JAC Board 12th Political Science Exam 2024 : Most Important Objective + Subjective Question with Solution

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यहां पर हम JAC Jharkhand Board क्लास 12th के Political Science - राजनीति विज्ञान (JAC 12th Political Science VVI Most Important Objective + Subjective Answer Questions) से संबंधित महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न दिए गए है। महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है जो बहुत ही अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किये गए है।
इसमें प्रत्येक महत्वपूर्ण प्रश्नों को छांट कर एकत्रित किया गया है, जो आपके पेपर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, जिससे कि विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त कर सके। सभी प्रश्नों के उत्तर साथ में दिए गए हैं।
झारखंड बोर्ड के सभी विद्यार्थिय अब आपकी Political Science - राजनीति विज्ञान परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है तो पेपर से पहले इन्हें रट लो, जिससे कि विद्यार्थी Political Science - राजनीति विज्ञान पेपर में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते है।
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. शीत युद्ध की शुरुआत कब से माना जाता है?
A. 1945 के बाद से
C. 1950 के बाद से
B. 1947 के बाद से
D. 1960 के बाद से
Ans. A. 1945 के बाद से
2. नाटो की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
A. शीत युद्ध के प्रभाव को कम करना
B. अमेरिका में आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना
C. पश्चिमी यूरोप में सोवियत प्रभाव के विस्तार को रोकना
D. दुनिया को युद्ध की विभीषिका से बचाना।
Ans. C. पश्चिमी यूरोप में सोवियत प्रभाव के विस्तार को रोकना
3. शीत युद्ध के समय शक्ति के कितने केंद्र थे?
A. 5
B. 3
C. 2
D. 6
Ans. C. 2
4. किस के प्रयास से गुटनिरपेक्षता की नीति अस्तित्व में आई?
A. जवाहरलाल नेहरू
B. गमाल अब्दुल नसीर
C. मार्शल जोसेफ ब्रॉन्ज टीटो
D. उपर्युक्त सभी
Ans. D. उपर्युक्त सभी
5. पूर्व बनाम पश्चिम का संबंध किससे है?
A. विश्वयुद्ध से
B. शीत युद्ध से
C. तनाव शैथिल्य से
D. उत्तर शीत युद्ध दौर से
Ans. B. शीत युद्ध से
6. बर्लिन की दीवार कब बनी थी?
A. 1961
B. 1965
C. 1978
D. 1967
Ans. B. 1965
7. सोवियत संघ में शामिल देश को क्या कहा गया है?
A. पहली दुनिया
B. दूसरी दुनिया
C. तीसरी दुनिया
D. इनमें से कोई नहीं
Ans. B. दूसरी दुनिया
8. बर्लिन की दीवार को किसने गिराया था?
A. देशद्रोहियों ने
B. आम जनता ने
C. सरकार ने
D. पुलिस ने
Ans. B. आम जनता ने
9. सोवियत अर्थव्यवस्था की प्रकृति के बारे में कौन सा कथन गलत है?
A. सोवियत अर्थव्यवस्था में समाजवाद प्रभावी विचारधारा थी ।
B. उत्पादन के साधनों पर राज्य का स्वामित्व था ।
C. जनता की आर्थिक आजादी थी।
D. अर्थव्यवस्था के हर पहलू का नियोजन और नियंत्रण राज्य करता था।
Ans. C. जनता की आर्थिक आजादी थी।
10. भारत के किस प्रधानमंत्री ने अमेरिका के साथ असैनिक कार्यों के हितों परमाणु समझौते का सबल समर्थन किया?
A. मनमोहन सिंह
B. अटल बिहारी वाजपेयी
C. इंदिरा गांधी
D. राजीव गांधी
Ans. A. मनमोहन सिंह
11. यूरोपीय संघ 2005 ईस्वी तक दुनिया का
(A) सबसे बड़ी राजनीतिक व्यवस्था थी,
(B) सबसे बड़ी आर्थिक व्यवस्था बन गई,
(C) सबसे बड़ी सैन्य व्यवस्था बन गई,
(C) इनमें से कोई नहीं ।
Ans. (B) सबसे बड़ी आर्थिक व्यवस्था बन गई,
12. दक्षिण एशियाई देशों में सबसे बड़ा देश कौन सा है?
A. भारत
B. पाकिस्तान
C. बांग्लादेश
D. नेपाल
Ans. A. भारत
13. परमाणु अप्रसार संधि कब अस्तित्व में आई?
A. 1982
B. 1965
C. 1971
D. 1968
Ans. D. 1968
14. सुरक्षा धारणा के तहत रासायनिक हथियार संधि कब हुए?
A. 1992 में
B. 1993 में
C. 1995 में
D. 1991 में
Ans. C. 1995 में
15. क्योटो प्रोटोकॉल 1997 का सम्बन्ध निम्न लिखित में से किससे है?
(A) जलवायु संरक्षण से
(B) वायुमण्डल संरक्षण से
(c) पर्यावरण संरक्षण से
(D) वन संरक्षण से
Ans. (c) पर्यावरण संरक्षण से
16. वर्ल्ड सोशल फोरम (WSF) की पहली बैठक कब हुई?
A. 2000
B. 2001
C. 2002
D. 2003
Ans. B. 2001
17. लौह पुरुष के रूप में किसे जाना जाता है?
A. सुभाष चंद्र बोस
B. भगत सिंह
C. सरदार वल्लभभाई पटेल
D. लाला लाजपत राय
Ans. C. सरदार वल्लभभाई पटेल
18. चुनाव आयोग का गठन कब हुआ?
A. जनवरी 1949
B. जनवरी 1950
C. फरवरी 1949
D. फरवरी 1950
Ans. B. जनवरी 1950
19. श्वेत क्रांति की शुरुआत भारत के किस राज्य में हुई?
A. राजस्थान
B. गुजरात
C. केरल
D. बिहार
Ans. B. गुजरात
20. 'स्वतंत्र भारत के प्रथम विदेश मंत्री कौन थे?
A. जवाहरलाल नेहरू
B. सरदार बल्लभ भाई पटेल
C. डॉ राजेंद्र प्रसाद
D. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
Ans. A. जवाहरलाल नेहरू
21. भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु जनवरी 1966 ई० में कहां पर हुई थी?
A. ताशकंद
B. शिमला
C. पेरिस समझौता में
D. इनमें से कोई नही
Ans. A. ताशकंद
22. 1974 में रेल हड़ताल रेलवे कर्मचारियों किसके नेतृत्व में शुरू किया था ?
A. जयप्रकाश नारायण
B. महात्मा गांधी
C. जॉर्ज फर्नांडिस
D. राजेंद्र प्रसाद
Ans. C. जॉर्ज फर्नांडिस
23. किसे नए सामाजिक आन्दोलन की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता ?
A. चिपको आन्दोलन
B. नर्मदा बचाओ आंदोलन
C. टेहरी बाँध आन्दोलन
D. गृह स्वराज आंदोलन
Ans. (D) गृह स्वराज आंदोलन
24. शेख अब्दुल्ला की मृत्यु कब हुई ?
A. सन् 1981 में
B. सन् 1982 में
C. सन् 1984 में
D. सन् 1980 में
Ans. B. सन् 1982 में
25. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कौन थे?
A. कांशीराम
B. मायावाती
C. चंद्रशेखर
D. बिंदेश्वरी मंडल
Ans. A. कांशीराम
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. पहला गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन कब और कहां हुआ था?
उत्तर- पहला गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन 1961 ईस्वी में युगोस्लाविया के बेलग्रेड में हुआ था।
2. गुटनिरपेक्षता का क्या अर्थ है?
उत्तर- गुटनिरपेक्षता का अर्थ है किसी भी गुट में शामिल ना होना और अपनी स्वतंत्र नीतियों का अनुसरण करना।
3. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम को क्या नाम दिया गया था?
उत्तर- द्वितीय विश्वयुद्ध के समय हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम को लिटिल बॉय और फैटमैन नाम दिया गया था।
4. पूंजीवादी गुट का नेतृत्व कौन सा देश का रहा था?
उत्तर- पूंजीवादी गुट का नेतृत्व संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था।
5. मोलटोव योजना का क्या उद्देश्य था?
उत्तर अमेरिकी विदेश सचिव मार्शल की योजना के उत्तर में सोवियत विदेश मंत्री मोलटोव ने योजना बनाई मोलटोव योजना का उद्देश्य था पूर्वी यूरोप के देशों को वित्तीय सहायता देकर उनका आर्थिक सुधार किया जाए।
6. तजाकिस्तान में कितने सालों से गृह युद्ध जारी था। यह कब समाप्त हुआ?
उत्तर- तजाकिस्तान में 10 सालों से गृह युद्ध जारी था यह 2001 में समाप्त हुआ।
7. बर्लिन की दीवार को किसने गिराया था?
उत्तर- बर्लिन की दीवार को पूर्वी जर्मनी की आम जनता ने 1989 ई. में गिराया था।
8. सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा किन गणराज्यों ने की थी?
उत्तर - 1991 में येल्तसिन के नेतृत्व में सोवियत संघ के तीन बड़े गणराज्य रूस, यूक्रेन और बेलारूस ने सोवियत संघ की समाप्ति की घोषणा की थी।
9. प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध की अवधि बताइए?
उत्तर - प्रथम विश्वयुद्ध की अवधि 1914 से 1918 ई. तक तथा द्वितीय विश्वयुद्ध की अवधि है 1939 से 1945 ई. तक।
10. चीन ने खुले द्वार" की नीति कब चलाई और उससे उसे क्या लाभ हुए?
उत्तर:- दिसंबर 1978 ईस्वी में देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार की नीति चलाई। इसके कारण चीन अद्भुत प्रगति की और आने सालों में एक बड़ी आर्थिक ताकत के रूप में उभरा।
11. कौन एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतंत्र है? यह देश भी हर तरफ भूमि से घिरा हुआ है।
उत्तर: भूटान एक हिमालयी देश है जहां संवैधानिक राजतंत्र है तथा चारों तरफ यह भूमि से घिरा हुआ है।
12. "अमेरिका के हाथों शांति का क्या अर्थ है?
उत्तर- दूसरे विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने बहुत से देशों में अपना वर्चस्व स्थापित किया और अपने विरोधियों को कुचल कर वहां शांति स्थापित की इसे ही अमेरिका के हाथों शांति कहां जाता है।
13. संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव कौन थे और वह किस देश के निवासी थे?
उत्तर- संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रथम महासचिव ट्रिगवी ली थे। वे नॉर्वे के निवासी थे।
14. ग्लोबल कॉमन्स से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: ग्लोबल कॉमन्स उन क्षेत्रों या क्षेत्रों पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा सामान्य शासन है, जो किसी एक राज्य या प्राधिकरण के संप्रभु अधिकार क्षेत्र के बाहर स्थित है।
15. सामाजिक सुरक्षा कवच से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तरः आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को वैश्वीकरण के बुरे प्रभावों से बचाने के संस्थानिक उपाय ।
16. भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने की क्या उद्देश्य हैं?
उत्तर- भारत द्वारा परमाणु परीक्षण करने के पीछे मुख्य उद्देश्य अपने दुश्मनों से अपने क्षेत्र की रक्षा करना था जो परमाणु तकनीकी रूप से समृद्ध देश भी हैं।
17. भारत की आजादी से पहले किन्ही तीन देशी रियासतों के नाम लिखें?
उत्तर- जूनागढ़, हैदराबाद, जम्मू कश्मीर
18. कामराज योजना का क्या उद्देश्य था?
उत्तर- कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेतागण अपनी सरकारी सेवा छोड़कर कांग्रेस संगठन के लिए काम करें ताकि कांग्रेस को फिर से मजबूती मिल सके ।
19. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है ?
उत्तर - मिश्रित अर्थव्यवस्था में समाजवाद तथा पूंजीवाद दोनों की विशेषताओं को शामिल किया गया। देश मैं छोटे उद्योगों का विकास निजी क्षेत्र में किया गया तथा बड़े उद्योगों के विकास की जिम्मेवारी सरकार ने अपने कंधों पर ली ।
20. बांडुंग सम्मेलन क्या था?
उत्तर - बांडुंग सम्मेलन 1955 में 18-24 अप्रैल के मध्य इंडोनेशिया के बांडुंग में पांच देशों (बर्मा, श्रीलंका, भारत, इंडोनेशिया व पाकिस्तान) ने मिलकर एक सम्मेलन आयोजित किया था, जिसे 'बांडुंग सम्मेलन' कहा जाता है।
21. युवा तुर्क कौन थे ?
उत्तर : यह कांग्रेस के कनिष्ठ व युवा वर्ग के नेताओं का समूह था। जिन्होंने पुराने नेतृत्व को चुनौती देकर इंदिरा गांधी को चुनावी संघर्ष में विजयी बनाया। ये युवा तुर्क के नाम से मशहूर हुए।
22. भारतीय संविधान के किस संशोधन को 'लघु संविधान' कहा जाता है?
उत्तरः भारतीय संविधान के 42वां संविधान संशोधन को 'लघु संविधान' कहा जाता है।
23. भारतीय किसान यूनियन देश के किन क्षेत्रों में अधिक सक्रिय हैं?
उत्तर- भारतीय किसान यूनियन उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में अधिक सक्रिय हैं।
24. क्षेत्रवाद और पृथकतावाद में क्या अंतर है?
उत्तर - क्षेत्रवाद क्षेत्रीय आधार पर राजनीतिक, आर्थिक एवं विकास सम्बन्धी मांग उठाना।
25. राष्ट्रीय मोर्चा को कठपुतली की तरह नचाने वाले दलों के नाम बताइए।
उत्तर- राष्ट्रीय मोर्चा को कठपुतली की तरह नचाने वाले दो दल भारतीय जनता पार्टी और वाम मोर्चा है।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. एक ध्रुववीयता, द्विध्रुवीयता और बहुध्रुवीयता से आप क्यासमझते हैं? उल्लेख कीजिए।
उत्तर- एकध्रुववीयता, द्विध्रुवीयता और बहुध्रुवीयता विश्व राजनीति की विशेषताओं को अभिव्यक्त करने वाले शब्द हैं। द्विध्रुवीयता विश्व राजनीति में दो महाशक्तियों के अस्तित्व की परिचायक है जैसा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद और 1991 में सोवियत संघ के पतन के पूर्व की विश्व राजनीति में देखा गया इस समय सोवियत संघ तथा संयुक्त राज्य अमेरिका की वैश्विक भूमिका ने द्विध्रुवीयता की स्थिति उत्पन्न की है। 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद अमेरिका एकमात्र महाशक्ति रह गया इस स्थिति को एक ध्रुववीयता की स्थिति कहा गया। वर्तमान समय में चीन, रूस, भारत जैसे देश तेज गति से विकास कर रहें हैं तथा विश्वव्यापी मंदी के कारण अमेरिका की स्थिति कमजोर हुई है इससे भविष्य में बहुध्रुवीयता विश्व की संभावना बनती जा रही है।
2. कोरिया संकट का वर्णन करें?
उत्तर द्वितीय विश्वयुद्ध में जापान एवं कोरिया ने सोवियत संघ के समक्ष और दक्षिण कोरिया ने अमेरिका के समक्ष आत्मसमर्पण किया, उत्तर कोरिया में साम्यवादी और दक्षिण कोरिया में पूंजीवादी शासन की स्थापना हुई। 1950 में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर आक्रमण कर दिया कोरियाई युद्ध वास्तव में दोनों कोरिया का युद्ध ना होकर पश्चिमी गुट और साम्यवादी गुट के बीच एक अप्रत्यक्ष सशस्त्र युद्ध था। अमेरिका ने सुरक्षा परिषद में सोवियत रूस के बहिष्कार का लाभ उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ से उत्तर कोरिया को आक्रमणकारी घोषित करवाया और विश्व शांति की रक्षा की आड़ में उसके विरुद्ध सैनिक कार्यवाही का प्रस्ताव पास करा दिया, संयुक्त राष्ट्र संघ की कार्यवाही जो वास्तव में अमेरिकी जनरल मैक आर्थर के नेतृत्व में किया गया आक्रमण था, यह युद्ध गुटनिरपेक्ष देशों की मध्यस्थता से 1953 ई. में समाप्त हुआ।
3. नई अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था क्या है?
उत्तर गुटनिरपेक्ष में शामिल अधिकांश देश आर्थिक रूप से पिछड़े हुए थे और इन्हें अल्पविकसित देश का दर्जा प्राप्त था इन देशों के सामने मुख्य चुनौती आर्थिक विकास कर अपनी जनता को गरीबी से उबारने की थी। ये देश बिना आर्थिक विकास की वास्तविक स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर सकते थे, इसी भावना से प्रेरित होकर नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का जन्म हुआ।
4. नई विश्व व्यवस्था क्या है? वर्णन कीजिए।
उत्तर- सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिका एकमात्र महाशक्ति के रूप में उभरा और और धीरे-धीरे विश्व व्यवस्था पर उसका वर्चस्व स्थापित हो गया 1991 के सोवियत पतन के बाद बढ़ता हुआ अमेरिकी वर्चस्व जिस व्यवस्था की पुष्टि करता है उसे ही नई विश्व व्यवस्था के रूप में जाना गया।
5. 1991 में अमेरिका ने इराक पर आक्रमण क्यों किया?
उत्तर- अमेरिकी आक्रमण के मूल 1991 के खाड़ी युद्ध में रखे गए थे। उस समय इराक पर यह वैध आरोप लगाया गया था कि उसने कुवैत को हड़पकर उसे अपना 19वां प्रान्त बनाया, अतः कुवैत को मुक्त किया जाये। इस बार यह विचित्र स्थिति पैदा हुई कि फ्रांस के राष्ट्रपति शिराक तथा रूसी संघ के राष्ट्रपति पुतिन ने अमरीका के इराक पर आक्रमण करने का विचार किया और सुरक्षा परिषद् में ऐसे प्रस्ताव पर वीटो शक्ति के प्रयोग करने का मंतव्य स्पष्ट कर दिया। ऐसी आशंका को देखते हुए अमरीकी राष्ट्रपति बुश ने सुरक्षा परिषद् से अपना प्रस्ताव वापस कर लिया तथा उसकी उपेक्षा करते हुए 20 मार्च, 2003 को इराक पर आक्रमण कर दिया।
6. प्रथम खाड़ी युद्ध पर एक टिप्पणी लिखें?
उत्तर- प्रथम खाड़ी युद्ध- अगस्त 1990 में इराक द्वारा कुवैत पर कब्जा कर लेने के बाद अमेरिका के अगुवाई में संयुक्त राष्ट्र संघ की सहमति से इराक के विरुद्ध जो सैन्य अभियान चलाया गया उसे ही प्रथम खाड़ी युद्ध के रूप में जानते हैं इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका ने यह साफ कर दिया कि विश्व के अन्य देश सैन्य क्षमता के मामले में अमेरिका से बहुत पीछे हैं, इस युद्ध से अमेरिका को बहुत लाभ हुआ।
7. अमेरिकी वर्चस्व की सैन्य शक्ति के रूप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर- वर्तमान में अमेरिका एकमात्र महाशक्ति है जिनके पास विशाल थल सेना, जल सेना, वायु सेना है। अपनी सैनिक क्षमता के बल पर वह कहीं भी बड़ी आसानी से हमला कर सकता है अमेरिका के पास हर प्रकार के परमाणु, आधुनिक व परंपरागत हथियार है इस कारण उसने विश्व के कई देशों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर लिया है अमेरिका का रक्षा बजट विश्व के अन्य शक्तिशाली कही जाने वाले 12 देशों के संयुक्त रक्षा बजट से कहीं अधिक होता है अमेरिका अपनी सैनिक शक्ति पर अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक खर्च करता है वह अपनी बजट का एक बड़ा भाग सैन्य अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास पर खर्च करता है। और यह कहना उचित होगा कि अमेरिका की सैन्य क्षमता अतुलनीय है क्योंकि अफगानिस्तान और इराक पर आक्रमण करके वहां अपने विरोधियों का शासन मिटाने में अमेरिका ने अपने अद्वितीय सैन्य शक्ति का परिचय दिया।
8. मार्शल योजना क्या था?
उत्तरः - यह योजना अमेरिकी विदेश मंत्री के नाम पर "मार्शल योजना' रखा गया। इस योजना को 1948 में लाया गया था। इस योजना के तहत अमेरिका ने पश्चिमी यूरोप के उन देशों को आर्थिक मदद दी, जिसकी अर्थव्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध में बहुत अधिक नष्ट हो चुकी थी और युद्ध के पश्चात शीत युद्ध के दौरान अमेरिका के पक्ष में थी। इस योजना के बाद पश्चिमी यूरोप के देशों की अर्थव्यवस्था में बहुत तेजी से विकास हुआ। सोवियत संघ ने इसे विस्तारवादी नीति कहकर इसकी आलोचना की थी।
9. नई विश्वव्यवस्था क्या है?
उत्तर- अमेरिका एक नई विश्व व्यवस्था स्थापित करना चाहता था जो राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के शब्दों में आतंक के भय से मुक्त हो तथा जिस में शांति व सुरक्षा को सुनिश्चित सके। 2 अगस्त, 1990 को इराक ने कुवैत पर आक्रमण कर मात्र छः घंटे में उस पर अधिकार कर लिया और उसे अपना 19वाँ प्रांत घोषित कर दिया । इराक को कुवैत खाली करने के लिए समझाने-बुझाने की राजनयिक कोशिशें जब नाकाम हो गईं तो संयुक्त राष्ट्रसंघ ने कुवैत को मुक्त कराने के लिए बल प्रयोग की अनुमति दे दी। शीतयुद्ध के समय वर्षों तक चुप्पी साधे रहने वाले संयुक्त राष्ट्र के लिहाज से यह उसका एक नाटकीय फैसला था। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसे नई विश्व व्यवस्था' की संज्ञा दी।
10. यूरोपीय संसद से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः- यूरोपीय संघ के द्वारा निर्मित एक संसद (Parliament) है, जो एक राजनीतिक मंच का कार्य करती है इसमें सार्वजनिक महत्व के विषयों पर विचार विमर्श किया जाता है तथा परिषद और यूरोपीय आयोग के विषय में प्रश्नों को उठाया जाता है। यूरोपीय संसद ही यूरोपीय संघ की बजट को स्वीकार अथवा अस्वीकार करता है।
11. सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर: सुरक्षा की पारंपरिक धारणा या राष्ट्रीय सुरक्षा-
1. पारंपरिक अवधारणा में किसी राष्ट्र को सबसे बड़ा खतरा सेना से होता है।
2. इस खतरे का स्रोत कोई दूसरा राष्ट्र होता है जो सैनिक हमले की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता जैसे किसी देश के केन्द्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है।
3. सैनिक कार्रवाई से आम नागरिकों के जीवन को भी खतरा होता है। सैनिक कार्रवाई में सैनिकों के साथ नागरिक भी मारे जाते हैं।
4. युद्ध में निहत्थे स्त्री-पुरुषों को निशाना बनाया जाता
5. इसमें नागरिकों और उनकी सरकार के साहस को तोड़ने का प्रयास किया जाता है।
12. श्रीलंका के जातीय संघर्ष में किन की भूमिका प्रमुख है?
उत्तर: श्रीलंका को आजादी 1948 में प्राप्त हुई। आजादी के बाद से वहाँ सक्रिय लोकतंत्र कायम है लेकिन श्रीलंका में एक कठिन चुनौती जातीय संघर्ष है। जिससे गृह युद्ध की स्थिति बनी रहती है। श्रीलंका में सबसे अधिक आबादी 'सिंहली समुदाय की है। यह समुदाय भारत से आकर श्रीलंका में बसने वाले तमिल समुदाय के विरोधी हैं। उनका मानना हैकि श्रीलंका सिर्फ सिंहली लोगो की है तथा तमिलों को श्रीलंका में किसी प्रकार की रियायत नहीं दी जानी चाहिए। तमिल भारतवंशी लोगों के प्रति उपेक्षा के भाव के कारण उग्र राष्ट्रवादी विचारधारा को बल मिला और श्रीलंका में 'लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) नामक एक संगठन 1983 के बाद से श्रीलंका की सेना से सशस्त्र संघर्ष कर रहा है। यह संगठन श्रीलंका के तमिलों के लिए एक अलग देश तमिल ईलम की मांग कर रहा है उनका नियंत्रण श्रीलंका के उत्तरी पूर्वी हिस्से पर है। भारत की तमिल भाषी जनता का भी भारत सरकार पर दबाव रहता है कि श्रीलंका के तमिल लोगों के हितों की रक्षा करें। इसके लिए भारत सरकार भी प्रयासरत रहती है। अंततः श्रीलंका में 2009 में लिट्टे को समाप्त कर दिया गया और सशस्त्र संघर्ष समाप्त हो गया है।
13. आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से किस तरह अलग है?
उत्तर- आज की चीनी अर्थव्यवस्था नियंत्रित अर्थव्यवस्था से पूरी तरह अलग है। चीनी अर्थव्यवस्था की नीति विदेशी पूँजी और प्रौद्योगिकी के निवेश से उच्चतर उत्पादकता को प्राप्त करना है। चीन ने वर्तमान समय में बाजारोन्मुख अर्थव्यवस्था को अपनाया है। चीन ने शोक थैरेपी" की अपेक्षा चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था बाजारोन्मुख बनाया। चीन ने 1982 में कृषि एवं 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया। आर्थिक विकास के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की गई। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि वर्तमान चीनी अर्थव्यवस्था 1950 की चीनी अर्थव्यवस्था की अपेक्षा अधिक खुलापन लिए हुए हैं।
14. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई. एम.एफ.) पर एक लघु निबंध लिखें।
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष स्थापना 1945 ई. में हुई 1947 ई. में यह संयुक्त राष्ट्र संघ का एक विशिष्ट अभिन्न अंग बन गया। इसका मुख्यालय अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में है। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुद्रा संबंधी सहयोग प्रोत्साहन करना है। यह देशों की मुद्रा संबंधी समस्याओं का समाधान करता है, ताकि उनका भुगतान संतुलन बना रहे यदि किसी देश की वित्तीय स्थिति डांवाडोल हो रही है तो यह उन्हें अपनी शर्तों पर ऋण देता है। इस के कुल सदस्यों की संख्या 189 है। लेकिन हर सदस्य के मत का वजन बराबर नहीं होता है 10 सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली कनाडा रूस, सऊदी अरब और चीन के पास 55% मताधिकार है लेकिन अकेले अमेरिका के पास 17.4% मताधिकार है।
15. भारत के चुनाव आयोग के गठन व कार्यों पर प्रकाश डालिए!
उत्तर- भारत में लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाया गया है। अतः इसके लिए स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए अनुच्छेद 324 के अंतर्गत एक स्वतंत्र निर्वाचन आयोग की स्थापना की गई है। इसका मुख्य कार्य लोक सभा, राज्य सभा, विधान सभा, विधान परिषद, राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव का संपादन करना है। इसके साथ ही स्थानीय निकायों के चुनाव तथा पंचायत चुनाव भी कराना इसका जिम्मेवारी है। चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए मतदाता सूची तैयार करता है तथा चुनाव आचार संहिता को लागू करता है। चुनाव आयोग का मुखिया मुख्य निर्वाचन आयुक्त होता है, जिसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा जिसे संसद द्वारा महाभियोग लगाकर ही विशेष बहुमत से हटाया जा सकता है। संविधान में चुनाव आयोग को सरकार के नियंत्रण से मुक्त रखने का प्रयास किया गया है ताकि वह बिना किसी सरकारी दबाव के अपने कार्यों का संपादन निष्पक्ष रूप से कर सके ।
16. नव उपनिवेशवाद को परिभाषित करें।
उत्तर नव उपनिवेशवाद एक ऐसी अवधारणा है, जिसके अंतर्गत एक समृद्ध एवं शक्तिशाली देश किसी कमजोर देश पर सीधे आर्थिक शोषण ना करके उसका अप्रत्यक्ष रूप से शोषण करता है। ऐसा वह कमजोर देश को आर्थिक सहायता देकर उस देश की नीतियों तथा उस देश में होने वाली राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण स्थापित करता है तथा उन नीतियों एवं गतिविधियों को अपने लाभ हेतु लागू करता है अतः ऐसा माना जा सकता है कि नव उपनिवेशवाद पुराने उपनिवेशवाद का एक नया रुप है।
17. वैश्विक तापवृद्धि क्या है?
उत्तर: - वैश्विक तापवृद्धि का मतलब है हमारी धरती के औसत तापमान में बढ़ोतरी। सामान्यतया प्राकृतिक कारणों से और मानवीय गतिविधियों से भी तापमान में बढ़ोतरी होती है। ये बढोतरी असल में वायुमंडल में ग्रीन हाउस गैसों की बढोतरी के कारण होती है। ग्रीन हाउस गैसें बहुत सारी होती है। उदाहरण के लिए कार्बनडाइऑक्साइड (CO2), CFC आदि।
18. विलय पत्र किसे कहते हैं?
उत्तर- भारत के आजादी के बाद भारतीय उपमहाद्वीप में बहुत सारे देशी रियासतें थी। जिसे भारत के तत्कालीन उप प्रधानमंत्री तथा गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के अथक प्रयासों तथा वार्ता कूटनीति के द्वारा भारतीय क्षेत्र में स्थित अधिकांश रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने में सफलता प्राप्त हुई। इनके लिए एक तरीका अपनाया गया था कि बातचीत के द्वारा देशी रियासत के शासकों को भारतीय संघ में शामिल करने के लिए राजी किया जाए। भारत में शामिल होने के लिए उन्हें एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने होते थे। इस दस्तावेज को ही विलय पत्र के नाम से जाना जाता था।
19. पहली पंचवर्षीय योजना का किस चीज पर ज्यादा जोर था? दूसरी पंचवर्षीय योजना पहली से किन अर्थों में अलग थी?
उत्तर- पहली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में अधिक जोर दिया गया क्योंकि भारत के विभाजन का सबसे बुरा प्रभाव कृषि क्षेत्र पर पड़ा था, अतः प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि के विकास को सर्वाधिक महत्त्व दिया गया। प्रथम पंचवर्षीय एवं दूसरी पंचवर्षीय योजना में प्रमुख अंतर यह था कि जहां प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र पर अधिक जोर दिया गया वहीं दूसरी योजना में भारी उद्योग के विकास पर अधिक जोर दिया गया।
20. नेहरू विदेश नीति के संचालन को स्वतंत्रता का एक अनिवार्य संकेतक क्यों मानते थे? अपने उत्तर में दो कारण बताएँ और उनके पक्ष में उदाहरण भी दें।
उत्तर- भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में 1946 एवं 1964 तक उन्होंने भारत की विदेश नीति की रचना और क्रियान्वयन पर अपना अमिट छाप छोड़ा। पं नेहरू की विदेश नीति के तीन बड़े उद्देश्य थे- कठिन संघर्ष से प्राप्त संप्रभुता को बचाए रखना, क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखना और तेज रफ्तार से आर्थिक विकास करना। पं नेहरू इन उद्देश्यों को गुटनिरपेक्षता की नीति अपना कर हासिल करना चाहते थे। पं नेहरू विदेश नीति के संचालन को स्वतंत्रता का एक अनिवार्य संकेत इसलिए मानते थे, क्योंकि विदेश नीति का संचालन वही देश कर सकता है, जो स्वतंत्र हो । जैसे आजादी से पहले भारत स्वयं अपनी विदेश नीति का संचालन नहीं कर पाता था, बल्कि ब्रिटिश सरकार करती थी।
21. 1971 में कांग्रेस की पुनर्स्थापना के कारण बताइए ।
उत्तर: स्वतंत्रता के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सरकार में रही । 1964 में नेहरू की मृत्यु के बाद उसके पास चमत्कारी नेतृत्व न रहा । 1967 के चुनावों में उसे हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन किसी तरह से केंद्र पर इंदिरा गांधी की सरकार बनी रही, लेकिन राज्यों में दल- बदल के कारण कांग्रेस की सरकार गिरी। कांग्रेस विरोधी पार्टियां व गुटों ने एकजुट होकर कई राज्यों में अपनी सरकारी बनाई । लेकिन इंदिरा गांधी की चमत्कारी नेतृत्व ने 1971 के चुनावों में कांग्रेस को पुनः विशाल बहुमत मिला। केंद्र पर उसकी सबल सरकार बनी। और कांग्रेस खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः प्राप्त किया तथा इंदिरा गांधी की प्रभाव में वृद्धि हुआ।
22. संविधान के बुनियादी ढांचा के सिद्धांत का क्या अर्थ है?
उत्तरः सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती के मशहूर मुकदमे में संविधान के बुनियादी ढांचा से संबंधित फैसला सुनाया जिसके अंतर्गत संसद संविधान के ढांचागत विशेषताओं में कोई संशोधन नहीं कर सकती है। यधपि सर्वोच्च न्यायालय ने बुनियादी ढांचा को परिभाषित नहीं किया हैं फिर भी इसके आशय को यही समझा जा सकता है कि संसद मूल संविधान के मौलिक गुणों को जैसे मौलिक अधिकार, नीति निर्देशक तत्व, आदि अधिकार तथा लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता आदि से संबंधित मूल चारित्रिक गुणों में संविधान संशोधन नहीं कर सकती हैं।
23. सूचना के अधिकार का आन्दोलन पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- सूचना के अधिकार का अर्थ है जानने का अधिकार, जो प्रजातंत्र के विकास में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। सूचना के अधिकार को प्राप्त करने के लिए आंदोलन का प्रारम्भ 1990 में हुआ और इसका नेतृत्व किया मजदूर किसान शक्ति संगठन ने राजस्थान में काम कर रहे इस संगठन ने सरकार के सामने यह मांग रखी कि अकाल, राहत कार्य और मजदूरों को दी जाने वाली पगार के रिकार्ड का सार्वजनिक खुलासा किया जाये। धीरे-धीरे यह आंदोलन मजबूत हुआ और सरकार को इस आंदोलन की मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कार्यवाही करनी पड़ी। वर्ष 2004 में सूचना के अधिकार के विधेयक को सदन में रखा गया। जून, 2005 में विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी हासिल हुई।
24. अंगमी जापू फिजो कौन थे ? संक्षेप में परिचय दीजिए।
उत्तर- जापू फिजो का जन्म 1904 ई. में हुआ। वे पूर्वोत्तर भारत में नागालैंड की आज़ादी के आंदोलन के नेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। वे नागा नेशनल काउंसिल के अध्यक्ष बने उन्होंने नागालैंड को भारत से अलग देश बनाने के लिए भारत सरकार के विरुद्ध अनेक वर्षों तक सशस्त्र संघर्ष चलाया। उन्होंने पाकिस्तान में शरण ली और अपने जीवन के अंतिम तीन वर्ष ब्रिटेन में गुजारे। 1990 ई. में उनका निधन हो गया। आज भी नागा समस्या देश के समक्ष है ।
25. गठबंधन सरकार की एक राजनीतिक समस्या का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर- गठबंधन राजनीति में विचारों की एकरूपता नहीं होती। बार-बार पार्टियाँ गठबंधन छोड़ती है और इसलिए प्रायः गठबंधन टूटते रहते हैं या बदलते रहते हैं। इससे लोगों का बहुदलीय प्रणाली में विश्वास कम होता है। प्रायः वे दो दलीय या तीन अथवा कभी- कभी एक दलीय प्रणाली के समर्थक भी बन जाते हैं। गठबंधन की सरकारें अस्थायी, कम गतिशील रहती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. शीत युद्ध काल में भारत की भूमिका का वर्णन करें?
उत्तर शीत युद्ध काल में भारत की निम्नलिखित भूमिका थी-
1. भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के नेता के रूप में शीत युद्ध काल में अपनी भूमिका निभाई।
2. भारत ने स्वयं को दोनों महाशक्तियों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं सोवियत संघ की गुटबंदी से अलग रखा।
3. भारत शीतयुद्ध कालीन प्रतिस्पर्धा को कम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मामलों में हस्तक्षेप करने के पक्ष में था।
4. भारत ने दोनों महाशक्तियों के सैनिक गुटों तथा शस्त्रों की होड़ की कड़ी निंदा की और निःशस्त्रीकरण पर बल दिया।
5. भारत ने दोनों गुटों के बीच मौजूद मतभेदों को कम करने की कोशिश की और मतभेदों को पूर्णव्यापी युद्ध का रूप लेने से रोका।
6. भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन में शामिल अन्य सदस्यों को भी ऐसे कामों में लगाए रखा।
7. शीत युद्ध के दौरान भारत ने लगातार उन क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को सक्रिय बनाए रखने की कोशिश की जो अमेरिका या सोवियत संघ के गुट से जुड़े नहीं थे।
भारत ने सदैव शीतयुद्ध की निंदा की तथा अंतर्राष्ट्रीय शांति सुरक्षा एवं सहयोग का समर्थन किया, जिनसे भारत को विश्व में अपनी महत्वपूर्ण पहचान बनाने का अवसर मिला।
2. भारत जैसे देश के लिए सोवियत संघ के विघटन के क्या परिणाम हुए?
उत्तर- शीत युद्ध की समाप्ति एवं सोवियत संघ के विघटन के बाद विश्व एक ध्रुवीय हो गया। अमेरिका एकमात्र महाशक्ति के रूप में उदित हुआ भारत को अपने राष्ट्रीय हित में नीतियां बदलने पड़े भारत की विदेश नीति में अमेरिका समर्थक रणनीतियां शामिल की गई। लेकिन फिर भी रूस भारत का एक महत्वपूर्ण मित्र बना हुआ है मौजूदा अंतरराष्ट्रीय परिवेश में सैन्य हितों के बजाय आर्थिक नीति की घोषणा की जिसमें उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण को बढ़ावा दिया गया। अब भारत विश्व आर्थिक शक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र बनकर उभरा है। भारत ने साम्यवादी चीन के साथ भी बेहतर आर्थिक संबंध स्थापित किए हैं। भारत अंतरराष्ट्रीय क्षितिज पर बहुध्रुवीय विश्व की कामना करता है इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु भारत ने यूरोपीय संघ, चीन अमेरिका, जापान, रूस, आसियान के सदस्य देशों, अफ्रीकी देशों अपने पड़ोसियों सभी के साथ बेहतर संबंध स्थापित करने की कोशिश की है, एकध्रुवीय जगत में ऐसा करना जरूरी है।
3. किन बातों के कारण गोर्बाचोव सोवियत संघ में सुधार के लिए बाध्य हुए?
उत्तर- सोवियत संघ ने अपने संसाधनों का अधिकांश अंश परमाणु हथियारों और सैन्य साजो समान पर व्यय किया उसने अपने संसाधन पूर्वी यूरोप के देशों के विकास पर भी खर्च किए ताकि विस्तृत नियंत्रण में बने रहें इससे सोवियत संघ पर गहरा आर्थिक दबाव बना। इसी के साथ सोवियत संघ के आम नागरिकों की जानकारी बढ़ी कि वे पश्चिमी देशों की तुलना में पिछड़ चुके हैं इससे लोगों की मनोदशा प्रभावित हुई। सोवियत संघ पर कम्युनिस्ट पार्टी ने 1917 से 1991 तक शासन किया और यह पार्टी जनता के प्रति जवाबदेह नहीं थी, गतिरुदध् प्रशासन, भारी भ्रष्टाचार अपनी गलतियों को सुधारने में व्यवस्था की अक्षमता, शासन में ज्यादा खुलापन लाने के प्रति अनिच्छा, और देश की विशालता के बावजूद सत्ता का केंद्रीयकृत होना। इन सभी तत्वों के कारण आम जनता अलग-थलग हो गई। इससे भी बुरी बात यह थी कि पार्टी के अधिकारियों को आम नागरिकों से ज्यादा विशेषाधिकार मिले हुए थे इससे लोगों में सत्ता के प्रति मोहभंग हो गया। सोवियत गणराज्य में नस्लीयता और संप्रभुता के भाव के उभार ने भी मिखाइल गोर्बाचोव को सुधार के लिए बाध्य किया।
4. चीन की बढ़ती अर्थव्यवस्था के क्या कारण है? संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर- शक्ति का तीसरा विकसित केन्द्र- चीन है। 1978 के बाद- चीन की आर्थिक सफलता के कारण यह एक महाशक्ति के रूप में उदय हुआ। आर्थिक सुधारों की शुरूआत करने के बाद से चीन सबसे तेजी से विकास कर रहा है। तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ इसकी विशाल आबादी, विस्तृत भूभाग, प्रचुर संसाधन, क्षेत्रीय अवस्थिति और राजनीतिक प्रभाव के कारण चीन और अधिक प्रभावशाली हो गया है। 1949 में माओ के नेतृत्व में चीनी क्रांति हुई। उस साम्यवादी क्रांति के बाद चींनी जनवादी गणराज्य की स्थापना के समय यहाँ की अर्थव्यवस्था सोवियत मॉडल पर आधारित थी। चीन आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ था। इसने पूँजीवादी देशों से रिश्ते तोड़ लिए। ऐसे में चीन के सामने अपने संसाधनों से गुजारा करने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। लेकिन चीनी नेतृत्व ने 1970 के दशक में दो बड़े फैसले लिए। चीन ने 1972 में अमेरिका से सम्बन्ध बनाकर अपने राजनैतिक और आर्थिक एकांतवास को खत्म किया। 1978 में चीन के प्रधानमंत्री देंग श्याओपेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति की घोषणा की। अब चीन ने बाहरी व्यापार शुरू किया। बाजारमूलक अर्थव्यवस्था को अपनाने के लिए चीन ने अपना तरीका आजमाया। "शोक थेरेपी पर अमल करने के बजाय अपनी अर्थव्यवस्था को चरणबद्ध ढंग से खोला। 1982 ई. में कृषि का निजीकरण किया गया और उसके बाद 1998 में उद्योगों का निजीकरण किया। उनके द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीति के कारण कृषि उत्पाद तथा ग्रामीण आय में वृद्धि हुई। फलस्वरूप चीन को विशाल विदेशी मुद्रा भण्डार प्राप्त हुआ। 2001 में विश्व व्यापार संगठन में शामिल हो गया तथा चीन ने दुनिया के बाजार में अपनी धाक जमाई।
5. एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के निर्माण के बाद वहां लोकतंत्र कैसे कायम हुआ? स्पष्ट करें।
उत्तर - बांग्लादेश ने अपना संविधान बनाकर अपने को एक धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक तथा समाजवादी देश घोषित किया। 1975 में शेख मुजीबुर्ररहमान ने संविधान में संशोधन करके संसदीय प्रणाली की जगह अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को मान्यता दिलाया। शेख मुजीबुर्रहमान ने अपनी पार्टी 'अवामी लीग को छोड़कर अन्य सभी पार्टियों को समाप्त कर दिया इससे तनाव और संघर्ष की स्थिति पैदा हो गई। अगस्त 1975 में सेना ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया और इस घटनाक्रम में शेख मुजीबुर्रहमान सेना के हाथों मारे गए। नए सैनिक शासक जियाउर रहमान बने तथा उनकी पार्टी बांग्लादेश नेशनल पार्टी' 1979 के चुनाव में विजयी हुई। बाद में जियाउर रहमान की हत्या हो गई और लेफ्टिनेंट जनरल एच एम इरशाद के नेतृत्व में बांग्लादेश में एक बार फिर से सैनिक शासन स्थापित हुआ। बांग्लादेश की जनता लोकतंत्र के समर्थन में आंदोलन करना शुरू कर दी। जिससे बाध्य हो कर राजनीतिक गतिविधियों की छूट दी गई। जनरल इरशाद 5 वर्षों के लिए राष्ट्रपति निर्वार्चित हुए किंतु जनता के व्यापक विरोध के कारण उन्हें 1990 मैं राष्ट्रपति का पद छोड़ना पड़ा तथा पुनः 1991 में चुनाव हुए। उसके बाद से बांग्लादेश में बहुदलीय चुनाव पर आधारित प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र कायम है।
6. पाकिस्तान में सेना और लोकतंत्र का शासन किस प्रकार रहा है? स्पष्ट करें।
उत्तर- पाकिस्तान में संविधान के बनने के बाद देश की शासन की बागडोर जनरल अयूब खान ने अपने हाथों में ले ली और शीघ्र ही निर्वाचन भी करा लिया। उनके शासन के खिलाफ जनता का विद्रोह हुआ और उन्हें पद छोड़ना पड़ा। एक बार फिर से सैनिक शासन जनरल याहिया खान के नेतृत्व में पाकिस्तान में शुरू हुआ। याहिया खान की सैनिक शासन के दौरान 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ परिणाम स्वरूप पूर्वी पाकिस्तान टूटकर एक स्वतंत्र देश बांग्लादेश बना। 1971 से 1977 तक जुल्फिकार अली भुट्टो के नेतृत्व में पाकिस्तान में एक निर्वाचित सरकार बनी। 1977 में जनरल जियाउल हक ने इस सरकार को गिरा दिया और सैनिक शासन कायम किया ।1982 के बाद से जनरल जियाउल - हक को लोकतंत्र समर्थक आंदोलन का सामना करना पड़ा। फलस्वरुप 1988 में एक बार फिर से बेनजीर भुट्टो के नेतृत्व में लोकतांत्रिक सरकार बनी। बेनजीर भुट्टो की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और मुस्लिम लीग के बीच लोकतांत्रिक सत्ता 1999 तक कायम रही। 1999 में एक बार फिर से सेना ने दखल दिया और जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटा दिया | 2001 में परवेज मुशर्रफ ने अपना निर्वाचन राष्ट्रपति के रूप में कराया। पाकिस्तान पर सेना की हुकूमत थी। हालांकि सैनिक शासकों ने अपने शासन को लोकतांत्रिक जताने के लिए चुनाव कराएं हैं। 2008 से पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए नेता शासन कर रहे हैं।
7. संयुक्त राष्ट्र संघ का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर- 1945 से अब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की गतिविधियों का आलोचनात्मक प्रशिक्षण किया जाए तो उनके पक्ष व विपक्ष में पर्याप्त सामग्री मिल सकती है। एक ओर निराशावादी थे जिन्होंने इस संगठन की असफलताओं व दुर्लभताओ पर प्रहार किया तो दूसरी ओर आशावादियों ने राष्ट्र संघ की उपलब्धियों को सहारा तथा उसके बेहतर भविष्य की कामना की। पहले हम इस यह संघ की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को लेते हैं जब 1945 में संयुक्त राष्ट्रसंघ बना। उस समय चार्टर पर 50 राज्यों ने हस्ताक्षर किये किन्तु धीरे-धीरे इसकी सदस्य संख्या बढ़ती गई जो 2011 में 193 तक पहुँच गई। जब बार-बार वीटो शक्ति के दुरुपयोग ने सुरक्षा परिषद् को निष्क्रिय बना दिया तो अचेसन सन्धि योजना ने महासभा को सक्रिय कर दिया जो शान्ति स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था उदाहरण के लिए स्वेज नहर व कांगो संघ के संकटमें देखे जा सकते हैं। उपनिवेशवाद के अन्त का अभियान चलता रहा जिससे इण्डोनेशिया, अल्जीरिया, कैमरून्स टोगोलैंड, टैगानाइका, रुएंडा उरुंडी तथा नामीबिया जैसे क्षेत्र स्वतन्त्र राज्य बन गए। ईरान से सोवियत सेनाएँ हट गयी, फिलीस्तीन में युद्ध विराम हो गया। जब कोरिया की लड़ाई हुई तो सामूहिक सुरक्षा के प्रावधानों का आह्वान किया गया जिससे यह युद्ध रोका जा सके। 1991 में ऐसी कार्यवाहीसे कुवैत की स्वतन्त्रता बहाल की गई। 1960 के बाद नयी अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था लाने का अभियान जिसने उत्तर-दक्षिण संवाद का सूत्रपात किया । व्यापार व विकास के लिए संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन आयोजित हुआ। दक्षिण अफ्रीका की रंगभेद नीति की कटु आलोचना हुई जिसके कारण उस अमानवीय स्थिति का अन्त हुआ। इस अद्भुत विकास ने दुनिया के छोटे व कम महत्वपूर्ण देशों को अपनी पहचान बनाने का अवसर दिया।यदि हम चित्र के दूसरी ओर देखें तो संघ की विफलताओं की लम्बी सूची तैयार की जा सकती है। शीत युद्ध की चपेट आने के कारण संयुक्त राष्ट्रसंघ को वांछित सफलता नहीं मिली। कोरिया की लड़ाई रुकी लेकिन वियतनाम की लड़ाई को रोकने में यह संघ विफल रहा। महासभा में गुटबन्दी शुरू हो गई। 1972 तक उसने साम्यवादी चीन के प्रवेश को असम्भव बनाए रखा तथा महासचिव की बढ़ती हुई सक्रिय भूमिका की कटु आलोचना की। कश्मीर व फिलिस्तीन की जटिल समस्याएँ सुलझ न सकीं जिसकी वजह से भारत व पाकिस्तान तथा इजराइल व अरब देशों के बीच युद्ध चलते रहे। निःशस्त्रीकरण की दिशा में कोई उल्लेखनीय सफलता न मिल सकी। जर्मनी के एकीकरण का मुद्दा भी लटक गया। फिर भी यह जाना चाहिए कि 1945 से विश्व में ऐसे परिवर्तन हो रहे हैं जिन्होंने आशावादी दृष्टिकोण को प्रोत्साहित किया है । शीतयुद्ध का प्रभाव धीरे-धीरे कम होती गई। दोनों महाशक्तियों एक दूसरे के निकट आने लगी जिनकी वजह से 1962 का क्यूबा का गंभीर खतरा टला तथा 1960 में परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में आई।
8. शक्ति संतुलन क्या है? कोई देश इसे कैसे कायम करता है?
उत्तर- शक्ति संतुलन का अर्थ है, कोई भी एक पक्ष या राज्य इतनाबलशाली न हो कि वह अन्य राज्यों पर हावी हो जाए या दूसरे पर हमला करने, उसे दबाने या हराने में समर्थ हो। जिस तरह एक तुला के दो पलड़े समान भार होने पर संतुलित बने रहते हैं, वही स्थिति अलग-अलग राज्यों के मध्य होती है। यदि कोई देश अन्य देशों की तुलना में ज़्यादा शक्तिशाली होता है तो वह अन्य देशों के लिए संकट और चिंता का विषय बन सकता है। शक्ति संतुलन के अंतर्गत अनेक राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधो को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं। क्लॉड के अनुसार, "शक्ति संतुलन एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें विभिन्न स्वतंत्र राष्ट्र अपने आपसी शक्ति संबंधों को बिना किसी बड़ी शक्ति के हस्तक्षेप के स्वतंत्रतापूर्वक संचालित करते हैं। इस प्रकार यह एक विकेंद्रित व्यवस्था हैं, जिसमें शक्ति व नीति निर्णायक इकाइयों के हाथों में ही रहती हैं।"
शक्ति संतुलन कायम रखने के उपाय-
(क) शक्ति संतुलन को कायम रखने के लिए सैन्य शक्ति में लगातार वृद्धि होते रहनी चाहिए।
(ख) शक्ति संतुलन के लिए आर्थिक और प्रौद्योगिकी की ताकत होने चाहिए, तभी शक्ति संतुलन कायम रह पाएगा।
(ग) शत्रु देश की शक्ति को कम करने के लिए अनेक उपाय करने चाहिए, जैसे शत्रु देश के मित्र देशों की संख्या कम करना।
(घ) शस्त्रीकरण भी शक्ति संतुलन का एक जरिया है। शक्ति संतुलन द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात विश्व में बना हुआ था, जैसे अमरीका व सोवियत संघ दोनों शक्तिशाली विरोधी देश थे। यदि शक्ति संतुलन न होता तो तृतीय विश्व युद्ध हो सकता था। यह संतुलन 1945 से 1990 तक बना रहा।
9. सैन्य गठबंधन के क्या उद्देश्य होते हैं? किसी ऐसे सैन्य गठबंधन का नाम बताइए जो अभी मौजूद है? इस गठबंधन के उद्देश्य भी बताएँ ।
उत्तर- सैन्य गठबंधन में कई देश सम्मिलित होते हैं। सैन्य गठबंधन हमले को रोकने, हमला करने और रक्षा के उद्देश्य को लेकर बनाए जाते हैं। सैन्य गठबंधन बनाकर एक विशेष क्षेत्र में सैन्य शक्ति संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। वर्तमान में नाटो (NATO) नाम का एक सैन्य गठबंधन मौजूद हैं। सैन्य गठबंधनों का निर्माण अनेक देशों के माध्यम से अपने किसी विशेष क्षेत्र के लिए किया गया था, जैसे- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व में नाटो, सोवियत संघ के नेतृत्व में वारसा पैक्ट तथा यूरोपीय देशों व अमरीका ने मिलकर सिएटो की स्थापना की। नाटो एक गैर साम्यवादी सैन्य गठबंधन है। नाटो में सबसे शक्तिशाली तथा केंद्रीय शक्ति अमरीका रहा है। नाटों की स्थापना 4 अप्रैल, 1949 को की गई थी। अमरीका ने सोवियत संघ के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए नाटों की स्थापना की। इसमें मुख्यतः अमरीका व यूरोपीय देश शामिल थे।
नाटो के उद्देश्य निम्न थे-
(a) यूरोप पर आक्रमण के समय अवरोधक की भूमिका अदा करना।
(b) सैन्य और आर्थिक विकास के लिए यूरोपीय राष्ट्रों के लिए कोई एक सुरक्षा छतरी बनना।'
(c) भूतपूर्व सोवियत संघ के साथ संभावित युद्ध के लिए लोगों को, विशेषकर अमरीका के लोगों को मानसिक रूप से तैयार करना ।
(d) नाटो का प्रमुख औचित्य यूरोप की प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करना है।
10. भारतीय परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए किस किस्म की सुरक्षा को वरीयता दी जानी चाहिए पारंपरिक या अपारंपरिक अपने तर्क की पुष्टि में आप कौन-से उदाहरण देंगें?
उत्तर- भारतीय परिदृश्य को देखते हुए भारत को पारंपरिक और अपारंपरिक दोनों तरह की सुरक्षा को वरीयता देनी चाहिए। भारत न तो सैनिक दृष्टि से सुरक्षित हैं और न ही अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से भारत के दो पड़ोसी देशों के पास परमाणु हथियार हैं जो भारत पर कभी भी हमला कर सकते हैं। हमले के अलावा भारत-चीन, भारत- पाकिस्तान सीमाओं पर लगातार विवाद बना हुआ है, जिससे आत्मरक्षा के लिए भारत के पास सैनिक शक्ति व परमाणु हथियारों का होना महत्वपूर्ण हैं। इसलिए भारत द्वारा पारंपरिक सुरक्षा को महत्व दिया जाना चाहिए। भारत अपारंपरिक सुरक्षा के खतरों से परे नहीं है। पर्यावरण संरक्षण, गरीबी, आतंकवाद, ओजोन परत में छेद ग्लोबल वार्मिंग, बाढ़, सूखा, सभी देशों की समस्याएँ हैं, भारत भी उनमें से एक है। इन खतरों से जूझना भारत के लिए उतना ही जरूरी है, जितना सैनिक खतरों से। इसी कारण भारत को पारंपरिक सुरक्षा के साथ ही अपारंपरिक सुरक्षा को भी वरीयता देनी चाहिए।