प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - संस्कृत भाषा में व्यञ्जन हैं -
पाणिनी ने ‘हल्’ प्रत्याहार के अन्तर्गत संस्कृत व्यञ्जनों की गणना की है। जिसके अन्तर्गत दस माहेश्वर सूत्र आते हैं-
१. हयवरट्। २. लण्। ३. ञमङणनम्। ४. झभञ्। ५. घढधष्। ६. जबगडदश्। ७. खफछठथचटतव्। ८. कपय्। ९. शषसर्। १०. हल्।
Important Points
'शल उष्माणः' इस प्रत्याहार के अन्तर्गत 'श् ष् स् ह्' यह उष्म व्यञ्जन होते हैं।
अतः 'श् ष् स् ह्' यह व्यञ्जन है स्पष्ट होता है।
Additional Information
संस्कृत वर्णमाला में भी अन्य भाषायिक वर्णमालाओं के समान अनेक विध् वर्ण है-
स्वर वर्ण (अच्):- जिनको बोलने के लिए किन्ही अन्य ध्वनियों की आवश्यक्ता नहीं होती उन्हें स्वर वर्ण कहते हैं। ये तीन प्रकार के होते हैं-
ह्रस्व स्वर | एक मात्रा वाले वर्ण | अ, इ, उ, ऋ, लृ |
दीर्घ स्वर | दो मात्रा वाले वर्ण | आ, ई, ऊ, ॠ। इसमें संयुक्त ए, ऐ, ओ, औ स्वर भी आते हैं। |
प्लुत स्वर | तीन मात्रा वाले स्वर | आऽ, ईऽ, ओउम्, एइ इत्यादि |
व्यञ्जन (हल्) वर्ण:- जिनके उच्चारण में स्वर वर्णों की आवश्यकता होती है। ये तीन प्रकार के होते हैं-
स्पर्श वर्ण | जिनके उच्चारण में जिह्वा का स्पर्श हो | कवर्ग- क्, ख्, ग्, घ्, ङ् चवर्ग- च्, छ्, ज्, झ्, ञ् टवर्ग- ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण् तवर्ग- त्, थ्, द्, ध्, न् पवर्ग- प्, फ्, ब्, भ्, म् |
अन्तस्थ वर्ण | पूर्णतः न तो स्वर होते है न व्यञ्जन। | य्, र्, ल्, व् |
ऊष्म वर्ण | जिनके उच्चारण में घर्षण के कारण ऊष्म वायु निकले | श्, ष्, स्, ह् |
इसके अतिरिक्त अयोगवाह और यम वर्ण भी पाणिनी के द्वारा उल्लिखित हैं-
अयोगवाह (4) | इनका योग किसी भी वर्ण के साथ बिना स्वर की सहायता से नही किया जा सकता। यथा- अः, आः, कः(क् + अः) | विसर्ग (1) अनुस्वार (1) अर्धविसर्ग (2)(जिह्वामूलीय, उपध्मानीय) |
यम (4) | क्,ख्,ग्,घ् के पश्चात् किसी भी वर्ग के पञ्चम वर्ण हो तो ये 4 यम कहलाते हैं। | क्, ख्, ग्, घ्, |