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Sanskrit Language Test - 11

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Sanskrit Language Test - 11
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः अधोलिखितम् गद्यांश पठित्वा एतदाधारित् प्रश्नान् उत्तरत्तः

    अयम् अस्माकं भारतदेशः अस्ति।​ यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म, तस्य सम्बन्धात् अस्य नाम भारतम् इति। अस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय: पर्वत:, दक्षिणस्याम् च हिन्दमहासागरः अस्ति अत्र गंगायमनासरयूगोदावरीप्रभृतय: देवनद्यः प्रवहन्ति, यासां जलेन भारतभूमिः शस्यश्यामला अस्ति । इयं वीरप्रसूता भूमि अस्ति।
    विविधतायाम् एक भारतस्य विशेषता अस्तिा अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः । राष्ट्रियवाक्यम् - "सत्यमेव जयते नानृतम"। राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति। संस्कृतभाषा एव अस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। अस्य देशस्य गौरवम् प्राचीनम् अस्ति। जानविज्ञाने अयम् देशः विश्वगुरुः इति कथ्यते। भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य, धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत इति अयम् अस्माकं संकल्पः। प्रत्येक नागरिकः भारतदेशस्य विकासाय प्रयत्नशीलो भवेत्।

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    भारतदेशे कः राजा वसति स्म?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - भारतदेश में कौन राजा रहता था?

    स्पष्टीकरण -

    • गद्यांश के अनुसार - अयम अस्माकं भारतदेशः अस्ति। यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म।
    • अर्थ - यह हमारा भारत देश है। जहाँ भरत नाम का राजा रहता था।

     

    गद्यांश से स्पष्ट है कि राजा का नाम भरत था।

    अतः यहाँ भरत सही उत्तर है।

    Additional Information

    शब्दार्थ -

    • अयम् - यह (इदम् सर्वनाम शब्दरूप-पुल्लिंग)
    • अस्माकं - हमारा (अस्मद् सर्वनाम शब्दरूप, षष्ठी विभक्ति-बहुवचन)
    • यत्र - जहाँ
    • वसति स्म - रहता था (स्म शब्द भूतकाल के अर्थ में प्रयुक्त होता है।)

     

    गद्यांश का अनुवाद

    यह हमारा भारत देश है। जहाँ भरत नाम: राजा रहता था, उसके सम्बन्ध से इसका नाम भारत है। इसकी उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत और दक्षिण में हिन्द महासागर है, यहाँ गंगा, यमना, सरयू, गोदावरी जैसी: देव नदियाँ बहती हैं, जिनके जल से भारतभूमि हरी भरी है। यह वीरों को जन्म देने वाली भूमि है।

    विविधता में एकता भारत की विशेषता है। हमारा राष्ट्रध्वज तीन रंगों वाला है । राष्ट्रीय वाक्य है- "सत्यमेव जयते नानृतम्" (सत्य की जय हो, असत्य की नहीं)। राष्ट्रीय चिह्न सिंह का मुख, राष्ट्र गाीत और राष्ट्र भाषा इसकी राष्ट्रीयता की मुख्य धाराएं हैं। संस्कृत भाषा ही इसकी प्राचीनतम भाषा है। इस देश का गौरव प्राचीन है। ज्ञान-विज्ञान में यह देश विश्वगुरु है ऐसा कहा जाता है। भारत की उन्नति के लिए ही हमारे समय और धन का अधिकतम उपयोग हो, यह हमारा संकल्प हो। प्रत्येक नागरिक भारतदेश के विकास के लिए प्रयत्नशील हो।

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः अधोलिखितम् गद्यांश पठित्वा एतदाधारित् प्रश्नान् उत्तरत्तः

    अयम् अस्माकं भारतदेशः अस्ति।​ यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म, तस्य सम्बन्धात् अस्य नाम भारतम् इति। अस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय: पर्वत:, दक्षिणस्याम् च हिन्दमहासागरः अस्ति अत्र गंगायमनासरयूगोदावरीप्रभृतय: देवनद्यः प्रवहन्ति, यासां जलेन भारतभूमिः शस्यश्यामला अस्ति । इयं वीरप्रसूता भूमि अस्ति।
    विविधतायाम् एक भारतस्य विशेषता अस्तिा अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः । राष्ट्रियवाक्यम् - "सत्यमेव जयते नानृतम"। राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति। संस्कृतभाषा एव अस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। अस्य देशस्य गौरवम् प्राचीनम् अस्ति। जानविज्ञाने अयम् देशः विश्वगुरुः इति कथ्यते। भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य, धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत इति अयम् अस्माकं संकल्पः। प्रत्येक नागरिकः भारतदेशस्य विकासाय प्रयत्नशीलो भवेत्।

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    राष्ट्रियवाक्यं किम् ?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - राष्ट्रीय वाक्य क्या है ?

    स्पष्टीकरण -

    • गद्यांश के अनुसार - राष्ट्रियवाक्यम्- "सत्यमेव जयते नानृतम्"।
    • अर्थ - राष्ट्रीय वाक्य है - ‘सत्यमेव जयते नानृतम्’ (सत्य की ही जय हो, असत्य की नहीं)

     

    गद्यांश से स्पष्ट है कि राष्ट्रीय वाक्य सत्यमेव जयते है। अतः यहाँ सत्यमेव जयते सही उत्तर है।

     

    Additional Information

    शब्दार्थ -

    • एव - ही (अव्यय पद)
    • नानृतम् - असत्य/झूठ की नहीं (न + अनृतम् - दीर्घ सन्धि)
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः अधोलिखितम् गद्यांश पठित्वा एतदाधारित् प्रश्नान् उत्तरत्तः

    अयम् अस्माकं भारतदेशः अस्ति।​ यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म, तस्य सम्बन्धात् अस्य नाम भारतम् इति। अस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय: पर्वत:, दक्षिणस्याम् च हिन्दमहासागरः अस्ति अत्र गंगायमनासरयूगोदावरीप्रभृतय: देवनद्यः प्रवहन्ति, यासां जलेन भारतभूमिः शस्यश्यामला अस्ति । इयं वीरप्रसूता भूमि अस्ति।
    विविधतायाम् एक भारतस्य विशेषता अस्तिा अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः । राष्ट्रियवाक्यम् - "सत्यमेव जयते नानृतम"। राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति। संस्कृतभाषा एव अस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। अस्य देशस्य गौरवम् प्राचीनम् अस्ति। जानविज्ञाने अयम् देशः विश्वगुरुः इति कथ्यते। भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य, धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत इति अयम् अस्माकं संकल्पः। प्रत्येक नागरिकः भारतदेशस्य विकासाय प्रयत्नशीलो भवेत्।

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    सिंहशीर्ष किम्?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - सिंहशीर्ष क्या है?

    स्पष्टीकरण -

    • गद्यांश के अनुसार - राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति।
    • अर्थ - राष्ट्रियचिह्न सिंहशीर्ष, राष्ट्रगाीत और राष्ट्रभाषा इसकी राष्ट्रीयता की मुख्याधाराएं हैं।

     

    गद्यांश से स्पष्ट है कि सिंहशीर्ष हमारा राष्ट्रीय चिन्ह है।

    अतः यहाँ राष्ट्रीय चिन्ह सही उत्तर है।

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः अधोलिखितम् गद्यांश पठित्वा एतदाधारित् प्रश्नान् उत्तरत्तः

    अयम् अस्माकं भारतदेशः अस्ति।​ यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म, तस्य सम्बन्धात् अस्य नाम भारतम् इति। अस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय: पर्वत:, दक्षिणस्याम् च हिन्दमहासागरः अस्ति अत्र गंगायमनासरयूगोदावरीप्रभृतय: देवनद्यः प्रवहन्ति, यासां जलेन भारतभूमिः शस्यश्यामला अस्ति । इयं वीरप्रसूता भूमि अस्ति।
    विविधतायाम् एक भारतस्य विशेषता अस्तिा अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः । राष्ट्रियवाक्यम् - "सत्यमेव जयते नानृतम"। राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति। संस्कृतभाषा एव अस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। अस्य देशस्य गौरवम् प्राचीनम् अस्ति। जानविज्ञाने अयम् देशः विश्वगुरुः इति कथ्यते। भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य, धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत इति अयम् अस्माकं संकल्पः। प्रत्येक नागरिकः भारतदेशस्य विकासाय प्रयत्नशीलो भवेत्।

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    'राष्ट्रभाषा' इत्यत्र कः समासः?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'राष्ट्रभाषा' यहाँ कौन-सा समास है?

    स्पष्टीकरण -

    • शब्द - राष्ट्रभाषा
    • अर्थ - राष्ट्र की भाषा
    • विग्रह - राष्ट्रस्य भाषा

     

    सूत्र - षष्ठी।

    • नियम - जब प्रथम शब्द में षष्ठी विभक्ति होती है, तो वहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास होता है, षष्ठी तत्पुरुष समास तत्पुरुष समास का ही भेद है। 

    उदाहरण - 

    • पशूनां पतिः - पशुपतिः
    • नियमानुसार पशुपतिः पद में प्रथम पद में षष्ठी विभक्ति है। जहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास है।  

     

    इसी नियमानुसार राष्ट्रभाषा पद में तत्पुरुष समास है।

    अतः यहाँ तत्पुरुष सही उत्तर है।

     

    Additional Information

    समसनं समासः अर्थात् संक्षिप्त होने को समास कहते हैं। समास एक संज्ञा है। दो या दो से अधिक शब्दों का जब समास होकर एक पद बनता है, तो उसे समास कहते हैं। 

    समास में दो पद होते हैं - 1. पूर्व पद, 2. उत्तर पद

    समास के मुख्यतः 4 भेद है। 

    1. अव्ययीभाव
    2. तत्पुरुष
    3. बहुव्रीहि
    4. द्वन्द्व

    (1) अव्ययीभाव समास - ‘पूर्वपदार्थप्रधानोSव्ययीभावः’ अर्थात् जिस पद में पूर्व पद की प्रधानता हो या पद का आरम्भ किसी अव्यय पद से हो रहा हो, वहाँ अव्ययीभाव समास होता है।

    उदाहरण - 

    • रूपस्य योग्यम् - अनुरूपम्
    • रामस्य पश्चात् - अनुरामम्

    (2) तत्पुरुष समास - ‘उत्तरपदप्रधानो तत्पुरुषः’ अर्थात जिस पद में उत्तर पद प्रधान होता है, वहाँ तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • सुखम् आपन्नः - सुखापन्नः
    • कूपं पतितः - कूपपतितः

     

    तत्पुरुष समास के मुख्यतः दो भेद होते हैं

    • व्यधिकरण तत्पुरुष समास 
    • समानाधिकरण तत्पुरुष

    1. व्यधिकरण तत्पुरुष समास के सात (7) भेद होते हैं, जो निम्नलिखित हैं - 

     

    द्वितीया तत्पुरुष - जहाँ श्रित, अतीत, पतित, गत, अत्यस्त, प्राप्त और आपन्न इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण -

    • शोकं पतितः - शोकपतितः

     

    तृतीया तत्पुरुष - जहाँ तृतीयान्त शब्द के साथ पूर्व, सदृश, सम शब्द आता है, तो वहाँ तृतीया तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • पित्रा समः - पितृसमः 

     

    चतुर्थी तत्पुरुष - जहाँ पूर्व पद चतुर्थी विभक्ति में होता है अथवा बलि, हित, सुख, रक्षित इन शब्दों को संयोग होता है,  वहाँ चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण -

    • ब्राह्मणाय हितम् - ब्राह्मणहितम्

     

    पञ्चमी तत्पुरुष - जहाँ भय, भीत, भीति इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • व्याघ्राद् भीतिः - व्याघ्रभीतिः

     

    षष्ठी तत्पुरुष - जब पूर्व पद षष्ठी विभक्ति में होता है, तो वहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • देवानां भाषा - देवभाषा

     

    सप्तमी तत्पुरुष - जब पूर्व पद सप्तमी विभक्ति में रहता है अथवा शौण्ड (चतुर), धूर्त, कितव (शठ), प्रवीण, कुशल, पण्डित इन शब्दों का संयोग होता है, तो वहाँ सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। 

    उदाहरण - 

    • सभायां पण्डितः - सभापण्डितः

     

    नञ् तत्पुरुष - जब पूर्व पद शब्द हो, तथा उत्तर पद कोई संज्ञा या विशेषण हो तो, वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है।

    उदाहरण

    • न कृतम् - अकृतम्

     

    2. समानाधिकरण तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं - 

    • कर्मधारय तत्पुरुष
    • द्विगु तत्पुरुष समास

     

    (1) कर्मधारय तत्पुरुष समास - ऐसा तत्पुरुष समास जहाँ विशेषण-विशेष्य और उपमान-उपमेय का सम्बन्ध होता है, वह कर्मधारय समास होता है।   

    उदाहरण

    • पीतम् उत्पलम् - पीतोत्पलम्
    • घन इव श्यामः - घनश्यामः

     

    (2) द्विगु तत्पुरुष समास - जहाँ प्रथम पद संख्यावाची होता है, वहाँ द्विगु समास होता है। यह तत्पुरुष समास का ही भेद है।

    उदाहरण

    • त्रयानां  भुवनानां समाहारः - त्रिभुवनम् 
    • चतुर्णां भुजानां समाहारः - चतुर्भुजम्

     

    (3) बहुव्रीहि समास - ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ दो या दो से अधिक समस्त शब्द किसी अन्य पद को इंगित करते हैं, वहाँ बहुव्रीहि समास होता है।

    उदाहरण - 

    • महान् आत्मा यस्य सः (बुद्धः) - महात्मा
    • दश आननानि यस्य सः (रावणः) - दशाननः

     

    (4) द्वन्द्व समास - ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद (पूर्व पद एवं उत्तर पद) प्रधान होते हैं, वहाँ द्वन्द्व समास होता है।

    उदाहरण -

    • रामश्च लक्ष्मणश्च भरतश्च - रामलक्ष्मणभरताः
    • पाणी च पादौ च - पाणिपादम्
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देशः अधोलिखितम् गद्यांश पठित्वा एतदाधारित् प्रश्नान् उत्तरत्तः

    अयम् अस्माकं भारतदेशः अस्ति।​ यत्र भरतनामक: राजा वसति स्म, तस्य सम्बन्धात् अस्य नाम भारतम् इति। अस्य उत्तरस्यां दिशि हिमालय: पर्वत:, दक्षिणस्याम् च हिन्दमहासागरः अस्ति अत्र गंगायमनासरयूगोदावरीप्रभृतय: देवनद्यः प्रवहन्ति, यासां जलेन भारतभूमिः शस्यश्यामला अस्ति । इयं वीरप्रसूता भूमि अस्ति।
    विविधतायाम् एक भारतस्य विशेषता अस्तिा अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः । राष्ट्रियवाक्यम् - "सत्यमेव जयते नानृतम"। राष्ट्रियचिह्नम् सिंहशीर्षम्, राष्ट्रगाीतं, राष्ट्रभाषा च अस्य राष्ट्रियतायाः मुख्याधारा: सन्ति। संस्कृतभाषा एव अस्य प्राचीनतमा भाषा अस्ति। अस्य देशस्य गौरवम् प्राचीनम् अस्ति। जानविज्ञाने अयम् देशः विश्वगुरुः इति कथ्यते। भारतस्य उन्नत्यै एव अस्माकं समयस्य, धनस्य च अधिकतमः उपयोगः भवेत इति अयम् अस्माकं संकल्पः। प्रत्येक नागरिकः भारतदेशस्य विकासाय प्रयत्नशीलो भवेत्।

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    राष्ट्रियध्वजः कतिवर्णात्मकः?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - राष्ट्रीय ध्वज कितने रंगों का है?

    स्पष्टीकरण -

    • गद्यांश के अनुसार - अस्माकं राष्ट्रध्वज: त्रिवर्णात्मकः
    • अर्थ - हमारे राष्ट्र ध्वज (झंडा) तीन रंगों से युक्त है।

     

    हमारे ध्वज में केसरिया, सफेद और हरा ये तीन रंग है।

     

    अतः यहाँ तीन (त्रि) सही उत्तर है।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश:- अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-

          साम्प्रतिकं युगं वैज्ञानिकं युगं वर्तते। अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत्। सर्वेषां जीवने विज्ञानोपकरणानि प्रविष्टानि। नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति। रेलयानं दूरं गन्तुं लोकप्रियं वाहनम् अस्ति। दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते। अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं वर्तते। तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः। चित्रस्थपात्राणां वचानानि श्रुणुमः। कम्प्यूटरयन्त्रम् लघुकायमपि महदुपकारकं वर्तते। यद्यपि सहस्राधिकानां विज्ञानोपकरणानां प्रयोगः अहर्निशं भवति तथापि जनानां सुविधावर्धनार्थं नवीनानि उपकरणानि आविष्क्रियन्ते। आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरीक्रियन्ते। जनानां जीवने सुखं च वर्धते।

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    'नगरेषु' पदे किं विभक्ति वचनं च?
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'नगरेषु' पद में कान सी विभक्ति और वचन है?

    स्पष्टीकरण - 'नगरेषु' पद में 'नगर' प्रातिपदिक के रूप की योजना हुई है।

    नगरेषु पद नगर अकारान्त नपुंसकलिङ्ग शब्दरूप के सप्तमी विभक्ति-बहुवचन का रूप है।

    अकारान्त नपुंसकलिङ्ग ‘नगर’ शब्द से विभिन्न विभक्ति और वचन में रूप निम्नलिखित है -

    ‘नगर’ शब्द अकारान्त नपुंसकलिङ्ग

    विभक्ति

    एकवचन

    द्विवचन

    बहुवचन

    प्रथमा

    नगरम्

    नगरे

    नगराणि

    द्वितीया

    नगरम्

    नगरे

    नगराणि

    तृतीया

    नगरेण

    नगराभ्यां

    नगरैः

    चतुर्थी

    नगरा

    नगराभ्यां

    नगरेभ्यः

    पञ्चमी

    नगरात्

    नगराभ्यां

    नगरेभ्यः

    षष्ठी

    नगरस्य

    नगरयोः

    नगराणाम्

    सप्तमी

    नगरे

    नगरयोः

    'नगरेषु'

    सम्बोधन

    हे नगर

    हे नगरे

    हे नगराणि

     

    अतः स्पष्ट होता है कि 'नगरेषु' पद 'नगर' अकारान्त नपुंसकलिङ्ग के सप्तमी-बहुवचन का रूप है।

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश:- अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-

          साम्प्रतिकं युगं वैज्ञानिकं युगं वर्तते। अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत्। सर्वेषां जीवने विज्ञानोपकरणानि प्रविष्टानि। नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति। रेलयानं दूरं गन्तुं लोकप्रियं वाहनम् अस्ति। दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते। अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं वर्तते। तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः। चित्रस्थपात्राणां वचानानि श्रुणुमः। कम्प्यूटरयन्त्रम् लघुकायमपि महदुपकारकं वर्तते। यद्यपि सहस्राधिकानां विज्ञानोपकरणानां प्रयोगः अहर्निशं भवति तथापि जनानां सुविधावर्धनार्थं नवीनानि उपकरणानि आविष्क्रियन्ते। आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरीक्रियन्ते। जनानां जीवने सुखं च वर्धते।

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    सर्वे जनाः कस्य साधनस्य प्रयोगं कुर्वन्ति?
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - सभी लोग किस साधन का प्रयोग करते हैं?

    स्पष्टीकरण - गद्यांश मे उल्लिखित है- 'नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति।' अर्थात् 'नगर में और गावों में सभी लोग अपने अपने कामों में विज्ञान के साधनों का प्रयोग करने है।'

    अतः उचित पर्याय 'विज्ञानस्य' होता है।

  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश:- अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-

          साम्प्रतिकं युगं वैज्ञानिकं युगं वर्तते। अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत्। सर्वेषां जीवने विज्ञानोपकरणानि प्रविष्टानि। नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति। रेलयानं दूरं गन्तुं लोकप्रियं वाहनम् अस्ति। दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते। अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं वर्तते। तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः। चित्रस्थपात्राणां वचानानि श्रुणुमः। कम्प्यूटरयन्त्रम् लघुकायमपि महदुपकारकं वर्तते। यद्यपि सहस्राधिकानां विज्ञानोपकरणानां प्रयोगः अहर्निशं भवति तथापि जनानां सुविधावर्धनार्थं नवीनानि उपकरणानि आविष्क्रियन्ते। आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरीक्रियन्ते। जनानां जीवने सुखं च वर्धते।

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    दूरस्थाः शब्दाः कस्मिन् माध्यमेन गृह्यते?
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - दूर के शब्दों को किस माध्यम से सुनते है।

    स्पष्टीकरण - गद्यांश में विविध यंत्रो के बारे में कहते हुए कहा गया है।- 'दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते।' अर्थात 'दूर के शब्दों को रेडिओ के माध्यम के सूना जाता है।

    अतः उचित पर्याय 'रेडियो' होता है।

  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश:- अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-

          साम्प्रतिकं युगं वैज्ञानिकं युगं वर्तते। अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत्। सर्वेषां जीवने विज्ञानोपकरणानि प्रविष्टानि। नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति। रेलयानं दूरं गन्तुं लोकप्रियं वाहनम् अस्ति। दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते। अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं वर्तते। तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः। चित्रस्थपात्राणां वचानानि श्रुणुमः। कम्प्यूटरयन्त्रम् लघुकायमपि महदुपकारकं वर्तते। यद्यपि सहस्राधिकानां विज्ञानोपकरणानां प्रयोगः अहर्निशं भवति तथापि जनानां सुविधावर्धनार्थं नवीनानि उपकरणानि आविष्क्रियन्ते। आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरीक्रियन्ते। जनानां जीवने सुखं च वर्धते।

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    'गन्तुम्' इत्यत्र प्रत्ययम् अस्ति -
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'गन्तुम्' यहाँ प्रत्यय है-

    स्पष्टीकरण - 

    शब्द - 'गन्तुम्'

    प्रत्यय - तुमुन् 

    धातु - 'गम-गच्छ धातु 

    सूत्र - ‘तुमुन्ण्वुलौ क्रियायां क्रियार्थायाम्’ सूत्र से क्रियार्थ क्रिया अर्थात् चतुर्थी विभक्ति के अर्थ में प्रयुक्त क्रिया में तुमुन् प्रत्यय होता है। ‘राम पीने के लिए पानी लाता है।’ यहाँ क्रियार्था क्रिया पीने के लिए है। अतः यहाँ ‘पा’ धातु से 'तुमुन्' प्रत्यय होगा। 'तुमुन्' प्रत्यय में ‘हलन्त्यम्’ से ‘न्’ और ‘उपदेशेऽजनुनासिक’ से ‘उ’ का लोप हो ‘तुम्’ पद शेष बचता है जो धातु से जुड़ता है। अतः 'पा + तुमुन् + पातुम्।' 

    उदाहरण -

    • स्थातुम् - स्था + तुमुन्
    • कर्तुम्  - कृ + तुमुन् 
    • रक्षितुम् - रक्ष् + तुमुन्
    • गन्तुम् - गम-गच्छ + तुमुन्
    • जेतुम् - जि + तुमुन्
    • प्राप्तुम् - प्र + आप् + तुमुन्

    अतः स्पष्ट है कि 'प्राप्तुम्' में तुमुन् प्रत्यय है।

    Additional Information

    प्रत्यय:- ‘प्रति’ उपसर्ग पूर्वक ‘इण्’ धातु से ‘अच्’ प्रत्यय होकर ‘प्रत्यय’ पद निष्पन्न होता है। जिसका अर्थ होता है वे शब्द या शब्दांश जो अन्य शब्द के अन्त में जुड़कर नये सार्थक शब्दों का निर्माण करते हैं प्रत्यय कहलाते है। जैसे - गम् + क्त्वा = गत्वा।

    प्रत्यय पाँच प्रकार के होते हैं-

    नाम

    परिभाषा

    उदाहरण

    विभक्ति

    मूल धातु या प्रातिपदिक से पद बनाने के लिये जुड़ते है। सुप् और तिङ्ग इनके अन्तर्गत आते हैं।

    पठ् + तिप् = पठति

    राम + सु = रामः

    कृत्

    धातु के अन्त में जुड़ते हैं।

    धृ + क्तिन् = धृति

    तद्धित

    शब्दों के अन्त में जुड़ते हैं।

    श्रेष्ठ + तमप् = श्रेष्ठतम्

    स्त्रीप्रत्यय

    पुं. स्त्री. में परिवर्तित करने के लिए जुड़ता है।

    बालक + टाप् = बालिका

    धातु-अवयव

    प्रत्यय से पूर्व जुड़ने वाला प्रत्यय होता है।

    पठ् + णिच् + तिप् = पाठयति

    पठ् + णिच् + शतृ = पाठयन्

  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश:- अधोलिखितं गद्यांशं पठित्वा तदाधारितप्रश्नानां विकल्पात्मकोत्तरेषु उचिततमम् उत्तरं चित्वा लिखत-

          साम्प्रतिकं युगं वैज्ञानिकं युगं वर्तते। अद्य मानवः तथैव नास्ति यथा शतं वर्षाणि पूर्वमासीत्। सर्वेषां जीवने विज्ञानोपकरणानि प्रविष्टानि। नगरेषु ग्रामेषु च सर्वे जनाः स्व स्व कार्येषु विज्ञानस्य साधनानां प्रयोगं कुर्वन्ति। रेलयानं दूरं गन्तुं लोकप्रियं वाहनम् अस्ति। दूरस्थाः शब्दाः अपि रेडियो माध्यमेन गृह्यन्ते। अधुना टेलीविजनयन्त्रं महदुपकारकं वर्तते। तेन गृहे स्थिताः वयं चित्राणि पश्यामः। चित्रस्थपात्राणां वचानानि श्रुणुमः। कम्प्यूटरयन्त्रम् लघुकायमपि महदुपकारकं वर्तते। यद्यपि सहस्राधिकानां विज्ञानोपकरणानां प्रयोगः अहर्निशं भवति तथापि जनानां सुविधावर्धनार्थं नवीनानि उपकरणानि आविष्क्रियन्ते। आयुर्विज्ञानस्य आविष्कारैः रोगाः दूरीक्रियन्ते। जनानां जीवने सुखं च वर्धते।

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    'अधुना’ इति पदं कीदृशं पदमस्ति?
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद:- `अधुना’ यह पद किस प्रकार का है?  

    स्पष्टीकरण:- अव्यय से तात्पर्य उन पदों से है जो सभी लिङ्गों, सभी विभक्तियों तथा सभी वचनों में एक से रहते हैं-

    सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु, सर्वासु च विभक्तिषु।

    वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥

    अर्थात् जो प्रत्येक स्थिति में व्यय रहित (अपरिवर्तनशील) रहें उन्हें अव्यय कहे जाते हैं। यथा- अर्थात्, तथा, यथा, अन्यत्र इत्यादि।

    मुख्यतः अव्यय चार प्रकार के होते हैं-

    • उपसर्ग:- प्र, परा, अपादि 2न                                                          
    • क्रियाविशेषण:- अद्य, अत्र, अधुना, किल् आदि।समुच्चय बोधक:- च, तथा, एवं, इति, तथापि, अपि, वा आदि।
    • मनोविकारसूचक अर्थात् विस्मयसूचक:- अहो, हन्त, धिक् आदि।


    इसके अतिरिक्त क्त्वा, ल्यप्, तुमुनादि कृदन्तपद, तसिल्, तल्, थालादि तद्धितान्त और अव्ययीभाव समास से बने पद भी अव्यय होते हैं-

    • कृदन्त:- गत्वा, कर्तुम् आदि।
    • तद्धितान्त:- एकत्र, एद्कदा, सर्वथा आदि।
    • अव्ययीभाव समस्तपद:- अनुरूपम्, अनुकूलम् इत्यादि।


    अतः स्पष्ट है कि अधुना अव्यय पद है।

    Additional Information

    • विशेषणपदम् – संज्ञा अथवा सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताने वाले शब्दों को विशेषण कहते हैं, जैसे कृष्णः सर्पः, सुन्दरः बालकः, गौरी बालिका इत्यादि।
    • कर्तृपदम् – वाक्य में स्वतन्त्र रूप से कार्य करने वाले को कर्ता कहते हैं। `रामः गच्छति’ में रामः स्वतन्त्र रूप से कार्य करने वाला है।
    • क्रियापदम् – जो कार्य किया जाता है, जैसे `रामः गच्छति’ में जाने का कार्य हो रहा है।
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