • परिभाषा - जो न्याय से भरा हुआ हो या जिसमें न्याय हो

    न्यायोचित 

    • वाक्य में प्रयोग - हमें आपसी झगड़े का एक न्यायोचित हल निकालना चाहिए ।
    • समानार्थी शब्द - न्यायसंगत , न्यायपूर्ण , न्याय्य
    • विलोम शब्द - न्यायहीन
    • परिभाषा - जिसमें पक्षपात न हो

    निष्पक्ष

    • वाक्य में प्रयोग - पक्षपातहीन दृष्टि होने पर ही निर्णायक सही निर्णय कर सकता है ।
    • समानार्थी शब्द - पक्षपातहीन , भेदभावहीन , अपक्षपाती , इंसाफ़ी
    • विलोम शब्द - पक्षपातपूर्ण , भेदभावपूर्ण
  • Question 24
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूँखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा न हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा। बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं।" बाघ ने कहा, "मैं एक दयालु दोस्त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे इस दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।"
    इस पर, सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।"

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    पक्षी शब्द का सही बहुवचन है:
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर 'पक्षीवृंद’ है। 

    Key Points 

    • 'पक्षी' शब्द का सही बहुवचन है - पक्षीवृंद।
    • जिन शब्दों से बहुत सी वस्तुओं का बोध होता है, उसे बहुवचन कहा जाता है।
    • अन्य सभी विकल्पों में वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं।

    Additional Information

    वचन - 

    शब्दों के उस रूप को जो किसी वस्तु के एक अथवा अनेक होने का बोध कराता है, उसे वचन कहते हैं। जिन शब्दों के माध्यम से संख्या की प्रतीति होती है, वहां वचन माना जाता है। इसके दो भेद है - एकवचन और बहुवचन 

    एकवचन

    शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या व्यक्ति का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।

    जैसे – मेज, कुर्सी, राम, नदी, पर्वत आदि।

    बहुवचन

    जिन शब्दों से बहुत सी वस्तुओं का बोध होता है, उसे बहुवचन कहा जाता है

     जैसे - कुर्सियां, पक्षियों, जानवरों, लड़कों आदि।

  • Question 25
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को पढ़िए और उसके बाद आने वाले प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
    एक समय की बात है, एक बार एक घने जंगल में एक खूँखार बाघ रहता था, जिसे जानवरों को मारने में खुशी मिलती थी, भले ही वह भूखा न हो। सभी पक्षी और जानवर उससे डरते थे और उससे बचने का प्रयास करते थे। एक दिन बाघ ने एक जानवर को मार डाला, और उसे खाने के दौरान, उसके गले में एक छोटी हड्डी फंस गई। बाघ बहुत दर्द में था। उसने रोना शुरू कर दिया और जंगल में प्रत्येक पक्षी और जानवर से हड्डी निकालने का अनुरोध किया। लेकिन कोई भी उसकी मदद करने नहीं आया। अंत में उसने जो भी उसकी मदद करेगा उसके लिए इनाम की घोषणा की। फिर भी कोई भी उसके पास आने की हिम्मत नहीं करता क्योंकि कोई भी उस पर भरोसा नहीं करता था। वे जानते थे कि जैसे ही हड्डी बाहर निकाली जाएगी, वैसे ही खूखार बाघ सहायक को मार देगा। बाघ खुद को दुखी महसूस कर रहा था और मदद के लिए अनुरोध कर रहा था। आखिरकार, बाघ की दुखी स्थिति को देखकर, एक दयालु सारस ने उस पर दया की और कहा, "देखो, आपकी प्रतिष्ठा खराब है। कोई भी आप पर भरोसा नहीं करता है। लेकिन, अगर आप मुझे इनाम देने का वादा करें और यह वादा करें कि आपकी हड्डी निकालने के बाद आप मुझे मारोगे नहीं, तो मैं आपकी मदद करने के लिए तैयार हूं।" बाघ ने कहा, "मैं एक दयालु दोस्त को कैसे मार सकता हूं जो मुझे इस दर्द से राहत दिलाने में मदद करेगा? मैं आपको नहीं मारने का वादा करता हूं, और आपकी इच्छा के अनुसार आपको बहुत सारे इनाम देने का वादा करता हूं।"
    इस पर, सारस ने अपनी लंबी गर्दन बाघ के मुंह में डाली और उसके तेज चोंच ने हड्डी को आसानी से खींच लिया। आराम मिलते ही तुरंत कृतघ्न बाघ ने जवाब दिया, "मूर्ख सारस, बाघ से इनाम पूछने की हिम्मत कैसे कर सकते हो? अपने सितारों का शुक्रिया अदा करो कि तुम मारे नहीं गए। अगर मैं दयालु नहीं होता, तो आप जीवित नहीं रहते: जब आपने मेरे व्यापक मुंह में अपना सिर डाला था तो मैं तुम्हारे सिर को चबा सकता था। इसे ही अपना बड़ा इनाम समझो।"

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    'दयालु' शब्द में कौन सा प्रत्यय है?
    Solution

    दयालु' में 'आलु' प्रत्यय और 'दया' मूल शब्द हैKey Points

    • प्रत्यय दो शब्द से मिल कर बना है प्रति + अय ,प्रति मतलब साथ में पर बाद में ,अये का मतलब चलने वाला। ,तो प्रत्यय का अर्थ है शब्दों के साथ पर बाद में लगने वाला।
    • प्रत्यय का अपना अर्थ नहीं होता और न ही इनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व होता  है​

    Important Points 

    प्रत्यय के प्रकार :-
    • (क) संस्कृत के प्रत्यय
    • (ख) हिंदी के प्रत्यय
    • (ग) विदेशी भाषा के प्रत्यय
    Additional Information 
    • समाज + इक       =         सामाजिक
    • सुगंध +  इत         =      सुगंधित
    • भूलना + अक्कड    =        भुलक्कड
    • मीठा +  आस        =      मिठास
  • Question 26
    5 / -1

    Directions For Questions

    एक गद्यांश दिया गया है गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने

    रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर चारों ओर प्रकाश फैला देता है सूर्य की किरणें वृक्षों की हरियाली को ताजगी प्रदान करती हैं पुष्पों को खिलाकर चारों ओर सुगंध फैला देती है अंधकार में डूबे नीले आकाश को रंगों से भर देती है सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है सारा आकाश लाल, पीले, सफ़ेद रंग से नहा जाता है नीले आकाश पर रंगों की बौछार-सी हो जाती है सारी प्रकृति नए रूप में सज जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं तितलियां पुष्पों पर मंडराने लगती हैं | भौंरों की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं रात्रि लोरियों से सबको मीठी नींद में सुला देती है सूर्य उदय होकर सब को उनके कर्तव्यों का बोध कराता है प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है

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    सूर्य उदय होकर सब को क्या याद दिलाता है?
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 4 'कर्तव्य का बोध है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • सूर्य उदय होकर सब को कर्तव्य का बोध याद दिलाता है।
    • क्योंकि प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है | सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है |
    • इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प - 4 है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information

    • जिसे कर्तव्य का बोध न हो उसके लिए वाक्यांश होगा -  किंकर्तव्यविमूढ़। 
    • अच्छी रचना के लिए आवश्यक है कि कम से कम शब्दोँ मेँ विचार प्रकट किए जाएँ। भाषा मेँ यह सुविधा भी होनी चाहिए कि वक्ता या लेखक कम से कम शब्दोँ मेँ अर्थात् संक्षेप मेँ बोलकर या लिखकर विचार अभिव्यक्त कर सके। कम से कम शब्दोँ मेँ अधिकाधिक अर्थ को प्रकट करने के लिए ‘वाक्यांश या शब्द–समूह के लिए एक शब्द’ का विस्तृत ज्ञान होना आवश्यक है।

     

  • Question 27
    5 / -1

    Directions For Questions

    एक गद्यांश दिया गया है गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने

    रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर चारों ओर प्रकाश फैला देता है सूर्य की किरणें वृक्षों की हरियाली को ताजगी प्रदान करती हैं पुष्पों को खिलाकर चारों ओर सुगंध फैला देती है अंधकार में डूबे नीले आकाश को रंगों से भर देती है सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है सारा आकाश लाल, पीले, सफ़ेद रंग से नहा जाता है नीले आकाश पर रंगों की बौछार-सी हो जाती है सारी प्रकृति नए रूप में सज जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं तितलियां पुष्पों पर मंडराने लगती हैं | भौंरों की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं रात्रि लोरियों से सबको मीठी नींद में सुला देती है सूर्य उदय होकर सब को उनके कर्तव्यों का बोध कराता है प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है

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    किसकी गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं?
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 2 'भौंरा है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • भौंरा की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं।
    • क्योंकि सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं |
    • इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प - 2 है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information

    • भौंरा के लिए तत्सम शब्द होगा -  भ्रमर। 
    • भौंरा के लिए स्त्रीलिंग शब्द होगा  - भौंरी 
    • भौंरा के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं - अलि, द्विरेफ, भँवरा, भृंग, भ्रमर, मधुकर, मधुप, षट्पद

     

  • Question 28
    5 / -1

    Directions For Questions

    एक गद्यांश दिया गया है गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने

    रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर चारों ओर प्रकाश फैला देता है सूर्य की किरणें वृक्षों की हरियाली को ताजगी प्रदान करती हैं पुष्पों को खिलाकर चारों ओर सुगंध फैला देती है अंधकार में डूबे नीले आकाश को रंगों से भर देती है सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है सारा आकाश लाल, पीले, सफ़ेद रंग से नहा जाता है नीले आकाश पर रंगों की बौछार-सी हो जाती है सारी प्रकृति नए रूप में सज जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं तितलियां पुष्पों पर मंडराने लगती हैं | भौंरों की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं रात्रि लोरियों से सबको मीठी नींद में सुला देती है सूर्य उदय होकर सब को उनके कर्तव्यों का बोध कराता है प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है

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    सूर्य की किरणें आकाश में क्या भर देती हैं?
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 1 'रंग है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • सूर्य की किरणें आकाश में रंग भर देती हैं।
    • क्योंकि सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है |
    • इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प - 1 है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information

    •  'रंगत' में 'त' प्रत्यय और 'रंग' मूल शब्द है।
    • रंग उपसर्ग से बनने वाले शब्द हैं - बदरंग, खुशरंग

     

  • Question 29
    5 / -1

    Directions For Questions

    एक गद्यांश दिया गया है गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने

    रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर चारों ओर प्रकाश फैला देता है सूर्य की किरणें वृक्षों की हरियाली को ताजगी प्रदान करती हैं पुष्पों को खिलाकर चारों ओर सुगंध फैला देती है अंधकार में डूबे नीले आकाश को रंगों से भर देती है सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है सारा आकाश लाल, पीले, सफ़ेद रंग से नहा जाता है नीले आकाश पर रंगों की बौछार-सी हो जाती है सारी प्रकृति नए रूप में सज जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं तितलियां पुष्पों पर मंडराने लगती हैं | भौंरों की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं रात्रि लोरियों से सबको मीठी नींद में सुला देती है सूर्य उदय होकर सब को उनके कर्तव्यों का बोध कराता है प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है

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    उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक क्या है?
    Solution

    सही उत्तर 'सूर्योदय का दृश्य है। 

    Key Points

    • उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक सूर्योदय का दृश्य है।
    • क्योंकि रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा दे उदय होकर चरों और प्रकाश फैला देता है |
    • इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प - 1 है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information

    • सूर्योदय का संधि शब्द होगा -  सूर्य + उदय। 
    • सूर्योदय में गुण संधि है।
    • सूर्योदय के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं - सूर्य का उदित होना या निकलना, सूर्य के उगने का समय, प्रातःकाल, सवेरा।
  • Question 30
    5 / -1

    Directions For Questions

    एक गद्यांश दिया गया है गद्यांश के आधार पर पाँच प्रश्न दिए गए हैं गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा प्रत्येक प्रश्न में चार विकल्पों में से सही विकल्प चुने

    रात्रि के अंधकार को चीरकर सूर्य पूर्व दिशा से उदय होकर चारों ओर प्रकाश फैला देता है सूर्य की किरणें वृक्षों की हरियाली को ताजगी प्रदान करती हैं पुष्पों को खिलाकर चारों ओर सुगंध फैला देती है अंधकार में डूबे नीले आकाश को रंगों से भर देती है सूर्य जब पूर्व दिशा में क्षितिज से ऊपर उठता है तो लगता है लाल रंग की बड़ी सी गेंद आकाश में उठती चली आ रही है सारा आकाश लाल, पीले, सफ़ेद रंग से नहा जाता है नीले आकाश पर रंगों की बौछार-सी हो जाती है सारी प्रकृति नए रूप में सज जाती है। पक्षी चहचहाने लगते हैं तितलियां पुष्पों पर मंडराने लगती हैं | भौंरों की गूंज से उपवन संगीतमय हो जाते हैं सभी अपने-अपने कार्य में निमग्न हो जाते हैं रात्रि लोरियों से सबको मीठी नींद में सुला देती है सूर्य उदय होकर सब को उनके कर्तव्यों का बोध कराता है प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है सूर्य का कोमल शांत रूप हृदयों में नई ऊर्जा जागृत कर देता है

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    सूर्य के शांत रूप से क्या मिलती है?
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 2 'नई ऊर्जा है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • सूर्य के शांत रूप से नई ऊर्जा मिलती है।
    • प्रातः कालीन दृश्य आलौकिक लगता है |
    • इसलिए इसका सही उत्तर विकल्प - 2 है। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। 

    Additional Information

    • शांत में  विसर्ग संधि है।
    • सूर्योदय का संधि शब्द होगा -  श + अंत 
    • सूर्य के पर्यायवाची शब्द है- प्रभाकर, दिनकर, रवि, दिवाकर, मरीची, दिनकर, दिनेश, आदित्य, सूरज, भास्कर, भानु | 

     

  • Question 31
    5 / -1

    सही विकल्प से रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिये।

    'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा ने उत्तराखंड के लिए पृथक से हिन्दी शिक्षण-योजना के अंतर्गत उच्चाणाभ्यास कराने के लिए बारह _____ का निर्माण किया है।'

    Solution

    उपरोक्त प्रश्न के अनुसार सही विकल्प 2 पाठों होगा।

    • 'केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा ने उत्तराखंड के लिए पृथक से हिन्दी शिक्षण-योजना के अंतर्गत उच्चाणाभ्यास कराने के लिए बारह पाठों का निर्माण किया है।'

    Key Points

    • कुछ कठिन शब्द और उनके अर्थ :
    • शमित- शांत किया हुआ
    • उदाहरण: शमित किया हुआ हाथी फिर से पागल हो गया।

     

    • सुललित- अत्यंत सुंदर
    • उदाहरण: वृक्ष पर सुललित फल लगे हुए हैं।

     

    • प्रकोष्ठ –  कमरा
    • उदाहरण:सभी कर्मचारियों ने सेठ से कहा हमें भोजन करने  के लिए एक प्रकोष्ठ की आवश्यकता है।

     

    •  निराश्रय -बेसहारा
    • उदाहरण: निराश्रय वृद्धा लोगों को आश्रम में रखा जाता है।

     

    • प्राचीर -परकोटा
    • उदाहरण: महल के प्राचीर से राजा ने अपनी सेना का आवाहन किया।

     

    • पथिक -राहगीर
    • उदाहरण:निराश मोहन इस तरह से चल रहा था मानों जैसे पथिक हो।

     

    • उत्कोच -रिश्वत
    • उदाहरण:घर में पैसे की कमी से दुःखी राहुल ने उत्कोच स्वीकार कर लिया।

     

    • विरक्त -उदासीन
    • उदाहरण:वह सांसारिक मोह माया से विरक्त हो गया।
  • Question 32
    5 / -1
    रूस में एक बार _______ हुई।
    Solution

    रूस में एक बार.... क्रांति यहाँ सही विकल्प है।

    • क्रान्ति यहाँ शुद्ध और सार्थक शब्द है।

    Key Points

    • क्रान्ति के पर्यायवाची : गदर , राजद्रोह , बगावत , विद्रोह , अराजकता

    Additional Information

    • कांति के समानार्थी : दीप्ती, जगमगाहट, आभा, दमक, चमक
    • क्लान्ति : थकावट
  • Question 33
    5 / -1
    'दूध' शब्द के निम्न मे से पर्यायवाची है-
    Solution

    सही उत्तर 'क्षीरहै।

    Key Points

    • 'दूध' का पर्यायवाची शब्द 'क्षीर' है।
    • 'दूध' के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं - दुग्ध, दोहज, पीयूष, पय, गौरस, स्तन्य, छाछ, मलाई, दही, सुधा आदि।

    अन्य विकल्प - 

    शब्द 

    पर्यायवाची 

    निदाघ

    गर्मी, ताप, धूप आदि।

    मृषा

    मिथ्या, झूठ, असत्य, अनृत आदि।

    अनृत

    मिथ्या, झूठ, असत्य आदि।

  • Question 34
    5 / -1

    दिए गए वाक्‍य में उपयुक्‍त शब्‍द का चयन करके रिक्‍त स्‍थान की पूर्ति कीजिए।

    समुद्र के पास जाते ही _______ थकान गायब हो जाती है। 

    Solution
    समुद्र के पास जाते ही ... थकान गायब हो जाती है। - इस वाक्य में उचित शब्द 'आधी' होना चाहिए। 
    इस वाक्य में अन्य विकल्पों का प्रसंग अनुचित है। 
    Key Points
    अन्य विकल्पों का विश्लेषण :
    • अधि एक उपसर्ग है जो ऊपर और अधिक अर्थ में प्रयुक्त होता है। 
    • आधि का अर्थ मानसिक पीड़ा होता है।
    • आँधी का अर्थ धूलभरी ज़ोर की हवा, तूफ़ान, अंधड़।
  • Question 35
    5 / -1

    निर्देश: निम्न वाक्य में रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिये।

    राष्ट्र की ___________ के लिए शहीदों ने अपना बलिदान दिया।
    Solution

    उक्त पँक्तियों के अनुसार आन का अर्थ है "इज्ज़त या गरिमा" अतः यहाँ सबसे उपयुक्त विकल्प 3 'आन' है।

    अन्य विकल्प:

    • आन का अर्थ आत्म सम्मान
    • बान का अर्थ वेशभूषा, पहनावा
    • शान का अर्थ प्रतिष्ठा
    • दान का अर्थ है किसी को सआदर उसकी आवश्यकतानुसार कुछ देना
  • Question 36
    5 / -1
    कौन सा शब्द 'घर' का पर्यायवाची नहीं है?
    Solution

    सुधाकर चन्द्रमा को बोलते है, यह घर का पर्याय नहीं है।

    Key Points

    • सुधाकर: कलानिधि, निशापति, शशांक, चंद्रमा, चन्द्र, शशि, हिमकर, राकेश, रजनीश, हिमांशु, चाँद, मयंक, विधु
    • घर: घर, गृह, मकान, निवास-स्थान, आवास।

    Additional Information

    शब्दनिनादः ध्वनिः, ध्वानः, रवः, निर्घोषः
    नृत्यनटन, नाट्य, लास्य, नर्तन
    अपमानअनादरः, परिभव, रीठा, अवमानना, अवज्ञा, अवहेलन
    लज्जामन्दाक्ष, त्रपा, व्रीडा, ही
    क्रोधकोपः, अमर्षः, रोषः, प्रतिधा
    इच्छाकाङ्क्षा, स्पृहा, ईहा, वाञ्च्छा, लिप्सा, मनोरथः
    सरस्वतीभाषा, गी, वाक्, वाणी, ब्राह्मी, भारती
  • Question 37
    5 / -1

    निर्देश: रिक्त स्थान को सही विकल्प से भरिए। 

    एक वर्ष में बारह ______ होते है। 

    Solution

    दिए गए वाक्य में वर्ष के संदर्भानुसार माह उपयुक्त हैं क्योंकि वर्ष में बारह मास ही होते हैं। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प माह है।

    अन्य विकल्प

    विकल्प

    अर्थ

    सप्ताह

    सात दिन

    दिवस

    एक दिन

    पहर

    तीन घंटे का समय

  • Question 38
    5 / -1
    'जगत' का पर्यायवाची है__________।
    Solution
    'जगत' का पर्यायवाची है भुवन। Key Points
    • जगत का पर्यायवाची – लोक, दुनिया, संसार, जग, विश्व। 

    Additional Information

    आलय

    • घर, आवास, गेह, गृह, निकेतन, निलय, निवास, भवन, वास, वास, स्थान, शाला, सदन।

    धाम

    • धाम का पर्यायवाची शब्द घर, मकान, गृह, तीर्थ, देवस्थान, पुण्यस्थान।

    आगार

    • आगार  का पर्यायवाची शब्द अमर. घर, गृह । वजन छप्पर ।
  • Question 39
    5 / -1
    इस वाक्याशं में 'निर्मम' अर्थ समाहित है
    Solution

    "ममताशून्य हृदय वाला व्यक्ति" वाक्यांश के लिए एक शब्द 'निर्मम' होगा।

    Key Points

    शब्द

    वाक्यांश

    निर्दयी 

    दया रहित व्यक्ति

    संवेंदनहीन 

    संवेदनाशून्य व्यक्ति

    क्रूर व्यक्ति 

    क्रूर हृदय वाला

    Additional Information 

    भाषा की सुदृढ़ता, भावों की गम्भीरता और चुस्त शैली के लिए यह आवश्यक है कि लेखक शब्दों (पदों) के प्रयोग में संयम से काम ले, ताकि वह विस्तृत विचारों या भावों को थोड़े-से-थोड़े शब्दों में व्यक्त कर सके। समास, तद्धित और कृदन्त वाक्यांश या वाक्य एक शब्द या पद के रूप में संक्षिप्त किये जा सकते है। ऐसी हालत में मूल वाक्यांश या वाक्य के शब्दों के अनुसार ही एक शब्द या पद का निर्माण होना चाहिए।

  • Question 40
    5 / -1

    निम्न विकल्पों में से उस विकल्प का चयन कीजिए जो दिए गए शब्द का पर्यायवाची शब्द नहीं है।

    सिंह

    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "उरग" गलत है।

    Key Points
    • उरग सिंह का पर्यायवाची नहीं है।
    • उरग सर्प का पर्याय है।
    • उरग का पर्यायवाची शब्द 
      • सर्प, साँप, नाग, फणी, फणधर, मणिधर, भुजंग।
    • सिंह के प्रमुख पर्यायवाची शब्द
      • वनराज, शार्दूल, नाहर, सारंग, मृगराज, केसरी, शेर, महावीर
      • व्याघ्र, पंचमुख, मृगेन्द्र, केहरी, केशी, ललित, हरि, मृगपति।
    Important Points
    • प्रमुख पर्यायवाची शब्द
      • अमृत :- सुधा, सोम, पीयूष, जीवनोदक I
      • अभिनंदन :- स्वागत, सत्कार, अभिवादन, आवभगतI
      • आजीविका :- व्यवसाय, रोजी रोटी, वृति धंधा I
      • अंशु :- किरण, रश्मि, मयूख,मरीचि I
      • अंकुश :- नियंत्रण, पाबंदी, रोक I
      • आक्रोश :- क्रोध, रोष, कोप, रिष I
      • असुर :- दैत्य,दानव, निशाचर, दनुज, रात्रिचर I
      • अंग :- अंश, हिस्सा, भाग, अवयव I
      • अटल :- अबिचल, स्थिर, अचल I
      • अर्थ :- हय, तुरंग, घोड़ा, घोटक I
      • अहंकार :- दंभ, अभिमान, मद, घमंड I
        • अतिथि :- मेहमान, आगंतुक, अभ्यागत I
        • आयुष्मान :- दीर्घायु, दीर्घ जीवी, चिरंजीवी, चिरायु I
        • ईख :- गन्ना, ऊख I
        • ईप्सा :- इच्छा, ख्वाहिश, कामना, अभिलाषा I
        • इंद्राणी :- इंद्र वधू, मधवानी, सची, शतावरी I
        • इजाजत :- स्वीकृति, मंजूरी, अनुमति I
        • ईश्वर :- परमात्मा, प्रभु, जगदीश, भगवान, परमेश्वर I
        • इंतकाल :- देहांत, निधन, मृत्यु, अंतकाल I
        • उचित :- मुनासिब, वाजिब, न्याय संगत, तर्कसंगत I
        • उजाड़ :- जंगल, वन, बियाबान I
        • उजाला :- प्रकाश, रोशनी, चांदनी I
      • उत्कोच :- घूस, रिश्वत I
      • उत्पत्ति :- उद्गम, जन्म, उद्भव, उदय I
      • उद्धार :- मुक्ति, छुटकारा, निस्तार I
      • उपाय :- युक्ति, तरकीब, तदबीर I
      • ऊधम :; उपद्रव, उत्पात, हुल्लड़, हुड़दंग I
      • ओठ :- अधर, होठ I
      • औरत :- स्त्री, घरवाली, जोरू I
      • किसान    कृषक, भूमि पुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता I
      • कबूतर :- कपोत, रक्त लोचन, पारावत I
      • कपड़ा :- चीर, वस्त्र, पट, वसन I
      • खल :- दुर्जन, दुस्ट, कुटिल I
      • गणेश :- गजानन, गणपति, लंबोदर, एक दंत, विनायक I
      • गाय :- गौ, धेनु, भद्रा I
  • Question 41
    5 / -1
    'कीर' शब्द का अर्थ है:
    Solution

    कीर शब्द का अर्थ 'तोता' होता है। बाकी सभी विकल्प गलत हैं। 

    Key Points 

    •  तोता शब्द के पर्यायवाची : 
    • तोता = सुग्गा, शुक, सुआ, रक्ततुंड 

    Important Points           हाथी शब्द के पर्यायवाची : 

    • हाथी = गज, द्विरद, गयंद, करी, रदी, करेणु, कनेर, हस्ती, कार्यकुशल 

    Confusion Points

    •  'कीर' और 'खीर' के बीच प्राय: विद्यार्थी भ्रमित हो जाते हैं। जबकि ये दोनों अलग अलग शब्द हैं तथा इनके अर्थ भी भिन्न हैं : 
    • कीर = तोता 
    • खीर = क्षीर, दूध से बनाया जाने वाला एक मिष्ठान।  
  • Question 42
    5 / -1
    'प्रत्यक्ष' शब्द का विलोम है-
    Solution

    प्रत्यक्ष शब्द का विलोम परोक्ष है।

    Key Points

    • किसी शब्द के अर्थ का सीधे उल्टा अर्थ वाले शब्द को विलोम शब्द कहते हैं।
    • विपक्ष- पक्ष
    • निष्पक्ष- पक्षपाती
    • आक्रोश- आनन्दित

    Important Points कुछ महत्‍वपूर्ण विलोम शब्द:- 

          शब्द     विलोम
       अंकुश  निरंकुश
       अग्रज  अनुज
      अग्रिम  अन्तिम
      अतिवृष्टि  अनावृष्टि
      अधुनातन  पुरातन
      अभिज्ञ  अनभिज्ञ
      अनाहूत आहुत
      अनुकूल  प्रतिकूल
      अनुरक्ति  विरक्ति
      आध्यात्मिक  भौतिक
      उत्थान  पतन
       उत्कर्ष  अपकर्ष

    Additional Information कुछ अन्य विलोम शब्द:- 

    • उद्यमी - आलसी
    • उन्नति - अवनति
    • उपकार - अपकार
    • उपयुक्त - अनुपयुक्त
    • उपस्थित - अनुपस्थित
    • उर्वर -  ऊसर
    • उषा  -  संध्या
    • एकांगी - सर्वांगीण
    • कनिष्ठ - ज्येष्ठ
    • कृतज्ञ - कृतघ्न
    • क्षणिक - शाश्वत
    • मितव्यय - अपव्यय
    • अतिवृष्टि - अनावृष्टि
    • अत्यधिक - अत्यल्प
  • Question 43
    5 / -1
    सीता (1) / चलती (2) / धीरे-धीरे (3) / है (4) वाक्य संरचना का सही क्रम क्या होगा?
    Solution

    दिए गए विकल्पों का सही क्रम है ‘सीता धीरे-धीरे चलती है’। अतः सही विकल्प ‘1, 3, 2, 4’ है।
    Key Points 

    सीता धीरे-धीरे चलती है’ इस वाक्य से क्रिया की विशेषता का पता चलता है

    अव्यय

    परिभाषा

    उदाहरण

    क्रिया-विशेषण अव्यय 

    जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चले।

    वह धीरे-धीरे खाना खाता है।

    Additional Information 

    अव्यय

    परिभाषा

    उदाहरण

    विस्मयबोधक अव्यय 

    जिन शब्दों में विस्मय, हर्ष, शोक, आदि मनोभावों को व्यक्त करते है; उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैl

    हे प्रभु! यह क्या हो रहा है ?

    संबंधबोधक अव्यय 

    वे शब्द जो संज्ञा, सर्वनाम शब्दों को अन्य संज्ञा, सर्वनाम शब्दों के साथ संबंध का बोध कराते हैं।

    मंदिर के पास नदी है।

    समुच्चयबोधक अव्यय 

    दो शब्दों या वाक्यों को जोड़ने वाले संयोजक शब्द को समुच्चयबोधक अव्यय कहते हैं।

    वह दफ्तर से आया और सो गया।

  • Question 44
    5 / -1
    'निर्वाह' शब्द में उपसर्ग है। 
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 'निर्' सही उत्तर है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प 3 'निर्' है। 

    Key Points 

    • 'निर्वाह' शब्द का उपसर्ग है - निर्।
    • 'वाह' इसका मूल शब्द है। 
    • निर् का  अर्थ - बिना, रहित, निषेध।
    • निर् उपसर्ग से बने अन्य  शब्द -  निर्गम, निर्णय, निर्मम, निर्यात, निर्देश।

    Additional Information  

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    उपसर्ग

    उपसर्ग उस अक्षर या अक्षर समूह को कहते  हैं जो किसी शब्द के पहले  जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन लाता है।

    जैसे- प्र, सु, अति, अधि, अनु, नि

    प्र + हार = प्रहार

    प्रत्यय

    शब्द के उपरांत जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय है।

    जैसे- ता, औना, अन, अत

    श्रो + ता = श्रोत

  • Question 45
    5 / -1
    'एक पंथ दो काज' मुहावरे का अर्थ हैः
    Solution

    एक पंथ दो काज मुहावरे का अर्थ है - एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना। अतः सही विकल्प 2 'एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना' है।

    Key Points

    • 'एक पंथ दो काज' मुहावरे का अर्थ - एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना है।
    • वाक्य प्रयोग - एक साथ दो लाभ प्राप्त करना , एक काम से दो काम पूरे होना।
    • मैं शिमला में ट्रेनिंग के जा आऊंगा और साथ में मामा-मामी से मिल आऊंगा इसे कहते हैं - एक पंथ दो काज।

    Additional Information

    मुहावरा परिभाषा

    उदाहरण

    मुहावरा का शाब्दिक अर्थ ‘अभ्यास’ है। मुहावरा शब्द अरबी भाषा का शब्द है। हिन्दी में ऐसे वाक्यांशों को मुहावरा कहा जाता है, जो अपने साधारण अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ को व्यक्त करते हैं।

    अंक भरना- स्नेह से लिपटा लेना

    वाक्य- माँ ने स्नेह से अपने पुत्र को अंक में भर लिया।

  • Question 46
    5 / -1
    'मित्र' का अर्थ नहीं है:
    Solution

    'मित्र' का अर्थ नहीं है: चन्द्र

    • मित्र- सखा, सहचर, स्नेही, स्वजन, सुहृदय, साथी, दोस्त।
    • मैत्री- मित्रता, दोस्ती, स्नेहभाव, मेल-जोल, भाई-चारा, प्रेम, स्नेह।
    • बंधुता- भाईचारा, दोस्ती, मैत्री, मित्रता, यारी।
    • दिनेश- मित्र, मार्तण्ड, मन्दार, पतंग, विहंगम, रवि

    Additional Information

    • निशाकर- चंद्रमा, शशि, चांद, कुक्कुट, मुर्गा।
    • चन्द्र के एक से अधिक अर्थ – शशि, कपूर, सोना, सुन्दर।
  • Question 47
    5 / -1
    'बहती गंगा में हाथ धोना' - मुहावरे का सही अर्थ है
    Solution

    सही उत्तर अवसर का लाभ उठाना होगा।

    Key Points

    • बहती गंगा में हाथ धोनाअवसर का लाभ उठाना 
    • वाक्य प्रयोग- मेरे चाचा जी शिमला घूमने जा रहे थे तो मैंने कहा मुझे भी ले चलो, मैं भी बहती गंगा में हाथ धो लूंगा। 

    Additional Information

    • अवसर खो देनासुअवसर का उपयोग न कर पाना
    • अंगूठे पर मारना- परवाह न करना
    • अवसर को हाथ से न जाने देना - अवसर से लाभ उठाने के लिए प्रयत्नशील होना।
       
  • Question 48
    5 / -1

    दिए गए वाक्य क्रम सही नहीं है। उनके सही क्रम के चार विकल्प दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनिए।

    1) कहाँ है

    2) जो कल छ़त से

    3) आपका वह लड़का

    4) गिर पडा था

    Solution

    दिए गये विकल्पों का सही क्रम है - आपका वह लड़का कहाँ है जो कल छत से गिर पड़ा था। अतः सही विकल्प 3, 1, 2, 4 है।

    अन्य विकल्प

    - इसके अतिरिक्त दिए गये क्रम के अनुसार वाक्यों को जोड़ने पर वह निरर्थक सिद्ध होंगे।

  • Question 49
    5 / -1
    "अक्ल बड़ी की भैंस" कहावत का अर्थ है___________।
    Solution
    "अक्ल बड़ी की भैंस" कहावत का अर्थ है शारीरिक शक्ति से मानसिक शक्ति का प्रबल होना। Key Points
    • शारीरिक शक्ति से मानसिक शक्ति का प्रबल होना इस कहावत का सही अर्थ है, अन्य विकल्प असंगत है।
    • अत: सही विकल्प  शारीरिक शक्ति से मानसिक शक्ति का प्रबल होना होगा। 

    Additional Information

    • घाट- घाट का पानी पीना– अनुभवी और होशियार होना।
    • अंधा क्या चाहे दो आंखें– मनवांछित वस्तु का प्राप्त होना।
    • अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपने देय– सम्पूर्ण लाभ खुद उठाना।
    • नाच न आवै आंगन टेढ़ा– अपनी कमी का दूसरे को दोष देना।
    • अधजल गगरी छलकत जाय– ज्ञान कम प्रदर्शन अधिक।
  • Question 50
    5 / -1

    दिए गए वाक्य क्रम सही नहीं हैं। उनके सही क्रम के चार विकल्प दिए गए हैं। उनमें से सही विकल्प चुनिए।

    1) प्रतीत होती है

    2) प्रात:काल पूर्वी क्षितिज पर

    3) बहुत ही सुन्दर

    4) सूर्य की लाली
    Solution

    दिए गये विकल्पों का सही क्रम है - प्रातःकाल पूर्वी क्षितिज पर सूर्य की लाली बहुत ही सुन्दर प्रतीत होती है। अतः सही विकल्प 2, 4, 3, 1 है।

    अन्य विकल्प

    - इसके अतिरिक्त दिए गये क्रम के अनुसार वाक्यों को जोड़ने पर वह निरर्थक सिद्ध होंगे।
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