Self Studies

Hindi Test - 14

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Hindi Test - 14
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    गद्यांश के अनुसार कुपोषण का मुख्य कारण क्या है?
    Solution
    गद्यांश के अनुसार कुपोषण का मुख्य कारण सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है।Key Points
    • गद्यांश के अनुसार:-
    • सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है।
    • यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। 
    • हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं।
  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    कुपोषण की समस्या किन देशों में अधिक है?
    Solution
    कुपोषण की समस्या विश्व के विकासशील देशों में  अधिक है। Key Points
    • गद्यांश के अनुसार:-
    • यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है।
    • विकसित राष्ट्रों की अपेक्षा विकासशील देशों में कुपोषण की समस्या विकराल है।
    • इसका प्रमुख कारण है गरीबी।
    • धन के अभाव में गरीब लोग पर्याप्त, पौष्टिक चीजें जैसे दूध, फल, घी इत्यादि नहीं खरीद पाते। 
  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    फसलों में आयोडीन की कमी का प्रमुख कारण है-
    Solution
    फसलों में आयोडीन की कमी का प्रमुख कारण है-खेतों की ऊपरी मिट्टी का बह जाना। Key Points
    • गद्यांश के अनुसार:-
    • बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है
    • जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है।
    • परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। 
  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    कौन सा  कथन सही नहीं है?
    Solution
    पोषक तत्वों की कमी केवल मनुष्यों में ही पाई जाती है कथन सही नहीं है। Key Points
    • गद्यांश के अनुसार:-
    • पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है।
    • लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं।
    • इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।
  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश- दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सही विकल्प का चयन कीजिए।

    सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी दुनियाभर में कुपोषण का एक महत्वपूर्ण घटक है। यह स्थिति भारत जैसे विकासशील देशों में अधिक है। हमारे शरीर में आमतौर पर जिन सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी होती है, उनमें आयोडीन, आयरन, फोलिक एसिड, विटामिन ए तथा जिंक प्रमुख हैं। बर्फबारी, बाढ़, नदियों का मार्ग बदलना, वनों की कटाई जैसी स्थितियाँ लगातार मिट्टी की ऊपरी परत पर मौजूद आयोडीन को बहा देती है जिससे ऐसी मिट्टी में उगायी जाने वाली फसलों में आयोडीन की मात्रा कम हो जाती है। परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है। पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है। लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं। इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।

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    गद्यांश के आधार पर आयोडीन की कमी के कारण कौन-सा रोग होता है?
    Solution
    गद्यांश के आधार पर आयोडीन की कमी के कारण घेंघा रोग होता है Key Points
    • गद्यांश के अनुसार:-
    • परिणाम स्वरूप, मवेशियों और मनुष्यों के आहार में भी आयोडीन की कमी हो जाती है।
    • पहले माना जाता था कि आयोडीन की कमी से केवल घेंघा और बौनापन ही होता है।
    • लेकिन यह स्पष्ट हो गया है कि इसकी कमी से भ्रूण से लेकर शैशवावस्था और फिर व्यस्क होने पर गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक समस्याएँ होती हैं।
    • इनमें से अधिकतर स्थितियाँ अदृश्य और अपरिवर्तनीय हैं, पर इन्हें रोका जा सकता है।
  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    शहरी वर्ग के बच्चे किस समस्या से गुज़र रहे हैं?
    Solution

    शहरी वर्ग के बच्चे मोटापे की समस्या से गुज़र रहे हैं।

    Key Points

    • गद्यांश के अनुसार :
    •  शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है।
    • इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है।
    • बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था।
    • कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

     Additional Information

    • कुपोषण का अर्थ है - शरीर को जब  आवश्यक संतुलित आहार जब लम्बे समय तक नहीं मिल पाता है तब वह व्यक्ति कुपोषण का शिकार हो जाता है 
    • कुपोषण का पर्यायवाची -कोष्ठ, शून्यता, भुखमरी, सूखा आदि 
  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    बच्चों के पोषण को मापने का पैमाना नहीं है -
    Solution

    सामाजिक श्रेणी सही उत्तर है

    Key Points

    • दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना।
    • कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है।
    • अतः स्पष्ट है कि सामाजिक श्रेणी सही उत्तर है

    Additional Information

    • कुपोषण के प्रकार-
    • निम्न पोषण- वह अवस्था है, जब भोजन की मात्रा काफी समय तक आहार में कम होती हा इसे भुखमरी भी कह सकते हैं।
    • अतिपोषण -जब व्यक्ति एक या अधिक पोषक तत्वों को अपने भोजन में ग्रहण करता है, तो उसे अतिपोषण कहते है 
    • असंतुलित पोषण- असंतुलित आहार  लेने से न केवल शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है बल्कि व्यक्ति की उत्पादकता भी काफी कम हो जाती है
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    विगत वर्षों में ग्रामीण क्षेत्र में किन बच्चों की संख्या में कमी आई थी?
    Solution

    कुपोषित बच्चे सही उत्तर है 

    Key Points

    •  गद्यांश के अनुसार:-
    • बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।
    • अतः स्पष्ट है कि कुपोषित बच्चे सही उत्तर है 

    Additional Information

    • यूनिसेफ (UNICEF) के अनुसार, वर्ष 2017 में सबसे कम वजन वाले बच्चों की संख्या वाले देशों में भारत 10वें स्थान पर था।
    • एक हालिया रिपोर्ट में विश्व बैंक ने कहा था कि वर्ष 1990 से वर्ष 2018 के बीच भारत ने गरीबी से लड़ने के लिये अतुलनीय कार्य किया है 
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    कुपोषण को दूर किया जा सकता है -

    (i) खाद्य सुरक्षा से

    (ii) खाने में विविधता से

    (iii) आर्थिक आय बढ़ाने से

    Solution

    केवल i और ii उत्तर सही है

    Key Points

    •  गद्यांश के अनुसार:-
    • खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है।
    • ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है।
    • ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है।
    • अतः स्पष्ट है कि केवल i और ii उत्तर सही है

    Additional Information

    • कुपोषण का विलोम है - पोषण 
    • विलोम -जब कोई एक शब्द किसी दूसरे शब्द का उल्टा या विपरीत अर्थ व्यक्त करे तो उसे विलोम शब्द कहा जाता है।  
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    निर्देश-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के लिए उचित उत्तर का चयन कीजिए :

    पिछले पाँच सालों में ठिगने, कमज़ोर और कुपोषित बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। यह स्थिति एक दशक के सुधार के एकदम उलट है. दुनियाभर में बच्चों के पोषण को मापने के चार पैमाने होते हैं-लंबाई के हिसाब से वज़न कम होना, लंबाई कम होना, सामान्य से कम वज़न होना और पोषक तत्वों की कमी होना। कुपोषण को उम्र के हिसाब से लंबाई कम होने का अहम कारण माना जाता है। शुरुआत में यदि बच्चे की लंबाई कम रह गई, तो बाद में उसकी वृद्धि की संभावना बहुत कम रह जाती है। बीते कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में अति कुपोषित बच्चों की संख्या में कमी आयी थी।

    खाद्य सुरक्षा और खाने में विविधता कुपोषण दूर करने के लिए ज़रूरी है. ये दोनों ही बातें सीधे आय से जुड़ी होती हैं। समुचित आय नहीं होगी तो बच्चे और परिवार के अन्य सदस्यों को पोषण मिलना मुमकिन नहीं है। ऐसा आकलन है कि देश में हर साल अकेले कुपोषण से 10 लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है। इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। कोरोना काल में तो यह एकदम बंद हो गया।

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    शहरी बच्चों में मोटापे की समस्या को दूर करने का कारगर उपाय होगा कि बच्चों को -
    Solution

    दौड़-भाग वाले खेलों में शामिल किया जाए सही उत्तर है 

    Key Points

    • गद्यांश के अनुसार:-
    • शहरी संपन्न वर्ग के बच्चों में चुनौती दूसरी है। यहांँ मोटापा बढ़ता जा रहा है।
    • इसकी एक बड़ी वजह दौड़-भाग के खेलों में कम हिस्सा लेना है। बाहरी खेलों में हिस्सा लेना शहरी बच्चों ने पहले ही कम कर दिया था। 
    • अतः स्पष्ट है कि दौड़-भाग वाले खेलों में शामिल किया जाए सही उत्तर है 
    • दौड़-भाग  में  तत्पुरुष समास है 
    • जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति चिन्ह का लोप हो।

    Additional Information

    समास का नाम

    परिभाषा 

    उदाहरण 

    तत्पुरुष समास

    जिस समास में उत्तरपद प्रधान हो तथा समास करने के उपरांत विभक्ति (कारक चिन्ह) का लोप हो।

    राम का अनुज= रामानुज,

    धर्म का ग्रन्थ = धर्मग्रन्थ, तुलसीदास द्वारा कृत = तुलसीदासकृत।

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