Self Studies

Hindi Test - 19

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Hindi Test - 19
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Self Studies

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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता । 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    गद्यांश के अनुसार श्रम विभाजन की दृष्टि से जाति-प्रथा दोषपूर्ण क्यों है?
    Solution

    गद्यांश के अनुसार श्रम विभाजन की दृष्टि से जाति-प्रथा दोषपूर्ण 'मनुष्य के पेशे को पूर्व लेख से जोड़े जाने के कारण' है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता। ऐसा मनुष्य के पेशे को पूर्व लेख से जोड़े जाने के कारण होता है।

    Key Points

    •  मनुष्य- जन, मानव, नर, पुरुष, मर्त्य, मनुज, मानुष, इंसान, शख्स, व्यक्ति, मर्द। 
    •  पेशा- धंधा, व्यवसाय, व्यापार, कार्य, काम। 

    Additional Informationव्यक्तिगत:- 

    • अर्थ: एक व्यक्ति तक सीमित, निजी।

    रुचि:-

    • अर्थ:  चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, दिलचस्पी। 
      • विलोम शब्द- 'अरुचि'

    ध्यान:-

    • अर्थ: एकाग्रता, स्मृति, समझ, विचार, बुद्धि, चिंतन, सावधानी, जागरुकता।

    स्वतंत्र:-

    • अर्थ: आजाद, स्वाधीन, मुक्त। 
      • विलोम शब्द- '‌‌‌परतंत्र'
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता । 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    कार्य निर्धारित होने का क्या दुष्परिणाम होता है?
    Solution

    कार्य निर्धारित होने का दुष्परिणाम होता है- उपरोक्त सभी {कार्य के प्रति दुर्भावना, कार्यकुशलता का अभाव, कार्य अरुचि के साथ करना}

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • उद्योगों में गरीब तो कार्य के प्रति 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं।
      • मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति कार्यकुशलता का अभाव देखने को मिलता है। 

    Key Pointsदुर्भावना:- 

    • दुर् + भावना = दुर्भावना
    • 'दुर्' (कठिन,बुरा) उपसर्ग और 'भावना' (विचार) मूलशब्द
    • अर्थ: बुरी भावना, कुविचार, आशंका, खटका।
    • विलोम शब्द- 'सद्भावना' 

    कुशलता:-

    • कुशल + ता = कुशलता
    • 'कुशल' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय
    • अर्थ: कुशल होने की अवस्था या भाव, ख़ैरियत, योग्यता, प्रवीणता, निपुणता।
    • विलोम शब्द- 'अकुशलता'

    अभाव:- 

    • अ + भाव = अभाव
    • 'अ' (नही) उपसर्ग और 'भाव' (कीमत) मूल शब्द
    • अर्थ: अस्तित्व में न होने की अवस्था, असत, कमी।
    • विलोम शब्द- 'भाव, प्रचुरता'

    अरुचि:-

    • अ + रुचि = अरुचि
    • 'अ' (नही) उपसर्ग और 'रुचि' (इच्छा) मूल शब्द
    • अर्थ: जो पसंद न आए, नफ़रत, विराग, विमुखता, अनिच्छा, ऊब, नीरस, बोर।
    • विलोम शब्द-  'रुचि'
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता । 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए क्या आवश्यक है?
    Solution

    कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए 'रुचि के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करना' आवश्यक है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए रुचि के अनुसार काम करने का अवसर प्रदान करना आवश्यक है। यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा व आत्म-शक्ति को सक्रिय कर देता है। 

    Key Points 

    • रुचि- चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, दिलचस्पी। 
      • विलोम शब्द- 'अरुचि'
    •  अवसर- मौका, अनुकूल समय, सुयोग, ठीक समय

    Additional Informationजबरन:-

    • अर्थ: बलपूर्वक; ज़बरदस्ती; बलात, दबाव देकर, मजबूरन। 

    विशेष:-

    • अर्थ: असाधारण, असामान्य, विपुल।
      • विलोम शब्द- 'सामान्य'

    उत्पादकता:-

    • उत्पादक + ता = उत्पादकता
    • 'उत्पादक' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: पैदावार, निर्माण, परिमाणात्मकता,  उत्पादिता।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता । 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    लेखक श्रम के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या किसे मानता है?
    Solution

    लेखक श्रम के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या 'स्वेच्छानुसार काम न मिलने को' मानता है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक श्रम के क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या स्वेच्छानुसार काम न मिलने पर न ही काम करने में दिल लगता है और न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता प्राप्त नही की जा सकती है। 

    Key Points

    • स्व + इच्छा = स्वेच्छा 
    • इसमें गुण संधि है (अ + इ = ए)
    • 'स्व' (अपना) उपसर्ग और 'इच्छा' (रुचि) मूल शब्द
    • अर्थ: अपनी इच्छा या मर्जी, मनमरज़ी, आज़ादी, छूट, स्वैराचार।

    Additional Informationआर्थिक:- 

    • अर्थ + इक = आर्थिक
    • 'अर्थ' मूलशब्द और 'इक' प्रत्यय 
    • अर्थ: वित्त विषयक, राजस्व सम्बन्धी, अर्थ विषयक, वित्तीय।

    ढाँचा:-

    • अर्थ: वस्तु आदि की रचना का आरंभिक रूप।

    वृद्धि:-

    • अर्थ: उन्नति, विकास, उत्कर्ष, प्रगति, उत्थान, अभ्युदय
      • विलोम शब्द- 'ह्रास'

    उदासीन:-

    • अर्थ: खिन्नता, उदासीन होने की अवस्था या भाव, तटस्थता; विरक्ति, मायूसी।
      • विलोम शब्द- 'आसक्त'
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति-प्रथा गंभीर दोषों से युक्त है। जाति-प्रथा का श्रम विभाजन मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर नहीं रहता। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान अथवा महत्त्व नहीं रहता । 'पूर्व लेख' ही इसका आधार है। इस आधार पर हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि आज के उद्योगों में गरीब तो 'अरुचि' के साथ केवल विवशतावश कार्य करते हैं। ऐसी स्थिति स्वभावतः मनुष्य को दुर्भावना से ग्रस्त रहकर चालू काम करने और कम काम करने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी स्थिति में जहाँ काम करने वालों का न दिल लगता हो न दिमाग, वहाँ कोई कुशलता कैसे प्राप्त की जा सकती है। अतः यह निर्विवाद रूप से सिद्ध हो जाता है कि आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

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    आर्थिक पहलू से जाति -प्रथा क्यों हानिकारक है?
    Solution

    आर्थिक पहलू से जाति -प्रथा 'मनुष्य की रुचि एवं आत्मशक्ति को कम करने के कारण' हानिकारक है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      •  आर्थिक पहलू से भी जाति-प्रथा हानिकारक प्रथा है, क्योंकि यह मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणा, रुचि व आत्म-शक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़ कर निष्क्रिय बना देती है।

    Key Points

    • रुचि- चाह, इच्छा, अभिलाषा, कामना, पसंद, दिलचस्पी। 
      • विलोम शब्द- 'अरुचि'
    • आत्मशक्ति- आत्मबल, आत्मिक बल, स्वयं की शक्ति।

    Additional Informationआत्मकेंद्रित:- 

    • अर्थ: बाहरी वस्तु या चीज़ पर ध्यान न देते हुए अपने आप पर केंद्रित।

    सक्रिय:-

    • अर्थ: ​जो कोई क्रिया कर रहा हो, क्रियाशील, क्रियायुक्त, कर्मठ 
      • विलोम शब्द- 'निष्क्रिय'

    उन्नति:-

    • उत् + नति = उन्नति (त् + न = न्न)
    • इसमें व्यंजन संधि है 
    • उत् (श्रेष्ठ) उपसर्ग और 'ति' (झुकना) मूल शब्द
    • अर्थ: विकास, उत्कर्ष, प्रगति, उत्थान, अभ्युदय, वृद्धि
      • विलोम शब्द- 'अवनति'

    अवसर:- 

    • अर्थ: मौका, अनुकूल समय, सुयोग, ठीक समय।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

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    लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज के लिए क्या अपेक्षित है?
    Solution

    लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज के लिए 'गतिशीलता' अपेक्षित है

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक उस समाज को आदर्श मानता है जिसमें स्वतंत्रता, समानता भाईचारा हो। उसमें इतनी गतिशीलता हो कि सभी लोग एक साथ सभी परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। ऐसे समाज में सभी के सामूहिक हित होने चाहिए तथा सबको सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

    Key Points

    • गतिशीलता = गतिशील + ता
      • 'गतिशील' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
      • अर्थ: गतिशील होने की अवस्था या भाव, गतिमान।

    Additional Informationसमानता:- 

    • समान + ता = समानता
    • 'समान' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: एकरूप , समरूप , तुल्यरूप, समानत्व, तुल्यता।
    • विलोम शब्द- 'असमानता'

    स्वतंत्रता:-

    • स्वतंत्र + ता = स्वतंत्रता
    • 'स्वतंत्र' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: स्वतंत्र होने का भाव, आज़ादी स्वाधीनता।
    • विलोम शब्द- '‌‌‌परतंत्रता'

    लोकतंत्र:-

    • अर्थ: जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

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    सबको किनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए?
    Solution

    सबको 'स्वयं की' रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको स्वयं की रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।​

    Key Pointsदलित:- 

    • अर्थ: कुचला हुआ, दबाया हुआ

    लोकतंत्र:-

    • अर्थ: जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 

    सरकार:- 

    • अर्थ: हुकूमत, शासन, गवर्नमेंट।
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

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    भाईचारे के वास्तविक रूप को क्या कहा जाता है?
    Solution

    भाईचारे के वास्तविक रूप को कहा जाता है- 'लोकतंत्र'

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​भाईचारे का वास्तविक रूप है- लोकतंत्र, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है।

    Key Points

    • लोकतंत्र:- जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 

    Additional Informationदूध:-

    • अर्थ: दुग्ध, पय, गोरस, क्षीर, दोहज, पीयूष, स्तन्य।
      • दूध शब्द का तत्सम रूप दुग्ध है।

    पानी:-

    • अर्थ: जल, सलिल, उदक, तोय, जीवन, वारि, पय

    समाज:-

    • अर्थ: समूह, संघ, गरोह, दल।
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

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    लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के माध्यम से क्या स्पष्ट करना चाहा है?
    Solution

    लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के माध्यम से 'भेदभाव की समाप्ति स्पष्ट' करना चाहा है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के भेदभाव की समाप्ति स्पष्ट करना चाहता है। दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।  

    Key Points

    • भेदभाव- मतैक्य का अभाव, अंतर, फ़र्क।
    • समाप्ति- अंत, अवसान, इति, इतिश्री, समापन। 
      • विलोम शब्द- 'आरंभ'

    Additional Informationउच्च:-

    • अर्थ: ऊँचा,  बुलंद, उर्ध्व, उत्ताल, उन्नत, ऊपर, शीर्षस्थ
      • विलोम शब्द- 'निम्न'

    उपयोगी:-

    • अर्थ: लाभकारी, लाभप्रद, लाभदायक, फ़ायदेमंद, प्रयोज्य, सहायक
      • विलोम शब्द- 'अनुपयोगी'

    मूल्यहीन:-

    • अर्थ: जिसका कोई मूल्य न हो, निरर्थक, निकम्मा, बेकार।
      • विलोम शब्द- 'मूल्यवान'

    असमानता:-

    • अ + समान + ता = असमानता 
    • 'अ' (नही) उपसर्ग, 'समान' (बराबर) मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: समान होने का भाव, समानत्व, तुल्यता।
      • विलोम शब्द- 'समानता'
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

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    लोकतंत्र में क्या आवश्यक माना गया है?
    Solution

    लोकतंत्र में आवश्यक माना गया है- 'साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव'

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धासम्मान का भाव हो।

    Key Points

    • श्रद्धा:-​ लगाव, प्रवृत्ति, निष्ठा, विश्वास, यकीन।
      • विलोम शब्द- 'घृणा'
    • सम् + मान = सम्मान
      • 'सम्' (अच्छी तरह) उपसर्ग और 'मान' (प्रतिष्ठा) मूलशब्द
      • अर्थ: प्रतिष्ठा, इज्जत, मर्यादा मान, गौरव
      • विलोम शब्द- 'अपमान'   

    Additional Informationसरकार:- 

    • अर्थ: हुकूमत, शासन, गवर्नमेंट।

    भूमिका:-

    • अर्थ: पृष्ठभूमि, परिचय, प्रस्तावना, मुखबंध

    उच्च:-

    • अर्थ: ऊँचा,  बुलंद, उर्ध्व, उत्ताल, उन्नत, ऊपर, शीर्षस्थ।
      • विलोम शब्द- 'निम्न'

    आरक्षण:-

    • अर्थ: संरक्षण, प्रारक्षण, पूर्वरक्षण, रक्षण।

    श्रद्धा:-

    • अर्थ: लगाव, प्रवृति, निष्ठा, विश्वास, यकीन।
      • विलोम शब्द- 'घृणा'
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