Self Studies

Hindi Test - 24

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Hindi Test - 24
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Self Studies Self Studies
Weekly Quiz Competition
  • Question 1
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

    ...view full instructions

    कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार बोध किसका होता है।
    Solution

     इसका सही उत्तर विकल्प 3 'कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का​है। 

    Key Points

    • कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार बोध कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का होता है।
    • सन्दर्भ पंक्ति -  'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है।

    Additional Information

    गद्यांश का सार - इस गद्यांश में काव्यशास्त्रीय दृष्टी से कल्पना की संकल्पना को विवेचित किया गया है। कल्पना कविता लिखने में कवि की सहायता करती है।

  • Question 2
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    भारतीय दृष्टि में काव्य ने किस सिद्धांत की प्रतिष्ठा की?
    Solution

     इसका सही उत्तर विकल्प 1 'रस सिद्धांत की​' है। 

    • भारतीय दृष्टि में काव्य ने रस सिद्धांत की प्रतिष्ठा की।
    • सन्दर्भ पंक्ति -  काव्य से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की।

    Additional Information

    गद्यांश का सार - इस गद्यांश में काव्यशास्त्रीय दृष्टी से कल्पना की संकल्पना को विवेचित किया गया है। कल्पना कविता लिखने में कवि की सहायता करती है।

  • Question 3
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    केवल देखने का आनंद क्या है?
    Solution

     इसका सही उत्तर विकल्प 4 'कुछ विलक्षण को दिखाने का कुतूहल मात्र​' है। 

    • केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को दिखाने का कुतूहल मात्र है।
    • सन्दर्भ पंक्ति -  काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है।
    • इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

    Additional Information

    गद्यांश का सार - इस गद्यांश में काव्यशास्त्रीय दृष्टी से कल्पना की संकल्पना को विवेचित किया गया है। कल्पना कविता लिखने में कवि की सहायता करती है।

  • Question 4
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    'कल्पना' काव्य का कौन-सा पक्ष है? 
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 2 'बोध पक्ष​' है। 

    • 'कल्पना' काव्य का बोध पक्ष है।
    • सन्दर्भ पंक्ति -   'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। 

    Additional Information

    गद्यांश का सार - इस गद्यांश में काव्यशास्त्रीय दृष्टी से कल्पना की संकल्पना को विवेचित किया गया है। कल्पना कविता लिखने में कवि की सहायता करती है।

  • Question 5
    5 / -1

    Directions For Questions

    निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उसके नीचे दिये गये बहुविकल्पी प्रश्नों में ही विकल्प का चयन करें।

    ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। 'कल्पना” काव्य का बोध पक्ष है। कल्पना में आई रूप-व्यापार-योजना का कवि या श्रोता को अंतः साक्षात्कार का बोध होता है। पर इस बोध पक्ष के अतिरिक्त काव्य का भाव पक्ष भी है। कल्पना को रूप योजना के लिए प्रेरित करने वाले और कल्पना में आयी हुई वस्तुओं में श्रोता या पाठक को रमाने वाली रति, करूणा, क्रोध, उत्साह, आश्चर्य इत्यादि भाव या मनोविकार होते हैं। इसी से भारतीय दृष्टि ने भावपक्ष को प्रधानता दी और रस के सिंद्धात की प्रतिष्ठा की। पर पश्चिम में "कल्पना'' - 'कल्पना' की पुकार के सामने धीरे-धीरे समीक्षकों का ध्यान भाव पक्ष से हट गया और बोधपक्ष ही पर भिड़ गया। काव्य की रमणीयता उस हल्के आनंद के रूप में ही मानी जाने लगी जिस आनंद के लिए हम नई-नई सुंदर भड़कीली और विलक्षण वस्तुओं को देखने जाते है। इस प्रकार कवि तमाशा दिखाने वाले के रूप में और श्रोता या पाठक तटस्थ तमाशबीन के रूप में समझे जाने लगे। केवल देखने का आनंद कुछ विलक्षण को देखने का कुतूहल मात्र होता है।

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    काव्य में पाश्चात्य समीक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चा किस तत्व को लेकर हुई है?
    Solution

    सही उत्तर विकल्प 4 'कल्पना और व्यक्तित्व की​' है। 

    • काव्य में पाश्चात्य समीक्षा क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चा कल्पना और व्यक्तित्व की हुई है।
    • सन्दर्भ पंक्ति -  ''कल्पना'' और 'व्यक्तित्व' की, पाश्चात्य समीक्षा-क्षेत्र में, इतनी अधिक मुनादी हुई कि काव्य के और सब पक्षों से दृष्टि हटकर इन्हीं दो पर जा जमी। '

    Additional Information

    गद्यांश का सार - इस गद्यांश में काव्यशास्त्रीय दृष्टी से कल्पना की संकल्पना को विवेचित किया गया है। कल्पना कविता लिखने में कवि की सहायता करती है।

  • Question 6
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    हिंदी मुहावरों में किससे जुड़े शब्दों की भरमार होने की बात की गई है?
    Solution

    हिंदी मुहावरों में देह जुड़े शब्दों की भरमार होने की बात की गई है 

    Key Points

    •  हिंदी मुहावरों में देह से जुड़े शब्दों की भरमार होने की बात की गई है जैसे :आँखों का तारा, अंग-अंग ढीला होना ,हाथ  मलते रह जाना, घुटने टेकना, अँगूठा दिखाना ,आदि।

     Additional Information

    मुहावरे की परिभाषा

    उदाहरण

    ऐसे वाक्यांश जो अपने सामान्य अर्थ के स्थान पर विशेष अर्थ प्रकट करते हैं, मुहावरा कहलाते हैं।

    दाँत काटी रोटी, टोपी उछालना आदि।

    Important Points

    मुहावरे

    अर्थ

    वाक्य प्रयोग

    अक्ल पर पत्थर पड़ना

      कुछ समझ में न आना

    उसने बड़ों कि बात नहीं मानी सच में उसकी अक्ल पे तो पत्थर पड़े है l

    अक्ल के पीछे लठ्ठ लिए फिरना

      मूर्खतापूर्ण कार्य करना

    आप क्यों आरी से लोहे कि वस्तु काट रहे हो आप क्यों अक्ल के पीछे लठ्ठ लिए फिर रहे हो

    अपनी खिचड़ी अलग पकाना

    अलग-थलग रहना, किसी की न मानना

    अपने बड़ो की सदैव सिन्ना चाहिए अपनी खिचड़ी आप नहीं पकानी चाहिए

     अपना उल्लू सीधा करना

    स्वार्थ सिद्ध करना l

     सीमा बहुत चतुर है उसे पता है अपना उल्लू सीधा कैसे किया जाता है

  • Question 7
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    सकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला मुहावरा नहीं है-
    Solution

    सकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला मुहावरा नहीं है-टांग अड़ाना

    Key Points

    • सकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला मुहावरा 'टांग अड़ाना' नहीं है इसका अर्थ 'दखल देना होता है' जबकि अन्य मुहावरों का अर्थ -किसी की सहायता करना, किसी कार्य में लग जाना,मदद करना है अतः स्पष्ट है कि टांग अड़ाना मुहावरे का अर्थ सकारात्मक नहीं है 

    Additional Information 

    हाथ थामना -किसी की सहायता करनावाक्य प्रयोग : जब भी मैं मुसीबत मैं थी मेरी बहिन ने मेरा हाथ थामा 

    हाथ लगानाकिसी कार्य में लग जाना

    वाक्य प्रयोग -छात्र अध्यापक से प्रेरित होकर पढाई के कार्य में लग गए 

    हाथ बढ़ाना-मदद करना 

    वाक्य प्रयोग - गरीबों की सहायता के लिए हमेशा हाथ बढ़ना चाहिए

     Important Points

    • मुहावरे को रूढ़ वाक्यांश भी कहते है 
    • मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है
    • मुहावरेका शब्दार्थ लेकर उनका अर्थ ग्रहण किया जाता
    • मुहावरे  वाक्यांश के रूप में प्रयुक्त होता है, स्वतंत्र वाक्य के रूप में नहीं
    • हिंदी के अधिकतर मुहावरों का संबंध मानव शरीर से है
    • मुहावरे का मूल रूप नहीं बदलता जैसे टांग अड़ाना  के स्थान पर पैरअड़ाना का प्रयोग नहीं किया जा सकता हैं
  • Question 8
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    'हस्तक्षेप' का जनतांत्रिक समाज में अभिप्राय है अनुचित कार्य को-
    Solution

    'हस्तक्षेप' का जनतांत्रिक समाज में अभिप्राय है अनुचित कार्य को- रोकना है

    Key Points

    • गद्यांश के अनुसार:-  'हस्तक्षेप' का जनतांत्रिक समाज में अभिप्राय अनुचित कार्य को रोकना है क्योंकि हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

    Additional Information 

    • हस्तक्षेप का पर्याय - पैठ, कब्ज़ा, दखलंदाजी, प्रवेश आदि 
    • बढ़ाना का अर्थ है -  आगे बढ़ाना    
    • फैलाना का अर्थ है -किसी भी चीज का विस्तार करना। 
    • दबाना का अर्थ है - बल पूर्वक पीछे हटाना।  
  • Question 9
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    देह के अंग से जुड़ा मुहावरा नहीं है-
    Solution

    देह के अंग से जुड़ा मुहावरा नहीं है-  लाल-पीला होना|

    Key Points

    • लाल-पीला होना देह के अंग से जुड़ा मुहावरा नहीं है|
    • मुहावरे का सही अर्थ है- बहुत क्रोध करना|
    • वाक्य प्रयोग – जब बच्चों ने खेलते हुए पड़ोसियों के घर का कांच तोड़ डाला तो पड़ोसी लाल-पीले हो गए।

    Additional Information

    • लाल-पीला होना - गुस्सा करना 
    • वाक्य प्रयोग - रीना के साथ श्याम को देखकर रीना के पिता लाल-पीले होने लगे
    • बत्तीसी दिखाना-निर्लज्जतापूर्वक हँसना।
    • वाक्य प्रयोग -मंजू परीक्षा में फ़ैल हो जाने के बाद भी अपनी बत्तीसी दिखा रही थी 
    • आँखों का तारा- बहुत प्यारा 
    • वाक्य प्रयोग -अक्षत अपनी माँ की आँखों का तारा है 
    • हाथ बढ़ाना- मदद करना 
    • वाक्य प्रयोग -सुमन ने रवि को अकेला काम करते देख उसका हाथ बँटा दिया

    Important Points

    •  मुहावरा मूलतः एक अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ अभ्यास करना है 
  • Question 10
    5 / -1

    Directions For Questions

    दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए।

    हिंदी में मुहावरों की अधिकता का श्रेय मैं इस भाषा को बोलने वाले समुदाय को देता हूँ। उनकी पारिवारिकता को मानता हूँ। हिंदी में देह के अंग भी किसी न किसी प्रवृत्ति की ओर इंगित करते हैं। मसलन टाँग अड़ाना। बोल चाल में काम आने वाला यह मुहावरा व्यक्ति की नकारात्मकता उजागर करता है। हाथ के लिए अनेक शब्द- प्रयोग एवं मुहावरे हैं। हाथ थामना, हाथ लगाना, हाथ बढ़ाना और हाथ बाँटना हमेशा सकारात्मक अर्थ में काम में आते हैं। इसलिए जिन्हें हस्तक्षेप का अर्थ खोजते समय उर्दू के दखलंदाजी का सहारा लेना पड़े, वे ही कह सकते हैं कि हस्तक्षेप नकारात्मक प्रक्रिया है। हस्तक्षेप न आक्षेप है और न आक्रमण। मेरे लिए सामान्य अर्थ में तथा जनतांत्रिक समाज के लिए भी, हस्तक्षेप गलत काम को रोकने की चेतावनी है। प्रयास है।

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    नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला शब्द है-
    Solution

    नकारात्मक अर्थ में प्रयोग होने वाला शब्द है- हस्तक्षेप

    Key Points

    • प्रस्तुत गद्यांश के अनुसार:-  हस्तक्षेप एक नकारात्मक प्रक्रिया है अनावश्यक तथा अनाधिकार दखल देना हस्तक्षेप करना कहलाता है 
    • हस्तक्षेप का पर्याय - पैठ, कब्ज़ा, दखलंदाजी, प्रवेश आदि 

    Additional Information

    • बीच-बचाव का अर्थ है -दो पक्षों के बीच सुलह कराने की क्रिया बीच-बचाव कहलाती है 
    • बोल-चाल का अर्थ है -वार्तालाप
    • इंगित का अर्थ है - संकेत करना
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