Self Studies

Hindi Test - 17

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Hindi Test - 17
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधों का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

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    लेखक ने शिरीष को अवधूत क्यों कहा है?
    Solution

    लेखक ने शिरीष को अवधूत कहा है- उपरोक्त सभी (वह हर तरह की परेशानी से लड़ने में सक्षम होता है, दुःख-सुख में हार नहीं मानता, अपनी जगह से न हटने के कारण)

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • शिरीष का फूल एक अवधूत की भाँति दुःख एवं सुख में समान रूप से स्थिर रहकर कभी पराजय स्वीकार नहीं करता है। 

    Key Pointsपरेशानी:- 

    • परेशान + ई = परेशानी
    • 'परेशान' मूल शब्द और 'ई' प्रत्यय 
    • अर्थ: परेशान होने की अवस्था या भाव, उद्वेग पूर्ण विकलता, हैरानी

    सक्षम:-

    • अर्थ: काम करने के योग्य, कार्य में समर्थ। 
      • विलोम शब्द- 'अक्षम'

    दुःख:-

    • अर्थ: पीड़ा, कष्ट, व्यथा, वेदना, संताप, शोक, खेद, पीर
    • विलोम शब्द- 'सुख'
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधों का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

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    अनासक्त योगी किसे कहा गया है?
    Solution

    अनासक्त योगी कालिदास को कहा गया 

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​कालिदास को अनासक्त योगी इसलिए कहा गया है क्योंकि उन्हें सम्मान की तनिक भी लालसा नहीं थी।

    Key Pointsकालिदास:-

    • वे एक कवि और नाटककार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के प्रखंड विद्वान भी थे।
    • कालिदास ने भारत के प्राचीन दर्शन और पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएँ लिखी।
    • वे अपनी अलंकारयुक्त सुन्दर और सरल भाषा के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं,
    • उनको शेक्सपियर ऑफ़ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है।

    Additional Informationतुलसीदास:- 

    • इनका जन्म राजापुर जिला बाँदा (वर्तमान में चित्रकूट) में हुआ हैं।
    • राजापुर उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिला के अंतर्गत स्थित एक गाँव है। 
    • गोस्वामी तुलसीदास (1511 - 1623) हिन्दी साहित्य के महान सन्त कवि थे। रामचरितमानस इनका गौरव ग्रन्थ है।
    • इन्हें आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है।
    • गोस्वामी तुलसीदास की प्रामाणिक रचनाएं- रामललानहछू, वैराग्य-संदीपनी,  विनय-पत्रिका, कवितावली, गीतावली,  ‎हनुमान चालीसा आदि।  

    कबीरदास:-

    • कबीरदास या कबीर साहब जी 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे।
    • वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में परमेश्वर की भक्ति के लिए एक महान प्रवर्तक के रूप में उभरे।
    • इनकी रचनाओं ने हिन्दी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया।
    • उनका लेखन सिक्खों के आदि ग्रंथ में भी देखने को मिलता है।
    • वे हिन्दू धर्म व इस्लाम को मानते हुए धर्म एक सर्वोच्च ईश्वर में विश्वास रखते थे।
    •  हजारी प्रसाद द्विवेदी ने इन्हें मस्तमौला कहा।

    वात्स्यायन:- 

    • वात्स्यायन या मल्लंग वात्स्यायन भारत के एक प्राचीन दार्शनिक थे।
    • जिनका समय गुप्तवंश के समय (6 वीं शताब्दी से 8 वीं शताब्दी ) माना जाता है।
    • उन्होने कामसूत्र एवं न्यायसूत्रभाष्य की रचना की।
    • महर्षि वात्स्यायन ने कामसूत्र में न केवल दाम्पत्य जीवन का शृंगार किया है वरन कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी संपदित किया है।
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधों का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

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    लेखक ने कबीर की किस विशेषता पर प्रकाश डाला है?
    Solution

    लेखक ने कबीर की विशेषता पर प्रकाश डाला है- ये सभी (मस्त, सरस, मादक)

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने शिरीष के फूल को कबीर की भाँति मस्त-मौला एवं मनमौजी प्रवृत्ति का पाया इसी कारण उन्होंने शिरीष की तुलना कबीर से की है 

    Key Pointsमस्त:-

    • अर्थ: जो मद या नशे से युक्त या प्रभावित हो, मगन, लीन 
    • विशेषण शब्द 

    सरस:-

    • अर्थ: कोमलता से युक्त, रसीला, रसयुक्त।
    •  विलोम शब्द- 'नीरस'
    • विशेषण शब्द 

    मादक:-

    • अर्थ: अमृतफल, सहुकार, आम, रसाल, आम्र, सौरभ
      • नशा उत्पन्न करनेवाला पदार्थ।
      • विशेषण शब्द 
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधों का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

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    लेखक शिरीष के माध्यम से क्या संकेत देना चाहता है?
    Solution

    लेखक शिरीष के माध्यम से संकेत देना चाहता है- हमें जीवन की कठिनाइयों का डटकर सामना करना चाहिए

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने आँधी, लू और गरमी की प्रचंडता में भी अवधूत की तरह अविचल होकर कोमल पुष्पों का सौंदर्य बिखेर रहे शिरीष के माध्यम से मनुष्य को कठिनाइयों का डटकर सामना करना। 

    Key Points

    • जीवन- जीवीत रहने की अवस्था, ज़िन्दगी, प्राण, जीविका।
      • विलोम शब्द- 'मरण' 
    • कठिनाई = कठिन + आई 
      • ​'कठिन' मूल शब्द और 'आई' प्रत्यय
      • अर्थ: कठिन होने का भाव, जटिलता, दिक्कत, संकट, परेशानी, बाधा।
      • विलोम शब्द- 'सरलता, सहजता'
    • सामना- किसी के समक्ष होने की अवस्था, क्रिया या भाव। 

    Additional Informationभविष्य:- 

    • अर्थ: वर्तमान के बाद आनेवाला काल।

    सतर्क:-

    • अर्थ: होशियार, खबरदार, सावधान, सजग, जागरूक, चौकन्ना, सचेत
      • विलोम शब्द- 'असतर्क'
      • विशेषण शब्द 

    विवाद:-

    • अर्थ: ​बखेड़ा, झंझट, झगड़ा, लड़ाई, हंगामा, फ़साद, वितर्क, बहस
      • विलोम शब्द- 'वाद, निर्विवाद'

    इतिहास:-

    • व्यक्ति, समाज, देश की महत्त्वपूर्ण, विशिष्ट एवं सार्वजनिक क्षेत्र की घटनाओं का कालक्रम से लिखा हुआ
    • विवरण, तथ्यों घटनाओं का काल क्रमानुसार विवेचन
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    एक-एक बार मुझे मालूम होता है कि यह शिरीष एक अद्भुत अवधूत है। दुःख हो या सुख, वह हार नहीं मानता। न ऊधो का लेना, न माधों का देना। जब धरती और आसमान जलते रहते हैं, तब भी यह हजरत न जाने कहाँ से अपना रस खींचते रहते हैं। मौज में आठों याम मस्त रहते हैं। एक वनस्पतिशास्त्री ने मुझे बताया है कि यह उस श्रेणी का पेड़ है जो वायुमण्डल से अपना रस खींचता है। जरूर खींचता होगा। नहीं तो भयंकर लू के समय इतने कोमल तंतुजाल और ऐसे सुकुमार केसर को कैसे उगा सकता था? अवधूतों के मुँह से ही संसार की सबसे सरस रचनाएँ निकली हैं। कबीर बहुत कुछ इस शिरीष के समान ही थे, मस्त और बेपरवा पर सरस और मादक। कालिदास भी जरूर अनासक्त योगी रहे होंगे।

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    गद्यांश के अनुसार भयंकर लू में भी शिरीष सुकोमल केसर को कैसे उगा सकता होगा?
    Solution

    गद्यांश के अनुसार भयंकर लू में भी शिरीष सुकोमल केसर को वायुमण्डल से रस खींचने के कारण उगा सकता होगा

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​शिरीष वायुमंडल से रस खींचता है। वह भयंकर लू में भी शिरीष सुकोमल केसर को वायुमण्डल से रस खींचने के कारण उगा सकता होगा

    Key Pointsवायुमंडल:- 

    • वायुमण्डल हमारी पृथ्वी का अभिन्न अंग है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।
    • यह जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकने तथा जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने में सहायक है।
    • पृथ्वी पर प्राणी के जीवित रहने के लिए वायु का विशेष योगदान है।
    • इसमें शुद्ध और शुष्क वायु में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन, 21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान, आदि अल्प मात्रा में उपस्थित रहती हैं।

    खींचना:-

    • अर्थ: किसी को अपने साथ लेते हुए आगे बढ़ना। 

    Additional Informationहिमालय:- 

    • हिम + आलय = हिमालय (अ + आ = आ)
    • इसमें दीर्घ संधि है।  
      • हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है, हिमालय को पर्वतराज भी कहते हैं।
      • हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है।
      • यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियां- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है,
      • जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं।

    परिश्रम:-

    • परि + श्रम = परिश्रम 
    • 'परि' (चारो ओर) उपसर्ग और 'श्रम' (मेहनत) मूलशब्द
    • अर्थ: श्रम, उद्यम, मेहनत, मशक्कत। 
    • विलोम शब्द-  'विश्राम, अनुद्यम' 
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगे जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्यों ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आप में सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब - जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?

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    लेखक के मन में तरंग कौन जगा देता है?
    Solution

    लेखक के मन में तरंग शिरीष वृक्ष जगा देता है। 

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • यह शिरीष वृक्ष मनुष्य को हर परिस्थिति में संघर्षशील, जुझारू व सरस बनने की भावना जगाता है। ​

    Key Pointsशिरीष वृक्ष:-

    • लोक में शिरीष नाम से मशहूर पर एक मैदानी इलाके का वृक्ष है।
    • आकार में विशाल होता है पर पत्ते बहुत छोटे-छोटे होते हैं।
    • इसके फूलों में पंखुड़ियों की जगह रेशे-रेशे होते हैं। 
    • शिरीष तीव्र गति से बढ़ने वाला एक पर्णपाती वृक्ष है।
    • इसके तीन प्रकार पाए जाते हैं। शिरीष काला (लाल), शिरीष पीला एवं शिरीष सफ़ेद। 
    • शिरीष मध्यम आकार का सघन छायादार पेड़ है, जो सम्पूर्ण भारत के गर्म प्रदेशों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 8 हज़ार फुट की ऊँचाई तक पाया जाता है।

    Additional Informationदेवता:-

    • अर्थ: सुर, देव, अमर, वसु, आदित्य, निर्जर, त्रिदश, गीर्वाण
      • विलोम शब्द- 'असुर'

    मनुष्य:-

    • अर्थ: पुरुष, नर, जन, मनुज, मर्त्य, मानव।

    कालिदास:-

    • वे एक कवि और नाटककार के साथ-साथ संस्कृत भाषा के प्रखंड विद्वान भी थे। 
    • कालिदास ने भारत के प्राचीन दर्शन और पौराणिक कथाओं को आधार बनाकर रचनाएँ लिखी।
    • वे अपनी अलंकारयुक्त सुन्दर और सरल भाषा के लिए विशेष रूप से जाने जाते हैं,
    • उनको शेक्सपियर ऑफ़ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है।
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगे जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्यों ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आप में सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब - जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?

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    लेखक ने शिरीष की किस विशेषता का वर्णन किया है?
    Solution

    लेखक ने शिरीष की चिलचिलाती धूप में भी सरस बने रहने की विशेषता का वर्णन किया है। 

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने शिरीष की चिलकती धूप में भी सरस रहने वाला शिरीष हमें प्रेरणा देता है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए तथा हर परिस्थिति में मस्त रहना चाहिए।

    Key Points

    • चिलचिलाती धूप-  झुलसाने वाली धूप, भीषण गर्मी।
    • सरस- कोमलता से युक्त, जो रस या जल से युक्त हो
      • ​ विलोम शब्द- 'नीरस'

    Additional Informationअभिमान:-

    • अभि + मान = अभिमान
    • 'अभि' (पास) उपसर्ग और 'मान' (प्रतिष्ठा) मूल शब्द
    • अर्थ: अपनी प्रतिष्ठा या मर्यादा एवं सत्ता की अनुचित धारणा, अहंकार, घमंड।
    • विलोम शब्द- 'अनभिमान, नम्रता'

    मुरझाना:-

    • अर्थ: कुम्हलाना, उदास या सुस्त होना। 
    • अकर्मक क्रिया
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगे जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्यों ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आप में सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब - जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?

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    शिरीष का वृक्ष कहाँ से रस खींचता है?
    Solution

    शिरीष का वृक्ष वायुमंडल से रस खींचता है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • शिरीष का वृक्ष वायुमंडल से रस खींचता है। वह वायुमंडल से रस खींचकर कोमल और कठोर प्रतीत होता है।

    Key Pointsवायुमंडल:- 

    • वायुमण्डल हमारी पृथ्वी का अभिन्न अंग है जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।
    • यह जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी किरणों को रोकने तथा जीवन के लिए अनुकूल तापमान बनाए रखने में सहायक है।
    • पृथ्वी पर प्राणी के जीवित रहने के लिए वायु का विशेष योगदान है।
    • इसमें शुद्ध और शुष्क वायु में नाइट्रोजन 78 प्रतिशत, ऑक्सीजन, 21 प्रतिशत, आर्गन 0.93 प्रतिशत कार्बन डाई ऑक्साइड 0.03 प्रतिशत तथा हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान, आदि अल्प मात्रा में उपस्थित रहती हैं।

    Additional Informationजीव मंडल:-

    • जीवमंडल पृथ्वी की सतह पर या उसके आस-पास का स्थान है जिसमें जीवित जीव होते हैं और उनका समर्थन करते हैं।
    • यह स्थलमंडल, वायुमंडल और जलमंडल में उपविभाजित है। 
    • जैवमंडल के निर्माण और निरंतर अस्तित्व का परिणाम रासायनिक, जैविक और भौतिक प्रक्रियाओं से होता है।
    • जैवमण्डल पृथ्वी के चारों तरफ व्याप्त 30 किमी मोटी वायु, जल, स्थल, मृदा, तथा शैल युक्त एक जीवनदायी परत होती है,
    • जिसके अंतर्गत पादपों एवं जन्तुओं का जीवन सम्भव होता है। सामान्यतः जैवमण्डल में पृथ्वी के हर उस अंग का समावेश है जहाँ जीवन पनपता है।

    सौर मंडल:-

    • सौर मंडल में सूर्य और वह खगोलीय पिंड सम्मलित हैं, जो इस मंडल में एक दूसरे से गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा बंधे हैं।
    • किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को ग्रहीय मण्डल कहा जाता है
    • जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है
    • इन पिंडों में आठ ग्रह, उनके 172 ज्ञात उपग्रह, पाँच बौने ग्रह और अरबों छोटे पिंड शामिल हैं।
    • इन छोटे पिंडों में क्षुद्रग्रह, बर्फ़ीला काइपर घेरा के पिंड, धूमकेतु, उल्कायें और ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगे जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्यों ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आप में सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब - जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?

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    लेखक के अनुसार हमारे देश के ऊपर से कौन-सा बवंडर बह रहा है?
    Solution

    लेखक के अनुसार हमारे देश के ऊपर से बवंडर बह रहा है- ये सभी (मार-काट का, लूट पाट का, खून-खच्चर का)

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक के अनुसार हमारे ​देश के ऊपर से सांप्रदायिक दंगों, खून-खराबा, मार-पीट, लूटपाट रूपी बवंडर के गुजरने की ओर संकेत किया गया है।

    Key Pointsमारना:- 

    • अर्थ: पिटाई करना, दबाना, कूटना
    • विलोम शब्द- 'दुलारना, बचाना'
    • सकर्मक क्रिया

    काटना:-

    • अर्थ: टुकड़े करना, अलग करना
    • विलोम शब्द- 'सिलना, जोड़ना'
    • सकर्मक क्रिया

    लूटना:-

    • अर्थ: छीन लेना, उठा ले जाना
    • विलोम शब्द-
    • सकर्मक क्रिया

    पाटना:-

    • अर्थ:गड्ढे आदि को समतल करना।
    • सकर्मक क्रिया

    खच्चर:-

    • अर्थ: घोड़े एवं गधे की मिश्रित संतान।
  • Question 10
    5 / -1

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    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    शिरीष तरु सचमुच पक्के अवधूत की भाँति मेरे मन में ऐसी तरंगे जगा देता है जो ऊपर की ओर उठती रहती हैं। इस चिलकती धूप में इतना सरस वह कैसे बना रहता है? क्यों ये बाह्य परिवर्तन-धूप, वर्षा, आँधी, लू-अपने आप में सत्य नहीं हैं? हमारे देश के ऊपर से जो यह मार-काट, अग्निदाह, लूट-पाट, खून-खच्चर का बवंडर बह गया है, उसके भीतर भी स्थिर रहा जा सकता है? शिरीष रह सका है। अपने देश का एक बूढ़ा रह सका था। क्यों मेरा मन पूछता है कि ऐसा क्यों संभव हुआ? क्योंकि शिरीष भी अवधूत है। शिरीष वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर है। गाँधी भी वायुमंडल से रस खींचकर इतना कोमल और इतना कठोर हो सका था। मैं जब - जब शिरीष की ओर देखता हूँ तब तब हूक उठती है - हाय, वह अवधूत आज कहाँ है?

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    शिरीष को देखकर लेखक के मन में क्या हूक उठती है?
    Solution

    शिरीष को देखकर लेखक के मन में हूक उठती है- वह अवधूत आज कहाँ गया

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने शिरीष के फूल को कालजई अवधूत की संज्ञा दी है क्योंकि यह अकेला फूल ही ऐसा है जो भयंकर गर्मी की तपन में भी खिला रहता है।

    Key Points

    •  अवधूत- जिसका नाश हो गया हो, संन्यासी।

    Additional Informationगाँधीजी:- 

    • मोहनदास करमचन्द गांधी (जन्म: 2 अक्टूबर 1869 - निधन: 30 जनवरी 1948) जिन्हें महात्मा गांधी के नाम से भी जाना जाता है, 
    • भारत एवं भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे।
    • वे सत्याग्रह (व्यापक सविनय अवज्ञा) के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के अग्रणी नेता थे, 
    • गांधी जी के प्रमुख आंदोलन- चम्पारण सत्याग्रह -1917, खेड़ा सत्याग्रह -1918, अहमदाबाद मिल मजदूर आंदोलन-1918, खिलाफत आन्दोलन -1919,असहयोग आंदोलन- 1920, सविनय अवज्ञा आंदोलन -1930 आदि थे।

    शिरीष वृक्ष:-

    • लोक में शिरीष नाम से मशहूर पर एक मैदानी इलाके का वृक्ष है।
    • आकार में विशाल होता है पर पत्ते बहुत छोटे-छोटे होते हैं।
    • इसके फूलों में पंखुड़ियों की जगह रेशे-रेशे होते हैं।
    • शिरीष तीव्र गति से बढ़ने वाला एक पर्णपाती वृक्ष है।
    • इसके तीन प्रकार पाए जाते हैं। शिरीष काला (लाल), शिरीष पीला एवं शिरीष सफ़ेद। 
    • शिरीष मध्यम आकार का सघन छायादार पेड़ है, जो सम्पूर्ण भारत के गर्म प्रदेशों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 8 हज़ार फुट की ऊँचाई तक पाया जाता है।
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