Self Studies

Hindi Mock Test - 4

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Hindi Mock Test - 4
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार घर की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

    यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते।

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    लेखिका ने 'नरो वा कुंजरो वा' वाक्यांश किस सन्दर्भ में कहा था?
    Solution

    लेखिका ने 'नरो वा कुंजरो वा' वाक्यांश सन्दर्भ में कहा था- भक्तिन के चरित्र के विषय में बताने के लिए

    • गद्यांश का अनुसार:-
      • लेखिका ने भक्तिन के चरित्र के विषय में बताया है कि न तो वह राजा हरिश्चंद्र की भाँति सत्यवादी है और न ही धर्मराज युधिष्ठिर की भाँति अर्द्ध सत्य बोलने वाली।

    Key Pointsभक्तिन:-

    • अर्थ: ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री, उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी।
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।

    Additional Informationमहाभारत:- 

    • महाभारत भारत का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ है, जो स्मृति के इतिहास वर्ग में आता है। इसे भारत भी कहा जाता है।
    • यह काव्यग्रंथ भारत का अनुपम धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रंथ हैं।
    • विश्व का सबसे लंबा यह साहित्यिक ग्रंथ और महाकाव्य, हिन्दू धर्म के मुख्यतम ग्रंथों में से एक है।
    • महाभारत के रचयिता वेदव्यास जी है, इसका का वास्तविक नाम जयसंहिता है।

    प्रसंग:-

    • अर्थ: मेल, संबंध, लगाव, संगति, बातों का परस्पर संबंध।

    नर:-

    • अर्थ: मानव, मानुष, मनुज, मनुष्य, आदमी

    कुंजर:-

    • अर्थ: हाथी, गज, हस्ती, मतंग, कुम्भी, मदकल, गजेन्द्र

    देवता:-

    • अर्थ: वसु, आदित्य, लेख, सुर, देव, अमर
      • विलोम शब्द- 'असुर​'
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार घर की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

    यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते।

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    भक्तिन द्वारा भंडार घर की मटकी में छिपाकर रखे रुपयों को चोरी न मानने के पीछे क्या तर्क दिया गया?
    Solution

    भक्तिन द्वारा भंडार घर की मटकी में छिपाकर रखे रुपयों को चोरी न मानने के पीछे तर्क दिया गया- यह रुपयों का एक स्थान पर संचयन करना है

    • गद्यांश का अनुसार:-
      • भक्तिन भंडार घर की मटकी में रुपए रख देती है और पूछने पर मैं उसे संभाल कर रख देने का तर्क देती है कि वह ऐसा पैसे को संभाल कर रखने के उद्देश्य से करती है 

    Key Points

    • संचय + अन = संचयन
    • 'संचय' मूल शब्द और 'अन' प्रत्यय 
    • अर्थ: इकट्ठा या जमा होना, संग्रहण, संकलन

    Additional Informationअपव्यय:-

    • अप + व्यय = अपव्यय
    • 'अप' (बुरा) उपसर्ग और 'व्यय' (खर्च) मूल शब्द
    • अर्थ: अनुचित व्यय, फिज़ूलखर्ची, निरर्थक व्यय।
    • विलोम शब्द- 'मितव्यय' 

    आपातकाल:-

    • अर्थ: संकट या विपत्ति का समय, विपत्तिकाल, बुरा समय। 

    भक्तिन:-

    • अर्थ: ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री, उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी।
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार घर की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

    यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते।

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    लेखिका के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन क्या करती थी?
    Solution

    लेखिका के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन करती थी- बात को इधर-उधर करके बताती थी

    • गद्यांश का अनुसार:-
      • महादेवी के क्रोध से बचने के लिए भक्तिन बात को इधर-उधर करके बताने को झूठ नही मानती, वह अपनी बात को सही सिद्ध करने के लिए वह तर्क-वितर्क भी करती है।

    Key Points

    • भिन्नार्थक शब्द - इधर-उधर
    • पुनरुक्त शब्द- सीधे-सीधे 

    Additional Informationभिन्नार्थक शब्द -

    • जब किसी शब्द युग्म में प्रत्येक शब्द भिन्न-भिन्न अर्थ रखने वाला होता है, तो उसे भिन्नार्थक शब्द कहते है   
      • जैसे- भला-बुरा, एक-दो, पढ़ाई-लिखाई।

    पुनरुक्त शब्द:-

    • जब किसी शब्द की एकसाथ दो बार आवृत्ति होती है अर्थात वही शब्द या उस से मिलता जुलता शब्द एक साथ पास-पास आते हैं तो ऐसे शब्द को पुनरुक्त शब्द कहते हैं।
      • जैसे- धीरे-धीरे, आना-जाना, गड़-गड़, रुक-रुक आदि।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार घर की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

    यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते।

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    भक्तिन के जीवन का परम कर्त्तव्य किसे माना गया है?
    Solution

    भक्तिन के जीवन का परम कर्त्तव्य लेखिका को प्रसन्न रखना माना गया है।

    • गद्यांश का अनुसार:-
      • भक्तिन के जीवन का परम कर्त्तव्य लेखिका को प्रसन्न रखने के लिए बात को इधर-उधर घुमाकर बताती है। 

    Key Pointsलेखिका:-

    • अर्थ: वह स्त्री जो कहानी,लेख आदि लिखती हो, महिला साहित्यकार
      • लेखिका का पुल्लिंग शब्द लेखक होगा।

    Additional Informationजीवन:-

    • अर्थ: ज़िंदगी, प्राण, जान। 
    • विलोम शब्द- 'मरण'

    प्रसन्न:-

    • अर्थ:  ख़ुश; हर्षित; आनंदित; प्रफुल्लित
    • विलोम शब्द- 'अप्रसन्न'

    विरोध:-

    • अर्थ: मतभेद, असहमति, झगड़ा, तकरार, विवाद, बखेड़ा।
    • विलोम शब्द- 'समर्थन'
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। वह सत्यवादी हरिश्चंद्र नहीं बन सकती, पर 'नरो वा कुंजरो वा' कहने में भी विश्वास नहीं करती। मेरे इधर-उधर पड़े रुपये-पैसे, भंडार घर की किसी मटकी में कैसे अंतरहित हो जाते हैं, यह रहस्य भी भक्तिन जानती है। पर, उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं। यह उसका अपना घर ठहरा, रुपया-पैसा जो इधर-उधर पड़ा देखा, सँभालकर रख लिया।

    यह क्या चोरी है। उसके जीवन का परम कर्त्तव्य मुझे प्रसन्न रखना है। जिस बात से मुझे क्रोध आ सकता है, उसे बदलकर इधर-उधर करके बताना, क्या झूठ है। इतनी चोरी और इतना झूठ तो धर्मराज महाराज में भी होगा, नहीं तो वे भगवान जी को कैसे प्रसन्न रख सकते और संसार को कैसे चला सकते।

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    भक्तिन के शास्त्रार्थ को स्वीकार करना किसके लिए संभव नहीं था?
    Solution

    भक्तिन के शास्त्रार्थ को स्वीकार करना तर्क शिरोमणि के लिए संभव नहीं था।

    • गद्यांश का अनुसार:-
      • भक्तिन उस संबंध में किसी के संकेत करते ही वह उसे शास्त्रार्थ के लिए चुनौती दे डालती है, जिसको स्वीकार कर लेना किसी तर्क-शिरोमणि के लिए संभव नहीं।  

    Key Points

    •  शिरोमणि का अर्थ- मान्य और श्रेष्ठ व्यक्ति, सिर पर धारण करने का रत्न।
      • ​पुल्लिंग शब्द 
    • तर्क  का अर्थ- जानने-समझाने हेतु किया जानेवाला यत्न, सुविचारित बात, दलील।
      • विलोम शब्द- 'वितर्क'
      • पुल्लिंग शब्द 

    Additional Informationधर्मराज:-

    • अर्थ: धर्म का पालन करने वाला राजा, युधिष्ठिर, यमराज, न्यायाधीश।
      • पुल्लिंग शब्द 

    लेखिका:-

    • अर्थ: वह स्त्री जो कहानी,लेख आदि लिखती हो, महिला साहित्यकार
      • लेखिका का पुल्लिंग शब्द लेखक होगा।

    भगवान:-

    • अर्थ: ईश्वर, परमेश्वर, परमात्मा, प्रभु, विधाता, जगतपालक, सृष्टिकर्ता। 
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाक़र अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।

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    गद्यांश में लेखिका और भक्तिन के बीच किस के संबंध की बात की गई है?
    Solution

    गद्यांश में लेखिका और भक्तिन के बीच सेवक- स्वामी के संबंध की बात की गई है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखिका और भक्तिन के बीच सेवक-स्वामी का सम्बन्ध था यह कहना उचित नही है क्योकिं लेखिका चाहकर भी उसे नही निकाल पाती और भक्तिन निकल जाने का आदेश सुनकर भी नही जाती थी

    Key Points

    • सेवक- अनुचर, आश्रित, दास, नौकर, चाकर, गुलाम। 
    • स्वामी- मालिक,अधिपति, गृहस्वामी, कांत, प्राणप्रिय, आर्यपुत्र, सुहाग। 

    Additional Informationगुरु:- 

    • अर्थ: शिक्षक, आचार्य, उपाध्याय, अध्यापक, उस्ताद , व्याख्याता ।

    शिष्य:-

    • अर्थ: चेला, अनुयायी, शागिर्द, छात्र, अनुगामी।

    राजा:-

    • अर्थ: नरेश, नरपति, भूपाल, राव, महीप, भूप, महाराज, महाराजा, भूपति

    रंक:-

    • अर्थ: गरीब, दरिद्र, कंगाल, निर्धन, धनहीन।

    अमीर:-

    • अर्थ: धनी, मालदार, रईस, दौलतमंद, धनवान। 
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाक़र अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।

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    लेखिका ने किस बात को असंगत माना है?
    Solution

    लेखिका ने बात को असंगत माना है- भक्तिन को नौकर कहना

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना।

    Key Points

    •  भक्तिन- ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री,उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी।
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।
    • नौकर- सेवक, अनुचर, आश्रित, दास, चाकर, गुलाम। 
      • विलोम शब्द- 'मालिक'

    Additional Informationआदेश:-

    • अर्थ: आज्ञा, हुक्म, फरमान, अध्यादेश, निर्देश, अनुदेश
    • विलोम शब्द- 'निरादेश'

    बेवजह:-

    • बे + वजह = बेवजह 
    • 'बे' (बिना) उपसर्ग और 'वजह' (कारण)
    • अर्थ: बिना किसी वजह या कारण के, निरुद्देश्य, निष्प्रयोजन।
    • विलोम शब्द- 'वजह'

    हँसना:-

    • अर्थ: वेग पूर्वक हर्ष ध्वनि निकालना, ठट्ठा मारना।
    •  विलोम शब्द- 'रोना'
    • अकर्मक क्रिया

    पद्धति:-

    • अर्थ: ​एक विशेष प्रकार का तरीका, प्रविधि, प्रणाली, ढंग।
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाक़र अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।

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    प्रकाश और अंधकार का उदाहरण क्यों दिया गया है?
    Solution

    प्रकाश और अंधकार का उदाहरण भक्तिन और महादेवी के संबंधों की तुलना के लिए दिया गया है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • जिस प्रकार प्रकाश और अंधकार मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिसा है और दोनों का एक स्वभाविक संबंध है,
      • जीवन में, उसी तरह भक्तिन और महादेवी भी एक दूसरे के जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है और बिना एक दूसरे के वह दोनों अपने जीवन की कल्पना नही कर सकते है

    Key Pointsभक्तिन:- 

    • अर्थ: ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री, उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी। 
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।

    महादेवी:-

    • महादेवी वर्मा ( जन्म: 26 मार्च, 1907, फ़र्रुख़ाबाद - मृत्यु: 11 सितम्बर, 1987, प्रयाग) हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री हैं। 
    • उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।[
    • महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है।
    • इनकों 27 अप्रैल 1982 को भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया था। 
    • प्रमुख रचनाएं:- 

      • नीहार (1930)
      • रश्मि (1932)
      • नीरजा (1934)
      • सांध्यगीत (1936)
      • दीपशिखा (1942)

    Additional Informationदिन:-

    • अर्थ: दिवस, याम, दिवा, वार, प्रमान, वासर, अह्न। 

    रात:-

    • अर्थ: रात्रि, रैन, रजनी, निशा, यामिनी, तमी, निशि, यामा, विभावरी। 

    तुलना:-

    • अर्थ: जिसमें दो या अधिक चीज़ों की समानता और असमानता दिखाई गई हो। 
    • अकर्मक क्रिया

    अच्छाई:-

    • अच्छा + आई  = अच्छाई
    • 'अच्छा' मूल शब्द और 'आई' प्रत्यय 
    • अर्थ: भलापन, खूबी, गुण।
    • विलोम शब्द- 'बुराई'

    बुराई:-

    • बुरा + आई  = बुराई
    • 'बुरा' मूल शब्द और 'आई' प्रत्यय 
    • अर्थ: बुरा होना, ख़राबी होना।
    • विलोम शब्द- 'अच्छाई'

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाक़र अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।

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    लेखिका और भक्तिन के संबंधों की क्या विशेषता है?
    Solution

    लेखिका और भक्तिन के संबंधों की आत्मीयता विशेषता है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखिका व भक्तिन के बीच बाहरी तौर पर सेवक-स्वामी का संबंध था, यह कहना उचित नही है वे आत्मीय जन की तरह थी,
      • लेखिका चाहकर भी उसे नही निकाल पाती और भक्तिन निकल जाने का आदेश सुनकर भी नही जाती थी।

    Key Points

    • आत्म +ईत + ता = आत्मीयता 
    • 'आत्म' मूल शब्द और 'ईत, ता'  प्रत्यय 
    • अर्थ: अपना होने का भाव, अपनापन, स्नेह-संबंध

    Additional Informationईर्ष्या:- 

    • अर्थ: द्वेष, जलन, रश्क, कुढ़न, डाह, हसद, मत्सर
    • विलोम शब्द- 'प्रेम'

    अकेलापन:-

    • अकेला + पन = अकेलापन
    • 'अकेला' मूल शब्द और 'पन'  प्रत्यय
    • अर्थ: अकेला होने की स्थिति या भाव, एकाकीपन, एकांत, वैयक्तिकता।

    जातिगत भेदभाव:-

    • जातिगत भेदभाव, लैंगिक (महिला और पुरुष),वर्ण आधारित (काले गोरे- अमेरिका और यूरोप में), लम्बे, छोटे, इत्यादि।
    • कल यह दूसरे रूप में था आज अलग रूप में है नए वाले कल में दूसरे रूप में होगा।
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    भक्तिन और मेरे बीच में सेवक स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन है; क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाक़र अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुःख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।

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    लेखिका के व्यक्तित्व के कई अनछुए आयाम किसके कारण से प्रकट होते गए?
    Solution

    लेखिका के व्यक्तित्व के कई अनछुए आयाम भक्तिन के कारण से प्रकट होते गए।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही लेखिका के व्यक्तित्व को घेरे हुए है।

    Key Pointsभक्तिन:- 

    • अर्थ: ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री, उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी। 
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।

    Additional Informationविशिष्ट:-

    • अर्थ: विशेष होने की अवस्था या भाव, असामान्य, खास, स्पेशल।
    • विलोम शब्द- 'सामान्य' 
    • विशेषण शब्द 

    प्रवृत्ति:-

    • अर्थ: मन का झुकाव, स्वभाव
    • विलोम शब्द- 'निवृत्ति'

    अध्ययनशील:-

    • अर्थ: पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाला। 

    साहित्य:-

    • अर्थ: सहित या साथ होने की अवस्था, शब्द और अर्थ की सहितता, सार्थक शब्द 

    साहित्यकार:- 

    • अर्थ: साहित्य की रचना करनेवाला।
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

    वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर भाव नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा देखकर वह कह उठती है - ‘का ओहू कवित्त लिखे जानत हैं' और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है - तब ऊ कुच्छे करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।

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    भक्तिन का साहित्यकारों से परिचय कैसे हुआ?
    Solution

    भक्तिन का साहित्यकारों से परिचय महादेवी वर्मा के द्वारा हुआ

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • भक्तिन का साहित्यकारों से परिचय महादेवी वर्मा के द्वारा हुआ, पर उनके प्रति सम्मान एवं सद्भाव रखती थी, जो उसकी लेखिका के प्रति सम्मान एवं सद्भाव रखते थे।​

    Key Pointsमहादेवी:-

    • महादेवी वर्मा ( जन्म: 26 मार्च, 1907, फ़र्रुख़ाबाद - मृत्यु: 11 सितम्बर, 1987, प्रयाग) हिन्दी भाषा की प्रख्यात कवयित्री हैं। 
    • उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।[
    • महादेवी वर्मा की गिनती हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभ सुमित्रानन्दन पन्त, जयशंकर प्रसाद और सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला के साथ की जाती है।
    • इनकों 27 अप्रैल 1982 को भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया था। 

    प्रमुख रचनाएं:- 

    • नीहार (1930)
    • रश्मि (1932)
    • नीरजा (1934)
    • सांध्यगीत (1936)
    • दीपशिखा (1942)

    Additional Informationजिज्ञासा:-

    • अर्थ: जानने की इच्छा, ज्ञान प्राप्त करने की कामना, उत्सुकता।

    रुचि:-

    • अर्थ: चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, प्रेम, दिलचस्पी।
    • विलोम शब्द-'अरुचि'

    प्रवृत्ति:-

    • अर्थ: मन का झुकाव, स्वभाव
    • विलोम शब्द- 'निवृत्ति'
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

    वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर भाव नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा देखकर वह कह उठती है - ‘का ओहू कवित्त लिखे जानत हैं' और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है - तब ऊ कुच्छे करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।

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    कवियों के विषय में भक्तिन की क्या मान्यता थी?
    Solution

    कवियों के विषय में भक्तिन की संकुचित मान्यता थी।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान विस्तृत है, तथा कवियों के आदर-भाव के प्रति भक्तिन की संकुचित मान्यता है। 

    Key Pointsसंकुचित:-

    • संकोच + इत = संकुचित 
    • 'संकोच' मूल शब्द और 'इत' प्रत्यय।
    • अर्थ: जो विशाल या उदार न हो, सिकुड़ा हुआ 
    • विलोम शब्द- 'विस्तृत' 
      • अर्थ: बहुत बड़ा या लबा चौड़ा,  विशाल।
    • विशेषण शब्द 

    Additional Informationसंकीर्ण:-

    • सम् + कीर्ण = संकीर्ण
    • 'सम्' (अच्छी तरह) उपसर्ग और 'कीर्ण' (बिखेरा हुआ) मूल शब्द
    • अर्थ: जो अधिक चौड़ा या विस्तृत न हो, संकुचित, तंग, सँकरा 
    • विलोम शब्द- 'विस्तीर्ण, विकीर्ण'
    • विशेषण शब्द 
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

    वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर भाव नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा देखकर वह कह उठती है - ‘का ओहू कवित्त लिखे जानत हैं' और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है - तब ऊ कुच्छे करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।

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    लेखिका को क्या विस्मित कर देने वाला लगा?
    Solution

    लेखिका को भक्तिन की बुद्धि विस्मित कर देने वाला लगा।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • भक्तिन की सहजबुद्धि इसलिए विस्मित करने देने वाली थी क्योंकि वह केवल उन लोगों के प्रति सम्मान एवं सद्भाव रखती थी, जो उसकी मालकिन के प्रति सम्मान एवं सद्भाव रखते थे।​

    Key Pointsभक्तिन:- 

    • अर्थ: ईश्वर के प्रति अनुराग रखने वाली स्त्री, उपासिका, तपस्विन, योगिन, भिक्षुणी।
      • भक्तिन का पुल्लिंग शब्द भक्त होगा।

    बुद्धि:-

    • अर्थ: अक्ल, समझ, दिमाग, विवेक, सूझबूझ, ज्ञान, प्रतिभा। 
      • विलोम शब्द- 'कुबुद्धि'

    Additional Informationसाहित्य:-

    • अर्थ: सहित या साथ होने की अवस्था,शब्द और अर्थ की सहितता, सार्थक शब्द। 

    नवीन:-

    • अर्थ: आधुनिक, अर्वाचीन, वर्तमानकालीन, नया, नूतन
      • विलोम शब्द- 'प्राचीन'

    वेशभूषा:-

    • अर्थ: परिधान, वस्त्र, कपड़ा, पोशाक, लिबास। 
  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

    वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर भाव नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा देखकर वह कह उठती है - ‘का ओहू कवित्त लिखे जानत हैं' और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है - तब ऊ कुच्छे करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।

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    भक्तिन की साहित्यकारों के प्रति सम्मान और सद्भाव की भावना किस पर आधारित थी ?
    Solution

    भक्तिन की साहित्यकारों के प्रति सम्मान और सद्भाव की भावना लेखिका की सोच पर आधारित थी। 

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • भक्तिन का लेखिका के परिचितों एवं साहित्यिक बंधुओं से विशेष परिचय है किंतु उनके प्रति सम्मान और सद्भाव की भावना लेखिका के प्रति सम्मान और सद्भाव  की भावना पर निर्भर है। ​

    Key Pointsलेखिका:-

    • अर्थ: वह स्त्री जो कहानी,लेख आदि लिखती हो, महिला साहित्यकार।
      • लेखिका का पुल्लिंग शब्द लेखक होगा।

    Additional Informationइच्छा:- 

    • अर्थ: अभिलाषा, चाह, कामना, लालसा, मनोरथ, आकांक्षा, ईप्सा, मर्जी 
    • विलोम शब्द- 'अनिच्छा'

    शक्ति:-

    • अर्थ: पराक्रम, बल, ताकत, योग्यता, सामर्थ्य, क्षमता , जोर
    • विलोम शब्द- 'क्षीणता'

    सोच:-

    • अर्थ: विचार, ध्यान, चिंता, परेशानी
    • विलोम शब्द- 'असोच'

    साहित्य:-

    • अर्थ:.सहित या साथ होने की अवस्था,शब्द और अर्थ की सहितता, सार्थक शब्द 
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    मेरे परिचितों और साहित्यिक बंधुओं से भी भक्तिन विशेष परिचित है; पर उनके प्रति भक्तिन के सम्मान की मात्रा, प्रति उनके सम्मान की मात्रा पर निर्भर है और सद्भाव उनके प्रति मेरे सद्भाव से निश्चित होता है। इस संबंध में भक्तिन की सहजबुद्धि विस्मित कर देने वाली है।

    वह किसी को आकार-प्रकार और वेश-भूषा से स्मरण करती है और किसी को नाम के अपभ्रंश द्वारा। कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बढ़ा है; पर आदर भाव नहीं। किसी के लंबे बाल और अस्त-व्यस्त वेश-भूषा देखकर वह कह उठती है - ‘का ओहू कवित्त लिखे जानत हैं' और तुरंत ही उसकी अवज्ञा प्रकट हो जाती है - तब ऊ कुच्छे करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।

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    'तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरि हैं पंक्ति से भक्तिन का साहित्यकारों के प्रति कैसा भाव प्रकट होता है?
    Solution

    तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरि हैं पंक्ति से भक्तिन का साहित्यकारों के प्रति अनादर का भाव प्रकट होता है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • पंक्ति का भाव है तब वह कुछ करता धरता नहीं होगा, बस गली-गली में गाता बजाता फिरता है। 
      • अर्थात ​कवि और कविता के संबंध में उसका ज्ञान बड़ा है, पर आदर-भाव नहीं। 

    Key Points

    •  अन्  + आदर = अनादर 
    •  'अन्' (नहीं/बुरा) उपसर्ग और 'आदर' (सम्मान) मूल शब्द
    • अर्थ: आदर का अभाव, निरादर, तिरस्कार, अपमान, अप्रतिष्ठा, बेइज़्ज़ती
    • विलोम शब्द- 'आदर'

    Additional Informationईर्ष्या:-

    • अर्थ: जलन, रश्क, कुढ़न, डाह, हसद, मत्सर, द्वेष
    • विलोम शब्द- 'प्रेम'

    सम्मान:-

    • सम् + मान = सम्मान
    • 'सम्' (नहीं/बुरा) उपसर्ग और 'मान' (आदर) मूल शब्द
    • अर्थ: जो सम्मान के योग्य हो, सम्मान, इज्जत, प्रतिष्ठा।
    • विलोम शब्द- 'अपमान' 

    विरोध:-

    • अर्थ: मतभेद, असहमति, झगड़ा, तकरार, विवाद, बखेड़ा।
    • विलोम शब्द- 'समर्थन'
  • Question 16
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस 'पर्चेजिंग पावर' के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

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    संयमी व्यक्ति पैसे के प्रयोग की आवश्यकता क्यों नहीं समझते हैं ?
    Solution

    'पैसे जोड़ने पर मन गर्व से भरा रहने के कारण' संयमी व्यक्ति पैसे के प्रयोग की आवश्यकता नहीं समझते हैं। 
    Key Points

    • संयमी व्यक्ति बुद्धि और संयमपूर्वक पैसे को जोड़ते जाते हैं।
    • वे समझते हैं कि पैसे के प्रयोग की उन्हें ज़रूरत नहीं है
    Additional Information

    संयमी

    • विशेषण
      • संयम में रहनेवाला।
    • पुल्लिंग
      • योगी।

    दरकार

    • विशेषण
      • आवश्यक, ज़रूरी।
  • Question 17
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस 'पर्चेजिंग पावर' के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

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    फ़िजूल सामान को फ़िजूल कौन समझते हैं?
    Solution

    'संयमी' व्यक्ति फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। 
    Key Points

    • वे लोग पैसा नहीं बहाते हैं। तथा बुद्धि का प्रयोग करके पैसा जोड़ते हैं।
    Additional Information

    फ़जूल

    • विशेषण
      • निरर्थक
      • व्यर्थ, बे फ़ायदा।

    क्रूर

    • विशेषण
      • निर्दय, संगदिल।
      • निर्मम एवं हिंसक कार्य करनेवाला।

    बुद्धि का पर्यायवाची शब्द-

    • अक्ल, समझ, दिमाग
    • विवेक, सूझबूझ, ज्ञान, प्रतिभा।
  • Question 18
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस 'पर्चेजिंग पावर' के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

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    ‘पैसा बहाने' से क्या अभिप्राय है?
    Solution

    "पैसा बहाने" का अर्थ 'फिजूलखर्ची करना' है। 
    Key Points

    • अर्थात बिना सोचे समझे पैसा खर्च करना।
    • पानी की तरह पैसा बहाना एक मुहावरा है।
    Additional Information

    पानी की तरह पैसा बहाना

    • अन्धाधुन्ध खर्च करना।

    वाक्य प्रयोग

    • तुम्हारे रोग को ठीक होने में मेरे पैसे पानी की तरह बहे हैं।
  • Question 19
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस 'पर्चेजिंग पावर' के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

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    पैसे को जोड़कर गर्व का अनुभव कौन करते हैं?
    Solution

    बुद्धि व संयम से काम लेने वाले व्यक्ति पैसे को जोड़कर गर्व का अनुभव करते हैं। 
    Key Points

    • वह बुद्धि का संगम से पैसे को जोड़ते हैं तथा फिजूलखर्ची नहीं करते हैं।
    • वे पैसे के प्रयोग को ज़रूरी नहीं समझते हैं तथा बहुत सारा धन संचित करके गर्वित महसूस करते हैं।
    Additional Information

    अनुभव

    • पुल्लिंग
      • प्रत्यक्षज्ञान।
      • काम की जानकारी, तजुर्बा।

    गर्व का पर्यायवाची शब्द

    • अभिमान, दर्प, मद
    • घमंड, दंभ, अंहकार।
  • Question 20
    5 / -1

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    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    पैसा पावर है। पर उसके सबूत में आस-पास माल-टाल न जमा हो, तो क्या वह खाक पावर है। पैसे को देखने के लिए बैंक-हिसाब देखिए, पर माल असबाब मकान-कोठी तो अनदेखे भी दिखते हैं। पैसे की उस 'पर्चेजिंग पावर' के प्रयोग में ही पावर का रस है, लेकिन नहीं। लोग संयमी भी होते हैं। वे फ़िजूल सामान को फ़िजूल समझते हैं। वे पैसा बहाते नहीं हैं और बुद्धिमान होते हैं। बुद्धि और संयमपूर्वक वह पैसे को जोड़ते जाते हैं, जोड़ते जाते हैं। वह पैसे की पावर को इतना निश्चय समझते हैं कि उसके प्रयोग की उन्हें दरकार नहीं है। बस पैसे के जुड़ा होने पर खुद उनका मन गर्व से भरा-फूला रहता है।

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    पैसे की पावर का रस किसमें है?
    Solution

    पैसे की पावर का रस 'परचेजिंग पावर' में है। 
    Key Points

    • परचेजिंग पावर से तात्पर्य पैसे के द्वारा क्या-क्या खरीदा जा सकता है, उस क्षमता से है।
    • उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार पैसे का पावर पैसा संचित करने से नहीं अपितु उन पैसों से खरीदी गई वस्तुओं से प्रदर्शित होता है।
    Additional Information

    असबाब

    • पुल्लिंग
      • सामान।

    रस के पर्यायवाची शब्द-

    • प्रीति, प्रेम, मुहब्बत
    • आनंद, मजा, मौज।
  • Question 21
    5 / -1

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    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!

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    बाजार लोगों को आमंत्रित क्यों करता है?
    Solution

    बाजार लोगों को आमंत्रित करता है ताकि वह 'अपना स्वरूप दिखाने के लिए​' 
    Key Points

    • क्योंकि बाजार लोगों को आकर्षित करता है तथा उनके मन में वस्तुओं को खरीदने की चाह उत्पन्न करता है।
    Additional Information

    ग्राहक

    • पुल्लिंग
      • लेनेवाला।
      • खरीददार, गाहक।
    • विशेषण
      • ग्रहण करनेवाला।

    अवगत

    • विशेषण
      • जाना हुआ।
      • वादा किया हुआ।
  • Question 22
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!

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    'मैं तुम्हारे लिए हूँ' पंक्ति में 'मैं' शब्द किसके लिए प्रयोग हुआ है?
    Solution

    "मैं तुम्हारे लिए हूँ" पंक्ति में मैं शब्द 'बाजार के लिए' प्रयोग हुआ है। 
    Key Points

    • बाजार ग्राहकों को आकर्षित करते हुए कहता है मैं तुम्हारे लिए हूं आओ मुझे लूटो।
    • अर्थात मेरे यहाँ से वस्तुएँ खरीदो।
    Additional Information

    मैं, उत्तम पुरुषवाचक सर्वनाम है।

    • अतः जिनका प्रयोग बोलने वाला व्यक्ति अपने लिए करता है।
    • जैसे - मैं, हम, मेरा, हमारा।

    तुम्हारा शब्द मध्यम पुरुषवाचक सर्वनाम है।

    • इस सर्वनाम शब्द का प्रयोग सुनने वाले श्रोता के लिए किया जाता है।
    • जैसे - तुम, तू, आप, तेरा, तुम्हारा।
  • Question 23
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!

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    मूक आमंत्रण कौन-सा कार्य करता है?
    Solution

    मूक आमंत्रण 'ग्राहक में चाह जगाने' का कार्य करता है। 
    Key Points

    • मूक मतलब बिना बोले।
    • अर्थात ऊँचे बाजार अपनी आभा से बिना बोले ही ग्राहकों को आमंत्रण देते हैं।
    • तथा उनके मन में चाहा जगाते हैं कि वह इन वस्तुओं को खरीदें।
    Additional Information

    मूक

    • विशेषण
      • गूँगा।
      • लाचार।

    आमंत्रण

    • पुल्लिंग
      • बुलाना, पुकारना।
      • न्यौता, निमंत्रण।
  • Question 24
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!

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    लेखक के अनुसार, व्यक्ति को बाजार की चकाचौंध के बीच खड़े होकर क्या अनुभव होने लगता है?
    Solution

    लेखक के अनुसार व्यक्ति को बाजार के चकाचौंध के बीच खड़े होकर यह अनुभव होने लगता है कि 'उसे और सामान खरीदने की आवश्यकता है।' 
    Key Points

    • बाजार की चकाचौंध उसके मन में अभाव का भाव जगाती है तथा उसे यह लगता है कि उसे और सम्मान चाहिए।
    • अतः इस वजह से वह बाजार के कुचक्र में फँस जाता है।
    Additional Information

    परिमित

    • विशेषण
      • जिसे मापा जा चुका हो।
      • परिमाण में जो किसी विशेष बिंदु, संख्या आदि से कम हो।

    अतुलित

    • विशेषण
      • बिना तौला हुआ।
      • बेहिसाब।
  • Question 25
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    बाजार आमंत्रित करता है कि आओ मुझे लूटो और लूटो। सब भूल जाओ, मुझे देखो। मेरा रूप और किसके लिए है? मैं तुम्हारे लिए हूँ। नहीं कुछ चाहते हो, तो भी देखने में क्या हरज़ है। अजी आओ भी। इस आमंत्रण में यह खूबी है कि आग्रह नहीं है आग्रह तिरस्कार जगाता है। लेकिन ऊँचे बाजार का आमंत्रण मूक होता है और उससे यह जगती है। चाह मतलब अभाव। चौक बाजार में खड़े होकर आदमी को लगने लगता है कि उसके अपने पास काफी नहीं है और चाहिए और चाहिए। मेरे यहाँ कितना परिमित है और यहाँ कितना अतुलित है ओह!

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    'अजी आओ भी' पंक्ति में कौन-सा भाव स्पष्ट हो रहा है?
    Solution

    "अजी आओ भी" पंक्ति में आकर्षण का भाव प्रकट हो रहा है। 
    Key Points

    • अजी आओ भी क्या कर बाजार ग्राहकों को आकर्षित करता है तथा उन्हें अपने जाल में फंसाता है।
    • इस वजह से ग्राहक अनावश्यक वस्तुओं को भी खरीद लेते हैं।
    Additional Information

    आकर्षण

    • पुल्लिंग
      • खींचना।
      • खिंचाव।

    अनावश्यकता

    • अनावश्यक + ता (प्रत्यय)

    अनावश्यक

    • विशेषण
      • गैर-ज़रूरी।
      • व्यर्थ।
  • Question 26
    5 / -1
    'रामावतार' शब्द में कौन सी सन्धि है ?
    Solution

    रामावतार शब्द में 'दीर्घ संधि' है।

    Key Points

    रामावतार

    • राम + अवतार
    • अ + अ :- आ

    दीर्घ संधि

    • दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, आ, इ, ई, उ, ऊ और ऋ स्वर आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ, ई, ऊ और हो जाते हैं।
    Additional Information

    गुण संधि

    • अ, आ के बाद इ, ई हो तो “ए” बनता है।
    • जब अ, आ के बाद उ, ऊ आए तो बनता है।
    • जब अ, आ के बाद आए तो अर बनता है।

    उदाहरण-

    • देव + इन्द्र - देवन्द्र
    • सूर्य + उदय - सूर्योदय
    • महा + ऋषि - महर्षि

    अयादि संधि

    • जब संधि करते समय ए , ऐ , ओ , औ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो (ए का अय), (ऐ का आय), (ओ का अव), (औ का आव) बन जाता है।

    उदाहरण-

    • श्री + अन :- श्रवण
    • पौ + अक :- पावक
    • पौ + अन :- पावन
    • नै + अक :- नायक

    वृद्धि संधि

    • इसके अंतर्गत संधि करते समय जब अ, आ के बाद (ए, ऐ) आए तो 'ऐ' बनता है और जब अ, आ के बाद (ओ, औ) आए तो 'औ' बनता है।

    उदाहरण-

    • राजा + ऐश्वर्य - राजेश्वर्य
    • दन्त + षष्ठ - दन्तौष्ठ
    • महा + ओजस्वी - महौजस्वी
    • महा + औदार्य - महौदार्य
  • Question 27
    5 / -1
    अनेक शब्दों के लिए एक शब्द का चयन करें- जिस बीमारी का ठीक होना सम्भव न हों
    Solution

    'जिस बीमारी का ठीक होना सम्भव न हों' वाक्यांश के लिए एक शब्द है- 'असाध्य'

    • अ + साध्य = असाध्य
    • 'अ' (नही) उपसर्ग और 'साध्य' मूल शब्द
    • अर्थ: जिसका साधन न हो सके, न करने योग्य, दुष्कर, कठिन।
    • विलोम शब्द- 'साध्य'
    • विशेषण शब्द 

    Key Points

    • जब किसी वाक्य में प्रयुक्त या स्वतन्त्र किसी वाक्यांश के लिए किसी एक शब्द का प्रयोग किया जाता है। 
    • जो उस वाक्यांश के अर्थ को पूरी तरह सिद्ध करता हो तो उसे वाक्यांश के लिए एक शब्द कहते हैं,
      • अर्थात अनेक शब्दों के लिए एक शब्द को प्रयुक्त करना ही वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है। 

    Important Points

    संकल्प:- 

    • सम् + कल्प
    • 'सम्' (अच्छी तरह) उपसर्ग और 'कल्प' मूल शब्द
    • अर्थ: विचार, इरादा, वसीयत, दृढ़ निश्चय, प्रतिज्ञा। 
    • विलोम शब्द- 'विकल्प'
    • पुल्लिंग शब्द 

    भयानक:-

    • अर्थ: भयंकर, डरावना, आतंकपूर्ण, ख़ौफ़नाक
    • विलोम शब्द- 'सुंदर'
    • विशेषण शब्द 

    ​घातक:-

    • घात + अक = घातक
    • 'घात' मूल शब्द और 'अक' प्रत्यय 
    • अर्थ: प्रहार करनेवाला, हत्यारा, वधिक, क़ातिल।
    • विलोम शब्द- 'रक्षक'
    • विशेषण शब्द 

    Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण वाक्यांश के लिए एक शब्द:-

    • पहाड़ के ऊपर की सपाट जमीन – अधित्यका
    • जिसे अधिकार में ले लिया गया हो – अधिकृत
    • जिसका दमन नहीं किया जा सके – अदम्य
    • जिंदा रहने की इच्छा – जिजीविषा
    • जिसकी बुद्धि बहुत तेज हो – कुशाग्र
    • आकाश में विचरण करने वाले जंतु – नभचर
    • जो बहुत समय तक ठहर सके – चिरस्थायी
    • जिसने इन्द्रियों को वश में कर लिया हो – जितेन्द्रिय
  • Question 28
    5 / -1
    'आविर्भाव' शब्द का विलोम शब्द होगा-
    Solution

    'आविर्भाव' शब्द का विलोम शब्द होगा- 'तिरोभाव'

    • आवि: + भाव = आविर्भाव
    • इसमें विसर्ग संधि है
    • 'आविर्भाव' का अर्थ - प्रकट होना,उत्पत्ति।
    • 'आविर्भाव' का सही विलोम शब्द 'तिरोभाव' है।
      • अर्थ: अदृश्य हो जाना, अदर्शन, गोपन, छिपाव, दुराव।

    Key Points

    • किसी भी शब्द का विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते है। 
      • जैसे- नश्वर-अनश्वर, आदि- अनादि, संभव-असंभव, अधम-उत्तम, आजाद-गुलाम आदि। 

    Additional Informationअभाव:- 

    • अ + भाव = अभाव 
    • 'अ' (नही) उपसर्ग और 'भाव' (स्थिति) मूल शब्द 
    • अर्थ: अस्तित्व में न होने की अवस्था, असत, कमी।
    • विलोम शब्द- 'भाव, प्रचुरता'
      • अर्थ: अधिकता, विपुलता।

    अनाभाव:-

    • अन + अभाव = अनाभाव 
    • 'अ' (नही) उपसर्ग और 'भाव' (कमी) मूल शब्द 

    अनेकाभाव:-

    • अनेक + अभाव = अनेकाभाव
    • अनेक का अर्थ एक से अधिक।
    •  अभाव का अर्थ अस्तित्व में न होने की अवस्था, असत।
    • अनेकाभाव का अर्थ एक से अधिक चीजों की कमी 
  • Question 29
    5 / -1
    भारत में निर्धनता-निर्मूलन कार्य _____ गति से नही हो सका है। 
    Solution

    भारत में निर्धनता-निर्मूलन कार्य प्रशंसनीय गति से नही हो सका है। 

    Key Points

    • प्रशंसा + अनीय = प्रशंसनीय 
    • 'प्रशंसा' (तारीफ़) मूल शब्द और 'अनीय' प्रत्यय
    • इस प्रकार  प्रशंसनीय का अर्थ है- प्रशंसा करने योग्य,  सराहनीय। 
    • विलोम शब्द- 'अप्रशंसनीय'
    • विशेषण शब्द 

    Additional Informationअनुकरणीय:- 

    • अनुकरण + ईय = अनुकरणीय  
    • 'अनुकरण' (नकल) मूल शब्द और 'ईय' प्रत्यय 
    • इस प्रकार अनुकरणीय का अर्थ है- अनुकरण करने योग्य।
    • विशेषण शब्द 

    निर्धारित:-

    • निर् + धार + इत = निर्धारित
    • 'निर्' (बिना) उपसर्ग, 'धार' (प्रवाह) मूल शब्द और 'इत' प्रत्यय 
    • इस प्रकार निर्धारित का अर्थ है- जिसका निर्धारण हो चुका हो 
    • विलोम शब्द- 'अनिर्धारित'
    • विशेषण शब्द 

    अनियमित:-

    • अ + नियमित = अनियमित
    • 'अ' (नही)  उपसर्ग और 'नियमित' (नियम रहित) मूल शब्द 
    • इस प्रकार अनियमित का अर्थ है- 'नियम रहित'
    • विलोम शब्द- 'नियमित'
    • विशेषण शब्द 
  • Question 30
    5 / -1
    'प्रस्तर-प्रस्तार' शब्द युग्म का अर्थ है- 
    Solution

    'प्रस्तर-प्रस्तार' शब्द का अर्थ है- 'पत्थर-फैलाव'

    Key Points

    • प्र + स्तर = प्रस्तर 
    • 'प्र' (आगे) उपसर्ग और 'स्तर' (परत) मूल शब्द 
    • इस प्रकार  प्रस्तर का अर्थ है- 'पत्थर'
    • प्र + स्तार = प्रस्तार 
    • 'प्र' (आगे) उपसर्ग और 'स्तार' (फैल) मूल शब्द 
    • प्रस्तार का अर्थ है- 'फैलाव, विस्तार।'
    • पुल्लिंग

    Additional Informationपहाड़:- 

    • पर्वत, शैल, नग, भूधर, अंचल, महीधर, गिरि, भूमिधर, तुंग, अद्रि।

    पत्थर:-

    • पाहन, रोड़ा, गिट्टी, पाषाण, प्रस्तर, सिलिका, शिला
  • Question 31
    5 / -1
    स्वच्छंदता के विपरीत हमें निष्ठा और गंभीरता से काम करना चाहिए। वाक्य में रेखांकित का अर्थ है-
    Solution

    स्वच्छंदता के विपरीत हमें निष्ठा और गंभीरता से काम करना चाहिए। वाक्य में रेखांकित का अर्थ है- 'मनमानी' 

    Key Points

    • स्व + छंद + ता = स्वच्छंदता 
    • स्व (स्वतः) का उपसर्ग, 'छंद' (आनंदित करना) मूल शब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • इस प्रकार स्वच्छंदता का अर्थ है- मनमानी, प्रतिबंध या रुकावट न होने की अवस्था  
      • विलोम शब्द- 'नियंत्रित'

    Additional Informationप्रतिबंध:- 

    • प्रति + बंध = प्रतिबंध
    • प्रति (प्रत्येक) उपसर्ग और 'बंध' (रोक देना) मूल शब्द
    • इस प्रकार प्रतिबंध का अर्थ है- बाँधने की क्रिया, बंधन, रुकावट, बाधा।
      • विलोम शब्द- 'छूट' 

    परवाह:-

    • पर + वाह = परवाह
    • 'पर'(दूसरा) उपसर्ग और 'वाह' (प्रशंसा) मूल शब्द 
    • अर्थ: देख-भाल, सावधानी, बचाव, संभालना, सहानुभूति, आवभगत
      • विलोम शब्द-'बेपरवाही'
      • स्त्रीलिंग

    पराधीनता:-

    • परा + धीन + ता = पराधीनता
    • 'परा' (विपरीत) उपसर्ग, 'धीन' (लोहा) मूल शब्द और 'ता' (ढंग या भाव) प्रत्यय 
    • इस प्रकार पराधीनता का अर्थ है- पराधीन होने की अवस्था, ग़ुलामी, दासता, परतंत्रता
    • विलोम शब्द-  'स्वाधीनता'
  • Question 32
    5 / -1

    निर्देश: निम्नलिखित शब्दों के पर्यायवाची शब्द चुनें।

    सौदामिनी

    Solution

    सही उत्तर विद्युत है।  

    Key Points

    • सौदामिनी शब्द का पर्यायवाची विद्युत है।  
    • सौदामिनी शब्द के अन्य पर्यायवाची- बिजली, चपला, चंचला, दामिनी, विधुत्, तड़ित, बीजुरी, क्षणप्रभा।

    अन्य विकल्प  - 

    • दारा - जोरू, वामांगिनी, बहु, कलत्र, प्राणप्रिया, गृहलक्ष्मी, संगिनी, सहचरी, बेगम, पत्नी, भार्या, अर्धागिनी, वनिता । 
    • गंगोत्री - गंगोत्री संस्कृत गढ़वाल में हिमालय पर्वत पर एक स्थान जहाँ से गंगा निकलती है, गंगा नदी का उद्गम स्थल। 
    • व्यापारी - वणिक, व्यवसायी, रोजगारी, बनिया, दुकानदार आदि। 
  • Question 33
    5 / -1
    ‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे’ लोकोक्ति का क्या अर्थ है?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 दूसरों को उपदेश देने को आसान समझनाहै। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर हैं।

    स्पष्टीकरण:

    पर उपदेश कुशल बहू तेरेलोकोक्ति का अर्थ ‘दूसरों को उपदेश देने को आसान समझना’ होगा। अन्य विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं।

    वाक्य प्रयोग - दूसरों को उपदेश देना बहुत आसान है पर किसी की मदद करना उतना ही मुश्किल। कहते हैं न कि पर उपदेश कुशल बहु तेरे। 

    अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे।

    विशेष:

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    लोकोक्ति

    किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत भी कहते हैं।

    अपना रख, पराया चख अर्थात अपनी वस्तु की रक्षा और दूसरे की वस्तु का उपभोग।

  • Question 34
    5 / -1
    प्रतिकूल में कौन-सा उपसर्ग है?
    Solution

    दिए गए सभी विकल्पों में से 'प्रतिकूल' में 'प्रति' उपसर्ग है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 4 प्रति है। अन्य विकल्प अनुचित हैं।

    प्रति उपसर्ग से बने अन्य शब्द - प्रतिनिधि, प्रतिष्ठा, प्रतिध्वनि' आदि हैं।

     Key Points  

    उपसर्ग

    ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पूर्व जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।

    प्रति + क्षण = प्रतिक्षण

    सम् + गम = संगम

     

  • Question 35
    5 / -1
    'पुस्तकीय' शब्द में प्रत्यय बताइए।
    Solution
    'पुस्तकीय' शब्द में 'ईय' प्रत्यय होता है
    • पुस्तक + ईय = पुस्तकीय 
    Key Points
    • ईय’ प्रत्यय से बनने वाले अन्य शब्द –
      • भारतीय, जातीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय, भवदीय, पठनीय, पाणिनीय,  वायवीय, पूजनीय, वंदनीय, करणीय, राजकीय, देशीय।

    अन्य विकल्प –

    • ‘य’ प्रत्यय से बने शब्द - गद्य, पद्य, कृत्य, पाण्डित्य, पाश्चात्य, दंत्य, ओष्ठ्य

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    प्रत्यय

    शब्द के उपरांत जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है वह प्रत्यय है।

    जैसे - ता, औना, अन, अत

    श्रो + ता = श्रोता

  • Question 36
    5 / -1
    'प्रगल्भ' शब्द का अर्थ है: 
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘होशियार’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    • दिए गए विकल्पों में से 'प्रगल्भ' शब्द का अर्थ 'होशियार' होगा। 
    • यह विशेषण शब्द है। 
    • प्रगल्भ के पर्यायवाची शब्द हैं- उत्साही, साहसी, निर्भय, निडर, धृष्ट, निर्लल्ज, अभिमानी, अहंकारी, घमंडी।

    अन्य विकल्प:

    अर्थ   

    शब्द 

    डर

    भय

    उत्साह

    उमंग

    अर्भक

    मूर्ख

    • वर्णों या ध्वनियों के सार्थक वर्ण-समुदाय को 'शब्द' कहते है।
    • किसी शब्द से जिस भाव की प्रतीति होती है, वही  उस शब्द का अर्थ है।
    • किसी शब्द को बोलते ही श्रोता  के दिमाग में एक भाव या चित्र उभर आता है, यह भाव या चित्र ही उस शब्द का अर्थ है। 

     

  • Question 37
    5 / -1
    ‘पर्दाफाश करना‘ मुहावरे का सही अर्थ क्या होगा?
    Solution

    दिये गए विकल्पों में से ‘पर्दाफाश करना’ मुहावरे का उचित अर्थ ‘भेद खोलना’ है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 3 ‘भेद खोलना होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    स्पष्टीकरण:

    मुहावरा

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    पर्दाफाश करना

    भेद खोलना

    कानून जुर्म का पर्दाफाश कर ही देता है।

     

    अन्य विकल्प:

    मुहावरा

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    पल्ला झाड़ना

    पीछा छुड़ाना

    वर्ल्डकप हारे तो सब हार की ज़िम्मेदारी से पल्ला झाड़ने लगे।

    धमाचौकड़ी मचाना

    उपद्रव करना

    गर्मी की छुट्टी होती है तो बच्चे मामा के घर पर जाकर खूब धमाचौकड़ी मचाते हैं।

    नाक-भौं चढ़ाना

    घृणा प्रदर्शित करना

    एक तो गलती की ऊपर से नाक-भौं चढ़ा रहा है।

     

    विशेष:

    ‘मुहावरे’ का अर्थ बोलचाल की भाषा में सांकेतिक रूप से किसी भाव को प्रकट करना होता है। जैसे- तिनके का सहारा, तीन-पांच करना आदि। 

  • Question 38
    5 / -1
    अग्नि शब्द का उचित पर्यायवाची है?
    Solution

    ऊपर दिए गए विकल्पो में अनल शब्द अग्नि का सही पर्यायवाची हैं । अत: विकल्प 3 अनल सही उत्तर होगा।  अन्य विकल्प अग्नि के पर्यायवाची नहीं हैं ।

    अग्नि के अन्य पर्यायवाची ‌-  आग, पावक, दहन,  ज्वाला, हुताशन।

    अन्य विकल्प :

    शब्द

    पर्यायवाची

    अनिल

    वायु ,पवन, समीर, वात

    वपु

    काया,  शरीर, तन, देह

    पंकज

    कमल,  सरोज़, जलज अम्बुज़

     

    विशेष :

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

     

    पर्यायवाची

    एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द, जो बनावट में भले ही अलग हों। 'पर्यायवाची-शब्द' को 'समानार्थी-शब्द' भी कहा जाता है|

    अमिय,सुधा पियुष इन सभी शब्द का अर्थ अमृत हैं

  • Question 39
    5 / -1

    दिए गए शब्द के विलोम के लिए चार-चार विकल्प दिए गए हैं। उचित विकल्प चुनिए ।

    कुटिल
    Solution

    ‘कुटिल’ शब्द का अर्थ है ‘छली, चालबाज़’। ‘कुटिल’ का विलोम होगा ‘सरल’। अतः सही विकल्प ‘सरल’ है।

    अन्य विकल्प

    शब्द

    विलोम

    तरल

    ठोस

    गरल

    सुधा

    खरल (ओखली, ओखल)  

    मूसर


    विशेष

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/ विपरीतार्थक

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

    रात - दिन

    सुख - दुःख

  • Question 40
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में a, b, c, d को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए

    1. निश्चित लक्ष्य पर

    a. बाधाएँ, असफलताएँ आदि

    b. आसान काम नहीं है क्योंकि

    c. काम करना

    d. आपकी यात्रा को

    2. ध्वस्त कर सकती हैं।

    Solution

    इसका सही क्रम विकल्प 1 'c, b, a, d' है। अन्य विकल्प असंगत हैं।

    Key Points

    वाक्य का सही क्रम-

    1. निश्चित लक्ष्य पर
      1. काम करना
      2. आसान काम नहीं है क्योंकि
      3. बाधाएँ, असफलताएँ आदि
      4. आपकी यात्रा को
    2. ध्वस्त कर सकती हैं।


    Additional Information

    • वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए। 
    • उचित  पदक्रम होना चाहिए। 
    • वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए। 
    • वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है। 
    • उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए।
  • Question 41
    5 / -1
    दिए गए विकल्पों में से सही वाक्य चुनिए।
    Solution

    दिये गए विकल्पों में से ‘मैंने आपको प्रणाम किया था' शुद्ध वाक्यरूप है। अतः इसका सही उत्तर विकल्प 3 'मैंने आपको प्रणाम किया थासही उत्तर है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points 

    • मैंने आपको प्रणाम किया था’ शुद्ध वाक्य है क्योंकि इसमें कोई त्रुटि नहीं है।


    अन्य विकल्प- 

    अशुद्ध वाक्य 

    त्रुटि 

    शुद्ध वाक्य

    मैं आपको परनाम किया हूँ।

    सर्वनाम और वर्तनी  संबधी

    मैंने आपको प्रणाम किया था।

    मैंने आपसे प्रणाम किया था।

    कारक संबंधी

    मैंने आपको प्रणाम किया था।

    मैं आपको प्रणाम किया था।

    सर्वनाम संबंधी

    मैंने आपको प्रणाम किया था।


    Additional Information

    वाक्यगत अशुद्धि

    वाक्य सम्प्रेषण की सबसे महत्वपूर्ण और सार्थक इकाई होती है। अतः वाक्यगत अशुद्धियाँ को शुद्ध रूप में लिखना सम्प्रेषण को अधिक सरल बनाता है। वाक्य में, संज्ञा, सर्वनाम, लिंग, वचन, क्रिया-विशेषण, क्रिया, विशेषण आदि संबंधी अशुद्धियाँ हो सकती हैं।

    अशुद्ध रूप - वह बहुत जल्दी वापस लौट आया। 

    शुद्ध रूप - वह बहुत जल्दी लौट आया।   

  • Question 42
    5 / -1
    'आठ अध्याय है जिसमें' यह किस समास का उदाहरण है?
    Solution

    सही उत्तर बहुव्रीहि है। 

    Key Points

    • अष्टाध्यायी का समास विग्रह-  जिसके आठ अध्याय हैं- पाणिनी रचित संस्कृत व्याकरण
    • दोनों पर प्रधान न होकर अन्य पद की ओर इशारा कर रहे हैं, अतः अष्टाध्यायी में बहुव्रीहि समास है। 

    Additional Information 

    कर्मधारय

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

     कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्वंद्व 

    जिस समास में दोनों पद प्रधान हों तथा विग्रह करने पर उनके बीच ‘तथा’, ‘या’, ‘अथवा’, ‘एवं’, ‘और’ का प्रयोग होता है ।

    माता और पिता = माता-पिता

    सीता और राम = सीताराम

    द्विगु

    जिस समस में पूर्वपद(पहला पद) संख्यावाचक हो।

    चार राहों का समूह=चौराहा

     बहुव्रीहि 

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।

    जो महान वीर है= महावीर अर्थात हनुमान

  • Question 43
    5 / -1
    'पेड़ से पत्ता गिरता है' में कारक है 
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प अपादान कारक’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर है।

    Key Points 

    • दिए गए वाक्य 'पेड़ से  गिरा।'  में अपादानकारक है।
    • अपादान कारक- “वाक्य में जिस स्थान या वस्तु से किसी व्यक्ति या वस्तु की पृथकता अथवा तुलना का बोध होता है, वहाँ अपादान कारक होता है।”
    • यानी अपादान कारक से जुदाई या विलगाव का बोध होता है।
    • प्रेम, घृणा, लज्जा, ईर्ष्या, भय और सीखने आदि भावों की अभिव्यक्ति के लिए अपादान कारक का ही प्रयोग किया जाता है।
    • अपादान कारक का भी विभक्ति चिन्ह 'से' होता है। उदाहरण- पेड़ से आम नीचे गिर गया।

    अन्य विकल्प:

    कारक

    परिभाषा

    उदाहरण

    सम्प्रदान कारक

    जिस शब्द से किसी के लिए कुछ करने या देने का बोध हो, इसकी विभक्ति ‘को’ और ‘के लिए’ है। 

    वह अरुण के लिए मिठाई लाया।

    कर्म कारक

     

    वह वस्तु या व्यक्ति जिस पर वाक्य में की गयी क्रिया का प्रभाव पड़ता है वह कर्म कहलाता है। कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह 'को' होता है।

    सीता ने गीता को बुलाया।

    करण कारक

    संज्ञा आदि शब्दों के जिस रूप से क्रिया के करने के साधन का बोध हो अर्थात् जिसकी सहायता से कार्य संपन्न हो वह करण कारक कहलाता है। करण कारक के दो विभक्ति चिन्ह होते है : 'से' और 'के द्वारा'।

    वह लड़का ठण्ड से काँप रहा था

     

    Additional Information

    कारक- किसी वाक्य, मुहावरा या वाक्यांश में संज्ञा या सर्वनाम का क्रिया के साथ उनके सम्बन्ध के अनुसार रूप बदलना कारक कहलाता है। अर्थात् व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था है जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं। जो निम्नलिखित हैं:-

    कारक

    चिह्न

    अर्थ

    कर्ता

    ने

    काम करने वाला

    कर्म

    को

    जिस पर काम का प्रभाव पड़ रहा हो

    करण

    से

    जिसके द्वारा कर्ता काम करे

    संप्रदान

    को, के लिए

    जिसके लिए क्रिया की जाए

    अपादान

    से (अलग होना)

    जिससे अलगाव हो

    संबंध

    का, की, के, न, नी, ने, रा, री, रे

    अन्य पदों से संबंध

    अधिकरण

    में, पर

    क्रिया का आधार

    संबोधन

    हे, अरे

    किसी को पुकारना, बुलाना आदि

  • Question 44
    5 / -1
    'परीक्षाएँ चल रही थी।' यह वाक्य ________  भूतकाल का उदाहरण है।
    Solution

    सही उत्तर 'अपूर्ण' हैI

    Key Points

    • 'परीक्षाएँ चल रही थी।' यह वाक्य अपूर्ण भूतकाल का उदाहरण है।
    • अपूर्ण भूतकाल :  क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि काम बीते समय शुरू हुआ था किंतु समाप्त भूतकाल में सूचित न हो उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं। जैसे- श्रेया खाना रही थी।

    अन्य विकल्प 

    • आसन्न भूतकाल : क्रिया के जिस रुप से कुछ समय पूर्व कार्य समाप्त होने का बोध हो या तुरंत समाप्त होने का का बोध हो उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं। जैसे- मैं अभी सोकर उठी हूँ।
    • सामान्य भूतकाल: क्रिया के जिस रुप से बीते हुए समय में कार्य पूरा होने के समय का विशेष ज्ञान न हो अर्थात क्रिया समाप्त हुए थोड़ी देर हुई है या अधिक समय इसमें ठीक समय का ज्ञान नहीं होता हैं।
    • उदाहरण: कुसुम घर गयी। आर्यन ने गाना गाया।

     Additional Information 

    भूतकाल के छः भेद हैं-

    1. सामान्य भूतकाल
    2. आसन्न भूतकाल
    3. अपूर्ण भूतकाल
    4. पूर्ण भूतकाल
    5. संदिग्ध भूतकाल 
    6. हेतुहेतुमद भूतकाल

     

  • Question 45
    5 / -1
    "मैं सुबह घूमने जाता हूँ।"
    Solution

    मैं सुबह घूमने जाता हूँ।" विधानार्थक वाक्य है, अतः सही उत्तर 'विधानार्थक वाक्य है'
    Key Points

    वाक्य की परिभाषा

    शब्दों का ऐसा समूह जिसका जिसका कोई भाव/अर्थ प्रकट होता है,वाक्य कहलाता है

    जैसे - राम खाना खाता है।

      Additional Information

    अन्य विकल्प:

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    विधानवाचक/विधानार्थक 

    ऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो। इन्हें विधिवाचक वाक्य भी कहते हैं।

    ममता ने खाना खा लिया।

    हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।

    निषेधवाचक

    जिन वाक्यों में किसी काम के न होने का बोध होता है वे निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    मैं नहीं जाऊंगा।

    मेरा कोई सामान मत लाना।

    प्रश्नवाचक

    जिन वाक्यों में किसी से प्रश्न करने का बोध हो वे प्रश्न वाचक वाक्य कहलाते हैं।

    कल कहाँ थे तुम?

    अभी आए हो क्या?

    आज्ञावाचक/आज्ञार्थक

    जिन वाक्यों में आज्ञा या प्रार्थना करने का बोध होता है वे आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।

    कृपया ध्यान दें।

    उधर रख दो।

    इच्छावाचक/इच्छार्थक

    जिन वाक्यों में किसी इच्छा अथवा शुभकामना आदि का बोध होता है वे वाक्य इच्छवाचक कहलाते हैं।

    नया साल मुबारक हो।

    तुम एक दिन बड़े आदमी बनोगे।

    संकेतवाचक/संकेतार्थक

    जिन वाक्यों में क्रिया एक दूसरे पर निर्भर हो या किसी संकेत का बोध होता है वे वाक्य संकेत वाचक होते हैं।

    मकान के उस तरफ रमेश है।

    संदेहवाचक

    जिन वाक्यों में किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न हो वे संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    अब तक तो ट्रेन चली गयी होगी।

    क्या यही विकल्प सही है?

    विस्मयादिवाचक

    जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा, ख़ुशी, स्तब्धता होती है वे विस्मयादिबोधक वाक्य होते हैं।

    वाह! ये अद्भुत है।

  • Question 46
    5 / -1
    आ - उपसर्ग से बना शब्द निम्न में से कौन सा है?
    Solution

    आ - उपसर्ग से बना शब्द: आचरण

    • आचरण में मूल शब्द चरण है और शब्द उपसर्ग है।
    • आचरण का अर्थ: व्यवहार, बरताव

    अन्य शब्द में उपसर्ग नहीं है।

    Key Points

    • हिंदी में मानक रूप में 22 उपसर्ग होते हैं।
    • हिंदी के सर्वाधिक प्रचलित उपसर्ग, उनके अर्थ एवं उदाहरण निम्नलिखित हैं।
    1. सम- बराबर समतल, समदर्शी, समकोण, समकक्ष, समबाहु, समकालीन.
    2. अन- बिना, नहीं अनपढ़, अनदेखा, अनसुना, अनजान, अनमोल, अनहोनी, अनमेल.
    3. अध- आधा अधमरा, अधकचरा, अधजला, अधपका, अधसीजा, अधगला, अधखिला, अधनंगा.
    4. उ- ऊँचा उजड़ना, उचक्का.
    5. उन- एक कम उन्नीस, उनतीस, उनतालीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर.
    6. औ- बुरा, नीचे औगुण, औसर, औतार, औचक, औघड़.
    7. बुरा कपूत
    8. नाना- विभिन नानाप्रकार, नानारूप
    9. कु बुरा कुरूप, कुपुत्र
    10. आप- स्वयं आपकाज, आपसुनी
    11. स- अच्छा सपूत
    12. पच- पाँच पचरंगा, पचमेल, पचमणी, पचरंगी,.
    13. बिन- निषेध, अभाव बिनखाया, बिनजाया, बिनबोया, बिनबुलाया.
    14. भर- पूरा, भरा हुआ भरपेट, भरकम, भरपूर, भरसक, भरपाई.
    15. चौ- चार चौराहा, चौमासा, चौपड़, चौमुखी, चौपाया, चौरंगी, चौमुखी, चौगुना, चौपहिया, चौपाई, चौबारा.
    16. ति- तीन तिराहा, तिकोना, तिपाई, तिरंगा, तिगुना, तिपहिया, तिबारा, तिपाई.
    17. दु- दो दुरंगा, दुलत्ती, दुभाषिया, दुधारू, दुनाली, दुगुना, दुपहिया, दुबारा.
    18. पर- दूसरा परकारज, परसुख, परहित.
    19. का- नीच, बुरा कायर, काजल.
    20. चिर- देर तक चिरकाल, चिरायु, चिरपरिचित, चिरस्थायी.
    21. न- अभाव नकुल, नास्तिक.
    22. बहु- बहुत बहुवचन, बहुमूल्य.
  • Question 47
    5 / -1
    फेरीवाला, मिठाई एवं लगाव में प्रयुक्त हुआ है:
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "प्रत्यय" सही है तथा अन्य विकल्प असंगत हैं।

    Key Points
    • उपर्युक्त सभी शब्दों में प्रत्यय है।
    • फेरीवाला :- फेरी + वाला
    • मिठाई :- मीठा + आई
    • लगाव :- लग + आव
    Additional Information
    • प्रत्यय
      • प्रत्यय वे शब्द हैं जो दूसरे शब्दों के अन्त में जुड़कर, अपनी प्रकृति के अनुसार, शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
      • प्रत्यय शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है :- प्रति + अय।
    • प्रत्यय मुख्यतः चार प्रकार के होते हैं:-
      • विभक्ति प्रत्यय (परसर्ग)
      • स्त्री प्रत्यय
      • कृत प्रत्यय
      • तद्धित प्रत्यय
  • Question 48
    5 / -1

    दिये गए वाक्य का वह भाग ज्ञात करें जिसमें कोई त्रुटि है।

    हमारे आज के यथार्थ स्मृति को अतिरिक्त क्रूरता भी देती है।

    Solution

    इसका सही उत्तर स्मृति को  है। 

    • अशुद्ध वाक्य- हमारे आज के यथार्थ स्मृति को अतिरिक्त क्रूरता भी देती है।
    • शुद्ध वाक्य- स्मृति हमारे आज के यथार्थ को अतिरिक्त क्रूरता भी देती है।
    • इस वाक्य में "क्रम संबंधी'अशुद्धि है ।
  • Question 49
    5 / -1
    'भानूदय' का संधि विच्छेद होगा
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर भानु + उदय’  होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
    Key Points

    • 'भानु + उदय' में दीर्घ स्वर संधि है।

    • भानु + उदय = भानूदय (उ + उ =ऊ), यहाँ '' और '' के मेल से 'बना है। 
    • ‘दीर्घ स्वर संधि’ में  ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के साथ ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ का मेल होने पर आ, ई, ऊ हो जाता है।

    Additional Information 

    संधि -  दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तनहोता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    अहम् + कार = अहंकार

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा =दुरात्मा

  • Question 50
    5 / -1
    'हरि घर में है' वाक्य में किस कारक का प्रयोग हुआ है?
    Solution

    हरि घर में है वाक्य में अधिकरण कारक का प्रयोग हुआ है

    Key Points

    • वाक्य में प्रयुक्त शब्द आपस में सम्बंधित होते हैं। क्रिया के साथ संज्ञा का सीधा सम्बन्ध ही कारक है। 
    • कारक को प्रकट करने के लिये संज्ञा और सर्वनाम के साथ जो चिन्ह लगाये जाते हैं, उन्हें विभक्तियाँ कहते हैं।
      जैसे – पेड़ पर फल लगते हैं। 

    Important Points

    अधिकरण कारक:-

    • संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है, उसे अधिकरण कारक कहते हैं
    • इसकी मुख्य पहचान है- ('में’, ’पर’)

    उदाहरण –

    • घर पर माँ है।
    • घोंसले में चिङिया है।
    • सड़क पर गाड़ी खड़ी है।

    (यहाँ घर पर, घोंसले में, और सङक पर अधिकरण  है)

    Additional Information कारक और विभक्तियाँ:-

     कारक   विभक्तियाँ
      कर्ता       ने
      कर्म      को
      करण   से, द्वारा
     सम्प्रदान  को, के लिये, हेतु
     अपादान से (अलग होने के अर्थ में)
     सम्बन्ध का, की, के, रा, री, रे
     अधिकरण  में, पर
     सम्बोधन हे! अरे! ऐ! ओ! हाय!
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