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Hindi Test - 24...

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  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार बोध किसका होता है।

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    भारतीय दृष्टि में काव्य ने किस सिद्धांत की प्रतिष्ठा की?

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    केवल देखने का आनंद क्या है?

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    'कल्पना' काव्य का कौन-सा पक्ष है? 

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    काव्य में पाश्चात्य समीक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चा किस तत्व को लेकर हुई है?

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    हिंदी मुहावरों में किससे जुड़े शब्दों की भरमार होने की बात की गई है?

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    सकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला मुहावरा नहीं है-

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    'हस्तक्षेप' का जनतांत्रिक समाज में अभिप्राय है अनुचित कार्य को-

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    देह के अंग से जुड़ा मुहावरा नहीं है-

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला शब्द है-

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