Bihar Board 10th Social Science Exam 2024 : VVI Most Important दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ( Long Answer Questions) उत्तर के साथ; परीक्षा से पहले रटलो

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा आयोजित बिहार बोर्ड 10वीं की Social Science - सामाजिक विज्ञान परीक्षा 19 फरवरी, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।
इस पोस्ट में बिहार बोर्ड 10th परीक्षा 2024 के लिए Social Science - सामाजिक विज्ञान के महत्वपूर्ण दीर्घ उत्तरीय (Bihar Board 10th Social Science Important Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। छात्रों को इन (Bihar Board 10 Long Important Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।
अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे Social Science के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I
Bihar Board Class 10th Social Science Long Answer Questions
1. खनिजों के संरक्षण एवं पबंधन से आप क्या समझत है ?
उत्तर ⇒ ससाधना का विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है। क्योंकि किसी भी संसाधन को बनने में लाखों वर्षों का समय लगता हैइसके विपरीत संसाधन प्रबंधन एक जटिल प्रक्रिया है। इस उत्पादन से लेकर उपभोग तक शामिल किया जाता है।
2. खनिजों के आर्थिक महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ खनिज एक प्राकतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है, जिसका निश्चित आंतरिक संरचना है। हमारे जीवन में खनिजों का विशेष आर्थिक महत्व औद्योगिक उत्पादन के लिए खनिज एक आधारभुत जरूरत होती हैं। इसके अभाव में न तो किसी उद्योग एवं न किसी राष्ट्र के विकास की कल्पना की जा सकता है।
3. अधात्विक खनिज किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझावे ।
उत्तर ⇒ वैसे खनिज जिनमें धातु अंश का अभाव होता है और भंगुर प्रकृति क होते हैं, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। इन पर चोट मारने पर ये टूट जाते ह। डोलामाइट, हीरा, अभ्रक, चूना पत्थर इत्यादि इसी के उदाहरण हैं। इनमें लाइमस्टोन का सर्वाधिक औद्योगिक महत्त्व है।
4.धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या है ?
उत्तर ⇒ धात्विक खनिज के दो पहचान निम्नलिखित हैं-
(i) इनको गलाने पर धातु की प्राप्ति होती है।
(ii) इसे पीटकर तार बनाये जा सकते हैं।
5. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर ⇒ खनिज सभ्यता संस्कृति के आधारस्तंभ हैं। इनके बगैर उद्योगों का विकास नहीं किया जा सकता है। चट्टानों के निर्माण में इनकी भूमिका होती है। 2000 से भी अधिक खनिजों की पहचान हो चुकी है पर इनमें 30 खनिज का आर्थिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है। धातु की उपलब्धता के आधार पर खनिज दो प्रकार के होते हैं।
6. प्रारंभिक जीविका कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ इस प्रकार के कृषि पद्धति में किसान सिर्फ इतने ही फसल का उत्पादन करता है जिससे उसका एवं उसके परिवार का भरण-पोषण हो सके।
7. जीवन निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ जीवन निर्वाह कृषि उस कृषि को कहते हैं, जिसमें उत्पादन का लक्ष्य अपना तथा अपने परिवार का करण पोषण मात्र है। इस प्रकार की कृषि मुख्य रूप से विकासशील देश तथा पिछड़े देशों में देखने को मिलती है। इस प्रकार की कृषि में सुविधाओं की नमी के कारण प्रति हेक्टर उत्पादन काफी कम होता है।
8. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्णत: कृषि पर आधारित है। कृषि से ही देश को विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री प्राप्त होती है। इसी से विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है। इसके अलावा कपि से रोजगार एवं विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है। अत: हम कह सकते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
9. भारत में गहन कृषि के लिए कौन-सी सुविधा पाई जाती है ? समझावें।
उत्तर ⇒ भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या का दबाव और सीमित कृषि योग्य भूमि के कारण गहन कृषि अपनाई गयी है।
भारत मानसूनी वर्षा वाला देश है। वर्षा एक विशेष मौसम में होती है और अनियमित रूप से होती है कहीं बाढ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है और कहीं वर्षा का अभाव देखने को मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में सिंचाई का सहारा लिया जाता है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सदा जलपरित रहती हैं। उन नदियों पर बांध बनाकर नहरें निकाली गयी है और उनसे जलाभाव क्षेत्रों की सिंचाई की सुविधा प्रदान की गयी है। भारत के मैदानी भागों में जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है जो अत्यंत उपजाऊ है इन्हीं कारणों से भारत में गहन कृषि की जाती है।
10. कृषि कार्य का मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? समझावें।
उत्तर ⇒ कृषि कार्य का मुख्य उद्देश्य है भोजन उपलब्ध कराना। यह कृषि आधारित उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है। कृषि कार्य से जो उपज प्राप्त होता है उसके निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। देश का 24% आय कृषि कार्य से ही प्राप्त होता है। राष्ट्रीय आय में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। आज भी ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
11. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को उदाहरण सहित वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर ⇒ स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता कीजिए-
(i) सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग – भिलाई लौह इस्पात उद्योग, भारत हेवी इलेक्ट्रीक लिमिटेड (BHEL)
(ii) निजी क्षेत्र का उद्योग – टाटा लौह-इस्पात उद्योग।
(iii) सहकारी क्षेत्र का उद्योग – दक्षिण भारत की अधिकतर चीनी मिलें।
(iv) संयुक्त क्षेत्र का उद्योग – ऑयल इण्डिया लिमिटेड।
12. सिले-सिलाए वस्त्रों का उद्योग कहाँ विकसित है ?
उत्तर ⇒ तैयार वस्त्रों का उद्योग हलके उद्योग के रूप में पूरे भारत में फैला हुआ है। जयपुर, सूरत, लखनऊ, लुधियाना, श्रीनगर, कोलकाता में इसका सर्वाधिक प्रसार हुआ है। मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, बुलंदशहर इत्यादि में होजरी एवं सिले-सिलाये वस्त्र के लिए प्रसिद्ध है।
13. वैश्वीकरण का लघु उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर ⇒ वैश्वीकरण के कारण देशी एवं लघु उद्योगों के सामने एक कड़ी चुनौती खड़ी हो गई जिससे उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। आज मध्यम तथा उच्च वर्ग के लोग ब्रांड वाले वस्तुओं को अधिक खरीदते हैं। परिणामस्वरूप उद्योग या तो बंद हो गये हैं या फिर भारी मात्रा में कर्मचारियों की छटनी की है। अतः हम कह सकते हैं कि इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है।
14. अल्युमिनियम उद्योग की स्थापना के लिए सस्ती विद्युत आपूर्ति आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर ⇒ प्रति टन अल्युमिनियम निर्माण के लिए 18,600 किलोवाट विद्युत की आवश्यकता पड़ती है। जब अल्युमिनियम तैयार किया जाता है तो उसके कुल खर्चे का 30 से 40 प्रतिशत तक विद्युत पर होती है। इससे स्पष्ट है कि इस उद्योग के लिए सस्ती विद्युत आपूर्ति अतिआवश्यक है।
15. बहुराष्ट्रीय कंपनी किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ ऐसी कंपनियाँ जो किसी एक देश में स्थित मुख्यालय से अनेक देशों में उत्पादन और सेवाओं का नियंत्रण करती है और अरबों रुपयों की पूँजी वाली हो बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कहलाती हैं। नोकिया, पेप्सी इत्यादि इसके उदाहरण है।
16. ‘स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग’ का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारत के चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई तथा कोलकाता को जोड़नेवाली राजमार्ग को स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग कहते हैं। इसका दायित्व केन्द्र सरकार पर है और यह 6 लेनवाली लगभग 5846 कि०मी० लम्बी सड़क है।
17. एशिया का पहला निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र कहाँ बनाया गया ?
उत्तर ⇒ यह भारत में कांडला नामक स्थान पर बनाया गया। जो गुजरात राज्य में स्थित है। इससे देश की आर्थिक प्रगति तीव्र हुई है।
18. बिहार के पर्यटन उद्योग को संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर ⇒ बिहार का पर्यटन उद्योग एक उभरता हुआ प्रमुख उद्योग है। इस राज्य में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा प्राकृतिक सौंदर्य के महत्त्ववाले कई पर्यटन स्थल हैं। राजधानी पटना सहित राज्य में गया, वैशाली, बोधगया, नालंदा, पावापुरी, सासाराम, मनेर, बिहारशरीफ, देव इत्यादि जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं फलस्वरूप 2003 में लगभग 60 देशी एवं 60 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक आये। इनकी संख्या बढ़कर 2006 में क्रमश: एक करोड़ 94 हजार से ऊपर हो गई। इन पर्यटकों के आगमन से राज्य को अभूतपूर्व राजस्व की प्राप्ति हुई हैं।
19. बिहार में किस प्रकार की सड़कों का विस्तार अधिक है ?
उत्तर ⇒ राज्य में सबसे अधिक विस्तार ग्रामीण सड़कों का है। इसकी कुल लंबाई 83261.36 किमी० है। यह राज्य के कुल सड़कों का 77.46 प्रतिशत है।
20. बिहार की अधिकतर चीनी मिलें कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर ⇒ बिहार की अधिकतर चीनी मिलें उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में विकसित हैं। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीवान, गोपालगंज और सारण जिले में चीनी मिलें केंद्रित हैं; क्योंकि यहाँ गन्ना अधिक उपजाया जाता है।
21. उच्चावच निरूपण किसे कहते हैं ?
22. स्थानिक ऊँचाई (Spot Height) किसे कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊँचाई को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है। इस विधि में सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त की गई समुद्र तल से किसी स्थान की वास्तविक ऊँचाई प्रकट की जाती है।
23. राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर ⇒ सामान्य अर्थों में राष्ट्रवाद का अर्थ अपने राष्ट्र के प्रति सोच और लगाव की भावना का विकास करना है। दूसरे अर्थों में राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है।
24. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?
उत्तर ⇒ यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति के पश्चात् नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग. का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की सुधारवादी नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा।
25. 1830 की जुलाई क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ 1830 की जुलाई क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस में निरंकुश राजशाही का स्थान संवैधानिक गणतंत्र ने ले लिया। इस क्रांति ने फ्रांसीसी क्रांति के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया तथा फ्रांस में उदारवादी मध्यमवर्ग का राजनीतिक महत्त्व बढ़ गया।
26. 1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?
उत्तर ⇒ 1830 की क्रांति के बाद लुई फिलिप फ्रांस का राजा बना। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए ‘स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति’ अवलंबन करते हुए सन् 1840 में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। फिलिप के पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में कोई सफलता हासिल हो रही थी। उसके शासनकाल में देश में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त हो गई। सुधारवादियों ने 22 फरवरी, 1848 ई० को पेरिस में थियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। राजा ने इस पर रोक लगा दी। अतः पेरिस में विरोध प्रदर्शन हुए और जुलूस निकाले गए। इस पर पुलिस ने गोली चला दी। जिसमें अनेक लोग मारे गए। अतः दमनकारी नीति अपनाए जाने के कारण 1848 ई० की क्रान्ति आरंभ हो गई।
27. समाजवादी दर्शन क्या है ?
उत्तर ⇒ समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। समाजवादी, शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहते हैं। समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। समाजवादी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।
28. समाजवाद क्या है ?
उत्तर ⇒ समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया आयाम दिया। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है।
29. साम्यवाद एक नयी आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे ?
उत्तर ⇒ रूस में क्रांति के बाद नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गयी। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया। पूँजीपति और जमींदार वर्ग का उन्मूलन कर दिया गया। समाज में एक ही वर्ग रहा, जो साम्यवादी नागरिकों का था। काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। व्यक्तिगत संपत्ति समाप्त कर पूँजीपतियों का वर्चस्व समाप्त कर दिया गया। देश की सारी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस प्रकार, एक वर्गविहीन औरशोषणमुक्त सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। इस प्रकार हम कह सकते हैं की रूसी क्रांति के बाद साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी।
30. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ रूसी क्रांति के दो महत्त्वपूर्ण कारण थे – सामाजिक और आर्थिक। रूसी समाज के बहुसंख्यक किसान वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूर तथा श्रमिक भी शोषण के शिकार थे। अत: किसान मजदूर जारशाही के विरोधी बन गए। रूस की आर्थिक स्थिति भी दुर्बल थी। कृषि तथा उद्योग का समुचित विकास नहीं होने तथा युद्धों से रूस की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई। बेरोजगारी और गरीबी बढ़ गई। इससे क्रांतिकारी भावना को बल मिला।
31. बाओदायी कौन था ?
उत्तर ⇒ बाओदायी फ्रांस एवं अमेरिका के समर्थन से दक्षिण वियतनाम के प्रांत अन्नाम का शासक बना था। लेकिन वियतनाम में साम्यवादी राष्ट्रवादियों के बढ़ते विरोध के कारण उसका टिकना कठिन साबित हुआ। इसलिए 25 अगस्त, 1945 को बाओदायी ने अपना पद त्याग दिया।
32. 1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर ⇒ कंबोडिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के साथ ही चीनी हस्तक्षेप भी शुरू हुआ। इससे विश्वशांति को खतरा उत्पन्न हुआ। अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटाने को तैयार नहीं हुआ। इससे गंभीर स्थिति बन गई। इसी समस्या के समाधान के लिए मई, 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन) बुलाया गया।
33. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें।
34. भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ ?
उत्तर ⇒ हिंद – चीन के समान भारत में भी राष्ट्रवाद का उदय और विकास औपनिवेशिक शासन के प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंग्रेजी राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगी। भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार, मध्यवर्ग के उदय, सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों, साहित्य और समाचार-पत्रों के विकास तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।
35. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ प्रथम विश्वयद्ध का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा था। विश्वयद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों से राष्ट्रीय आंदोलन भी प्रभावित हुआ। ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं की सहमति लिए बिना भारत को युद्ध में घसीट लिया था। कांग्रेस, उदारवादियों और भारतीय रजवाड़ों ने इस उम्मीद से अंगरेजी सरकार को समर्थन दिया कि युद्ध के बाद उन्हें स्वराज की प्राप्ति होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया जिससे जनता की स्थिति काफी बेहतर हो गई। विश्वयुद्ध का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ा। विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियाँ काफी बढ़ गई तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।
36. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर ⇒ 1919 ई० के ‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव है। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।
37. मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया ?
उत्तर ⇒ मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र, व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिंदू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।
38. कोयला एवं लौह उद्योग ने औद्योगिकीकरण को गति प्रदान की। कैसे ?
39. औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ औद्योगिक क्रांति का अर्थ उत्पादन प्रणाली में हुए उन आधारभूत परिवर्तनों से है जिनके फलस्वरूप जनसाधारण को अपनी परंपरागत कृषि, व्यवसाय एवं घरेलू उद्योग-धंधों को छोड़कर नए प्रकार के उद्योगों में काम करने तथा यातायात के नवीन साधनों के प्रयोग का अवसर मिला। यह क्रांति सर्वप्रथम इंगलैंड में 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई। उद्योगों में मानवश्रम का स्थान मशीनों ने ले लिया। औद्योगिक क्रांति में न तो राजसत्ता का परिवर्तन हुआ और नहीं रक्तपात। यह क्रांति किसी निश्चित अवधि या तिथि को नहीं हुई, इसका निरंतर विकास होता रहा।
40. आदि-औद्योगिकीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ यूरोप और इंगलैंड में कारखानों में उत्पादन होने के पूर्व की स्थिति को इतिहासकारों ने आदि-औद्योगिकीकरण का नाम दिया है। इस समय भी बड़े स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन होता था। परंतु वह उत्पादन एक जगह कारखानों में न होकर दूर-दराज के गाँवों में तथा घरों में होता था।
41. औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण अथवा उद्योगों की बृहत् रूप में स्थापना उस औद्योगिक क्रांति की देन है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मानव श्रम द्वारा न होकर मशीनों के द्वारा होता है। इसमें उत्पादन बृहत् पैमाने पर होता है और जिसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है। किसी भी देश के आधुनिकीकरण का एक प्रेरक तत्त्व उसका औद्योगिकीकरण होता है। अत: औद्योगिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन मशीनों के द्वारा कारखानों में होता है। इस प्रक्रिया में घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ले लेता है।
42. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए जिसके कारण लघु तथा कुटीर उद्योगों का पतन हो गया। कारखानों में रोजगार की तलाश में गाँवों से बेरोजगार लोगों का समूह शहरों की ओर आने लगे। उन्हें शहरों में नौकरियाँ ढूँढने में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। कारखानों में श्रमिकों को स्थायी नौकरी नहीं मिलती थी। अनेक मजदूरों को काम का मौसम समाप्त होने के बाद नौकरी से हटा दिया जाता था। औद्योगिकीकरण ने मजदूरों की आजीविका को इस तरह प्रभावित किया कि उनके पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदने के लिए धन नहीं रहता था। शहरों में उनके रहने-ठहरने की समुचित व्यवस्था नहीं थी।
43. 19वीं, 20वीं शताब्दियों में लंदन में कामकाजी महिलाओं में किस प्रकार का बदलाव आया ? इसके क्या कारण थे ?
उत्तर ⇒ 18वीं, 19वीं शताब्दी में जब इंगलैंड में कारखाने स्थापित होने लगे, तब बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी इनमें काम करने लगी। कुछ समय बाद तकनीक में परिवर्तन के कारण जब कुशल श्रमिकों की आवश्यकता हुई तो इन स्त्रियों को कारखानों से हटाया जाने लगा। कारखानों में काम बंद होने पर स्त्रियाँ घरेलू काम-धंधों में लग गई। 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में ढाई लाख घरेलू नौकर थे जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। अनेक औरतें अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए अपने मकान में पेईंग गेस्ट को रख लेती थी। कुछ स्त्रियाँ अपने घर ही रहकर कपड़े सिलने, ऊनी वस्त्र बुनने तथा कपड़ा धोने का काम करने लगी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब पुरुष बड़ी संख्या में युद्ध में शामिल होने लगे तथा युद्धकालीन आवश्यक सामग्रियों की माँग बढ़ गई तो महिलाएँ पुनः घरेलू काम छोड़कर विभिन्न उद्योगों में काम करने लगी। दफ्तरों में भी उन्हें रोजगार के अवसर मिले। इस प्रकार महिलाओं की आर्थिक क्रियाकलापों में महत्त्वपूर्ण भागीदारी रही।
44. 19वीं शताब्दी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई ?
उत्तर ⇒ 19वीं शताब्दी से बंबई का विकास एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप र क विकास के साथ-साथ यहाँ प्रशासकीय गतिविधियाँ भी बढ़ गई। अत: यह पश्चिम भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ। शहर फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में आकर यहाँ बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया तथा इसकी आबादी काफी बढ़ती गयी।
45. बंबई की बहुतेरी फिल्में शहर में बाहर से आनेवालों की जिंदगी पर क्यों आधृत होती थी ?
उत्तर ⇒ औद्योगिक और आर्थिक केंद्र होने के अतिरिक्त बंबई रुपहले दुनिया या फिल्म उद्योग का केंद्र था। फिल्मी दुनिया से आकृष्ट होकर इस उद्योग में अपना भविष्य तलाशने एवं सँवारने प्रतिवर्ष हजारों-हजार व्यक्ति इस नगर में आते थे। इसलिए अधिकांश फिल्में बंबई में आनेवाले अप्रवासियों के जीवन और उनके द्वारा भोगी गई कठिनाइयों, इनकी आशाओं और निराशा पर केंद्रित कर बनाई गई।
46. व्यावसायिक पूँजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया ?
उत्तर ⇒ नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यावसायिक पूँजीवाद के उद्भव के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन, मजदूरी का नगद भुगतान, एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा, बैंकिंग, साख बिल का विनिमय, बीमा, अनुबंध, कंपनी साझेदारी, ज्वाएंट स्टॉक, एकाधिकार आदि इस पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं ने नये-नये नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया।
47. वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ?
48. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करता है।
49. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान (भूमिका) को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ 19वीं शताब्दी के मध्य से जब पूँजीवाद विश्वव्यापी व्यवस्था बन गया. भमंडलीकरण का स्वरूप भी व्यापक होता गया। इस समय पूँजी का निर्यात अंतर्राष्टीय आर्थिक संबंधों की एक मुख्य विशेषता बन गई और व्यापार का परिमाण भी काफी बढा। धीरे-धीरे यह संपूर्ण विश्व के अर्थतंत्र का नियामक हो गया। इसके प्रभाव को कायम करने में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संस्था तथा पूँजीवादी देशों की बड़ी-बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ जिन्हें हम बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं, का बहुत बड़ा योगदान था। मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, खुली प्रतिस्पर्धा बहुराष्ट्रीय निगमों (कंपनी) का प्रसार, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आर्थिक भूमंडलीकरण के मुख्य तत्त्व हैं।
50. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण के प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं रहा। भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठा। भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों में रोजगार के कई नवीन अवसर को उपलब्ध कराया गया जिसके कारण भारतीय लोगों के जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया। जैसे टर । एवं ट्रेबल एजेंसी (यातायात की सुविधा), रेस्टोरेंट रेस्ट हाउस, आवासीय होटल । इत्यादि। सूचना एवं संचार के क्षेत्र में भी क्रांति आई जिससे इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर पैदा हुए।
51. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ आर्थिक मंदी अर्थव्यवस्था में आनेवाली वैसी स्थिति है जब कृषि, उद्योग तथा व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगारी की स्थिात में आ जाते हैं बैंकों और कंपनियों का दिवालियापन तथा वस्तु और मुद्रा दाना का बाजार में कोई कीमत नहीं रह जाती है।
52. भारत में मुद्रण के आरंभिक इतिहास पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर ⇒ भारत में छपाई का इतिहास पुर्तगालियों के आगमन के साथ आरंभ होता है। 16वीं सदी के मध्य में गोवा में पुर्तगाली धर्म प्रचारकों, जेसुइटो ने पहली बार छापाखाना लगाया। उन लोगों ने स्थानीय लोगों से कोंकणी भाषा सीखकर उसमें अनेक पुस्तकें छापी। 16वीं शताब्दी से ही कैथोलिक पादरियों ने तमिल भाषा में पहली पुस्तक को चीन में प्रकाशित की। इसी समय से भारत में पुस्तकों की छपाई ने गति पकड़ी। 1674 तक कोंकणी और कन्नड़ में लगभग पचास पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका था। डच धर्म प्रचारकों ने भी पुस्तकों की छपाई में पीछे नहीं रहे। उन लोगों ने पुरानी पुस्तकों के अनुवाद सहित बत्तीस तमिल भाषा की किताबें छापी। इस प्रकार भारत में पुस्तकों का प्रकाशन यूरोपीय धर्म प्रचारकों द्वारा आरंभ किया गया।
53. तकनीकी विकास का मुद्रण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ जैसे-जैसे छपाई का प्रसार होता गया वैसे-वैसे छापाखाना में भी निरंतर सुधार किए गए ताकि कम श्रम, लागत और समय में अधिक-से-अधिक छपाई की जा सके। 18वीं सदी के अंतिम चरण तक धातु के बने छापाखाने काम करने लगे। 19वीं-20वीं सदी में छापाखाना में और अधिक तकनीकी सुधार किए गए। 19वीं शताब्दी में न्यूयॉर्क निवासी एम० ए० हो ने शक्ति चालित बेलनाकर प्रेस का इजाद किय