Self Studies

Sanskrit Domain Test - 4

Result Self Studies

Sanskrit Domain Test - 4
  • Score

    -

    out of -
  • Rank

    -

    out of -
TIME Taken - -
Self Studies

SHARING IS CARING

If our Website helped you a little, then kindly spread our voice using Social Networks. Spread our word to your readers, friends, teachers, students & all those close ones who deserve to know what you know now.

Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1
    उभयपदप्रधानसमासं भवति-
    Solution

    स्पष्टीकरण -

    ‘अनेकपदानाम् एकपदीभवनं समासः’ अर्थात् अनेक पदों का एक पद होने को समास कहते हैं।

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

     

    (2) अव्ययीभावः – ‘पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभवः अर्थात् जिस समास मे पूर्वपद प्रधान/मुख्य हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते है इस समास मे पूर्वपद प्रायः अव्यय होता है।

    उदा.

    समास

    पूर्वपद

    उत्तरपद

    प्रतिदिनम्

    प्रति

    दिनम्

     

    (3) तत्पुरुषः – ‘प्रायेण उत्तरपदार्थप्रधानः तत्पुरुषः’ अर्थात् जिस समास मे उत्तरपद का अर्थ प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

    उदा.

    • रामाश्रितः – रामम् आश्रितः
    • अनर्थः – न अर्थः
    • राजपुत्रः – राज्ञः पुत्रः

     

    (4) द्वन्द्वः – ‘उभयपदार्थप्रधानः द्वन्द्वः’ अर्थात् जिस समास मे दोनो पदो कि प्रधानता होती है, उसे द्वन्द्व समास कहते हैं।

    उदा.

    • रामलक्ष्मणौ – रामः च लक्ष्मणः च
    • पाणिपादम् – पाणी च पादौ च तेषां समाहारः
    • पितरौ – माता च पिता च

     

    (5) बहुव्रीहि – ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहि’ अर्थात् जिस समास मे अन्य पद का अर्थ प्रधान होता है उसे ‘बहुव्रीहि’ समास कहते हैं।

    उदा.

    • लम्बोदरः – लम्बम् उदरं यस्य सः
    • नीलकण्ठः – नीलं कण्ठं यस्य सः

     

    अतः स्पष्ट होता है कि उचित पर्याय द्वन्‍द्व होगा।

  • Question 2
    5 / -1
    ‘नीलोत्पलम्‌’ अस्मिन्‌ पदे समासः अस्ति-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - ‘नीलोत्पलम्‌’ इस पद में समास है-

    स्पष्टीकरण - नीलोत्पलम्‌ पद में कर्मधारय समास है।

    समस्तपद:– नीलोत्पलम्

    समास विग्रह:– नीलम् उत्पलम्

    सूत्र - तत्पुरुषः समानाधिकरणः कर्मधारयः।
    नियम
    - ऐसा तत्पुरुष समास, जिसमें प्रथम शब्द दूसरे शब्द का विशेषण हो, वहाँ कर्मधारय तत्पुरुष समास होता है। यह तत्पुरुष समास का ही भेद है।

    स्पष्टीकरण:– उपर्युक्त समास में ‘नीलम् (नीला रंग)’ यह ‘उत्पलम् (कमल)’ का विशेषण है।

    समास में यदि पूर्वपद विशेषण और उत्तरपद विशेष्य हो, तो उसे विशेषण पूर्वपद कर्मधारय समास कहते हैं।

    अतः नीलोत्पलम् पद में कर्मधारय समास होता है, यह स्पष्ट होता है।

    Additional Information

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)

  • Question 3
    5 / -1
    बहुव्रीहिसमासे कस्मिन्नर्थे पदानि समस्यन्ते?
    Solution

    प्रश्न का अनुवाद - बहुव्रीहि समास में किस अर्थ में पदों को समस्त किया जाता है?

    स्पष्टीकरण - 'अनेकमन्यपदार्थे' सूत्र से अनेक पदों के होते हुए अन्य पद प्रधान होता है, जैसे - 'चन्द्रशेखरः' यहाँ पूर्वपद 'चन्द्र' और उत्तरपद 'शेखर' है, परन्तु प्रधानता अन्य पद (शिव) यह अन्यपद प्रधान है। जब समस्तपद में अन्यपद प्रधान होता है तब वह समास अन्यपद प्रधान बहुव्रीहि समास होता है।

    समस्तपद - चन्द्रशेखरः

    समासविग्रह- चन्द्रः शेखरे यस्य सः

    अर्थ- चन्द्रमा है जिसके सिर पर (शिव)।

    Additional Information

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
    • चन्द्रः शेखरे यस्य सः = चन्द्रशेखरः ()
  • Question 4
    5 / -1
    संस्कृते समासः कतिविधः ?
    Solution

    प्रश्नानुवादसंस्कृत में समास कितने प्रकार के होते हैं ?

    स्पष्टीकरण -

    • संस्कृत में पाँच प्रकार के समास बताये गये हैं।

     

    ‘समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:‘विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:-‘ प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:-श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः(हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)

     

    अतः उपर्युक्त विवरणों से स्पष्ट होता है कि समास पञ्चविध (पाँच प्रकार के) होते हैं।

  • Question 5
    5 / -1
    'पीताम्बरः' इत्यत्र समासः वर्तते-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'पीताम्बरः' यहाँ समास है-

    स्पष्टीकरण -

    • शब्द - पीताम्बरः
    • अर्थ - पीला वस्त्र
    • समासविग्रह - पीतम् अम्बरं यस्य सः (श्रीकृष्णः)

     

    सूत्र - अनेकमन्यपदार्थे।

    • नियम - जब दो या दो से अधिक सभी शब्द किसी अन्य शब्द का बोध कराते हैं, उसे बहुव्रीहि समास कहा जाता है। इस समास को अन्यपद प्रधान समास भी कहते हैं।

    उदाहरण - 

    • चक्रं पाणौ यस्य सः - चक्रपाणिः (विष्णुः) 

     

    इसी नियमानुसार पीताम्बर पद में बहुव्रीहि समास है, जहाँ दोनों पद अन्य शब्द का बोध करा रहे हैं।

    अतः यहाँ बहुव्रीहि समास सही उत्तर है।

    Additional Information

    समसनं समासः अर्थात् संक्षिप्त होने को समास कहते हैं। समास एक संज्ञा है। दो या दो से अधिक शब्दों का जब समास होकर एक पद बनता है, तो उसे समास कहते हैं। समास में दो पद होते हैं - 1. पूर्व पद, 2. उत्तर पद

    समास के मुख्यतः 4 भेद है। 

    1. अव्ययीभाव
    2. तत्पुरुष
    3. बहुव्रीहि
    4. द्वन्द्व

    (1) अव्ययीभाव समास - ‘पूर्वपदार्थप्रधानोSव्ययीभावः’ अर्थात् जिस पद में पूर्व पद की प्रधानता हो या पद का आरम्भ किसी अव्यय पद से हो रहा हो, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है।

    उदाहरण - 

    • रूपस्य योग्यम् - अनुरूपम्
    • रामस्य पश्चात् - अनुरामम्

    (2) तत्पुरुष समास - ‘उत्तरपदप्रधानो तत्पुरुषः’ अर्थात जिस पद में उत्तर पद प्रधान होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • सुखम् आपन्नः - सुखापन्नः
    • कूपं पतितः - कूपपतितः

    तत्पुरुष समास के मुख्यतः दो भेद होते हैं

    • व्यधिकरण तत्पुरुष समास 
    • समानाधिकरण तत्पुरुष

    1. व्यधिकरण तत्पुरुष समास के सात (7) भेद होते हैं, जो निम्नलिखित हैं - 

    द्वितीया तत्पुरुष - जहाँ श्रित, अतीत, पतित, गत, अत्यस्त, प्राप्त और आपन्न इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ द्वितीया तत्पुरुष समास होता है।

    उदाहरण -

    • शोकं पतितः - शोकपतितः

    तृतीया तत्पुरुष - जहाँ तृतीयान्त शब्द के साथ पूर्व, सदृश, सम शब्द आता है, तो वहाँ तृतीया तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • पित्रा समः - पितृसमः 

    चतुर्थी तत्पुरुष - जहाँ पूर्व पद चतुर्थी विभक्ति में होता है अथवा बलि, हित, सुख, रक्षित इन शब्दों को संयोग होता है,  वहाँ चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण -

    • ब्राह्मणाय हितम् - ब्राह्मणहितम्

    पञ्चमी तत्पुरुष - जहाँ भय, भीत, भीति इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • व्याघ्राद् भीतिः - व्याघ्रभीतिः

    षष्ठी तत्पुरुष - जब पूर्व पद षष्ठी विभक्ति में होता है, तो वहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • देवानां भाषा - देवभाषा

    सप्तमी तत्पुरुष - जब पूर्व पद सप्तमी विभक्ति में रहता है अथवा शौण्ड (चतुर), धूर्त, कितव (शठ), प्रवीण, कुशल, पण्डित इन शब्दों का संयोग होता है, तो वहाँ सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • सभायां पण्डितः - सभापण्डितः

    नञ् तत्पुरुष - जब पूर्व पद शब्द हो, तथा उत्तर पद कोई संज्ञा या विशेषण हो तो, वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है।

    उदाहरण

    • न कृतम् - अकृतम्

    2. समानाधिकरण तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं - 

    1. कर्मधारय तत्पुरुष
    2. द्विगु तत्पुरुष समास

    (1) कर्मधारय तत्पुरुष समास - ऐसा तत्पुरुष समास जहाँ विशेषण-विशेष्य और उपमान-उपमेय का सम्बन्ध होता है, वह कर्मधारय समास होता है।   

    उदाहरण

    • पीतम् उत्पलम् - पीतोत्पलम्
    • घन इव श्यामः - घनश्यामः

    (2) द्विगु तत्पुरुष समास - जहाँ प्रथम पद संख्यावाची होता है, वहाँ द्विगु समास होता है। यह तत्पुरुष समास का ही भेद है।

    उदाहरण

    • त्रयानां  भुवनानां समाहारः - त्रिभुवनम् 
    • चतुर्णां भुजानां समाहारः - चतुर्भुजम्

    (3) बहुव्रीहि समास - ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ दो या दो से अधिक समस्त शब्द किसी अन्य पद को इंगित करते हैं, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।

    उदाहरण - 

    • महान् आत्मा यस्य सः (बुद्धः) - महात्मा
    • दश आननानि यस्य सः (रावणः) - दशाननः

    बहुव्रीहि समास के दो भेद हैं-

    • समानाधिकरण बहुव्रीहि- (जहाँ दोनों शब्द प्रथमान्त होते हैं। जैसे - पीतम् अम्बरम् यस्य सः)
    • व्यधिकरण बहुव्रीहि - (जहाँ दोनों शब्द प्रथमान्त नहीं होते हैं। एक प्रथमान्त होता है और दूसरा शब्द षष्ठी या सप्तमी विभक्ति में होता है। जैसे - चन्द्र शेखरे यस्य सः)

    (4) द्वन्द्व समास - ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद (पूर्व पद एवं उत्तर पद) प्रधान होते हैं, वहाँ द्वन्द्व समास होता है।

    उदाहरण -

    • रामश्च लक्ष्मणश्च भरतश्च - रामलक्ष्मणभरताः
    • पाणी च पादौ च - पाणिपादम्
  • Question 6
    5 / -1
    'दशाननः' पदे समासः वर्तते -
    Solution

    प्रश्न की हिन्दी - 'दशाननः' पद में समास है -

    स्पष्टीकरण -

    • समस्तपद - दशाननः।
    • समासविग्रह - दश आननानि यस्य सः।
    • अर्थ - दस सर है जिसके (रावण)।

     

    उपर्युक्त समास में पूर्वपद 'दश' और उत्तरपद 'आनन' है। परन्तु यहाँ सः (रावण) यह अन्यपद प्रधान है। जब समस्तपद में अन्य पद प्रधान होता है तब वह समास अन्यपद प्रधान बहुव्रीहि समास होता है।

    बहुव्रीहि समास 'अनेकमन्यपदार्थे' सूत्र से अनेक पदों के होते हुए अन्य पद प्रधान होता है।

    अतः 'दशाननः' इस पद में भी अन्यपद प्रधान बहुव्रीहि समास होता है।

    Additional Information

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ


    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः


    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति


    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।


    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।


    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।


    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः


    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्


    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः


    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक


    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्


    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्


    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ


    इसके तीन प्रकार हैं -

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व


    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
    • चन्द्रः शेखरे यस्य सः = चन्द्रशेखरः (महादेव)
  • Question 7
    5 / -1
    'सपुत्रः' पदस्य विग्रहः वर्तते-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'सपुत्रः' पद का विग्रह है-

    'सपुत्रः' पद में पूर्वपद 'स' अव्यय है तथा प्रधान है।

    जहाँ पूर्वपद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - ‘अधिहरि’ में अधि उपसर्ग जो कि एक अव्यय है के साथ समास हुआ है, जिसका समासविग्रह होता है- हरौ

    सूत्र:- अव्ययं विभक्ति-समीप-समृद्धि-व्यृद्धि-अर्थाभाव-अत्यय-असम्प्रति-शब्दप्रादुर्भाव-पश्चात्-यथा-आनुपूर्व-यौगपद्य-सादृश्य-सम्पत्ति-साकल्य-अन्तवचनेषु’ अर्थात् समीप, समृद्धि आदि इन अर्थानुकूल अव्ययों के साथ समास हो तो वह अव्ययीभाव समास होता है।

    उदाहरण-

    1. विभक्ति-
      • अधिहरि = हरौ इति
    2. समीप-
      • उपगङ्गम् = गङ्गाया समीपम्
    3. समृद्धि-
      • सुमद्रम् = मद्राणां समृद्धि
    4. व्यृद्धि-
      • दुर्गवदिकम् = गवदिकानाम् ऋद्धेरभावः
    5. अर्थाभाव-
      • निर्मक्षिकम् = मक्षिकाणाम् अभाव
    6. अत्यय-
      • अतिहिमम् = हिमस्य अत्ययः 
    7. असम्प्रति-
      • अतिनिद्रम् = निद्रा सम्प्रति न युज्यते
    8. शब्दप्रादुर्भाव-
      • इतिहरि = हरि शब्दस्य प्रकाशः
    9. पश्चात्-
      • अनुरामम् = रामस्य पश्चात्
    10. यथा-
      • अनुरूपम् = रूपस्य योग्यम्
    11. आनुपूर्व-
      • अनुज्येष्ठम् = ज्येष्ठस्य आनुपूण
    12. यौगपद्य-
      • सहर्षम् = हर्षेण युगपत्
      • सपुत्रः = पुत्रेण सहितम्
    13. सादृश्य-
      • सवर्णम् = सदृशः वर्णेन
    14. सम्पत्ति-
      • सुक्षत्रम् = क्षत्राणां संपत्तिः 
    15. साकल्य-
      • सतृणम् = तृणम् अपि अपरित्यज्य
    16. अन्तवचन-
      • साग्नि = अग्नि पर्यन्तम्


    अतः पर्यायों में 'सपुत्रः' अव्ययीभाव समास का विग्रह 'पुत्रेण सहितः' है, यह स्पष्ट होता है।

  • Question 8
    5 / -1
    'अष्टानाम् अध्यायानां समाहारः' इत्यत्र समासः भवति-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'अष्टानाम् अध्यायानां समाहारः' यहाँ समास होता है-

    समास विच्छेद - अष्टानाम् अध्यायानां समाहारः
    सामासिक पद - अष्टाध्यायी
    समास - द्विगु समास​

    स्पष्टीकरण -

    1. 'संख्यापूर्वो द्विगुः' इस सूत्र से जब कर्मधारय समास का पूर्वपद संख्यावाचक तथा उत्तरपद संज्ञावाचक होता है, तब वह द्विगु समास कहलाता है। इस समास से समुदाय अथवा 'समूह का बोध' होता है।
    2. प्रस्तुत समास के विग्रह में पूर्वपद 'अष्टानाम्' (अष्ट) यह संख्यावाचक है, जिसका अर्थ 'आठों का' है, इससे समास का अर्थ 'आठों अध्यायों का समूह' होता है।
    3. 'द्विगुरेकवचनम्' इस सूत्र से यह समस्तपद प्रायः एकवचन होता है। अष्टाध्यायी यह सामासिक पद एकवचनी है।
    4. द्विगु समास प्रायः नपुंसकलिंगी होता है।
    5. परन्तु यहाँ अध्याय शब्द अकारान्त शब्द होने के कारण समस्त पद ईकारान्त स्त्रीलिंग होता है।
    6. उदाहरण -
      त्रिलोकी - त्रयाणां लोकानां समाहारः
      नवरात्रम् - नवानां रात्रिणां समाहारः।
      पञ्चवटी - पञ्चानां वटानां समाहारः

     

    अतः यह स्पष्ट होता है कि पूर्वपद संख्यावाचक होने के कारण अष्टानाम् अध्यायानां समाहारः इसका सामासिकपद अष्टाध्यायी होता है।

  • Question 9
    5 / -1
    'चक्रपाणिः' इत्यत्र समासः भवति-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'चक्रपाणिः' यहाँ समास है-

    स्पष्टीकरण -

    समस्तपद- चक्रपाणिः।

    समासविग्रह- चक्रं पाणौ यस्य सः।

    अर्थ- चक्र है हाथ में जिसके (विष्णु)।

    • उपर्युक्त समास में पूर्वपद 'चक्र' और उत्तरपद 'पाणि' है। परन्तु यहाँ सः(विष्णु) यह अन्यपद प्रधान है। जब समस्तपद में अन्य पद प्रधान होता है तब वह समास अन्यपद प्रधान बहुव्रीहि समास होता है। इसलिए यह समास अन्यपदप्रधान बहुव्रीहि समास है।

    Additional Information

    विकल्पों का स्पष्टीकरण-

    • तत्पुरुष- जिस समस्तपद में उत्तरपद प्रधान होता है उसे तत्पुरुष समास कहते है। उदा. मधुरफलम्- मधुरम् फलम्।
    • कर्मधारय - जहाँ प्रथमपद दूसरे पद की विशेषता बताये अर्थात् जहाँ दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य सम्बन्ध होता है। वहाँ कर्मधारय समास होता है, यह तत्पुरुष समास का भेद है।  कृष्णः सर्पः - कृष्णसर्पः
    • द्वंद्व- जब समस्तपद में दोनों पद प्रधान होते है तब वह समास उभयपद प्रधान द्वंद्व समास होता है। उदाहरण - सीतारामौ - सीता च रामश्च।
  • Question 10
    5 / -1
    'अतिनिद्रम्' उदाहरणमस्ति -
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'अतिनिद्रम्' उदाहरण है-

    स्पष्टीकरण - 'अतिनिद्रम्' पद में पूर्वपद 'अति' अव्यय है तथा वह प्रधान है।

    जहाँ पूर्वपद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे- ‘अतिनिद्रम्’ में अधि उपसर्ग जो कि एक अव्यय है के साथ समास हुआ है, जिसका समासविग्रह होता है- निद्रा सम्प्रति न युज्यते

    सूत्र:- अव्ययं विभक्ति-समीप-समृद्धि-व्यृद्धि-अर्थाभाव-अत्यय-असम्प्रति-शब्दप्रादुर्भाव-पश्चात्-यथा-आनुपूर्व-यौगपद्य-सादृश्य-सम्पत्ति-साकल्य-अन्तवचनेषु’ अर्थात् समीप, समृद्धि आदि इन अर्थानुकूल अव्ययों के साथ समास हो तो वह अव्ययीभाव समास होता है।

    उदाहरण-

    1. विभक्ति-
      • अधिहरि = हरौ इति
    2. समीप-
      • उपगङ्गम् = गङ्गाया समीपम्
    3. समृद्धि-
      • सुमद्रम् = मद्राणां समृद्धि
    4. व्यृद्धि-
      • दुर्गवदिकम् = गवदिकानाम् ऋद्धेरभावः
    5. अर्थाभाव-
      • निर्मक्षिकम् = मक्षिकाणाम् अभाव
    6. अत्यय-
      • अतिहिमम् = हिमस्य अत्ययः 
    7. असम्प्रति-
      • अतिनिद्रम् = निद्रा सम्प्रति न युज्यते
    8. शब्दप्रादुर्भाव-
      • इतिहरि = हरि शब्दस्य प्रकाशः
    9. पश्चात्-
      • अनुरामम् = रामस्य पश्चात्
    10. यथा-
      • अनुरूपम् = रूपस्य योग्यम्
    11. आनुपूर्व-
      • अनुज्येष्ठम् = ज्येष्ठस्य आनुपूण
    12. यौगपद्य-
      • सहर्षम् = हर्षेण युगपत्
    13. सादृश्य-
      • सवर्णम् = सदृशः वर्णेन
    14. सम्पत्ति-
      • सुक्षत्रम् = क्षत्राणां संपत्तिः 
    15. साकल्य-
      • सतृणम् = तृणम् अपि अपरित्यज्य
    16. अन्तवचन-
      • साग्नि = अग्नि पर्यन्तम्


    अतः पर्यायों में 'अतिनिद्रम्' अव्ययीभाव समास है, यह स्पष्ट होता है।

Self Studies
User
Question Analysis
  • Correct -

  • Wrong -

  • Skipped -

My Perfomance
  • Score

    -

    out of -
  • Rank

    -

    out of -
Re-Attempt Weekly Quiz Competition
Self Studies Get latest Exam Updates
& Study Material Alerts!
No, Thanks
Self Studies
Click on Allow to receive notifications
Allow Notification
Self Studies
Self Studies Self Studies
To enable notifications follow this 2 steps:
  • First Click on Secure Icon Self Studies
  • Second click on the toggle icon
Allow Notification
Get latest Exam Updates & FREE Study Material Alerts!
Self Studies ×
Open Now