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Sanskrit Language Test - 5

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Sanskrit Language Test - 5
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1
    'अधिहरि' इत्यत्र समासः भवति-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'अधिहरि' यहाँ समास है-

    स्पष्टीकरण -

    जहाँ पूर्वपद अव्यय हो उसे अव्ययीभाव समास कहते हैं। जैसे - ‘अधिहरि’ में अधि उपसर्ग जो कि एक अव्यय है के साथ समास हुआ है, जिसका समास विग्रह होता है - हरौ इति (हरि के विषय में)

    सूत्र:- अव्ययं विभक्ति-समीप-समृद्धि-व्यृद्धि-अर्थाभाव-अत्यय-असम्प्रति-शब्दप्रादुर्भाव-पश्चात्-यथा-आनुपूर्व-यौगपद्य-सादृश्य-सम्पत्ति-साकल्य-अन्तवचनेषु’ अर्थात् समीप, समृद्धि आदि इन अर्थानुकूल अव्ययों के साथ समास हो तो वह अव्ययीभाव समास होता है।

    अतः स्पष्ट है कि अधिहरि पद में अव्ययी भाव समास है।

    Additional Information

    ‘समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:‘विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:-‘ प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:-श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः(हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
  • Question 2
    5 / -1
    'श्रित' संयोगे कः समासः भवति?
    Solution

    प्रश्नानुवाद'श्रित' संयोग में कौन सा समास होता है?

    स्पष्टीकरणश्रित पद के संयोग में तत्पुरुष समास होता है।

    सूत्रद्वितीया श्रितातीतपतितगतात्यस्तप्राप्तापनैः।

    • इस सूत्र के अनुसार श्रित, अतीत, पतित, गत, अत्यस्त, प्राप्त, आपन्न इन शब्दों के योग में द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। यह तत्पुरुष समास का ही भेद है।
      • ​कृष्णं श्रितः - कृष्णश्रितः
      • दुःखमतीतः - दुःखातीतः
      • शोकं पतितः - शोकपतितः
      • प्रलयं गतः - प्रलयगतः
      • मेघम् अत्यस्तः - मेघात्यस्तः
      • सुखं प्राप्तः - सुखप्राप्तः
      • भयम् आपन्नः - भयापन्नः
    • इस सूत्र के अनुसार यह द्वितीया तत्पुरुष समास है, जो तत्पुरुष समास का ही भेद है।

     

    अतः यहाँ तत्पुरुष समास सही उत्तर है।

    Important Points

    तत्पुरुष समास के मुख्यतः दो भेद होते हैं

    • व्यधिकरण तत्पुरुष समास 
    • समानाधिकरण तत्पुरुष

    1. व्यधिकरण तत्पुरुष समास के सात (7) भेद होते हैं, जो निम्नलिखित हैं - 

     

    द्वितीया तत्पुरुष - जहाँ श्रित, अतीत, पतित, गत, अत्यस्त, प्राप्त और आपन्न इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - शोकं पतितः - शोकपतितः

     

    तृतीया तत्पुरुष - जहाँ तृतीयान्त शब्द के साथ पूर्व, सदृश, सम शब्द आता है, तो वहाँ तृतीया तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - पित्रा समः - पितृसमः 

    चतुर्थी तत्पुरुष - जहाँ पूर्व पद चतुर्थी विभक्ति में होता है अथवा बलि, हित, सुख, रक्षित इन शब्दों को संयोग होता है,  वहाँ चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - ब्राह्मणाय हितम् - ब्राह्मणहितम्

     

    पञ्चमी तत्पुरुष - जहाँ भय, भीत, भीति इन शब्दों का संयोग होता है, वहाँ पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - व्याघ्राद् भीतिः - व्याघ्रभीतिः

     

    षष्ठी तत्पुरुष - जब पूर्व पद षष्ठी विभक्ति में होता है, तो वहाँ षष्ठी तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - देवानां भाषा - देवभाषा

     

    सप्तमी तत्पुरुष - जब पूर्व पद सप्तमी विभक्ति में रहता है अथवा शौण्ड (चतुर), धूर्त, कितव (शठ), प्रवीण, कुशल, पण्डित इन शब्दों का संयोग होता है, तो वहाँ सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। 

    • उदाहरण - सभायां पण्डितः - सभापण्डितः

     

    नञ् तत्पुरुष - जब पूर्व पद शब्द हो, तथा उत्तर पद कोई संज्ञा या विशेषण हो तो, वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है।

    • उदाहरणन कृतम् - अकृतम्

     

    2. समानाधिकरण तत्पुरुष समास के दो भेद होते हैं - 

    • कर्मधारय तत्पुरुष
    • द्विगु तत्पुरुष समास

     

    (1) कर्मधारय तत्पुरुष समास - ऐसा तत्पुरुष समास जहाँ विशेषण-विशेष्य और उपमान-उपमेय का सम्बन्ध होता है, वह कर्मधारय समास होता है।   

    उदाहरण

    • पीतम् उत्पलम् - पीतोत्पलम्
    • घन इव श्यामः - घनश्यामः

    (2) द्विगु तत्पुरुष समास - जहाँ प्रथम पद संख्यावाची होता है, वहाँ द्विगु समास होता है। यह तत्पुरुष समास का ही भेद है।

    उदाहरण

    • त्रयानां  भुवनानां समाहारः - त्रिभुवनम् 
    • चतुर्णां भुजानां समाहारः - चतुर्भुजम्
  • Question 3
    5 / -1
    ‘रामकृष्णौ’ इत्यस्य पदस्य समास-विग्रहः अस्ति-
    Solution

    प्रश्न का हिंदी अनुवाद - ‘रामकृष्णौ’ इस पद का समास-विग्रह है-

    स्पष्टीकरण -

    • 'रामकृष्णौ' का समासविग्रह होता है- ‘रामः च कृष्णः च’
    • यहाँ 'चार्थे द्वन्द्व' सूत्र से 'द्वन्द्व समास’ हुआ है। यदि दो या दो से अधिक संज्ञाएँ शब्द से जुड़कर बनती हैं, तो वहाँ द्वन्द्व समास होता है। इस समास में दोनों पद की प्रधानता होती हैं।

     

    अतः यहाँ रामः च कृष्णः च सही उत्तर है। क्योंकि दोनों ही पद संज्ञा शब्द है तथा च शब्द के संयोग से बने हैं।

    Additional Information

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:-

    • माता च पिता च = पितरौ
    • हरिः च हरः च = हरिहरौ
    • रामश्च कृष्णश्च = रामकृष्णौ 

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
  • Question 4
    5 / -1
    'शास्त्रपारङ्गतः' इत्यस्य विग्रहवाक्यः कः?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'शास्त्रपारङ्गतः' इसका विग्रह वाक्य क्या है?

    तत्पुरुषः – ‘प्रायेण उत्तरपदार्थप्रधानः तत्पुरुषः’ अर्थात् जिस समास में उत्तर पद का अर्थ प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।

    उदाहरण -

    • रामाश्रितः – रामम् आश्रितः
    • अनर्थः – न अर्थः
    • राजपुत्रः – राज्ञः पुत्रः

    Important Points

    पद - शास्त्रपारङ्गतः

    समास विग्रह:– शास्त्रेषु पारङ्गतः (शास्त्रों में पारङ्गत)

    सूत्र - सप्तमी शौण्डैः

    • नियम - शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-
      • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
      • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    अतः ‘शास्त्रपारङ्गतः’ का समास शास्त्रेषु पारङ्गतः होता है।

  • Question 5
    5 / -1
    प्रयोगपूर्वपदप्रधानसमासः कः?
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद:– (जिस समास में) पूर्व पद प्रधान होता है-

    ‘अनेकपदानाम् एकपदीभवनं समासः’ अर्थात् अनेक पदों का एक पद होने को समास कहते हैं।

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभावः – ‘पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभवः अर्थात् जिस समास मे पूर्वपद प्रधान/मुख्य हो, उसे अव्ययीभाव समास कहते है इस समास मे पूर्वपद प्रायः अव्यय होता है

    उदा.

    समास

    पूर्वपद

    उत्तरपद

    प्रतिदिनम्

    प्रति

    दिनम्

     

    अतः अव्ययीभाव समास पूर्वपद प्रधान होता है।

     

    (3) तत्पुरुषः – ‘प्रायेण उत्तरपदार्थप्रधानः तत्पुरुषः’ अर्थात् जिस समास मे उत्तरपद का अर्थ प्रधान होता है, उसे तत्पुरुष समास कहते है

    उदा.

    • रामाश्रितः – रामम् आश्रितः
    • अनर्थः – न अर्थः
    • राजपुत्रः – राज्ञः पुत्रः

    (4) द्वन्द्वः – ‘उभयपदार्थप्रधानः द्वन्द्वः’ अर्थात् जिस समास मे दोनो पदो कि प्रधानता होती है, उसे द्वन्द्व समास कहते है

    उदा.

    • रामलक्ष्मणौ – रामः च लक्ष्मणः च
    • पाणिपादम् – पाणी च पादौ च तेषां समाहारः
    • पितरौ – माता च पिता च

    (5) बहुव्रीहि – ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहि’ अर्थात् जिस समास मे अन्य पद का अर्थ प्रधान होता है उसे ‘बहुव्रीहि’ समास कहते है

    उदा.

    • लम्बोदरः – लम्बम् उदरं यस्य सः
    • नीलकण्ठः – नीलं कण्ठं यस्य सः

     

    अतः स्पष्ट होता है कि उचित पर्याय ‘अव्ययीभाव समास’ होगा।

  • Question 6
    5 / -1
    'नखैर्भिन्नः' पदस्य विग्रहः वर्तते-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'नखैर्भिन्नः' पद का विग्रह है-

    पद - नखैर्भिन्नः

    समास विग्रह - नखैः भिन्नः

    • नखैर्भिन्नः का विग्रह 'नखैः भिन्नः' होगा। जिसका अर्थ है - नख से भिन्न
    • यह समास उत्तरपद प्रधान है और प्रथम पद तृतीया होने से 'कर्तृकरणे कृता बहुलम्' इस सूत्र से तृतीया तत्पुरुष समास होता है।


    अतः स्पष्ट है कि नखैर्भिन्नः में तृतीया तत्पुरुषः समास है।

  • Question 7
    5 / -1
    'राजपुरुषः' अस्मिन् पदे समासः अस्ति
    Solution

    प्रश्न अनुवाद - राजपुरुषः इस पद में समास है।

    समास विग्रह - राज्ञः पुरुषः
    सामासिक पद - राजपुरुषः
    समास - तत्पुरुष समास (षष्ठी विभक्ति)

    स्पष्टीकरण -

    लघुसिद्धान्तकौमुदी के ‘उत्तरपदप्रधान तत्पुरुषः'  इस सूत्र के अनुसार जिस समास में उत्तरपद प्रधान होता है वह तत्पुरुष समास है। तत्पुरुष समास में दोनो पदो का संबंध विभक्ति से दिखाया जाता है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    राजपुरुष इस सामासिक पद में षष्ठी इस सूत्र से राज्ञः पुरुषः यह समास विग्रह होता है।

    उदाहरण​

    • सूर्यस्य उदयः - सूर्योदयः।
    • देवानां भाषा - देवभाषा।
    • राज्ञः पुत्रः - राजपुत्रः।

    अतः यह स्पष्ट होता है कि, राजपुरुष यह तत्पुरुष समास या षष्ठी तत्पुरुष समास है।

    Additional Information

    ‘समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:‘विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:- पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    A) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    B) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है।

    • माता च पिता च = पितरौ
    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
  • Question 8
    5 / -1
    'कृष्णस्य समीपम्' अस्य समस्तपदं वर्तते-
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'कृष्णस्य समीपम्' इसका समस्तपद है-

    समस्तपद - उपकृष्णम्

    समासविग्रह - कृष्णस्य समीपम्

    अर्थ - कृष्ण के पास

    उपर्युक्त समास में पूर्वपद 'उप्' और पद 'कृष्ण' है। 'उप' अव्यय है और पद में प्रधान है। तथापि जब समस्तपद में पूर्वपद अव्यय होने के साथ ही प्रधान होता है तब वह समास पूर्वपद प्रधान अव्ययीभाव समास होता है। अव्ययं विभक्ति-समीप-समृद्धि-व्यृद्धि-अर्थाभाव-अत्यय-असम्प्रति-शब्दप्रादुर्भाव-पश्चात्-यथा-आनुपूर्व-यौगपद्य-सादृश्य-सम्पत्ति-साकल्य-अन्तवचनेषु’ अर्थात् समीप, समृद्धि आदि इन अर्थानुकूल अव्ययों के साथ समास हो तो वह अव्ययीभाव समास होता है।

    उदाहरण-

    1. विभक्ति-
      • अधिहरि = हरौ इति
    2. समीप-
      • उपकृष्णम् = कृष्णस्य समीपम्
    3. समृद्धि-
      • सुमद्रम् = मद्राणां समृद्धि
    4. व्यृद्धि-
      • दुर्गवदिकम् = गवदिकानाम् ऋद्धेरभावः
    5. अर्थाभाव-
      • निर्मक्षिकम् = मक्षिकाणाम् अभाव
    6. अत्यय-
      • अतिहिमम् = हिमस्य अत्ययः 
    7. असम्प्रति-
      • अतिनिद्रम् = निद्रा सम्प्रति न युज्यते
    8. शब्दप्रादुर्भाव-
      • इतिहरि = हरि शब्दस्य प्रकाशः
    9. पश्चात्-
      • अनुरामम् = रामस्य पश्चात्
    10. यथा-
      • अनुरूपम् = रूपस्य योग्यम्
    11. आनुपूर्व-
      • अनुज्येष्ठम् = ज्येष्ठस्य आनुपूण
    12. यौगपद्य-
      • सहर्षम् = हर्षेण युगपत्
    13. सादृश्य-
      • सवर्णम् = सदृशः वर्णेन
    14. सम्पत्ति-
      • सुक्षत्रम् = क्षत्राणां संपत्तिः 
    15. साकल्य-
      • सतृणम् = तृणम् अपि अपरित्यज्य
    16. अन्तवचन-
      • साग्नि = अग्नि पर्यन्तम्
  • Question 9
    5 / -1
    'यूपदारु' पदे समास अस्ति -
    Solution

    प्रश्न का हिन्दी अनुवाद - 'यूपदारु' पद में समास है -

    स्पष्टीकरण -

    पद - यूपदारु

    समास विग्रह - यूपाय दारु

    Important Points

    • यूपदारु का विग्रह 'यूपाय दारु' होगा जिसका अर्थ है खूंटे के लिए लकड़ी
    • यह समास उत्तरपद प्रधान है और प्रथम पद चतुर्थी होने से 'चतुर्थी तदर्थार्थबलिहितसुखरक्षितैः' इस सूत्र से चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है।

    अतः स्पष्ट है कि ‘यूपदारु’ में तत्पुरुषः समास है।

    Additional Information

    समसनं समासम्’ संक्षिप्त करना ही समास होता है अर्थात् दो या दो से अधिक पदों के विभक्ति, समुच्चय बोधक च आदि को संक्षेप करके एक पद बनाने को समास कहते है- ‘अनेकाषां पदानां एकपदी भवनं समासः।’ इसमें पूर्व और उत्तर दो पद होते हैं। यथा-

    • पित्रा युक्तः = पितृयुक्तः
    • यूपाय दारु = यूपदारु
    • माता च पिता च = पितरौ

    समास भेद:- प्रायः समास के पाँच प्रकार बताये गए हैं-

    (1) केवलसमास:विशेषसंज्ञाविनिर्मुक्तः केवल समासः’ अर्थात् विशेष संज्ञा रहित जहाँ केवल समास हो। जैसे:-

    • पूर्वं भूतः = भूतपूर्वः

    (2) अव्ययीभाव:- ‘प्रायेण पूर्वपदार्थप्रधानोऽव्ययीभावो’ अर्थात् जहाँ पूर्व पद प्रधान हो तथा अव्यय हो। जैसे:- 

    • मतिम् अनतिक्रम्य = यथामति

    (3) तत्पुरुष:- ‘उत्तरपदार्थप्रधानस्तत्पुरुषः’ अर्थात् जहाँ उत्तरपद प्रधान हो दोनों पद में अलग-अलग और कभी-कभी समान विभक्ति होती है तथा पूर्वपद के विभक्ति का लोप होता है।

    तत्पुरुष समास के भेद:- इसके दो भेद होते हैं-

    1) व्याधिकरण तत्पुरुष:- इसके सात प्रकार होते हैं-

    द्वितीया तत्पुरुष:- श्रित, अतीत, आगतादि शब्द यदि उत्तरपद हो तो द्वितीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • कृष्णं श्रितः = कृष्णश्रित
    • दुःखम् अतीत = दुःखातीत
    • सुखाद् अपेतः = सुखापेतः।

    तृतीया तत्पुरुष:- हीन, विद्ध आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो तृतीया तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सर्पेण दष्टः = सर्पदष्टः
    • शरेण विद्धः = शरविद्धः
    • विद्यया हीनः = विद्याहीनः।

    चतुर्थी तत्पुरुष:- बलि, अर्थ, तदर्थ आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो चतुर्थी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • भूताय बलिः = भूतबलिः
    • स्नानाय इदम् = स्नानार्थम्
    • तस्मै इदम् = तदर्थम्।

    पञ्चमी तत्पुरुष:- भय, मुक्त, पतित आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो पञ्चमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • चौरद् भयम् = चौरभयम्
    • रोगात् मुक्तः = रोगमुक्तः
    • स्वर्गात् पतितः = स्वर्गपतितः

    षष्ठी तत्पुरुष:- जब समस्त पद में दोनों पद एक दुसरे से सम्बन्धित हो तो षष्ठी तत्पुरुष होता है। जैसे-

    • राज्ञः पुरुषः = राजपुरुषः
    • गङ्गायाः जलम् = गङ्गाजलम्

    सप्तमी तत्पुरुष:- शौण्ड, चतुर, कुशल आदि शब्द यदि उत्तरपद हो तो सप्तमी तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • सभायां पण्डितः = सभापण्डितः
    • कर्मणि कुशलः = कर्मकुशलः

    नञ् तत्पुरुष:- जहाँ पूर्वपद अ, अन् अथवा न हो वहाँ नञ् तत्पुरुष समास होता है। जैसे:-

    • न ज्ञानम् = अज्ञानम्
    • न आदि = अनादि
    • न आस्तिक = अनास्तिक

    2) समानाधिकरण तत्पुरुष:- इसके दो भेद होते हैं-

    कर्मधारय:- विशेषण-विशेष्य तथा उपमानोपमेय पदों का परस्पर समास हो तो कर्मधारय समास होता है। जैसे:-

    • नीलम् उत्पलम् = नीलोत्पलम्
    • चन्द्र इव मुखम् = चन्द्रमुखम्

    द्विगु:- जब विशेषण संख्यावाची हो तो द्विगु समास होता है। जैसे:-

    • त्रयाणां भुवनानां समाहारः = त्रिभुवनम्
    • सप्तानां दिनानां समाहारः = सप्तदिनम्

    (4) द्वन्द्व:- ‘उभयपदार्थप्रधानो द्वन्द्वः’ जहाँ दोनों पद प्रधान हो। इसके विग्रह में च जुडता है। जैसे:- माता च पिता च = पितरौ

    • हरिः च हरः च = हरिहरौ

    इसके तीन प्रकार हैं-

    1. इतरेतर द्वन्द्व
    2. एकशेष द्वन्द्व
    3. समाहार द्वन्द्व

    (5) बहुव्रीहि:- ‘अन्यपदार्थप्रधानो बहुव्रीहिः’ जहाँ अन्य पद प्रधान हो। जैसे:-

    • पीतम् अम्बरं यस्य सः = पीताम्बरः (हरिः)
    • लम्बः उदरः यस्य सः = लम्बोदरः (गणेशः)
  • Question 10
    5 / -1
    'असत्यम्' इत्यत्र कः समासः?
    Solution

    प्रश्नानुवाद - 'असत्यम्' यहाँ कौनसा समास है?

    समस्तपद - असत्यम्

    विग्रह - न सत्यम्

    नञ् तत्पुरुष - इसमें पूर्वपद 'नञ्' होता है, जो समास करते समय अच् से प्रारम्भ होने वाले शब्दों के लिए अन् और व्यञ्जन से प्रारम्भ होने वाले शब्दों के लिए अ होकर जुड़ता है, उसे ञ्​ तत्पुरुष समास कहा जाता हैI जैसे -

    • न कालः = अकालः
    • न सत्यम् = असत्यम्
    • न आगतः = अनागतः
    • न उचितः = अनुचितम्
    • न अङ्गः = अ​नङ्गः

     

    अतः स्पष्ट है कि यहाँ नञ् तत्पुरुष समास उचित विकल्प है।

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