बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा 2022-23 : Civics - नागरिक शास्त्र महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न ( लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर के साथ )

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बिहार बोर्ड 10वीं कक्षा 2022-23 : Civics - नागरिक शास्त्र महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न ( लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न उत्तर के साथ )
बिहार बोर्ड मैट्रिक (कक्षा 10वीं) परीक्षा 2023 के लिए Civics - नागरिक शास्त्र के सब्जेक्टिव प्रश्न ( Class 10th Civics VVI Subjective Question ) इस पोस्ट मे दिये गए है, जो कि सभी छात्रों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
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कक्षा 10वीं Civics - नागरिक शास्त्र के प्रत्येक अध्याय के महत्वपूर्ण सब्जेक्टिव प्रश्न, उत्तर के साथ दिये गए है। जो कि छात्रों के लिए बहुत समय बचाता है। यहां पर Civics - नागरिक शास्त्र के लघु उत्तरीय प्रश्न तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( class 10th Civics Subjective Question ) पढ़ सकते हैं।
Short Answer Questions
लघु उतरीय प्रश्न
1. किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र करे जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाता है।
उत्तर- हमारे संविधान में धर्मनिरपेक्ष समाज की स्थापना हेतु अनेक उपबंध किये गये है जिनमें से दो निम्नलिखित
(I) हमारे देश में किसी भी धर्म को राजकीय धर्म के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है। भारत का संविधान सभी धर्म को समान अधिकार प्रदान करता है।
(II) संविधान में किसी भी नागरिक को यह स्वतंत्रता दी गईहै कि अपने विश्वास से वह किसी भी धर्म को स्वीकार कसकता है। इस आधार पर उसे किसी अवसर से वंचित नहींकिया जा सकता है।
2. सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- सत्ता की साझेदारी का अर्थ सरकार के विभिन्नस्तरों पर सत्ता का बंटवारा होता है। जब कभी एक बड़ाजनसमूह या कोई राजनीतिक दल सरकार पर दबाव बनाकसरकार को अपनी बात मानने परबाध्यकरदेताहैतबइसेभीसत्ताकीसाझेदारीकहाजाता है।
राजनीतिक दल सत्ता में साझेदारी का सबसे जीवंत स्वरूपहै। राजनीतिक दल सत्ता के बटवारें के वाहक से मेलजोलकरने वाले सशक्त माध्यम होते हैं।
3. सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या है?
उत्तर- लोकतंत्र में सरकार की सारी शक्ति किसी एक अंगमें सीमित नहीं रहती है बल्कि सरकार के विभिन्न अंगों केबीच सत्ता का बंटवारा होता है। यह बंटवारा सरकार के तीनों अंग विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच होता है और ये सभी एक ही
स्तर पर अपनी शक्तियों का प्रयोगकरके सत्ता में साझीदार बनते हैं।
दबाव समूह व विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा सरकार परदबाव बनाकर अपनी बात मनवा लेना भी सत्ता कीसाझेदारी कहलाती है।
4. बिहार में हुए 'छात्र आंदोलन' के प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर- बिहार में हुए छात्र आंदोलन के कई कारण थे जिनमेंसे कुछ प्रमुख निम्नलिखित है-
(I) सन 1971-72 में सूखा पड़ने के कारण महंगाई में भारी वृद्धि
(II) तेजी से बढ़ती बेरोजगारी
(III) 1970 के दशक में बेरोजगारी और भ्रष्टाचार में अप्रत्याशित वृद्धि
(IV) सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप (गरीबी हटाओ)इत्यादि ।
5. 'चिपको आंदोलन' का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर- चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड केटेहरी गढ़वाल क्षेत्र से सुंदरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में शुरूहुआ था। सरकार ने आदिवासी समुदाय के लोगों को जंगलोंमें प्रवेश और अंगू के पेड़ काटने पर रोक लगा दी थी।चिपको आंदोलन में
महिलाओं की बड़ी भूमिका थी। इसमेंलोगों ने पेड़ों से चिपक कर पेड़ काटे जाने का विरोध कियाथा। अर्थात यह एक प्रकार का पर्यावरण संरक्षण से संबंधित आंदोलन था।
6. भारतीय किसान यूनियन की मुख्य माँगें क्या थीं?
उत्तर- भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख महेंद्र सिंह टिकैतएवं उसके राष्ट्रीय समायोजन समिति के संयोजक एम.युद्धवीर सिंह थे। इन्होंने किसानों के मांगों को लेकर सरकार को चेतावनी दी थी।
भारतीय किसान यूनियन की मुख्य मांगे निम्नलिखित है-
(I) गन्ना और गेहूं की सरकारी खरीद मूल्य में बढ़ोतरी की करना ।
(II) कृषि से संबंधित उत्पादों के अन्तर्राज्यीय आवाजाही पर लगी पाबंदियों को समाप्त किया जाना ।
(III) समुचित स्तर पर ग्रांटी युक्त बिजली किसानों को उपलब्ध कराना ।
(IV) किसानों के बकाए कर्ज माफ किये जाए |
(V) किसानों के लिए पेंशन योजना का प्रावधान करना ।
7. सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
उत्तर- सूचना के अधिकार आंदोलन की शुरुआत राजस्थानके एक अति पिछड़े क्षेत्र भीम तहसील से हुआ था। सूचना के अधिकार आंदोलन का उद्देश्य यह था कि सरकार एक ऐसा अधिनियम लाए जिसके तहत लोगों को विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी प्राप्त हो सके।
वर्ष 2004 में भारतीय संसद में सूचना के अधिकार संबंधित विधेयक को पेश किया गया और 2005 में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के साथ ही यह अधिनियम का रूप ले लिया ।
8. राजनीतिक दल की परिभाषा दें ।
उत्तर- राजनीतिक दल का आश्य वैसे व्यक्तियों के समूहों से होता है जो एक समान उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए कार्य करते है और उन सब का संबंध राजनीतिक क्रियाकलापों से होता है।
जैसे - मतदान करना, चुनाव लड़ना, नीतियां एवं कार्यक्रम तैयार करना । इत्यादि
9. संघ राज्य का अर्थ बताएँ ।
उत्तर- संघ राज्य का तात्पर्य दोहरी सरकार से होता है। इसमे दो तरह की सरकारे होती है।
(I) संघ सरकार ( केंद्र की सरकार )
(II) राज्य सरकार
10. संघीय शासन की दो विशेषताएँ बताएँ ।
उत्तर- संघीय शासन की दो विशेषताएं निम्नलिखित है-
(I) संघीय शासन व्यवस्था में सर्वोच्च सत्ता केंद्र सरकार और उसके विभिन्न अनुसंगिक इकाइयों के बीच बंट जाती
(II) संघीय व्यवस्था में दोहरी सरकार होती है। एक केंद्र की सरकार जिस के अधिकार क्षेत्र में राष्ट्रीय महत्व के विषय होते हैं। दूसरा प्रांतीय या क्षेत्रीय सरकार जिसके अधिकार क्षेत्र में स्थानीय महत्व के विषय होते हैं।
11. सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- सत्ता की साझेदारी का अर्थ सरकार के विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बंटवारा होता है। जब कभी एक बड़ा जनसमूह या कोई राजनीतिक दल सरकार पर दबाव बनाकर सरकार को अपनी बात मानने पर बाध्य कर देता है तब इसे भी सत्ता की साझेदारी कहा जाता है।
राजनीतिक दल सत्ता में साझेदारी का सबसे जीवंत स्वरूप है। राजनीतिक दल सत्ता के बटवारें के वाहक से मेलजोल करने वाले सशक्त माध्यम होते हैं ।
12. राष्ट्रीय राजनीतिक दल किसे कहते हैं?
उत्तर- वैसे राजनीतिक दल जो लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में 4 या उससे अधिक राज्यों में कुल वैध मतों का कम से कम 6% प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ वें लोकसभा में कम से कम 2% या 11 सीटें हासिल करते हैं उन्हें भारत के चुनाव
आयोग द्वारा राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता दी जाती है।
13. लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। कैसे?
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उत्तर- लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है। यह कथन पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का है। लोकतांत्रिक सरकार जनता के वोट से चुनी जाती है और अगले चुनाव में कहीं हार न जाए इस डर से अच्छा से अच्छा
काम करने का प्रयास करती है। ऐसी सरकार जनता के मनोभावनाओं को पूरी करना चाहती है। जिससे स्पष्ट होता है कि लोकतंत्र जनता का जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है।
14. परिवारवाद क्या है?
उत्तर- किसी भी पार्टी विशेष अथवा संगठन द्वारा केवल अपने परिवार के लोगों को आगे बढ़ाना ही परिवारवाद कहलाता है। भारत में परिवारवाद का सबसे बड़ा उदाहरण लालू यादव का परिवार एवं मुलायम सिंह यादव का परिवार है।
15. सूचना का अधिकार का कानून लोकतंत्र का रखवाला है, कैसे?
उत्तर- सूचना का अधिकार कानून वर्ष 2005 में लागू हुआ था। इस कानून के तहत कोई भी व्यक्ति देश की किसी भी सरकारी एजेंसी अथवा विभिन्न योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकता है। जिससे पारदर्शिता में स्पष्टता आती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सूचना का अधिकार कानून लोकतंत्र का रखवाला है।
16. जीवन के विभिन्न पहलुओं का जिक्र करें जिनमें भारत के स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में है?
उत्तर- जन्म के साथ ही लड़कियों के साथ भेदभाव आरंभ हो जाता है। लड़की का जन्म होते ही परिवार में उदासी छा जाती है फिर उसके पालन पोषण से लेकर पढ़ाई लिखाई एवं खाने-पीने तक में लड़कों की अपेक्षा कम ध्यान दिया जाता हैं।
भ्रष्ट समाज में तो लड़कियों को बोझ के अलावा कुछ नहीं समझा जाता है। विवाह के बाद ससुराल में भी उसे दोयम दर्जे का पारिवारिक सदस्य माना जाता है।
इस प्रकार जीवन में विभिन्न पहलुओं में अधिकांशतः भारत मे स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है जिससे उनकी स्थिति कमजोर हो जाती है।
17. ग्राम पंचायतों के प्रमुख अंग कौन कौन है -
उत्तर- ग्राम पंचायत के प्रमुख अंग निम्नलिखित है-
(i) ग्राम सभा
(ii) कार्यकारिणी समिति
(iii) मुखिया
(iv) ग्राम सेवक
(v) ग्राम रक्षा दल और
(vi) ग्राम कचहरी
18. लोकतंत्र से क्या समझते हैं?
उत्तर- लोकतंत्र शासन का एक प्रकार है। शासन के सभी व्यवस्थाओं में सबसे उत्कृष्ट लोकतंत्र को माना जाता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के अनुसार लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है ।
19- आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे?
उत्तर- आतंकवाद लोकतंत्र के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे बड़ा दुश्मन आतंकवादी ही होता है जो सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचने में बाधा पहुंचाने का कार्य करता है। लोकतंत्र की महत्वपूर्ण और बड़ी चुनौतियों में आतंकवाद भी शामिल है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
(Long- Answer Questions)
1. ग्राम पंचायतों के कार्य एवं शक्तियों का वर्णन करें।
उत्तर- बिहार में ग्राम पंचायत ग्रामीण क्षेत्रों के लिए त्रिस्तरीय स्थानीय संस्थाओं में सबसे नीचे का स्तर है। राज्य सरकार 7000 की औसत आबादी पर ग्राम पंचायतों की स्थापना करती है। एक पंचायत क्षेत्र 500 को आबादी पर वार्डों में विभक्त होता है। वार्ड सदस्य मतदाता द्वारा चुने जाते हैं। ग्राम पंचायतों का प्रधान मुखिया होता है। हर पंचायत में सरकार की ओर से एक पंचायत सेवक नियुक्त होते हैं, जो सचिव की भूमिका निभाते हैं। प्रत्येक ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग के पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत महिलाओं के लिए संपूर्ण सीटों में 50% आरक्षण की व्यवस्था होती है। यदि ग्राम पंचायतों के सदस्य दो-तिहाई बहुमत से मुखिया के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित करें तो मुखिया अपने पद से हटाये जा सकते हैं।
ग्राम पंचायत के सामान्य कार्य होते हैं
(i) पंचायत क्षेत्र के विकास के लिए वार्षिक योजना तथा वार्षिक बजट तैयार करना ।
(ii) प्राकृतिक विपदा में सहायता करने का कार्य ।
(iii) सार्वजनिक संपत्ति से अतिक्रमण हटाना ।
(iv) स्वैच्छिक श्रमिकों को संगठित करना और सामुदायिक कार्यों में सहयोग देना ।
2. राजनैतिक दल किस तरह से सत्ता में साझेदारी करते हैं?
उत्तर- राजनीतिक दल सत्ता में साझेदारी का सबसे जीवन स्वरूप है। राजनीतिक दल सत्ता के बंटवारे के वाहक से मोलतोल करने वाले सशक्त माध्यम होते हैं। विभिन्न राजनैतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा के रूप में कार्य करते हैं। सत्ता की साझेदारी का प्रत्यक्ष रुप तब दिखता है जब दो या दो से अधिक दले मिलकर चुनाव लड़ते हैं, आखिरकार राजनीतिक दल ही जनता के प्रतिनिधि के रूप में लोकसभा, राज्यसभा अथवा राज्यों के विधान मंडलों में जनता के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचकर जनता के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाते हैं।
सत्ता में भागीदारी या साझेदारी किसी भी लोकतंत्र के लिए एक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण आधार है। इसका महत्व इस कारण से भी बढ़ जाता है कि यही वह माध्यम है जिसके द्वारा जनता सहमति देती है या वापस लेती है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दल प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से सत्ता की साझेदारी का निर्वाह करते हैं।
3. राजनीतिक दल को 'लोकतंत्र का प्राण' क्यों कहा जाता है?
उत्तर- राजनीतिक दलों को लोकतांत्रिक देशों का आधार माना जाता है। राजनीतिक दल सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं को जनता के समक्ष पहुंचाने का कार्य करता है और जनता के विभिन्न मांगों को सरकार के समक्ष रखने का कार्य करता है। इस प्रकार लोकतांत्रिक देशों में राजनीतिक दलों की काफी अहम भूमिका हो जाती है। राजनीतिक दल जनता और सरकार के बीच कड़ी अथवा पुल निर्माण का कार्य करते हैं।
राजनीतिक दल ही जनता का समर्थन प्राप्त कर लोकसभा या विधानसभा में बहुमत प्राप्त करता है और सरकार का गठन करता हैं। जिस राजनीतिक दल या दलों को बहुमत प्राप्त नहीं होता वह विरोधी दल का काम करते हैं और सरकार को मनमानी करने से रोकते हैं।
लोकमत का निर्माण करना भी राजनीतिक दलों का काम है। वह गांव-गांव में जाते हैं तथा छोटी-बड़ी सभाओं द्वारा जनता से संपर्क बनाते हैं। राजनीतिक दलों का एक मुख्य काम है सरकार एवं जनता के बीच मध्यस्थता करना। वे जनता की बातों को सरकार तक पहुंचाते हैं और सरकार की बातों या कार्यक्रमों से जनता को अवगत कराते हैं।
4. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर- लोकतंत्र में शासकों के चुनाव का अधिकार जनता के हाथों में निहित होती है। जनता जिसे चाहती है उसे संसद अथवा विधानमंडलों में चुनकर भेजती है। जनता न केवल अपने शासकों का चयन करती है बल्कि अनेक प्रकार से वह प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उन पर नियंत्रण भी रखती है। गैर लोकतांत्रिक सरकारों को विधायिका का सामना नहीं करना पड़ता है।
लोकतांत्रिक देशों की सरकार को पता होता है कि एक निश्चित अवधि 4 या 5 वर्ष के बाद पुनः उन्हें जनता के समक्ष वोट मांगने जाना है। अतः वे जनता के मनोचित ही कार्य करना चाहते हैं ताकि अगली बार जनता पुनः उन्हें सिर आंखों पर बैठाए ।
गैर-लोकतांत्रिक देशों में वहां की सरकारें अपेक्षाकृत फैसले शीघ्र लेती है परंतु ऐसे फैसले से जनता की परेशानियां बढ़ भी सकती है। लोकतांत्रिक सरकार फैसले लेने में देरी अवश्य करती है परंतु इनके फैसले नीतिगत, विधि सम्मत तथा बहुमत पर आधारित होते हैं । लोकतांत्रिक सरकार के उत्तरदायी होने के कारण उससे जनता की समस्याओं के निदान की आशा की जाती है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि लोकतंत्र उत्तरदायी एवं वैध सरकार का गठन करता है।
5. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवद्धि एवं विकास में सहायक बनता है?
उत्तर- आर्थिक समृद्धि एवं विकास के आधार पर लोकतांत्रिक व्यवस्था की उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जा सकता है। हालांकि आर्थिक समृद्धि के मामले में तानाशाही देशों का रिकॉर्ड लोकतांत्रिक देशों के मुकाबले थोड़ा बेहतर अवश्य रहा है।
किसी देश की आर्थिक विकास की दर केवल शासन पर निर्भर नहीं करता है। आर्थिक विकास कई कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं। जैसे- देश की जनसंख्या, वैश्विक स्थिति, आर्थिक प्राथमिकताएं, भौगोलिक परिस्थिति, शिक्षा, आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति, इत्यादि ।
तानाशाही शासन वाले गरीब देश और लोकतांत्रिक शासन वाले गरीब देशों में विकास की दर में मामूली अंतर है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की विकास दर 3.95 है वही तानाशाही शासन वाले देश की विकास दर 4.42 है। लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में लोगों को विभिन्न प्रकार की आजादी तथा मूलभूत सुविधाएं प्रदान की जाती है। लोग अपने अधिकार और कर्तव्य के प्रति जागरूक होते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि लोकतंत्र आर्थिक समृद्धि एवं विकास में सहायक बनता है।
6. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है?
उत्तर- समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक विषमताओं जिससे हम विविधता के रूप में देख सकते हैं उनके बीच आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाने में लोकतंत्र मददगार होता है। लोकतंत्र नागरिकों को शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होता है। लोकतंत्र विभिन्न जातियों एवं धर्मों के विभाजक कारकों के बीच वैमनस्य एवं भ्रांतियों को कम करने में सहायक हुआ है। साथ ही उनके बीच टकराव को हिंसक एवं विस्फोटक बनने से रोका है।
लोकतंत्र लोगों के बीच एक दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करता है। इसके अतिरिक्त नागरिकों की गरिमा एवं उनकी आजादी की दृष्टि से भी लोकतंत्र अन्य शासन व्यवस्था से आगे ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम है।
निष्कर्ष का हम कह सकते हैं कि सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच आपसी समझदारी एवं सामंजस्य के निर्माण में लोकतंत्र अन्य गैर लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं की तुलना में काफी आगे हैं क्योंकि यहां बातचीत की निरंतर संभावना बनी रहती है।
7. क्या आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर- आतंकवाद या दहशतगर्दी निश्चित तौर पर किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए एक समस्या / चुनौती है। आतंकवाद का उद्देश्य जानमाल को छती करते हुए जनता के मनोबल को तोड़ना होता है। जनता द्वारा चुनी गई लोकप्रिय सरकार के संबंध में यह संदेश प्रसारित करना कि मुट्ठी भर लोगों के सामने चुने गई सरकार विवस है।
आतंकवादी जब चाहे अपनी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे देते हैं तथा सामाजिक, राजनीतिक एवं आर्थिक ढांचे को प्रभावित करना चाहते हैं। आतंकवादी गतिविधियां आंतरिक अथवा बाहा दोनों प्रकार की हो सकती है। जो राष्ट्र अमन-चैन में विश्वास नहीं रखता, जिसका उद्देश्य अन्य देशों के विकास अमन-चैन को छीन लेना है वह अपने सरजमी से दहशत गर्दी को अंजाम देते हैं।
किसी भी लोकतांत्रिक देश में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सरकार को देश की जनता के साथ-साथ विपक्षी दल का भी साथ मिलना आवश्यक हो जाता है। आतंकवाद बर्बादी का दूसरा नाम इसे समाप्त करके ही विश्व का कोई भी लोकतंत्र तरक्की कर सकता है।