Self Studies

Hindi Test - 25...

TIME LEFT -
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    भारतेंदु युग में नाटक साहित्य ही प्रधान काव्य रूप बन गया था। किन्तु बाद में नाट्य-रचनाएँ कम हो गईं। इस क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद ने महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाटकों से हिन्दी साहित्य में बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई | नाट्य-रचना का विधान प्राचीन काव्य शास्त्र में विस्तार से किया गया है। हिन्दी नाटककारों ने उस विधान को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं किया। नांदी, मंगलाचरण, प्रस्तावना को हटाया जाने लगा। विष्कंभक, प्रवेशक, आदि का विधान छोड़ दिया गया। विदूषक के बदले कोई मनोरंजक पात्र रखा जाने लगा। सांचे में ढल हुए पात्रों के स्थान पर निजी व्यक्तित्व की विशेषताओं से युक्त पात्र आने लगें।

    ...view full instructions

    'विदूषक' का अर्थ होता हैः

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    भारतेंदु युग में नाटक साहित्य ही प्रधान काव्य रूप बन गया था। किन्तु बाद में नाट्य-रचनाएँ कम हो गईं। इस क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद ने महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाटकों से हिन्दी साहित्य में बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई | नाट्य-रचना का विधान प्राचीन काव्य शास्त्र में विस्तार से किया गया है। हिन्दी नाटककारों ने उस विधान को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं किया। नांदी, मंगलाचरण, प्रस्तावना को हटाया जाने लगा। विष्कंभक, प्रवेशक, आदि का विधान छोड़ दिया गया। विदूषक के बदले कोई मनोरंजक पात्र रखा जाने लगा। सांचे में ढल हुए पात्रों के स्थान पर निजी व्यक्तित्व की विशेषताओं से युक्त पात्र आने लगें।

    ...view full instructions

    भारतेंदु युग में साहित्य का प्रधान रूप क्‍या हो गया था?

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    भारतेंदु युग में नाटक साहित्य ही प्रधान काव्य रूप बन गया था। किन्तु बाद में नाट्य-रचनाएँ कम हो गईं। इस क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद ने महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाटकों से हिन्दी साहित्य में बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई | नाट्य-रचना का विधान प्राचीन काव्य शास्त्र में विस्तार से किया गया है। हिन्दी नाटककारों ने उस विधान को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं किया। नांदी, मंगलाचरण, प्रस्तावना को हटाया जाने लगा। विष्कंभक, प्रवेशक, आदि का विधान छोड़ दिया गया। विदूषक के बदले कोई मनोरंजक पात्र रखा जाने लगा। सांचे में ढल हुए पात्रों के स्थान पर निजी व्यक्तित्व की विशेषताओं से युक्त पात्र आने लगें।

    ...view full instructions

    भारतेंदु के बाद नाटक के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किसका है?

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    भारतेंदु युग में नाटक साहित्य ही प्रधान काव्य रूप बन गया था। किन्तु बाद में नाट्य-रचनाएँ कम हो गईं। इस क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद ने महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाटकों से हिन्दी साहित्य में बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई | नाट्य-रचना का विधान प्राचीन काव्य शास्त्र में विस्तार से किया गया है। हिन्दी नाटककारों ने उस विधान को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं किया। नांदी, मंगलाचरण, प्रस्तावना को हटाया जाने लगा। विष्कंभक, प्रवेशक, आदि का विधान छोड़ दिया गया। विदूषक के बदले कोई मनोरंजक पात्र रखा जाने लगा। सांचे में ढल हुए पात्रों के स्थान पर निजी व्यक्तित्व की विशेषताओं से युक्त पात्र आने लगें।

    ...view full instructions

    हिन्दी नाटक के संदर्भ में कौन सा कथन गलत है?

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    भारतेंदु युग में नाटक साहित्य ही प्रधान काव्य रूप बन गया था। किन्तु बाद में नाट्य-रचनाएँ कम हो गईं। इस क्षेत्र में जयशंकर प्रसाद ने महत्वपूर्ण कार्य किया। उनके नाटकों से हिन्दी साहित्य में बहुत बड़े अभाव की पूर्ति हुई | नाट्य-रचना का विधान प्राचीन काव्य शास्त्र में विस्तार से किया गया है। हिन्दी नाटककारों ने उस विधान को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं किया। नांदी, मंगलाचरण, प्रस्तावना को हटाया जाने लगा। विष्कंभक, प्रवेशक, आदि का विधान छोड़ दिया गया। विदूषक के बदले कोई मनोरंजक पात्र रखा जाने लगा। सांचे में ढल हुए पात्रों के स्थान पर निजी व्यक्तित्व की विशेषताओं से युक्त पात्र आने लगें।

    ...view full instructions

    दिए गए गद्यांश में 'विधान' का आशय हैः

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    श्री हरिकृष्ण प्रेमी के शिवासाधना और रक्षाबंधन नाटक प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेमी के नाटकों के कथोपकथन स्वाभाविक हैं। शिवासाधना छत्रपति शिवाजी के जीवन पर है और रक्षाबंधन इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक अनुश्रुति पर कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती द्वारा राखी भेजने पर हुमायूँ ने गुजरात शासक बहादुरशाह को युद्ध में पराजित करके अपनी धर्म-बहन की रक्षा की थी। दोनों नाटकों पर स्वाधीनता आंदोलन के विचारों का प्रभाव स्पष्ट है। 

    ...view full instructions

    "शिवा साधना' नाटक के लेखक कौन हैं?

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    श्री हरिकृष्ण प्रेमी के शिवासाधना और रक्षाबंधन नाटक प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेमी के नाटकों के कथोपकथन स्वाभाविक हैं। शिवासाधना छत्रपति शिवाजी के जीवन पर है और रक्षाबंधन इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक अनुश्रुति पर कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती द्वारा राखी भेजने पर हुमायूँ ने गुजरात शासक बहादुरशाह को युद्ध में पराजित करके अपनी धर्म-बहन की रक्षा की थी। दोनों नाटकों पर स्वाधीनता आंदोलन के विचारों का प्रभाव स्पष्ट है। 

    ...view full instructions

    गद्यांश में उल्लिखित नाटकों पर किसका प्रभाव है ?

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    श्री हरिकृष्ण प्रेमी के शिवासाधना और रक्षाबंधन नाटक प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेमी के नाटकों के कथोपकथन स्वाभाविक हैं। शिवासाधना छत्रपति शिवाजी के जीवन पर है और रक्षाबंधन इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक अनुश्रुति पर कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती द्वारा राखी भेजने पर हुमायूँ ने गुजरात शासक बहादुरशाह को युद्ध में पराजित करके अपनी धर्म-बहन की रक्षा की थी। दोनों नाटकों पर स्वाधीनता आंदोलन के विचारों का प्रभाव स्पष्ट है। 

    ...view full instructions

    'रक्षाबंधन' नाटक का सम्‍बन्‍ध किस शासक से है ?

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    श्री हरिकृष्ण प्रेमी के शिवासाधना और रक्षाबंधन नाटक प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेमी के नाटकों के कथोपकथन स्वाभाविक हैं। शिवासाधना छत्रपति शिवाजी के जीवन पर है और रक्षाबंधन इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक अनुश्रुति पर कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती द्वारा राखी भेजने पर हुमायूँ ने गुजरात शासक बहादुरशाह को युद्ध में पराजित करके अपनी धर्म-बहन की रक्षा की थी। दोनों नाटकों पर स्वाधीनता आंदोलन के विचारों का प्रभाव स्पष्ट है। 

    ...view full instructions

    बहादुरशाह कहॉं का शासक था ?

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    नीचे दिये गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

    श्री हरिकृष्ण प्रेमी के शिवासाधना और रक्षाबंधन नाटक प्रसिद्ध हैं। श्री प्रेमी के नाटकों के कथोपकथन स्वाभाविक हैं। शिवासाधना छत्रपति शिवाजी के जीवन पर है और रक्षाबंधन इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक अनुश्रुति पर कि मेवाड़ की महारानी कर्मवती द्वारा राखी भेजने पर हुमायूँ ने गुजरात शासक बहादुरशाह को युद्ध में पराजित करके अपनी धर्म-बहन की रक्षा की थी। दोनों नाटकों पर स्वाधीनता आंदोलन के विचारों का प्रभाव स्पष्ट है। 

    ...view full instructions

    गद्यांश में मेवाड़ की महारानी कौन थीं ?

Submit Test
Self Studies
User
Question Analysis
  • Answered - 0

  • Unanswered - 10

  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
  • 6
  • 7
  • 8
  • 9
  • 10
Submit Test
Self Studies Get latest Exam Updates
& Study Material Alerts!
No, Thanks
Self Studies
Click on Allow to receive notifications
Allow Notification
Self Studies
Self Studies Self Studies
To enable notifications follow this 2 steps:
  • First Click on Secure Icon Self Studies
  • Second click on the toggle icon
Allow Notification
Get latest Exam Updates & FREE Study Material Alerts!
Self Studies ×
Open Now