Question 1 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है। यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।
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लोक साहित्य किसका प्रतिनिधित्व करता है?
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से इसका सही उत्तर विकल्प 1 ' लोक जीवन का' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
लोक साहित्य लोक जीवन का प्रतिनिधित्व करता है सन्दर्भ पंक्ति - लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में लोक साहित्य के स्वरूप को विवेचित किया गया है। लोक जीवन के हर क्रियाकलाप में लोक साहित्य रचा- बसा है, अत: लोक साहित्य लोक जीवन का दर्पण कहा जा सकता है।
Question 2 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है। यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।
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लोक साहित्य किसका दर्पण होता है?
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से इसका सही उत्तर विकल्प 2 ' समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। सन्दर्भ पंक्ति - लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में लोक साहित्य के स्वरूप को विवेचित किया गया है। लोक जीवन के हर क्रियाकलाप में लोक साहित्य रचा- बसा है, अत: लोक साहित्य लोक जीवन का दर्पण कहा जा सकता है।
Question 3 5 / -1
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निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है। यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।
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लोक साहित्य नहीं है -
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से इसका सही उत्तर विकल्प 2 ' लिखित साहित्य ' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
लोक साहित्य लिखित साहित्य नहीं है। सन्दर्भ पंक्ति - यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में लोक साहित्य के स्वरूप को विवेचित किया गया है। लोक जीवन के हर क्रियाकलाप में लोक साहित्य रचा- बसा है, अत: लोक साहित्य लोक जीवन का दर्पण कहा जा सकता है।
Question 4 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है। यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।
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लोक साहित्य किससे कोसों दूर है?
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से इसका सही उत्तर विकल्प 4 ' कृत्रिमता और आडंबर से ' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
लोक साहित्य कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। सन्दर्भ पंक्ति - लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है। Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में लोक साहित्य के स्वरूप को विवेचित किया गया है।
लोक जीवन के हर क्रियाकलाप में लोक साहित्य रचा- बसा है, अत: लोक साहित्य लोक जीवन का दर्पण कहा जा सकता है।
Question 5 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है। लोक साहित्य लोक का साहित्य है, लोक चेतना का साहित्य है, लोक मानस और लोक संस्कृति का साहित्य है, लोगों के जीवन अनुभवों का सत्य है। यह सहज, सरल, अनौपचारिक और आडंबर रहित साहित्य है। इसमें आम जनता के रीति-रिवाज, विधि-विधान, क्रियाकलाप, विश्वास, प्रथाएं, परंपराएं आदि सभी कुछ समाहित रहता है। लोक साहित्य लोक जीवन को प्रतिध्वनित करने वाला साहित्य है। यह साहित्य मौखिक है तथा कृत्रिमता और आडंबर से कोसों दूर है। इसमें आमजन के हास-परिहास तथा दैनिक क्रियाकलापों का स्वाभाविक वर्णन मिलता है।
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उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा -
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से इसका सही उत्तर विकल्प 1 ' लोक साहित्य का स्वरूप ' है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
उपर्युक्त गद्यांश में लोक साहित्य का स्वरूप निर्धारित किया गया है। इसमें लोक साहित्य के स्वरूप के विविध तत्वों को रेखांकित किया गया है। सम्पूर्ण गद्यांश लोक साहित्य की अवधारणा से संबंधित है। अत: इसका उचित शीर्षक लोक साहित्य का स्वरूप है। Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में लोक साहित्य के स्वरूप को विवेचित किया गया है। लोक जीवन के हर क्रियाकलाप में लोक साहित्य रचा- बसा है, अत: लोक साहित्य लोक जीवन का दर्पण कहा जा सकता है।
Question 6 5 / -1
Directions For Questions
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।
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गद्यांश का उचित शीर्षक क्या हो सकता है?
Solution
गद्यांश का उचित शीर्षक "पुस्तकालय और भारत" हो सकता है।
Key Points पुरे गद्यांश में पुस्तकालय की बात हुई है की कैसे वो हमारे देश का गौरव बढ़ाती आयी है सदियों से चली आयी पुस्तकालय का बहुत बड़ा स्थान है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसलिए इसका उचित शीर्षक पुस्तकालय और भारत है। Additional Information साधन
बहुवचन - साधन समानार्थी शब्द - माध्यम लिंग - पुल्लिंग संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक सभ्यता
समानार्थी शब्द - संस्कृति , कल्चर लिंग - स्त्रीलिंग पुस्तकालय
समानार्थी शब्द - लाइब्रेरी , ग्रंथालय , ग्रंथागार , पुस्तकागार लिंग - पुल्लिंग संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक गणनीयता - गणनीय समास - तत्पुरुष समास विग्रह - पुस्तकों का आलय
Question 7 5 / -1
Directions For Questions
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।
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पुस्तकालयों के द्वारा भारत को क्या गौरव प्राप्त था?
Solution
पुस्तकालयों के द्वारा भारत को ये गौरव प्राप्त था की "
इनके कारण चीन, फारस आदि देशों से विद्यानुरागी भारत आया करते थे"। Key Points पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। Additional Information संसार
समानार्थी शब्द - जगत , दुनिया , विश्व , जग विलोम शब्द - परलोक लिंग - पुल्लिंग संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक प्रसिद्धि
समानार्थी शब्द - मशहूर , विख्यात विलोम शब्द - अप्रसिद्ध विशेषण के प्रकार - गुणवाचक मूल शब्द - सिद्ध उपसर्ग - प्र
Question 8 5 / -1
Directions For Questions
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।
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पुराने समय में पुस्तकालय में अधिक व्यय क्यों होता था?
Solution
पुराने समय में पुस्तकालय में अधिक व्यय मुद्रण की व्यवस्था न होने के कारण होता था।
Key Points मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है। उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। Additional Information निजीकरण
वाक्य में प्रयोग - कुछ बैंकों का निजीकरण आवश्यक है । लिंग - पुल्लिंग संरक्षण
वाक्य में प्रयोग - किसान खेतों की रखवाली कर रहा है । समानार्थी शब्द - रखवाली , देख-रेख , हिफाजत , हिफ़ाज़त लिंग - पुल्लिंग व्यवस्था
वाक्य में प्रयोग - शादी में लड़कीवालों ने बहुत अच्छी व्यवस्था की थी । लिंग - स्त्रीलिंग एक तरह का - काम
Question 9 5 / -1
Directions For Questions
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।
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साहित्य की उन्नति का सबसे अधिक महत्वपूर्ण साधन क्या है-
Solution
साहित्य की उन्नति का सबसे अधिक महत्वपूर्ण साधन "पुस्तकालय" है।
Key Points साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे। सभ्यता
वाक्य में प्रयोग - हड़प्पा और मोहनजोदड़ो भारत की प्राचीन सभ्यता के उत्कृष्ट उदाहरण हैं । लिंग - स्त्रीलिंग विद्यालय
बहुवचन - विद्यालय समानार्थी शब्द - पाठशाला , स्कूल , शाला लिंग - पुल्लिंग संज्ञा के प्रकार - जातिवाचक
Question 10 5 / -1
Directions For Questions
निर्देशः निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गये प्रश्नों के सर्वाधिक उचित उत्तर वाले विकल्प का चयन कीजिए।
साहित्योन्नति के साधनों में पुस्तकालयों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है। इनके द्वारा साहित्य के जीवन की रक्षा, पुष्टि और अभिवृद्धि होती है। पुस्तकालय, सभ्यता के इतिहास का जीता जागता गवाह है। इसी के बल पर वर्तमान भारत को अपने अतीत गौरव पर गर्व है। पुस्तकालय भारत के लिये कोई नई वस्तु नहीं है। लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। मुद्रण कला के आविष्कार से पूर्व पुस्तकों का संग्रह करना आजकल की तरह सरल बात न थी। आजकल साधारण स्थिति के पुस्तकालय में जितनी सम्पत्ति लगती है, उतनी उन दिनों कभी-कभी एक-एक पुस्तक की तैयारी में लग जाया करती थी। भारत के पुस्तकालय संसार भर में अपनी सानी नहीं रखते थे। प्राचीन काल में मुगल सम्राटों के समय तक यही स्थिति रही। चीन-फारस प्रभृति सुदूर स्थित देशों से झुण्ड के झुण्ड विद्यानुरागी लम्बी यात्रायें करके भारत आया करते थे।
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पुस्तकालय का प्रारम्भ कब से हुआ?
Solution
पुस्तकालय का प्रारम्भ "लिपि के आविष्कार के साथ" हुआ।
Key Points लिपि के आविष्कार से आज तक लोग निरन्तर पुस्तकों का संग्रह करते रहे हैं। पहले देवालय, विद्यालय, नृपालय इन संग्रहों के प्रमुख स्थान होते थे। इनके अतिरिक्त विद्वत्जनों के अपने निजी पुस्तकालय भी होते थे। Key Points मुद्रण
वाक्य में प्रयोग - अभी आपकी पुस्तक की छपाई शुरु नहीं हुई है । समानार्थी शब्द - छपाई लिंग - पुल्लिंग स्थापना
समानार्थी शब्द - संस्थापना , संस्थापन लिंग - स्त्रीलिंग संज्ञा के प्रकार - भाववाचक लिपि
वाक्य में प्रयोग - हिन्दी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है । समानार्थी शब्द - लिबि , लिबि लिंग - स्त्रीलिंग
Question 11 5 / -1
Directions For Questions
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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उपयुक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए ?
Solution
उपर्युक्त गद्यांश के अनुसार हमारे देश का
राष्ट्रीय पशु ही सही विकल्प है। क्योंकि गद्यांश में बाघ की बात हुई है। अतः सही विकल्प
‘राष्ट्रीय पशु’ है।
बाघ एक राष्ट्रीय पशु है, इस वजह से प्रोजेक्ट टाईगर ( बाघ बचाओ परियोजना ) की शुरुआत 7 अप्रैल 1973 को हुई थी। इसके अन्तर्गत आरम्भ में 9 बाघ अभयारण्य बनाए गए थे। आज इनकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। Key Points बाघों की मुख्य रूप से आठ प्रजातियां हैं , जिनमें से बंगाल (रायल बंगाल टाइगर), साइबेरियन, साउथ-चाइना, इंडो-चायनीज और सुमात्रा प्रजाति के बाघ अभी शेष हैं , जबकि बाली, जावा एवं एक अन्य प्रजाति विलुप्त हो चुकी है।
Question 12 5 / -1
Directions For Questions
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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गद्यांश में खूँखार का क्या अर्थ है ?
Solution
उपयुक्त गद्यांश के अनुसार खूँखार का अर्थ
भयानक होता है। अतः सही विकल्प
‘भयानक’ है।
Key Points अन्य विकल्प :
जंगली - जंगल में उपजने वाला
डरावना - डर पैदा कर देने वाला दृश्य
मजबूत - दृढ़, पुख्ता
Question 13 5 / -1
Directions For Questions
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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निम्नलिखित में कौन - सा कथन सही है ?
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में विकल्प 4 सही है। अन्य विकल्प सही नहीं है। अतः सही विकल्प
‘ बाघ की गति तीव्र होती है’ है।
Key Points अन्य विकल्प: बाघ दूसरे जंतुओं का मांस खाता है, अत: बाघ एक मांसाहारी जंतु है। बाघ पालतू पशु नही, वन्य प्राणी माना जाता है। बाघ के शरीर पर धारी सफ़ेद रंग की होती है।
Question 14 5 / -1
Directions For Questions
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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स्फूर्ति से क्या आशय है ?
Solution
प्रस्तुत विकल्पों में उत्साह ही सटीक विकल्प है। अतः सही विकल्प
‘ उत्साह’ है।
स्फूर्ति का ही नाम उत्साह होता है। उत्साही व्यक्ति हमेशा जीवन में आनंदी रहता है।
Key Points अन्य विकल्पों का विश्लेषण: तेज - चमक स्फुरण - कम्पन आकस्मिक - अचानक होने वाला
Question 15 5 / -1
Directions For Questions
बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह वनों में पाया जाता है, इसकी देह पतली और हलकी होती है। इस पर गहरी कत्थई रंग की धारियाँ होती हैं जो देखने में बहुत सुन्दर लगती है। इसका मुँह छोटा होता है और इसकी दहाड़ शेर के सामान दिल दहलाने वाली नहीं होती है, यह हमेशा टेढ़ी चाल चलता है और कभी भी अपने शिकार पर सामने से आक्रमण नहीं करता, इसका आक्रमण हमेशा छिपकर होता है। यह बहुत चालाक पशु है। इसकी छलाँग शेर से लम्बी होती है और दौड़ने का वेग भी उससे अधिक होता है। यह खूँखार मासांहारी पशुओं में स्फूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। यह कभी - कभी वन में लगे पौधों के बीच में छुपकर गाय, बकरी आदि का शिकार करता है। बाघ स्फूर्ति, चतुराई, साहस और तीव्रता का प्रतीक होने के कारण भारत का राष्ट्रीय पशु है।
उपरोक्त गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
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किस पशु की छलाँग शेर से तेज होती है ?
Solution
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार बाघ ही ऐसा पशु है जिसकी गति तीव्र है। अतः अन्य विकल्प सही नहीं है, विकल्प
‘ बाघ’ सही उत्तर है।
Key Points अन्य विकल्प का विश्लेषण: हिरण या मृग एक खुरदार रोमंथक स्तनधारी प्राणियों का समूह है ।भेडिया एक कुत्ते का जंगली रूप है।बकरी एक पालतू पशु है, जिसे दूध और मांस के लिए पाला जाता है।
Question 16 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-
एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
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कृषि प्रधान देश में अस्पृश्यों की जीविका का साधन क्या है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘ मजदूरी ’ होगा। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर हैं।
Key Points
कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। इसलिए मजदूरी ही इनकी जीविका का साधन है।
Question 17 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-
एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
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अस्पृश्य वाजिब मजदूरी को मना नहीं कर सकते क्योंकि-
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘ वे मजबूर हैं। ’ होगा। इसके अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। इसलिए अस्पृश्य मजबूर हैं नहीं तो उनको कोई काम ही न मिले।
Question 18 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-
एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
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भारत के किस प्रांत में ‘भूमि स्वामित्व अधिनियम’ बना है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘ पंजाब ’ होगा। अन्य विकल्प त्रुटिपूर्ण विकल्प होंगे।
Key Points
पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते।
Question 19 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-
एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
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अस्पृश्य से क्या आशय है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘ स्पर्श के योग्य न होना ’ है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर होंगे।
Key Points
अस्पृश्य - स्पर्श करने के योग्य न हो, वह जिसे छूना नहीं चाहिए या वह जो न छूने योग्य हो। अस्पृश्य को जमीन खरीदने का हक नहीं है। अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
Question 20 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्न (28-32) के उत्तर दीजिए-
एक कृषि-प्रधान देश में जीविका का प्रमुख साधन कृषि हो सकती है, परंतु रोजी-रोटी का यह साधन आमतौर से अस्पृश्यों के लिए उपलब्ध नहीं है। इसके कई कारण हैं। पहली बात तो यह है कि जमीन खरीदना उनके वश की बात नहीं और दूसरी यह कि यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। देश के अधिकांश भागों में हिंदू इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी का प्रयत्न करे। किसी अस्पृश्य के ऐसे दुस्साहस का विरोध ही नहीं किया जाता, बल्कि उसको सजा भी भुगतनी पड़ सकती है। कुछ भागों में तो उनके जमीन खरीदने पर कानूनी प्रतिबंध है। उदाहरणार्थ, पंजाब प्रांत में एक कानून है जिसका नाम है, भूमि स्वामित्व अधिनियम। इस कानून में उन जातियों का उल्लेख किया गया है, जो जमीन खरीद सकती हैं और अस्पृश्यों को इस सूची में शामिल नहीं किया गया है। इसके परिणामस्वरूप अधिकांश भागों में अस्पृश्य भूमिहीन मजदूर रहने के लिए विवश है और मजदूर के रूप में वे वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकते। वे हिंदू किसानों के लिए उसी मजदूरी पर काम करने को मजबूर हैं, जो उन्हें मालिक देना चाहे। इस प्रश्न पर हिंदू किसान मजदूरी कम से कम रखने के लिए आपस में एकमत हो जाते हैं, क्योंकि यह उनके हित में होता है। दूसरी और अस्पृश्यों के पास कोई चारा नहीं रहता। वे या तो उसी मजदूरी पर काम करें अथवा भूखों मरें। न ही उनमें मोल-तौल करने की क्षमता होती है। वे या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें।
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दिए गए विकल्पों में कौन सा कथन अनुचित है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘ अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी कर सकता है। ’ होगा। अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
यदि अस्पृश्य जमीन खरीदने की स्थिति में है, तो भी वह ऐसा नहीं कर सकता। अस्पृश्य जाति के लोग या तो निश्चित की हुई दरों पर काम करें या फिर पिटाई के लिए तैयार रहें। मजदूर के रूप में अस्पृश्य वाजिब मजदूरी की माँग नहीं कर सकता है। ये सभी कथन उचित हैं। जबकि अस्पृश्य जाति का कोई व्यक्ति जमीन खरीदकर स्पृश्य जाति की बराबरी कर सकता है। यह गलत कथन है क्योंकि वह स्पृश्य जाति की बराबरी नहीं कर सकता है।
Question 21 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया। मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया। तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए। बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया।
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परीक्षित को किस ऋषि ने शाप दिया था?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 4 ' श्रृंगी ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
परीक्षित को श्रृंगी ऋषि ने शाप दिया था। सन्दर्भ पंक्ति - पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई।Important Points
श्रृंगी ऋषि कौन थे -
ऋष्यशृंग या श्रृंगी ऋषि वाल्मीकि रामायण में एक पात्र हैं जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराये थे। वह विभाण्डक ऋषि के पुत्र तथा कश्यप ऋषि के पौत्र बताये जाते हैं। उनका विवाह अंगदेश के राजा रोमपाद की दत्तक पुत्री शान्ता से सम्पन्न हुआ जो कि वास्तव में दशरथ की पुत्री थीं।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक कथा ‘भृंगी ऋषि का राजा परीक्षित को श्राप’, का एक अंश वर्णित किया गया है। इस कथा का मूल सन्देश है कि बुद्धि और ज्ञान से अपने मन को वश में कर के भगवान के इसी विराट रूप का ध्यान करना चाहिये।
Question 22 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया। मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया। तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए। बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया।
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जनमेयज ने कौन-सा यज्ञ किया?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 1 ' सर्पयज्ञ ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
जनमेयज ने सर्पयज्ञ किया। सन्दर्भ पंक्ति - पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक कथा ‘भृंगी ऋषि का राजा परीक्षित को श्राप’, का एक अंश वर्णित किया गया है। इस कथा का मूल सन्देश है कि बुद्धि और ज्ञान से अपने मन को वश में कर के भगवान के इसी विराट रूप का ध्यान करना चाहिये।
Question 23 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया। मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया। तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए। बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया।
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जनमेजय के यज्ञ की प्रशंसा किसने की?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 2 ' आस्तीक ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
जनमेजय के यज्ञ की प्रशंसा आस्तीक ने की। सन्दर्भ पंक्ति - इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक कथा ‘भृंगी ऋषि का राजा परीक्षित को श्राप’, का एक अंश वर्णित किया गया है। इस कथा का मूल सन्देश है कि बुद्धि और ज्ञान से अपने मन को वश में कर के भगवान के इसी विराट रूप का ध्यान करना चाहिये।
Question 24 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया। मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया। तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए। बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया।
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जनमेजय को वर देने से किसने मना किया?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 3 ' ऋत्विजों ने ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
जनमेजय को वर देने से ऋत्विजों ने मना किया। सन्दर्भ पंक्ति - इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक कथा ‘भृंगी ऋषि का राजा परीक्षित को श्राप’, का एक अंश वर्णित किया गया है। इस कथा का मूल सन्देश है कि बुद्धि और ज्ञान से अपने मन को वश में कर के भगवान के इसी विराट रूप का ध्यान करना चाहिये।
Question 25 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया। मंत्राहुत होकर सर्प यज्ञकुण्ड में आ-आकर गिरने लगे। इसी बीच वासुकी की बहन नाग कन्या, जरत्कात का पुत्र आस्तीक आकर जनमेजय और उसके यज्ञ अनुष्ठान की छलपूर्वक प्रशंसा करने लगा। उससे प्रसन्न होकर जनमेजय ने उससे वर माँगने को कहा। ऋत्विजों ने राजा को वर देने से मना किया। तक्षक मंत्राहूत होकर मण्डप के पास आ ही गया था कि तभी आस्तीक ने वर माँगा कि यज्ञ बन्द क्र दिया जाए। बचन बद्ध होकर जनमेजय को यज्ञ बन्द कर देना पड़ा और जनमेजय को इसका पश्चाताप बना रहा कि वह अपने पिता की मृत्यु का बदला न ले सका। वास्तविक शत्रु तक्षक बच ही गया।
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जनमेजय के पिता का नाम क्या था?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 1 ' परीक्षित' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
जनमेजय के पिता का नाम परीक्षित था। सन्दर्भ पंक्ति - पुराणानुसार श्रृंगी ऋषि के शाप के कारण तक्षक नाग ने राजा परीक्षित को डसा था, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। इससे क्रुद्ध होकर प्रतिशोध की भावना से उसके पुत्र जनमेजय ने सर्पयज्ञ किया।Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक कथा ‘भृंगी ऋषि का राजा परीक्षित को श्राप’, का एक अंश वर्णित किया गया है। इस कथा का मूल सन्देश है कि बुद्धि और ज्ञान से अपने मन को वश में कर के भगवान के इसी विराट रूप का ध्यान करना चाहिये।
Question 26 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |
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राजा दशरथ के कितने विवाह हुए?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 2 ' तीन' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
राजा दशरथ के तीन विवाह हुए। सन्दर्भ पंक्ति - राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ।Important Points
दशरथ कौन था -
दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे राजा अजा व इन्वदुमतीके के पुत्र थेे तथा इक्ष्वाकु कुल मे जन्मे थे। वे प्रभु श्रीराम, जो कि विष्णु का अवतार थे, के पिता बने।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक पुराण रामायण के एक अंश को वर्णित किया गया है। विवाह की एक लम्बी अवधि के पश्चात भी जब राजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने यज्ञ का आयोजन करवाया।
Question 27 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |
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महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को क्या सलाह दी?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 1 ' पुत्र यज्ञ करने की ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
महर्षि वशिष्ठ ने राजा दशरथ को पुत्र यज्ञ करने की सलाह दी। सन्दर्भ पंक्ति - महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है। महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था। अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है। आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें।Important Points
दशरथ कौन था -
दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे राजा अजा व इन्वदुमतीके के पुत्र थेे तथा इक्ष्वाकु कुल मे जन्मे थे। वे प्रभु श्रीराम, जो कि विष्णु का अवतार थे, के पिता बने।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक पुराण रामायण के एक अंश को वर्णित किया गया है। विवाह की एक लम्बी अवधि के पश्चात भी जब राजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने यज्ञ का आयोजन करवाया।
Question 28 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |
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महर्षि वशिष्ठ ने यज्ञ कराने के लिए किस महर्षि का नाम सुझाया?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 2 ' श्रृंगी ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
महर्षि वशिष्ठ ने यज्ञ कराने के लिए महर्षि श्रृंगी का नाम सुझाया। सन्दर्भ पंक्ति - वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है। हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा।Important Points
श्रृंगी ऋषि कौन थे -
ऋष्यशृंग या श्रृंगी ऋषि वाल्मीकि रामायण में एक पात्र हैं जिन्होंने राजा दशरथ के पुत्र प्राप्ति के लिए अश्वमेध यज्ञ तथा पुत्रकामेष्टि यज्ञ कराये थे। वह विभाण्डक ऋषि के पुत्र तथा कश्यप ऋषि के पौत्र बताये जाते हैं। उनका विवाह अंगदेश के राजा रोमपाद की दत्तक पुत्री शान्ता से सम्पन्न हुआ जो कि वास्तव में दशरथ की पुत्री थीं।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक पुराण रामायण के एक अंश को वर्णित किया गया है। विवाह की एक लम्बी अवधि के पश्चात भी जब राजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने यज्ञ का आयोजन करवाया।
Question 29 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |
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राजा दशरथ ने किससे सलाह लेना आरंभ किया?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 3 ' ऋषि मुनियों से ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
राजा दशरथ ने ऋषि मुनियों से सलाह लेना आरंभ किया। सन्दर्भ पंक्ति - राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी। इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया।Important Points
दशरथ कौन था -
दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे राजा अजा व इन्वदुमतीके के पुत्र थेे तथा इक्ष्वाकु कुल मे जन्मे थे। वे प्रभु श्रीराम, जो कि विष्णु का अवतार थे, के पिता बने।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक पुराण रामायण के एक अंश को वर्णित किया गया है। विवाह की एक लम्बी अवधि के पश्चात भी जब राजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने यज्ञ का आयोजन करवाया।
Question 30 5 / -1
Directions For Questions
निर्देश: दिए गए गद्यांश के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए |
राजा दशरथ के तीन विवाह होने पर भी उनके यहाँ कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ | राजा के वानप्रस्थ का समय समीप आता जा रहा था, उनकी चिन्ता बढ़ती जा रही थी | इस हेतु उन्होंने ऋषि-मुनियों से संपर्क क्र उपाय हेतु सलाह करना प्रारंभ कर दिया | महर्षि वशिष्ठ ने उनसे कहा - राजन आपकी कुल-परम्परा में पूर्व में भी इस प्रकार का समय आ चुका है | महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था | अब पुनः वही परिस्थिति उत्पन्न हुई है | आप पुत्र यज्ञ का आयोजन करें | आपको अवश्य सुखद फल प्राप्त होगा | वर्तमान में आपके ही दामाद महर्षि श्रृंगी आयुर्वेदाचार्य व यज्ञों के ज्ञाता है | हम उन्हें ही आमंत्रित कर यज्ञ का आयोजन करें, तब श्रेष्ठ होगा |
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राजा दशरथ के कुल पिता कौन थे?
Solution
इसका सही उत्तर
विकल्प 2 ' रघु ' है।
अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
राजा दशरथ के कुल पिता रघु थे। सन्दर्भ पंक्ति - महाराज दिलीप को जब संतान प्राप्ति नहीं हुई थी, तब उन्होंने भी आयुर्वेद के आचार्यों को बुलाकर पुत्र यज्ञ कराया था, जिसके परिणामस्वरुप आपके कुल पिता रघु का जन्म हुआ था।Important Points
दशरथ कौन था -
दशरथ वाल्मीकि रामायण के अनुसार अयोध्या के रघुवंशी (सूर्यवंशी) राजा थे। वे राजा अजा व इन्वदुमतीके के पुत्र थेे तथा इक्ष्वाकु कुल मे जन्मे थे। वे प्रभु श्रीराम, जो कि विष्णु का अवतार थे, के पिता बने।
Additional Information
गद्यांश का सार - इस गद्यांश में एक हिन्दू पौराणिक पुराण रामायण के एक अंश को वर्णित किया गया है। विवाह की एक लम्बी अवधि के पश्चात भी जब राजा दशरथ को संतान प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने यज्ञ का आयोजन करवाया।
Question 31 5 / -1
धर्म से भ्रष्ट = धर्मभ्रष्ट कौन सा समास है?
Solution
‘धर्म से भ्रष्ट = धर्मभ्रष्ट’ में 'तत्पुरुष' समास है। अन्य विकल्प गलत हैं । अतः उत्तर सही विकल्प 2 'तत्पुरुष ' है।
Key Points
'धर्मभ्रष्ट' का समास विग्रह करने पर 'धर्म से भ्रष्ट' होगा। इसमें 'से' कारक का प्रयोग 'के द्वारा' अर्थ में होने के कारण करण तत्पुरुष समास है। तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
Additional Information
समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -
समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।
जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
कर्मधारय समास
जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,
पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।
कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।
द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।
दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।
अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
द्वंद्व समास
द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न
Question 32 5 / -1
"सदैव" में सन्धि है :
Solution
सदैव में वृद्धि संधि है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः विकल्प 1 ‘ वृद्धि संधि’ सही है।
Key Points
सदैव में वृद्धि संधि है। सदैव का संधि विच्छेद- सदा + एव है। सदा का अर्थ होता है - हमेशा और एव का अर्थ होता है- ही तो सदैव का अर्थ हुआ हमेशा ही। सदा + एव = सदैव (आ + ए = ऐ) , यहाँ ' आ' और ' ए' के मेल से ' ऐ' बना है। जब संधि करते समय जब अ , आ के साथ ए , ऐ हो तो ' ऐ ' बनता है और जब अ , आ के साथ ओ , औ हो तो ' औ ' बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं। Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।
संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,
संधि
परिभाषा
उदाहरण
स्वर
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
महा + ईश = महेश
व्यंजन
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
अहम् + कार = अहंकार
उत् + लास = उल्लास
विसर्ग
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
दुः + आत्मा =दुरात्मा
निः + कपट =निष्कपट
Question 33 5 / -1
निम्नलिखित में से कौन सा वाक्य संयुक्त वाक्य का उदाहरण है?
Solution
दिए गए विकल्पों के अनुसार लड़का बीमार था इसलिए वह अस्पताल गया l विकल्प संयुक वाक्य का उदाहरण है l अतः स्पष्ट है कि विकल्प 4- लड़का बीमार था इसलिए वह अस्पताल गया | सटीक विकल्प है l अन्य विकल्प असंगत है l
Key Points
संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। जैसे – मैं बहुत बीमार था इसलिए ऑफिस नहीं गया; तुम बहुत अच्छे हो इसलिए लोग तुमसे बात करते हैं।
Additional Information
अन्य विकल्प :
वाक्य
वाक्य के भेद
मिश्र वाक्य
उसने अपनी बीमारी की बात अपनी शादी के बाद बताई |
सरल वाक्य
बच्चे ने सडा हुआ अमरुद खाया |
सरल वाक्य
मेरे साथ आगरा घूमने चलो |
Important Points
वाक्य के भेद
परिभाषा
सरल
ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी। जैसे - राकेश पढ़ता है, कमला और विमला मंदिर जाती है।
संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। जैसे – मैं बहुत बीमार था इसलिए ऑफिस नहीं गया; तुम बहुत अच्छे हो इसलिए लोग तुमसे बात करते हैं।
मिश्र वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है। जैसे – विशाल ने जो कार खरीदी है, वह मेरी थी, वक्त होते ही मैं घर के लिए रवाना हो गया।
Question 34 5 / -1
सही विकल्प का चयन करे जो वाक्यांशों के लिए एक शब्द है |
जो सब कुछ जानता है |
Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'सर्वज्ञ ’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से वाक्यांश के लिए उचित शब्द 'सर्वज्ञ' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। सर्वस्व - सब कुछ सर्वत्र - हर जगह ज्ञानी - बुद्धिमान या योग्य Additional Information
वाक्यांश
भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।
Question 35 5 / -1
'अनुराग' शब्द का विलोम होता है:
Solution
'अनुराग' का विलोम शब्द 'विराग' होता है।अतः 'विराग' सही विकल्प होगा।अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Additional Information विलोम शब्द: जो शब्द हमे उल्टा अर्थ बताते है।उन्हें विलोम शब्द कहा जाता है। जैसे: समस्या-समाधान,निर्मल-मलिन। विकल्प में आये हुए अन्य शब्द: शब्द उसके विलोम शब्द आकर्षण विकर्षण विराग अनुराग राग द्वेष
अन्य महत्वपूर्ण विलोम शब्द: शब्द उसके विलोम शब्द प्रभु दास स्थावर जंगम सुधा गरल
Question 36 5 / -1
निम्न में से कौनसा शिव का सही अनेकार्थक शब्द है ?
Solution
शिव के अनेकार्थक शब्द महादेव ,मंगल , देव आदि होते है । अतः सही उत्तर उपरोक्त सभी होगा ।
Key Points
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
एकार्थी शब्द
जो शब्द सामान्यत: हमेशा एक ही अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे - दिन, रात, धूप, लड़की, बालक, पहाड़, नदी आदि।
अनेकार्थी शब्द
जो शब्द एक से अधिक अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।
जैसे - अमृत, अलि, कर्ण, कक्षा, हरि, अज, सारंग, सूत, नयन आदि।
पर्यायवाची शब्द
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द , जो बनावट में भले ही
अलग हों, पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं। ‘ पर्यायवाची-शब्द' को
'समानार्थी-शब्द' भी कहा जाता है|
जैसे -आग - अनल, पावक, दहन, वह्नि, कृशानु, हुताशन आदि।
Question 37 5 / -1
'प्रगति' में किस उपसर्ग का प्रयोग हुआ है?
Solution
‘प्र’ उपसर्ग से बनने वाला अन्य शब्द – प्रगति, प्राचार्य, प्राधिकार, प्रकोप, प्रक्रिया इत्यादि।
प्रतिकूल, प्रत्यक्ष और प्रतिकार शब्द में ‘प्रति’ उपसर्ग लगा है।
Key Points
शब्द
परिभाषा
उदहारण
उपसर्ग
उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं।
अभि-(अधिक) अभिनंदन, अभिलाप
Question 38 5 / -1
निम्नलिखित में से ‘भवन’ शब्द में कौन-सी संधि होगी?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 4 ‘अयादि संधि’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से 'भवन' शब्द में अयादि संधि होगी। इसका उचित संधि-विच्छेद ‘भो + अन (ओ + अ = अव)’ होगा। जहां ए, ऐ और ओ, औ से परे किसी भी स्वर के होने पर क्रमशः अय्, आय्, अव् और आव् हो जाता है, वहाँ इसे अयादि संधि कहते हैं। अन्य विकल्प:
गुण संधि - इसमें अ , आ के आगे इ , ई हो तो ए ; उ , ऊ हो तो ओ तथा ऋ हो तो अर् हो जाता है। इसे गुण-संधि कहते हैं। दीर्घ संधि - ह्रस्व या दीर्घ अ , इ , उ के बाद यदि ह्रस्व या दीर्घ अ , इ , उ आ जाएँ तो दोनों मिलकर दीर्घ आ , ई और ऊ हो जाते हैं। वृद्धि संधि - अ , आ का ए , ऐ से मेल होने पर ऐ तथा अ , आ का ओ , औ से मेल होने पर औ हो जाता है। इसे वृद्धि संधि कहते हैं। Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।
स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।
स्वार्थ = स्व + अर्थ
व्यंजन संधि
व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।
दिग्गज = दिक् + गज
विसर्ग संधि
विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
शिरोमणि = शिर: + मणि
Question 39 5 / -1
जो लोग समय का ख्याल नहीं रखते उनकी ________ की जाती है।
Solution
यहाँ सार्थक शब्द 'निन्दा' है।
जो लोग समय का ख्याल नहीं रखते उनकी निन्दा की जाती है। निन्दा: बुराई करनाKey Points
सभी को सभी से शिकायत रहती है। किसी-किसी को तारीफ़ पसंद नहीं भी होती। हमेशा प्रशंसा करो सबकी Additional Information
गाँधीजी ने किसी भारतीय गुरू से कोई धर्म-चिंतन , योग या दर्शन की शिक्षा नहीं ली ‘मार्क्सवाद और भारतीय इतिहास लेखन’ जैसी गंभीर पुस्तक लिखकर।
Question 40 5 / -1
दिए गए वाक्य में उचित संज्ञा का उपयोग करके रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए।
कभी - कभी लोग क्रोध में अपना ______ खो बैठते थे
Solution
दिये गये वाक्य मे रिक्त स्थान मे उपयुक्त शब्द विकल्प 2 ' आपा ' है। अन्य सभी विकल्प असंगत है।
Key Points
वाक्य - कभी - कभी लोग क्रोध में अपना आपा खो बैठते थे
अन्य विकल्प :
शब्द
अर्थ
शब्द का वाक्य मे प्रयोग
पागलपन
पागलों की सी धुन
उस पर पैसा कमाने की पागलपन की धुन सवार हो गयी है।
दिमाग
मानसिक शक्ति
दिमाग की संरचना बहुत जटिल होती है ।
अपनापन
आपसी प्रेम-व्यवहार
राम और श्याम में बहुत अपनत्व है।
Question 41 5 / -1
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से उस विकल्प का चयन करें जो दिए गए मुहावरे का सही अर्थ हो।
आग पर लोटना-
Solution
आग पर लोटना- 'ईर्ष्या से जलना' ।
वाक्य प्रयोग : सीता को अच्छा वर क्या मिला, सुनीता तो आग पर लौटने लगी है। Key Points
मुहावरा – आग में घी डालना अर्थ – क्रोध को और भड़काना वाक्य प्रयोग –अब उनकी लड़ाई समाप्त हो गई है पर दिनेश ने आग में घी डालना शुरू कर दिया। मुहावरा –आग लगाकर तमाशा देखना अर्थ – दूसरों में झगड़ा कराके अलग हो जाना वाक्य प्रयोग – वह तो आग लगाकर तमाशा देखने वाला है, वह तुम्हारी क्या मदद करेगा
Question 42 5 / -1
'तन पर नहीं लत्ता, पान खाए अलबत्ता' लोकोक्ति का अर्थ है -
Solution
दिए गए विकल्पों में से ‘झूठा दिखावा करना ’ सही विकल्प है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 2 ‘झूठा दिखावा करना’ है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
लोकोक्ति- तन पर नहीं लत्ता, पान खाए अलबत्ता अर्थ - झूठा दिखावा करना ।
वाक्य प्रयोग- बेरोजगारी में धूल फांक रहे हो पर झूठ बोलने में कम नहीं हो।तन पर नहीं लत्ता पान खाए अलबत्ता।Key Points
अन्य विकल्प:
अर्थ
लोकोक्ति
बहुत गरीब होना
जेठ के भरोसे पेट
एक साथ दो लाभ होना
आम के आम गुठली के दाम
बुरी आदत का शिकार
कोयले की दलाली में हाथ काले
Additional Information विशेष:
लोकोक्ति की परिभाषा
उदाहरण
किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत भी कहते हैं।
अपना रख, पराया चख अर्थात अपनी वस्तु की रक्षा और दूसरे की वस्तु का उपभोग।
Question 43 5 / -1
'अश्व' का पर्याय नहीं हैः
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 'वारि' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से 'अश्व' का पर्यायवाची शब्द 'वारि ' नहीं है। 'वारि ' शब्द जल का पर्यायवाची शब्द है। इसके अन्य पर्यायवाची शब्द हैं - नीर, तोय, अम्बु, उदक, पानी, सलिल, पय, मेघपुष्प, जल अश्व के अन्य पर्यायवाची शब्द हैं - हरि, घोड़ा, सैन्धव, वाजि , रविपुत्र, हय, दधिका, सर्ता, तुरग। Additional Information
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
पर्यायवाची/
समानार्थी
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।
आग-अनल, पावक, दहन।
हवा-समीर, अनिल, वायु।
Question 44 5 / -1
'उदय' का निम्न में से कौन सा सही विलोम शब्द है?
Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'अस्त ’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। Key Points
'उदय' का विलोम शब्द 'अस्त' होगा। 'उदय' पुल्लिंग शब्द है जिसका अर्थ उगना या प्रकट होना होता है। 'अस्त' का अर्थ डूबना होगा। Additional Information
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
विलोम/
विपरीतार्थक
'विलोम' शब्द का अर्थ है-उल्टा या विपरीत। अत: किसी शब्द का उल्टा अर्थ व्यक्त करने वाला शब्द विलोमार्थक या विपरीतार्थक शब्द कहलाते हैं।
राग-द्वेष
सामिष-निरामिष
व्यष्टि-समष्टि
Question 45 5 / -1
विस्यमादिबोधक वाक्य कौन सा है।
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 ‘वाह! कैसे काले-काले बादल घिर आए हैं’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
वाह! कैसे काले-काले बादल घिर आए हैं' विस्यमादिबोधक वाक्य है। वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है , वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता हैं। अन्य विकल्प -
वाक्य
प्रकार
दार्शनिक कहते है कि जगत मिथ्या है।
संकेतवाचक वाक्य
मुझे पुस्तकालय से कुछ किताबें ला कर दो।
आज्ञावाचक वाक्य
बैठक समाप्त होते ही सब घर चले गए।
विधानवाचक वाक्य
अर्थ के आधार पर आठ प्रकार के वाक्य होते हैं -
वाक्य भेद
परिभाषा
उदाहरण
विधानवाचक वाक्य
वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है, वह विधानवाचक वाक्य कहलाता है।
भारत एक देश है।
निषेधवाचक वाक्य
जिन वाक्यों से कार्य न होने का भाव प्रकट होता है, उन्हें निषेधवाचक वाक्य कहते हैं।
मैंने दूध नहीं पिया।
प्रश्नवाचक वाक्य
वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार प्रश्न किया जाता है, वह प्रश्नवाचक वाक्य कहलाता है।
भारत क्या है?
आज्ञावाचक वाक्य
वह वाक्य जिसके द्वारा किसी प्रकार की आज्ञा दी जाती है या प्रार्थना किया जाता है, वह आज्ञावाचक वाक्य कहलाता हैं।
कृपया बैठ जाइये।
विस्मयादिबोधक वाक्य
वह वाक्य जिससे किसी प्रकार की गहरी अनुभूति का प्रदर्शन किया जाता है, वह विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाता हैं।
अहा! कितना सुन्दर उपवन है।
इच्छावाचक वाक्य
जिन वाक्यों में किसी इच्छा, आकांक्षा या आशीर्वाद का बोध होता है, उन्हें इच्छावाचक वाक्य कहते हैं।
नववर्ष मंगलमय हो।
संकेतवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में किसी संकेत का बोध होता है, उन्हें संकेतवाचक वाक्य कहते हैं।
सोनु उधर रहता है।
संदेहवाचक वाक्य
जिन वाक्यों में संदेह का बोध होता है, उन्हें संदेहवाचक वाक्य कहते हैं।
क्या वह यहाँ आ गया ?
Additional Information
वाक्य की परिभाषा
शब्दों का ऐसा समूह जिसका जिसका कोई भाव/अर्थ प्रकट होता है,वाक्य कहलाता है
जैसे - राम खाना खाता है।
Question 46 5 / -1
'प्रकोष्ठ' शब्द का अर्थ है-
Solution
'प्रकोष्ठ' शब्द का अर्थ है- 'इमारत के भीतर का आँगन।'
Key Points
प्र + कोष्ठ = प्रकोष्ठ 'प्र' (आगे) उपसर्ग और ' कोष्ठ' (भीतरी कमरा) मूल शब्दइस प्रकार 'प्रकोष्ठ' शब्द का अर्थ है-'इमारत के भीतर का आँगन।' या बड़ा आँगन जिसके चारों ओर इमारत हो । Additional Information इमारत:-
अर्थ: महल , मकान, कोठरी, हवेली, लकड़ी या ईंट का भव्य एवं विशाल भवनदीवार:-
अर्थ: ईंट, मिट्टी आदि की बनी हुई ऊँची भित्ति, दीवाल, भीत, भित्ति, दिवालआँगन:-
अर्थ: घर के अंदर या सामने का खुला स्थान, सहन, अंगना, प्रांगण, चौक।
Question 47 5 / -1
‘तप्त’ शब्द का अर्थ निम्नलिखित में से कौन सा है?
Solution
सही उत्तर ‘ गर्म ’ है।
Key Points
‘तप्त’ शब्द का अर्थ ‘गर्म’ होगा। तप्त के अन्य अर्थ- तपाया या तपा हुआ, जलता हुआ, तापित, गरम। अन्य विकल्प:
शब्द
पर्यायवाची
शीतल
ठंडा, सौम्य, संतुष्ट, संतोषी।
तृप्ति
संतुष्टि
द्रव्य
धन, वित्त, सम्पदा, विभूति, दौलत, सम्पत्ति
Question 48 5 / -1
'अपने मौलिक बात कही है।' वाक्य में विशेषण पद हैः
Solution
आपने मौलिक बात कही है' इस वाक्य में 'मौलिक' शब्द बात के बारे में विशेषता बता रहा है।अतः मौलिक शब्द विशेषण है।
मौलिक शब्द मूल शब्द के साथ इक प्रत्यय मिलकर बना है। Key Points विशेषण - जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम शब्दों की विशेषता बताते हैं। इसके मुख्यतः आठ भेद हैं -
गुणवाचक विशेषण व्यक्तिवाचक विशेषण संख्यावाचक विशेषण प्रश्नवाचक विशेषण परिमाणवाचक विशेषण तुलनाबोधक विशेषण सार्वनामिक विशेषण सम्बन्धवाचक विशेषण
Question 49 5 / -1
निम्न विकल्पों में से निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन का विकल्प चुनिए।
मानसी दिल्ली जा रही है (कर्मवाच्य)
Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 2 'मानसी द्वारा दिल्ली जाया जा रहा है’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से 'मानसी द्वारा दिल्ली जाया जा रहा है' यह वाक्य कर्मवाच्य का उपयुक्त उदाहरण है। जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। Additional Information
वाच्य- क्रिया के जिस रूपांतर से यह जाना जाता है कि क्रिया का विधान कर्ता, कर्म या भाव में से किससे या किसके विषय में किया गया है, वाच्य कहलाता है। हिंदी में वाच्य तीन प्रकार के होते हैं-
कर्तृवाच्य
इस वाच्य में कर्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार क्रिया का प्रयोग होता है।
रमेश केला खाता है।
लड़का पुस्तक पढ़ता है।
कर्मवाच्य
क्रिया के उस रूपान्तर को कर्मवाच्य कहते हैं, जिससे वाक्य में कर्म की प्रधानता का बोध हो।
रोगी को दवा दी गई।
उसके द्वारा पुस्तक पढ़ी गई।
भाववाच्य
क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है।
राम से रेत में दौड़ा भी नहीं जाता। मुझसे उठा नहीं जाता।
Question 50 5 / -1
अदोष का विलोम है___________।
Solution
अदोष का विलोम शब्द सदोष होता है।
Key Points अदोष का अर्थ होता है निर्दोष, दोषरहित, निरपराध। जबकि सदोष का अर्थ होता है दोषी, दोषयुक्त, अपराधी।
दोष का पर्यायवाची शब्द
अवगुण, ऐब, खराबी, विकार, खामी, बुराई। Additional Information मुख्य विलोम शब्द-
सपूत - कपूत
अंकुश - निरंकुश
अंगीकार - अस्वीकार
अंतर - बाह्य
अंशतः - पूर्णतः
अकलुष - कलुष
अकाल - सुकाल अक्रूर - क्रूर अग्रज - अनुज अग्राह्य - ग्राह्य अग्रिम - अन्तिम अचल - चल अजल - निर्जल अज्ञ - विज्ञ अतल - वितल अति - अल्प अतिवृष्टि - अनावृष्टि
अतुकान्त - तुकान्त
अथ - इति
अदेय - देय
अधम - उत्तम
अधर्म - सधर्म
अधिक - न्यून
अधुनातन - पुरातन