उपर्युक्त वाक्य में प्रकारांतर से साधारणीकरण का महत्व रेखांकित किया गया है।
Key Pointsसाधारणीकरण से तात्पर्य रस की निष्पत्ति से है।
अर्थात किसी रचना में रस का उल्लेख लेखक द्वारा किया जाता है परंतु जब उसका पठन करके या देख कर के श्रोता के मन में जो भाव उत्पन्न होते हैं वहां पर श्रोता का साधारणीकरण होता है।
"उसे ऐसे स्वरूप खड़े करने पड़ते हैं जिनके द्वारा रति, दास, शोक, क्रोध, घृणा आदि स्वयं अनुभव करने के कारण कवि जानता है कि श्रोता भी अनुभव करेंगे।"
उपर्युक्त वाक्य में दूसरी तरह से साधारणीकरण को ही बताया है।
Additional Informationप्रकारांतर
साधारणीकरण
प्राचीन भारतीय साहित्य के सन्दर्भ में, साधारणीकरण रस-निष्पत्ति की वह स्थिति है जिसमें दर्शक या पाठक कोई अभिनय देखकर या काव्य पढ़कर उससे तादात्मय स्थापित करता हुआ उसका पूरा-पूरा रसास्वादन करता है।