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UP Board 10th Social Science Exam 2024 : Important Question with Answers

UP Board 10th Social Science Exam 2024 : Important Question with Answers

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UP बोर्ड 10वीं की Social Science परीक्षा 7th March, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।

यहाँ पर UP Board क्लास 10th के सामाजिक विज्ञान (UP Board Social Science Class 10th Exam 2024 VVI Most Important Question) से संबंधित महत्वपूर्ण objective, subjective प्रश्न दिए गए है। महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है जो बहुत ही अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किये गए है। इसमें प्रत्येक महत्वपूर्ण प्रश्नों को छांट कर एकत्रित किया गया है, जिससे कि विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

UP Board Social Science Class 10th Exam 2024 VVI Most Important Question

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. राष्ट्रवाद का उदय सर्वप्रथम किस देश से हुआ ?

(अ) जर्मनी
(ब) फ्रांस
(स) इटली
द) ब्रिटेन

Ans. (ब) फ्रांस

2. ड्यूक मैटरनिख ने सामाजिक व्यवस्था का सबसे खतरनाक दुश्मन किसको माना ?

(अ) रूसो
(स) काल्विन
(ब) विक्टर इमैनुएल
(द) ज्यूसेपी मेत्सिनी

Ans. (द) ज्यूसेपी मेत्सिनी

3. सूती कपड़ा मिल की रूपरेखा किसने रखी ?

(अ) जॉन राइट
(स) एंडू कार्नेगी
(ब) रिचर्ड आर्कराइट
(द) जेम्स वॉट

Ans. (ब) रिचर्ड आर्कराइट

4. 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत 50 प्रतिशत तक गिर गई इसका कारण था, अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में-

(अ) कीमतों का गिरना
(ब) कीमतों का बढ़ना
(स) कीमतों का स्थिर रहना
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं ।

Ans. (अ) कीमतों का गिरना

5. 1448 ई0 में गुटेन्बर्ग ने कौन सी पहली पुस्तक छापी ?

(अ) जेन आयर
(ब) रमोना
(स) हाट केटी डिड
(द) बाइबिल

Ans. (द) बाइबिल

6. बेल्जियम में सामुदायिक सरकार का चुनाव कौन करता है?

(अ) एक ही भाषा बोलने वाले लोग
(ब) सभी भाषाओं को बोलने वाले लोग
(स) केवल जर्मन भाषा बोलने वाले लोग
(द) उपरोक्त सभी

Ans. (अ) एक ही भाषा बोलने वाले लोग

7. निम्नलिखित में कौन-सा लक्षण संघीय सरकार से सम्बन्धित नहीं है ?

(अ) कठोर एवं लिखित संविधान
(ब) शक्तियों का केन्द्रीयकरण
(स) संघ एवं राज्यों के मध्य शक्तियों का विभाजन
(द) सर्वोच्च न्यायालय

Ans. (अ) कठोर एवं लिखित संविधान

8. निम्नलिखित में से लैंगिक असमानता को बढ़ावा देने का कारण नहीं है।

(अ) श्रम का लैंगिक विभाजन
(ब) जैविक बनावट
(स) समाज का पितृ प्रधान होना
(द) महिलाओं में साक्षरता दर की कमी

Ans. (ब) जैविक बनावट

9. साम्प्रदायिकता की समस्या प्रारम्भ होती है जब-

(अ) धर्म को ही राष्ट्र का आधार मान लिया जाए ।
(ब) धर्म को राष्ट्र से अलग कर दिया जाए।
(स) सभी धर्मो को समान रूप से माना जाए ।
(द) कुछ ही धर्मों को प्रधानता दी जाए ।

Ans. (अ) धर्म को ही राष्ट्र का आधार मान लिया जाए ।

10. निम्नलिखित में कौन सा संघ सूची का विषय नहीं है-

(अ) प्रतिरक्षा
(ब) मुद्रा
(स) शिक्षा
(द) विदेशी मामले

Ans. (ब) मुद्रा

11. निम्नलिखित में से पंजाब में भूमि संकुचन का मुख्य कारण क्या है ?

(अ) गहन खेती
(ब) अधिक सिंचाई
(स) वनोन्मूलन
(द) अति पशुचारण

Ans. (ब) अधिक सिंचाई

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12. निम्नलिखित को सुमेलित करते हुए सही विकल्प का चयन कीजिए ।

(क) भाखड़ा नांगल - (1) नर्मदा
(ख) हीराकुंड - (2) भागीरथी
(ग) सरदार सरोवर - (3) सतलुज
(घ) टिहरी - (4) महानदी
विकल्प-
(अ) क - 3, ख- 2, ग–4, घ–1
(ब) क - 1, ख-3, ग–2, घ-4
(स) क - 3, ख-4, ग-1, घ-2
(द) क - 4, ख - 1, ग-3, घ-2

Ans. (ब) क - 1, ख-3, ग–2, घ-4

13. निम्नलिखित में से प्राथमिक क्षेत्र का क्रियाकलाप नहीं है ।

(क) मछली पकड़ना
(ख) कृषि
(ग) गुड़ बनाना
(घ) डेयरी
विकल्प-
(अ) केवल ( क )
(ब) (क) एवं (ग)
(स) (क), (ख) एवं (घ)
(द) (ख) एवं (घ)

Ans. (द) (ख) एवं (घ)

14. सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र को किस आधार पर वर्गीकृत किया जाता है ?

(अ) रोजगार
(ब) आर्थिक क्रिया
(स) उद्यम का स्वामित्व
(द) श्रमिकों की संख्या

Ans. (स) उद्यम का स्वामित्व

15. भूक्षरण से क्या तात्पर्य है?

(अ) भूमि का अनुपजाऊ होना
(ब) भूमि का दलदली होना
(स) भूमि का उपजाऊ होना
(द) भूमि का योजनाबद्ध उपयोग

Ans. (स) भूमि का उपजाऊ होना

16. मगरमच्छ, गैंडा, काला हिरन किस जाति में नहीं आते है-

(अ) सामान्य जाति
(ब) संकट ग्रस्त जाति
(स) अ एवं ब
(द) उपरोक्त सभी

Ans. (ब) संकट ग्रस्त जाति

17. निम्नलिखित में से कौन - सा व्यापार अवरोधकों का लक्षण नहीं है?

(अ) सरकार विदेश व्यापार को नियमित करने के लिए व्यापार अवरोधकों का प्रयोग कर सकती है।
(ब) सरकार यह निर्णय ले सकती है कि देश में किस प्रकार की वस्तुएँ कितनी मात्रा में आयातित होनी चाहिए ।
(स) विश्व व्यापार संगठन व्यापार अवरोधकों को बढ़ावा देता है ।
(द) अधिकतर देश व्यापार अवरोधकों का प्रयोग अपने घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए करते है ।

Ans. (स) विश्व व्यापार संगठन व्यापार अवरोधकों को बढ़ावा देता है ।

18. भूमिहीन ग्रामीण मजदूरों के लिए सबसे अधिक उपयुक्त विकास का लक्ष्य कौन सा है ?

(अ) उपज का ज्यादा समर्थन मूल्य देना
(ब) उनके बच्चों को विदेश में बसाया जाना
(स) अधिक मजदूरी देना
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं ।

Ans. (स) अधिक मजदूरी देना

19. निम्नलिखित में से कौन सा परंपरागत ऊर्जा का स्त्रोत नहीं है ?

(अ) कोयला
(स) अ एवं ब दोनों
(ब) भूतापीय ऊर्जा
(द) उपरोक्त में से कोई नहीं

Ans. (ब) भूतापीय ऊर्जा

20. वैश्वीकरण का बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निवेश पर क्या प्रभाव पड़ा ?

(अ) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के निवेश में वृद्धि हुयी।
(ब) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों द्वारा भारत के विदेशी व्यापार के अधिकांश भाग पर नियंत्रण हुआ ।
(स) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगमन से लोगों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई ।
(द) उपरोक्त सभी ।

Ans. (द) उपरोक्त सभी ।

वर्णनात्मक – 1 (उत्तर लगभग 80 शब्दों में दीजिए ।)

1. प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात होने वाली महामंदी के दो कारण लिखिए ।

Ans. 

  1. युद्ध द्वारा उत्पन्न स्थितियाँ: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, कई देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को युद्ध के प्रयासों पर केंद्रित किया। इसका मतलब था कि उन्होंने उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में कमी की और भारी मात्रा में हथियार और अन्य युद्ध सामग्री का उत्पादन किया। युद्ध के बाद, इन देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं को वापस शांतिकालीन उत्पादन में बदलना पड़ा। इसने कई उद्योगों में मंदी पैदा की, और कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा।

  2. कृषि में अति-उत्पादन: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, कई देशों ने अपनी कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि की। इसका मतलब था कि युद्ध के बाद, इन देशों में कृषि उत्पादों की अधिकता थी। इससे कृषि की कीमतें गिर गईं, और कई किसानों को अपनी फसलों के लिए उचित मूल्य नहीं मिल पाया।

2. 1928 से 1934 के मध्य होने वाली महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दो प्रभावों की व्याख्या कीजिए ।

Ans. 

1928 से 1934 के मध्य होने वाली महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दो प्रभाव:
  1. कृषि क्षेत्र में गिरावट: महामंदी के दौरान, कृषि उत्पादों की कीमतों में भारी गिरावट आई। इसका कारण यह था कि कई देशों ने अपनी कृषि उत्पादन क्षमता में वृद्धि की थी, जिससे कृषि उत्पादों की अधिकता हो गई थी। इस गिरावट से भारतीय किसानों को भारी नुकसान हुआ, और उनकी आय में भारी कमी आई।

  2. व्यापार में गिरावट: महामंदी के दौरान, विश्व व्यापार में भारी गिरावट आई। इसका कारण यह था कि कई देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं को संरक्षित करने के लिए आयात शुल्क में वृद्धि की थी। इस गिरावट से भारत के विदेशी व्यापार पर भारी प्रभाव पड़ा, और भारत का निर्यात कम हो गया।

इन दो प्रभावों के अलावा, महामंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर अन्य प्रभाव भी पड़ा, जैसे कि औद्योगिक उत्पादन में गिरावट और बेरोजगारी में वृद्धि।

प्रभावों का विस्तार:
  • कृषि क्षेत्र में गिरावट:
    • किसानों की आय में कमी
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में गिरावट
    • कृषि ऋण में वृद्धि
  • व्यापार में गिरावट:
    • निर्यात में कमी
    • आयात में कमी
    • विदेशी मुद्रा भंडार में कमी
    • औद्योगिक उत्पादन में गिरावट
    • बेरोजगारी में वृद्धि

3. “सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है।" इस कथन की कारण सहित पुष्टि कीजिए ।

Ans. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र की आत्मा है - पुष्टि

कारण:

  • सभी नागरिकों को सशक्त बनाता है: जब शक्ति साझा होती है, तो सभी नागरिकों को अपनी सरकार में भाग लेने का अवसर मिलता है।
  • तानाशाही को रोकता है: जब शक्ति किसी एक व्यक्ति या समूह के हाथों में होती है, तो तानाशाही का खतरा बढ़ जाता है।
  • बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है: विभिन्न दृष्टिकोणों और विचारों को ध्यान में रखा जाता है।
  • सामाजिक न्याय को बढ़ावा देता है: सभी समूहों के लिए समान अवसर और न्याय सुनिश्चित करने में मदद मिलती है।

उदाहरण:

  • भारत में, शक्ति केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और स्थानीय सरकारों के बीच बांटी गई है।
  • भारत में, विभिन्न राजनीतिक दलों, धार्मिक समूहों और सामाजिक समूहों के बीच शक्ति बांटी गई है।

4. वर्तमान परिप्रेक्ष्य में “जाति में राजनीति एवं राजनीति में जाति कथन की व्याख्या कीजिए ।

Ans. 

जाति में राजनीति और राजनीति में जाति दोनों ही अहम विषय हैं जो भारतीय समाज और राजनीति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

  1. जाति में राजनीति (Caste in Politics):

    • इसका मतलब है कि जातियों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने से संबंधित है।
    • जातिगत नेतृत्व द्वारा जातियों के हितों या मुद्दों को उठाकर जाति में अपना समर्थन बढ़ाकर राजनीतिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है।
    • जातिगत राजनीति विभिन्न जातियों के बीच राजनीतिक रूप से ज्यादा प्रभावशाली और शक्तिशाली जातियों की भूमिका को बढ़ावा देती है।
  2. राजनीति में जाति (Caste and Politics):

    • इसका मतलब है कि राजनीति के अंतर्गत जातियों को उचित प्रतिनिधित्व प्रदान करने का प्रयास किया जाता है।
    • चुनावी क्षेत्रों में राजनीतिक दलों द्वारा जातिगत समीकरण के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया जाता है।
    • जातियों के प्रति आम जनता में यह भाव उत्पन्न होता है कि अमुक दल किसी विशेष जाति का प्रतिनिधित्व करता है।

5. 'आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है।' इसके कोई दो कारण लिखिए |

Ans. 

कारण:

  1. उद्योगों का संचालन: ऊर्जा सभी उद्योगों के लिए आवश्यक है। ऊर्जा के बिना, उत्पादन, परिवहन, और वितरण जैसी गतिविधियां संभव नहीं हैं।
  2. जीवन स्तर में सुधार: ऊर्जा शिक्षा, स्वास्थ्य, और संचार जैसे क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऊर्जा के बिना, लोगों का जीवन स्तर में सुधार करना मुश्किल है।

उदाहरण:

  • बिजली के बिना, उद्योगों का संचालन नहीं हो सकता है।
  • ऊर्जा के बिना, लोगों को स्वच्छ पानी और भोजन नहीं मिल सकता है।

6. परिवहन तथा संचार के साधन किसी भी देश की जीवन रेखा क्यों माने जाते हैं ? दो कारण लिखिए ।

Ans. 

कारण:

  1. आर्थिक विकास: परिवहन और संचार के साधन अर्थव्यवस्था को गति देते हैं। वे लोगों, वस्तुओं और सेवाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में मदद करते हैं।
  2. सामाजिक विकास: परिवहन और संचार के साधन लोगों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सेवाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं।

उदाहरण:

  • सड़कें, रेलवे, और हवाई अड्डे व्यापार और वाणिज्य को बढ़ावा देते हैं।
  • टेलीफोन, इंटरनेट, और अन्य संचार माध्यम लोगों को एक-दूसरे से जुड़े रहने में मदद करते हैं।

7. बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ अपने उत्पाद की उत्पादन लागत कम बनाए रखने के लिए किस प्रकार का प्रबन्धन करती है ? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए ।

Ans. 

प्रबंधन:

  1. सामूहिक उत्पादन: बहुराष्ट्रीय कम्पनियां बड़ी मात्रा में उत्पादन करके लागत कम करती हैं।
  2. तकनीकी नवाचार: वे उत्पादन प्रक्रिया में नवीनतम तकनीकों का उपयोग करते हैं।

उदाहरण:

  • कार निर्माता कंपनियां बड़ी मात्रा में कारों का उत्पादन करके लागत कम करती हैं।
  • कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां रोबोटिक्स और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों का उपयोग करती हैं।

8. अच्छे बाजार के किन्ही दो लक्षणों का उल्लेख कीजिये ।

Ans. अच्छे बाजार के दो लक्षण:

  1. प्रतिस्पर्धा: एक अच्छे बाजार में कई खरीदार और विक्रेता होते हैं। यह प्रतिस्पर्धा विक्रेताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों और सेवाओं को उचित मूल्य पर प्रदान करने के लिए प्रेरित करती है।
  2. पारदर्शिता: एक अच्छे बाजार में, सभी खरीदारों और विक्रेताओं को बाजार की जानकारी तक समान पहुंच होती है। यह उन्हें सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।

अन्य महत्वपूर्ण लक्षण:

  • सुगमता: खरीदारों और विक्रेताओं के लिए बाजार में प्रवेश और बाहर निकलना आसान होना चाहिए।
  • नियम और कानून: बाजार को नियमों और कानूनों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए जो सभी पक्षों के लिए निष्पक्ष हों।

वर्णनात्मक -2 ( उत्तर लगभग 150 शब्दों में दीजिए)

9. महात्मा गांधी ने असहयोग आन्दोलन क्यों चलाया ? किन्हीं दो कारणों को लिखिए। इसे उन्होंने स्थगित कयों कर दिया?

Ans. महात्मा गांधी द्वारा असहयोग आन्दोलन चलाने के दो कारण:

  1. रॉलेट एक्ट का विरोध: 1919 में, ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पारित किया, जिसने सरकार को बिना किसी मुकदमे के लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया। गांधीजी ने इसे भारतीयों के नागरिक अधिकारों का उल्लंघन माना और इसके खिलाफ असहयोग का आह्वान किया।

  2. खिलाफत आंदोलन का समर्थन: 1919 में, तुर्की के खिलाफ ब्रिटिश नीति के विरोध में खिलाफत आंदोलन शुरू हुआ। गांधीजी ने इसे एक राष्ट्रीय मुद्दा माना और इसे अपना समर्थन दिया। उन्होंने असहयोग आंदोलन को खिलाफत आंदोलन के साथ जोड़ दिया, जिससे यह और भी शक्तिशाली हो गया।

गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन स्थगित करने के कारण:
  1. हिंसक घटनाएं: 1922 में, उत्तर प्रदेश के चोरी-चौरा में हिंसक घटनाएं हुईं। गांधीजी ने इन घटनाओं को असहयोग आंदोलन के मूल्यों के खिलाफ माना और इसे स्थगित करने का फैसला किया।

  2. आंदोलन का कमजोर पड़ना: 1922 तक, असहयोग आंदोलन कमजोर पड़ने लगा था। कई लोग आंदोलन में शामिल नहीं हुए थे, और कुछ लोग हिंसा का समर्थन कर रहे थे। गांधीजी ने आंदोलन को आगे बढ़ाने के बजाय इसे स्थगित करना उचित समझा।

10. सत्याग्रह का क्या अर्थ है ? महात्मा गांधी द्वारा चलाए जाने वाले किन्ही दो सत्याग्रह आन्दोलनों का उल्लेख कीजिए |

Ans. सत्याग्रह का अर्थ और गांधीजी द्वारा चलाए गए दो सत्याग्रह आंदोलन:

सत्याग्रह:

सत्याग्रह एक सामाजिक, राजनीतिक और आध्यात्मिक दर्शन है जो सत्य और अहिंसा पर आधारित है। इसका अर्थ है "सत्य के लिए आग्रह"। गांधीजी ने इसे "आत्मा की शक्ति" कहा। सत्याग्रह में, व्यक्ति अन्यायपूर्ण कानूनों और नीतियों का विरोध करता है, लेकिन हिंसा का सहारा नहीं लेता।

गांधीजी द्वारा चलाए गए दो सत्याग्रह आंदोलन:

  1. असहयोग आंदोलन (1920-22): यह आंदोलन रॉलेट एक्ट, खिलाफत आंदोलन और अन्य ब्रिटिश नीतियों के विरोध में चलाया गया था। इसमें लोगों ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार, सरकारी संस्थानों से सहयोग वापस लेना और स्वदेशी उत्पादों का उपयोग करना शामिल था।

  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34): यह आंदोलन नमक पर लगाए गए कर का विरोध करने के लिए चलाया गया था। इसमें लोगों ने नमक कानून तोड़ा और ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया।

अन्य महत्वपूर्ण सत्याग्रह आंदोलन:

  • चंपारण सत्याग्रह (1917)
  • खेड़ा सत्याग्रह (1918)
  • दांडी यात्रा (1930)
  • भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सत्याग्रह केवल राजनीतिक विरोध का साधन नहीं है। इसका उपयोग सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने के लिए भी किया जा सकता है।

11. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों पड़ती है? इनके किन्ही चार कार्यों का उल्लेख कीजिए ।

Ans. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की आवश्यकता:

लोकतंत्र में, नागरिकों को सरकार चुनने का अधिकार होता है। राजनीतिक दल नागरिकों को विभिन्न विचारधाराओं और नीतिगत विकल्पों के आधार पर सरकार चुनने में मदद करते हैं। वे लोगों को एकजुट करते हैं और उन्हें अपनी आवाज बुलंद करने का मंच प्रदान करते हैं।

राजनीतिक दलों के चार कार्य:

  1. चुनाव लड़ना: राजनीतिक दल चुनावों में भाग लेते हैं और अपनी नीतियां और विचारधारा लोगों के सामने रखते हैं।
  2. सरकार बनाना: चुनाव जीतने के बाद, राजनीतिक दल सरकार बनाते हैं और देश का शासन करते हैं।
  3. विपक्ष की भूमिका निभाना: जो राजनीतिक दल चुनाव हार जाते हैं, वे विपक्ष की भूमिका निभाते हैं और सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं।
  4. नागरिकों को शिक्षित करना: राजनीतिक दल नागरिकों को राजनीतिक मुद्दों के बारे में शिक्षित करते हैं और उन्हें अपनी राय व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

अन्य महत्वपूर्ण कार्य:

  • राजनीतिक दल देश में सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • वे विभिन्न समुदायों के बीच शांति और सद्भाव बनाए रखने में भी मदद करते हैं।

12. लोकतंत्र उत्तरदायी, पारदर्शी एवं वैध शासन की व्यवस्था देता है ? इस कथन की व्याख्या कीजिए ।

Ans. लोकतंत्र उत्तरदायी, पारदर्शी एवं वैध शासन की व्यवस्था क्यों देता है:

उत्तरदायी: लोकतंत्र में, सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है। इसका मतलब है कि सरकार को जनता के हितों में काम करना होता है और जनता के प्रति जवाबदेह होना होता है। जनता सरकार को चुनावों में हराकर बदल सकती है।

पारदर्शी: लोकतंत्र में, सरकार की गतिविधियां पारदर्शी होती हैं। इसका मतलब है कि जनता को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। सरकार को अपनी नीतियां और कार्यक्रमों का खुलासा करना होता है।

वैध: लोकतंत्र में, सरकार वैध होती है। इसका मतलब है कि सरकार जनता की सहमति से बनती है। जनता चुनावों में भाग लेकर सरकार चुनती है।

लोकतंत्र इन तीनों पहलुओं को कैसे प्राप्त करता है:

  • चुनाव: लोकतंत्र में, सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से बनती है। यह जनता को सरकार को चुनने और बदलने का अधिकार देता है।
  • विचारों की स्वतंत्रता: लोकतंत्र में, लोगों को अपनी राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है। यह उन्हें सरकार की नीतियों की आलोचना करने और बेहतर नीतियों का सुझाव देने की अनुमति देता है।
  • सूचना का अधिकार: लोकतंत्र में, लोगों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। यह उन्हें सरकार को जवाबदेह ठहराने में मदद करता है।

13. मृदा अपरदन का क्या अर्थ है? मृदा अपरदन का भूमि पर पड़ने वाले दो प्रभावों का वर्णन कीजिए ।

Ans. मृदा अपरदन का अर्थ और भूमि पर प्रभाव:

मृदा अपरदन: मृदा अपरदन मिट्टी की ऊपरी परत का पानी, हवा या अन्य प्राकृतिक कारकों द्वारा क्षरण होता है। यह मिट्टी की उर्वरता को कम करता है और भूमि को कृषि के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

मृदा अपरदन का भूमि पर प्रभाव:

  1. उर्वरता में कमी: मिट्टी की ऊपरी परत में पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होती है। मृदा अपरदन के कारण मिट्टी की ऊपरी परत का क्षरण होता है, जिससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है।

  2. बाढ़ का खतरा: मिट्टी अपरदन के कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम होती है। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।

अन्य प्रभाव:

  • मिट्टी का क्षरण नदियों और जलाशयों में गाद जमा होने का कारण बनता है।
  • यह जैव विविधता को भी नुकसान पहुंचाता है।

रोकथाम के उपाय:

  • वनीकरण
  • घास-फूस का आवरण
  • समोच्च खेती
  • बंधन
  • जल संरक्षण

14. भारत में पाये जाने वाले मोटे अनाजों का उल्लेख कीजिए। इनकी पैदावार बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते है ? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए ।

Ans. भारत में पाए जाने वाले मोटे अनाज:

  • ज्वार: यह भारत में सबसे अधिक उगाया जाने वाला मोटा अनाज है। यह सूखा सहन करने वाला और कम उपजाऊ मिट्टी में भी उगने वाला अनाज है।
  • बाजरा: यह भारत का दूसरा सबसे अधिक उगाया जाने वाला मोटा अनाज है। यह भी सूखा सहन करने वाला और कम उपजाऊ मिट्टी में उगने वाला अनाज है।
  • मक्का: यह भारत का तीसरा सबसे अधिक उगाया जाने वाला मोटा अनाज है। यह एक बहुमुखी अनाज है जो विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में उपयोग किया जाता है।
  • रगी: यह एक पौष्टिक अनाज है जो कैल्शियम और आयरन से भरपूर होता है। यह दक्षिण भारत में लोकप्रिय है।
  • कोदो: यह एक पौष्टिक अनाज है जो प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है। यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में लोकप्रिय है।
मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने के उपाय:
  1. बेहतर बीजों का विकास: सरकार को बेहतर बीजों का विकास करने और किसानों को इन बीजों को उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करना चाहिए।
  2. किसानों को प्रशिक्षण: सरकार को किसानों को मोटे अनाज की खेती के उन्नत तरीकों के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए प्रयास करना चाहिए।

अन्य उपाय:

  • मोटे अनाज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में वृद्धि
  • मोटे अनाज के लिए बाजार का विस्तार
  • मोटे अनाज के बारे में जागरूकता फैलाना

15. 'असंगठित क्षेत्रक के श्रमिक सामाजिक भेद-भाव के शिकार है इसके तीन कारण लिखिए |

Ans. असंगठित क्षेत्र के श्रमिक सामाजिक भेद-भाव के शिकार हैं:

तीन कारण:

  1. कम सामाजिक सुरक्षा: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है, जैसे कि स्वास्थ्य बीमा, पेंशन, और बेरोजगारी लाभ। यह उन्हें सामाजिक भेद-भाव के लिए अधिक संवेदनशील बनाता है।

  2. कम शिक्षा और कौशल: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों में शिक्षा और कौशल का स्तर कम होता है। यह उन्हें बेहतर रोजगार के अवसरों से वंचित करता है और उन्हें सामाजिक भेद-भाव का शिकार बनाता है।

  3. असंगठित: असंगठित क्षेत्र के श्रमिक संगठित नहीं होते हैं। यह उन्हें अपनी आवाज उठाने और सामाजिक भेद-भाव के खिलाफ लड़ने में कमजोर बनाता है।

अन्य कारण:

  • जाति और लिंग भेदभाव: असंगठित क्षेत्र में जाति और लिंग भेदभाव भी आम है।
  • शोषण: असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का शोषण भी आम है।

16. मानव विकास सूचकांक क्या है? मानव विकास को नापने वाले प्रमुख अवयवों का वर्णन कीजिए ।

Ans. मानव विकास सूचकांक (एचडीआई):

मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) एक सांख्यिकीय उपाय है जो किसी देश में मानव विकास के स्तर को मापता है। यह शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर के आधार पर गणना की जाती है।

मानव विकास को नापने वाले प्रमुख अवयव:

  1. जीवन प्रत्याशा: यह जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को दर्शाता है।
  2. शिक्षा सूचकांक: यह वयस्कों में साक्षरता दर और स्कूली शिक्षा के वर्षों को दर्शाता है।
  3. जीडीपी प्रति व्यक्ति: यह प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को दर्शाता है।

एचडीआई की गणना:

एचडीआई की गणना इन तीन अवयवों के मूल्यों को औसत करके की जाती है। प्रत्येक अवयव को 0 से 1 के बीच स्केल किया जाता है, 1 सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्शाता है।

एचडीआई का महत्व:

एचडीआई देशों के बीच मानव विकास के स्तर की तुलना करने का एक उपयोगी तरीका है। यह सरकारों को मानव विकास में सुधार के लिए नीतियां बनाने में मदद कर सकता है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एचडीआई मानव विकास का एकमात्र उपाय नहीं है। अन्य महत्वपूर्ण कारक भी हैं, जैसे कि सामाजिक समावेश, पर्यावरणीय स्थिरता और मानव अधिकारों का सम्मान।

एचडीआई के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:

  • एचडीआई को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
  • एचडीआई की गणना हर साल की जाती है।
  • 2023 में, नॉर्वे एचडीआई में सबसे ऊपर है, इसके बाद स्विट्जरलैंड, हॉन्गकॉन्ग और आयरलैंड हैं।
  • भारत एचडीआई में 132 वें स्थान पर है.

 

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