Directions For Questions
आज की दुनिया के संदर्भ में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है- हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहाँ परफेक्शन का बोलबाला है। इसमें से प्रत्येक किसी-न-किसी के प्रति किसी हद तक जवाबदेह है। ऐसे परिदृश्य में सबसे कठिन हो जाता है अपनी आलोचना को स्वीकार कर पाना। हालाँकि यह भी सच है कि कैसी भी आलोचना स्वीकारना मुश्किल ही होता है, भले ही वह हमारी भलाई के लिए ही क्यों न हो। आलोचना एक दोधारी तलवार की तरह होती है। एक ओर आप इसके आधार पर अपने झूठे अहं को दरकिनार कर गहरी समझ विकसित कर सकते हैं, तो एक ओर आलोचना को दिल पर लेकर संबंधित शख्स से अपने संबंध बिगाड़ सकते हैं। कह सकते हैं कि यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है कि वह आलोचना को किस तरह लेता है। उससे अपना विकास करता है या झूठे अहं में पड़ अपने को ही सही मानता रहता है। भले ही आलोचना कितनी ही चोट क्यों न पहुँचाए, लेकिन दूसरे को पूरे ध्यान व गंभीरता के साथ सुनें। आलोचना रूपी सलाह को सिरे से खारिज़ करने से बेहतर होगा कि जो सही हो, उसे आत्मसात् करें। उसे स्वीकार कर स्वयं का विकास करें। इस क्रम में अपनी निर्णायक क्षमता का बेहतर प्रयोग कर वही बातें स्वीकार करें, जो आप पर लागू होती हैं। ऐसा न हो कि आलोचना का वह हिस्सा भी मान लें, जो आप पर लागू ही न होता हो।
भले ही आप कितने ही सफ़ल क्यों न हो जाएँ, लेकिन यह ध्यान रखें कि सुधार की संभावना हमेशा रहती है। इसे मान लेने से सकारात्मक आलोचना अपने हित में लेने की आदत हो जाती है। इसके लिए दिमाग हमेशा खुला रखने की आवश्यकता है। किसी ने कोई बात की, जो आलोचना है, तो तुरंत ही किसी निर्णय पर पहुँचने के बजाय उस बात पर गंभीरता से मनन करें। ईमानदारी से विचार करें कि कही गई बात में कहीं भी कोई रत्तीभर भी सच्चाई है। आलोचनात्मक टिप्पणी की सारगर्भिता का सही आकलन परिपक्वता और विकास की दिशा में उठा पहला कदम होता है। बात भले आचार-व्यवहार, जीवन-शैली में बदलाव की हो या फिर कार्यशैली में परिवर्तन की। हमें हमेशा जागरूक रहना होगा कि हम कैसे इन क्षेत्रों में अपनी शक्ति बढ़ा सकते हैं। आलोचना दो तरह की होती है। एक का मकसद आपकी कमियों को सामने लाकर उसे दूर करना होता है, जबकि एक महज ईर्ष्यावश या पूर्वाग्रह से ग्रसित होती है। आवश्यकता इसके अंतर को समझने की है। कमियों को इंगित करती यानी सकारात्मक आलोचना को अंगीकार करने की आवश्यकता है, जबकि नकारात्मक आलोचना और उसे करने वाले से दूरी बनाने में ही भलाई निहित है।
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“आलोचना एक दोधारी तलवार की तरह होती है"- पंक्ति से क्या आशय है?
अपने झूठे अहंकार को एक ओर रखकर गहरी समझ किसके माध्यम से विकसित कर सकते हैं?
आलोचना को आत्मसात् करके क्या किया जा सकता है?
अपनी निर्णायक क्षमता का बेहतर प्रयोग करके आलोचना में से किसे स्वीकार करना चाहिए?
किस बात को मान लेने से सकारात्मक आलोचना अपने हित में लेने की आदत हो जाती है?
विज्ञान आज के मानव-जीवन का अविभाज्य एवं घनिष्ठ अंग बन गया है। मानव-जीवन का कोई भी क्षेत्र विज्ञान के अश्रुतपूर्व आविष्कारों से अछूता नहीं रहा। इसी से आधुनिक युग विज्ञान का युग कहलाता है। आज विज्ञान ने पुरुष और नारी, साहित्यकार और राजनीतिज्ञ, उद्योगपति और कृषक, पूँजीपति और श्रमिक, चिकित्सक और सैनिक, अभियन्ता और शिक्षक तथा धर्मज्ञ और तत्त्वज्ञ सभी को और सभी क्षेत्रों में किसी-न-किसी रूप में अपने अप्रतिम प्रदेय से अनुगृहीत किया है। आज समूचा परिवेश विज्ञानमय हो गया है। विज्ञान के चरण गृहिणी के रसोईघर से लेकर बड़ी-बड़ी प्राचीरों वाले भवनों और अट्टालिकाओं में ही दृष्टिगत नहीं होते, प्रत्युत वे स्थल और जल की सीमाओं को लाँघकर अंतरिक्ष में भी गतिशील हैं। वस्तुतः विज्ञान अद्यतन मानव की सबसे बड़ी शक्ति बन गया है। इसके बल से मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है। विज्ञान के अनुग्रह से वह सभी प्रकार की सुविधाओं और संपदाओं का स्वामित्व प्राप्त कर चुका है। अब वह ऋत-ऋतुओं के प्रकोप से भयाक्रांत एवं संत्रस्त नहीं है। विद्युत ने उसे आलोकित किया है, उष्णता और शीतलता दी है, बटन दबाकर किसी भी कार्य को संपन्न करने की ताकत भी दी है। मनोरंजन के विविध साधन उसे सुलभ हैं। यातायात एवं संचार के साधनों के विकास से समय और स्थान की दूरियाँ बहुत कम हो गई हैं और समूचा विश्व एक परिवार-सा लगने लगा है। कृषि और उद्योग के क्षेत्र में उत्पादन की तीव्र वृद्धि होने के कारण आज दुनिया पहले से अधिक धन-धान्य से संपन्न है। शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में विज्ञान की देन अभिनंदनीय है। विज्ञान के सहयोग से मनुष्य धरती और समुद्र के अनेक रहस्य हस्तामलक करके अब अंतरिक्ष लोक में प्रवेश कर चुका है। सर्वोपरि, विज्ञान ने मनुष्य को बौद्धिक विकास प्रदान किया है और वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति दी है। वैज्ञानिक चिंतन-पद्धति से मनुष्य अंधविश्वासों और रूढ़ि-परंपराओं से मुक्त होकर स्वस्थ एवं संतुलित ढंग से सोच-विचार कर सकता है और यथार्थ एवं सम्यक् जीवन जी सकता है। इससे मनुष्य के मन को युगों के अंधविश्वासों, भ्रमपूर्ण और दकियानूसी विचारों, भय और अज्ञानता से मुक्ति मिली है। विज्ञान की यह देन स्तुत्य है। मानव को चाहिए कि वह विज्ञान की इस समग्र देन को रचनात्मक कार्यों में सुनियोजित करें।
आज विज्ञान को मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग क्यों माना जा सकता है?
किसके बल पर मनुष्य प्रकृति और प्राणिजगत् का शिरोमणि बन सका है?
वैज्ञानिक चिंतन पद्धति ने मनुष्य को सबसे पहले किससे मुक्ति दिलाई?
विज्ञान के चरण गतिशील क्यों कहे जा सकते हैं?
समूचा विश्व एक परिवार के समान लगने का क्या कारण है?
वर्तमान युग में संत साहित्य को अधिक उपयोगी क्यों माना जाता है?
गद्यांश में कबीर के लिए किस उपमान का प्रयोग किया गया है?
कबीर ने अपने विचारों और भारतीय धर्म-निरपेक्षता के आधार को किसके माध्यम से युगों-युगांतर के लिए अमरता प्रदान की?
कबीर ने अनुभूतिमूलक ज्ञान का प्रसार किसके द्वारा किया था?
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार कबीर ने धर्म को किस रूप में देखा?
प्रस्तुत गद्यांश किस विषयवस्तु पर आधारित है?
भविष्य में महत्त्वपूर्ण फल पाने की योग्यता का परिचय किसने दिया?
अटकलपच्चू सिद्धांत के आधार पर कार्यक्रम बनाने से क्या होगा?
शुभेच्छा के साथ प्रारंभ किया गया कार्य भी तब तक अभीष्ट फल नहीं दे सकता, जब तक कि
'हिंदू-मुस्लिम एकता साधन है साध्य नहीं', इसके माध्यम से लेखक क्या कहना चाहते हैं?
मनुष्य में सही और गलत का चयन करने की क्षमता किससे उत्पन्न होती है?
'स्व' से 'पर' की ओर अग्रसर होने से क्या तात्पर्य है?
एक शिक्षित व्यक्ति में समाज कल्याण हेतु किन बातों का होना आवश्यक है?
शिक्षा के द्वारा मनुष्य में कैसी भावना उत्पन्न होती है?
“शिक्षा भौतिक आकांक्षा की पूर्ति का साधन बनती जा है', पंक्ति का क्या आशय है?
'विधि' का विलोम शब्द क्या है?
नीचे एक शब्द दिया गया है। दिए गए विकल्पों में से पर्यायवाची शब्द को चिन्हित करें-
तोय
'नाग' शब्द का एक अर्थ होता है - 'सर्प'। इस शब्द का दूसरा अर्थ क्या होता है?
'आँख में धूल झोंकना' मुहावरे का सही अर्थ है -
'खुद श्रीमान बैंगन खाए, औरों को परहेज बताएँ' लोकोक्ति का सही अर्थ है
पिता ने समझाया कि सदा सत्य बोलना चाहिए। यह वाक्य उदाहरण है
नीचे दिए गए वाक्यों में a, b, c, d को सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए
1. दर्द और परिश्रम का
a. लक्ष्य तक पंहुचाता है
b. और उसे एक
c. मार्ग
d. इंसान को
2. सफल व्यक्ति बनाता है।
'तालाब' का पर्यायवाची निम्नलिखित में से कौन सा नहीं है?
"जंगम' का विलोम शब्द क्या है-
निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग के लगाने से बनने वाले सही विकल्प चुनें-
सत् + जन
'सफाई' में कौन-सा प्रत्यय है?
किसी के कहे गये कथन को व्यक्त करने के लिए निम्नलिखित में से कौन से चिह्न का प्रयोग किया जाता है?
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें जो रिक्त स्थान के लिए उपयुक्त शब्द का सही विकल्प है।
जब जानवरों में साफ-सफाई के प्रति इतनी ______ है, फिर हम तो इन्सान है।
दिए गए वाक्य का वह भाग ज्ञात करें जिसमे कोई त्रुटि है।
'तुरंग' शब्द का अर्थ है-
निम्नलिखित वाक्य के प्रथम और अंतिम भागों को क्रमशः 1 और 6 की संज्ञा दी गई है। उनके बीच आने वाले अंशों को चार भागों में बॉटकर य, र, ल, व की संज्ञा दी गई है। चारों भाग उचित क्रम में नहीं हैं। इन अंशों को उचित क्रमानुसार व्यवस्थित करना है। वाक्य को ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से इनका उचित क्रम चुनिए और निर्देशानुसार चिह्न लगाइए।
1. इस दहेज-रूपी दानव ने कितने ही
य. तो पूर्ण समाज कुछ
र. ही दिनों में उसके मुँह
ल. हरे-भरे घर वीरान कर दिए,
व. यदि इसका अन्त नहीं किया गया,
6. का ग्रास बन जाएगा।
'बातचीत बंद करो और काम करना शुरू करो।' यह कैसा वाक्य है?
'आग में घी डालना' मुहावरे का सही अर्थ है।
‘एक पंथ दो काज’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या है?
'प्रयागराज' संज्ञा की दृष्टि से है
नीचे एक शब्द दिया गया है। दिए गए विकल्पों में प्रस्तुत उपसर्ग ज्ञात कीजिए-
विज्ञान
'चमकीला' शब्द में प्रत्यय है:
'सदा सच बोलना चाहिए' यह किस प्रकार का वाक्य-भेद है?
'इतर' शब्द का अर्थ दिए गए विकल्पों में से कौन सा है?
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