Rajasthan Board 12th Exam 2024 : Economics Most Important Question Answers

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राजस्थान बोर्ड 12वीं की अर्थशास्त्र परीक्षा 28 मार्च, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।
इस पोस्ट में राजस्थान बोर्ड 12th परीक्षा 2024 के लिए अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण वस्तुनिष्ठ प्रश्न, रिक्त स्थान, अतिलघुत्तरात्मक प्रश्न, लघुत्तरात्मक प्रश्न (RBSE Board 12th Economics Important Question 2024) दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
छात्रों को इन (RBSE Board 12th Economics Viral Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे अर्थशास्त्र के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I
RBSE 12th Exam 2024 Economics Most Important Question Answers
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :-
1. सभी आर्थिक समस्याओं के कारण है ?
(अ) असीमित इच्छाएं
(ब) सीमित साधन
(स) विभिन्न प्रधानता
(द) ये सभी
Ans. (द) ये सभी
2. अर्थशास्त्र का जनक किसे कहा जाता है ?
(अ) एडम स्मिथ
(ब) मार्शल
(स) रोबिन्स
(द) सेम्युलसन
Ans. (अ) एडम स्मिथ
3. वे वस्तुएं तथा सेवाएं जिनका उपयोग अन्य वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन में होता है, कहलाते है ?
(अ) संसाधन
(ब) वस्तु
(स) कोई नहीं
(द) सेवा
Ans. (अ) संसाधन
4. जिन वस्तुओं का उपयोग एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है, कहलाती है ?
(अ) निम्नस्तरीय वस्तुएं
(ब) सामान्य वस्तुएं
(स) स्थानापन्न वस्तुएं
(द) पूरक वस्तुएं
Ans. (स) स्थानापन्न वस्तुएं
5. अनिवार्य वस्तुओं में मांग की लोच होती है ?
(अ) लोचदार
(ब) बेलोचदार
(स) इकाई लोच
(द) पूर्णतया लोचदार
Ans. (ब) बेलोचदार
6. किसी कार्य को दूसरे सर्वश्रेष्ठ कार्य से प्राप्त त्यागा गया लाभ है ?
(अ) अवसर लागत
(ब) कुल लागत
(स) सामान्य लागत
(द) सीमान्त लागत
Ans. (अ) अवसर लागत
7. सरकार द्वारा किसी वस्तु अथवा सेवा के लिए निम्नतम निर्धारित कीमत के सुपरिचित उदाहरण है ?
(अ) कृषि समर्थन
(ब) रेडिमेड वस्त्र एवं सूती कपड़ा
(स) लोहा एवं स्टील
(द) मोबाइल एवं लेपटॉप
Ans. (अ) कृषि समर्थन
8. बाजार संतुलन की मान्यता है, कि उपभोक्ता की बातें स्थिर रहती है ?
(अ) संबन्धित वस्तुएं कीमतें
(ब) उपभोक्ताओं की आय
(स) बाजार का आकार एवं उनकी रूचियां
(द) ये सभी
Ans. (द) ये सभी
9. विश्वव्यापी आर्थिक महामंदी का उद्भव हुआ ?
(अ) 1929
(ब) 1919
(स) 1935
(द) 1950
Ans. (अ) 1929
10. समष्टि अर्थशास्त्र में निर्णयकर्ता कौन होते है ?
(अ) बाजार कीमत, कुल रोजगार
(ब) सामान्य कीमत, कुल निवेश
(स) राष्ट्रीय आय तथा कुल बचत
(द) सभी
Ans. (द) सभी
11. सकल निवेश में से क्या घटाने पर निवल निवेश प्राप्त होता है ?
(अ) शुद्ध ब्याज
(ब) विनियोग
(स) मूल्य ह्यस
(द) लाभ
Ans. (स) मूल्य ह्यस
12. निम्न में से पूँजीगत वस्तुओं का उदाहरण नहीं है ?
(अ) मशीनें
(ब) औजार
(स) घरेलू कम्प्यूटर
(द) गोदाम
Ans. (द) गोदाम
13. भारत में करेंसी जारी करता है ?
(अ) बैंक ऑफ इण्डिया
(ब) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया
(स) यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया
(द) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
Ans. (द) रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया
14. भारत का केन्द्रीय बैंक है ?
(अ) भारतीय स्टेट बैंक
(ब) भारतीय रिजर्व बैंक
(स) यूनियन बैंक
(द) यूको बैंक
Ans. (ब) भारतीय रिजर्व बैंक
15. उपभोग मांग सर्वाधिक किस पर निर्भर करती है ?
(अ) ब्याज पर
(ब) घरेलू आय पर
(स) कीमत स्तर पर
(द) करों पर
Ans. (स) कीमत स्तर पर
16. "सेटेरिस पारिबस की मान्यता का अर्थ है ?
(अ) अन्य बाते परिवर्तित हो
(ब) अन्य बाते स्थिर या समान रहें
(स) कीमत स्थिर हों
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं
Ans. (ब) अन्य बाते स्थिर या समान रहें
17. सभी महत्वपूर्ण निर्णय सरकार द्वारा किये जाने वाली अर्थव्यवस्था कहलाती है ?
(अ) पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
(ब) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था
(स) मिश्रित अर्थव्यवस्था
(द) बाजार अर्थव्यवस्था
Ans. (ब) केन्द्रीकृत योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था
18. भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि है ?
(अ) 1 जनवरी से 31 दिसम्बर
(ब) 1 मार्च से 30 अप्रेल
(स) 1 अप्रेल से 31 मार्च
(द) 1 जुलाई से 30 जून
Ans. (स) 1 अप्रेल से 31 मार्च
19. एक देश की मुद्रा का मूल्य दूसरे देश की मुद्रा में मापना कहलाती है, या एक मुद्रा की दूसरी मुद्रा में कीमत को कहते हैं ।
(अ) विदेशी विनिमय दर
(ब) विनिमय दर
(स) फोरेक्स दर
(द) उपरोक्त सभी
Ans. (द) उपरोक्त सभी
20. एक मुद्रा की दूसरी मुद्रा में कीमत को कहते हैं ।
(अ) विदेशी विनिमय दर
(ब) स्थानीय विनिमय दर
(स) राष्ट्रीय विनिमय दर
(द) कोई नहीं
Ans. (अ) विदेशी विनिमय दर
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए :-
1. संसाधनो की कमी ___________ की समस्या को जन्म देती है।
2. भारतीय अर्थव्यवस्था ___________ है ।
3. वस्तु की एक अतिरिक्त इकाई के उपभोग से कुल उपयोगिता मे जो परिवर्तन आता है, उसे __________ कहते है ।
4. वस्तु की कीमत व उसकी मांग के फलनात्मक संबंध ___________ को कहते है ।
5. पूर्णतया बेलोचदार पूर्ति में पूर्ति वक्र ___________ होता है।
6. बाजार मांग पूर्ति की शक्तियों द्वारा कीमत निर्धारण को ___________ कहते हैं ।
7. सभी खेतों की लागत संरचना समान है, तो उसे ___________ कहते हैं ।
8. श्रम बाजार में श्रम की मांग ___________ द्वारा की जाती हैं ।
9. जब कोई देश अपने घरेलू उत्पाद को अन्य देश को बेचता है, तो उसे ______________ कहते है ।
10. जिस अर्थशास्त्र में समग्र का अध्ययन किया जाता है, उसे ______________ कहते है ।
11. एक समयावधि में मापी जाने वाली मात्रा ______________ है ।
12. अर्थव्यवस्था में पूंजीगत वस्तुओं में नये योग का माप _____________ कहलाता है ।
13. एक फर्म के एक वर्ष में माल सूची के मूल्य में वृद्धि को ______________ कहा जाता है।
14. देश में प्रचलित नोट व सिक्कों को ____________ कहते है ।
15. भारत सरकार द्वारा विमुद्रीकरण _____________ में किया गया ।
16. बचत तथा आय के आनुपातिक संबन्ध ____________ को कहते है, या प्रति आय इकाई बचत कहलाता है ।
17. यदि अर्थव्यवस्था में बचत की सीमान्त प्रवृत्ति बढ़ जाती है, तो इसको _____________ कहते है ।
18. सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अपने शेयरों की बिक्री ______________ कहते है ।
19. संतुलित बजट गुणक का मान ____________ होता है।
20. जब घाटा होता है, तो रिजर्व बैंक विदेशी विनिमय बेचना है, उसे ____________ विक्रय कहा जाता है ।
Ans. 1. आर्थिक, 2. मिश्रित, 3. सीमांत उपयोगिता, 4. मांग वक्र, 5. लंबवत, 6. बाजार मूल्य, 7. प्रतिस्पर्धी, 8. फर्मों, 9. निर्यात, 10. अनुभवजन्य, 11. प्रवाह, 12. निवेश, 13. अंतरिम लाभ, 14. मुद्रा, 15. 2016, 16. बचत फलन, 17. सकारात्मक, 18. विनिवेश, 19. 1, 20. आधिकारिक आरक्षित विक्रय।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न :-
1. अर्थशास्त्र की परिभाषा दीजिए ।
Ans. अर्थशास्त्र एक अध्ययन है जो व्यक्ति, समाज, और राष्ट्र की आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन करता है। इसमें आर्थिक संबंधों के सिद्धांत, नियम, नीतियों, और उनके प्रभाव का अध्ययन होता है। यह विभिन्न प्रकार के आर्थिक समस्याओं और उनके समाधानों के बारे में विवेचना करता है ताकि समृद्धि, विकास, और समाज कल्याण को प्रोत्साहित किया जा सके।
2. आर्थिक समस्या से क्या अभिप्राय है ?
Ans. आर्थिक समस्याएं विभिन्न प्रकार की आर्थिक चुनौतियों या समस्याओं को संदर्भित करती हैं जो एक व्यक्ति, समुदाय, या राष्ट्र के आर्थिक विकास और कल्याण में बाधाएं पैदा करती हैं। इनमें आय, बेरोजगारी, जोखिम, बढ़ती महँगाई, और वित्तीय अस्थिरता जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं। ये समस्याएं आर्थिक न्याय, सामाजिक समावेशन, और विकास में समानता और सुरक्षा की चुनौतियों को प्रकट करती हैं।
3. मांग फलन क्या है ?
Ans. मांग फलन एक आर्थिक सिद्धांत है जिसे "डेमैंड साइड एकोनॉमिक्स" में व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है। इसका अर्थ है कि यदि एक विशेष वस्तु या सेवा की मांग वृद्धि कर रही हो तो उसकी कीमत में भी वृद्धि होगी। मांग फलन का प्रमुख सिद्धांत यह है कि मांग और कीमत में उतार-चढ़ाव के बीच विशेष एक्सचेंज होता है।
4. बाजार पूर्ति क्या है ?
Ans. बाजार पूर्ति एक आर्थिक सिद्धांत है जिसे "सप्लाई साइड एकोनॉमिक्स" में उपयोग किया जाता है। यह विश्वास करता है कि एक विशेष वस्तु या सेवा की मांग बढ़ने पर उसकी बाजार पूर्ति भी बढ़ती है। इससे वस्तु या सेवा के उत्पादकों को प्रेरित किया जाता है कि वे अधिक उत्पादन करें ताकि उनकी लाभ की बढ़ोतरी हो सके। यह बाजार की नियमितता को समझने में मदद करता है।
5. अधिसामान्य लाभ क्या है ?
Ans. अधिसामान्य लाभ (Economic Rent) :- एक आर्थिक संबंध है जिसमें किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में अतिरिक्त लाभ का संदर्भ होता है, जो कि उत्पादक के इस्तेमाल की मूल्य से अधिक होता है। इसे वस्तुकों या सेवाओं की मांग और पूर्ति के संदर्भ में देखा जाता है, और यह उत्पादन की अधिकतम मानदंड के अतिरिक्त लाभ का प्रतिनिधित्व करता है।
6. फर्म एवं उद्योग में अन्तर बताइए |
Ans. फर्म और उद्योग दोनों आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख स्तम्भ हैं, लेकिन इनमें थोड़ा अंतर है। फर्म एक व्यापारिक संस्था होती है जो उत्पादों या सेवाओं की विनिर्माण एवं विपणन करती है, जबकि उद्योग एक विभागीय एवं संसाधन-मूलक गतिविधि होती है जो निर्माण, उत्पादन, या सेवाएं प्रदान करती है। उद्योग फर्मों के समूह को संकल्पित कर सकता है।
7. बाजार संतुलन से आप क्या समझते है ?
Ans. बाजार संतुलन एक आर्थिक स्थिति है जहां आपूर्ति और मांग के बीच संतुलन होता है। इसमें कोई भी अतिरिक्त आवश्यकताएं या अतिशेष उत्पादन नहीं होता है, जो कि उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच उत्पन्न होता है। इससे उत्पादकों को उत्पादन लागत में समानता होती है और उपभोक्ताओं को उत्पादों के लिए उचित और स्थायी मूल्य मिलता है।
8. बन्द अर्थव्यवस्था से क्या तात्पर्य है ?
Ans. "बंद अर्थव्यवस्था" का तात्पर्य वह स्थिति है जब किसी देश या क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में निवेश, उत्पादन, और रोजगार में स्थिरता अनुभव की जाती है। इसमें विकास या वृद्धि की गति में कोई उत्कृष्ट परिवर्तन नहीं होता है। बस्तुओं की मांग और उत्पादन में सामान्य बदलाव नहीं होता और अर्थव्यवस्था चक्रिय रहती है। इसे स्थैतिक अर्थव्यवस्था भी कहा जाता है।
9. प्रवाह की परिभाषा दीजिये ।
Ans. प्रवाह एक अर्थशास्त्रीय शब्द है जो आर्थिक संबंधों में वह अवधारणा दर्शाता है जिससे संबंधित आय, खर्च, और निवेश की प्रक्रिया और स्तर का वर्णन किया जाता है। इससे उपयोगकर्ताओं को यह जानकारी प्राप्त होती है कि एक विशेष समयावधि में आर्थिक गतिविधियों की स्थिति क्या है और कैसे यह गतिविधियाँ चल रही हैं। इसे सामूहिक रूप से ब्याज, निवेश, और वित्तीय स्थिति को संदर्भित करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
10. सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या समझते है ?
Ans. सकल घरेलू उत्पाद का अर्थ है एक देश या क्षेत्र में वह समूह है जो घरेलू उत्पादों की समस्त मात्रा को शामिल करता है। इसमें सभी वस्तुएं शामिल होती हैं जिन्हें सीधे उपभोक्ता उपयोग करते हैं, जैसे खाद्य सामग्री, कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, और सेवाएं। इसे आर्थिक विश्लेषणों में मापने के लिए प्रयोग किया जाता है ताकि आर्थिक स्थिति की गहराई और दिशा का पता लगाया जा सके।
11. मुद्रा से क्या अभिप्राय है ?
Ans. मुद्रा एक विशेष तरह की विनिमय साधन है जो देश या क्षेत्र में व्यापार, व्यवसाय, और अर्थव्यवस्था के लिए प्रयुक्त होती है। इसे किसी देश या क्षेत्र की मौद्रिक इकाई के रूप में भी जाना जाता है। मुद्रा की महत्वपूर्ण विशेषता है कि यह एक स्थिर माध्यम होती है जो विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं की मूल्यों को मापने और आदान-प्रदान में उपयोगी होती है।
12. बैंकिग क्या होता है ?
Ans. बैंकिंग एक व्यावसायिक गतिविधि है जो वित्तीय संस्थाओं द्वारा आयोजित की जाती है। यह संग्रहीत धन को सुरक्षित रखता है, वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है, और उपयुक्त वित्तीय समाधान प्रदान करता है। बैंकिंग से संबंधित संस्थाएं जमा, ऋण, निवेश, बैंक खाता प्रबंधन, वित्तीय सलाह, बैंक लेन-देन, और इंटरनेट बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान करती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य धन प्रबंधन और आर्थिक सेवाओं की प्रदान करना होता है।
13. निवेश का तात्पर्य समझाए ।
Ans. निवेश एक वित्तीय क्रिया है जिसमें धन को एक प्रकरण में निवेश करके वृद्धि या लाभ की आशा की जाती है। इससे धन की वृद्धि होती है जो निवेश की तरह एक निश्चित समयावधि के बाद निकासी की जा सकती है, ताकि निवेशक को आय या लाभ मिल सके। निवेश करके धन को वृद्धि देने के लिए विभिन्न वित्तीय संस्थाओं, उद्योगों, या संपत्तियों में पूंजी निवेश किया जाता है।
14. बचत क्या है ?
Ans. बचत एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति या संगठन धन का एक हिस्सा निर्धारित कारणों के लिए जमा करता है, जिससे वे भविष्य में उपयोग के लिए उपलब्ध होता है। बचत की व्यवस्था व्यक्तिगत या संगठनिक आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करती है और सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देती है। इससे वित्तीय स्थिरता बढ़ती है और आय की सहायता से निवेश करने की संभावना बढ़ती है।
15. प्रत्यक्ष कर एवं अप्रत्यक्ष कर का क्या अभिप्राय है ?
Ans. प्रत्यक्ष कर वह कर होता है जो व्यक्ति या संगठन सीधे सरकार को देते हैं, जैसे कि आयकर, सेवा कर, आपूर्ति कर, आदि। इसके खिलाफ, अप्रत्यक्ष कर एक ऐसा कर है जो किसी अन्य कारण से दिया जाता है, जैसे कि वसूली, समायोजित कर, स्टाम्प ड्यूटी, आदि। यह कारण दोनों के बीच अंतर बनाता है और विभिन्न वित्तीय प्रक्रियाओं को संरचित करता है।
16. सरकारी बजट से क्या तात्पर्य है ?
Ans. सरकारी बजट एक वित्तीय योजना है जिसमें सरकार अगले वित्तीय वर्ष में अपनी आय और व्यय का अनुमान लगाती है। यह दर्शाता है कि सरकार धन कैसे इकट्ठा करेगी (जैसे कर, ऋण आदि) और उसे कैसे खर्च करेगी (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि)। इसका उद्देश्य अर्थव्यवस्था को संतुलित रखना, विकास को बढ़ावा देना और आम जनता की जरूरतों की पूर्ति करना होता है।
17. राजकोषीय घाटा किसे कहते है ?
Ans. राजकोषीय घाटा एक आर्थिक अवस्था है, जब सरकार की खर्च में अधिकता होती है और इसके लिए पर्याप्त आय नहीं होती है। यदि राजकोषीय घाटा बढ़ जाता है, तो सरकार को आर्थिक संवाहना बढ़ाने के लिए बॉरोविंग करना पड़ता है, जो बाद में आर्थिक परिस्थितियों में और समस्याओं को बढ़ा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक मापक होता है जो देश की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन करने में मदद करता है।
18. संतुलित बजट को परिभाषित कीजिए ।
Ans. संतुलित बजट एक आर्थिक प्रबंधन उपाय है जिसमें सरकार की खर्च और आय को संतुलित रखने का प्रयास किया जाता है। इसमें आर्थिक संवाहना के तहत विभिन्न क्षेत्रों के लिए वित्तीय स्रोतों का निर्धारण किया जाता है, ताकि सरकार के वित्तीय संसाधनों का सही उपयोग कर आर्थिक स्थिति को संतुलित रखा जा सके। यह बजट अर्थशास्त्रीय नीतियों और लक्ष्यों के साथ समर्थन और संचालन करने का एक आदर्श ढंग होता है।
19. बंद अर्थव्यवस्था क्या है ?
Ans. बंद अर्थव्यवस्था :- एक विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था है, जिसमें एक देश अपने अंदर ही सभी आर्थिक क्रियाएं और व्यापारिक लेन-देन को संपादित करता है। इस अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश और विदेशी व्यापार की कमी होती है। देश की संपत्ति, उत्पादन, सेवाएं और आर्थिक संबंध केवल उसी देश में रहती हैं। इस तरह की अर्थव्यवस्था में विदेशी मार्केटों का कोई सीधा असर नहीं होता।
20. व्यापार शेष से आप क्या समझते है ?
Ans. व्यापार शेष (Trade Surplus) :- एक आर्थिक परिप्रेक्ष्य से वह स्थिति है, जब एक देश के निर्यात उत्पादों और सेवाओं की मान्यता उसके आयात से अधिक होती है। इस प्रकार के व्यापार शेष का मतलब होता है कि देश अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में सक्रिय भागीदारी निभा रहा है और उसे अधिक नकदी और अन्य विदेशी मुद्रा के माध्यम से विदेशी संसाधनों का लाभ हो रहा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न :-
1. सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण तथा आदर्शक आर्थिक विश्लेषण के मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
Ans. सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण और आदर्शक आर्थिक विश्लेषण दोनों आर्थिक मामलों का अध्ययन करते हैं, लेकिन इनके मध्य विशेष अंतर हैं। सकारात्मक आर्थिक विश्लेषण वर्तमान आर्थिक स्थिति, उपयुक्त नीतियाँ, और निवेश के विकल्पों को मूल्यांकन करता है। इसके विपरीत, आदर्शक आर्थिक विश्लेषण लम्बे समय अवधि के लिए दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिसमें लंबी अवधि में आर्थिक विकास, राजनीतिक नीतियाँ, और समाजिक परिणामों का मूल्यांकन होता है। इसका उद्देश्य विकास के साथ सुरक्षित और स्थिर आर्थिक वातावरण तैयार करना होता है।
2. अर्थशास्त्र मे एक अर्थव्यवस्था के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए ।
Ans. अर्थशास्त्र में एक अर्थव्यवस्था के प्रमुख कार्यों का विशेष महत्व होता है। प्रमुख कार्यों में शामिल हैं उत्पादन, वित्तीय नियंत्रण, आय और वित्तीय स्वर्णिम, मूल्य निर्धारण, आर्थिक विकास नीति तैयारी, और समाज के विकास को बढ़ावा देना। इन कार्यों का मूल उद्देश्य समृद्धि, समाज की सुरक्षा, और स्थायित्व का संरक्षण होता है। अर्थशास्त्रियों की व्याख्याना और निर्णयात्मक क्षमता की मदद से, ये कार्यों अर्थव्यवस्था की स्थिति को समझने में मदद करते हैं और उसे सुधारने के लिए संदेश देते हैं।
3. उपयोगिता को परिभाषित कीजिए ।
Ans. उपयोगिता अर्थशास्त्र में एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो उत्पादन और सेवाओं की मान्यता को समझने में मदद करती है। यह एक वस्तु या सेवा की क्षमता है जो उपभोक्ताओं द्वारा उपयोग की जाती है और उन्हें आनंद और लाभ प्रदान करती है। उपयोगिता को मापने के लिए वाणिज्यिक सेक्टर में आमतौर पर वस्तुओं के मूल्य का उपयोग किया जाता है, जिसमें वाणिज्यिक उपयोगिता और उपयोगिता की श्रेणियों का अंतर्निहित मानकरता है। इसके अलावा, उपयोगिता का मूल्य उत्पादन के साथ उपयोगकर्ता की प्रतिक्रिया, आवश्यकताओं की पूर्ति, और अन्य दायरा में निर्धारित किया जा सकता है।
4. अल्पकाल एवं दीर्घकाल में दो अन्तर बताइयें ।
Ans. अल्पकाल और दीर्घकाल दोनों अर्थशास्त्रिक समयावधियों को व्यक्त करते हैं। अल्पकाल सामान्यत: एक व्यक्ति, व्यवसाय या अर्थव्यवस्था के लिए किसी निश्चित अवधि को दर्शाता है, जो कुछ सप्ताहों या महीनों की हो सकती है। यह छोटी अवधि के फलस्वरूप निवेश, बिक्री या आर्थिक कार्यों में वृद्धि या गिरावट आ सकती है। विपरीत, दीर्घकाल एक लंबे समयावधि को दर्शाता है जो वर्षों या दशकों की हो सकती है। यह विस्तार, धीमी वृद्धि, बदलाव और महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्था के निर्माण में लंबी अवधि तक असर डाल सकती है। उदाहरण के रूप में, वित्तीय निवेशों या संभावित राजनीतिक नीतियों के परिणाम स्थायी और लंबे समय तक बना रह सकते हैं।
5. पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में कीमत निर्धारण के सम्बन्ध में फर्म का उद्योग कौन-सा अधिक महत्वपूर्ण होता है, और क्यों ?
Ans. पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार में कीमत निर्धारण के संबंध में विभिन्न उद्योगों में कुछ उद्योगों का अधिक महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण के लिए, विनिमयी उपकरणों के व्यापार में पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार की कीमतों पर बहुत अधिक प्रभाव डालती है, क्योंकि यह बाजार में बाजार के अन्य सभी खिलाड़ी उपकरणों की कीमतें निर्धारित करता है। समान रूप से, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के खरीद पर भी इसका प्रभाव होता है, क्योंकि विभिन्न ई-कमर्स स्थलों पर पूर्ण प्रतिस्पर्धा की जाती है। इस तरह के उद्योगों में पूर्ण प्रतिस्पर्धा बाजार निर्धारण के संबंध में अधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह उनके कीमतों को सीधे प्रभावित करता है और बाजार में प्रतिस्पर्धा का स्तर निर्धारित करता है।
6. श्रम की सीमान्त उत्पादकता से क्या तात्पर्य है ?
Ans. श्रम की सीमान्त उत्पादकता से तात्पर्य यह है, कि श्रम के संबंध में उत्पादकता कितनी है और उसे कितना उपयोग किया जा रहा है। इसमें व्यक्ति, उद्योग, या एक संगठन के रूप में श्रमिकों की उपयोगिता और कार्यक्षमता का मूल्यांकन किया जाता है। श्रम की सीमांत उत्पादकता का अध्ययन उन तत्वों के लिए महत्वपूर्ण है जो उत्पादन की गुणवत्ता और वृद्धि में सहायक होते हैं, जैसे कि कामकाजी की क्षमता, कौशल, और कामकाजी का अनुभव। इसके माध्यम से उत्पादकता की अधिकता और उसमें सुधार करने के लिए कदम उठाए जा सकते हैं। इस तरह के अध्ययन से कामकाजी की समृद्धि, स्थिरता, और समर्थन में सुधार होता है।
7. सरकार से क्या अभिप्राय है ?
Ans. सरकार एक सामाजिक संगठन है जो एक निर्दिष्ट क्षेत्र या एक प्रदेश में नियंत्रण, प्रबंधन, और निर्देशन का दायित्व निभाती है। इसका मुख्य उद्देश्य नागरिकों के हित में नीतियों और कार्यों का निर्धारण करना, सुरक्षा सुनिश्चित करना, न्याय प्रदान करना, विकास को बढ़ावा देना, और समाज में अन्य आवश्यक सेवाएं प्रदान करना होता है। सरकार लोकतंत्र में जनहित की सेवा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, साथ ही विभिन्न संगठनों, संस्थाओं, और व्यक्तियों को एक संरचित तरीके से आदेश और निर्देशित करती है।
8. समाजवादी एवं पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में अन्तर बताइए ।
Ans. समाजवादी एवं पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में मुख्य अंतर उनकी दृष्टिकोण, संरचना, और उद्देश्यों में होता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में समाज की आवश्यकताओं और समृद्धि के लिए सरकारी हस्तक्षेप अधिक होता है, जबकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में यहां तक कि निजी क्षेत्र और अधिकार केंद्रित होते हैं। समाजवादी अर्थव्यवस्था में लक्ष्य सामाजिक समानता और न्याय की प्राप्ति होती है, जबकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में लक्ष्य वित्तीय समृद्धि और लाभ की प्राप्ति होती है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में सार्वजनिक संपत्ति और सेवाओं का महत्व होता है, जबकि पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में निजी संपत्ति और बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
9. प्रचालन अधिशेष से क्या तात्पर्य है ?
Ans. 'प्रचालन अधिशेष' एक आर्थिक शब्द है जो व्यापारिक प्रणाली में व्यवहारिक रूप से उपयोग किया जाता है। इसका अर्थ होता है कि एक आर्थिक संगठन द्वारा एक उत्पाद या सेवा के लिए विशिष्ट मूल्य या लाभ उत्पन्न करने के लिए किए गए सभी खर्चों को मिलाकर विक्रेता के द्वारा वह उत्पाद या सेवा बेचने की क्षमता और वांछित मान्यता है। इसका उपयोग उन स्थितियों में होता है जब व्यवसायी या कंपनी निश्चित निर्दिष्ट व्यापारिक उद्देश्यों तक पहुँचने की कोशिश कर रही होती है। इसका उपयोग आर्थिक निगमन, निर्णायकता, और प्रबंधन में किया जाता है, ताकि उद्यम की स्थिरता और संरक्षितता सुनिश्चित की जा सके।
10. छिद्र / रिसाव क्या है ?
Ans. 'छिद्र' या 'रिसाव' (Gap Analysis) एक आर्थिक शब्द है जिसे व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाया जाता है। यह एक प्रक्रिया है जिसमें एक संगणकीय तरीके से अंश, दो कार्यक्षेत्रों, या विभागों के बीच की अंतर की मापन की जाती है। यह विशेष उद्देश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक विकास योजनाओं या कदमों को शामिल करने में सहायक होता है। यह एक कंपनी या संगठन के उद्देश्यों और वास्तविक स्थिति के बीच की जानकारी प्रदान करने में मदद करता है ताकि संगठन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक कदम उठा सके। इसे इकोनोमिक्स, प्रबंधन, और वित्तीय नियोजन में उपयोग में लाया जाता है।
11. आरक्षित जमा अनुपात क्या है ? समझाइए ।
Ans. आरक्षित जमा अनुपात (Reserve Ratio) एक आर्थिक प्रणाली की अहम गणना है जो बैंकिंग तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। यह आईने द्वारा निर्धारित किया जाता है और इसे संरक्षित जमात के अनुपात या जमाती अनुपात भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि बैंक को कितना प्रतिशत धन को जमा रखना होगा उसकी स्थिति या वित्तीय स्थिति के संदर्भ में। यह नियम नियंत्रण और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए बैंकों को आवश्यक आर्थिक रूप से प्रेरित करता है, और सरकार या मॉनेटरी नियामक ने इसे वित्तीय स्थिरता के लिए उपयोगी सिद्ध किया है। इसे आधिकारिक रूप से प्रतिशत में व्यक्त किया जाता है और इसे अधिक या कम किया जा सकता है आधारित वित्तीय बाज़ार की परिस्थितियों पर।
12. व्यावसायिक बैंकों के किन्हीं दो मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए ।
Ans. व्यावसायिक बैंकों के दो मुख्य कार्य हैं - वित्तीय संबंध और बैंकिंग सेवाएं।
पहला कार्य उनके ग्राहकों को विभिन्न वित्तीय सेवाएं प्रदान करना है, जैसे कि जमा, ऋण, लोन, वित्तीय सलाह, वित्तीय योजनाएं, इन्वेस्टमेंट विकल्प, बीमा, ट्रेडिंग, आदि।
दूसरा कार्य वित्तीय संस्थानों के बीच अन्तर्संबंध का प्रबंधन करना है, जिसमें रुपया और वित्तीय संस्थानों के बीच किए जाने वाले लेन-देन, बैंक के रूप में सांविदानिक वित्त आदि शामिल हैं।
इन कार्यों के माध्यम से व्यावसायिक बैंकों का उद्यमिता और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
13. प्रत्याशित निवेश एवं यथार्थ निवेश में क्या अन्तर है ?
Ans. प्रत्याशित निवेश और यथार्थ निवेश में मुख्य अंतर निवेश के उद्देश्य और परिणामों में होता है। प्रत्याशित निवेश का मुख्य उद्देश्य अधिक लाभ कमाना होता है जिसे कामाया जा सके, जबकि यथार्थ निवेश का उद्देश्य धीरे-धीरे वृद्धि करना होता है जिससे वित्तीय स्थिरता और लंबे समय तक कारोबार की उन्नति हो। प्रत्याशित निवेश अधिकतम लाभ के लिए अधिक जोखिम लेता है, जबकि यथार्थ निवेश निवेशकों को सुरक्षित और स्थिर आय प्रदान करने का प्रयास करता है। यथार्थ निवेश दिशानिर्देशित निवेश होता है जो दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
14. पैरामैट्रिक शिफ्ट से आप क्या समझते है ?
Ans. पैरामैट्रिक शिफ्ट एक ऐसी शिक्षाशास्त्रीय तकनीक है, जिसे सामाजिक विज्ञानों में उपयोग किया जाता है, ताकि संदेश, भावनाओं, या मान्यताओं का प्रयोग संदेश बदलने के लिए किया जा सके। इसका मुख्य उद्देश्य है, किसी संदेश को अन्य संदेशों के साथ समाहित करना, समझना, या उसे निषेध करना। इस तकनीक का प्रयोग सामाजिक विज्ञान, मानविकी, राजनीति विज्ञान, आर्थिक विज्ञान, एवं मनोविज्ञान में किया जाता है, ताकि अधिक संवेदनशीलता और प्रभावी संवाद की स्थितियों को समझा जा सके।
15. कर की परिभाषा दीजिए। व कर के प्रकार बताइये ।
Ans. कर एक धनराशि होती है जो सरकार द्वारा नियमित अंतरालों पर वस्तुओं, सेवाओं, या आय का एक प्रतिष्ठा हिस्सा माना जाता है। इसे राजस्व या टैक्स के रूप में भी जाना जाता है। कर के कई प्रकार होते हैं, जैसे आयकर, सेवा कर, वस्त्रकर, कार्पोरेट टैक्स, गोल्डन कर, बियाज कर, आदि। ये कर विभिन्न आय और वस्तुओं पर लगाये जाते हैं ताकि सरकार को सामाजिक और आर्थिक सुधार करने के लिए धनराशि मिल सके।
16. सार्वजनिक वस्तुओं एवं निजी वस्तुओं में कोई एक अन्तर बताइए ।
Ans. सार्वजनिक वस्तुओं और निजी वस्तुओं में एक मुख्य अंतर यह है, कि सार्वजनिक वस्तुओं का स्वामित्व सार्वजनिक सेक्टर या सरकार में होता है, जबकि निजी वस्तुओं का स्वामित्व निजी व्यक्तियों या निजी कंपनियों में होता है। सार्वजनिक वस्तुओं के उदाहरण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, सार्वजनिक परिवहन इत्यादि हो सकते हैं जो सरकार या सार्वजनिक सेक्टर द्वारा प्रबंधित की जाती हैं। वहीं, निजी वस्तुओं के उदाहरण जैसे उत्पाद, सेवाएं, या वस्तुतः सामान्य व्यापार गतिविधियाँ आदि हो सकते हैं जो निजी व्यक्तियों या कंपनियों द्वारा प्रबंधित की जाती हैं। इसमें सार्वजनिक वस्तुओं का उद्धारण शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाएं हो सकते हैं, जबकि निजी वस्तुओं का उदाहरण किसी व्यावसायिक उत्पाद का निर्माण या बिक्री हो सकता है।
17. अदायगी संतुलन एवं व्यापार संतुलन के अंतर को स्पष्ट कीजिए ।
Ans. अदायगी संतुलन और व्यापार संतुलन दोनों ही अर्थशास्त्रिक अवधारणाओं में महत्वपूर्ण अंतर होता है। अदायगी संतुलन का मतलब है कि एक व्यक्ति या संगठन के आय, खर्च, और निवेशों के बीच संतुलन हो। इसका ध्यान आमतौर पर लाभांश और उपायुक्तियों को अंदर देना होता है। व्यापार संतुलन उस अवस्था को दर्शाता है जब एक व्यवसाय की आय, खर्च, लाभ, और निवेशों के बीच संतुलन होता है। यह व्यवसाय की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन करने में मदद करता है और उसकी स्थिरता और सफलता को निर्धारित करने में मदद करता है। अदायगी संतुलन व्यक्तिगत अर्थशास्त्र की अंतर्निहितता को दर्शाता है, जबकि व्यापार संतुलन व्यवसायिक अर्थशास्त्र के अंतर्निहितता को दर्शाता है।
18. अवमूल्यन व अधिमूल्यन को परिभाषित कीजिए ।
Ans. अवमूल्यन और अधिमूल्यन अर्थशास्त्र के महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं। अवमूल्यन का मतलब होता है किसी वस्तु, सेवा, या पूंजीकरण के वास्तविक मूल्य से कम मूल्य में खरीदा जाना। इससे किसी क्षेत्र में मूल्यों में तनाव या असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। अधिमूल्यन का मतलब होता है किसी वस्तु, सेवा, या पूंजीकरण के वास्तविक मूल्य से अधिक मूल्य में बेचा जाना। यह एक क्षेत्र में मूल्यों में अधिकता उत्पन्न कर सकता है और उस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। अवमूल्यन और अधिमूल्यन सामूहिक अर्थशास्त्र में मूल्य निर्धारण में महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं जो विपरीत प्रभाव डाल सकती हैं।
19. योजनागत तथा गैर योजनागत राजस्व व्यय से आपका क्या अभिप्राय है ? स्पष्ट कीजिए ।
Ans. योजनागत राजस्व व्यय उन व्ययों को कहता है जो सरकार ने नियोजित किए गए कार्यक्रमों और परियोजनाओं के लिए किये जाते हैं। इसमें स्कूलों, स्वास्थ्य सेवाओं, सड़कों, इंफ्रास्ट्रक्चर, और सरकारी कार्यों के लिए धन का व्यय आता है। गैर योजनागत राजस्व व्यय उन व्ययों को कहता है जो नियोजित नहीं हैं और सरकार द्वारा निर्धारित नहीं किये जाते हैं। इसमें चालू खातों, कर्मचारियों की वेतन और भत्ते, गैर सम्पत्ति कर, और अनपेक्षित राशियां शामिल होती हैं। योजनागत राजस्व व्यय सरकार की नीतियों को समर्थन करने में मदद करता है जबकि गैर योजनागत राजस्व व्यय नियोजित नहीं होता है और यह संकेत देता है कि सरकार के बजट परिवर्तन में संकेत हो सकता है।
20. विदेशी विनिमय दर से क्या अभिप्राय है ?
Ans. विदेशी विनिमय दर का अभिप्राय है एक देश की मुद्रा की मूल्यांकन को दूसरे देश की मुद्रा में व्यापारिक आधार पर करना। यह विनिमय दर उस निर्देशांक की राशि को सूचित करता है जिसके आधार पर एक देश की मुद्रा की मूल्य की जानकारी दूसरे देश के लोग और व्यापारिक संगठन प्राप्त करते हैं। यह दर विभिन्न आर्थिक क्रियाओं जैसे विदेशी व्यापार, पर्यटन, और निवेशों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विदेशी विनिमय दर बाजारी निर्देशक होता है जो विदेशी मुद्रा की मूल्य को संदर्भित करने में मदद करता है और विदेशी मुद्रा के खिलाफ या पक्ष में व्यवहार करने की प्रेरणा प्रदान करता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
1. अर्थव्यवस्था को कौन-कौन से क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाता है ?
Ans. अर्थव्यवस्था को मुख्य रूप से तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाता है:
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प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector): इसमें कृषि, मत्स्य पालन, खनन और वन्यजीव संरक्षण जैसे गतिविधियाँ शामिल होती हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग प्राकृतिक संसाधनों से सीधे उत्पादन करते हैं।
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माध्यमिक क्षेत्र (Secondary Sector): इसमें उद्योगों और निर्माण क्षेत्र शामिल होते हैं। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त सामग्री का उपयोग करके नए उत्पादों का निर्माण करते हैं।
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तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector): इसमें सेवा उद्योग शामिल होते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग, बीमा, परिवहन, खानपान, और मनोरंजन। इस क्षेत्र में काम करने वाले लोग उत्पादों और सेवाओं की वितरण और बिक्री का काम करते हैं।
ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे के साथ संबंधित होते हैं और एक समग्र अर्थव्यवस्था का निर्माण करते हैं।
2. मांग वक्र के शिफ्ट को स्पष्ट कीजिए ।
Ans. मांग वक्र का शिफ्ट एक आर्थिक अवधारणा है जो आय, उपभोक्ता की वास्तविक खरीदारी प्रवृत्ति, या उपभोक्ता के खर्च में परिवर्तन के आधार पर होता है। इसमें मांग वक्र के शिफ्ट का मतलब है कि जब वस्तु की कीमत में परिवर्तन होता है, तो उपभोक्ता की खरीदारी प्रवृत्ति में भी परिवर्तन होता है।
उदाहरण के रूप में, यदि एक मांग वक्र उत्पाद की कीमत में वृद्धि दर्शाता है, तो लोग उसे अधिक मात्रा में खरीदेंगे। यह उत्पादक के लिए अच्छा हो सकता है क्योंकि उसकी फायदे की रकम बढ़ सकती है। इसके विपरीत, यदि कीमत में कमी होती है, तो उपभोक्ताओं की खरीदारी प्रवृत्ति भी कम हो जाती है जो विपणन में नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
मांग वक्र के शिफ्ट का प्रभाव बाजार की उत्पत्ति, रूचि दर, और उत्पादक के लाभ पर भी पड़ता है। इसके शिफ्ट का विश्लेषण अर्थशास्त्रिक निर्णय लेने में महत्वपूर्ण होता है।
3. स्थिर लागत व परिवर्तनशीन लागत में अन्तर स्पष्ट कीजिए ।
Ans. स्थिर लागत और परिवर्तनशीन लागत दो विभिन्न प्रकार के लागत के प्रतिनिधित्व करते हैं। स्थिर लागत वह लागत होती है जो किसी उत्पाद या सेवा के उत्पन्न होने में हर बार या निरंतर बनी रहती है। यह लागत अनियत संख्या या घातक घटकों के प्रभाव को सामने नहीं लेती है।
विपरीत, परिवर्तनशीन लागत लागत है जो किसी उत्पाद या सेवा के उत्पन्न होने में परिवर्तनशील होती है। इसे परिवर्तनशील क्षमता या अल्पकालिक उत्पादकता की लागत भी कहा जाता है। इस प्रकार की लागत उत्पादन में बदलावों के कारण या सामग्री में बदलावों के कारण हो सकती है। इसमें श्रमिकों की संख्या, सामग्री की दर, या तकनीकी प्रक्रिया में परिवर्तन का असर होता है।
सम्पूर्णतः, स्थिर लागत स्थिरता और निरंतरता को दर्शाती है, जबकि परिवर्तनशीन लागत उत्पादन में परिवर्तन और अप्रत्याशितता को दर्शाती है।
4. फर्म के पूर्ति वक्र के निर्धारक तत्वों को स्पष्ट कीजिए ।
Ans. फर्म के पूर्ति वक्र के निर्धारक तत्व निम्नलिखित हो सकते हैं:
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उत्पादन स्तर: यह वक्र उत्पादन स्तर के साथ जुड़ा होता है। जब फर्म का उत्पादन स्तर बदलता है, तो फर्म के पूर्ति वक्र में परिवर्तन होता है।
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मार्केट चर्चा: वस्तुओं की मांग और आपूर्ति की बाजार चर्चा भी इसमें प्रमुख भूमिका निभाती है। अगर मांग बढ़ती है और आपूर्ति कम होती है, तो फर्म के पूर्ति वक्र में तेजी आ सकती है।
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तकनीकी प्रगति: यह एक महत्वपूर्ण तत्व है जो फर्म के उत्पादन प्रक्रिया में नवीनीकरण के कारण पूर्ति वक्र में परिवर्तन कर सकता है।
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निवेश: फर्म के निवेशों के स्तर और प्रकार भी पूर्ति वक्र को प्रभावित कर सकते हैं। अगर फर्म ने अधिक निवेश किया है, तो इससे पूर्ति वक्र में वृद्धि हो सकती है।
इन सभी तत्वों का मिश्रण फर्म के पूर्ति वक्र को प्रभावित करता है और उसे समझने में मदद करता है।
5. बाजार के विभिन्न रूप स्पष्ट कीजिए ।
Ans. बाजार के विभिन्न रूप निम्नलिखित हैं:
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समूह बाजार: इसमें विभिन्न विक्रेताओं के समूह होते हैं जो एक ही उत्पाद या सेवा की खरीदारी और बिक्री करते हैं, जैसे किसान बाजार और थोक बाजार।
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बाजार प्लेस: यह शारीरिक स्थान होता है जहां उत्पाद खरीदा और बेचा जाता है, जैसे सब्जी मंडी और शहरी बाजार।
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निकटता बाजार: यह ऑनलाइन या रेटेल दुकानों जैसे विभिन्न आधुनिक ढंगों में हो सकता है जहां उत्पादों की खरीदारी की जा सकती है।
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वित्तीय बाजार: इसमें विभिन्न वित्तीय संस्थाओं द्वारा उधार देने और निवेश करने का अवसर होता है, जैसे शेयर बाजार और निगमित निधियां।
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कारोबारी बाजार: इसमें व्यापार के लिए सामग्री और सेवाओं की खरीदारी और बिक्री होती है, जैसे खुदरा और थोक बाजार।
इन विभिन्न रूपों के माध्यम से व्यापार, वित्त, और सेवाओं की विनिमय प्रक्रिया होती है जो आर्थिक गतिविधियों को सुधारती है।
6. 1929 की महामंदी का वर्णन करें ।
Ans. 1929 की महामंदी, जिसे "महाप्रस्थान" या "ग्रेट डिप्रेशन" भी कहा जाता है, इतिहास में आर्थिक दुर्भाग्यों का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पल रहा है। इसकी मूल कारणों में विश्वव्यापी अर्थव्यवस्थाओं की मंदी, विशेषकर अमेरिका में धीमी विकास और बैंकिंग संकट शामिल थे। इससे विश्वभर में बेरोजगारी, अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट, उत्पादन में कमी, बड़ी व्यापारिक लॉस, और आम जनता में निराशा की स्थिति आई। इससे व्यापार और निवेश में भारी हानि हुई और आर्थिक संयम की स्थिति आई। इसका प्रभाव दुनियाभर में अनुभव किया गया और इसने विश्व इतिहास को गहराई से प्रभावित किया।
7. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दीजिए व विशेषताएं बताइए ।
Ans. राष्ट्रीय आय एक अर्थशास्त्रिक मापक है जो किसी देश की आर्थिक समृद्धि या आर्थिक योग्यता को मापता है। इसमें देश की कुल उत्पादन (जैसे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन) को वर्षानुसार लेकर मापा जाता है, और इसमें सरकार, निजी क्षेत्र, और विदेशी क्षेत्र से आय को जोड़कर आर्थिक समृद्धि का पूर्ण चित्र प्रस्तुत होता है। इसे GDP (ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट) के रूप में भी जाना जाता है, जो देश के उत्पादन का कुल मूल्य मापता है। राष्ट्रीय आय की विशेषताओं में यह शामिल होती है कि यह एक सार्वजनिक मापक है जो एक देश की आर्थिक स्थिति को मापने में मदद करता है, और यह बताता है कि देश के नागरिकों की कुल आर्थिक क्षमता क्या है। इसे विशेष गणनात्मक तरीके से निर्धारित किया जाता है ताकि देशों की आर्थिक तुलना और विश्लेषण किया जा सके।
8. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है ? इसकी क्या कमियाँ है ?
Ans. वस्तु विनिमय प्रणाली एक तरह की व्यावसायिक प्रणाली है जिसमें उत्पादों या सेवाओं की खरीद-बिक्री होती है। यह प्रणाली आमतौर पर बाजारों में उपयोग होती है, जहां विभिन्न उत्पादक और उपभोक्ताओं के बीच वस्तुओं की विनिमय की जाती है। इसमें कीमतों की स्थिरता, गुणवत्ता की जाँच, निर्माताओं और उपभोक्ताओं के बीच समझौते, और वित्तीय प्रणाली का सहयोग शामिल होता है।
वस्तु विनिमय प्रणाली की कुछ कमियाँ हैं, जैसे कीमतों की अस्थिरता जो विनिमय की निर्धारितता को प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही, वस्तु विनिमय प्रणाली का दुष्प्रभाव पर्यावरण पर हो सकता है, क्योंकि अधिक उत्पादन और परिवहन की आवश्यकता पर्यावरण को नुकसान पहुँचा सकती है। इसके अतिरिक्त, कुछ स्थानों पर वस्तु विनिमय प्रणाली में अवैध और अनैतिक कृत्य भी देखे गए हैं, जो समाज के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
9. पूर्ण रोजगार संतुलन से क्या तात्पर्य है ?
Ans. पूर्ण रोजगार संतुलन एक स्थिति है जहां सम्पूर्ण जनसंख्या को रोजगार की संतुलित और सुसंगत रूप से उपलब्धता होती है। इसका अभिप्राय है कि हर व्यक्ति को उसकी क्षमताओं और रूचियों के अनुसार काम मिलना चाहिए, जिससे समाज में आर्थिक और सामाजिक संतुलन बना रहे।
यह स्थिति आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे बेरोजगारी की समस्या का समाधान होता है और लोगों का आत्मनिर्भरता बढ़ता है। अधिक संतुलित रोजगार से उत्पादकता में वृद्धि होती है, जिससे आय और जीवनस्तर में सुधार होता है। साथ ही, समाज में असमानताओं को कम करने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान होता है।
इसके विपरीत, अगर रोजगार संतुलन नहीं होता है, तो लोगों में आर्थिक और सामाजिक असमानता बढ़ सकती है और समाज की स्थिरता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
10. बजट से आपका क्या अभिप्राय है ? बजट के प्रमुख घटकों को स्पष्ट कीजिए ।
Ans. बजट एक आर्थिक दस्तावेज होता है जो एक संघीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा विभिन्न आर्थिक कार्यों की योजना और नीतियों को स्थापित करने के लिए बनाया जाता है। इसमें सरकार के आय, व्यय, वित्तीय नीतियां, कर, योजनाएं, लागतों, अनुसूचियाँ, और आर्थिक प्रावधानों के बारे में जानकारी होती है।
बजट के प्रमुख घटकों में आम बजट (Revenue Budget), भविष्यवाणी (Forecast), लागत आधार (Expenditure Budget), आय प्रबंधन (Revenue Management), बजट द्वारा विभाजन (Allocation through Budget), निवेश बजट (Investment Budget), वार्षिक बजट (Annual Budget), वार्षिक आय बजट (Annual Revenue Budget), और विशेष बजट (Special Budget) शामिल होते हैं।
बजट का मुख्य उद्देश्य है आर्थिक प्रबंधन करना, समाज को सेवाएं प्रदान करना, आर्थिक विकास को समर्थन देना, लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार करना, और देश की प्रगति में सहायक होना।