Bihar Board 10th Social Science Exam 2024 : VVI Most Important लघु उत्तरीय प्रश्न ( Short Answer Questions) उत्तर के साथ; परीक्षा से पहले रटलो

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा आयोजित बिहार बोर्ड 10वीं की Social Science - सामाजिक विज्ञान परीक्षा 19 फरवरी, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।
इस पोस्ट में बिहार बोर्ड 10th परीक्षा 2024 के लिए Social Science - सामाजिक विज्ञान के महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय (Bihar Board 10th Social Science Important Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। छात्रों को इन (Bihar Board 10 Short Important Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।
अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे Social Science के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I
Bihar Board Class 10th Social Science Short Answer Questions
1. खनिजों के संरक्षण एवं पबंधन से आप क्या समझत है ?
उत्तर ⇒ ससाधना का विवेकपूर्ण उपयोग ही संरक्षण कहलाता है। क्योंकि किसी भी संसाधन को बनने में लाखों वर्षों का समय लगता हैइसके विपरीत संसाधन प्रबंधन एक जटिल प्रक्रिया है। इस उत्पादन से लेकर उपभोग तक शामिल किया जाता है।
2. खनिजों के आर्थिक महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ खनिज एक प्राकतिक रूप से विद्यमान समरूप तत्त्व है, जिसका निश्चित आंतरिक संरचना है। हमारे जीवन में खनिजों का विशेष आर्थिक महत्व औद्योगिक उत्पादन के लिए खनिज एक आधारभुत जरूरत होती हैं। इसके अभाव में न तो किसी उद्योग एवं न किसी राष्ट्र के विकास की कल्पना की जा सकता है।
3. अधात्विक खनिज किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर समझावे ।
उत्तर ⇒ वैसे खनिज जिनमें धातु अंश का अभाव होता है और भंगुर प्रकृति क होते हैं, अधात्विक खनिज कहलाते हैं। इन पर चोट मारने पर ये टूट जाते ह। डोलामाइट, हीरा, अभ्रक, चूना पत्थर इत्यादि इसी के उदाहरण हैं। इनमें लाइमस्टोन का सर्वाधिक औद्योगिक महत्त्व है।
4.धात्विक खनिज के दो प्रमुख पहचान क्या है ?
उत्तर ⇒ धात्विक खनिज के दो पहचान निम्नलिखित हैं-
(i) इनको गलाने पर धातु की प्राप्ति होती है।
(ii) इसे पीटकर तार बनाये जा सकते हैं।
5. खनिजों की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर ⇒ खनिज सभ्यता संस्कृति के आधारस्तंभ हैं। इनके बगैर उद्योगों का विकास नहीं किया जा सकता है। चट्टानों के निर्माण में इनकी भूमिका होती है। 2000 से भी अधिक खनिजों की पहचान हो चुकी है पर इनमें 30 खनिज का आर्थिक दृष्टि से विशेष महत्त्व है। धातु की उपलब्धता के आधार पर खनिज दो प्रकार के होते हैं।
6. प्रारंभिक जीविका कृषि किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ इस प्रकार के कृषि पद्धति में किसान सिर्फ इतने ही फसल का उत्पादन करता है जिससे उसका एवं उसके परिवार का भरण-पोषण हो सके।
7. जीवन निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ जीवन निर्वाह कृषि उस कृषि को कहते हैं, जिसमें उत्पादन का लक्ष्य अपना तथा अपने परिवार का करण पोषण मात्र है। इस प्रकार की कृषि मुख्य रूप से विकासशील देश तथा पिछड़े देशों में देखने को मिलती है। इस प्रकार की कृषि में सुविधाओं की नमी के कारण प्रति हेक्टर उत्पादन काफी कम होता है।
8. भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्त्व है ?
उत्तर ⇒ भारतीय अर्थव्यवस्था पूर्णत: कृषि पर आधारित है। कृषि से ही देश को विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री प्राप्त होती है। इसी से विभिन्न प्रकार के उद्योगों के लिए कच्चा माल प्राप्त होता है। इसके अलावा कपि से रोजगार एवं विदेशी मुद्रा की भी प्राप्ति होती है। अत: हम कह सकते हैं कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
9. भारत में गहन कृषि के लिए कौन-सी सुविधा पाई जाती है ? समझावें।
उत्तर ⇒ भारत में तेजी से बढ़ती जनसंख्या का दबाव और सीमित कृषि योग्य भूमि के कारण गहन कृषि अपनाई गयी है।
भारत मानसूनी वर्षा वाला देश है। वर्षा एक विशेष मौसम में होती है और अनियमित रूप से होती है कहीं बाढ जैसी समस्या उत्पन्न हो जाती है और कहीं वर्षा का अभाव देखने को मिलता है। ऐसे क्षेत्रों में सिंचाई का सहारा लिया जाता है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ सदा जलपरित रहती हैं। उन नदियों पर बांध बनाकर नहरें निकाली गयी है और उनसे जलाभाव क्षेत्रों की सिंचाई की सुविधा प्रदान की गयी है। भारत के मैदानी भागों में जलोढ़ मिट्टी पायी जाती है जो अत्यंत उपजाऊ है इन्हीं कारणों से भारत में गहन कृषि की जाती है।
10. कृषि कार्य का मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? समझावें।
उत्तर ⇒ कृषि कार्य का मुख्य उद्देश्य है भोजन उपलब्ध कराना। यह कृषि आधारित उद्योगों को कच्चा माल उपलब्ध कराता है। कृषि कार्य से जो उपज प्राप्त होता है उसके निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। देश का 24% आय कृषि कार्य से ही प्राप्त होता है। राष्ट्रीय आय में कृषि का एक महत्त्वपूर्ण योगदान है। आज भी ग्रामीण लोगों को रोजगार प्रदान करना इसका मुख्य उद्देश्य है।
11. स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को उदाहरण सहित वर्गीकृत कीजिए।
उत्तर ⇒ स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जाता कीजिए-
(i) सार्वजनिक क्षेत्र का उद्योग – भिलाई लौह इस्पात उद्योग, भारत हेवी इलेक्ट्रीक लिमिटेड (BHEL)
(ii) निजी क्षेत्र का उद्योग – टाटा लौह-इस्पात उद्योग।
(iii) सहकारी क्षेत्र का उद्योग – दक्षिण भारत की अधिकतर चीनी मिलें।
(iv) संयुक्त क्षेत्र का उद्योग – ऑयल इण्डिया लिमिटेड।
12. सिले-सिलाए वस्त्रों का उद्योग कहाँ विकसित है ?
उत्तर ⇒ तैयार वस्त्रों का उद्योग हलके उद्योग के रूप में पूरे भारत में फैला हुआ है। जयपुर, सूरत, लखनऊ, लुधियाना, श्रीनगर, कोलकाता में इसका सर्वाधिक प्रसार हुआ है। मेरठ, मुरादाबाद, आगरा, बुलंदशहर इत्यादि में होजरी एवं सिले-सिलाये वस्त्र के लिए प्रसिद्ध है।
13. वैश्वीकरण का लघु उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ा है ?
उत्तर ⇒ वैश्वीकरण के कारण देशी एवं लघु उद्योगों के सामने एक कड़ी चुनौती खड़ी हो गई जिससे उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। आज मध्यम तथा उच्च वर्ग के लोग ब्रांड वाले वस्तुओं को अधिक खरीदते हैं। परिणामस्वरूप उद्योग या तो बंद हो गये हैं या फिर भारी मात्रा में कर्मचारियों की छटनी की है। अतः हम कह सकते हैं कि इसका विपरीत प्रभाव पड़ा है।
14. अल्युमिनियम उद्योग की स्थापना के लिए सस्ती विद्युत आपूर्ति आवश्यक है, क्यों ?
उत्तर ⇒ प्रति टन अल्युमिनियम निर्माण के लिए 18,600 किलोवाट विद्युत की आवश्यकता पड़ती है। जब अल्युमिनियम तैयार किया जाता है तो उसके कुल खर्चे का 30 से 40 प्रतिशत तक विद्युत पर होती है। इससे स्पष्ट है कि इस उद्योग के लिए सस्ती विद्युत आपूर्ति अतिआवश्यक है।
15. बहुराष्ट्रीय कंपनी किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ ऐसी कंपनियाँ जो किसी एक देश में स्थित मुख्यालय से अनेक देशों में उत्पादन और सेवाओं का नियंत्रण करती है और अरबों रुपयों की पूँजी वाली हो बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कहलाती हैं। नोकिया, पेप्सी इत्यादि इसके उदाहरण है।
16. ‘स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग’ का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ भारत के चार प्रमुख महानगरों दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई तथा कोलकाता को जोड़नेवाली राजमार्ग को स्वर्णिम चतुर्भुज राजमार्ग कहते हैं। इसका दायित्व केन्द्र सरकार पर है और यह 6 लेनवाली लगभग 5846 कि०मी० लम्बी सड़क है।
17. एशिया का पहला निर्यात संवर्द्धन क्षेत्र कहाँ बनाया गया ?
उत्तर ⇒ यह भारत में कांडला नामक स्थान पर बनाया गया। जो गुजरात राज्य में स्थित है। इससे देश की आर्थिक प्रगति तीव्र हुई है।
18. बिहार के पर्यटन उद्योग को संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर ⇒ बिहार का पर्यटन उद्योग एक उभरता हुआ प्रमुख उद्योग है। इस राज्य में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा प्राकृतिक सौंदर्य के महत्त्ववाले कई पर्यटन स्थल हैं। राजधानी पटना सहित राज्य में गया, वैशाली, बोधगया, नालंदा, पावापुरी, सासाराम, मनेर, बिहारशरीफ, देव इत्यादि जैसे कुछ महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं फलस्वरूप 2003 में लगभग 60 देशी एवं 60 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक आये। इनकी संख्या बढ़कर 2006 में क्रमश: एक करोड़ 94 हजार से ऊपर हो गई। इन पर्यटकों के आगमन से राज्य को अभूतपूर्व राजस्व की प्राप्ति हुई हैं।
19. बिहार में किस प्रकार की सड़कों का विस्तार अधिक है ?
उत्तर ⇒ राज्य में सबसे अधिक विस्तार ग्रामीण सड़कों का है। इसकी कुल लंबाई 83261.36 किमी० है। यह राज्य के कुल सड़कों का 77.46 प्रतिशत है।
20. बिहार की अधिकतर चीनी मिलें कहाँ स्थित हैं ?
उत्तर ⇒ बिहार की अधिकतर चीनी मिलें उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र में विकसित हैं। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीवान, गोपालगंज और सारण जिले में चीनी मिलें केंद्रित हैं; क्योंकि यहाँ गन्ना अधिक उपजाया जाता है।
21. उच्चावच निरूपण किसे कहते हैं ?
22. स्थानिक ऊँचाई (Spot Height) किसे कहा जाता है ?
उत्तर ⇒ तल चिह्न की सहायता से किसी स्थान विशेष की मापी गई ऊँचाई को स्थानिक ऊँचाई कहा जाता है। इस विधि में सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त की गई समुद्र तल से किसी स्थान की वास्तविक ऊँचाई प्रकट की जाती है।
23. राष्ट्रवाद क्या है ?
उत्तर ⇒ सामान्य अर्थों में राष्ट्रवाद का अर्थ अपने राष्ट्र के प्रति सोच और लगाव की भावना का विकास करना है। दूसरे अर्थों में राष्ट्रवाद एक ऐसी भावना है जो किसी विशेष भौगोलिक, सांस्कृतिक या सामाजिक परिवेश में रहने वाले लोगों में एकता की वाहक बनती है।
24. यूरोप में राष्ट्रवाद को फैलाने में नेपोलियन बोनापार्ट किस तरह सहायक हुआ ?
उत्तर ⇒ यूरोप में राष्ट्रीयता की भावना के विकास में फ्रांस की राज्यक्रांति के पश्चात् नेपोलियन के आक्रमणों ने महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। फ्रांसीसी क्रांति ने राजनीति को अभिजात्यवर्गीय परिवेश से बाहर कर उसे अखबारों, सड़कों और सर्वसाधारण की वस्तु बना दिया। यूरोप के कई राज्यों में नेपोलियन के अभियानों द्वारा नवयुग. का संदेश पहुँचा। नेपोलियन ने जर्मनी और इटली के राज्यों को भौगोलिक नाम की परिधि से बाहर कर उसे वास्तविक एवं राजनैतिक रूपरेखा प्रदान की। जिससे इटली और जर्मनी के एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ। दूसरी तरफ नेपोलियन की सुधारवादी नीतियों के कारण फ्रांसीसी प्रभुता और आधिपत्य के विरुद्ध यूरोप में देशभक्तिपूर्ण विक्षोभ भी जगा।
25. 1830 की जुलाई क्रांति का फ्रांस पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ 1830 की जुलाई क्रांति के परिणामस्वरूप फ्रांस में निरंकुश राजशाही का स्थान संवैधानिक गणतंत्र ने ले लिया। इस क्रांति ने फ्रांसीसी क्रांति के सिद्धांतों को पुनर्जीवित किया तथा फ्रांस में उदारवादी मध्यमवर्ग का राजनीतिक महत्त्व बढ़ गया।
26. 1848 ई० की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?
उत्तर ⇒ 1830 की क्रांति के बाद लुई फिलिप फ्रांस का राजा बना। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए ‘स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति’ अवलंबन करते हुए सन् 1840 में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। फिलिप के पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में कोई सफलता हासिल हो रही थी। उसके शासनकाल में देश में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त हो गई। सुधारवादियों ने 22 फरवरी, 1848 ई० को पेरिस में थियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। राजा ने इस पर रोक लगा दी। अतः पेरिस में विरोध प्रदर्शन हुए और जुलूस निकाले गए। इस पर पुलिस ने गोली चला दी। जिसमें अनेक लोग मारे गए। अतः दमनकारी नीति अपनाए जाने के कारण 1848 ई० की क्रान्ति आरंभ हो गई।
27. समाजवादी दर्शन क्या है ?
उत्तर ⇒ समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। समाजवादी, शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहते हैं। समाजवादी व्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधनों, कारखानों तथा विपणन में सरकार का एकाधिकार हो। समाजवादी व्यवस्था में उत्पादन निजी लाभ के लिए न होकर सारे समाज के लिए होता है।
28. समाजवाद क्या है ?
उत्तर ⇒ समाजवाद एक ऐसी विचारधारा है जिसने आधुनिक काल में समाज को एक नया आयाम दिया। समाजवाद उत्पादन में मुख्यतः निजी स्वामित्व की जगह सामूहिक स्वामित्व या धन के समान वितरण पर जोर देता है। यह एक शोषण उन्मुक्त समाज की स्थापना चाहता है।
29. साम्यवाद एक नयी आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी। कैसे ?
उत्तर ⇒ रूस में क्रांति के बाद नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गयी। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया। पूँजीपति और जमींदार वर्ग का उन्मूलन कर दिया गया। समाज में एक ही वर्ग रहा, जो साम्यवादी नागरिकों का था। काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। व्यक्तिगत संपत्ति समाप्त कर पूँजीपतियों का वर्चस्व समाप्त कर दिया गया। देश की सारी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस प्रकार, एक वर्गविहीन औरशोषणमुक्त सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। इस प्रकार हम कह सकते हैं की रूसी क्रांति के बाद साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी।
30. रूसी क्रांति के किन्हीं दो कारणों का उल्लेख करें।
उत्तर ⇒ रूसी क्रांति के दो महत्त्वपूर्ण कारण थे – सामाजिक और आर्थिक। रूसी समाज के बहुसंख्यक किसान वर्ग की स्थिति अत्यंत दयनीय थी। मजदूर तथा श्रमिक भी शोषण के शिकार थे। अत: किसान मजदूर जारशाही के विरोधी बन गए। रूस की आर्थिक स्थिति भी दुर्बल थी। कृषि तथा उद्योग का समुचित विकास नहीं होने तथा युद्धों से रूस की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई। बेरोजगारी और गरीबी बढ़ गई। इससे क्रांतिकारी भावना को बल मिला।
31. बाओदायी कौन था ?
उत्तर ⇒ बाओदायी फ्रांस एवं अमेरिका के समर्थन से दक्षिण वियतनाम के प्रांत अन्नाम का शासक बना था। लेकिन वियतनाम में साम्यवादी राष्ट्रवादियों के बढ़ते विरोध के कारण उसका टिकना कठिन साबित हुआ। इसलिए 25 अगस्त, 1945 को बाओदायी ने अपना पद त्याग दिया।
32. 1970 में जकार्ता सम्मेलन क्यों बुलाया गया ?
उत्तर ⇒ कंबोडिया में अमेरिकी हस्तक्षेप के साथ ही चीनी हस्तक्षेप भी शुरू हुआ। इससे विश्वशांति को खतरा उत्पन्न हुआ। अमेरिका ने कंबोडिया से अपनी सेना की वापसी की घोषणा की लेकिन दक्षिण वियतनाम कंबोडिया से अपनी सेना हटाने को तैयार नहीं हुआ। इससे गंभीर स्थिति बन गई। इसी समस्या के समाधान के लिए मई, 1970 में जकार्ता सम्मेलन (ग्यारह एशियाई देशों का सम्मेलन) बुलाया गया।
33. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें।
34. भारत में राष्ट्रवाद उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से कैसे विकसित हुआ ?
उत्तर ⇒ हिंद – चीन के समान भारत में भी राष्ट्रवाद का उदय और विकास औपनिवेशिक शासन के प्रतिक्रिया स्वरूप हुआ। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से अंग्रेजी राज की प्रशासनिक, आर्थिक और अन्य नीतियों के विरुद्ध असंतोष की भावना बलवती होने लगी। भारत के राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण पाश्चात्य शिक्षा के प्रचार, मध्यवर्ग के उदय, सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलनों, साहित्य और समाचार-पत्रों के विकास तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के राष्ट्रवाद की अवधारणा को उत्तेजना प्रदान की।
35. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर ⇒ प्रथम विश्वयद्ध का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा था। विश्वयद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों से राष्ट्रीय आंदोलन भी प्रभावित हुआ। ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं की सहमति लिए बिना भारत को युद्ध में घसीट लिया था। कांग्रेस, उदारवादियों और भारतीय रजवाड़ों ने इस उम्मीद से अंगरेजी सरकार को समर्थन दिया कि युद्ध के बाद उन्हें स्वराज की प्राप्ति होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया जिससे जनता की स्थिति काफी बेहतर हो गई। विश्वयुद्ध का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ा। विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियाँ काफी बढ़ गई तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।
36. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?
उत्तर ⇒ 1919 ई० के ‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव है। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।
37. मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया ?
उत्तर ⇒ मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र, व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिंदू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।
38. कोयला एवं लौह उद्योग ने औद्योगिकीकरण को गति प्रदान की। कैसे ?
39. औद्योगिक क्रांति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ औद्योगिक क्रांति का अर्थ उत्पादन प्रणाली में हुए उन आधारभूत परिवर्तनों से है जिनके फलस्वरूप जनसाधारण को अपनी परंपरागत कृषि, व्यवसाय एवं घरेलू उद्योग-धंधों को छोड़कर नए प्रकार के उद्योगों में काम करने तथा यातायात के नवीन साधनों के प्रयोग का अवसर मिला। यह क्रांति सर्वप्रथम इंगलैंड में 18 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में हुई। उद्योगों में मानवश्रम का स्थान मशीनों ने ले लिया। औद्योगिक क्रांति में न तो राजसत्ता का परिवर्तन हुआ और नहीं रक्तपात। यह क्रांति किसी निश्चित अवधि या तिथि को नहीं हुई, इसका निरंतर विकास होता रहा।
40. आदि-औद्योगिकीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ यूरोप और इंगलैंड में कारखानों में उत्पादन होने के पूर्व की स्थिति को इतिहासकारों ने आदि-औद्योगिकीकरण का नाम दिया है। इस समय भी बड़े स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय बाजार के लिए उत्पादन होता था। परंतु वह उत्पादन एक जगह कारखानों में न होकर दूर-दराज के गाँवों में तथा घरों में होता था।
41. औद्योगिकीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण अथवा उद्योगों की बृहत् रूप में स्थापना उस औद्योगिक क्रांति की देन है जिसमें वस्तुओं का उत्पादन मानव श्रम द्वारा न होकर मशीनों के द्वारा होता है। इसमें उत्पादन बृहत् पैमाने पर होता है और जिसकी खपत के लिए बड़े बाजार की आवश्यकता होती है। किसी भी देश के आधुनिकीकरण का एक प्रेरक तत्त्व उसका औद्योगिकीकरण होता है। अत: औद्योगिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें उत्पादन मशीनों के द्वारा कारखानों में होता है। इस प्रक्रिया में घरेलू उत्पादन पद्धति का स्थान कारखाना पद्धति ले लेता है।
42. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया ?
उत्तर ⇒ औद्योगिकीकरण के फलस्वरूप बड़े-बड़े कारखाने स्थापित हुए जिसके कारण लघु तथा कुटीर उद्योगों का पतन हो गया। कारखानों में रोजगार की तलाश में गाँवों से बेरोजगार लोगों का समूह शहरों की ओर आने लगे। उन्हें शहरों में नौकरियाँ ढूँढने में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। कारखानों में श्रमिकों को स्थायी नौकरी नहीं मिलती थी। अनेक मजदूरों को काम का मौसम समाप्त होने के बाद नौकरी से हटा दिया जाता था। औद्योगिकीकरण ने मजदूरों की आजीविका को इस तरह प्रभावित किया कि उनके पास दैनिक उपयोग की वस्तुओं को खरीदने के लिए धन नहीं रहता था। शहरों में उनके रहने-ठहरने की समुचित व्यवस्था नहीं थी।
43. 19वीं, 20वीं शताब्दियों में लंदन में कामकाजी महिलाओं में किस प्रकार का बदलाव आया ? इसके क्या कारण थे ?
उत्तर ⇒ 18वीं, 19वीं शताब्दी में जब इंगलैंड में कारखाने स्थापित होने लगे, तब बड़ी संख्या में स्त्रियाँ भी इनमें काम करने लगी। कुछ समय बाद तकनीक में परिवर्तन के कारण जब कुशल श्रमिकों की आवश्यकता हुई तो इन स्त्रियों को कारखानों से हटाया जाने लगा। कारखानों में काम बंद होने पर स्त्रियाँ घरेलू काम-धंधों में लग गई। 1861 की जनगणना के अनुसार लंदन में ढाई लाख घरेलू नौकर थे जिनमें महिलाओं की संख्या अधिक थी। अनेक औरतें अपने परिवार की आमदनी बढ़ाने के लिए अपने मकान में पेईंग गेस्ट को रख लेती थी। कुछ स्त्रियाँ अपने घर ही रहकर कपड़े सिलने, ऊनी वस्त्र बुनने तथा कपड़ा धोने का काम करने लगी। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान जब पुरुष बड़ी संख्या में युद्ध में शामिल होने लगे तथा युद्धकालीन आवश्यक सामग्रियों की माँग बढ़ गई तो महिलाएँ पुनः घरेलू काम छोड़कर विभिन्न उद्योगों में काम करने लगी। दफ्तरों में भी उन्हें रोजगार के अवसर मिले। इस प्रकार महिलाओं की आर्थिक क्रियाकलापों में महत्त्वपूर्ण भागीदारी रही।
44. 19वीं शताब्दी के मध्य में बंबई की आबादी में भारी वृद्धि क्यों हुई ?
उत्तर ⇒ 19वीं शताब्दी से बंबई का विकास एक महत्त्वपूर्ण बंदरगाह के रूप र क विकास के साथ-साथ यहाँ प्रशासकीय गतिविधियाँ भी बढ़ गई। अत: यह पश्चिम भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी का मुख्यालय भी बन गया। औद्योगिकीकरण का जब विकास हुआ तो बंबई बड़े औद्योगिक केंद्र के रूप में बदल गया। इसके बाद बंबई का तेजी से विकास हुआ। शहर फैलने लगा, व्यापारी, कारीगर, उद्योगपति, दुकानदार, श्रमिक बड़ी संख्या में आकर यहाँ बसने लगे। इससे बंबई पश्चिमी भारत का सबसे प्रमुख नगर बन गया तथा इसकी आबादी काफी बढ़ती गयी।
45. बंबई की बहुतेरी फिल्में शहर में बाहर से आनेवालों की जिंदगी पर क्यों आधृत होती थी ?
उत्तर ⇒ औद्योगिक और आर्थिक केंद्र होने के अतिरिक्त बंबई रुपहले दुनिया या फिल्म उद्योग का केंद्र था। फिल्मी दुनिया से आकृष्ट होकर इस उद्योग में अपना भविष्य तलाशने एवं सँवारने प्रतिवर्ष हजारों-हजार व्यक्ति इस नगर में आते थे। इसलिए अधिकांश फिल्में बंबई में आनेवाले अप्रवासियों के जीवन और उनके द्वारा भोगी गई कठिनाइयों, इनकी आशाओं और निराशा पर केंद्रित कर बनाई गई।
46. व्यावसायिक पूँजीवाद ने किस प्रकार नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया ?
उत्तर ⇒ नगरों के उद्भव का एक प्रमुख कारण व्यावसायिक पूँजीवाद के उद्भव के साथ संभव हुआ। व्यापक स्तर पर व्यवसाय, बड़े पैमाने पर उत्पादन, मुद्रा प्रधान अर्थव्यवस्था, शहरी अर्थव्यवस्था जिसमें काम के बदले वेतन, मजदूरी का नगद भुगतान, एक गतिशील एवं प्रतियोगी अर्थव्यवस्था, स्वतंत्र उद्यम, मुनाफा कमाने की प्रवृत्ति, मुद्रा, बैंकिंग, साख बिल का विनिमय, बीमा, अनुबंध, कंपनी साझेदारी, ज्वाएंट स्टॉक, एकाधिकार आदि इस पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की विशेषताओं ने नये-नये नगरों के उद्भव में अपना योगदान दिया।
47. वैश्वीकरण से क्या समझते हैं ?
48. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करता है।
49. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान (भूमिका) को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ 19वीं शताब्दी के मध्य से जब पूँजीवाद विश्वव्यापी व्यवस्था बन गया. भमंडलीकरण का स्वरूप भी व्यापक होता गया। इस समय पूँजी का निर्यात अंतर्राष्टीय आर्थिक संबंधों की एक मुख्य विशेषता बन गई और व्यापार का परिमाण भी काफी बढा। धीरे-धीरे यह संपूर्ण विश्व के अर्थतंत्र का नियामक हो गया। इसके प्रभाव को कायम करने में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व व्यापार संस्था तथा पूँजीवादी देशों की बड़ी-बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ जिन्हें हम बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं, का बहुत बड़ा योगदान था। मुक्त बाजार, मुक्त व्यापार, खुली प्रतिस्पर्धा बहुराष्ट्रीय निगमों (कंपनी) का प्रसार, उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आर्थिक भूमंडलीकरण के मुख्य तत्त्व हैं।
50. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों को स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ भूमंडलीकरण के प्रभाव से भारत भी अछूता नहीं रहा। भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठा। भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों में रोजगार के कई नवीन अवसर को उपलब्ध कराया गया जिसके कारण भारतीय लोगों के जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया। जैसे टर । एवं ट्रेबल एजेंसी (यातायात की सुविधा), रेस्टोरेंट रेस्ट हाउस, आवासीय होटल । इत्यादि। सूचना एवं संचार के क्षेत्र में भी क्रांति आई जिससे इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर पैदा हुए।
51. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ आर्थिक मंदी अर्थव्यवस्था में आनेवाली वैसी स्थिति है जब कृषि, उद्योग तथा व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए। लाखों लोग बेरोजगारी की स्थिात में आ जाते हैं बैंकों और कंपनियों का दिवालियापन तथा वस्तु और मुद्रा दाना का बाजार में कोई कीमत नहीं रह जाती है।
52. भारत में मुद्रण के आरंभिक इतिहास पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर ⇒ भारत में छपाई का इतिहास पुर्तगालियों के आगमन के साथ आरंभ होता है। 16वीं सदी के मध्य में गोवा में पुर्तगाली धर्म प्रचारकों, जेसुइटो ने पहली बार छापाखाना लगाया। उन लोगों ने स्थानीय लोगों से कोंकणी भाषा सीखकर उसमें अनेक पुस्तकें छापी। 16वीं शताब्दी से ही कैथोलिक पादरियों ने तमिल भाषा में पहली पुस्तक को चीन में प्रकाशित की। इसी समय से भारत में पुस्तकों की छपाई ने गति पकड़ी। 1674 तक कोंकणी और कन्नड़ में लगभग पचास पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका था। डच धर्म प्रचारकों ने भी पुस्तकों की छपाई में पीछे नहीं रहे। उन लोगों ने पुरानी पुस्तकों के अनुवाद सहित बत्तीस तमिल भाषा की किताबें छापी। इस प्रकार भारत में पुस्तकों का प्रकाशन यूरोपीय धर्म प्रचारकों द्वारा आरंभ किया गया।
53. तकनीकी विकास का मुद्रण पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर ⇒ जैसे-जैसे छपाई का प्रसार होता गया वैसे-वैसे छापाखाना में भी निरंतर सुधार किए गए ताकि कम श्रम, लागत और समय में अधिक-से-अधिक छपाई की जा सके। 18वीं सदी के अंतिम चरण तक धातु के बने छापाखाने काम करने लगे। 19वीं-20वीं सदी में छापाखाना में और अधिक तकनीकी सुधार किए गए। 19वीं शताब्दी में न्यूयॉर्क निवासी एम० ए० हो ने शक्ति चालित बेलनाकर प्रेस का इजाद किया। इसके द्वारा प्रतिघंटा आठ हजार ताव छापे जाने लगे। इससे मुद्रण में तेजी आई। इसी सदी के अंत तक ऑफसेट प्रेस भी व्यवहार में आया। इस छापाखाना द्वारा एक ही साथ छ: रंगों में छपाई की जा सकती थी। 20वीं सदी के आरंभ से बिजली संचालित प्रेस व्यवहार में आया। इसने छपाई को और गति प्रदान की।
54. गुटेनबर्ग ने मुद्रणयंत्र का विकास कैसे किया ?
उत्तर ⇒ यूरोप में छापाखाना के आविष्कार का श्रेय सर्वप्रथम जर्मनी के योहान गुटेनबर्ग को है जिसने 1448 ई० में छापाखाना का आविष्कार किया। जैतून पेरने की मशीन को आधार बनाकर उसने प्रिंटिंग प्रेस का विकास किया। इस छपाई मशीन में पेंच की सहायता से लंबा हैंडल लगाया गया था। पेंच को घुमाकर प्लाटेन को गीले कागज पर दबाया जाता था। साँचे का उपयोग कर अक्षरों की धातु की आकृतियों को ढाला गया। इन टाइपों को घुमाने या ‘मूव’ करने की व्यवस्था की गई थी।
55. सामाजिक विभाजन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ विविधता विकासशील समाजों की विशेषता है। एक देश या क्षेत्र में निवास करने वाले जाति, धर्म, सम्प्रदाय के लोगों के बीच, जो विभिन्नताएँ होती हैं, वे सामाजिक विभेद कहलाती है। परन्तु धन, रंग, क्षेत्र का विभेद सामाजिक विभाजन का रूप ल लता है। भारत में सवर्ण और दलित, गोरे-काले या गरीब-अमीर का विभेद सामाजिक विभेद है।
56. सांप्रदायिकता क्या है ?
उत्तर ⇒ जब समाज में एक धर्म के लोग दुसरे धर्म को छोटा एवं अपने धर्म को सर्वोच्च समझने लगते हैं तो समाज में धार्मिक आधार पर बिलगाव उत्पन्न होती है। इसी अवधारणा को सांप्रदायिकता कहते हैं। यह किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
57. साम्प्रदायिक सद्भाव को प्रोत्साहित करने के लिए आप क्या करेंगे ?
उत्तर ⇒ भारत में विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं। राजनीतिक व आर्थिक स्वार्थों की पूर्ति के कारण सांप्रदायिक सद्भाव के स्थान पर सांप्रदायिक संघर्ष का जन्म होता है। सांप्रदायिक सद्भाव के लिए शिक्षा व जागरूकता का विकास, विभिन्न धर्मों के लोगों में आपसी समझ का विकास तथा धर्म के राजनीतिक उपयोग पर रोक लगाना आवश्यक है।
58. संघीय व्यवस्था राष्ट्रीय एकता के संवर्द्धन में सहायक है। कैसे ?
उत्तर ⇒ भारत में संघीय शासन व्यवस्था की स्थापना की गई है। संविधान की रचना करते समय हमारे राष्ट्रीय नेता देश की एकता के प्रति चिंतित थे। हमारी ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थितियों ने हमें संघीय व्यवस्था अपनाने के लिए बाध्य किया। यदि आजादी के प्रारंभ से ही हमारी संघीय व्यवस्था की नींव कमजोर होती तो राष्ट्रीय एकता खतरे में पड़ जाती। उस समय देश-विभाजन के कारणा जातीयता, धार्मिक एवं साम्प्रदायिक उन्माद एवं क्षेत्रीय भावना चरम पर थी। स्वत: ऐसी विकट परिस्थितियों में मजबूत संघीय व्यवस्था की स्थापना कर ही साम्प्रदायिक सदभावना कायम रखा जा सकता था ताकि देश की एकता एवं अखंडता अक्षुण्ण रह सके। इसीलिए केंद्र को शक्तिशाली बनाया गया।
59. लैंगिक असमानता क्या है ?
उत्तर ⇒ लिंग के आधार पर पुरुषों और स्त्रियों में भेद करना, स्त्रियों को पुरुषों की तुलना में दोयम दर्जे का और हीन’ समझने की भावना लैंगिक असमानता है। लड़कियों को लड़कों की तुलना में कम महत्त्व दिया जाना, शिक्षा, खान-पान, पालन-पोषण में अंतर करना, लड़की को घर की चहारदीवारी में कैद रखना और घर के काम काज तक सीमित रखना, स्त्रियों पर पुरुषों का नियंत्रण आदि लैंगिक असमानता के उदाहरण है।
60. बंधुआ मजदूर किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ ऋण के बदले अपने श्रम को बंधक बनाने वाला श्रमिक बंधुआ मजदूर कहलाता है। उसकी मजदूरी कर्जदाता की इच्छा से निर्धारित होता है, ताकि कर्ज चुकाना असंभव हो। 1975 ई० में राष्ट्रपति के एक अध्यादेश के द्वारा बंधुआ मजदूर पर प्रतिबंध लगा दिया गया, लेकिन आज भी बिना रोक-टोक के जारी है।
61. सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ सत्ता में साझेदारी लोकतांत्रिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण आधार माना गया है। नागरिकों द्वारा सरकारी कामकाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लन की क्रिया को सत्ता में साझेदारी की संज्ञा दी जाती है। अर्थात राज्य के नागारका द्वारा सरकारी स्तर पर निर्णय लेने या निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया को प्रभावित करना सत्ता में साझेदारी है। यह तभी संभव है जब सत्ता में अधिक से अधिक लोगों का साझेदारी सुनिश्चित हो।
62. सत्ता के विकेंद्रीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ आधुनिक युग में राज्य के कार्यों में अत्यधिक वृद्धि हो गई है। राज्य का स्वरूप कल्याणकारी और समाजवादी हो गया है। स्वाभाविक है कि एक स्थान पर सत्ता के केंद्रीकत होने पर विकास का कार्य नहीं हो सकता और लोगों के जीवन को सुखमय नहीं बनाया जा सकता। इसी कारण सत्ता को कई स्तरों पर बाट दिया जाता है। इसे ही सत्ता का विकेंद्रीकरण कहा जाता है।
63. राजनीति दल लोकतंत्र में क्यों आवश्यक है ?
उत्तर ⇒ राजनीतिक दल लोकतंत्र के लिए निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है :-
(i) लोकतंत्र में सरकार का निर्माण बहुमत से होता है।
(ii) राजनीतिक दल जनमत के निर्माण में सहायक हैं तथा जनता में जागरूकता बढ़ाने में सहायक है।
(iii) राजनीतिक दल जनता व सरकार के बीच कड़ी का कार्य करते हैं।
(iv) विरोधी दल के रूप में ये सरकार की मनमानी पर रोक लगाती है।
64. राष्ट्रीय राजनीतिक दल क्या हैं ?
उत्तर ⇒ वैसे राजनीतिक दल जो लोकसभा या विधानसभा के चुनावों में चार या उससे अधिक राज्यों में कुल वैध मतों का कम से कम 6 (छह) प्रतिशत प्राप्त करते हैं। साथ ही साथ वे लोकसभा में कम से कम 2 प्रतिशत या 11 सीटें हासिल करते हैं। उन्हें भारत के चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता दी जाती है।
65. राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के दो सुझाव दें।
उत्तर ⇒ राजनीतिक दलों को प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय हैं :-
(i) दल-बदल को रोकना :- विधायकों और सांसदों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान में संशोधन किया गया। ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधियों के पैसे के लोभ व सत्ता में रहने के लिए किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले विधायक या सांसद को अपनी सीट भी गंवानी पड़ेगी। इस कानून से दल-बदल में कमी आई है। पार्टी का नेता जो भी फैसला करता है, विधायक या सांसद को उसे मानना ही होता है।
(ii) शपथ-पत्र :- चुनाव आयोग ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए एक आदेश जारी किया है। इस आदेश के द्वारा चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी संपत्ति का और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का व्योरा एक शपथ-पत्र के माध्यम से देना अनिवार्य कर दिया है। इस व्यवस्था से लोगों को अपने उम्मीदवार के बारे में बहुत-सी पक्की सूचनाएँ उपलब्ध होने लगी है लेकिन जाँच करने की कोई व्यवस्था नहीं है।
66. राजनीतिक दलों के गठबंधन से आप क्या समझते हैं ? क्या गठबंधन समय की माँग है?
उत्तर ⇒ जब चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल के बहुमत में आने की संभावना नहीं दिखाई देती है तो दो या दो से अधिक विभिन्न सिद्धांतों में विश्वास रखनेवाले राजनीतिक दल गठबंधन बनाकर चनाव लडने का निर्णय लेते हैं, तो उस राजनीतिक दला का गठबंधन कहा जाता है। उदाहरण के लिए नवम्बर 2015 में बिहार विधान सभा के चनाव में जनता दल (य) और राष्टीय जनता दल का गठबधन चुनाव म हआ। कभी-कभी चनाव में किसी एक दल के बहुमत नहीं आने पर सरकार के गठन के उद्देश्य से कुछ राजनीतिक दल आपसी गठबंधन करके सरकार चलाने का निर्णय लेते हैं। इसे गठबंधन की राजनीति कहते हैं। भारत में गठबंधन की राजनीति अब समय की माँग बन गई है। अब केंद्र में तथा कुछ राज्यों में कोई राजनीतिक दल अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है। 1989 के बाद से ही भारतीय राजनीति में एक राजनीतिक दल के वर्चस्व का दौर समाप्त हो गया है। उदाहरण के लिए 1991 में पी० वी० नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार कुछ सांसदों के खरीद-फरोख्त से बनी। इसी प्रकार राज्यों में भी सरकार बनने लगी। अत: हम कह सकते हैं कि राजनीतिक दलों की गठबंधन को सरकार आज के समय की माँग है।
67. लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा तथा जनता के लिए शासन है। कैसे ? या लोकतंत्र से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ लोकतंत्र शासन का वह रूप है जिसके शासन की संपूर्ण शक्ति जनता में निहित रहती है। दूसरे शब्दों में लोकतंत्र उस शासन व्यवस्था को कहते हैं जहाँ जनता शासन कार्य में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेती है। शासन जनता की इच्छाओं तथा आकांक्षाओं के अनुरूप संचालित होता है। अत: लोकतंत्र जनता द्वारा संचालित, जनता का एवं जनता के लिए शासन है।
68. लोकतंत्र समानता और स्वतंत्रता पर आधृत शासन है। कैसे ?
उत्तर ⇒ समानता और स्वतंत्रता, लोकतंत्र के दो आधार हैं। समानता का सिद्धांत जाति, धर्म, वंश, लिंग, भाषा क्षेत्र जैसे किसी भी आधार पर व्यक्ति के विभेद को , अस्वीकार करता है। इसकी जगह कानून के समक्ष समानता, समान अवसर, समान संरक्षा की स्थापना करता है। स्वतंत्रता के अन्तर्गत सभी व्यक्तियों को समान स्वतंत्रता प्रदान की जाती है जिसमें भाषण एवं अभिव्यक्ति, संघ-संगठन बनाने, पेशा, व्यवसाय चुनने, मताधिकार आदि शामिल हैं।
69. बिहार में लोकतंत्र की चुनौतियाँ कौन-सी हैं ?
उत्तर ⇒ हमारे प्रान्त में लोकतंत्र के समक्ष अनेक चुनौतियाँ हैं। इनमें सबसे अधिक अशिक्षा, जातिवाद तथा निर्धनता है। इन सबकी वजह से बिहार में जागृति नहीं आ पा रही है और लोकतंत्र का विस्तार रुक गया है।
70. गठबंधन की सरकार से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर ⇒ जब किसी चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त । नहीं होता, तब वह कई क्षेत्रीय या राष्ट्रीय दलों के साथ समझौता के तहत बहुमत प्राप्त करता है। इस प्रकार बनी सरकारें गठबंधन सरकार कहलाती हैं।
71. क्षेत्रवाद क्या है ?
उत्तर ⇒ यह पक्षपात से उत्पन्न ऐसी सोच है, जो किसी क्षेत्र विशेष की जनता में यह भावना उत्पन्न करती है कि उसका क्षेत्र ही सर्वश्रेष्ठ है और बाकी सब साधारण। इसके कारण सामाजिक विषमताएँ पैदा हो जाती हैं जो किसी भी लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।
72. नारी सशक्तिकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ नारी सशक्तिकरण का तात्पर्य यह है कि महिलाओं को उनको प्रभावित करने वाले आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व पारिवारिक मामलों में नीति निर्माण प्रक्रिया में भागीदारी प्रदान की जाय। वर्तमान युग में नारी सशक्तिकरण की धारणा को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन प्राप्त हो रहा है। भारत सरकार ने वर्ष 2000 में नारी सशक्तिकरण की नई नीति की घोषणा की है। पंचायतों व नगरपालिकाओं में महिला आरक्षण नारी सशक्तिकरण का उदाहरण है।
73. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है ?
उत्तर ⇒ मिश्रित अर्थव्यवस्था पूँजीवाद एवं समाजवाद इन दोनों अर्थव्यवस्था के बीच का मार्ग है। इस प्रकार की अर्थव्यवस्था निजी उद्यम तथा सरकार दोनों के द्वारा संचालित होती है। इसके अंतर्गत अर्थव्यवस्था के कुछ महत्त्वपूर्ण क्षेत्र सरकार के अधीन होते हैं तथा शेष निजी उद्यम के हाथ में क्षेत्र दिए जाते हैं। इस व्यवस्था को हम पूँजीवाद एवं समाजवाद के बीच का स्वर्णिम मार्ग कह सकते हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था मिश्रित अर्थव्यवस्था का उदाहरण है।
74. समाजवादी अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ समाजवादी अर्थव्यवस्था एक नई आर्थिक व्यवस्था है। इसके अंतर्गत उत्पादन के सभी साधन राज्य अथवा सरकार के अधीन होते हैं तथा उनपर राज्य का स्वामित्व और नियंत्रण होता है। इस व्यवस्था में अधिकतम सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से वस्तओं और सेवाओं का उत्पादन एवं वितरण किया जाता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में उत्पादन का उद्देश्य लाभ अर्जित करना नहीं, वरन लोककल्याण होता है। इसमें समाज के प्रत्येक सदस्य की आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास किया जाता है।
75. आधारभूत संरचना किसे कहते हैं?
उत्तर ⇒ आधारिक संरचना का अर्थ उन सुविधाओं तथा सेवाओं से है जो देश के आर्थिक विकास के लिए सहायक होते हैं। इसके अन्तर्गत बिजली, परिवहन, संचार, बैंकिंग स्कल. कॉलेज, अस्पताल इत्यादि आते हैं।
76. आर्थिक आधारभूत संरचना का क्या महत्त्व है?
उत्तर ⇒ आधारभुत संरचना पर ही अर्थव्यवस्था की अधिरचना खडी होती है। यह अर्थव्यवस्था की नींव है। बिजली. सडक. पानी. परिवहन एवं दरसंचार की सुविधा के बिना आधुनिक समय में उत्पादन बढ़ाने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। जीवन-स्तर उठाने में प्रत्यक्ष रूप से सहायक है।
77. आय से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ जब कोई व्यक्ति शारीरिक अथवा मानसिक कार्य करता है और उस कार्य के बदले उसे पारिश्रमिक प्राप्त होती है तो उसे आय कहते हैं।
78. प्रति-व्यक्ति आय क्या है ?
उत्तर ⇒ जब किसी देश की कुल आय में कुल जनसंख्या से भाग देने पर जो परिणाम आता है उसे प्रतिव्यक्ति आय कहते हैं। इसे औसत आय भी कहा जाता है।
79. राष्ट्रीय आय किसे कहते हैं?
उत्तर ⇒ वर्ष भर में किसी देश में अर्जित आय की कुल मात्रा को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। इसमें देश में उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य शामिल किया जाता है।
80. प्लास्टिक मुद्रा क्या है ?
उत्तर ⇒ यह मद्रा का आधनिकतम रूप है जिसके माध्यम से महानगरों में खरीददारी की जाती है अथवा ए० टी ० एम० से पैसे की निकासी की जाती इसका सबसे बड़ा लाभ है कि ढेर सारी कागजी मुद्रा ढोने की जरूरत नहीं पड़ती। जरूरत के हिसाब से इसका प्रयोग कर भुगतान किया जा सकता है एवं वस्तुओ एवं वस्तुओ का क्रय किया जा सकता है। छोटे शहरों में भी इसका प्रचलन तेजी से बढ़ा हैं ए०टी०एम० कार्ड, क्रेडिट कार्ड आदि इसी के उदाहरण हैं।
81. वस्तु मुद्रा क्या है ?
उत्तर ⇒ प्राचीनकाल में जब आधुनिक मुद्रा अर्थात् कागजी मुद्रा, धातु के मुद्रा के आगमन नहीं हुआ था तब पशुओं, खाद्यान्न इत्यादि को विनिमय का माध्यम बनाया जाता था जिसे वस्तु मुद्रा कहा जाता था।
82. धात्विक मुद्रा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ वे मद्राएँ जिनके निर्माण के लिए विभिन्न प्रकार के धातुओं का प्रयोग किया जाता है धात्विक मुद्रा कहलाती है। प्राचीन काल में सोने एवं चाँदी से बनी धात्विक मद्रा का प्रचलन सबसे अधिक था।
83. सहकारिता से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ सामान्य अर्थों में सहकारिता का अर्थ है – एक साथ मिल – जुल कर कार्य करना। लेकिन अर्थशास्त्र में सहकारिता की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है —“ सहकारिता वह संगठन है जिनके द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्ति स्वेच्छापूर्वक मिल-जुलकर समान स्तर पर आर्थिक-हितों की वृद्धि करते हैं। इस प्रकार सहकारिता उस आर्थिक व्यवस्था को कहते हैं जिसमें मनुष्य किसी आर्थिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए मिल-जुलकर कार्य करते हैं।
84. NABARD (नाबार्ड) के विस्तारित रूप लिखें ?
उत्तर ⇒ नाबार्ड (National Bank for Agricultural and Rural Development)-कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक।
85. ‘रोजगार और सेवा’ में क्या संबंध है ?
उत्तर ⇒ रोजगार एवं सेवाओं से अभिप्राय उन बातों से है जिनसे कोई व्यक्ति अपने परिश्रम एवं शिक्षा के आधार पर जीविकोपार्जन के लिए धन एकत्र करता है। एकत्रित धन को जब पूँजी के रूप में व्यवहार करता है और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश करता है तो सेवा क्षेत्र उत्पन्न होता है। अतः रोजगार एवं सेवाएँ एक दूसरे के पूरक हैं अर्थात् रोजगार वृद्धि से सेवा क्षेत्र का भी विस्तार होता है।
86. गैर-सरकारी सेवा किसे कहते हैं ?
उत्तर ⇒ वे समस्त सेवाएँ जिनका संचालन निजी संगठन या कंपनियों के माध्यम से होता है, गैर-सरकारी सेवाएँ कहलाती हैं। उदाहरण—निजी बैंक, दूरसंचार सेवा, यातायात, पर्यटन इत्यादि सेवाएँ।
87. नागरिक सेवाएँ क्या हैं ?
उत्तर ⇒ सामाजिक चेतना, सफाई, सामाजिक मान्यता का सम्मान नागरिक सेवाओं के अन्तर्गत आता है।
88. सरकारी सेवा क्षेत्र का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर ⇒ सेवा का वह क्षेत्र में जिसमें सरकार के द्वारा नियुक्त पदाधिकारी अथवा सरकारी संस्थाएँ कार्य करती हैं; सरकारी सेवा क्षेत्र कहलाती है। उदाहरण—सेना, रेलवे, डाकघर इत्यादि।
89. वैशवीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ वैशवीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं का एकीकरण होता है। इसके परिणामस्वरूप वस्तुओं एवं सेवाओं, पौद्योगिकी, पूँजी और श्रम का निर्बाध प्रवाह संभव हो पाता है। इसके अंतर्गत बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ विदेशों में पूँजी निवेश करके वस्तुओं का उत्पादन शुरू करती हैं तथा विभिन्न प्रकार की सेवाएँ उपलब्ध कराती हैं।
90. न्याय संगत वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ न्याय संगत वैश्वीकरण का अर्थ है, बिना भेदभाव किए विश्व की सभी अर्थव्यवस्था को समान रूप से बढ़ने का अवसर। इसमें सिर्फ विकसित अर्थव्यवस्था के नीतियों को समर्थन न करके विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को भी विकास का समान अवसर प्रदान करना।
91. निजीकरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ निजीकरण का अर्थ है, निजी क्षेत्र द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों पर पूर्णतः अथवा आंशिक स्वामित्व प्राप्त करना तथा उनका प्रबंधन करना। आर्थिक सुधारों के अंतर्गत भारत सरकार ने सन् 1991 में इस नीति की शुरुआत की थी।
92. उदारीकरण को परिभाषित करें ?
उत्तर ⇒ उदारीकरण का अर्थ है सरकार द्वारा बनाई गई आर्थिक नीतियों में विशेष छुट प्रदान करना। इसके अंतर्गत सभी अनावश्यक नियंत्रणों एवं प्रतिबंधों जैसे परमिट, कोटा लाइसेंस आदि से अर्थव्यवस्था की मुक्ति।
93. उपभोक्ता कौन है, संक्षेप में बताएँ ?
उत्तर ⇒ उपभोक्ता बाजार का वह एक महत्त्वपूर्ण अंग होता है जो बाजार में उपलब्ध वस्तओं का अपने हित में उपयोग करता है। यह किसी भी अथव्यवस्था के संचालन में सहायक अंग होता है अर्थात अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने में यह सहायता प्रदान करता है।
94. उपभोक्ता जागरण से आप क्या समझते है ?
उत्तर ⇒ उपभोक्ताओं का वस्तुओं के मूल्य-निर्माण गणवत्ता, उपभोक्ता कानून एवं उपभोक्ता अधिकारों की जानकारी प्रदान करना। विभिन्न संचार माध्यमों से उनको जागरूक करना। ये समस्त क्रियाएँ उपभोक्ता जागरण कहलाती हैं।
95. उपभोक्ता के अधिकार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ उपभोक्ता का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकार होता है कि वह अपने अधिकार एवं कर्तव्य को पहचाने साथ ही उपयोग की जाने वाली वस्तुओं से होने वाली हानियों की जानकारी प्राप्त करें।
96. उपभोक्ताओं के चयन के अधिकार का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर ⇒ उपभोक्ताओं का उपभोक्ता संरक्षण कानून के अंतर्गत यह अधिकार प्राप्त है कि वह विभिन्न प्रकार के निर्माताओं, व्यवसायियों द्वारा निर्मित ब्रांड, किस्म, गुण, रूप, रंग तथा मुल्य की वस्तुओं में कोई भी वस्तु या सेवा के उपयोग अथवा क्रय के लिए स्वतंत्र है। मोबाइल कंपनी की सेवा को मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटि (एम०एन०पी०) द्वारा बदला जाना इसी अधिकार का एक उदाहरण है।
97. जागरूक उपभोक्ता किसे कहते है ?
उत्तर ⇒ वह व्यक्ति जो वस्तु और सेवाओं के लिए पैसा खर्च करने से पूर्व पूरी तरह से जानकारी प्राप्त कर नियमानुकूल कार्य करता है, सही रसीद की प्राप्ति करता है।
98. आपदा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर ⇒ कुछ दुर्घटनाएँ ऐसी होती है जो बिना बुलाए अकस्मात आ धमकती है और अल्प समय में ही जन धन की अपार क्षति पहुँचा देती है। ये हमें संकट की स्थिति में ला देती है। संकट की स्थिति उत्पन्न करनेवाली ऐसी कोई भयावह घटना ‘आपदा’ कहलाती है। दूसरे शब्दों में, हमारे सामाजिक आर्थिक जीवन को भारी खतर में डालनेवाली अकस्मात घटना आपदा (disaster) है।
99. आपदा प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है ?
उत्तर ⇒ आपदा प्रबंधन की आवश्यकता आपदा के पूर्व एवं पश्चात होने वाली क्षति को कम करने या बचने से है। प्राकृतिक आपदा या मानव निर्मित आपदा इत्यादि के घटित होने से अधिक मात्रा में जैविक एवं अजैविक संसाधनों का नुकसान होता है। इसी संदर्भ में लोगों को विशेष प्रशिक्षण देकर उसके प्रभाव को कम करना आपदा प्रबंधन कहलाता है।
100. आपदा प्रबंधन में सरकार की क्या भूमिका है ? स्पष्ट करें।
उत्तर ⇒ आपदा प्रबंधन में सरकार की अहम भूमिका है। सरकार को संबंधित । या क्षेत्र-विशेष में आनेवाली आपदा की पूर्व आशंका का ज्ञान होता है। अतः, आपदा आने के पूर्व एवं आपदा आने के पश्चात, दोनों ही स्थितियों के लिए सरकार द्वारा नीतिपरक एवं प्रशासनिक तैयारियाँ करना आवश्यक हो जाता है। इसके अन्तर्गत वैकल्पिक संचार-व्यवस्था, राहत कैंप की व्यवस्था, आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति एवं अन्य कार्यों को करना शामिल हैं।