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Hindi Test - 14...

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  • Question 1
    5 / -1

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    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    गद्यांश के अनुसार कुपोषण का मुख्य कारण क्या है?

  • Question 2
    5 / -1

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    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    कुपोषण की समस्या किन देशों में अधिक है?

  • Question 3
    5 / -1

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    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    फसलों में आयोडीन की कमी का प्रमुख कारण है-

  • Question 4
    5 / -1

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    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    कौन सा  कथन सही नहीं है?

  • Question 5
    5 / -1

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    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    गद्यांश के आधार पर आयोडीन की कमी के कारण कौन-सा रोग होता है?

  • Question 6
    5 / -1

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    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    शहरी वर्ग के बच्चे किस समस्या से गुज़र रहे हैं?

  • Question 7
    5 / -1

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    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    बच्चों के पोषण को मापने का पैमाना नहीं है -

  • Question 8
    5 / -1

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    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    विगत वर्षों में ग्रामीण क्षेत्र में किन बच्चों की संख्या में कमी आई थी?

  • Question 9
    5 / -1

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    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    कुपोषण को दूर किया जा सकता है -

    (i) खाद्य सुरक्षा से

    (ii) खाने में विविधता से

    (iii) आर्थिक आय बढ़ाने से

  • Question 10
    5 / -1

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    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    शहरी बच्चों में मोटापे की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय होगा कि बच्चों को -

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