Bihar Board Inter History Exam 2025 : कक्षा 12 इतिहास VVI महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ

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Bihar Board Inter History Viral Question 2025: बिहार बोर्ड 12वीं इतिहास परीक्षा 2025 (BSEB Inter Viral Question 2025) के लिए सबसे महत्वपूर्ण और वायरल प्रश्न यहां दिए गए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सभी प्रमुख ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न प्रदान कर रहे हैं, जो आगामी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
इन प्रश्नों को अच्छे से तैयार करके आप अपनी परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं। सभी छात्रों से अनुरोध है कि इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगामी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को और बेहतर बनाएं।
Bihar Board Class 12th History Most Important Question 2025
आप नीचे दिए गए इतिहास के Most VVI Question (BSEB Inter Important Question 2025) के महत्वपूर्ण प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है, जिससे इतिहास के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।
Bihar Board Class 12th History Most Important Objective Question 2025
1. हड़प्पा सभ्यता की मुहरें किस चीज की बनी हैं।
[ A ] लोहे
[ B ] ताँबे
[ C ] कांसे
[ D ] सेलखड़ी
Answer ⇒ (D)
2. बनावली किस राज्य में स्थित है ?
[ A ] हरियाणा
[ B ] पंजाब
[ C ] गुजरात
[ D ] महाराष्ट्र
Answer ⇒ (A)
3. लोथल किस नदी के किनारे स्थित है?
[ A ] सिन्धु
[ B ] व्यास
[ C ] भोगवा
[ D ] रावी
Answer ⇒ (C)
4. सिन्धु घाटी के निवासियों को किस धातु का ज्ञान नहीं था ?
[ A ] सोना
[ B ] चाँदी
[ C ] लोहा
[ D ] ताँबा
Answer ⇒ (B)
5. हड़प्पा सभ्यता किस युग की सभ्यता है ?
[ A ] पूर्व पाषाण युग
[ B ] नव पाषाण युग
[ C ] काँस्य युग
[ D ] लौह-युग
Answer ⇒ (C)
6. ‘धम्म’ की शुरुआत किसने की थी ?
[ A ] चन्द्रगुप्त मौर्य
[ B ] चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य
[ C ] अशोक
[ D ] कनिष्क
Answer ⇒ (C)
7. समुद्रगुप्त की तुलना किंस यूरोपीय शासक से की जाती है ?
[ A ] हिटलर
[ B ] नेपोलियन
[ C ] बिस्मार्क
[ D ] मुसोलिनी
Answer ⇒ (B)
8. मौर्यवंश का संस्थापक कौन था ?
[ A ] चन्द्रगुप्त
[ B ] बिन्दुसार
[ C ] अशोक
[ D ] कुणाल
Answer ⇒ (A)
9. मनुस्मृति में कितने प्रकार के विवाह का उल्लेख किया गया है ?
[ A ] चार
[ B ] छ:
[ C ] आठ
[ D ] नौ
Answer ⇒ (C)
10. महाभारत किसने लिखा ?
[ A ] वाल्मीकि
[ B ] मनु
[ C ] कौटिल्य
[ D ] वेदव्यास
Answer ⇒ (D)
11. महाभारत और पुराण में मथुरा के शासक वंश को कहा गया है –
[ A ] पुरु
[ B ] तुर्वस
[ C ] यदु
[ D ] सभी
Answer ⇒ (C)
12. प्राचीन भारत के महाकाव्य का नाम है –
[ A ] महाभारत
[ B ] ऋग्वेद
[ C ] मनुस्मृति
[ D ] इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (A)
13. गौतम बुद्ध ने बौद्ध संघ की स्थापना कहाँ की थी ?
[ A ] बनारस में
[ B ] सारनाथ में
[ C ] राजगृह में
[ D ] चंपा में
Answer ⇒ (B)
14, बौद्ध धर्म के भारत में पतन का कारण क्या नहीं है ?
[ A ] ब्राह्मणवाद में सुधार
[ B ] बौद्ध विहारों की संपत्ति
[ C ] बुद्धिजीवियों की भाषा संस्कृत का प्रयोग
[ D ] राजसी संरक्षण की कमी
Answer ⇒ (D)
15. गौतम बुद्ध किस कुलं से संबंधित थे ?
[ A ] शाक्य कुल
[ B ] ज्ञात्रिक कुल
[ C ] कोलिय कुल
[ D ] मौरिया कुल
Answer ⇒ (A)
16. निम्न में से प्राचीनतम वेद कौन है ?
[ A ] सामवेद
[ B ] ऋग्वेद
[ C ] अर्थववेद
[ D ] यजुर्वेद
Answer ⇒ (B)
17. साम्राज्यवादी इतिहासकार है।
[ A ] अब्दुल कादिर बदायूँनी
[ B ] डब्ल्यु० एच० मोरलैण्ड
[ C ] आर०पी० त्रिपाठी
[ D ] आर० एस० शर्मा
Answer ⇒ (B)
18. भारत में तम्बाकू का पौधा लगाया था।
[ A ] अंग्रेजों द्वारा
[ B ] हूणों द्वारा
[ C ] पुर्तगालियों द्वारा
[ D ] अरबों द्वारा
Answer ⇒ (C)
19. सन् 1600 ई० से 1700 ई० के बीच भारत की आबादी लगभग बढ़ी थी।
[ A ] 6 करोड़
[ B ] 7 करोड़
[ C ] 5 करोड़
[ D ] 10 करोड़
Answer ⇒ (C)
20. तम्बाकू का सेवन सर्वप्रथम किस मुगल सम्राट ने किया ?
[ A ] अकबर
[ B ] जहाँगीर
[ C ] शाहजहाँ
[ D ] औरंगजेब
Answer ⇒ (A)
21. अकबर का संरक्षक कौन था ?
[ A ] बैरम खाँ
[ B ] अब्दुल रहीम
[ C ] मुनीम खाँ
[ D ] फैजी
Answer ⇒ (A)
22. हल्दी घाटी का युद्ध किस वर्ष हुआ था ?
[ A ] 1562 ई० में
[ B ] 1567 ई० में
[ C ] 1576 ई० में
[ D ] 1579 ई० में
Answer ⇒ (C)
23. लोदी वंश का अंतिम शासक कौन था ?
[ A ] बहलोल लोदी
[ B ] सिकंदर लोदी
[ C ] इब्राहिम लोदी
[ D ] काफूर
Answer ⇒ (C)
24. विजयनगर का महानतम शासक कौन था ?
[ A ] देवराय
[ B ] कृष्णदेव राय
[ C ] अच्युत राय
[ D ] सदाशिव राय
Answer ⇒ (B)
25. हम्पी नगर किस साम्राज्य से संबंधित है ?
[ A ] मौर्य साम्राज्य
[ B ] गुप्त साम्राज्य
[ C ] बहमनी साम्राज्य
[ D ] विजयनगर साम्राज्य
Answer ⇒ (D)
26. सल्तनत कालीन प्रथम मस्जिद कौन-सी बनी ?
[ A ] कुव्बत ऊल इस्लाम
[ B ] ढाई दिन का झोपड़ा
[ C ] वदायूँ का जामा मस्जिद
[ D ] मोठ मस्जिद
Answer ⇒ (A)
27. खानकाह क्या है ?
[ A ] सूफी संतों पर घर
[ B ] मुसलमानों का प्राथमिक विद्यालय
[ C ] वैष्णवों का केंद्र
[ D ] शिल्पकारों का कार्यस्थल
Answer ⇒ (A)
28. औरंगजेब का संबंध किस सूफी सिलसिले से था ?
[ A ] चिश्ती
[ B ] सुहरावर्दी
[ C ] कादिरी
[ D ] नक्शबन्द
Answer ⇒ (D)
29. भारत में सती प्रथा का आँखों-देखा हाल किसने प्रस्तुत किया है?
[ A ] इब्नबतूता
[ B ] मार्कोपोलो
[ C ] अलबरूनी
[ D ] टैवर्नियर
Answer ⇒ (A)
30. इब्नबतूता किस सुल्तान के शासनकाल में भारत आया ?
[ A ] मुहम्मद-बिन-तुगलक
[ B ] बलवन
[ C ] रजिया सुल्तान
[ D ] सिकन्दर लोदी
Answer ⇒ (A)
31. अंग्रेजों को 1662 ई० में पुर्तगालियों ने बंबई क्यों दे दिया ?
[ A ] दहेज में
[ B ] कर में
[ C ] व्यापार में
[ D ] इनमें से काई नहीं
Answer ⇒ (A)
32. बंगाल का प्रथम गवर्नर जनरल कौन था ?
[ A ] वारेन हेस्टिंग्स
[ B ] लार्ड क्लाईव
[ C ] वेलेजली
[ D ] बेंटिक
Answer ⇒ (A)
33. कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कब की गई ?
[ A ] 1785
[ B ] 1773
[ C ] 1771
[ D ] 1757
Answer ⇒ (B)
34. स्थायी बन्दोबस्त का जनक था।
[ A ] मार्टिन वर्ड
[ B ] मुनरो
[ C ] कार्नवालिस
[ D ] जानशोर
Answer ⇒ (B)
35. स्थायी बन्दोबस्त कहाँ लागू किया गया ?
[ A ] बम्बई
[ B ] पंजाब
[ C ] बंगाल
[ D ] इनमें कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
36. 1857 के विद्रोह का पहला सिपाही किसे कहा जाता है ?
[ A ] कुंवर सिंह
[ B ] लक्ष्मीबाई
[ C ] मंगल पांडे
[ D ] नाना साहेब
Answer ⇒ (C)
37. कानपुर में विद्रोही का नेता कौन थे ?
[ A ] खान बहादुर खान
[ B ] हजरत महल
[ C ] नाना साहेब
[ D ] कुँवर सिंह
Answer ⇒ (C)
38. रानी लक्ष्मीबाई के चिता के पास किसने कहा था कि “यहाँ सोई हुई महिला विद्रोहियों में एकमात्र मर्द थी ।
[ A ] कैंपबेल
[ B ] ह्यूरोज
[ C ] हेवलॉक
[ D ] डलहौजी
Answer ⇒ (B)
39. ‘द ग्रेट रिवोल्ट’ नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं ?
[ A ] पट्टाभिसीतारमैया
[ B ] अशोक मेहता
[ C ] जेम्स आउट्रम
[ D ] राबर्ट्स
Answer ⇒ (C)
40. भारत में आने वाला प्रथम पुर्तगाली कौन था ?
[ A ] कोलम्बस
[ B ] रियो-डी
[ C ] वास्को-डी-गामा
[ D ] इनमें से कोई नहीं
Answer ⇒ (C)
41. बंगाल के विभाजन की घोषणा किस वर्ष हुई ?
[ A ] 1904 ई०
[ B ] 1911 ई०
[ C ] 1906 ई०
[ D ] 1905 ई०
Answer ⇒ (D)
42. भारत में बालिकाओं की शिक्षा की अधिकारिक अनुमति किसने दी ?
[ A ] डलहौजी
[ B ] विलियम बेंटिक
[ C ] हार्डिग प्रथम
[ D ] एलनबरो
Answer ⇒ (A)
43. वास्कोडिगामा कब भारत पहुँचा था ?
[ A ] 17 मई, 1498
[ B ] 17 मार्च, 1498
[ C ] 17 मई, 1598
[ D ] 17 मार्च, 1598
Answer ⇒ (A)
44. ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई ?
[ A ] 1600 A.D.
[ B ] 1605 A.D.
[ C ] 1610 A.D.
[ D ] 1615 A.D.
Answer ⇒ (A)
45. अखिल भारतीय काँग्रेस के प्रथम अध्यक्ष कौन थे ?
[ A ] दादा भाई नौरोजी
[ B ] एनी बेसेंट
[ C ] डब्ल्यू० सी० बनर्जी
[ D ] ए० ओ० ह्यूम
Answer ⇒ (C)
46. अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन कब किया था ?
[ A ] 1905
[ B ] 1910
[ C ] 1912
[ D ] 1915
Answer ⇒ (A)
47. प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ देने के कारण गाँधीजी को कौन सी उपाधि दी गई थी ?
[ A ] नाइट हुड
[ B ] सर
[ C ] नोबेल पुरस्कार
[ D ] केसर-ए-हिन्द
Answer ⇒ (D)
48. पाकिस्तान का प्रथम प्रधानमंत्री कौन था ?
[ A ] मुहम्मद अली जिन्ना
[ B ] लियाकत अली खाँ
[ C ] इकबाल अहमद
[ D ] मौलाना आजाद
Answer ⇒ (B)
49. ‘दिल्ली चलो’ का नारा किसने दिया ?
[ A ] महात्मा गाँधी
[ B ] लोकमान्य तिलक
[ C ] लाला लाजपत राय
[ D ] सुभाष चन्द्र बोस
Answer ⇒ (D)
50. संविधान सभा में भारत के राष्ट्रीय ध्वज का प्रस्ताव किसने पेश किया था ?
[ A ] बी० आर० अम्बेदकर
[ B ] जवाहर लाल नेहरू
[ C ] गोविन्द वल्लभपंत
[ D ] वल्लभभाई पटेल
Answer ⇒ (B)
लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
1. हडप्पा सभ्यता के प्रमुख देवताओं एवं धार्मिक प्रथाओं की विवेचना करें।
Answer ⇒ हडप्पावासी बहुदेववादी और प्रकृति पूजक थे। मातृदेवी इनकी प्रमुख देवी थी। मिट्टी की बनी अनेक स्त्री मूर्तियाँ, जो मातृदेवी की प्रतीक है, बड़ी संख्या में मिली हैं। देवताओं में प्रधान पशपति या आद्य-शिव थे। मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर योगीश्वर की मूर्ति को पशुपति महादेव माना गया है। सिन्धुवासी नाग कूबड़दार सांढ, लिंग योनि पीपल के वृक्ष की भी पूजा करते थे। जलपूजा, अग्निपूजा और बलि प्रथा भी प्रचलित थी। मन्दिरों और पुरोहितों का अस्तित्व नहीं था।
2. हड़प्पा सभ्यता के विस्तार पर प्रकाश डालें।
Answer ⇒ हडप्पा सभ्यता प्राचीन सभी सभ्यताओं में विशालतम थी। यह उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में नर्मदा घाटी तक पश्चिम में ब्लूचिस्तान मकरान तट से लेकर पूर्व में अलमगीरपुर (उत्तर प्रदेश) तक फैली हुई थी। कुल मिलाकर यह सभ्यता पूर्व से पश्चिम तक 1600 कि० मी. तथा उत्तर से दक्षिण लगभग 1200 कि. मी. तक विस्तृत थी।
3. मोहनजोदड़ो के सार्वजनिक स्नानागार के विषय में लिखिए।
Answer ⇒ मोहनजोदडो में बना सार्वजनिक स्नानागार अपना विशेष महत्त्व रखता है। यह सिन्ध घाटी के लोगों को कला का अद्वितीय नमूना है। ऐसा अनुमान है कि यह स्नानागार (तालाब) धार्मिक अवसरों पर आम जनता के नहाने के प्रयोग में लाया जाता था। यह तालाब इतना मजबूत बना हुआ है। इसकी दीवारें काफी चौड़ी बनी हुई हैं जो पक्की ईंटों और विशेष प्रकार के सीमेंट के है ताकि पानी अपने आप बाहर न निकल सके। तालाब (स्नानघर) में नीचे उतरने के लिए
मा बनी हुई हैं। पानी निकलने के लिए नालियों का भी प्रबंध है।
4. एकलव्य कौन था ?
Answer ⇒ एकलव्य एक वन में रहने वाला निषाद नामक जनजाति से संबंधित युवक था। महाभारत में उसका नाम द्रोणाचार्य से उसके संबंधों के कारण प्रसिद्धि प्राप्त कर सका। कहा जाता है कि एकलव्य को धनुष बाण चलाने की शिक्षा पाने का बड़ा चाव था। वह गुरु द्रोणाचार्य के पास गया लेकिन उन्होंने स्वयं को कुरुशाही परिवार के प्रति समर्पित बताकर उसे धनुष बाण चलाने की शिक्षा देने से मना कर दिया। एकलव्य दिल से द्रोणाचार्य को अपना गुरु मान चुका था। वह उनकी मृद प्रतिभा के समक्ष प्रतिदिन आदर करने के उपरांत रोजाना अभ्यास करने लगा। उसने एक दिन पांडव के एक कुत्ते के भोंकने को बंद करने के लिए ठीक उसके मुंह में उस जगह कई तीर मारे जहाँ वह स्वान बोल रहा था। उसके मुँह में लगे बाणों को देखकर अर्जन को आश्चर्य हआ । वह द्रोण को एकलव्य के पास ले गये। एकलव्य ने स्वयं को उन्हीं का शिष्य बताया और उनके कहने सहर्ष दाहिने हाथ का अंगठा दे दिया। द्रोणाचार्य को भी यह विश्वास नहीं था कि एकलव्य इतना अधिक गुरुभक्त हो चुका था कि वह अपनी धनुष बाण की प्राप्त कुशलता को दाहिने हाथ का अंगूठा देकर त्याग देगा। जो भी हो इस घटना के बाद एकलव्य उतनी कशलता से बाण नहीं छोड़ सका जिनता कि वह पहले छोड़ता था।
5. घटोत्कच कौन था ?
Answer ⇒ घटोत्कच दूसरे पांडव भीम और एक राक्षसी महिला हिंडिंबा की संतान थी। हिडिंबा एक मानव भक्षी राक्षस की बहन थी। वह भीम के प्रति आसक्त हो गई। उसने युधिष्ठिर से प्रार्थना का वह भी उस विवाह करना चाहती है और उसने वायदा किया कि वह स्वेच्छा से पांडवों को छोड़कर चली जायेगी। घटोत्कच की माँ बनने के बाद उसने पुत्र सहित अपने वायदे के अनुसार पांडवों को छोड़ दिया। घटोत्कच ने अपने पिता भीम तथा अन्य पांडवों को यह बताया कि वे जब कभी भी उसे बुलाएँगे वह उनके पास आ जायेगी।
6. दिगम्बर एवं श्वेताम्बर कौन थे ?
Answer ⇒ जैन धर्म दो सम्प्रदाय बन गए। एक दिगम्बर और दूसरा श्वेताम्बर। दिगम्बर वस्त्र नहीं धारण करते हैं जबकि श्वेताम्बर उजले वस्त्र धारण करते हैं। दिगम्बर जैन आचरण पालन में कठोर होते है, जबकि श्वेतताम्बर जैन उदार होते है। श्वेताम्बर 11 अंगों का प्रमुख धर्म मानते है और दिगम्बर अपने 24 पुराणों को दिगम्बर सम्प्रदाय यह मानता है कि स्त्री शरीर से कैवल्य ज्ञान संभव नहीं है और कैवल्य ज्ञान प्राप्त होने पर साधकों को भोजन की आवश्यकता नहीं पड़ती। किन्तु श्वेताम्बर सम्प्रदाय ऐसा नहीं मानते। श्वेताम्बर सम्प्रदाय के अनुसार महावीर का निर्वाण के 609 वर्ष बाद (ई० सन् 83) रथविलुर में भवभूति द्वारा बौद्धिक मत दिगम्बर की स्थापना हुई थी ।
7. अबुल फजल कौन था ? उस पर टिप्पणी लिखिए।
Answer ⇒ अबुल फजल – वह अकबरकालीन महान कवि, निबन्धकार, इतिहासकार, राजनीतिज्ञ सेनापति तथा आलोचक था। उसका जन्म 1557 ई. में आगरा के प्रसिद्ध सफी शेख मबारक के यहाँ हुआ था। उसने 1574 ई० में अकबर के दरबारियों के रूप में अपना जीवन शुरू किया। उसने कोषाध्यक्ष से लेकर प्रधानमंत्री तक के पद पर कार्य किया। यह भारतीय इतिहास में एक महान इतिहासकार के रूप में प्रसिद्ध है। उसने दो प्रसिद्ध ऐतिहासिक पस्तकों की रचनाएँ कीं। वे थीं ‘अकबरनामा’ तथा ‘आइने अकबरी’। ये दोनों ग्रंथ फारसी भाषा में लिखे गये और अकबर कालीन इतिहास जानने के मूल स्रोत हैं। अकबरनामा अकबर की जीवनी, विजयों, शासन प्रबन्ध के साथ-साथ तत्कालीन भारतीय राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक तथा आर्थिक परिस्थितियों को समझने में भी सहायक है। उसन पचतत्र’ का अनुवाद फारसी में किया और उसका नाम ‘अनघरे साहिली’ रखा। उसे अकबर क ना रत्नों में स्थान प्राप्त था। उसने अनेक सैनिक अभियानों का नेतत्व भी किया। वह पर्याप्त समय तक अकबर का प्रधानमंत्री और परामर्शदाता रहा। उसके विचार सूफी सन्तों से मिलते थे। धार्मिक दृष्टि से उसका दृष्टिकोण बहुत उदार था। कहा जाता है कि उसी ने अकबर को दीन-ए-इलाही नामक धर्म चलाने की प्रेरणा दी थी। इबादतखाने में वह सूफी मत के लोगों का प्रतिनिधित्व किया करता था। अकबर के नौ रत्नों में दीन-ए-इलाही को अपनाने वाला वह पहला व्यक्ति था। उसे सलीम ने ओरछा नरेश वीरसिंह बुन्देला के साथ सांठ-गांठ करके मरवा डाला था। कहते हैं अबुल फजल की मृत्यु के शोक में अकबर ने तीन दिनों तक दूरबार नहीं गया। अकबर ने भावुक होकर कहा था कि “अगर सलीम राज्य चाहता था तो वह मेरी हत्या करवा देता लेकिन अबुल फजल को छोड़ देता।” जब तक भारतीय इतिहास में अकबर का नाम रहेगा तब तक अबुल फज़ल को अवश्य याद किया जायेगा।
8. 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था ?
Answer ⇒ 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण कारतूसों में लगी सूअर और गाय की चर्बी थी। नयी स्वफील्ड बंदूकों में गोली भरने से पूर्व कारतूस को दाँत से छीलना पड़ता था। हिन्दू और मुसलमान दोनों ही गाय और सूअर की चर्बी को अपने-अपने धर्म के विरुद्ध समझते थे। अतः उनका भड़कना स्वाभाविक था। 26 फरवरी, 1857 ई. को बहरामपुर में 19वीं नेटिव एनफैण्ट्री ने नये कारतूस प्रयोग करने से मना कर दिया। 19 मार्च, 1857 ई. को चौंतीसवीं नेटिव एनफैण्ट्री के सिपाही मंगल पाण्डेय ने दो अंग्रेज अधिकारियों को मार डाला। बाद में उसे पकड़कर फाँसी दे दी गई। सिपाहियों का निर्णायक विद्रोह 10 मई, 1857 को मेरठ में शुरू हुआ।
9. प्लासी का युद्ध (1757) किसके बीच हुआ था ?
Answer ⇒ प्लासी की लड़ाई 23 जून, 1757 ई०को बंगाल का नबाब सिराजुद्दौला तथा अंग्रेजों के बीच प्लासी के मैदान में हुआ था। यह सही रूप में लडाई नहीं थी बल्कि अंग्रेजी सेनापति क्लाइव को कूटनीतिक चाल थी। इसने नबाब के सेनापति मीरजाफर को अपनी ओर मिलाकर लडाई का ढोंग रचा था। सेनापति मीरजाफर के विश्वासघात के कारण नबाब की हार हो गई और नबाब सिराजुद्दौला की हत्या कर दी गई। इस तरह क्लाइव का षड़यंत्र सफल रहा। वहीं से भारत में अंग्रेजी शासन की नींव पड़ गई।
10. बर्नियर भारतीय नगरों को किस रूप में देखता है ?
Answer ⇒ बर्नियर के अनुसार मुगल काल में अनेक बड़े और समृद्ध नगर थे। आबादी का 15 प्रतिशत भाग नगरों में रहता था। यूरोपीय शहरों की तुलना में मुगलकालीन नगरों की आबादी अधिक घनी थी। दिल्ली और आगरा नगर राजधानी नगर के रूप में विख्यात थे। नगरों में भव्य रिहायसी इमारतें, अमीरों के मकान और बड़े बाजार थे। नगर दस्तकारी उत्पादों के केन्द्र थे। नगर में राजकीय कारखाना थे, जहाँ विभिन्न प्रकार के सामान बनाए जाते थे। नगर में कलाकार, चिकित्सक, अध्यापक, वकील, वास्तुकार, संगीतकार, सुलेखक रहते थे। जिन्हें राजकीय और अमीरों का संरक्षण प्राप्त था। नगरों का एक प्रभावशाली वर्ग व्यापारी वर्ग था। पश्चिमी भारत में बड़े व्यापारी महाजन कहलाते थे। इनका प्रधान सेठ कहलाता था। वर्नियर नगरों की उत्पादन एवं व्यापार में भूमिका को स्वीकार करते हए भी इनके वास्तविक स्वरूप को स्वीकार नहीं करता है। वह मुगलकालीन नगरों को ‘शिविन नगर’ कहता है जो सत्य से परे है।
11. भक्ति आन्दोलन से आप क्या समझते हैं ? इस आन्दोलन का क्षेत्र एवं इससे जुड़े प्रमुख सन्तों के नाम बताइए।
Answer ⇒ (i) भक्ति आन्दोलन का अर्थ (Meaning of Bhakti Movement) – भक्ति आन्दोलन से हमारा अभिप्राय उस आन्दोलन से है जो तुर्कों के आगमन (बारहवीं सदी से पूर्व ही) से काफी पहले ही यहाँ चल रहा था और जो अकबर के काल (इसका अन्त 1605 ई. को हुआ।) तक चलता रहा। इस आन्दोलन ने मानव और ईश्वर के मध्य रहस्यवादी संबंधों को स्थापित करने पर बल दिया। कछ विद्वानों की राय है कि भक्ति भावना का प्रारम्भ उतना ही पुराना है जितना कि आर्यों के वेद। परन्तु इस आन्दोलन की जड़ें सातवीं शताब्दी से जमीं। शैव नयनार और वैष्णव अलवार धर्म के अपरिग्रह सिद्धान्त को अस्वीकार कर ईश्वर के प्रति व्यक्तिगत भक्ति को ही मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया। उन्होंने वर्ण और जाति भेद को अस्वीकार किया और प्रेम तथा व्यक्तिगत ईश्वर भक्ति का संदेश दिया। उत्तर भारत में भक्ति आन्दोलन का प्रसार दक्षिण भारत से आया यद्यपि इस प्रसार में बहुत कम समय लगा। उत्तर में संत और विचारक दोनों भक्ति दर्शन लाए।
भक्ति आन्दोलन की परिभाषा देते हुए प्रसिद्ध विद्वान तथा इतिहासकार डॉ. युसूफ हुसैन के अनुसार, “भक्ति आंदोलन रूढ़िवादी, सामाजिक तथा धार्मिक विचारों के विरुद्ध हृदय की प्रतिक्रिया तथा भावों का उद्गार है। भारतीय परिवेश में भक्ति आन्दोलन का विकास इन्हीं परिस्थितियों का परिणाम है।”
(ii) क्षेत्र तथा संत (Area and Saints) – भक्ति आन्दोलन व्यापक था और सारे देश में इसका प्रसार हुआ। यह आन्दोलन तेरहवीं शताब्दी से सोलहवीं शताब्दी तक इस्लाम के सम्पर्क में आया और इसकी चुनौतियों को अंगीकार करता हुआ इससे प्रभावित, उत्तेजित और आन्दोलन हुए। इस आन्दोलन ने शंकराचार्य जैसे महान दार्शनिक के अद्वैतवाद और ज्ञान-मार्ग के विरोध में भक्ति मार्ग पर अधिक जोर दिया। इस आन्दोलन के चार विभिन्न संस्थापकों ने चार मतों को जन्म दिया। वे थे –
(a) बारहवीं शताब्दी के रामानुजाचार्य (विशिष्टद्वैतवाद), (b) तेरहवीं सदी के मध्वाचार्य (द्वैतवाद), (c) तेरहवीं शताब्दी के विष्णु स्वामी (शुद्धसद्वैतवाद) और (d) तेरहवीं शताब्दी के निम्बार्काचार्य (द्वैताद्वैतवाद)। थोड़े बहुत अन्तर होते हुए भी इन चारों मतों की मूल प्रवृत्ति सगुण भक्ति की ओर झुकी हुई थी। इन्होंने ब्रह्म और जीव की पूर्ण एकता को स्वीकार नहीं किया। मध्यकाल में यह आन्दोलन विराट आन्दोलन के रूप में प्रकट हुआ. और इसका प्रसार सोलहवीं सदी तक होता रहा।
12. दीन-ए-इलाही से आप क्या समझते हैं ?
Answer ⇒ अकबर इतिहास में महान् की उपाधि से विभूषित है और इसकी महानता का मुख्य कारण है इसका विराट् व्यक्तित्व। साम्राज्य की सुदृढ़ता, साम्राज्य में शांति स्थापना तथा मानवीय भावनाओं से उत्प्रेरित अकबर ने न सिर्फ गैर-मुसलमानों को राहत दिया, राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किया। बल्कि एक कुशल प्रशासनिक व्यवस्था भी प्रदान किया। धार्मिक सामंजस्य के प्रतीक के रूप में उसका दीन-ए-इलाही प्रशंसनीय है।
दीन-ए-इलाही द्वारा अकबर ने सर्व-धर्म-समभावं की भावना को उत्प्रेरित किया है।
13. बौद्ध धर्म के पतन के कारणों को लिखिए।
Answer ⇒ बौद्ध धर्म के पतन के निम्नलिखित कारण थे-
(i) हिन्द धर्म में सधार (Reforms in Hinduism) – हिन्दू धर्म के असंख्य देवी – देवता हैं। अतः उन्होंने गौतम बुद्ध को भी अवतार मानकर उसकी भी पूजा अर्चना शुरू कर दी। इनके कुछ सिद्धान्तों जैसे सत्य और अहिंसा को ग्रहण कर लिया। ब्राह्मणों एवं हिन्दू विद्वानों के समय पर चेत जाने के कारण हिन्दू धर्म का विघटन रुक गया। जो लोग हिन्दू धर्म छोड़कर चले गये थे उसे उन्होंने पुनः स्वीकार कर लिया।
(ii) बौद्ध धर्म का विभाजन (Split in Buddhism) – कनिष्क के काल में बौद्ध धर्म का विभाजन हीनयान और महायान के रूप में हो गया था। महायान शाखा को मूर्तिपूजा की छूट दी गई जिसके फलस्वरूप कई लोगों ने फिर से इस धर्म में प्रवेश पा लिया, जो पहले इसे छोड चुके थे।
(iii) बौद्ध मठों में भ्रष्टाचार(Corruption in the Buddhist Sanghas) – मठों में सुख-सुविधाओं के मिल जाने तथा स्त्रियों को भिक्षुणी बनाने की छूट दिये जाने के कारण मठों में भ्रष्टाचार फैल गया। भिक्ष तथा भिक्षुणियाँ धार्मिक कार्यों की आड़ में विषय-वासनाओं में लग गये। उनका चरित्र भ्रष्ट हो गया। उनके सब त्याग, तपस्या व आदर्श मिट्टी में मिल गये। गौतम बुद्ध के उपदेशों को भूलकर वे वासनाओं में लिप्त हो गये जिससे समाज पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा।
(iv) राजकीय सहायता का न मिलना (LOSS of Royal Patronage) – कनिष्क की मृत्यु के पश्चात् बौद्धों को राजकीय सहायता मिलनी बन्द हो गई। गुप्त साम्राज्य के आ जाने के कारण हिन्दू धर्म का बढ़ावा मिलना प्रारम्भ हो गया। उधर बौद्ध धर्म धनाभाव के कारण अधिक दिनों तक नहीं चल सका।
(v) बौद्ध धर्म में जटिलता आना (Arrival of Complexity in the Buddhism) – बौद्धों ने हिन्दुओं के कई सिद्धान्त ग्रहण कर लिये थे। जन साधारण की भाषा को छोड़कर वे सस्कृत में साहित्य रचना करने लगे थे। अतः यह धर्म जनता की समझ से बाहर होने लगा था।
(vi) हिन्दू उपदेशकों का आना (Coming of the flindu Missionaries) – कुमरिल भट्ट और शंकराचार्य जैसे हिन्दू विद्वानों के मैदानों में आ जाने से बौद्ध विद्वानों की दाल गलनी बंद हो गई थी। वे इन सिद्धान्तों के तर्कों के सामने नहीं ठहर पाते थे।
(vii) राजपूत शक्ति का विस्तार (Risc of Rajpoot Power) – सातवीं से ग्यारहवा शता तक सारे उत्तरी भारत में राजपूतों की सत्ता छा गई। राजपूत शक्ति के उपासक थे। वे अहिंसा का कायरता मानते थे। उनका मत था कि बौद्ध मत में अहिंसा का अर्थ मृत्यु को बुलावा देना हाता है, अतः अहिंसा आदि सिद्धान्त ताक पर रख दिये गये। इससे बौद्ध धर्म का प्रचार कार्य बन्द हान लगा और वे विदेशों में जाने लगे।
(viii) मसलमानों के आक्रमण (The Muslim Invasions) – बारहवीं शताब्दा म महसूस गजनवी और अन्य आक्रमणकारियों ने भारत पर आक्रमण किये। बौद्धों में उनके आक्रमण का मुकाबला करने का साहस न था। अत: वे या तो मारे गये, या निकटवर्ती क्षेत्रों जैसे नेपाल, तिब्बत, बमा, श्रीलंका आदि में चले गये।
(ix) हूणों का आक्रमण (Invasions of the Hunas) – बौद्धों की अधिकतम हानि हणों द्वारा हुई। उन्होंने हजारों भिक्षुओं को मौत के घाट उतार दिया। उनके मठों को खण्डहर बना दिया गया। तक्षशिला आदि विश्वविद्यालयों को आग लगा दी तथा बौद्ध साहित्य को जला दिया गया। इस प्रकार से पंजाब, राजपूताना एवं उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त से बौद्धों का सफाया हो गया था।
14. वैदिक काल से आप क्या समझते हैं ? उस काल की सभ्यता का वर्णन करें। अथवा, वैदिक काल के सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन का वर्णन करें। अथवा, वैदिक काल के समाज और धर्म पर प्रकाश डालिए।
Answer ⇒ वेद आर्यों के सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसमें ऋग्वेद सबसे प्राचीन है। आर्यों की सभ्यता की पर्ण जानकारी उनके वेदों से होती है। उस काल में आर्यों के प्रचलित सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक जीवन बहुत ही उन्नत अवस्था में थे । आर्यों के उस काल के इतिहास को वैदिककाल कहा जाता है। उनके उन्नत जीवन का वर्णन इस प्रकार किया जा सकता है-
सामाजिक जीवन – आर्यों का सामाजिक संगठन मुख्यतः वर्ण व्यवस्था पारा वर्ण व्यवस्था की उत्पत्ति श्रम विभाजन के आधार पर हुई। पर उस समय मानसिक, बौद्धिक ओर आध्यात्मिक कार्यों के लिए ब्राह्मण, युद्ध और राजनीतिक कार्यों के लिए क्षत्रिय, आर्थिक कार्यों के लिए वैश्य और समाजसेवा के लिए शूद्र थे। एक वर्ण से दूसरे वर्ण में परिवर्तित होना संभव था। वंश परंपरा से इसका कोई संबंध नहीं था। इसमें पारस्परिक खान-पान आदान-प्रदान और विवाह आदि होता रहता था। इसमें धीरे-धीरे जटिलता आने लगी। इससे सामाजिक विकास में बाधाएँ उत्पन्न होने लगीं।
सुखी पारिवारिक जीवन – आर्यों के सामाजिक संगठन का आधार परिवार था। परिवार का स्वामी परिवार का सबसे वृद्ध पुरुष होता था। उसे गृहपति कहा जाता था। परिवार के सभी सदस्यों को गृहपति की आज्ञा माननी पड़ती थी। वह भी अपने परिवार के सदस्यों की आवश्यकताओं की पर्ति करता थी। बच्चों के ऊपर पिता का कठोर नियंत्रण रहता था। उस समय संयुक्त परिवार का प्रथा प्रचलित थी।
समाज में नारी का स्थान – आर्यों के सामाजिक जीवन में नारियों को उच्च स्थान प्राप्त था। वे अपने पति के साथ धार्मिक कार्यों में भाग लेती थीं। उन्हें उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने की स्वतंत्रता थी। घोषा, लोपामुद्रा, विश्ववारा अपाला आदि महिलाओं की गणना ऋषियों के रूप में होती थी। पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा आदि कुप्रथाओं का प्रचलन नहीं था। विवाह एक पवित्र बंधन समझा जाता था। विवाह के समय देवताओं को साक्षी करके वर-कन्या दोनों जावनभर के साथी बनने को परस्पर प्रतिज्ञा करते थे। इस तरह पारिवारिक जीवन सुखमय था। समाज म स्त्रियों को उच्च स्थान प्राप्त था। समाज में तलाक की प्रथा प्रचलित नहीं थी।
भोजन और वस्त्र – आर्य शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे। उनका आहार दूध, घी, फल, मक्खन जैसे पौष्टिक पदार्थ थे। गेहूँ और जौ की रोटी तथा शाकभाजी को वे लोग दैनिक भोजन में प्रयोग करते थे। वे मांस खाते थे तथा सोम और सुरा उनके पेय पदार्थ थे। वे लोग ऊनी, सूती और रेशमी तीनों प्रकार के वस्त्र पहनते थे। वे लोग भड़कीले वस्त्रों का प्रयोग करते थे। धनी लोगों के वस्त्र सोने के तारों से बढ़े होते थे। आभूषणों का प्रयोग स्त्री-पुरुष दोनों करते थे।
आर्थिक जीवन : आर्यों के आर्थिक जीवन निम्नलिखित तथ्यों पर आधारित थे –
कृषि – आर्यों का आर्थिक जीवन कृषि पर आधारित था। खेती की सभी प्रक्रियाएँ जुताई, बुआई, सिंचाई और कटाई जानते थे। इस समय की प्रमुख उपज गेहूँ और जौ थी। वे लोग हल और बैलों की सहायता से खेती करते थे। भूमि को उर्वरक बनाने के लिए खाद और सिंचाई का भी प्रयोग करते थे।
पशुपालन – कृषि के साथ पशुपालन उनका महत्त्वपूर्ण रोजगार था। वे लोग गाय को गोधन कहते थे और उनका विशेष महत्त्व रखते थे। वे गाय, बैल, घोड़े, गधे, खच्चर, भेड, बकरियाँ आदि पशु पालते थे। वे जंगली पशुओं, जैसे-हाथी, सूअर, बारहसिंगा आदि का शिकार भी करते थे।
व्यवसाय – आर्य लोग व्यापारियों को ‘पणि’ कहते थे। उनका समाज में एक वर्ग होता था। जल-थल दोनों मार्गों से वे व्यापार करते थे। इस काल में इसका प्रचलन कम था और गाय विनिमय का माध्यम थी। धीरे-धीरे लोग ‘निष्क’ नामक स्वर्ण के आभूषणों को विनिमय के लिए व्यवहृत करने लगे। व्यापारिक संबंध ईरान और बेबीलोनिया से था। भारत से ही पश्चिम एशिया वालों ने कपास की खेती करना सीखा था।
गृह उद्योग – आर्य लोग रथ, हल, गाड़ियाँ आदि बनाते थे। औद्योगिक कलाकारों में बढई का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान था। धातुओं की वस्तुओं का विशेष प्रचलन होने के कारण लोहार और सोनार को भी सम्मानित स्थान प्राप्त था। वस्त्र बुनने के लिए जुलाहे और बुने हुए वस्त्र को र के लिए रंगरेज भी थे। स्त्रियाँ चटाई आदि बुना करती थीं। चमार चमड़े की वस्तुएँ तैयार करता था।
धार्मिक जीवन – आर्यों के धार्मिक जीवन में निम्नलिखित बातों का प्रचलन था
बहुदेववाद की प्रथा – आर्य अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते थे। ऋग्वेद में 33 कोटि देवताओं का उल्लेख है। सौरमण्डल में सूर्य उनके सबसे मूर्तिमान देवता थे। उनकी उपासना वे कई रूपों में करते थे। इनके अतिरिक्त वृष्टि के देवता इन्द्र, न्याय के देवता वरुण और अग्नि देवता का विशेष महत्त्व था।
यज्ञ की प्रधानता – आर्यों के जीवन में यज्ञ की प्रधानता थी। वे वर्षा होने और महामारी राकने के लिए यज्ञ करते थे। वास्तव में उनका जीवन यज्ञमय था। यज्ञ की व्यापकता के उस समय के भारतीय समाज में परोहितों और ब्राह्मणों का महत्त्व अधिक बढ़ गया था। यज्ञों के विधियों को निर्धारित करने के लिए जो ग्रन्थ बने, उनका नाम ही उनकी जाति के नाम पर ब्राम्हण पड़ा।
नैतिकता पर जोर – वैदिक आर्यों के धार्मिक विचारों पर नैतिकता की स्पष्ट छाप दिला पड़ती है। उनके देवता वरुण नैतिक व्यवस्था द्वारा संसार को चलाते थे। वरुण की प्रशंसा में अनेक ग्रंथ लिखे गये। वरुण प्रत्येक व्यक्ति के पाप-पुण्य को देखते थे और अपराधियों को दण्ड देते परंतु उनमें क्षमाशीलता भी बहुत थी। वे शुद्ध हृदय से प्रार्थना करने पर अपराधों को शीघ्र ही माफ कर देते थे ऐसा विश्वास लोगों का था।
राजनैतिक जीवन : राजतंत्र – उस समय शासन व्यवस्था राजतांत्रिक थी। परंतु एक ता से सीमित राजतंत्र की प्रथा थी। उस पर धर्म का नियंत्रण रहता था। युद्ध के समय राजा नेता के कार्य और शांति के समय न्याय संबंधी कार्य करता था।
नियंत्रण समिति – उस समय राजा की शक्ति को नियंत्रित करने के लिए सभा और समिति नामक संस्था थी। इसके सदस्य अविभाजित वर्ग के लोग होते थे। ‘सभा’ और ‘समिति’ के वास्तविक स्वरूप के विषय में विद्वानों की धारणाएँ भिन्न-भिन्न हैं, क्योंकि ऋग्वेद में कहीं भी सभा और समिति का निरूपण नहीं किया गया है।
राज कर्मचारी – शासन कार्य में राजा को सहायता प्रदान करने के लिए अनेक राजकर्मचारी होते थे। राजकर्मचारियों में ‘पुरोहित’ ‘सेनानी’ और ‘ग्रामणी’ प्रमुख होते थे। पुरोहितों को शासन व्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त था। वह राजा के धार्मिक कर्तव्यों का पालन करता था और अपनी बहुमूल्य सम्पत्तियों द्वारा उसकी सहायता करता था। सेनानी सेना का प्रधान अधिकारी होता था। इसे राजा स्वयं चुनता था। इनके अतिरिक्त राजकर्मचारी होते थे।
सेना – उस समय तक स्थायी सेना की आवश्यकता का अनुभव नहीं हो पाया था। सेना का नेतृत्व स्वयं राजा करता था। राजा के बाद सेनानी का स्थान था। पैदल और रथ, सेना के मुख्य अंग थे। भाला, धनुष, तलवार और कुल्हाड़ी उस समय के मुख्य शस्त्र थे। युद्ध के लिए सेना के प्रयाण करते समय दुन्दुभि बजाई जाती सेना की व्यवस्था मुख्य रूप से युद्ध के समय की जाती थी।
न्याय व्याबस्था – वैदिक आर्यों की न्याय-व्यवस्था सरल थी। राजा न्याय का सर्वोच्च अधिकारी था। दण्ड-विधान सरल था। मृत्यु-दण्ड अज्ञात था और हत्या जैसे गंभीर अपराध के लिए भी मृत्यु दण्ड नहीं दिया जाता था।
15. भारत का विभाजन क्यों हुआ ? अथवा, 1947 में भारत के विभाजन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
Answer ⇒ कई नेताओं के न चाहने पर भी भारत विभाजन को रोका नहीं जा सका। इसके लिए निम्नलिखित कारक उत्तरदायी थे –
1. सन् 1909 के कानून में मुसलमानों के लिए निर्वाचन का अधिकार देकर अंग्रेजों ने उन्हें हिन्दुओं से अलग करने का प्रयास किया। ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति से मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग भी और तेजी से बढ़ती गई।
2. काँग्रेस ने मुस्लिम लीग के साथ सदा समझौता करने की नीति अपनाई। इससे मुस्लिम लीग को यह आशा हो गई कि यदि वह अपनी माँग पर डटी रही, तो एक न एक दिन पाकिस्तान की माँग मान ली जाएगी।
3. मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना की हठधर्मिता के कारण हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे, अत: विवश होकर भारत का विभाजन स्वीकार कर लिया गया।
4. साम्प्रदायिक दंगों ने स्थान-स्थान पर नेताओं और जनता को अत्याचार बंद करने को लाचार कर दिया था, अन्यथा पूरा देश रक्त के सागर में डूब जाता।
5. सन् 1946 में अंतरिम सरकार में शामिल होने पर मुस्लिम लीग ने काँग्रेस की योजनाओं में रुकावट डालनी प्रारम्भ कर दी। काँग्रेस के नेताओं को भी लगने लगा कि वे मुस्लिम लीग पार्टी के साथ मिलकर सरकार नहीं चला पाएँगे।
6. लार्ड माउंटबेटन भारत में राजनैतिक समस्याओं को सुलझाने के लिए यहाँ का वायसराय बनकर आया था। उसने अपने प्रभाव से काँग्रेस पार्टी को विभाजन के लिए तैयार कर लिया था।