Self Studies

Hindi Mock Test - 12

Result Self Studies

Hindi Mock Test - 12
  • Score

    -

    out of -
  • Rank

    -

    out of -
TIME Taken - -
Self Studies

SHARING IS CARING

If our Website helped you a little, then kindly spread our voice using Social Networks. Spread our word to your readers, friends, teachers, students & all those close ones who deserve to know what you know now.

Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

    ...view full instructions

    लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज के लिए क्या अपेक्षित है?
    Solution

    लेखक के अनुसार एक आदर्श समाज के लिए 'गतिशीलता' अपेक्षित है

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक उस समाज को आदर्श मानता है जिसमें स्वतंत्रता, समानता भाईचारा हो। उसमें इतनी गतिशीलता हो कि सभी लोग एक साथ सभी परिवर्तनों को ग्रहण कर सकें। ऐसे समाज में सभी के सामूहिक हित होने चाहिए तथा सबको सबकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

    Key Points

    • गतिशीलता = गतिशील + ता
      • 'गतिशील' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
      • अर्थ: गतिशील होने की अवस्था या भाव, गतिमान।

    Additional Informationसमानता:- 

    • समान + ता = समानता
    • 'समान' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: एकरूप , समरूप , तुल्यरूप, समानत्व, तुल्यता।
    • विलोम शब्द- 'असमानता'

    स्वतंत्रता:-

    • स्वतंत्र + ता = स्वतंत्रता
    • 'स्वतंत्र' मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: स्वतंत्र होने का भाव, आज़ादी स्वाधीनता।
    • विलोम शब्द- '‌‌‌परतंत्रता'

    लोकतंत्र:-

    • अर्थ: जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

    ...view full instructions

    सबको किनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए?
    Solution

    सबको 'स्वयं की' रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको स्वयं की रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए।​

    Key Pointsदलित:- 

    • अर्थ: कुचला हुआ, दबाया हुआ

    लोकतंत्र:-

    • अर्थ: जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 

    सरकार:- 

    • अर्थ: हुकूमत, शासन, गवर्नमेंट।
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

    ...view full instructions

    भाईचारे के वास्तविक रूप को क्या कहा जाता है?
    Solution

    भाईचारे के वास्तविक रूप को कहा जाता है- 'लोकतंत्र'

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​भाईचारे का वास्तविक रूप है- लोकतंत्र, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है।

    Key Points

    • लोकतंत्र:- जनतंत्र, गणतंत्र, प्रजातंत्र, लोकशाही। 

    Additional Informationदूध:-

    • अर्थ: दुग्ध, पय, गोरस, क्षीर, दोहज, पीयूष, स्तन्य।
      • दूध शब्द का तत्सम रूप दुग्ध है।

    पानी:-

    • अर्थ: जल, सलिल, उदक, तोय, जीवन, वारि, पय

    समाज:-

    • अर्थ: समूह, संघ, गरोह, दल।
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

    ...view full instructions

    लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के माध्यम से क्या स्पष्ट करना चाहा है?
    Solution

    लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के माध्यम से 'भेदभाव की समाप्ति स्पष्ट' करना चाहा है।

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • लेखक ने दूध और पानी के मिश्रण के भेदभाव की समाप्ति स्पष्ट करना चाहता है। दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है।  

    Key Points

    • भेदभाव- मतैक्य का अभाव, अंतर, फ़र्क।
    • समाप्ति- अंत, अवसान, इति, इतिश्री, समापन। 
      • विलोम शब्द- 'आरंभ'

    Additional Informationउच्च:-

    • अर्थ: ऊँचा,  बुलंद, उर्ध्व, उत्ताल, उन्नत, ऊपर, शीर्षस्थ
      • विलोम शब्द- 'निम्न'

    उपयोगी:-

    • अर्थ: लाभकारी, लाभप्रद, लाभदायक, फ़ायदेमंद, प्रयोज्य, सहायक
      • विलोम शब्द- 'अनुपयोगी'

    मूल्यहीन:-

    • अर्थ: जिसका कोई मूल्य न हो, निरर्थक, निकम्मा, बेकार।
      • विलोम शब्द- 'मूल्यवान'

    असमानता:-

    • अ + समान + ता = असमानता 
    • 'अ' (नही) उपसर्ग, 'समान' (बराबर) मूलशब्द और 'ता' प्रत्यय 
    • अर्थ: समान होने का भाव, समानत्व, तुल्यता।
      • विलोम शब्द- 'समानता'
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए बहुविकल्पीय प्रश्नों के लिए सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चुनाव कीजिए

    मेरा आदर्श समाज स्वतंत्रता, समता, भ्रातृता पर आधारित होगा। क्या यह ठीक नहीं है, भ्रातृता अर्थात् भाईचारे में किसी को क्या आपत्ति हो सकती है? किसी भी आदर्श समाज में इतनी गतिशीलता होनी चाहिए, जिससे कोई भी वांछित परिवर्तन समाज के एक छोर से दूसरे तक संचारित हो सके। ऐसे समाज के बहुविध हितों में सबका भाग होना चाहिए तथा सबको उनकी रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। सामाजिक जीवन में अबाध संपर्क के अनेक साधन व अवसर उपलब्ध रहने चाहिए। तात्पर्य यह है कि दूध और पानी के मिश्रण की तरह भाईचारे का यही वास्तविक रूप है और इसी का दूसरा नाम लोकतंत्र है, क्योंकि लोकतंत्र केवल शासन की एक पद्धति ही नहीं है, लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव हो ।

    ...view full instructions

    लोकतंत्र में क्या आवश्यक माना गया है?
    Solution

    लोकतंत्र में आवश्यक माना गया है- 'साथियों के प्रति श्रद्धा व सम्मान का भाव'

    • गद्यांश के अनुसार:-
      • ​लोकतंत्र मूलत: सामूहिक जीवनचर्या की एक रीति तथा समाज के सम्मिलित अनुभवों के आदान-प्रदान का नाम है। इनमें यह आवश्यक है कि अपने साथियों के प्रति श्रद्धासम्मान का भाव हो।

    Key Points

    • श्रद्धा:-​ लगाव, प्रवृत्ति, निष्ठा, विश्वास, यकीन।
      • विलोम शब्द- 'घृणा'
    • सम् + मान = सम्मान
      • 'सम्' (अच्छी तरह) उपसर्ग और 'मान' (प्रतिष्ठा) मूलशब्द
      • अर्थ: प्रतिष्ठा, इज्जत, मर्यादा मान, गौरव
      • विलोम शब्द- 'अपमान'   

    Additional Informationसरकार:- 

    • अर्थ: हुकूमत, शासन, गवर्नमेंट।

    भूमिका:-

    • अर्थ: पृष्ठभूमि, परिचय, प्रस्तावना, मुखबंध

    उच्च:-

    • अर्थ: ऊँचा,  बुलंद, उर्ध्व, उत्ताल, उन्नत, ऊपर, शीर्षस्थ।
      • विलोम शब्द- 'निम्न'

    आरक्षण:-

    • अर्थ: संरक्षण, प्रारक्षण, पूर्वरक्षण, रक्षण।

    श्रद्धा:-

    • अर्थ: लगाव, प्रवृति, निष्ठा, विश्वास, यकीन।
      • विलोम शब्द- 'घृणा'
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए

    मेरे दिमाग में बात आयी कि प्रेमचंद के ज़माने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी थे और प्रेमचंद ने कभी भी आचार्य शुक्ल की तरफ नहीं देखा। उनकी जरुरत नहीं महसूस की।

    फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। मुझे अपने लिए एक दूसरे आलोचक की तलाश करनी चाहिए, जिसे हम 'सामान्य पाठक' कहते हैं. ऐसा मुझे लगा। जिसे आम पाठक कहते हैं, कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता है, कोई भी आलोचक उसे अनदेखा न करने के लिए मजबूर होता है । तो मैंने उस सामान्य पाठक को अपना आलोचक समझा। बाद के दिनों में जो कुछ भी लिखा, मैंने देखा कि उस आम पाठक की दिलचस्पी उसमें हो रही है।

    जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो ढेर सारे लोग लिख रहे थे हमारे साथ के। दिल्ली के लोग, चंडीगढ़ के लोग, इलाहाबाद के कथाकार-लेखक, जालंधर के कथाकार, पटना में और कलकत्ता में भी। लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे। मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ और आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे। कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे।

    ...view full instructions

    इनमें से सबसे बड़े आलोचक हैं? 
    Solution

    इनमें से सबसे बड़े आलोचक हैं- नामवर सिंह

    •  फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। 

    Key Pointsनामवर सिंह:- 

    • नामवर सिंह का जन्म 28 जुलाई 1926 ई० को बनारस (वर्तमान में चंदौली ज़िला) के एक गाँव जीयनपुर में हुआ था।
    • लम्बे समय तक 1 मई 1927 को उनकी जन्म-तिथि के रूप में माना जाता रहा है।

    कुछ महत्वपूर्ण रचना:- 

    • कहानी : नयी कहानी - 1964
    • कविता के नये प्रतिमान - 1968
    • दूसरी परम्परा की खोज - 1982
    • ​​​इतिहास और आलोचना - 1957

    Additional Informationरामचन्द्र शुक्ल:- 

    • रामचन्द्र शुक्ल का जन्म 4 अक्टूबर 1884 को बस्ती अगोना गाँव, ज़िला बस्ती, उत्तरप्रदेश में हुआ था।
    • 1898 में आपने मिडिल की परीक्षा उत्तीर्ण की व 1901 में मिर्ज़ापुर से एंट्रेंस की। आपकी एफ० ए० व मुख़्तारी की पढ़ाई पूरी ने हो सकी।
    • आपने अपनी पहली नौकरी 1904 में मिशन स्कूल में ड्रांइग मास्टर के रूप में की।

    कुछ महत्वपूर्ण रचना:- 

    • चिंतामणि
    • तुलसीदास 
    • रस मीमांसा 
    • हिंदी साहित्य का इतिहस 

    प्रेमचंद:-

    • प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था।
    • उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे।
    • उनका वास्तविक नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। प्रेमचंद (प्रेमचन्द) की आरम्भिक शिक्षा फ़ारसी में हुई।

    कुछ महत्वपूर्ण रचना:- 

    • रंगभूमि (1925)
    • गबन (1928)
    • गोदान (1936)
    • कर्मभूमि (1932)

    फणीश्वरनाथ रेणु:-

    • फणीश्वर नाथ ' रेणु ' का जन्म 4 मार्च 1921 को बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना ग्राम स्थित जैसवार कुर्मी परिवार में हुआ था।
    • उस समय यह पूर्णिया जिले में था। लेकिन अब यह अररिया जिले में पड़ता है।
    • उनकी शिक्षा भारत और नेपाल में हुई। 
    • रेणु जी का बिहार के कटिहार से गहरा संबंध रहा है।

    कुछ महत्वपूर्ण रचना:- 

    • पंचलाइट
    • जूलूस
    • पलटू बाबू रोड 1979
    • मैला आंचल 1954
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए

    मेरे दिमाग में बात आयी कि प्रेमचंद के ज़माने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी थे और प्रेमचंद ने कभी भी आचार्य शुक्ल की तरफ नहीं देखा। उनकी जरुरत नहीं महसूस की।

    फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। मुझे अपने लिए एक दूसरे आलोचक की तलाश करनी चाहिए, जिसे हम 'सामान्य पाठक' कहते हैं. ऐसा मुझे लगा। जिसे आम पाठक कहते हैं, कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता है, कोई भी आलोचक उसे अनदेखा न करने के लिए मजबूर होता है । तो मैंने उस सामान्य पाठक को अपना आलोचक समझा। बाद के दिनों में जो कुछ भी लिखा, मैंने देखा कि उस आम पाठक की दिलचस्पी उसमें हो रही है।

    जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो ढेर सारे लोग लिख रहे थे हमारे साथ के। दिल्ली के लोग, चंडीगढ़ के लोग, इलाहाबाद के कथाकार-लेखक, जालंधर के कथाकार, पटना में और कलकत्ता में भी। लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे। मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ और आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे। कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे।

    ...view full instructions

    लेखक ने सामान्य पाठक को  _______ की संज्ञा दी हैI
    Solution

    लेखक ने सामान्य पाठक को कॉमन रीडर की संज्ञा दी हैI

    Key Points

    •  कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता हैI 

    Additional Informationपाठक:-

    • पाठक वे कहलाते है जो कोई भी कहानी, कविता, लेख, निबन्ध या अखबार पढ़ते है वे ही पाठक कहलाते हैI 

    आलोचक:-

    • किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्तता का विवेचन करने वालि साहित्यिक विधा है।
    • इसमें पाठ अध्ययन, विश्लेषण, मूल्यांकन एवं अर्थ निगमन की प्रक्रिया शामिल है।
    • हिंदी आलोचना की शुरुआत 19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतेन्दु युग से ही मानी जाती है।

    मजबूर:-

    • जिस पर जब्र किया गया हो, विवश, लाचार
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए

    मेरे दिमाग में बात आयी कि प्रेमचंद के ज़माने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी थे और प्रेमचंद ने कभी भी आचार्य शुक्ल की तरफ नहीं देखा। उनकी जरुरत नहीं महसूस की।

    फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। मुझे अपने लिए एक दूसरे आलोचक की तलाश करनी चाहिए, जिसे हम 'सामान्य पाठक' कहते हैं. ऐसा मुझे लगा। जिसे आम पाठक कहते हैं, कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता है, कोई भी आलोचक उसे अनदेखा न करने के लिए मजबूर होता है । तो मैंने उस सामान्य पाठक को अपना आलोचक समझा। बाद के दिनों में जो कुछ भी लिखा, मैंने देखा कि उस आम पाठक की दिलचस्पी उसमें हो रही है।

    जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो ढेर सारे लोग लिख रहे थे हमारे साथ के। दिल्ली के लोग, चंडीगढ़ के लोग, इलाहाबाद के कथाकार-लेखक, जालंधर के कथाकार, पटना में और कलकत्ता में भी। लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे। मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ और आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे। कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे।

    ...view full instructions

    उस ज़माने में लेखकों की नज़र इलाहबाद या दिल्ली के लेखकों पर रहती थी, क्योंकि -
    Solution

    उस ज़माने में लेखकों की नज़र इलाहबाद या दिल्ली के लेखकों पर रहती थी, क्योंकि- वे आधुनिक लेखक कहे जाते थे

    • लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे।
    • मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ। 

    Key Pointsइलाहबाद:-

    • भारत के उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक नगर, प्रयागराज जिला का प्रशासनिक मुख्यालय तथा हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थस्थान है।
    • इसका प्राचीन नाम 'प्रयाग' है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।
    • यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती है, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहां प्रत्येक बारह वर्ष में कुंभ मेला लगता है।

    दिल्ली:-

    • भारत की राजधानी और एक केंद्र-शासित प्रदेश है।
    • दिल्ली राजधानी होने के नाते केंद्र सरकार की तीनों इकाइयों - कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका के मुख्यालय नई दिल्ली और दिल्ली में स्थापित हैं।

    Additional Informationकुछ महत्वपूर्ण विलोम शब्द:-  

    • प्रतिष्ठित- अप्रतिष्ठित
    • पुरस्कृत- तिरस्कृत
    • सर्वश्रेष्ठ- निकृष्ट,अधम
    • आधुनिक- प्राचीन
    • अल्पायु- दीर्घायु
    • उपस्थित- अनुपस्थित
    • सगुण- निर्गुण
    • निरक्षर- साक्षर
    • सौभाग्य- दुर्भाग्य
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए

    मेरे दिमाग में बात आयी कि प्रेमचंद के ज़माने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी थे और प्रेमचंद ने कभी भी आचार्य शुक्ल की तरफ नहीं देखा। उनकी जरुरत नहीं महसूस की।

    फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। मुझे अपने लिए एक दूसरे आलोचक की तलाश करनी चाहिए, जिसे हम 'सामान्य पाठक' कहते हैं. ऐसा मुझे लगा। जिसे आम पाठक कहते हैं, कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता है, कोई भी आलोचक उसे अनदेखा न करने के लिए मजबूर होता है । तो मैंने उस सामान्य पाठक को अपना आलोचक समझा। बाद के दिनों में जो कुछ भी लिखा, मैंने देखा कि उस आम पाठक की दिलचस्पी उसमें हो रही है।

    जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो ढेर सारे लोग लिख रहे थे हमारे साथ के। दिल्ली के लोग, चंडीगढ़ के लोग, इलाहाबाद के कथाकार-लेखक, जालंधर के कथाकार, पटना में और कलकत्ता में भी। लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे। मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ और आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे। कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे।

    ...view full instructions

    लेखक ने अनुच्छेद में स्वयं के किस द्वंद्व कि ओर संकेत किया है ?
    Solution

    लेखक ने अनुच्छेद में स्वयं के लोक-परंपरा और आधुनिक लेखन द्वंद्व की ओर संकेत किया है।

    Key Points

    • आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे।
    • कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे। 

    Additional Informationलोक-परंपरा:-

    • परंपरागत तौर पर लोक कला क्षेत्र अथवा समुदाय विशेष के लोगों द्वारा किया गया वह कलाकर्म है
    • जिसके मूल में शुभ का विचार होता है और जो अवसर विशेष से जुडे अनुष्ठानों एवं आवश्यकताओं को सम्पन्न करने हेतु किया जाता है।

    आधुनिक लेखन:-

    • आधुनिक इतिहास लेखन परम्परा आरम्भ हो जाने के पश्चात भी अनेक लेखक प्रशंसात्मक जीवनियाँ लिखते रहे
    • अठारहवीं और उन्नीसवीं शताब्दी में शासकों के अतिरिक्त महत्वपूर्ण भारतीयों, समाज सुधारकों एवं धर्म सुधारकों की जीवनियां लिखना भी आरम्भ हो गया
    • क्षेत्रीय भाषाओं में गद्य लेखन के विकास ने इस परम्परा को नये आधार दिये

    आलोचना:-

    • गुण दोष निरूपण या विवेचन करना।
    • किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए, उसके गुण-दोषों एवं उपयुक्तता का विवेचन करने वाली साहित्यिक विधा है।
    • इसमें पाठ अध्ययन, विश्लेषण, मूल्यांकन एवं अर्थ निगमन की प्रक्रिया शामिल है।
    • हिंदी आलोचना की शुरुआत 19वीं सदी के उत्तरार्ध में भारतेन्दु युग से ही मानी जाती है।

    विद्रोह:-

    • राजद्रोह, बगावत, अराजकता, गदर, क्रांति
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प चुनिए

    मेरे दिमाग में बात आयी कि प्रेमचंद के ज़माने में आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी थे और प्रेमचंद ने कभी भी आचार्य शुक्ल की तरफ नहीं देखा। उनकी जरुरत नहीं महसूस की।

    फणीश्वरनाथ रेणु के जमाने में हिंदी कहानी के सबसे बड़े आलोचक नामवर सिंह थे - रेणु ने उनकी तरफ नहीं देखा। मुझे अपने लिए एक दूसरे आलोचक की तलाश करनी चाहिए, जिसे हम 'सामान्य पाठक' कहते हैं. ऐसा मुझे लगा। जिसे आम पाठक कहते हैं, कॉमन रीडर या सामान्य पाठक कहते हैं और जो लेखक उनकी स्मृतियों में और जुबान पर रह जाता है, कोई भी आलोचक उसे अनदेखा न करने के लिए मजबूर होता है । तो मैंने उस सामान्य पाठक को अपना आलोचक समझा। बाद के दिनों में जो कुछ भी लिखा, मैंने देखा कि उस आम पाठक की दिलचस्पी उसमें हो रही है।

    जब मैंने लिखना शुरू किया था, तो ढेर सारे लोग लिख रहे थे हमारे साथ के। दिल्ली के लोग, चंडीगढ़ के लोग, इलाहाबाद के कथाकार-लेखक, जालंधर के कथाकार, पटना में और कलकत्ता में भी। लेकिन ज्यादातर लेखकों की नज़र दिल्ली या इलाहाबाद के उन लेखकों पर रहती थी, जो आधुनिक लेखक कहे जाते थे। मेरी भी कोशिश लगभग वैसी ही थी कि आधुनिक हो सकूँ और आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था। हम ऐसा नहीं सोच रहे थे। कहीं न कहीं मेरे भीतर लोक-परम्परा कहिए या प्रेमचंद की परंपरा वह थी, लेकिन मैं वैसा दिखना चाह रहा था जैसा वे कह रहे थे, लिख रहे थे।

    ...view full instructions

    आधुनिक लेखन की पहचान है - 
    Solution

    आधुनिक लेखन की पहचान है -परम्पराओं का विरोध 

    Key Points

    •  आधुनिक लेखन वह था, जो परम्परा से विद्रोह कर के किया जा रहा था, परम्परा को नकार कर किया जा रहा था।

    Additional Informationपरम्परा:- 

    • प्रथा , चलन, दस्तूर, रीति, रिवाज 
    • 'परम्परा' का शाब्दिक अर्थ है - 'बिना व्यवधान के शृंखला रूप में जारी रहना'
    •  परम्परा-प्रणाली में किसी विषय या उपविषय का ज्ञान बिना किसी परिवर्तन के एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ियों में संचारित होता रहता है।

    आधुनिक:-

    •  नया, अर्वाचीन, अप्राचीन, वर्तमान, नूतन, नूतनकालीन, वर्तमानकालीन, आजकल का।
    • आधुनिक का विलोम शब्द प्राचीन

    निर्माण:-

    • सृष्टि, प्रणयन, उत्पादन, तामीर, रचना
    • निर्माण का विलोम शब्द – ध्वंश, नाश

    विरोध:-

    • अमान्य, नापसंदगी ,अस्वीकार, असम्मति, नामंजूर, अस्वीकृति
    • विरोध का विलोम शब्द – समर्थन, सहमत

    विचार:-

    • धारणा, चिन्तन, भावना, ख्याल, ध्यान, सोच, अनुमान।
  • Question 11
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    बेलवृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की उंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही यह मध्य भाग में और दक्षिण भारत में भी मिलता है। इसे देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं। बेल में तापमान का उतर-चढ़ाव सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह 7 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर लेता है और अपना विकास करता है। इस वृक्ष की उंचाई 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। कभी-कभी 18 मीटर तक उंचे बेल भी देखने को मिल जाते हैं। बेल का तना अधिक मोटा नहीं होता है। बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    ...view full instructions

    प्राचीन हिंदी में बेल को ______ कहा जाता था
    Solution

    प्राचीन हिंदी में बेल को श्रीफल कहा जाता था

    Key Points

    • उपयुक्त गद्यांश के अनुसार बेल को देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। 
    • अतः स्पष्ट है कि प्राचीन हिंदी में बेल को श्रीफल कहा जाता था

    Additional Information

    • वर्तमान समय में नारियल को ही संस्कृत भाषा में श्रीफल कहा गया है। श्री का अर्थ होता है लक्ष्मी। लक्ष्मी के बिना कोई भी शुभ कार्य पूर्ण नहीं हो सकता है इसलिए शुभ कार्यों में नारियल अवश्य रखा जाता है। 
    • प्राचीन हिंदी से अभिप्राय है— अपभ्रंश– अवहट्ट के बाद की भाषा। हिंदी का आदिकाल हिंदी भाषा का शिशुकाल है। यह वह काल था, जब अपभ्रंश–अवहट्ट का प्रभाव हिंदी भाषा पर मौजूद था और हिंदी की बोलियों के निश्चित व स्पष्ट स्वरूप विकसित नहीं हुए थे।
  • Question 12
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    बेलवृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की उंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही यह मध्य भाग में और दक्षिण भारत में भी मिलता है। इसे देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं। बेल में तापमान का उतर-चढ़ाव सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह 7 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर लेता है और अपना विकास करता है। इस वृक्ष की उंचाई 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। कभी-कभी 18 मीटर तक उंचे बेल भी देखने को मिल जाते हैं। बेल का तना अधिक मोटा नहीं होता है। बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    ...view full instructions

    भारत में बेल की खेती ______ होती है
    Solution

    भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर होती है।

    Key Points

    • उपयुक्त गद्यांश के अनुसार भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं।
    • अतः स्पष्ट है कि भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर होती है।

    Additional Information

    • बेल वृक्ष का महत्व हमारे शास्त्रों में बेल का वृक्ष बहुत अधिक पूजनीय माना जाता है स्कंद पुराण के अनुसार बेल के वृक्ष की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई है।
    • जैसे तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है उसी तरह बेल वृक्ष में माता पार्वती का वास माना गया है। 
  • Question 13
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    बेलवृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की उंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही यह मध्य भाग में और दक्षिण भारत में भी मिलता है। इसे देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं। बेल में तापमान का उतर-चढ़ाव सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह 7 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर लेता है और अपना विकास करता है। इस वृक्ष की उंचाई 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। कभी-कभी 18 मीटर तक उंचे बेल भी देखने को मिल जाते हैं। बेल का तना अधिक मोटा नहीं होता है। बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    ...view full instructions

    बेलवृक्ष के किस अंग में औषधीय गुण नहीं होते हैं?
    Solution

    बेलवृक्ष के बीज में औषधीय गुण नहीं होते हैं।

    Key Pointsउपयुक्त गद्यांश के अनुसार बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    अतः स्पष्ट है कि बेलवृक्ष के बीज में  औषधीय गुण नहीं होते हैं।

  • Question 14
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    बेलवृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की उंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही यह मध्य भाग में और दक्षिण भारत में भी मिलता है। इसे देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं। बेल में तापमान का उतर-चढ़ाव सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह 7 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर लेता है और अपना विकास करता है। इस वृक्ष की उंचाई 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। कभी-कभी 18 मीटर तक उंचे बेल भी देखने को मिल जाते हैं। बेल का तना अधिक मोटा नहीं होता है। बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    ...view full instructions

    बेलवृक्ष के संबंध में कौन-सा कथन सत्य नहीं है?
    Solution

    बेलवृक्ष के संबंध में इसकी पत्तियां कठोर व गहरे हरे रंग की होती हैं, यह कथन सत्य नहीं है

    Key Points

    • उपयुक्त गद्यांश के अनुसार बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं।
    • बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते है 
    • अतः स्पष्ट है कि बेलवृक्ष के संबंध में इसकी पत्तियां कठोर व गहरे हरे रंग की होती हैं। यह कथन सत्य नहीं है।
  • Question 15
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सबसे उपयुक्त उत्तर वाले विकल्प को चुनिए।

    बेलवृक्ष अपने वंश का अकेला वृक्ष है। भारत में बेल वृक्ष जंगली अवस्था में हिमालय के शुष्क पर्वतीय भागों में 1350 मीटर तक की उंचाई वाले भागों में देखने को मिल जाता है। इसके साथ ही यह मध्य भाग में और दक्षिण भारत में भी मिलता है। इसे देश के अलग-अलग स्थानों पर तथा अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी, उर्दू तथा बांग्ला में इसे बेल कहते हैं। प्राचीन हिंदी में इसका नाम श्रीफल है। वर्तमान समय में श्रीफल नारियल को भी कहा जाता है। भारत में बेल की खेती लगभग सभी स्थानों पर सफल है। इसे ऐसे स्थानों पर भी उगाया जा सकता है, जहां अन्य वृक्ष नहीं उगाए जा सकते हैं। बेल में तापमान का उतर-चढ़ाव सहन करने की अद्भुत क्षमता होती है। यह 7 डिग्री सेल्सियस से 48 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर लेता है और अपना विकास करता है। इस वृक्ष की उंचाई 10 से 15 मीटर तक हो सकती है। कभी-कभी 18 मीटर तक उंचे बेल भी देखने को मिल जाते हैं। बेल का तना अधिक मोटा नहीं होता है। बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है। यह पतझड़ के मौसम में पूरी तरह पर्णविहीन हो जाता है और फिर इस पर धीरे-धीरे नई पत्तियाँ आ जाती हैं। बेलवृक्ष की ताजी और नई पत्तियाँ कोमल और चमकदार हल्का गुलाबीपन लिए होती हैं। बेलवृक्ष के बीज को छोड़कर इसके सभी अंग औषधीय महत्व के होते हैं।

    ...view full instructions

    बेलवृक्ष की छाल होती है 
    Solution

    बेलवृक्ष की छाल मोटी, कोमल पर्तदार  होती है

    Key Points

    • उपयुक्त गद्यांश के अनुसार बेल वृक्ष के तने और इसकी शाखाओं व उपशाखाओं की छाल मोटी, कोमल पर्तदार होती है।
    • अतः स्पष्ट है कि बेलवृक्ष की छाल मोटी, कोमल पर्तदार  होती है

    Additional Information

    • कोमल का अर्थ है - मुलायम 
    • कोमल का पर्याय -नाजुक, नरम, मुलायम, नरम, मृदु, सुकुमार।
    • कोमल का विलोम -कठोर 
  • Question 16
    5 / -1

    दिए गए मुहावरे का अर्थ ज्ञात कीजिए।

    आकाश का फूल होना।

    Solution

    आकाश का फूल होना। मुहावरे का सही अर्थ है – अप्राप्‍य होना 

    स्पष्टीकरण:-

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    आकाश का फूल होना।

    अप्राप्‍य होना

    आजकल दिल्ली में घर खरीदना तो आकाश का फूल हो रहा हैं।

    Key Points
    अन्य विकल्प:-

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    भूख लगना

    भोजन की आवश्यकता प्रतीत होना।

    राजू की माँ जल्दी से खाना परोसो मुझे बहुत जोरो से भूख लगी है।

    अति क्रोधित होना

    आगबबूला होना 

    विराट कोहली क्षेत्ररक्षण अच्छा न होने पर अति क्रोधित हो जाते है।

    ईर्ष्या से जलना

    कलेजे पर साँप लोटना 

    पड़ोसी के घर रेडियो आने पर महिला वर्ग ईर्ष्या से जलने लग जाते है।

  • Question 17
    5 / -1

    निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस विकल्प का चयन करें जो सही संधि-विच्छेद वाला विकल्प है।

    उन्नयन  
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘उत् + नयन ’ है। अन्य विकल्प इसके असंगत उत्तर होंगे।

    Key Points

    • ‘उन्नयन’ शब्द का उचित संधि-विच्छेद ‘उत् + नयन’ (त् + न = न्) है।
    • यह व्यंजन संधि का उदाहरण है।

    व्यंजन संधि

    -किसी वर्ग का पहला वर्ण (क্, च্, ट্, त্, प্)+कोई स्वर या व्यंजन=पहले वर्ण के स्थान पर तीसरा वर्ण (ग্, ज্, ड্, ड্, ब্)

    -वर्ग का पहला वर्ण + अनुनासिक वर्ण (अर्थात पंचम वर्ण) = पहले के स्थान पर उसी का पाँचवाँ वर्ण

    -ऋ, र્, ष્ + कोई स्वर या व्यंजन + न = बाद के स्थान पर ण

    -अ, आ से भिन्न स्वर + स્ = स્ के स्थान पर ष્

    -म્ +किसी वर्ग का कोई व्यंजन = म્ के स्थान पर उसी वर्ग का अंतिम वर्ण या अनुस्वार।

    -स्वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ) + छ = दोनों के बीच में च का अगमा

    दिग्गज = दिक् + गज

    तल्लीन = तत् +लीन

     

    तन्मय = तत + मय

     

    प्रणाम = परि + नाम

     

    विषम = वि + सम

    संताप = सम + ताप

     

    प्रतिच्छाया = प्रति + छाया

     Additional Information

    संधि- सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। इसके तीन भेद हैं-

    स्वर संधि

    दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।

    स्वार्थ = स्व + अर्थ

    महाशय = महा + आशय

    व्यंजन संधि

    व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।

    दिग्गज = दिक् + गज

    तल्लीन = तत् +लीन

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

    शिरोमणि = शिर: + मणि

  • Question 18
    5 / -1
    'जिसके हाथ में वीणा है' के लिए एक शब्द होगा:
    Solution
    'जिसके हाथ में वीणा है' के लिए एक शब्द होगा-वीणापाणि। Key Pointsचक्रपाणि
    • वाक्य में प्रयोग - राम और कृष्ण विष्णु के ही अवतार हैं ।
    • समानार्थी शब्द - विष्णु , नारायण , सत्यनारायण , सत्य-नारायण , रमाकांत
    • लिंग - पुल्लिंग।
    • एक तरह का - देवता , वसु , आदित्य।

    वीणापाणि

    • समास विग्रह : वह जिसके पाणि ( हाथ ) में वीणा है-सरस्वती।
    •  वीणापाणि में प्रयुक्त समास का नाम बहुव्रीहि समास हैं ।

    बहुव्रीहि समास की परिभाषा

    • जिस समास में दोनों खंड प्रधान न हों और समस्तपद अपने पदों से भिन्न किसी अन्य संज्ञा का बोध करवाते हों, तो उसे ‘बहुव्रीहि समास’ कहते हैं।
    • इनका विग्रह करने पर विशेष रूप से ‘वाला’, ‘वाली’, ‘जिसका’, ‘जिसकी’, ‘जिससे’ आदि शब्द पाए जाते हैं। 
    • यह भी कहा जा सकता है कि विग्रह पद संज्ञा पद का विशेषण रूप ही होता है। 

    चक्रधारी

    •  संज्ञा पुलिंग।
    • विष्णु की उपाधि।
    • चक्रधारी का पर्यायवाची –साँप, कृष्ण, चक्रधर।

    व्रजपाणि

    • बहुब्रीहि समास – व्रजपाणि शब्द में बहुब्रीहि समास है।
    • व्रजपाणि : वह जिसके पाणि (हाथ) में व्रज है -इन्द्र।
  • Question 19
    5 / -1
    'रसगुल्ला' शब्द में कौन-सा समास हैं?
    Solution

    'रसगुल्ला' शब्द में तत्पुरुष समास हैं। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 3) तत्पुरुष समास होगा ।

    Key Points

    • रसगुल्ला – रस मेँ डूबा हुआ गुल्ला

     

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    जैसे – धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    अन्य विकल्प :- 

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    बहुब्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।

    जैसे – जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
     

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    जैसे – दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्ययीभाव समास

    जिस समास में पहला पद (पूर्वपद) अव्यय तथा प्रधान हो।

    जैसे – जन्म से लेकर = आजन्म, मति के अनुसार = यथामति।


    Additional Information 

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    समास

    समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। जब दो या दो से अधिक शब्दों के योग से जो छोटा शब्द बने उसे समास कहते हैं। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।

     

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

  • Question 20
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) जहाँ दो स्वरों का मेल होने

    य) वह स्वर संधि

    र) पर किसी एक स्वर में

    ल) या दोनों स्वरों

    व) में जो परिवर्तन आता है

    (6) कहलाती है l

    Solution

    विकल्प 1 "र, ल, व्, य" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) जहाँ दो स्वरों का मेल होने

    (2) पर किसी एक स्वर में

    (3) या दोनों स्वरों

    (4) में जो परिवर्तन आता है

    (5) वह स्वर संधि

    (6) कहलाती है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 21
    5 / -1
    ब्रह्मा, ____महेश, ये तीनों _____ जगत का संचालन करती है।
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'विष्णु, शक्तियां’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    Key Points

    • दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थान के लिए उचित शब्द क्रमश: 'विष्णु, शक्तियां' होंगे। 
    • पूर्ण वाक्य है - ब्रह्म, विष्णु, महेश, ये तीनों शक्तियां जगत का संचालन करती हैं। 
    • अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर होंगे। 

    Additional Information

    • सामान्य ज्ञान की रिक्त स्थान पूर्ति अभ्यास का मूल उद्देश्य ज्ञान वर्धन करना है। 
    • साथ ही शब्दों के उचित प्रयोग की जानकारी अर्जित करना है। 
  • Question 22
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ,, ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) मूल धातु

    य) होती है

    र) यह स्वतंत्र

    ल) तथा अन्य शब्द

    व) पर आश्रित

    (6) नहीं होती है l

    Solution

    विकल्प"र,य,ल,व्​" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

       (1) मूल धातु

       (2)यह स्वतंत्र

       (3) होती है

       (4) तथा अन्य शब्द

       (5) पर आश्रित

       (6)  नहीं होती है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरच
  • Question 23
    5 / -1
    निम्नलिखित में से कौन सा 'पाणिग्रहण' का पर्यायवाची शब्द है?
    Solution
    पाणिग्रहण का पर्यायवाची – विवाह, शादी, गठबंधन, परिणय, व्याह है  Key Points
     शब्दपर्यायवाची
    परिधिबाड़ा,रूँधान या चहारदीवारी । 
    प्रांजलसाफ , निर्मल , स्वच्छ , शुद्ध , पवित्र , पाक
    कुटुम्बपरिवार, घराना, खानदान, कुनबा।
    Additional Information
    अंधा- सूरदास, आँधरा, नेत्रहीन, दृष्टिहीन
    अंबुद- मेघ, बादल, घन, घनश्याम, अंबुधर, घटा, प्रमोद, वालिद, जलद।
    अंबर- आकाश, आसमान, गगन, फलक, नभ, व्योम।
    अनपढ़- निरक्षर, अशिक्षित, अपढ़।
    अन्न- अनाज, गल्ला, नाज, दाना।
  • Question 24
    5 / -1
    निम्नलिखित में से मुहावरा "अँधे के आगे रोना" का क्या अर्थ है
    Solution

    'अँधे के आगे रोना​ मुहावरे का सही अर्थ है - निर्दयी से दया की याचना करना। अन्य विकल्प असंगत हैं।

    Key Points

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    अँधे के आगे रोना

    निर्दयी से दया की याचना करना

    मुन्ना को समझाना अंधे के आगे रोने के समान है। 

     

    अन्य विकल्प:-

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    लोहा लेना।

    साहसपूर्वक सामना करना।

    रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजो से लोहा लिया 

    गले पड़ना।

    पीछे पड़ जाना

    मैंने नीलम के एक प्रोजेक्ट में मदद क्या की वह तो मेरे गले ही पड़ गई अब हर प्रोजेक्ट बनाने के लिए घर आ जाती है।

    कान खाना

    शोर करना

    स्कूल में छोटे बच्चे, हमेशा ही आचार्य जी के कान खाये रहते हैं।

    Additional Informationविशेष

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    मुहावरा

    ऐसे वाक्यांश जो अपने सामान्य अर्थ के स्थान पर विशेष अर्थ प्रकट करते हैं, मुहावरा कहलाते हैं।

    दाँत काटी रोटी, टोपी उछालना आदि।

  • Question 25
    5 / -1
    देवालय शब्द का संधि विच्छेद क्या होगा?
    Solution

    दिए गए विकल्पों में सही उत्तर देव + आलय  होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    Key Points

    • देवालय का उचित संधि विच्छेद देव + आलय (अ  +  आ  =  आ) होगा।
    • यह दीर्घ संधि का उदाहरण है।
    • जब ह्रस्व स्वर या दीर्घ (अ,इ,उ,ऋ) के बाद पुनः ह्रस्व या दीर्घ स्वर (अ,इ,उ,ऋ) आये, तो इनके मेल से दीर्घ स्वर (आ,ई,ऊ,ऋ) हो जाता है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं।

    Additional Information

    संधि -  दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    सती + ईश = सतीश

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

      चित् + मय = चिन्मय

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    मनः + योग = मनोयोग

  • Question 26
    5 / -1
    'शगुन मेरी सहेली है, अर्थ के आधार पर इस वाक्य का प्रकार है
    Solution

    इसका सही उत्तर विकल्प 2 'शगुन मेरी सहेली है', अन्य विकल्प असंगत हैं।

    Key Points

    • 'शगुन मेरी सहेली है, '- वाक्य विधानवाचक वाक्य है।

    Additional Information
    अन्य विकल्प:

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    विधानवाचक

    ऐसे वाक्य जिनसे किसी काम के होने या किसी के अस्तित्व का बोध हो। इन्हें विधिवाचक वाक्य भी कहते हैं।

    ममता ने खाना खा लिया।

    हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है।

    निषेधवाचक

    जिन वाक्यों में किसी काम के न होने का बोध होता है वे निषेधवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    मैं नहीं जाऊंगा।

    मेरा कोई सामान मत लाना।

    प्रश्नवाचक

    जिन वाक्यों में किसी से प्रश्न करने का बोध हो वे प्रश्न वाचक वाक्य कहलाते हैं।

    कल कहाँ थे तुम?

    अभी आए हो क्या?

    आज्ञावाचक

    जिन वाक्यों में आज्ञा या प्रार्थना करने का बोध होता है वे आज्ञावाचक वाक्य कहलाते हैं।

    कृपया ध्यान दें।

    उधर रख दो।

    इच्छावाचक

    जिन वाक्यों में किसी इच्छा अथवा शुभकामना आदि का बोध होता है वे वाक्य इच्छवाचक कहलाते हैं।

    नया साल मुबारक हो।

    तुम एक दिन बड़े आदमी बनोगे।

    संकेतवाचक

    जिन वाक्यों में क्रिया एक दूसरे पर निर्भर हो या किसी संकेत का बोध होता है वे वाक्य संकेत वाचक होते हैं।

    मकान के उस तरफ रमेश है।

    संदेहवाचक

    जिन वाक्यों में किसी प्रकार का संदेह उत्पन्न हो वे संदेहवाचक वाक्य कहलाते हैं।

    अब तक तो ट्रेन चली गयी होगी।

    क्या यही विकल्प सही है?

    विस्मयादिवाचक

    जिन वाक्यों में आश्चर्य, शोक, घृणा, ख़ुशी, स्तब्धता होती है वे विस्मयादिबोधक वाक्य होते हैं।

    वाह! ये अद्भुत है।

  • Question 27
    5 / -1

    आकाश में बिजली चमक रही है।

    रेखांकित शब्द का पर्यायवाची है:

    Solution
     बिजली शब्द का पर्यायवाची है-चपला ।Key Pointsतटिनी
    • वाक्य में प्रयोग - गंगा, यमुना बड़ी नदियाँ हैं।
    • समानार्थी शब्द - नदी , सरिता , सलिला , नदिया , दरिया।
    • लिंग - स्त्रीलिंग।
    • एक तरह का - प्राकृतिक वस्तु , जलीय धरातल , जलराशि

    चपला

    • वाक्य में प्रयोग - आकाश में रह-रहकर बिजली चमक रही थी।
    • समानार्थी शब्द - बिजली , तड़िता।
    • लिंग - स्त्रीलिंग।

    ज्योति

    • वाक्य में प्रयोग - उसकी आँखों में चमक थी।
    • समानार्थी शब्द - चमक , कांति , ओज।
    • लिंग - स्त्रीलिंग।

    वसन्तदूती

    • वाक्य में प्रयोग - आम के पेड़ पर बैठी कोयल गा रही है।
    • समानार्थी शब्द - कोयल , कोकिल , कोकिला।
    • लिंग - स्त्रीलिंग।
  • Question 28
    5 / -1
    'प्राणप्रिय' शब्द में कौन सा समास है? 
    Solution

    'प्राणप्रिय' शब्द में कर्मधारय समास है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही उत्तर विकल्प 1) 'प्राणप्रिय' होगा ।

    Key Points

    • प्राणप्रिय -प्रिय है जो प्राणों को

     

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    कर्मधारय समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, चन्द्र जैसे मुख = चंद्रमुख आदि।

     

    अन्य विकल्प:-

    समास

    परिभाषा

    उदाहरण

    बहुब्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।

    जैसे – जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
     

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    जैसे – धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    द्वंद्व समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान हो तथा विग्रह करने पर उनके बीच ‘तथा’, ‘या’, ‘अथवा’, ‘एवं’ या ‘और’ का प्रयोग होता हो।

    जैसे – अन्न और जल = अन्न-जल, अपना और पराया = अपना-पराया।


    Additional Information 

     

    परिभाषा

    उदाहरण

    समास

    समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। जब दो या दो से अधिक शब्दों के योग से जो छोटा शब्द बने उसे समास कहते हैं। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है।

     

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

  • Question 29
    5 / -1

    रेखांकित वाक्यांश के लिए एक शब्द का चयन कीजिए -

    देने की इच्छा रखने वाले लोग हमेशा आदर पाते हैं।

    Solution

     सही उत्तर- दित्सा होगा।

    Key Points 

    • 'देने की इच्छा'- का सही अर्थ- दित्सा है।

    अन्य विकल्प

    • जो काम कठिन हो- दुष्कर
    • वाक्य प्रयोग- जीतने भी दुष्कर कार्य थे वह हनुमान जी बड़ी आसानी से कर लेते थे।
    • ज्योतिष, दैव या प्रारब्ध संबंधी बातें जानने वाला- देवज्ञ
    • वाक्य प्रयोग-  एक देवज्ञ ने बताया था कि हर गृह कि दशा मानव जीवन प्रभावित करती है।
    • दो बार जन्म लेने वाला- द्विज
    • वाक्य प्रयोग- इंसान द्विज होता ही होगा।
    Hinglish
    • इच्छा- Wish
    • आदर- Respect
    • हमेशा- Always
  • Question 30
    5 / -1

    निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ क्या है?

    "किनारे लगाना"

    Solution

    सही उत्तर काम पूरा करना है।  

    Key Points

    • "किनारे लगाना" मुहावरे का सही अर्थ है 'काम पूरा करना'
    • वाक्य प्रयोग - जल्दी से इस काम को किनारे लगाओ।   

    अन्य विकल्प-

    • घबरा उठना एक प्रचलित मुहावरा है जिसका अर्थ बेचैन होना है।
    • वाक्य प्रयोग- सारा संसार रावण के अत्याचारों से घबड़ा उठा है।
  • Question 31
    5 / -1
    'आग्रह' का विलोम होगाः
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से दुराग्रह सही उत्तर है। अन्य विकल्प इसके सही उत्तर नहीं हैं।

    Key Points 

    • 'आग्रह' का सही विलोम शब्द 'दुराग्रह' है।
    • आग्रह का अर्थ –  हठ 
    • दुराग्रह का अर्थ – अनुचित हठ 

    अन्य शब्द - 

    शब्द

    विलोम

    विग्रह 

    संधि 

    साग्रह 

    निराग्रह 

    Additional Information

    शब्द

    परिभाषा

    उदाहरण

    विलोम/विपरीतार्थक

    विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।

    रात-दिन

    धरती-आकाश

  • Question 32
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में ,, ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) वक्ता या लेखक

    य) का प्रयोग स्वयं के लिए

    र) करता है वे निजवाचक

    ल) जिन सर्वनामों

    व) सर्वनाम

    (6) कहते है l

    Solution

    विकल्प 1 "ल, य, र, व्" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) वक्ता या लेखक

    (2)  जिन सर्वनामों

    (3) का प्रयोग स्वयं के लिए

    (4)  करता है वे निजवाचक

    (5) सर्वनाम

    (6) कहते है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 33
    5 / -1
    देवेश शब्द का संधि विच्छेद है -
    Solution

    .दिए गए विकल्पों में सही उत्तर देव + ईश है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।

    Key Points

    • 'देवेश' का उचित संधि विच्छेद देव + ईश   (अ+ = ए)' है।
    • यह गुण संधि का उदाहरण है।
    • जब अ या आ के बाद ह्रस्व या दीर्घ इ,उ,ऋ आये तो क्रमशः ए,ओ,अर् हो जाते हैं। इसे गुण संधि कहते हैं।

    Additional Information

    संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर

    स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    विद्या + अर्थी = विद्यार्थी

    व्यंजन

    एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    अहम् + कार = अहंकार

    विसर्ग

    विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।

    दुः + आत्मा = दुरात्मा

     

  • Question 34
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्यों  में , ल और व को  सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए - 

    (1) जो क्रिया

    य) से मिलकर

    र) किसी दूसरी क्रिया या

    ल) अन्य शब्द

    व) क्रिया बनाती है उसे

    (6) उसे संयुक्त क्रिया कहते है l

    Solution

     विकल्प "र, ल, य, व्​" सही उत्तर है ,अन्य विकल्प असंगत है |

    Key Points

    वाक्यों का सही क्रम - 

    (1) जो क्रिया

    (2) किसी दूसरी क्रिया या

    (3) अन्य शब्द

    (4) से मिलकर

    (5) क्रिया बनाती है 

    (6) उसे संयुक्त क्रिया कहते है l

    Important Points

    वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-

    1. वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए 
    2. उचित  पदक्रम होना चाहिए 
    3. वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए 
    4. वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है 
    5. उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए 
  • Question 35
    5 / -1

    निम्नलिखित शब्दों के विलोंम शब्द चुनें।

    'आरूढ़' 

    Solution

     'आरूढ़' का विलोम अनारूढ़ है  

    आरूढ़ का अर्थ

    • चढ़ा हुआ, सवार।

    पर्यायवाची 

    • अध्यारूढ़, अरूढ़, आरोहित, रूढ़, सवार 

    Additional Information

    वाक्य प्रयोग द्वारा विलोम शब्दों के अंतर की पहचान

    • आरूढ़ – राम रथ पर आरूढ़ हो कर सीता को खोजने निकल पड़े।
    • अनारूढ़ – असंतुलित होकर वह रथ से अनारूढ़ हो गया।
  • Question 36
    5 / -1
    'आधा तीतर आधा बटेर होना' का अर्थ होगा:
    Solution
    आधा तीतर आधी बटेर मुहावरे का अर्थ – अधूरा ज्ञान, सुचारु रुप से नहीं होना, बेमेल चीजों का मिश्रण, बेमेल-बेढंगा।
    वाक्य प्रयोग: सुमित बहुत ही बेतुकी बातें करता है उसकी बातों का कोई भी मेल नहीं है वह बेमेल बेढंगा की तरह बातें करता है इसे कहते हैं 
    आधा तीतर आधा बटेर

    Key Points

    लोकोक्ति परिभाषा

    उदाहरण

     

    जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत कहते है।

    ‘उस दिन बात-ही-बात में राम ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’ ।  

  • Question 37
    5 / -1
    'त्रिफला' शब्द किस समास का उदाहरण हैै?
    Solution

    सही उत्तर द्विगु’ है। 

    Key Points

    • 'त्रिफलाद्विगु समास का उदाहरण है। 
    • 'त्रिफला' का समास विग्रह होगा - तीन फलों का समूह। 
    • द्विगु समास में जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण होता है।
    •  'त्रिफला' में प्रथम पद 'त्रि'(एक संख्या) अथवा दूसरा पद 'फैला' समूह का बोध कराता है।

    पदों की प्रधानता के आधार पर समास का वर्गीकरण निम्न प्रकार है -  

    1. पूर्वपद प्रधान- अव्ययीभाव समास
    2. उत्तरपद प्रधान- तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु  समास
    3. दोनों पद प्रधान- द्वंद्व समास
    4. दोनों पद अप्रधान- बहुव्रीहि समास

    संधि और समास- अर्थ की द्रष्टि से दोनों शब्द सामान हैं यद्यपि दोनों में कुछ अंतर है जैसे- 

    1. संधि वर्णों का मेल है और समास शब्दों का मेल है।
    2. संधि में वर्णों के मेल से वर्ण परिवर्तन अथवा विकार उत्पन्न होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता।
    3. संधि के द्वारा बने शब्दों को पुनः मूल अवस्था में लाने को संधि-विच्छेद कहते हैं जबकि समास के पदों को अलग करने की प्रक्रिया समास-विग्रह कहलाती है।  

    Additional Information

    समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -

    समास का नाम

    परिभाषा 

    उदाहरण 

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिह्न) का लोप हो।

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

    बहुव्रीहि समास

    जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं। 

    जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।

    कर्मधारय समास

    जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो। 

    पहचान: विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।

    कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।

    द्विगु समास

    जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।

    दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।

    अव्यययीभाव समास

    जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे। 

    प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक

    द्वंद्व समास 

    द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।

    माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न 

     

     

  • Question 38
    5 / -1
    'मूलकथा में आने वाला प्रसंग' कहलाता है?
    Solution
    'मूलकथा में आने वाला प्रसंग' कहलाता है-अंतर्कथाKey Points

    गौणकथा

    • जिसका महत्व कम हो ; साधारण ; अप्रधान ; अप्रचलित 

    अंतर्कथा 

    • प्रसंग द्वारा या संदर्भ में संकेतित कथा, गुप्त कथा ,भीतरी बात।

    सन्दर्भ 

    •  अर्थ है कि किसी घटना या तथ्य को घेरना ।
    • हम अपनी बात किसी को बता रहे हैं तो वह बात कब कहां कैसे और किस प्रसंग में कही गई है इसी को बताना संदर्भ देना कहते हैं
    • इसे पढ़ने वाले पाठक के मन में वहां का एक आभासी चित्र तैयार हो जाता है और उसे सारी घटनाओं को समझने में आसानी होती है।

     आख्यायिका 

    • कहानी । किस्सा । २. कल्पत कथा जिससे कुछ शिक्षा निकले ।
    • एक प्रकार का आख्यान जिसमें पात्र भी अपने अपने चरित्र अपने मुँह से कुछ कुछ कहते हैं ।
  • Question 39
    5 / -1
    'इतिश्री' का विलोम शब्द हैः
    Solution
    'इतिश्री' का विलोम शब्द है - श्री  गणेशKey Pointsइतिश्री
    • 'इतिश्री' अर्थ -अंत होना।
    • इतिश्री होना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।
    • इतिश्री पर्यायवाची -अंत , समाप्ति , अवसान , इति , समापन।

    वन्दना

    • समानार्थी शब्द - प्रार्थना , स्तुति
    • वाक्य में प्रयोग - मंदिर में प्रार्थना हो रही है।

    Additional Information

    शब्द विलोम
    सक्रियनिष्क्रिय
    निरक्षरसाक्षर
    आहारनिराहार
    स्वाधीनपराधीन
    आयव्यय
  • Question 40
    5 / -1
    हिन्दी भाषा में वाक्य के मुख्य अंग होते हैं-
    Solution

    वाक्य के 'दो' अंग होते हैं। 

    Important Points 

    • वाक्य के दो अंग होते हैं-
    1. उद्देश्य-वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है,उसे उद्देश्य कहते हैं।
    2. ​​विधेय-उद्देश्य के विषय में जो कुछ कहा जाए,उसे विधेय कहते हैं।

    Key Points 

    • वाक्य सार्थक शब्दों के व्यवस्थित और क्रमबद्ध समूह से बनते हैं।
    • अर्थ प्रकट करने वाले सार्थक शब्दों के व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते हैं।
    • जैसे-ओजस्व कमरे में टी.वी. देख रहा है।

    नोट - मूल reet 2021 के पेपर में 'हिन्दी भाषा में वाक्य के मनुष्य अंग होते हैं ऐसा प्रश्न आया था 

  • Question 41
    5 / -1

    द‍िये गये सन्धि व‍िच्‍छेद में सही व‍िकल्‍प चुन‍िए

    दुराशा

    Solution

    दिए गए विकल्पों में उचित उत्तर ‘दु: + आशा’ है।                

    Key Points

    • ‘दुराशा’ शब्द का उचित संधि-विच्छेद ‘दु: + आशा’।
    • यह विसर्ग संधि का उदाहरण है।
    • विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता है।
    • विसर्ग के साथ ‘श’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी ‘श्’ बन जाता है।

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के बाद स्वर व व्यंजन के आने पर विसर्ग में जो परिवर्तन या विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग-संधि कहते हैं।

    निः + आहार = निराहार

    Additional Information

    संधि- सन्धि (सम् + धि) शब्द का अर्थ है 'मेल' या जोड़। दो निकटवर्ती वर्णों के परस्पर मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है वह संधि कहलाता है। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग

    संधि

    परिभाषा

    उदाहरण

    स्वर संधि

    स्वरों का स्वरों के साथ मेल होने पर उनमें जो ध्वनि सम्बन्धी परिवर्तन होता है, उसे ‘स्वर-सन्धि’ कहते हैं।

    राम  + आधार = रामाधार

    व्यंजन संधि

    जब संधि करते समय व्यंजन के साथ स्वर या कोई व्यंजन के मिलने से जो रूप में परिवर्तन होता है, उसे ही व्यंजन संधि कहते हैं।

    षट् + आनन = षडानन

    विसर्ग संधि

    विसर्ग के बाद जब स्वर या व्यंजन आ जाये तब जो परिवर्तन होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।

    मनः + बल = मनोबल

  • Question 42
    5 / -1
    ''पुलिन' किसका पर्यायवाची है?
    Solution

    पुलिन का पर्यायवाची शब्द : नदी तट होता है।

    • वैसे पुलिन को गीली भूमि भी कहा जाता है।
    • नदी के किनारे को :तट और तीर, कूल भी कहा जाता है।

    Key Points

    अन्य विकल्प:

    • जंगल:  वन, कानन,अरण्य, विपिन, कांतार, बीहड़, गहन, विटप
    • बगीचा:  बाग़, वाटिका, उपवन, उद्यान, फुलवारी, बगिया। 
    • स्मारक:  समाधि, यादगार, मेमोरियल।

    Important Points

    अन्य उदाहरण:

    • अंबा – माता, जननी, मां, जन्मदात्री, प्रसूता।
    • इंद्र-  पुरंदर, शक्र,  शचिपति, सुरपति, देवराज, मघवा, देवेश, शतक्रतु, सुत्रामा, वासव, सुरेश, वृहत्रा, अमरपति, पर्वतारि, वीडौजा, कौशिक, शतमन्यु। 
    • खेल- क्रीड़ा, केलि, तमाशा, करतब।
    • खिड़की- रोशनदान, बारी, दरीचा, वातायन,गवाक्ष, झरोखा।
    • आत्मा –  प्राणी, प्राण, जान, जीवन, चैतन्य, ब्रह्म, क्षेत्रज्ञ, सर्वज्ञ, सर्वव्याप्त, विभु, जीव
  • Question 43
    5 / -1

    नीचे दिए गए वाक्य के सही वाक्य भेद को पहचानिए।

    राम पढ़ रहा था परन्तु रमेश सो रहा था।

    Solution

    सही उत्तर 'संयुक्त वाक्य' है
    Key Points

    जिन वाक्यों में आज्ञा या प्रार्थना करने का बोध होता है वे 'आज्ञावाचक वाक्य' कहलाते हैं।
    स्पष्टीकरण: 

    संयुक्त वाक्य

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। ये ‘और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर’ आदि से जुड़े होते हैं।

    वह सुबह आगरा गया और शाम को लौट आया।

    Additional Information

    विशेष:

    वाक्य

    परिभाषा

    उदाहरण

    सरल

    ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी। 

    राकेश पढ़ता है।

    कमला और विमला मंदिर जाती हैं।

    संयुक्त

    जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है। ये ‘और, एवं, तथा, या, अथवा, इसलिए, अतः, फिर भी, तो, नहीं तो, किन्तु, परन्तु, लेकिन, पर’ आदि से जुड़े होते हैं।

    वह सुबह आगरा गया और शाम को लौट आया।

    मिश्र

    जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।

    वह औरत जो पार्क में बैठी हैं मेरी मौसी हैं।

  • Question 44
    5 / -1
    नीचे दिए विकल्पों में से 'अंत' का विलोम शब्द चुनें।
    Solution

    'अंत' का विलोम शब्द  : आदि

    • आदि का मतलब: शुरुआत
    • अंत मतलब: खत्म​

    Key Points

    • अगम का विलोम शब्द :सुगम
    • अंतरंग का : वहिरंग/बहिर्रंग
    • अग्र का : पश्च

    Important Pointsअन्य विलोम शब्द:

    • लिंग परिवर्तन के द्वारा विलोम शब्द: जैसे भाई-बहन , राजा-रानी , वर-वधू , लड़का-लड़की, गाय-बैल आदि। 
    • विभिन्न जातीय शब्दों द्वारा विलोम शब्द :  जैसे अधम-उत्तम , अधिकतम – न्यूनतम , अनुराग- विराट , आजाद-गुलाम , आगे-पीछे आदि। 
    • समास के पद बनाकर विलोम शब्द : जैसे नश्वर-अनश्वर, आदि- अनादि, संभव-असंभव आदि। 
    • उपसर्ग के द्वारा विलोम शब्द: जैसे ईश्वर-अनिश्वर,आस्था- अनास्था, स्वास्थ्य-अस्वास्थ्य , मान-अपमान आदि। 

    अवनिअंबर
    अनुरक्तविरक्त
    अनिवार्यवैकल्पिक
    वरदानअभिशाप
    मूल्यवानअमूल्यवान/ मूल्यहीन
    अधोमुखीउद्भमुखी
    आंकलनविकलन
    आनाजाना
    आधारविकर्ण
    आंतरिकबाह्य
    आकारनिराकार
    आगमनप्रस्थान
    साध्यअसाध्य
    लोकपरलोक
    उपमयअनुमय
    उपयोगदुरूपयोग
  • Question 45
    5 / -1
    लोकोक्ति 'कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं?' का अर्थ है-
    Solution
    सही उत्तर पुरानी उम्र के आदमी नये काम सीख नही पाते है। Key Points
    • लोंकोक्ति 'कहीं बूढ़े तोते भी पढ़े हैं?' का अर्थ है-पुरानी उम्र के आदमी नये काम सीख नही पाते। 
    • वाक्य में प्रयोग होगा – पूरी उमर बीत गयी अब क्या खाक पढूंगा। बूढ़े तोते भी कहीं पढ़ते हैं? 
    Additional Information

    गढ़ फतह करना(कठिन काम करना)

    आई.पी.एस पास करके सुधाकर  ने सचमुच गढ़ फतह कर लिया।

    पीछा छुड़ाना

    अर्थ :जान छुड़ाना

    बड़ी मुश्किल से मैं उससे पीछा

    छुड़ाकर आया हूँ।

    नजरबंद करना

    अर्थ – जेल में रखना

     नेताजी को अंग्रेजो ने कई बार

    नजरबंद करके रखा था।

    थक कर चूर होना

    अर्थ –  बहुत थक जाना

    घर का काम करते करते मैं

    तो थक के चूर ही हो गयी। 

    जूते पड़ना-बहुत निंदा होना

     रमेश ने तो जूते पड़ने वाला

    काम किया है। 

  • Question 46
    5 / -1

    निम्नलिखित वाक्यों में रिक्त स्थानों में उचित शब्द भरने के लिए चार-चार विकल्प दिए गए है​। उचित विकल्प चुनकर तदनुसार चिन्ह लगाएँ ।

    मनुष्य के _____ में पुस्तकें उसकी मित्र, मार्गदर्शक, प्रेरक और साथी होती हैं।

    Solution

    सही उत्तर 'एकांतहै।

     Key Points

    • मनुष्य के एकांत में पुस्तकें उसकी मित्र, मार्गदर्शक, प्रेरक और साथी होती हैं।
    • एकांत  का अर्थ - अकेला, अलग।

    अन्य विकल्प:

    शब्द

    अर्थ

    कष्ट 

    पीड़ा

    सुख  

    ख़ुशी, प्रसन्नता

    तनाव  

    द्वेष, चिंता

  • Question 47
    5 / -1
    "क्रोध _______ का ही एक _______ रूप है |" दिए गए विकल्पों में से सही का चयन कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करें |
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'तामसिकता’,'घिनौना'  है। अन्य विकल्प गलत उत्तर हैं। 

    • दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थान के लिए उचित शब्द 'तामसिकता', 'घिनौना होगा। 
    • पूर्ण वाक्य है - "क्रोध तामसिकता का ही एक घिनौना रूप है |" 
    • तामसिक का अर्थ तमोगुण वाला होता है।
    • घिनौना का अर्थ घृणित होता है।

    ​​​
    अन्य विकल्प: 

    • आत्मीयता- अपनापन, स्नेह
    • अन्य- भिन्न, दूसरा
    • नाराजगी- अप्रसन्नता
    • सहज- सरल, सामान्य
    • सात्विकता- सत्व होने का गुण
    • उत्तम- श्रेष्ठ, बढ़िया


    • सामान्य ज्ञान की रिक्त स्थान पूर्ति अभ्यास का मूल उद्देश्य ज्ञान वर्धन करना है। 
    • साथ ही शब्दों के उचित प्रयोग की जानकारी अर्जित करना है। 
  • Question 48
    5 / -1
    निम्नलिखित मे से कौन सा शब्द ‘आँख’ का पर्यायवाची नहीं है?
    Solution

    विधु ‘आँख’ का पर्यायवाची नहीं है।  

    विधु का अर्थ

    • चन्द्रमा, वायु, कपूर, विष्णु, ब्रह्मा, आयुध आदि अलग अलग अर्थ होते हैं।
    • इन्हें अनेकार्थी शब्द भी कहते है।

     पर्यायवाची

    • विधु के पर्याय : चाँद, हिमांशु, इंदु, सुधांशु, विधु, तारापति

    Additional Information

     पर्यायवाची नयन-

    • आँख, लोचन, नयन, नेत्र, चक्षु, दृष्टि अंबक, अक्ष, अक्षि, चक्षु, चश्म, दीदा, दृग, दृगेंद्रिय, आँख|

    संधि

    • 'नयन' में अयादि संधि है।
    • ने + अन = नयन ।
  • Question 49
    5 / -1
    "ताजमहल _______ का अद्भुत नमूना है" | दिए गए विकल्पों में से सही का चयन क्र रिक्त स्थान की पूर्ति करें |
    Solution

    दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 'स्थापत्यकला है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं। 

    • दिए गए विकल्पों में से रिक्त स्थान के लिए उचित शब्द 'स्थापत्यकला' होगा।  
    • पूर्ण शुद्ध वाक्य है - "ताजमहल स्थापत्यकला का अद्भुत नमूना है" | 
    • स्थापत्यकला - भवन निर्माण एवं शिल्प विज्ञान का सम्मिलित रूप। 


    अन्य विकल्प :  

    1. चित्रकला - तस्वीर बनाने का हुनर। 
    2. शिल्पकला - हाथ से कुछ बनाने की कला। 
    3. मूर्तिकला - मूर्ति गढ़ने की कला। 


    • सामान्य ज्ञान की रिक्त स्थान पूर्ति अभ्यास का मूल उद्देश्य ज्ञान वर्धन करना है। 
    • साथ ही शब्दों के उचित प्रयोग की जानकारी अर्जित करना है। 
  • Question 50
    5 / -1
    प्राचीन आदर्श के अनुसार चलने वाला-
    Solution

    उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प "गतानुगतिक" सही है।

    Key Points
    • गतानुगतिक शब्द का अर्थ आंख बंद करके अनुसरण करने वाला होता है।
    • अतः "प्राचीन आदर्श के अनुसार चलने वाला" वाक्यांश के लिए एक शब्द गतानुगतिक होगा।
    • गतानुगतिक
      • विशेषण
        • अंधानुयायी।
    Additional Information
    • जो सुना हुआ न हो - अश्रव्य
    • जिसको भेदा न जा सके - अभेद्य
    • जो साधा न जा सके - असाध्य 
    Important Points
    • अन्य उदाहरण
      • जो चीज इस संसार मेँ न हो - अलौकिक
      • जो बाह्य संसार के ज्ञान से अनभिज्ञ हो - अलोकज्ञ
      • जिसे लाँघा न जा सके - अलंघनीय
      • जिसकी तुलना न हो सके - अतुलनीय
      • जिसके आदि (प्रारम्भ) का पता न हो - अनादि
Self Studies
User
Question Analysis
  • Correct -

  • Wrong -

  • Skipped -

My Perfomance
  • Score

    -

    out of -
  • Rank

    -

    out of -
Re-Attempt Weekly Quiz Competition
Self Studies Get latest Exam Updates
& Study Material Alerts!
No, Thanks
Self Studies
Click on Allow to receive notifications
Allow Notification
Self Studies
Self Studies Self Studies
To enable notifications follow this 2 steps:
  • First Click on Secure Icon Self Studies
  • Second click on the toggle icon
Allow Notification
Get latest Exam Updates & FREE Study Material Alerts!
Self Studies ×
Open Now