Question 1 5 / -1
Directions For Questions
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I
इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।
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'निर्वाण' से अभिप्राय है -
Solution
'निर्वाण' से अभिप्राय है - मुक्ति
निर्वाण एक संस्कृत शब्द है। अर्थ: पीड़ा या दु:ख से मुक्ति पाने की स्थिति है। परमपद, अपवर्ग, मोक्ष, परधाम विलोम शब्द- 'बंधन' Key Points निद्रा:-
अर्थ: नींद, शयन, सुप्ति, तंद्रा, सुप्तावस्था।बाण:-
अर्थ: सर, तीर, सायक, विशिख, आशुग, इषु, शिलीमुख, नाराच। संकट:-
अर्थ: व्यथा, शोक, संताप, मातम, पीड़ा, विपदा, आफत, आपत्ति, मुसीबत, आपदा।
Question 2 5 / -1
Directions For Questions
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I
इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।
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‘बुद्धत्व’ से अभिप्राय है-
Solution
‘बुद्धत्व’ से अभिप्राय है- बुद्ध के गुण
गद्यांश के अनुसार:-बौद्ध धर्म में बुद्धत्व किसी जीव की उस स्थिति को कहा जाता है जिसमें वह पूरा ज्ञान और बोध पाकर सम्यमसंबुद्ध (जिसे संस्कृत में 'सम्यक्सम्बोधि' की अवस्था कहते हैं) निर्वाण की ओर निकल चुका हो। Key Points
गुण- विशेषता, खूबी, योग्यता, निपुणता, प्रवीणता, काबिलियत।Additional Information पीढ़ी:-
अर्थ: किसी कुल या वंश की परंपरा में, क्रमशः आगे बढ़ने वाली संतान की प्रत्येक कड़ी या स्थिति। दशा:-
अर्थ: अवस्था, हालत, स्थिति, हाल। संतति:-
अर्थ: विस्तार, फैलाव, संतान, औलाद।
Question 3 5 / -1
Directions For Questions
नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I
इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।
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बुद्धत्व के साक्षात्कार का माध्यम है -
Solution
बुद्धत्व के साक्षात्कार का माध्यम है - चेतना का जागरण
गद्यांश के अनुसार:- बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है। Key Points
चेतना- चेत, होश, ज्ञान, मनोज्ञान, संज्ञा, सुधबुध, बोध, विचारना, समझना, सावधान होना। जागरण- जागते रहने की अवस्था या भाव, नींद न आना, जागनाAdditional Information उन्नयन:-
उत् + नयन = उन्नयन उन्नयन शब्द में व्यंजन संधि है 'उत्' (श्रेष्ठ) उपसर्ग और ' नयन' (आँख) मूलशब्द अर्थ: जिसकी आँखें ऊपर उठी हुई हों।विलोम शब्द- 'अवनयन' मानव:-
अर्थ: जन, नर, मनुष्य, पुरुष, मर्त्य, मनुज, मानुष, इंसान।
Question 4 5 / -1
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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I
इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।
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मानव सभ्यता के लिए ज़रूरी है -
Solution
मानव सभ्यता के लिए ज़रूरी है - चेतना का उन्नयन
गद्यांश के अनुसार:- चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I Key Points
चेतना- चेत, होश, ज्ञान, मनोज्ञान, संज्ञा, सुधबुध, बोध, विचारना, समझना, सावधान होना।उत् + नयन = उन्नयन उन्नयन शब्द में व्यंजन संधि है 'उत्' (श्रेष्ठ) उपसर्ग और ' नयन' (आँख) मूलशब्द अर्थ: जिसकी आँखें ऊपर उठी हुई हों।विलोम शब्द- 'अवनयन' Additional Information गुण-
अर्थ: विशेषता, खूबी, योग्यता, निपुणता, प्रवीणता, काबिलियत। मानवीय:-
मानव + ईय = मानवीय 'मानव' मूलशब्द और 'ईय' प्रत्यय अर्थ: जो मानव संबंधी होविलोम शब्द- 'अमानवीय' विशेषण शब्द
Question 5 5 / -1
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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए I
आध्यात्मिक गुरु एक्हार्ट टोल अपनी किताब 'दि पावर ऑफ नाऊ' में लिखते हैं कि चेतना रूप और आकार का ऐसा स्वांग रचती है, जिसमें वह स्वयं को खो देती है I मानव सभ्यता के जीवने के लिए ज़रूरी है कि हम चेतना को अगले स्तर तक ले जाएँ I
इतिहास में मिनांडर और बौद्ध गुरु नागसेन, नागार्जुन की एक महान चर्चा का विवरण मिलता है। राजा और दार्शनिक के बीच के संवाद में कर्म, नाम, रूप, निर्वाण, पुनर्जन्म, आत्मा वगैरह पर चर्चा की गई है। नागसेन से मिनांडर पूछते हैं कि बुद्ध कहाँ हैं? नागसेन कहते हैं कि वह परम निर्वाण को प्राप्त हो गए I मिनांडर पूछते हैं कि क्या निर्वाण को प्राप्त होने के बाद भी अस्तित्व रहता है? गुरु नागसेन उल्टे उन्हीं से पूछते हैं कि क्या शांत हो चुकी अग्नि में लपट शेष रहती है? क्या उसे देखा जा सकता है? इस पर मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। बुद्धत्व की संभावनाएँ हर समय हैं I हर जीव की चेतना में बुद्धत्व है। हमारी चेतना का जागरण ही उसका साक्षात्कार कर सकता है।
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गद्यांश में किसके अस्तित्व के समाप्त होने की चर्चा की गई है?
Solution
गद्यांश में बुद्ध के अस्तित्व के समाप्त होने की चर्चा की गई है।
गद्यांश के अनुसार:- मिनांडर कहते हैं कि आपका अर्थ है कि तब बुद्ध नहीं हैं? बौद्ध गुरु कहते हैं कि अग्नि का अस्तित्व समाप्त हो सकता है? नहीं। ठीक उसी प्रकार बुद्ध हर जगह हैं। Key Points बुद्ध:-
गौतम बुद्ध (जन्म 563 ईसा पूर्व – निर्वाण 483 ईसा पूर्व) एक श्रमण थे जिनकी शिक्षाओं पर बौद्ध धर्म का प्रचलन हुआ।इनका जन्म लुंबिनी (नेपाल) में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ के घर त्यागकर ज्ञान की खोज में निकाल गये। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध ब न गए। Additional Information चेतना:-
अर्थ: चेत, होश, ज्ञान, मनोज्ञान, संज्ञा, सुधबुध, बोध, विचारना, समझना, सावधान होना।आत्मा:-
जीव, चैतन्य, अंतःकरण , रूह, जीवात्मा, अंतरात्मा , प्राण।
Question 6 5 / -1
Directions For Questions
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।
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स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी में किसका अंतर है?
Solution
पहनावा सही उत्तर है।Key Points
पहनावा का अर्थ है -पोशाक। पहनावा का पर्यायवाची है -पहरावा, पहिनावा, पोशाक, परिधान, लिबास। आदि हैं। पहनावा में प्रत्यय है -आवा प्रत्यय है । Additional Information
गांधी ने 1893 में शिकागो में आयोजित प्रथम विश्व धर्म संसद में जैन धर्म का प्रतिनिधित्व किया। वह पेशे से एक बैरिस्टर, उन्होंने जैनियों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम किया, और जैन धर्म, अन्य धर्मों और दर्शन पर बड़े पैमाने पर लिखा और व्याख्यान दिया।
Question 7 5 / -1
Directions For Questions
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।
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स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी को मिले सम्मान का कारण है-
Solution
ओजपूर्ण व्याख्यान सही उत्तर है।
Key Points
स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी को मिले सम्मान का कारण ओजपूर्ण व्याख्यान है नाकि युवा होना,विदेश भ्रमण, अल्पजीवी होना है l प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। Additional Information
ओजपूर्ण व्याख्यान का अर्थ - प्रभावशाली भाषण । ओजपूर्ण का पर्यायवाची शब्द -ओजस्वी,सशक्त, जोरदार, प्रबल आदि ।
Question 8 5 / -1
Directions For Questions
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।
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'समवयस्क ' से तात्पर्य है-
Solution
हम-उम्र सही उत्तर है।
Key Points
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार -जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। वयस्क शब्द के तीन भिन्न अर्थ होते है- पहला: यह एक पूर्ण विकसित व्यक्ति को दर्शाता है दूसरा: यह एक पौधे या जानवर को भी इंगित करता है जिसने पूर्ण विकास कर लिया हो तीसरा: किसी काम के लिये व्यक्ति ने एक कानूनी उम्र प्राप्त कर ली हो । यह नाबालिग का विलोम होता है।
Question 9 5 / -1
Directions For Questions
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।
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स्वामी विवेकानंद कौन-सी भाषाएँ जानते थे?
Solution
संस्कृत, बांग्ला, अंग्रेजी, हिंदी सही उत्तर है।
Key Points
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार इस अंश से स्पष्ट है कि स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे। Additional Information
संस्कृत भाषा को देववाणी कहा जाता है। इस भाषा में साहित्य की धारा कभी बेजान नहीं हुई इसकी यही बात इसकी अमरता को प्रमाणित करती है। मानवजीवन के सभी पक्षों पर समान रूप से प्रकाश डालने वाली इस भाषा की रचनाएँ हमारे देश की प्राचीन दृष्टि की व्यापकता सिद्ध करती हैं। ‘वसधुैव कुटुम्बकम’ का उद्घोष संस्कृत भाषा साहित्य की ही देन है।
Question 10 5 / -1
Directions For Questions
दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।
संन्यासी स्वामी विवेकानंद और गृहस्थी वीरचंद गाँधी के यदि वेशभूषा अंतर को छोड़ दें, तो उनमें अनेक समानताएँ दिखाई देती हैं। जब वे इस सम्मेलन में भाग लेने अमेरिका गये, तब दोनों युवा थे और समवयस्क थे, स्वामी विवेकानंद 30 वर्ष 8 महीने के हो चुके थे, वीरचंद गाँधी 29 वर्ष के हो गए थे। बाद में दुर्भाग्य से, दोनों ही अल्पजीवी हुए, स्वामी विवेकानंद का स्वर्गवास 39 वर्ष की आयु में हो गया, और वीरचंद गाँधी का 37 वर्ष की आयु में। दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। दोनों के ही वहाँ अनेक अनुयायी बने। दोनों बहु-भाषाविद थे, स्वामी विवेकानंद मातृभाषा बांग्ला के अतिरिक्त अंग्रेजी, संस्कृत और हिंदी के ज्ञाता थे, तो वीरचंद गाँधी देशी-विदेशी 14 भाषाओं के केवल ज्ञाता नहीं थे, इनमें धाराप्रवाह वार्तालाप भी करते थे।
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स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी किस महान कार्य के लिए याद किये जाते हैं?
Solution
भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए सही उत्तर है।
Key Points
प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार स्वामी विवेकानंद और वीरचंद गाँधी भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए महान कार्य के लिए याद किये जाते हैं । प्रस्तुत गद्यांश के इस अंश से स्पष्ट है दोनों ने ही अपने व्याख्यानों के माध्यम से अमेरिका वासियों को भारतीय संस्कृति से परिचित कराया। दोनों ही सम्मेलन के उपरांत कुछ वर्ष अमेरिका में, और फिर यूरोप में अपनी रुचि के विषयों पर व्याख्यान देते रहे और दोनों को सर्वत्र भरपूर सम्मान मिला। Additional Information
भारतीय शब्द में मूल शब्द भारत है, ईय प्रत्यय है। संस्कृति शब्द में मूल शब्द- संस्कृत, प्रत्यय - इ है।
Question 11 5 / -1
Directions For Questions
निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः
परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है , वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य
सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहां ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं , किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं , उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है , किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
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रहस्यवाद क्या है?
Solution
दिए गये गद्यांश के वाक्यांश “ परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता .......” से स्पष्ट है कि रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा से संबंधित काव्य है।
अतः सही विकल्प 2 ‘ आत्मा और परमात्मा से संबंधित काव्य ’ होगा।
Question 12 5 / -1
Directions For Questions
निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः
परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है , वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य
सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहां ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं , किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं , उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है , किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
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दीर्घकाल तक विचार करने के बाद मनीषियों को क्या अनुभव हुआ?
Solution
दिए गये गद्यांश के वाक्यांश “ बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि ................” से स्पष्ट है कि दीर्घकाल तक विचार करने के बाद मनीषियों को अनुभव हुआ कि यह संसार अदृश्य शक्ति से संचालित है।
अतः सही विकल्प 3 " यह संसार अदृश्य शक्ति से संचालित है" हैं।
Question 13 5 / -1
Directions For Questions
निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः
परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है , वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य
सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहां ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं , किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं , उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है , किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
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अदृश्य सत्ता से मिलने के लिए साधक बेचैन क्यों हैं?
Solution
दिए गये गद्यांश के वाक्यांश “ उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान .............” से स्पष्ट है कि अदृश्य सत्ता से मिलने के लिए साधक बेचैन हैं क्योंकि वे उस अज्ञात सत्ता के प्रेम में पागल हो गए हैं।
अतः सही चयन विकल्प 1 " वे उस अज्ञात सत्ता के प्रेम में पागल हो गए हैं" होगा।
Question 14 5 / -1
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निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः
परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है , वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य
सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहां ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं , किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं , उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है , किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
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ब्रह्म का वर्णन करने में कठिनाई क्या है?
Solution
दिए गये गद्यांश के वाक्यांश “ उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है । सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं ............” से स्पष्ट है कि ब्रह्म का वर्णन करने में कठिनाई के कारण ये सभी है। अतः सही चयन विकल्प 4 "उपरोक्त सभी" होगा।
ब्रह्मा के बारे में विशेष:
वह बुद्धि और तर्क से परे हैं। उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
Question 15 5 / -1
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निम्न गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के सही विकल्प चुनकर लिखिएः
परंपरागत अर्थों में रहस्यवाद आत्मा और परमात्मा के संबंध में रचित काव्य है , पर आज की रहस्यवादी रचनाओं को समग्रतः ऐसा नहीं कहा जा सकता। इस सृष्टि में आकर मनुष्य अपने चारों ओर जो कुछ देखता है , वह एक विचित्र रहस्य से आवृत है। बड़े - बड़े मनीषी भी युगों तक खोज करके इस समस्त विश्व - प्रपंच के रहस्य का उद्घाटन नहीं कर पाए हैं , किन्तु दीर्घकाल तक विचार और साधना करने के पश्चात् उन्हें ऐसा अनुभव हुआ कि इस समस्त संसार का संचालन किसी अदृश्य
सत्ता द्वारा हो रहा है। उस अदृश्य सत्ता को ब्रह्म या परमात्मा भी कहा जा सकता है। उस अदृश्य सत्ता को खोजने और उससे मिलने के लिए वे साधक बेचैन हो उठे। जब एक बार उस सत्ता का ज्ञान हो गया , फिर उससे मिले बिना चैन कहां ? ऐसी दशा में विरह की व्याकुलता का वर्णन अनेक साधकों ने बड़े मर्मस्पर्शी शब्दों में किया हैं , किन्तु इसमें कठिनाई यह है कि जिस ब्रह्म या अज्ञात सत्ता के प्रेम में वे पागल हो उठे हैं , उसके गुणों का या रूप का कुछ वर्णन कर पाना संभव नहीं है। सभी साधकों ने एक स्वर से यही बात कही है कि वह बुद्धि और विवेक या तर्क से परे हैं उसे इंद्रियों द्वारा जाना नहीं जा सकता। हृदय द्वारा उसका अनुभव किया जा सकता है , परंतु वह अनुभव गूंगे के गुड़ के समान है। उस अनुभव का आनंद तो लिया जा सकता है , किन्तु उसका वाणी से वर्णन नहीं किया जा सकता।
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‘विवेक’ शब्द का अर्थ छांटिए।
Solution
‘ विवेक ’ शब्द का अर्थ सही - गलत का निर्णय कर सकने की क्षमता है। अतः सही विकल्प 4 " सही - गलत का निर्णय कर सकने की क्षमता" होगा।
विशेष:
'विवेक ' अन्य अर्थ- धी , मति , अक्ल , मेधा , बुद्धि , प्रज्ञा , दिमाग।
Question 16 5 / -1
निम्नलिखित वाक्यों में मिश्र वाक्य कौन-सा है ?
Solution
‘जैसा उसका स्वभाव है वैसा उसका आचरणl' एक मिश्र वाक्य है। अतिरिक्त विकल्प असंगत हैं। अतः सटीक विकल्प ‘ मिश्र वाक्य ’ है।
स्पष्टीकरण :
मिश्र वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
शीला ने एक पुस्तक मांगी और वह उसे मिल गईl
अन्य विकल्प :
वाक्य
वाक्य - भेद
उसमें गुण थे, इसलिए उसका सब जगह आदर सत्कार होता हैl
संयुक्त वाक्य
आप अन्दर आइये और बैठ जाइयेl
संयुक्त वाक्य
Question 17 5 / -1
निम्नलिखित वाक्य, दिए गए विकल्पों में से किस प्रकार का है ?
आप झूठ बोलते है, इसलिए आप झूठें है।
Solution
‘आप झूठ बोलते है, इसलिए आप झूठें है।’ अतिरिक्त विकल्प असंगत हैं। अतः सटीक विकल्प ‘ संयुक्त वाक्य ’ है।
स्पष्टीकरण :
संयुक्त वाक्य
जिस वाक्य में दो या दो से अधिक उपवाक्य मिले हों, परन्तु सभी वाक्य प्रधान हो तो ऐसे वाक्य को संयुक्त वाक्य कहते है।
राधा धूप में बैठकर सब्जी काटने लगीl
विकल्पों का स्पष्टीकरण :-
वाक्य
परिभाषा
उदाहरण
मिश्र वाक्य
जिस वाक्य में एक से अधिक वाक्य मिले हों, किन्तु एक प्रधान उपवाक्य तथा शेष आश्रित उपवाक्य हों, मिश्रित वाक्य कहलाता है।
शीला ने एक पुस्तक मांगी और वह उसे मिल गईl
सरल वाक्य
ऐसे वाक्य जिनमें एक ही क्रिया एवं एक ही कर्ता होता है या जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य एवं एक ही विधेय होता है, वे वाक्य सरल वाक्य कहलाते हैं। इसमें कर्ता एक से अधिक हो सकते हैं लेकिन मुख्य क्रिया एक ही होगी।
चाय तैयार कर दोl
Question 18 5 / -1
'सुबोध' का विलोम है-
Solution
उपरोक्त विकल्पों में 'सुबोध' शब्द का विलोम दुर्बोध है, अन्य विकल्प असंगत है l अतः विकल्प 1-दुर्बोध सही उत्तर है l
Key Points
सुबोध का अर्थ है -सरल दुर्बोध का अर्थ है -गहन Additional Information
शब्द विलोम 1. सुमति
कुमति
2. स्पृश्य
अस्पृश्य
3. सुरीति
कुरीति
Important Points
शब्द परिभाषा उदाहरण विलोम
जो शब्द एक – दूसरे शब्दों का उल्टा अर्थ प्रकट करते है विलोम शब्द कहलाते है l
कला-गोरा
अनुकूल – प्रतिकूल आदि l
Question 19 5 / -1
‘घर फूँक तमाशा देखना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?
Solution
‘घर फूँक तमाशा देखना’ का अर्थ ‘झूठी शान के लिए घर लुटाना’ है। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। अतः सही विकल्प ‘ झूठी शान के लिए घर लुटाना ’ है।
विशेष
मुहावरा
अर्थ
वाक्य प्रयोग
घर फूँक तमाशा देखना
अपना घर स्वयं उजाड़ना या अपना नुकसान खुद करना
जुए में सब कुछ बर्बाद करके राजीव अब घर फूँक के तमाशा देख रहा है।
Question 20 5 / -1
‘आधा तीतर-आधा बटेर’ लोकोक्ति का अर्थ क्या है?
Solution
‘आधा तीतर-आधा बटेर’ लोकोक्ति का अर्थ बेतुका मेल होता है, अत: सही विकल्प 1 हैं, अन्य विकल्प असंगत हैं।
‘आधा तीतर-आधा बटेर’ अर्थात कोई पूर्ण विशेष मेल नहीं, इसलिए इसका अर्थ बेतुका मेल होगा।
वाक्य प्रयोग - आज श्याम उपर कुर्ता और निचे जींस पहने दिखा , बिलकुल आधा तीतर आधा बटेर लग रहा था।
Question 21 5 / -1
निर्देश: निचे दिए गए मुहावरों का सही अर्थ छांटिए.
नौ दो ग्यारह होना -
Solution
'नौ दो ग्यारह होना' का अर्थ 'भाग जाना' है। शेष विकल्प असंगत हैं। अतः सही विकल्प 'भाग जाना' है।
वशेष -
मुहावरा
अर्थ
वाक्य प्रयोग
नौ दो ग्यारह होना
भाग जाना
अध्यापक को देखते ही कक्षा ना लगाने की मंशा से बाहर खड़े बच्चे नौ दो ग्यारह हो गए।
Question 22 5 / -1
निर्देश : निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश ( B), (C), (D) तथा ( E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।
A) सकारात्मक सोच एक ऊर्जा प्रदान करती है ,
B) जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है
C) होंसला देती है सफल होने का और उत्साहित करती है
D) तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है।
E) नित नए आयाम स्थापित करने के लिए ।
F) वही नकारत्मक सोच इसके बिलकुल विपरीत प्रभाव डालती है ।
Solution
उपर्युक्त विकल्पों का सही क्रम इस प्रकार है - " सकारात्मक सोच एक ऊर्जा प्रदान करती है , होंसला देती है सफल होने का और उत्साहित करती है नित नए आयाम स्थापित करने के लिए । जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है। " , इस प्रकार सही विकल्प 'CEBD' है।
Question 23 5 / -1
'अन्वेषण’ का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?
Solution
उपरोक्त विकल्पों में ' अन्वेषण ' का पर्यायवाची शब्द अनुसन्धान है। अत: विकल्प अनुसन्धान इसका सही उत्तर है। इसके अन्य पर्यायवाची अन्वेषण, आविष्कार, अन्वीक्षण, खोज, जाँच-पड़ताल|अन्य विकल्प असंगत हैं।
Key Points
शब्द
पर्यायवाची
आत्मश्लाघा
अस्मिता, अहं, अहंकार
अटवी
जंगल, कानन, विपिन
यातुधान
सुरारि, रजनीचर, तमीचर
Additional Information
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
पर्यायवाची
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।
आग - अनल, पावक, दहन।
हवा - समीर, अनिल, वायु।
Question 24 5 / -1
इनमें से 'भवन ' किसका पर्यायवाची है?
Solution
उपरोक्त विकल्पों में ' भवन ' का पर्यायवाची शब्द घर है। अत: घर इसका सही उत्तर है। इसके अन्य पर्यायवाची- आवास , निवास , बसेरा , डेरा , बासा l अन्य विकल्प असंगत हैं। अतः स्पष्ट है कि घर सटीक विकल्प हैं।
Key Points
अन्य विकल्प :
शब्द
पर्यायवाची
मंदिर
देवगृह, देवस्थान, देवालय
महल
प्रासाद, राजमहल, राजनिवास, राजभवन।
Additional Information
विशेष :
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
पर्यायवाची
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।
आग - अनल, पावक, दहन।
हवा - समीर, अनिल, वायु।
Question 25 5 / -1
'रोहिणेय' का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?
Solution
उपरोक्त विकल्पों में ' रोहिणेय ' शब्द का पर्यायवाची शब्द हलायुध है। अतः स्पष्ट है कि हलायुध ही सटीक विकल्प है। इसके अन्य पर्यायवाची -बलदेव , बलराम , बलभद्र , हलायुध , रोहिणेय l अन्य विकल्प असंगत है।रोहिणेय का अर्थ - हलायुध, बलराम का समान अर्थी शब्द। Key Points
अन्य विकल्प :-
शब्द
पर्यायवाची
रघुराज
रघुपति, रघुवर, रघुनाथ, रघुराज, रघुवीर l
रत्नाकर
उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, सिंधु l
रसज्ञा
जिह्वा, वाणी, वाचा, जबान l
Additional Information
विशेष :
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
पर्यायवाची
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।
आग - अनल, पावक, दहन।
हवा - समीर, अनिल, वायु।
Question 26 5 / -1
‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या होगा?
Solution
‘ काम न जानना और बहाने बनाना ’ नाच न जाने आँगन टेढ़ा का सही अर्थ है। अन्य विकल्प असंगत है। अतः सही विकल्प ‘ काम न जानना और बहाने बनाना ’ है।
कुछ अन्य लोकोक्तियाँ
लोकोक्ति
अर्थ
ऊधो का लेना न माधो का देना
केवल अपने काम से काम रखना ।
ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डर
कष्ट सहने के लिए तैयार व्यक्ति को कष्ट का डर नहीं रहता।
अपना ढेंढर न देखे और दूसरे की फूली निहारे
अपना दोष न देखकर दूसरों का दोष देखना।
Question 27 5 / -1
‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?
Solution
‘अंधे के हाथ बटेर लगना’ का अर्थ ‘बिना परिश्रम के अच्छी वस्तु हाथ लगना’ है। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। अतः सही विकल्प ‘ बिना परिश्रम के अच्छी वस्तु हाथ लगना ’ है।
विशेष
मुहावरा
अर्थ
वाक्य प्रयोग
अंधे के हाथ बटेर लगना
बिना परिश्रम के अच्छी वस्तु हाथ लगना
विजय मात्र आठवीं पास है फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई। इसी को कहते हैं - अंधे के हाथ बटेर लगना।
Question 28 5 / -1
'उन्नति' का संधि विच्छेंद निम्न में से कौन सा है?
Solution
निम्न में से सही विकल्प उत् + नति हैI अन्य विकल्प उपयुक्त नहीं हैI
Key Points
उन्नति शब्द में व्यंजन संधि है। उन्नति = उत्+नति Additional Information
व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न संधि को व्यंजन संधि कहते हैं ।
Question 29 5 / -1
'यथार्थ' शब्द में निम्न में से कौन-सा समास है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 3 ‘ अव्ययीभाव समास’ होगा। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
'यथार्थ' अव्ययीभाव समास का उदाहरण है। 'यथार्थ' का समास विग्रह होगा - जैसा वास्तव में अर्थ है । अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
पदों की प्रधानता के आधार पर समास का वर्गीकरण निम्न प्रकार है -
पूर्वपद प्रधान- अव्ययीभाव समास उत्तरपद प्रधान- तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास दोनों पद प्रधान- द्वंद्व समास दोनों पद अप्रधान- बहुव्रीहि समास
संधि और समास - अर्थ की द्रष्टि से दोनों शब्द सामान हैं यद्यपि दोनों में कुछ अंतर है जैसे-
संधि वर्णों का मेल है और समास शब्दों का मेल है। संधि में वर्णों के मेल से वर्ण परिवर्तन अथवा विकार उत्पन्न होता है जबकि समास में ऐसा नहीं होता। संधि के द्वारा बने शब्दों को पुनः मूल अवस्था में लाने को संधि-विच्छेद कहते हैं जबकि समास के पदों को अलग करने की प्रक्रिया समास-विग्रह कहलाती है। Additional Information
समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छःप्रकार हैं -
समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।
जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
कर्मधारय समास
जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,
पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।
कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।
द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।
दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।
अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
द्वंद्व समास
द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न
Question 30 5 / -1
'वागीश' में संधि है-
Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 1 'व्यंजन संधि’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
'वागीश' शब्द व्यंजन संधि का उदाहरण है। वाक् + ईश (क् + ई = गी) = वागीश।
जब किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन किसी वर्ग के तीसरे या चौथे वर्ण से या (य्, र्, ल्, व्, ह) से या किसी स्वर से हो जाये तो क् को ग् , च् को ज् , ट् को ड् , त् को द् , और प् को ब् में बदल दिया जाता है।अगर व्यंजन से स्वर मिलता है तो जो स्वर की मात्रा होगी वो हलन्त वर्ण में लग जाएगी।लेकिन अगर व्यंजन का मिलन होता है तो वे हलन्त ही रहेंगे।
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।
संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,
संधि
परिभाषा
उदाहरण
स्वर
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
महा + ईश = महेश
व्यंजन
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
अहम् + कार = अहंकार
उत् + लास = उल्लास
विसर्ग
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से विकार उत्पन्न होता है।
दुः + आत्मा = दुरात्मा
निः + कपट = निष्कपट
Question 31 5 / -1
'घूमने - फिरने वाला साधु' - वाक्यांश के लिए सार्थक शब्द क्या होगा?
Solution
इसका सही विकल्प 4 ‘ परिव्राजक’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
‘घूमने - फिरने वाला साधु’ के लिए एक शब्द ‘परिव्राजक’ होगा।
अन्य विकल्प :
एक शब्द
वाक्यांश
योगी
योग करने वाला व्यक्ति
तपस्वी
तपस्या करने वाला व्यक्ति
श्रमण
श्रम करने वाला व्यक्ति
Additional Information
वाक्यांश - भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।
Question 32 5 / -1
निम्नलिखित विकल्पों में 'स्थूल' शब्द का विलोम क्या है?
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से विकल्प 3 'सूक्ष्म' सही विकल्प है। अन्य सभी विकल्प गलत हैं।
Key Points
स्थूल का अर्थ - मोटा सूक्ष्म का अर्थ है - पतला, महीन अन्य विकल्प -
छूत - अछुतकृष्ण - शुक्ल थल - जल Additional Information
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
विलोम/विपरीतार्थक
विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।
रात-दिन
धरती-आकाश
Question 33 5 / -1
‘जो दूसरे से ईर्ष्या करता है’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है -
Solution
दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर विकल्प 4 ‘ईर्ष्यालु’ है। अन्य विकल्प इसके गलत उत्तर हैं।
Key Points
‘जो दूसरे से ईर्ष्या करता है’ वाक्यांश के लिए सही शब्द है ‘ईर्ष्यालु’। ईर्ष्यालु विशेषण शब्द है। अन्य शब्द निस्पृह, फलेच्छु और निरुपम इसके अनुचित उत्तर हैं। अन्य विकल्प: निस्पृह- इच्छारहित, वासनारहित। फलेच्छु- फल की इच्छा रखने वाला निरुपम- अतुलनीय, बेजोड़।Additional Information
हिन्दी में एक वाक्य, वाक्यांश अथवा अनेक शब्दों के लिए जो एक शब्द का प्रयोग होता है वह प्रायः संस्कृत से लिया जाता है।
परिभाषा - अधिक से अधिक विचारों को अभिव्यक्त करने वाले शब्दों को समानार्थक शब्द या भाववाचक शब्द कहते हैं।
Question 34 5 / -1
'बहुत-थोड़ा" में समास है-
Solution
इसका सही उत्तर विकल्प 1 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
'बहुत-थोड़ा" में द्वन्द्व समास है।इसका सामासिक विग्रह- 'बहुत या थोड़ा ' होगा। द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और , अथवा , या , एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ , वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। अन्य विकल्प:
समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
कर्मधारय समास
जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,
पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।
कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।
अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
Additional Information
समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छः प्रकार हैं -
समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।
जो महान वीर है = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
कर्मधारय समास
जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,
पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।
कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।
द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।
दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।
अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
द्वंद्व समास
द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न
Question 35 5 / -1
'अनभिज्ञ' का संधि-विच्छेद है
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर 'अन + अभिज्ञ’ है।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से उचित संधि विच्छेद 'अन + अभिज्ञ = अनभिज्ञ' है। यह दीर्घ संधि का उदाहरण है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं। संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर 2. व्यंजन और 3. विसर्ग।
स्वर संधि
दो स्वरों के मेल से उत्पन्न होने वाले विकार को स्वर संधि कहते हैं। इसके इसके पाँच भेद हैं- दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण, अयादि।
स्वार्थ = स्व + अर्थ
व्यंजन संधि
व्यंजन के बाद यदि किसी स्वर या व्यंजन के आने से उस व्यंजन में जो विकार / परिवर्तन उत्पन्न होता है वह व्यंजन संधि कहलाता है।
दिग्गज = दिक् + गज
विसर्ग संधि
विसर्ग के साथ स्वर अथवा व्यंजन के मिलने से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
शिरोमणि = शिर: + मणि
Question 36 5 / -1
‘पुस्तकों की समीक्षा करने वाला’ के लिए एक शब्द बताइये।
Solution
इसका सही विकल्प 3 ‘समीक्षक’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
‘पुस्तकों की समीक्षा करने वाला’ के लिए एक शब्द ‘समीक्षक’ होगा। ‘समीक्षक’ का विलोम ‘लेखक’ होता है। अन्य विकल्प:
एक शब्द
वाक्यांश
अल्पज्ञ
जो बहुत थोड़ा जानता हो
अप्रत्याशित
जिसकी आशा न की गई हो
अविवेकी
जिसे भले-बुरे का ज्ञान न हो
Additional Information
वाक्यांश - भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है।
Question 37 5 / -1
निर्देश : निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।
A) मनुष्य के जन्म से भी पहले से उसकी गुरु है प्रकृति। वह अनगिनत आंखों ,
B) हाथों और मन से मनुष्य को कुछ न कुछ
C) मां और बाप भी है। वह रक्षक भी है और न्यायाधीश भी है।
D) सिखाती चली आ रही है। वह गुरु होने के साथ-साथ
E) वह गति और विकास का व्याकरण सिखाती है।
F)
उसे छेड़ा तो वह विनाश का सबक भी सिखाती है।
Solution
विकल्प 2 "BDCE" सही उत्तर है |
Key Points
वाक्यों का व्यवस्थित क्रम इस प्रकार है - " मनुष्य के जन्म से भी पहले से उसकी गुरु है प्रकृति। वह अनगिनत आंखों, हाथों और मन से मनुष्य को कुछ न कुछ सिखाती चली आ रही है। वह गुरु होने के साथ-साथ मां और बाप भी है। वह रक्षक भी है और न्यायाधीश भी है। वह गति और विकास का व्याकरण सिखाती है। उसे छेड़ा तो वह विनाश का सबक भी सिखाती है” । इस प्रकार सही विकल्प 'BDCE' है।
Important Points
वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-
वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए उचित पदक्रम होना चाहिए वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए
Question 38 5 / -1
निर्देश : निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश ( B), (C), (D) तथा ( E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।
A) प्रातः काल में शरीर को पूर्ण मानसिक
B) कुछ प्राणायामों के साथ अंतर्ध्यान करवाना अपेक्षित होगा
C) जिससे स्वदुर्गुण यदि हैं तो उन्हें दूर करने के लिए
D) दृढ़संकल्प शक्ति तैयार की जा सकती है।
E) और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए
F)
इसप्रकार जीवन स्वयमेव धार्मिक बन जायेगा I
Solution
उपर्युक्त विकल्पों को यदि सही क्रम में लगाया जाये तो सही क्रम होगा "प्रातः काल में शरीर को पूर्ण मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए कुछ प्राणायामों के साथ अन्तर्ध्यान करवाना अपेक्षित होगा जिससे स्वदुर्गुण यदि हैं तो उन्हें दूर करने के लिए दृढ़संकल्प शक्ति तैयार की जा सकती है। इसप्रकार जीवन स्वयमेव धार्मिक बन जायेगा।", इस प्रकार सही विकल्प 'EBCD' होगा।
Question 39 5 / -1
'निर्भय' का विलोम चुनिये:-
Solution
उपर्युक्त विकल्पों में से कोई भी विकल्प 'निर्भय' का उचित विलोम शब्द नहीं है। अत: सही उत्तर विकल्प 4 'इनमें से कोई नहीं' है।
Key Points
निर्भय का सही विलोम शब्द है - भय, सभय निर्भय का अर्थ – बिना किसी डर केभय का अर्थ – डर अन्य विकल्प -
अभय - भय निडर - कायर, डरपोक निर्भीक - डरपोक Additional Information
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
विलोम / विपरीतार्थक
विपरीत (उल्टा) अर्थ बताने वाले शब्दों को विलोम शब्द कहते हैं।
रात-दिन
धरती-आकाश
Question 40 5 / -1
'नवयुवक' शब्द में निम्न में से कौन सा समास है?
Solution
इसका सही उत्तर विकल्प 3 है। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
'नवयुवक ' में कर्मधारय समास है।इसका सामासिक विग्रह- 'नव है जो युवक ' होगा। जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो, वह कर्मधारय समास होता है। अन्य विकल्प: समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।
महान है जो वीर = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
अव्ययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।
दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।
Additional Information
समास - समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जिसमें दो शब्द मिलाकर उनके बीच के संबंधसूचक आदि का लोप करके नया शब्द बनाया जाता है। समास से तात्पर्य 'संक्षिप्तीकरण' से है। समास के माध्यम से कम शब्दों में अधिक अर्थ प्रकट किया जाता है। जैसे - राजा का पुत्र – राजपुत्र, समास के छः प्रकार हैं -
समास का नाम
परिभाषा
उदाहरण
तत्पुरुष समास
जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।
धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।
बहुव्रीहि समास
जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं और दोनों पद मिलकर किसी अन्य विशेष अर्थ की ओर संकेत कर रहे होते हैं।
महान है जो वीर = महावीर अर्थात हनुमान, तीन आँखों वाला = त्रिलोचन अर्थात शिव।
कर्मधारय समास
जिस समास के दोनों शब्दों के बीच विशेषण-विशेष्य अथवा उपमान-उपमेय का सम्बन्ध हो,
पहचान : विग्रह करने पर दोनों पद के मध्य में 'है जो', 'के समान' आदि आते हैं।
कमल के समान नयन = कमलनयन, महान है जो देव = महादेव।
द्विगु समास
जिस समास में पूर्वपद (पहला पद) संख्यावाचक विशेषण हो।
दो पहरों का समूह = दोपहर, तीनों लोकों का समाहार = त्रिलोक।
अव्यययीभाव समास
जिस समास में पहला पद प्रधान हो और समस्त शब्द अव्यय का काम करे।
प्रति + दिन = प्रतिदिन, एक + एक = एकाएक
द्वंद्व समास
द्वन्द्व समास में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है।
माता- पिता = माता और पिता, हाँ- न = हाँ या न
Question 41 5 / -1
निर्देश : निम्नलिखित वाक्यों में उनके प्रथम तथा अंतिम अंश जिन्हें मोटे अक्षरों में लिखा गया है वह A और F के अंतर्गत दिए गये हैं। बीच वाले चार अंश (B), (C), (D) तथा (E) बिना क्रम के हैं। चारों अंशों को पहले और आखिरी वाक्य के सहयोग से उचित क्रमानुसार व्यवस्थित कर उचित विकल्प चुनें।
A) सभी बड़ी हस्तियां समय प्रबंधन को साधकर ही
B) कार्य कितना महत्वपूर्ण है और उसे किस समय पर पूरा करना है,
C) यह निर्धारित करना बहुत आवश्यक है।
D) अधिकांश लोग ये दोनों बातें निर्धारित ही नहीं कर पाते।
E) सफलता की ऊंचाई तक पहुंची हैं।
F)
यहीं से उलझन शुरू हो जाती है।
Solution
विकल्प 3 "EBCD" सही उत्तर है |
Key Points
विकल्पों का सही क्रम इस प्रकार है " सभी बड़ी हस्तियां समय प्रबंधन को साधकर ही सफलता की ऊंचाई तक पहुंची हैं। कार्य कितना महत्वपूर्ण है और उसे किस समय पर पूरा करना है, यह निर्धारित करना बहुत आवश्यक है। अधिकांश लोग ये दोनों बातें निर्धारित ही नहीं कर पाते। यहीं से उलझन शुरू हो जाती है" । अतः सही विकल्प 'EBCD' है।
Important Points
वाक्य व्यवस्था की सावधानियाँ-
वाक्य रचना व्याकरण के नियमों के आधार पर होनी चाहिए उचित पदक्रम होना चाहिए वाक्यों का सार्थक अनुच्छेद बनना चाहिए वाक्य व्यवस्था के लिए भाषा बोध अनिवार्य है उचित वाक्य संरचना होनी चाहिए
Question 42 5 / -1
वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे क्या कहते हैं?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 1 ‘उद्देश्य’ है। अन्य विकल्प इसके त्रुटिपूर्ण उत्तर होंगे।
स्पष्टीकरण:
वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे ‘उद्देश्य’ कहते हैं। इसलिए इसका उचित उत्तर ‘उद्देश्य’ है।
उद्देश्य
वाक्य का वह भाग जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे ‘उद्देश्य’ कहते हैं। जैसे- लड़का बीमार है। इस वाक्य में ‘लड़का’ उद्देश्य हैं, क्योंकि वाक्य में इसी के बारे में सूचना दी जा रही है।
विधेय
वाक्य का वह भाग जिसके माध्यम से उद्देश्य के बारे में कुछ कहा जाता है, विधेय कहलाता हैं। जैसे- लड़का बीमार है।
इस वाक्य में ‘बीमार है’ विधेय है क्योंकि वाक्य में इसी के माध्यम से उद्देश्य के बारे में सूचना दी जा रही है।
Question 43 5 / -1
‘जो व्यर्थ का व्यय करता हो’ के लिए एक शब्द बताइये।
Solution
इसका सही विकल्प 3 ‘ अपव्ययी ’ होगा। अन्य विकल्प सही उत्तर नहीं हैं।
Key Points
‘जो व्यर्थ का व्यय करता हो’ के लिए एक शब्द ‘अपव्ययी ’ होगा। अपव्ययी का विलोम - मितव्ययी होता हैं।अन्य विकल्प:
एक शब्द
वाक्यांश
अद्वितीय
जिसके समान कोई दूसरा न हो
अकिंचन
जिसके पास कुछ भी न हो
अधिसूचना
सरकारी गजट में छपी सूचना
Additional Information
वाक्यांश- भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग किया जाता है तो वह वाक्यांश के लिए एक शब्द कहलाता है
Question 44 5 / -1
'करवाल' का पर्यायवाची शब्द क्या होगा ?
Solution
उपरोक्त विकल्पों में ' करवाल ' ' शब्द का पर्यायवाची शब्द कृपाण है। अतः स्पष्ट है कि कृपाण ही सटीक विकल्प है। इसके अन्य पर्यायवाची -तलवार असि , कृपाण , करवाल , चन्द्रहास l अन्य विकल्प असंगत है।
अन्य विकल्प :-
शब्द
पर्यायवाची
कुहुकिनी
कोकिला, पिक, काकपाली, बसंतदूत, सारिका, वनप्रिया l
भूमिपुत्र
किसान कृषक, भूमिपुत्र, हलधर, खेतिहर, अन्नदाता.
बाँका
छैलl,सजीला, शौकीन.
विशेष :
शब्द
परिभाषा
उदाहरण
पर्यायवाची
एक ही अर्थ में प्रयुक्त होने वाले शब्द जो बनावट में भले ही अलग हों, पर्यायवाची या समानार्थी शब्द कहलाते हैं।
आग - अनल, पावक, दहन।
हवा - समीर, अनिल, वायु।
Question 45 5 / -1
'गंगातट पर कुछ लोग भजन कर रहे थे |' रेखांकित शब्द में कौन-सा समास है?
Solution
दिए गए विकल्पों में सही उत्तर विकल्प 2 'तत्पुरुष' है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं।
Key Points
दिए गए विकल्पों में से 'गंगातट' में तत्पुरुष समास है। इसका समास विग्रह है - गंगा का तट। यह सम्बन्ध तत्पुरुष का उदाहरण है। इस समास में प्रथम पद गौण और उत्तर पद की प्रधानता होती है। तत्पुरुष समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है। अन्य विकल्प इसके अनुचित उत्तर हैं। अन्य विकल्प:
समास
परिभाषा
उदाहरण
द्वंद्व समास आईए में समस्तपद के दोनों पद प्रधान हों या दोनों पद सामान हों एवं दोंनों पदों को मिलाते समय "और, अथवा, या, एवं" आदि योजक लुप्त हो जाएँ, वह समास द्वंद्व समास कहलाता है। माता-पिता = माता और पिता कर्मधारय समास जिसका पहला पद विशेषण और दूसरा पद विशेष्य अथवा एक पद उपमान तथा दूसरा पद उपमेय हो तो, वह 'कर्मधारय समास' कहलाता है।
चरणकमल - कमल के समान चरण अव्ययीभाव समास
जिसका पहला पद अव्यय होता है और उसका अर्थ प्रधान होता है। (उसमें कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता)
जन्म से लेकर = आजन्म
Additional Information
समास 'संक्षिप्तिकरण' को समास कहते हैं। दूसरे शब्दों में समास संक्षेप करने की एक प्रक्रिया है। दो या दो से अधिक शब्दों का परस्पर सम्बन्ध बताने वाले शब्दों अथवा कारक चिह्नों का लोप होने पर उन दो अथवा दो से अधिक शब्दों के मेल से बने एक स्वतन्त्र शब्द को समास कहते हैं।
Question 46 5 / -1
‘फिसल पड़े तो हर गंगा’ लोकोक्ति का सही अर्थ क्या है
Solution
दिए गए सभी विकल्पों ‘फिसल पड़े तो हर गंगा’ का अर्थ ‘मजबूरी में काम करना है। अत: इसका सही उत्तर विकल्प 4 ‘मजबूरी में काम करना’ है। अन्य विकल्प अनुचित उत्तर हैं।
स्पष्टीकरण:
‘फिसल पड़े तो हर गंगा’ लोकोक्ति का सही अर्थ ‘मजबूरी में काम करना’ है।
वाक्य प्रयोग- आजकल घर बैठकर भी ऑफिस का बहुत काम करना पड़ता है। इतनी सारी फाइल आ जाती हैं कि करना ही पड़ता है, नौकरी का सवाल जो है, इसलिए कहना पड़ता है ‘फिसल पड़े तो हर गंगा’ ।
दिए गए अन्य विकल्प के लिए कोई लोकोक्ति नहीं है। वे साधारण वाक्य हैं।
विशेष:
लोकोक्ति
किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को 'लोकोक्ति' कहते हैं। दूसरे शब्दों में जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। इसी को कहावत भी कहते हैं।
अपना रख, पराया चख अर्थात अपनी वस्तु की रक्षा और दूसरे कि वस्तु का उपभोग।
Question 47 5 / -1
'संधि' का विलोम है-
Solution
उपरोक्त विकल्पों में संधि शब्द का विलोम विग्रह है, अन्य विकल्प असंगत है l अतः विकल्प 4-विग्रह सही उत्तर है l
Key Points
संधि का अर्थ है - जोड़ना विग्रह का अर्थ है -अलग करना Additional Information
अन्य विकल्प : शब्द विलोम 1. सत्कार
तिरस्कार
2. सबल
दुर्बल
3. आकार
निराकार
Important Points
शब्द परिभाषा उदाहरण विलोम
जो शब्द एक – दूसरे शब्दों का उल्टा अर्थ प्रकट करते है विलोम शब्द कहलाते है l
कला-गोरा
अनुकूल – प्रतिकूल आदि l
Question 48 5 / -1
निम्नलिखित प्रश्न में, चार विकल्पों में से, उस सही विकल्प का चयन करें, जो दी गई लोकोक्ति के लिए सही अर्थ वाला विकल्प है।
एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी
Solution
सही उत्तर अपराध करके उसे गलत न मानना है।
Key Points
‘ एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी’ इस लोकोक्ति का सही अर्थ ‘अपराध करके उसे गलत न मानना’ है।वाक्य प्रयोग: रमेश ने एक तो विनोद की गाय चुरा ली ऊपर से हेकड़ी दिखा रहा है, यह तो वही बात हुई भैया की एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी।Additional Information
लोकोक्ति: ‘ लोकोक्ति’ का अर्थ है ‘कोई प्रचलित उक्ति या कथन जो कहने वाले की बड़ी बात को संक्षिप्त कर दे।’
Question 49 5 / -1
‘पानी पानी होना’ मुहावरे का क्या अर्थ है?
Solution
‘पानी पानी होना’ का अर्थ ‘ लज्जित होना ’ है। शेष विकल्प त्रुटिपूर्ण हैं। अतः सही विकल्प ‘ लज्जित होना ’ है।
विशेष
मुहावरा
अर्थ
वाक्य प्रयोग
पानी पानी होना
लज्जित होना
सच्चाई खुल जाने के बाद अधिकारी के सामने पहुंचते ही किशन पानी पानी हो गया।
Question 50 5 / -1
'प्रातःकाल' का संधि विच्छेद निम्न में से कौन सा है?
Solution
'प्रातःकाल' का शुद्ध संधि-विच्छेद 'प्रातः + काल' होता है। अन्य सभी विकल्प असंगत है। अतः विकल्प 1 ‘प्रातः + काल’ सही उत्तर है।
Key Points
प्रातःकाल विसर्ग संधि का उदाहरण है। 'प्रातःकाल - प्रातः + काल' (: + क् = : ) , यहाँ ': ' और 'क् ' के मेल से ': ' बना है। यण संधि करते समय इ, ई के साथ कोई अन्य स्वर हो तो 'य' बन जाता है, जब उ, ऊ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो 'व्' बन जाता है, जब ऋ के साथ कोई अन्य स्वर हो तो 'र' बन जाता है।
संधि-विच्छेद - संधि के नियमो द्वारा बने वर्णों को पुनः मूल अवस्था में लाने को संधि-विच्छेद कहते हैं।
Additional Information
संधि - दो शब्दों के मेल से जो विकार (परिवर्तन) होता है उसे संधि कहते हैं।
संधि के तीन प्रकार हैं - 1. स्वर, 2. व्यंजन और 3. विसर्ग,
संधि
परिभाषा
उदाहरण
स्वर
स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के
मेल से विकार उत्पन्न होता है।
विद्या + अर्थी = विद्यार्थी
महा + ईश = महेश
व्यंजन
एक व्यंजन से दूसरे व्यंजन या स्वर के
मेल से विकार उत्पन्न होता है।
अहम् + कार = अहंकार
उत् + लास = उल्लास
विसर्ग
विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के
मेल से विकार उत्पन्न होता है।
दुः + आत्मा =दुरात्मा
निः + कपट =निष्कपट