मध्य प्रदेश कक्षा-10वीं 2023 : सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के साथ; रटलो यही से आएगा

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मध्य प्रदेश कक्षा-10वीं 2023 : सामाजिक विज्ञान महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर के साथ; रटलो यही से आएगा
यहां सामाजिक विज्ञान 10वी Exam 2023 के लिए New Blue Print पर आधारित 100 Most Important Question दिए गए है. ये प्रश्न (Question )Study Material के रूप में तैयार किये गए. जो आपके Paper के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये Most Important Question तैयारी को और बेहतर बना सकते है I
100 Most Important Question
प्रश्न 1. मृदा अपरदन से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- मृदा अपरदन: बहते हुए जल, हवा तथा जीव-जन्तुओं व मानव की क्रियाओं द्वारा भू-पटल की ऊपरी उपजाऊ मिट्टी की परत के कट जाने और उड़कर अन्यत्र रूपान्तरित हो जाने को मिट्टी का कटाव या मृदा अपरदन कहा जाता है।
प्रश्न 2. हरित क्रांति से क्या तात्पर्य है?
उत्तर- हरित क्रान्ति: हरित क्रान्ति का आशय कृषि उत्पादन में उस तीव्र वृद्धि से है, जो अधिक उपज देने वाले बीजों, रासायनिक उर्वरको व नई तकनीक के प्रयोग के परिणामस्वरूप हुई है। इस क्रान्ति के फलस्वरूप फसलों की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई है।
प्रश्न 3. लार्ड कर्जन ने शासन की कौन-सी नीति अपनाई?
उत्तर- लार्ड कर्जन ने 1905 में ‘‘फूट डालो और शासन करो की नीति का अनुसरण करते हुए बंगाल को दो भागों में विभाजित कर दिया। उसने बंगाल की जनता की एकता को आघात पहुँचाने और वहाँ के हिन्दुओं और मुसलमानों में सदैव के लिए फूट डालने के उद्देश्य से विभाजन का कुटिल षड़यंत्र रचा था जिससे बंगाल में विस्फोटक स्थिति उत्पन्न हो गयी।
प्रश्न 4. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर- बैरकपुर छावनी में 29 मार्च, 1857 को मंगल पाण्डे नामक सैनिक ने चर्बी वाले कारतूस को भरने से इंकार कर दिया और उत्तेजित होकर अंग्रेज अधिकारियों की हत्या कर दी। फलस्वरूप उसे बन्दी बनाकर 8 अप्रैल 1857 को फाँसी दे दी गयी। इस प्रकार चर्बी लगे कारतूस 1857 की क्रान्ति का तात्कालिक कारण बना।
प्रश्न 5. राष्ट्रीय आय की गणना किस समय अवधि में की जाती है?
उत्तर- राष्ट्रीय आय की गणना देश में एक वर्ष 1 अप्रैल 31 मार्च में उत्पादित वस्तुओं तथा सेवाओं के मौद्रिक मूल्य को जोड़कर ज्ञात की जाती है।
प्रश्न 6. बेरोजगारी भत्ता किसे दिया जाता है?
उत्तर- वे व्यक्ति जो वर्तमान मजदूरी की दर पर काम करने को तैयार होता है परन्तु उसे कार्य नहीं मिलता। बेरोजगारी की स्थिति में श्रम शक्ति और रोजगार के अवसरों में असमानता बढ़ती जाती है। इसमें श्रमिकों की मांग की अपेक्षा पूर्ति अधिक होती है। ऐसी स्थिति में बहुत से व्यक्ति कार्य करने योग्य तो होते है है परन्तु उन्हें कार्य नहीं मिल पाता है। इन्हीं लोगों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाता है।
प्रश्न 7. अधो-संरचना के प्रकारों को समझाइए।
उत्तर- अधोसंरचना से आशय उन सुविधाओं, क्रियाओं तथा सेवाओं से है जो उत्पादन के अन्य क्षेत्रों के संचालन तथा विकास एवं दैनिक जीवन में सहायक होती हैं।
अधोसंरचना के प्रकार:- अधोसंरचना को दो भागों में बाँटा गया है-
(1) आर्थिक अधोसंरचना:- अधोसंरचना जो मुख्यतः शक्ति, यातायात एवं दूरसंचार से सम्बन्धित होती है, को आर्थिक संरचना कहा जाता है। रेल, सड़क, बन्दरगाह, हवाई अड्डे, बाँध, विद्युत् केन्द्र आदि को आर्थिक संरचना के अन्तर्गत रखा जाता है। आर्थिक विकास में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। इसीलिए इन्हें बुनियादी आर्थिक सुविधाएँ भी कहा जाता है।
(2) सामाजिक अधोसंरचना:- सामाजिक अधोसंरचना मानव संसाधन का विकास करने एवं मानव पूँजी निर्माण करने में सहायक होती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा आदि इसके अंग होते हैं। इनसे समाज को कुशल, निपुण एवं स्वस्थ जनशक्ति प्राप्त होती हैं। इससे कार्यक्षमता बढ़ती है जिससे प्राथमिक एवं द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादन तेजी से बढ़ता है। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का तेजी से विकास होता है।
प्रश्न 8. अर्थव्यवस्था का द्वितीयक क्षेत्र क्या है? उदाहरण सहित समझाइए।
उत्तर- द्वितीयक क्षेत्र: इस क्षेत्र की गतिविधियों के अंतर्गत प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली के माध्यम से अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है उदाहरण के लिए लोहे से मशीन बनाना या कपास से कपड़ा बनाना आदि यह प्राथमिक गतिविधियों के बाद अगला कदम है।
प्रश्न 9. उपभोक्ता शोषण के किसी 2 प्रकारों को समझाइए।
उत्तर- उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार निम्न है।
(1) ऊँची कीमते:- प्रायः दुकानदार निर्धारित फुटकर कीमत से अधिक मनमानी कीमत ले लेते है।
(2) मिलावट एवं अशुद्धता:- मिलावट का आशय है वस्तु में कुछ सस्ती वस्तु को मिला देना। इससे कई बार उपभोक्ता के स्वास्थ्य को हानि होती है।
प्रश्न 10. एकाधिकार क्या है?
उत्तर- एकाधिकार का आश्य है किसी वस्तु के उत्पादन एवं वितरण पर किसी एक उत्पादक या एक उत्पादक समुह का अधिकार होना। एकाधिकार की स्थिति में उत्पादक कीमतों एवं वस्तु की गुणवत्ता तथा उपलब्धता से संबंधित में मनमानी करते है। वे उपभोक्ताओं का शोषण करने में सफल हो जाते है।
प्रश्न 11. श्वेत और पीत क्रांति के बीच कोई तीन अंतर लिखिए।
उत्तर- श्वेत क्रान्ति:-
(1) श्वेत क्रान्ति का पशुपालन से निकट का सम्बन्ध है।
(2) इसे आपरेशन ब्लड के नाम से जाना जाता है।
(3) श्वेत क्रान्ति का अर्थ है। डेरी विकास कार्यक्रमों के द्वारा दूध के उत्पादन में वृद्धि।
पीत क्रान्ति:-
(1) पीत क्रान्ति का सम्बन्ध खाद्य तेलो और तिलहन फसलों से है।
(2) इसे पीली क्रान्ति के नाम से जाना जाता है।
(3) खाद्य तेलो और तिलहन फसलों के उत्पादन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास करनी की रणनीति पीत क्रान्ति कहते है।
प्रश्न 12. रबी और खरीफ की फसलों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
खरीफ
1. यह फसल मानसून ऋतु के आगमन के साथ ही शुरू होती है।
2. इसकी प्रमुख फसलें धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, पटसन और मूंगफली आदि हैं।
3. इन फसलों के पकने में कम समय लगता है।
4. इन फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन कम होता हैं।
5. ये फसलें सितम्बर-अक्टूबर में काटी जाती हैं।
रबी
1. यह फसल मानसून ऋतु के बाद शरद ऋतु के साथ शुरू होती है।
2. इसकी मख्य फसलें गेहूँ, जौ, चना, सरसों और अलसी, जैसे-तेल निकालने के बीज आदि हैं।
3. इन फसलों के पकने में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।
4. इन फसलों का प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
5. ये फसलें मार्च-अप्रैल में काटी जाती हैं।
प्रश्न 13. सामाजिक वानिकी योजना क्या हैं?
उत्तर- सामाजिक वानिकी योजना: - वृक्षारोपण की यह योजना विश्व बैंक के वित्तीय सहायता प्राप्त है। इसमें चक वानिकी विस्तार वानिकी एवं शहरी वानिकी के अंतर्गत खेतों, रेल लाइन के किनारे वृक्षारोपण किया गया है। ‘हर बच्चे के लिए एक पेड़’स्कूलों व कालेजों में यह नारा विकसित किया गया है। वन महोत्सव का प्रचार-प्रसार कर कार्य वृक्षारोपण, सड़कों, नहरों एवं, रेल लाइनों के किनारे वृक्षारोपण कर जन भागीदारी को बढ़ावा दिया जाना आवश्यक है।
प्रश्न 14. वर्षा का जल संग्रहण क्यों जरूरी है?
उत्तर- वर्षा जल संग्रहण का आशय है कि वर्षा के जल का उसी स्थान पर प्रयोग किया जाए जहाँ यह भूमि पर गिरता है। जल का प्रथम स्त्रोत वर्षा ही है। झरनों का प्रमुख आधार वर्षा ही है। इसके प्रमुख लाभ निम्न है।
(1) इसे साफ करके स्थानीय लोगों की जल की उपयोग की आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है।
(2) इसे वर्षा के कम होने या न होने के समय खेतों की सिंचाई करने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है।
(3) इस ढंग से जल संग्रहण के परिणामस्वरूप आसपास के भागों में बाढ़ की भी स्थिति नहीं रहती है।
प्रश्न 15. कांग्रेस की स्थापना के कोई तीन उद्देश्य लिखिए।
उत्तर- कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष ब्योमेशचन्द्र जी बनर्जी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन (1885) में इसके निम्न उद्देश्य बताए-
(1) साम्राज्य के विभिन्न भागों में राष्ट्र के हित के कार्यों में संलग्न ऐसे सभी व्यक्तियों में परस्पर घनिष्ठता और मित्रता को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य है।
(2) अपने सभी राष्ट्र-प्रेमियों में जाति, धर्म या प्रान्तीयता के सभी सम्भव पूर्वाग्रहों को सीधे मित्रतापूर्ण व्यक्तिगत सम्पर्क से दूर करना और राष्ट्रीय एकता की उन भावनाओं की पूरी तरह विकसित और संगठित करना।
(3) तत्कालीन महत्वपूर्ण और ज्वलन्त सामाजिक समस्याओं के बारे में शिक्षित वर्ग के परिपक्व व्यक्तियों के साथ पूरी तरह से विचार विमर्श करने के बाद बहुत सावधानी से इनका प्रमाणिक लेखा-जोखा तैयार करना।
(4) जिन दिशाओं में और जिस तारीख से अगले बारह महीनों में देश के राजनीतिज्ञों को लोकहित के लिए कार्य करना चाहिए, उनका निर्धारण करना।
प्रश्न 16. नाना साहेब पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- नाना साहब:- नाना साहब प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण नेता थे नाना साहब भूतपूर्व पेश्वा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और बिदूर में निवास करते थे। पेश्वा की मृत्यु के उपरान्त लार्ड डलहौजी ने नाना साहब को पेंशन एवं उपाधि से वंचित कर दिया था। अतः नाना ने अपने विश्वासपात्र सैनिकों की सहायता से अंग्रेजों को कानपुर से निकाल दिया और स्वयं को पेश्वा घोषित कर दिया। तात्या टोपे और अजीमुल्लाह नाना साहब के विश्वासपात्र सेनानायक थे।
प्रश्न 17. 1857 के संग्राम की असफलता के कोई तीन कारण लिखिए।
उत्तर- प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की असफलता के प्रमुख कारण निम्न है।
(1) 1857 की क्रान्ति निर्धारित तिथि से पूर्व प्रारंभ कर दी गयी थी जिससे यह असफल हो गयी।
(2) 1857 की क्रान्ति की असफलता का अन्य कारण योग्य नेतृत्व का अभाव था। विद्रोही नेताओं में सैनिक कुशलता तथा संगठित होकर कार्य करने तथा क्रान्ति संचालन की क्षमता का अभाव था।
(3) क्रान्तिकारियों में वीरता तथा साहस की भावना का अभाव नहीं था परन्तु उनकी सैनिक शक्ति अत्यधिक निर्बल थी।
प्रश्न 18. भारत में बसने वाले यूरोपियों ने इलबर्ट बिल का विरोध क्यों किया ?
उत्तर- इलबर्ट बिल - लार्ड स्पिन ने जातीय भेदभाव को दूर करने के लिए एक कानून बनाने का प्रयास किया। इस विधि सदस्य इलबर्ट ने तैया किया था। अतः इलबर्ट बिल कहा जाता है। इसके द्वारा मजिस्ट्रेट और सेशन जज को फौजदारी मुकदमों में यूरोपीय लोगों की सुनवाई का अधिकार दिया जाना था। इलबर्ट बिल प्रजातीय भेदभाव की नीति को उजागर करता था भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपीय अपराधियों का मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं था। इस भेदभाव को दूर करने के लिए इलर्बट बिल लाया गया। भारत में बसने वाले यूरोपियनों ने इलबर्ट बिल का संगठित होकर विरोध किया और काला कानून माना। अन्ततः बिट्रिश सरकार को इलबर्ट बिल वापस लेना पड़ा। भारतीयों के मन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा था।
प्रश्न 19. सहायक संधि क्या थी? इसे किंसने लागू किया था?
उत्तर- सहायक संधि ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार का अप्रत्यक्ष तरीका था। यह व्यवस्था लॉर्ड वेलेजली ने लागू की थी।
प्रश्न 20. लोहा और इस्पात उद्योग "आधारभूत" उद्योग क्यों कहलाता है?
उत्तर- लोहा एवं इस्पात उद्योग आधारभूत उद्योगों में से एक महत्वपूर्ण उद्योग है। किसी भी देश के उद्योगों में की जाती है। किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का यह आधार स्तम्भ होता है। यह आधुनिक औद्योगिक ढाँचे का आधार और राष्ट्रीय शक्ति का मापदण्ड है। लोहा-इस्पात उद्योग का उपयोग मशीनों, रेलवे लाइन, यातायात के साधन, रेल-पुल, जलपान, अस्त्र शस्त्र एवं कृषि-यंत्र आदि बनाने में किया जाता है। इसलिए लोहा इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है।
प्रश्न 21. परिवहन से क्या आशय हैं? इसके साधनों को संक्षेप में समझाइये।
उत्तर- परिवहन:- एक स्थान से दूसरे स्थान तक माल का लाना व ले जाना तथा सवारियों का आना-जाना परिवहन के साधनों द्वारा होता है। परिवहन के साधन स्थल मार्ग, जल मार्ग तथा वायु मार्ग है। इनमें कार, बस, रेल, जलयान, वायु यान आदि वाहनों का प्रयोग किया जाता है।
(1) रेल परिवहन- रेल के द्वारा आवागमन व आयात-निर्यात रेल परिवहन कहलाता है।
(2) सड़क परिवहन- सड़क परिवहन के अंतर्गत सड़क पर चलने वाले वाहन द्वारा आवागमन, आयात-निर्यात सड़क परिवहन कहलाता है।
(3) जल परिवहन- जल मार्ग द्वारा यातायात आवागमन जल परिवहन कहलाता है।
(4) वायु परिवहन- वायु मार्ग द्वारा परिवहन वायु परिवहन कहलाता है।
प्रश्न 22. संचार से क्या आशय है? इसके साधनों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर- संचार:- संदेश एवं सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाना संचार कहलाता है।
संचार के प्रमुख साधन
(1) डाक सेवाएं: डाक घर, पोस्ट ऑफिस द्वारा पत्र से संदेशों का आदान-प्रदान करना।
(2) विदेशी तार: इसके द्वारा संदेश एक देश से दूसरे देश भेजे जाते है।
(3) टेलीफोन: टेलीफोन के माध्यम से हम अपना संदेश कहीं भी भेज सकते है। घर बैठै-बैठे हम अपना काम टेलीफोन द्वारा कर सकते है।
(4) रेडियो: आकाशवाणी द्वारा संदेश का आदान-प्रदान करना।
(5) फैक्स: तार या फैक्स से संदेश भेजना।
(6) इण्टनेट: इण्टरनेट द्वारा हम दुनिया में कहीं भी अपना संदेश भेज सकते है। तथा कई वेबसाइट द्वारा कही से भी संदेश व सूचनाएं प्राप्त कर सकते है।
प्रश्न 23. सूखा एवं बाढ़ किसे कहते हैं? लिखिए।
उत्तर- सूखा: - सूखा एक आपदा है। जो मानवीय चिन्ता का प्रमुख विषय रहा है। हमारे राष्ट्र में बहुत कम ऐसे क्षेत्र है जहाँ सूखे की समस्या का सामना करना पड़ता है। किसी भी क्षेत्र में होने वाली सामान्य वर्षा में 25 प्रतिशत या उससे ज्यादा कमी होने पर उसे सूखे की स्थिति कहा जाता है। गम्भीर सूखे की स्थिति को हम तब कहते है जब या तो वर्षा में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी हो या दो वर्षों तक निरन्तर वर्षा न हो।
बाढ़: - किसी बड़े भू-भाग में किन्हीं भी कारणों से हुआ जलभराव जिससे जन-धन की हानि होती है, बाढ कहलाती है। जलाशयों में पानी की वृद्धि होने या भारी वर्षा के कारण नदी के अपने किनारों को लाँघने या तेज हवाओं या चक्रवातों के कारण बांधों के फटने से विशाल क्षेत्रों में अस्थायी रूप से पानी भरने से बाढ़ आती है।
प्रश्न 24. आपदा प्रबंधन पर लेख लिखिए।
उत्तर- आपदा प्रबंधनः - आपदा प्रबंधन क्रियाकलापों की एक ऐसी श्रृंखला है जो आपदा से पहले उसके बाद ही नहीं बल्कि एक दूसरे के समानान्तर भी चलती रहती है। यह व्यवस्था विस्तार और संकुचन मॉडल से भी अधिक है इस व्यवस्था में यह मानकर चला जाता है कि आपदा सम्भावित समुदाय के भीतर आपदा की रोकथाम, उसके दुष्प्रभाव को कम करने, जवाबी कार्यवाही और सामान्य जीवन स्तर पर लौटने के लिए पर्याप्त उपाय होते है। तथापि विभिन्न घटक, संकट और समुदाय की असुरक्षा की सम्भावना के बीच संबंध के आधार पर विस्तारित तथा संकुचित होते रहते है अर्थात् आपदा प्रबंधन ऐसे क्रियाकलापों का एक समुह है जो आपदा के पूर्व या बाद की स्थिति के क्रम में न होकर एक दूसरे के साथ-साथ चलती है। उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट है कि ‘आपदा प्रबंधन का ज्ञान प्रत्येक विद्यार्थी को होना चाहिए।’
प्रश्न 25. सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाये जाने के क्या कारण थे?
उत्तर- दिसम्बर 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने की स्वीकृति दी गई थी। वायसराय लार्ड इरविन ने लाहौर अधिवेशन के पूर्व स्वाधीनता प्रस्ताव को मानने से इंकार कर दिया था परन्तु गांधी जी अभी भी समझौते की आशा रखते थे। अतः उन्होंने 30 जनवरी 1930 को लार्ड इरविन के समझ 2 मांगे प्रस्तुत की। गांधीजी ने यह भी घोषणा किया की मांगे स्वीकार न होने की स्थिति में सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया जाएगा।
गांधी जी कहते थे कि सरकार विनिमय की दर घटाए भू-राजस्व कम करे, पूर्ण नशाबंदी लागू हो बंदूकों को रखने का लाइसेंस दिया जाए नमक पर कर समाप्त हो, हिंसा से दूर रहने वाले राजनीतिक बंदी छोड़े जाए, गुप्तचर विभाग पर नियंत्रण स्थापित हो, सैनिक व्यय में पचास प्रतिशत कमी हो कपड़ों का आयात कम हो। वायसराय ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया। अतः गांधी जी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ किया।
प्रश्न 26. मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय चेतना की जागृती हेतु प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर- मध्यप्रदेश में राष्ट्रीय चेतना की वृद्धि के लिए अनेक कारको का सहयोग रहा, जिसमें समाचार पत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण है। उस समय ऐसे अनेक समाचार-पत्र प्रकाशित हुए जिन्होंने ब्रिटिश शासन की अन्यायी एवं दमनकारी नीति से जनता को आंदोलन के लिए प्रेरित किया। इनमें प्रमुख थे कर्मवीर, अंकुश, सुबोध सिन्धु (खण्डवा) न्याय सुधा (हरदा), आर्य वैभव (बुरहानपुर), लोकमत (जबलपुर), प्रजामण्डल पत्रिका (इन्दौर), सरस्वती विलास (जबलपुर), साप्ताहिक आवाज एवं सुबह वतन (भोपाल) आदि। ब्रिटिश शासन के प्रतिबंधों के कारण जब समाचार पत्र प्रकाशित नहीं हो सके, गुप्त रूप से बुलेटिन एवं परचों ने जनजाग्रति का कार्य किया।
प्रश्न 27. कश्मीर समस्या क्या है? समझाइए।
उत्तर- कश्मीर की समस्या भारत और पाकिस्तान के मध्य सबसे जटिल समस्या है। स्वतंत्रता के पश्चात दो नये राज्य बने, तो देशी रियासतों को स्वतंत्रता प्रदान की गई कि वह अपनी इच्छानुसार भारत या पाकिस्तान में विलय हो सकती है। या स्वतंत्र रह सकती है। अधिकांश रियासत भारत या पाकिस्तान में मिल गई।
कश्मीर के राजा हरि सिंह ने अपनी रियासत जम्मू कश्मीर को स्वतंत्र रखने का निर्णय लिया। राजा हरीसिंह का विचार था कि कश्मीर यदि पाकिस्तान में मिलता है तो जम्मू की हिन्दू जनता और लद्दाख की बौद्य जनता के साथ अन्याय होगा। और यदि वह भारत में मिलता है तो मुस्लिम जनता के साथ अन्याय होगा अतः उसने यथा स्थिति बनाए रखी।
प्रश्न 28. समाजवादी एवं पंथनिरपेक्षता का आशय समझाइए।
उत्तर- समाजवादी राज्य का आश्यः समाजवादी राज्य से आश्य है कि भारतीय व्यवस्था समाज के समतावादी ढाँचे पर आधारित होगी। प्रत्येक भारतीय की न्यूनतम आवश्यकताओं की पूर्ति की जाएगी। भारतीय परिस्थिति के अनुसार समाजवाद को अपनाया जाएगा। पंच निरपेक्षता से आश्य: संविधान में पंच निरपेक्ष राज्य सभी पंचों की समान रूप से रक्षा करेगा और स्वयं किसी भी पंच को राज्य के धर्म के रूप में नहीं मानेगा। सरकार द्वारा नागरिकों के मध्य पंच के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। प्रत्येक व्यक्ति को अपने विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता है।
प्रश्न 29. भारत और चीन के युद्ध के क्या परिणाम हुए? लिखिए।
उत्तर- भारत-चीन युद्ध के परिणाम-
भारत-चीन युद्ध के निम्नलिखित निकटवर्ती व दूरगामी परिणाम सामने आये।
(1) भारत चीन संबंध तनावपूर्ण हो गये।
(2) भारत का अंतराष्ट्रीय छवि एवं गुटनिरपेक्ष नीति को धक्का लगा।
(3) भारत के भू-भाग का एक बड़ा भाग चीन के कब्जे में चला गया।
(4) चीन-पाकिस्तान में नवीन संबंध स्थापित हुए।
(5) भारतीय विदेश नीति में आदर्शवाद के स्थान पर व्यावहारिकता और यर्थार्थवाद को स्थान मिला।
(6) भारत-अमेरिका संबंधों में सुधार हुआ।
प्रश्न 30. भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक कर्तव्य लिखिए।
उत्तर- नागरिको के सर्वांगीण विकास हेतु मौलिक अधिकार आवश्यक है। ये अधिकार निम्न है।
(1) स्वतंत्रता का अधिकार: इस अधिकार के द्वारा प्रत्येक नागरिकों को भाषण देने तथा विचार प्रकट करने शान्तिपूर्ण सभा करने, संघ बनाने, देश में किसी भी स्थान पर घूमने फिरने की स्वतंत्रता देश के किसी भी भाग।
(2) समानता का अधिकारः इस अधिकार के द्वारा प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समानता तथा भेदभाव, अस्पृश्यता और उपाधियों का अंत कर दिया गया है।
(3) शोषण के विरूद्ध अधिकार: प्रत्येक नागरिक को शोषण के विरूद्ध आवाज उठाने का अधिकार है। इस अधिकार के अनुसार मानव के क्रय-विक्रय किसी से बेगार लेने तथा 14 वर्ष से कम आयु वाले बच्चे को कारखानों, खानों या किसी खतरनाक धन्धे में लगाने पर रोक लगा दी गयी है।
(4) धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकारः भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है अतः नागरिक का किसी भी धर्म का अनुसरण करने का अधिकार है प्रत्येक धर्म के अनुयायियों को अपनी धार्मिक संस्थाएँ स्थापित करने तथा उनका प्रबंध करने का अधिकार है।
(5) सांस्कृतिक तथा शिक्षा संबंधी अधिकार: इस अधिकार के अंतर्गत भारत के नागरिकों को अपनी भाषा लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
(6) संवैधानिक उपचारों का अधिकारः इस अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है। यदि उपरिवर्तित पांच अधिकारों में से किसी अधिकार पर आक्षेप किया जाये या उससे छीना जाए, चाहे वह सरकार की ओर से ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय से न्याय की माँग कर सकता है।
प्रश्न 31. आर्थिक प्रणाली का अर्थ बताते हुए इसकी विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- आर्थिक प्रणाली का आश्य: किसी राष्ट्र में आर्थिक क्रियाओं का संचालन जिस व्यवस्था से संबंधित सभी निर्णय लिए है, जैसे- किन-किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाना है। उत्पादन कैसे किया जाना है उत्पादन किसके लिए किया जाना है आदि। इन्हीं निर्णयों के आधार पर ही अर्थव्यवस्था में उपभोग, उत्पादन, विनिमय एवं वितरण का निर्धारण होता है। राष्ट्र के निवासियों का जन-जीवन इन्हीं निर्णयों पर निर्भर करता है। इस प्रकार आर्थिक प्रणाली को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है। ‘अर्थव्यवस्था के अंतर्गत उन सभी सामाजिक नियमों, परम्पराओं तथा संस्थाओं का समावेश होता है। जो समाज के सदस्यों में विनिमय साध्य वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन, व्यापार तथा उपभोग के लिए सहयोग पर नियंत्रण रखते है। आर्थिक प्रणाली की विशेषताएँ: आर्थिक प्रणाली की विशेषताएं निम्न है।
(1) आर्थिक प्रणाली का मुख्य उद्देश्य आर्थिक समस्याओ को हल करना है।
(2) अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्याएँ है- क्या उत्पादन किसके लिए किया जाए उत्पादन कैसे किया जाए?
(3) अर्थव्यवस्था में मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाले साधन सीमित मात्रा में होते है।
(4) आर्थिक प्रणाली के द्वारा मानवीय आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए साधनों के प्रयोग के तरीकों का चुनाव किया जाता है।
प्रश्न 32. वैश्वीकरण क्या है? इससे उत्पन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर- वैश्वीकरणः वैश्वीकरण का शाब्दिक अर्थ अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ एकीकृत करने से लगाया जाता है। इसमें प्रत्येक राष्ट्रों के साथ वस्तु, पूँजी एवं वौद्धिक सम्पदा का अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान होता हे। अन्य शब्दों में वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है। जिसके अंतर्गत सभी व्यापारिक क्रियाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है।
वैश्वीकरण से उत्पन्न समस्याएँ
(1) श्रमिकों के जीवन पर प्रभावः वैश्वीकरण के कारण श्रमिकों के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण अधिकांश नियोक्ता इन दिनों श्रमिकों को रोजगार देने में लचीलापन पसन्द करते है।
(2) छोटे उत्पादकों पर प्रभावः छोटे उत्पादकों पर वैश्वीकरण का बुरा प्रभाव पड़ा है। विदेशी उत्पादित माल से प्रतियोगिता करने में छोटे उद्योग संक्षम नहीं है। परिणामस्वरूप अनेक छोटे उद्योग, बंद हो गए।
(3) सभी लोगों को लाभ नहीं वैश्वीकरण का लाभ समाज के सभी वर्गों को नहीं मिला है। शिक्षित कुशल और सम्पन्न लोगों ने वैश्वीकरण से मिले गये अवसरों का सर्वोत्तम उपयोग किया है। इसके विपरीत अनेक लोगों को लाभ में हिस्सा नहीं मिला है। इस प्रकार कहा जा सकता है कि समाज का कमजोर एवं गरीब वर्ग वैश्वीकरण के लाभ से दूर है।
(4) विकसित राष्ट्रों का आधिपत्यः वैश्वीकरण की प्रक्रिया विश्व व्यापार संगठन के निर्देशानुसार क्रियाविन्वत की जा रही है किन्तु इस संगठन में विकसित राष्ट्रों का वर्चस्व अधिक है। ये राष्ट्र उन्ही नीतियों एवं कार्यक्रमों का समर्थन करते है जिनसे उन्हें लाभ प्राप्त होता है। श्रमिकों के लिए इन राष्ट्रों ने अपने बाजार नहीं खोले हैं।
(5) क्षेत्रीय असमानताएँ: वैश्वीकरण से क्षेत्रीय विषमताएँ बढ़ी है जिस प्रकार वैश्वीकरण से विकासशील राष्ट्रों की तुलना में विकसित राष्ट्रों को अधिक लाभ मिला है ठीक उसी प्रकार राष्ट्र के अंदर भी विकसित क्षेत्रों को पिछड़े क्षेत्रों की तुलना में अधिक लाभ प्राप्त हुआ है।
प्रश्न 33. भारत छोड़ों आन्दोलन कब शुरू हुआ था? भारतीय स्वतंत्रता के इतिहास में इसका महत्व लिखिए।
उत्तर- 1942 के वर्ष में देश के राजनीतिक मंच पर एक ऐसा एतिहासिक आंदोलन आरंभ हुआ, जिसे ‘भारत छोड़ों आंदोलन’के नाम से जाना जाता है। यह यथार्थत जन-आन्दोलन था। यह एक ऐसा अन्त प्रेरित और स्वेच्छामूलक सामुहिक आन्दोलन था जिसका जन्म राष्ट्र की स्वाधीनता के लिए स्व-प्रेरणा के फलस्वरूप हुआ था। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी 8 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो’का प्रसिद्ध प्रस्ताव पास किया। भारत छोड़ो आन्दोलन के अवसर पर महात्मा गांधी ने अपने उत्साहपूर्ण तथा जोशीले भाषण में भारतवासियों को ‘करो या मरो’का ऐतिहासिक संदेश दिया। इस संदेश का आशय था कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए भारतवासियों को अहिंसक ढंग से हर संभव उपाय करना चाहिए।
आंदोलन का प्रारंभ- भारत छोड़ो प्रस्ताव के पारित होने के दूसरे दिन ही ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गाँधी को गिरफ्तार कर लेने के कारण इस आंदोलन ने हिंसात्मक रूप ले लिया। जगह-2 पर उग्र प्रदर्शन हुए। नगरों तथा गाँवों में विशाल जुलुस निकाले गये। स्थान-2 पर रेलवे स्टेशन, डाकखाने, तारघर तथा थाने जला दिए गए।
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्वः भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में ‘भारत छोड़ो आंदोलन का अपना विशेष महत्व है। यह सत्य है कि जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आन्दोलन को प्रारंभ किया गया था। वह तुरन्त प्राप्त न हो सका, परन्तु इसके प्रभाव व्यापक रहे। इस आंदोलन के कारण अमेरिका, चीन आदि विशाल राष्ट्रों को भारत के जन असंतोष का ध्यान हुआ जिससे उन्होंने ब्रिटेन पर दबावडाला कि वह भारत को स्वतंत्र कर दे। साथ ही ब्रिटेन को यह भी ज्ञात हो गया कि वह अधिक दिनों तक भारत को पराधीन नहीं रख सकता।
प्रश्न 34. आजाद हिंद फौज की स्थापना क्यों की गई थी एवं भारत की स्वतंत्रता में इसका योगदान लिखिए।
उत्तर- आजाद हिन्द फौज़ जापानियों द्वारा ब्रिटिश सेना के अनेक सैनिक युद्धबंदी बना लिए गए थे। उनमें एक सैनिक अधिकारी कैप्टन मोहन सिंह थे जिन्होंने भारतीय युद्धबन्दियों को संगठित करके फरवरी 1942 ई. में आजाद हिन्द फौज की स्थापना की इस फौज की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य भारत की मुक्ति के लिए संघर्ष करना था। सुभाषचन्द्र बोस 1943 ई. में जापान पहुँचे तो रासबिहारी बोस ने आजाद हिन्द फौज के संचालक का कार्य उनको सौंपा। सुभाषचन्द बोस ने आजाद हिन्द फौज का नैतृत्व संभालने के पश्चात् घोषणा की ‘ईश्वर के नाम पर मैं पवित्र शपथ लेता हूँ कि मैं भारत और उसके 38 करोड़ लोगों को स्वतंत्र कराऊंगा और मैं इस पवित्र युद्ध को अपने जीवन की अंतिम साँस तक जारी रखूँगा। इसके अतिरिक्त सुभाष चन्द्र बोस ने ‘दिल्ली चलो’ का नारा भी लगाया। 1944 ई. को रंगून (मंगून) से प्रस्थान कर वर्मा (म्यांमार) में अंग्रेजों को पराजित करने के पश्चात भारत में प्रवेश किया। भारत की भूमि पर आजाद हिन्द फौज ने युद्ध किए तथा अनेक बार ब्रिटिश सेनाओं को परास्त किया। वर्मा (म्यांमार) भारत सीमा पार कर प्रथम बार 1944 ई. में आजाद हिन्द फौज ने भारत की स्वतंत्रता भूमि पर तिरंगा झण्डा फहराया इसके पश्चात नागालैण्ड तथा कोहिमा पर भी अधिकार कर लिया परन्तु पराजय का मुख देखना पड़ा। ब्रिटिश सरकार ने आजाद हिन्द फौज को मुक्त कर दिया जिससे भारतीय जनता में आजाद हिन्द फौज के प्रति एक अपार निष्ठा की भावना बढ़ी तथा भारत की नौसेना तथा वायु सेना को शासन के विरूद्ध विदा्रेह करने की प्रेरना मिली।
प्रश्न 35. 1971 भारत-पाक युद्ध के परिणाम लिखिए।
उत्तर- 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणाम- सन् 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध 14 दिन तक चला। पाकिस्तान के लिए युद्ध बड़ा महंगा सिद्ध हुआ उसने अपने देश के एक विशाल अंग पूर्वी पाकिस्तान से हाथ धोना पड़ा। भारत पाक युद्ध के परिणाम निम्न है।
(1) बांग्लादेश का निर्माण।
(2) पाकिस्तान की जनसंख्या शक्ति और क्षेत्रफल कम हुआ।
(3) सन 1965 के पश्चात सन् 1971 में पुनः हार ने पाकिस्तान का मनोबल तोड़ दिया।
(4) इस युद्ध ने पाकिस्तान से सहानुभूति रखने वाले राष्ट्र अमेरिका और चीन के हौसलों और महत्वाकांक्षा की पराजय हुई।
(5) भारत को यह समझ में आ गया कि अमेरिका उसका शुभ चिंतक नहीं है अतः भारत को सोवियत संघ के साथ मित्रता बढ़ा।
(6) भारत-पाक युद्ध के समय देश के विभिन्न राजनीतिक दल ने अपने सारे मतभेद भुला दिए।
(7) इन बातों का पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा। जनता ने राष्ट्रपति माहिमा खाँ से त्यागपत्र की मांग की। पराज्य के कारण पाकिस्तान में प्रदर्शन हुए याहिया खाँ को त्यागपत्र देना पड़ा। विभक्त जनमत विभक्त मनोस्थित और विभाजित नेतृत्व वाला पाकिस्तान नियति के चक्र में बुरी तरह फँस गया।
प्रश्न 36. प्रदूषण के कोई चार प्रकारों को समझाइए।
उत्तर- (1) वायु प्रदूषण:- औद्योगिक कारखानों की चिमनियों के कारण निकलने वाला धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण है। विभिन्न उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्रकृति उद्योग के प्रकार, प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर करती है। वायु मण्डल में कार्बन-डाई-आक्साइड, कार्बनमोनोआक्साइड धूल आदि हानिकारक व विषैले तत्व मिल जाते है। जो वायु को प्रदूषित करते है।
(2) भूमि प्रदूषण:- इसे मृदा प्रदूषण भी कहते है। औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि प्रदूषण का कारण बनता है। इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते है। जो प्राकृतिक रूप से विघटित नहीं होते तथा इनकी प्रकृति में पुनः चक्रीकरण नहीं होता जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है।
(3) जल प्रदूषण:- जल जीवन का आधार है जल निरन्तर प्रदूषित हो रहा है। इसका प्रमुख कारण कारखानों का कुड़ा-करकट नदियों और जलाशयों में बहाना है। कागज और चीनी की मिले तथा चमड़ा साफ करने के कारखाने अपना कूड़ा कचरा नदियों में बहा देते है। जिससे भूमिगत जल प्रदूषित होती है।
(4) ध्वनि प्रदूषण:- मानव के कानों में भी ध्वनि को साधारणतया गृहण करने की एक सीमा होती है। वास्तव में शोर वह ध्वनि है। जिसके द्वारा मानव के अंदर अशान्ति व बैचेनी उत्पन्न होने लगती है। इसी ध्वनि को ध्वनि प्रदूषण कहते है।
प्रश्न 37. जनसंख्या विस्फोट क्या है? समाज पर पढ़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को लिखिए।
उत्तर- जनसंख्या विस्फोट: जन संख्यां वृद्धि दर इतनी तेज हो जाती है कि देश में उपलब्ध संसाधन आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पाते तब इस स्थिति को ‘जनसंख्या स्फिोट’ कहा जाता है। जनसंख्या की तीव्र गति से वृद्धि हमारे आर्थिक विकास के सारे प्रयासों को विफल कर देती है।
हर देश में जब विकास होगा तो जन्म दर की तुलना में मृत्यु दर तीव्र गति से घटेगी और उसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि होगा। आज पैदा होने वाले बच्चे जिन्हें अकाल शिशु-मृत्यु से बचा लिया जाएगा। 20-22 वर्ष बाद स्वयं बच्चे पैदा करेंगे।
जनसंख्या विस्फोट के प्रतिकुल प्रभाव:
(1) हमारे देश में जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न प्रमुख समस्याएँ निरन्तर बढ़ती जा रही है। जिससे भूमि पर दबाव बढ़ता जा रहा है। इससे भू-जोतों का आर्थिक विभाजन हुआ है। तथा कृषि उत्पादकता में कमी आयी है।
(2) जनसंख्या में तेजी से वृद्धि होने पर प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि धीमी हो जाती है।
(3) जनसंख्या में तीव्र गति से वृद्धि होने पर देश में बच्चों तथा वृद्ध व्यक्तियों की संख्या बढ़ रही है। जो कार्यशील जनसंख्या पर आश्रित है। आश्रितों की संख्या बढ़ने पर देश में भार बढ़ रहा है।
(4) जन संख्या वृद्धि के कारण बेरोजगारी बढ़ी है।
(5) जन संख्या वृद्धि के कारण सरकार को आवाश शिक्षा जन कल्याण कानून व्यवस्था एवं सुरक्षा पर अधिक व्यय करना पड़ता है।
प्रश्न 38. सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ निम्न है।
(1) प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार
(क) राज्यों के मध्य विवाद (ख) मौलिक अधिकारों से संबंधित विवाद
(2) अपीलीय क्षेत्राधिकार
(क) संवैधानिक अपीलें (ख) दीवानी अपीलें (ग) फौजदार अपीलें (घ) विशेष अपीलें
(3) न्यायिक पुनरावलोकन संबंधी क्षेत्राधिकार
(4) अभिलेख न्यायालय
(5) अन्य कार्य
प्रश्न 39. संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
उत्तर- संसद में विधेयक पारित होने की प्रक्रिया निम्नानुसार है।
(1) प्रथम वाचन या विधेयक का प्रस्तुतिकरण
(2) द्वितीय वाचन
(3) समिति अवस्था
(4) प्रतिवेदन स्तर
(5) तृतीय वाचन
(6) विधेयक का दूसरे सदन में जाना
(7) राष्ट्रपति की स्वीकृति
प्रश्न 40. भौम-जल क्या है? भौम जल पाने के स्रोत क्या हैं?
उत्तर- वर्षा जल का कुछ भाग भूमि द्वारा सोख लिया जाता है। सोखा हुआ कुछ जल धरातल के नीचे अभेद्य चट्टानों तक पहुँचकर एकत्र हो जाता है। इसे भौम जल कहते हैं। इसे कुओं और ट्यूबवेलों के द्वारा धरातल पर लाया जाता है, जिसका उपयोग पीने, सिंचाई, उद्योग, धन्धे आदि के लिए किया जाता है।
भौम जल पाने के स्रोत : कुओं और ट्यूबवेलों
प्रश्न 41. राज्यपाल की प्रमुख विधायी शक्तियाँ लिखिए।
उत्तर- राज्यपाल की विधायी शक्तियाँ निम्नलिखित हैं—
1. राज्यपाल विधानसभा का अनिवार्य अंग होता है। यह विधानसभा की बैठकों को बुलाता है, बैठकों को स्थगित करता हैं तथा उन्हें विसर्जित करता है। मुख्यमंत्री के परामर्श पर विधानसभा को भंग कर सकता है। निर्वाचन के उपरांत और फिर प्रत्येक वर्ष वह विधानसभा के अधिवेशन के प्रारम्भ में अपना अभिभाषण देता है। वह आवश्यकतानुसार विधानमण्डलों को अपना संदेश भेज सकता है।
2. विधान मण्डलों द्वारा स्वीकृत विधेयकों पर राज्यपाल की स्वीकृति अनिवार्य है। वित्त विधेयकों के अतिरिक्त राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को पुनः विधानसभा पुनर्विचार के लिए वापिस भेज सकता है। विधानसभा द्वारा पुनः विधेयक यदि पारित करके राज्यपाल को भेजा जाता है तो राज्यपाल को उस विधेयक पर स्वीकृति देना अनिवार्य है।
3. अध्यादेश जारी करना- जब विधानसभा का अधिवेशन न चल रहा हो राज्यपाल अध्यादेश जारी कर सकते हैं। राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों पर छः सप्ताह के भीतर विधानसभा की स्वीकृति अनिवार्य है।
4. वित्तीय शक्तियाँ- राज्य का बजट प्रत्येक वर्ष राज्यपाल विधानसभा में प्रस्तुत करते हैं। वह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट भी सदन में प्रस्तुत कराते हैं।
5. अन्य शक्तियाँ- जब राज्यपाल को यह अनुभव होता है कि राज्य का प्रशासन संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार चलना संभव नहीं हो रहा है तब वह राज्य में संविधान तंत्र की विफलता की सूचना राष्ट्रपति को देता है। राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर ही राष्ट्रपति राज्य में संकटकाल लागू करता है। ऐसी अवस्था होने पर वह राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता है।
प्रश्न 42. जनसंख्या वृद्धि के कारण लिखिए।
उत्तर- जनसंख्या वृद्धि के कारण निम्नलिखित हैं—
1. शिक्षा का अभाव- अशिक्षित जनता अधिक जनसंख्या की हानियों को नहीं समझ पाती हैं। इस कारण वे इस ओर ध्यान नहीं देते।
2. उष्ण जलवायु- भारत की जलवायु गर्म है। यहाँ लड़कियों में परिपक्वता जल्दी आ जाती है, कम उम्र में शादी होने से अधिक बच्चे हो जाते हैं।
3. संतान निरोधक विधियों की कमी- अज्ञानता और अनुपलब्धता के कारण इन विधियों का प्रयोग कम हो रहा है।
4. घटती मृत्यु-दर- भारत में मृत्यु दर तेजी से घट रही हैं, इस कारण जनसंख्या कम नहीं हो पा रही है।
प्रश्न 43. भारत के नियोजन की असफलताएँ लिखिए।
उत्तर- भारतीय नियोजन की प्रमुख असफलताएँ—
1. क्षेत्रीय असंतुलन- नियोजन के बाद देश में क्षेत्रीय असंतुलन कम होना चाहिए था लेकिन उसमें कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। आज भी उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, बिहार आदि राज्य पिछड़े हुए हैं जबकि पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, आदि राज्य तुलनात्मक रूप से विकसित श्रेणी में हैं।
2. प्रति व्यक्ति आय में धीमी प्रगति- भारत में आर्थिक नियोजन के बाद भी प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि बहुत ही धीमी गति से हुई है। भारत में लगभग 21 प्रतिशत जनसंख्या अभी भी गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रही है।
3. बेरोजगारी में वृद्धि- आर्थिक नियोजन का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य बेरोजगारी में कमी करना था लेकिन हर योजना के अन्त में बेरोजगारी बढ़ती ही गई।
4. आय व धन की असमानता में वृद्धि- आर्थिक नियोजन का महत्वपूर्ण उद्देश्य धन के केन्द्रीयकरण को समाप्त कर आर्थिक समानता को बढ़ाना था लेकिन नियोजन के बावजूद धनी व्यक्ति अधिक धनी व गरीब और गरीब होता गया है।
5. सार्वजनिक उद्यमों की असफलता- देश में सार्वजनिक क्षेत्र में उद्यमों की संख्या 242 है। इनमें से अनेक उपक्रम हानि में चल रहे हैं। अतः सार्वजनिक उद्यम आशा के अनुरूप परिणाम देने में असमर्थ रहे हैं।
6. मूल्य वृद्धि- नियोजन अवधि में मूल्यों में निरन्तर वद्धि होती जा रही है। अनुमान है कि नियोजन अवधि में कीमतों में लगभग 27 गुनी से अधिक की वृद्धि हुई है।
प्रश्न 44. जॉब कार्ड क्या है?
अथवा
'रोजगार पत्रक पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- जॉब कार्ड- राष्ट्रीय रोजगार गारन्टी अधिनियम 2005 के अन्तर्गत काम प्राप्त करने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा पंजीयत परिवारों को एक कार्ड जारी किया जाता है जिसे जॉब कार्ड या रोजगार पत्र कहा जाता है। यह रोजगार पत्र (जॉब कार्ड) जारी होने से 5 वर्ष तक वैध रहता है। इस कार्ड में परिवर्तन हेतु ग्राम पंचायत सक्षम होती है ।
प्रश्न 45. बेरोजगारी के कारण ग्रामीण परिवारों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है ?
उत्तर- (1) रोजगार के पर्याप्त साधनों की कमी और कृषि में आवश्यकता से अधिक व्यक्तियों के लिप्त रहने के कारण ग्रामीण क्षेत्र में श्रम का उचित मूल्य नहीं मिलता है। इससे ग्रामीण परिवार गरीबी एवं भूख जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं।
(2) ग्रामीण अंचल में रोजगार के सीमित अवसर होने के कारण ग्रामीण परिवार आर्थिक रूप से असुरक्षित रहते हैं।
प्रश्न 46. ए.टी.एम. क्या है ? इसके लाभ लिखिए ।
उत्तर- ए.टी.एम. से आशय एक ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें कभी भी पैसे निकाले जा सकते हैं। ए.टी.एम. कार्ड प्लास्टिक का बना होता है, जिसमें धातु की एक चिप लगी रहती है। जिस पर बैंक अकाउण्ट नं. से सम्बन्धित सभी विवरण दर्ज रहते हैं। वास्तविकता यह है कि ए.टी.एम. ने बैंकिंग कार्य को बहुत अधिक सरल एवं सुविधाजनक बना दिया है।
प्रश्न 47. साहूकार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- साहूकार- साहूकार या महाजन वह व्यक्ति है, जो अपने ग्राहकों को समय-समय पर ऋण उपलब्ध कराता है। साहूकार दो प्रकार के होते हैं-
(अ) कृषक साहूकार या जमींदार तथा (ब) व्यावसायिक साहूकार
कृषक साहूकार वे व्यक्ति कहलाते हैं, जो मुख्य रूप से कृषि करते हैं, लेकिन धनवान होने के कारण, धन उधार देने का कार्य सहायक व्यवसाय के रूप में करते हैं। व्यावसायिक साहूकार वे व्यक्ति कहलाते हैं, जिनका मुख्य व्यवसाय धन उधार देना ही होता है। साहूकारों के कार्य करने का तरीका बहुत सरल होता हैं, ये अल्पकालीन, मध्यमकालीन व दीर्घकालीन तीनों प्रकार के ऋण देते हैं। यह उत्पादन व उपभोग दोनों कार्यों के लिए ऋण देते हैं। ऋण जमानत लेकर व बिना जमानत लिए दोनों प्रकार के होते हैं।
प्रश्न 48. संचार सेवा से क्या आशय है ?
उत्तर- संचार सेवाएँ- संचार सेवाओं के क्षेत्र में भी भारत विकसित देशों के समकक्ष है और दूर संचार सेवाओं का निर्यात करके विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है। अब भारत अनेक देशों को दूर संचार सेवाओं के विकास हेतु सहयोग दे रहा है। मालदीप के डिजिटल चार्ट्स का भारत द्वारा आधुनिकीकरण किया गया है, तथा एक दूर संवेदी इकाई की स्थापना की गई है। नेपाल में दूरसंचार सेवाओं के लिए यूनाइटेड टेलीकॉम' के नाम से एक संयुक्त कम्पनी का गठन किया गया है।
प्रश्न 49. संरक्षण हेतु कानूनी उपाय बताइए।
उत्तर-संरक्षण हेतु कानूनी उपाय- यदि हम किसी भी प्रकार से विक्रेता या उत्पादक द्वारा शोषित हो जायेंगे, तो संरक्षण हेतु निम्नलिखित कानूनी उपायों को अपनायेंगे—
(1) हम अपने अधिकारों का प्रयोग कर वास्तविक समस्या की शिकायत उचित अधिकारी के समक्ष करेंगे।
(2) यदि कोई वस्तु खराब होगी तो हम उसकी जाँच करवायेंगे।
(3) यदि आवश्यकता पड़ी तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत उत्पादक या विक्रेता पर मुकदमा भी दायर करेंगे।
प्रश्न 50. भारत में पाई जाने वाली मिट्टियों के नाम लिखिए।
उत्तर- भारत में पाई जाने वाली मिट्टियाँ हैं- जलोढ़ मिट्टी, काली मिट्टी, लैटेराइट मिट्टी, मरुस्थलीय मिट्टी एवं पर्वतीय मिट्टी।
प्रश्न 51. भौम-जल क्या है? भौम जल पाने के स्रोत क्या हैं?
उत्तर- वर्षा जल का कुछ भाग भूमि द्वारा सोख लिया जाता है। सोखा हुआ कुछ जल धरातल के नीचे अभेद्य चट्टानों तक पहुँचकर एकत्र हो जाता है। इसे भौम जल कहते हैं। इसे कुओं और ट्यूबवेलों के द्वारा धरातल पर लाया जाता है, जिसका उपयोग पीने, सिंचाई, उद्योग, धन्धे आदि के लिए किया जाता है।
भौम जल पाने के स्रोत : कुओं और ट्यूबवेलों
प्रश्न 52. सहायक संधि क्या थी? इसे किंसने लागू किया था?
उत्तर- सहायक संधि ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार का अप्रत्यक्ष तरीका था। यह व्यवस्था लॉर्ड वेलेजली ने लागू की थी।
प्रश्न 53. बहिष्कार का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- बहिष्कार का अर्थ विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार के साथ-साथ सरकारी सेवाओं, प्रतिष्ठानों तथा उपाधियों का बहिष्कार करना था।
प्रश्न 54. वस्तु विनिमय की प्रणाली की मुख्य समस्या क्या थी?
उत्तर- वस्तु विनिमय की प्रणाली की मुख्य समस्या थी कि कोई ऐसा व्यक्ति मिले, जो एक व्यक्ति द्वारा उत्पादित वस्तु को स्वीकार करे एवं बदले में उसकी आवश्यकता की वस्तु को उपलब्ध कराए।
प्रश्न 55. चिट-फण्ड पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। इस पर 30 शब्द लिखिए।
उत्तर- चिट-फण्ड- चिट-फण्ड योजनाओं का दक्षिण भारत के राज्यों में लम्बा इतिहास रहा है। दक्षिण भारत के गाँवों में यह बहुत लोकप्रिय है। यहाँ यह संगठित और असंगठित दोनों रूपों में संचालित है। चिट-फंड भारत में पायी जाने वाली एक प्रकार की बचत योजना है। इसमें निर्धारित संख्या में सदस्य बनाये जाते हैं। ये सदस्य पूर्व निर्धारित समय अन्तराल के बाद एक निश्चित स्थान पर एकत्रित होकर, तयशुदा धनराशि एक स्थान पर एकत्रित करते हैं। फिर इस एकत्रित धनराशि की सदस्यों के बीच नीलामी की जाती। इस नीलामी में जो सदस्य सबसे ऊँची बोली लगाता है, उसे एकत्रित धनराशि सौंप दी जाती है। इस प्रकार की चिट-फण्ड योजनाएँ। किसी पंजीकृत वित्तीय संस्था या कुछ मित्र यो रिश्तेदार आपस में मिलकर भी चलाते हैं। उद्देश्य में भिन्नता के साथ अलग-अलग तरह की अनेक चिट-फंड योजनाएँ देश में चल रही हैं।
प्रश्न 56 सेवा-क्षेत्र क्या है?
उत्तर- तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियों से वस्तुओं के स्थान पर सेवाओं का सृजन होता है, अतः इसे “सेवा-क्षेत्र' कहा जाता है।
प्रश्न 57. ज्ञान आधारित समाज किसे कहते हैं?
उत्तर- ज्ञान आधारित समाज- वह समाज जिसमें सभी क्रियाएँ उपलब्ध ज्ञान के आधार पर संचालित होती हैं। दूरसंचार तकनीक के विस्तार से ज्ञान आधारित समाज की। धारणा का विकास हुआ है।
प्रश्न 58. उपभोक्ता शोषण से क्या आशय है?
उत्तर- उपभोक्ता शोषण से अभिप्राय कम वज़न तौलना, अधिक कीमत वसूलना, मिलावटी एवं दोषपूर्ण वस्तुएँ बेचना, भ्रमित विज्ञापन देकर उपभोक्ता को गुमराह करना आदि है।
प्रश्न 59: कालाबाजारी किसे कहते हैं?
उत्तर- कालाबाजारी- जब उत्पादक एवं व्यापारी आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी कर लेते हैं तो इन वस्तुओं कि बाजार में उपलब्धता कम हो जाती है जिस से इनका मूल्य बाजार में बढ़ जाता है और फिर व्यापारी इसे अधिक मूल्य में बेच कर ज्यादा मुनाफा कमाता है इसे ही कालाबाजारी कहते हैं। यदि सरकार इन वस्तुओं की राशनिंग कर देती हैं तो यही वस्तुएँ काले बाजार में बिकने के लिए आ जाती हैं|
प्रश्न 60: जलोढ़ मिट्टी की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर- जलोढ़ मिट्टी-
इसे कॉप, दोमट, कछारी या चीका मिट्टी भी कहा जाता है। इसका निर्माण नदियों द्वारा पर्वतों से बहाकर लाए गए अवसादों के निक्षेपण से हुआ है। इसमें नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और वनस्पति अंशों की कमी है। किन्तु पोटाश और चूना पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।
यह मिट्टी दो प्रकार की होती है-
बांगर और खादर। भारत में जलोढ़ मृदा 40 प्रतिशत भू-भाग पर पाई जाती है। इसका विस्तार सम्पूर्ण उत्तरी-भारत के मैदान, डेल्टाई भाग तथा तटीय भागों में पाया जाता है। उत्तर भारत का मैदान जलोढ़ मृदा का मैदान कहलाता है। यह बहुत उपजाऊ मृदा है।
प्रश्न 61: काली मिट्टी की कोई दो विशेषताएं लिखिए।
उत्तर- (1) काली मिट्टी का निर्माण लावा के प्रवाह से हुआ है। अतः इसमें मैग्मा के अंश लोहा व एल्यूमीनियम की प्रधानता पायी जाती है।
(2) इसमें अधिक समय तक नमी धारण करनी की क्षमता होती है।
प्रश्न 62: सन् 1857 की क्रान्ति के राजनीतिक कारण बताइए।
उत्तर- राजनीतिक कारण- लॉर्ड डलहौजी की नीतियों के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का राजनैतिक प्रतिरोध प्रारम्भ हुआ। उसकी साम्राज्यवादी नीति तथा हड़पनीति ने भारतीय राजाओं और देशी राज्यों की प्रजा को ब्रिटिश विरोधी बना दिया था।
प्रश्न 63: भारत में बसने वाले यूरोपियों ने इल्बर्ट बिल का विरोध क्यों किया?
उत्तर- लॉर्ड रिपन ने जातीय भेदभाव दूर करने के लिए एक कानून बनाने का प्रयास किया। इसे इल्बर्ट नामक सदस्य ने तैयार किया था, अतः इसे इल्बर्ट बिल कहा जाता है। इसके द्वारा मजिस्ट्रेट और सेशन जज को फौजदारी मुकदमों में यूरोपीय लोगों की सुनवाई का अधिकार दिया जाना था। इल्बर्ट बिल प्रजातीय भेदभाव की नीति को उजागर करता था। भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपीय अपराधियों का मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं था। इस भेदभाव को दूर करने के लिए इल्बर्ट बिल का संगठित होकर विरोध किया। इसे काला कानून माना, अतः इल्बर्ट बिल वापस लेना पड़ा।
भारत में बसने वाले यूरोपियों ने इल्बर्ट बिल का विरोध क्यों किया?
उत्तर- लॉर्ड रिपन ने जातीय भेदभाव दूर करने के लिए एक कानून बनाने का प्रयास किया। इसे इल्बर्ट नामक सदस्य ने तैयार किया था, अतः इसे इल्बर्ट बिल कहा जाता है। इसके द्वारा मजिस्ट्रेट और सेशन जज को फौजदारी मुकदमों में यूरोपीय लोगों की सुनवाई का अधिकार दिया जाना था। इल्बर्ट बिल प्रजातीय भेदभाव की नीति को उजागर करता था। भारतीय न्यायाधीशों को यूरोपीय अपराधियों का मुकदमा सुनने का अधिकार नहीं था। इस भेदभाव को दूर करने के लिए इल्बर्ट बिल का संगठित होकर विरोध किया। इसे काला कानून माना, अतः इल्बर्ट बिल वापस लेना पड़ा।
प्रश्न 64: भारत में राष्ट्रीय जागृति के कारणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- भारत में राष्ट्रीय जागृति के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे -
(1) राजनीतिक और प्रशासनिक एकीकरण-ब्रिटिश शासन से पूर्व भारत में राजनीतिक एकता का अभाव था। भारत छोटे-छोटे राज्यों में बँटा हुआ था। ब्रिटिश शासन के फलस्वरूप सम्पूर्ण देश एक राजनीतिक तथा प्रशासनिक सूत्र में बँध गया। फलतः भारतवासी अपने को एक राष्ट्र मानने लगे। इससे राष्ट्रीयता की उत्पत्ति तथा विकास में भारी सहयोग मिला।
(2) पाश्चात्य शिक्षा का प्रभाव-ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेजी की शिक्षा शुरू हुई जिससे विभिन् प्रान्तों के शिक्षित वर्ग के लोग अंग्रेजी द्वारा अपने विचार व्यक्त करने लगे। इस प्रकार एक भाषा-माध्यम की प्राप्ति से देश के नेताओं को देश के कोने-कोने में राष्ट्रीयता का प्रचार करने तथा सामान्य जनता तक अपने विचार पहुँचाने का अवसर प्राप्त हुआ।
(3) लॉर्ड लिटन का प्रशासन-लॉर्ड लिटन का प्रतिक्रियावादी शासन राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाने में सहायक हुआ। उस समय देश में भयंकर अकाल पड़ा था, परन्तु लिटन ने दिल्ली में शानदार दरबार का आयोजन कर जले पर नमक छिड़कने का काम किया। इस कारण भारतीय समाचार-पत्रों ने खुलकर लिटन की आलोचना की। इससे भारतीय जनता में आक्रोश भड़का जो राष्ट्रीयता के लिए हितकर सिद्ध हुआ।
(4) भारतीयों का आर्थिक शोषण- ब्रिटिश सरकार की व्यापारिक व औद्योगिक नीति के कारण भारतीय गृह-उद्योग नष्ट हो गये जिसके कारण बेकारी फैली। इस आर्थिक दुर्दशा के कारण लोगों में असन्तोष की भावना फैली, जो राष्ट्रीय जागृति में सहायक सिद्ध हुई।
(5) भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति-शुरू से ही अंग्रेजों ने भारतीयों के प्रति भेदभाव की नीति अपनायी थी। 1857 की क्रान्ति के बाद इस नीति को और बढ़ावा मिला। रेलगाड़ी में, क्लबों में, सड़कों पर और होटलों में ब्रिटिश लोग भारतीयों के साथ दुर्व्यवहार करते थे। इससे भारतीयों में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह- की भावना जागृत हुई जिससे राष्ट्रीय जागृति को प्रोत्साहन मिला।
(6) यातायात तथा संचार-साधनों का विकास- ब्रिटिश शासनकाल में परिवहन, संचार व यातायात के साधनों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रान्तों के लोग एक-दूसरे से मिलने लगे और परस्पर विचारों का आदान-प्रदान शुरू हुआ। नेताओं के परस्पर सम्पर्क के कारण राष्ट्रीय जागृति कायम करने में भरपूर सहायता मिली।
प्रश्न 65: "चन्द्रशेखर आजाद’’ एक वीर स्वतंत्रता सेनानी थे। विस्तार से समझाइए।
उत्तर- चन्द्रशेखर आजाद 14 वर्ष की अल्प आयु में असहयोग आन्दोलन से जुड़े। गिरफ्तार होने पर अदालत में उन्होंने अपना नाम आजाद, पिता का नाम स्वतंत्रता और घर का पता जेलखाना बताया। तभी से चन्द्रशेखर के नाम के साथ आजाद जुड़ गया। क्रान्तिकारी विचारधारा के कारण वे लम्बे समय तक गांधीजी के मार्ग पर नहीं चल सके, वे क्रान्तिकारी श्रीगुप्त के सम्पर्क में आए और बाद में पं. रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में उन्होंने युग की महान क्रान्तिकारी घटना “काकोरी काण्ड' में हिस्सा लिया। जब पुलिस ने आजाद का पीछा किया तो वे बचकर निकल गए।
उत्तर भारत की पुलिस आजाद के पीछे पड़ी थी। दल के साथी विश्वासघात कर चुके थे, जिससे वे चिन्तित और क्षुब्ध थे। इधर ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीति के कारण और अनेक क्रान्तिकारी नेताओं की मृत्यु से क्रान्तिकारी आन्दोलन को बहुत क्षति हुई।
उत्तर भारत में क्रान्ति की बागडोर चन्द्रशेखर आजाद, यशपाल और भगवती चरण के हाथों में आ गई। क्रान्तिकारियों ने अंग्रेजी हुकूमत से बदला लेने के लिए वायसराय लॉर्ड डरविन की ट्रेन को उड़ाने की योजना बनाई। बम का विस्फोट हुआ किन्तु वायसराय बच गया। चन्द्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रान्ति की योजना बनाने के लिए 27 फरवरी 1931 में क्रान्तिकारियों की एक बैठक बुलाई किन्तु दुर्भाग्य से अंग्रेजी पुलिस ने उन्हें घेर लिया। आजाद ने अन्तिम क्षण तक अंग्रेजी सिपाहियों से लोहा लिया, किन्तु उन्हें जब लगा कि वे बच नहीं पायेंगे तो उन्होंने स्वयं को गोली मार ली और अंततः वे वीर गति को प्राप्त हुए।
प्रश्न 66: स्वामित्व के आधार पर उद्योगों के कितने प्रकार हैं?
उत्तर- स्वामित्व के आधार पर उद्योग निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-
(i) निजी उद्योग- जो व्यक्तिगत स्वामित्व के होते हैं।
(ii) सरकारी उद्योग- जो सरकार के स्वामित्व के होते
(iii) सहकारी उद्योग- जो सहकारी स्वामित्व के होते
(iv) मिश्रित उद्योग- जो उपर्युक्त में से किन्हीं दो या अधिक के स्वामित्व होते हैं।
प्रश्न 67: औद्योगिक प्रदूषण अथवा प्रदूषण के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- वायु, जल और भूमि में किसी भौतिक, रासायनिक अथवा जैविक अनचाहे परिवर्तन से, जिससे प्राणी मात्र का स्वास्थ्य, सुरक्षा और कल्याण को प्रभावी तौर से हानि पहुँचती हो, तो उसे प्रदूषण कहते हैं। मनुष्य ने अपनी मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए औद्योगिक कारखानों की स्थापना की। औद्योगिक प्रगति ने अर्थव्यवस्था को विकसित व उन्नत बनाने में जहाँ अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया, वहीं दूसरी ओर पर्यावरण संबंधी ऐसी कठिनाइयों को जन्म दिया, जो आज विकराल रूप से हमारे समक्ष खड़ी है।
औद्योगीकरण से होने वाले प्रमुख प्रदूषण निम्नलिखित-
(i) वायु प्रदूषण- कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैसें व धुआँ वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण हैं। विभिन्न उद्योगों से होने वाले प्रदूषण की मात्रा एवं प्रकृति, उद्योग के प्रकार, प्रयुक्त होने वाले कच्चे माल एवं निर्माण आदि पर निर्भर करती है। इस दृष्टि से कपड़ा उद्योग, रासायनिक उद्योग, धातु उद्योग, तेल शोधक एवं चीनी उद्योग अन्य उद्योगों की अपेक्षा अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। इन उद्योगों से वायुमण्डल में, कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाई ऑक्साइड, धूल आदि हानिकारक व विषैले तत्व मिल जाते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं।
(ii) जल प्रदूषण- जले जीवन का आधार है। जल में अवांछित तत्वों का मिश्रण जल को प्रदूषित कर देता है। औद्योगिक उत्पादन हेतु कारखानों में जल का उपयोग किया जाता है। औद्योगिक प्रक्रिया के दौरान जल में अनेक हानिकारक पदार्थ, लवण, अम्ल, रसायन तथा गैसें घुलमिल जाती हैं। उद्योगों से निकला हुआ यह जल जलाशयों अथवा नदियों में जाकर मिलता है। इस जल का उपयोग, सम्पर्क प्राणियों और वनस्पतियों के लिए घातक होता है। औद्योगिक अपशिष्टों के सागरों व महासागरों में डालने से समुद्री जल भी प्रदूषित हो जाता है।
(iii) भूमि प्रदूषण- भूमि एक सीमित संसाधन है। इसके दुरुपयोग के परिणाम भयंकर हो सकते हैं। औद्योगिक अपशिष्ट का भूतल पर फैलाव भूमि प्रदूषण का कारण बनता है। इस प्रकार के अपशिष्ट में अनेक ऐसे पदार्थ होते हैं, जो प्राकृतिक रूप में घटित नहीं होते तथा इनका प्रकृति में पुनः चक्रीकरण नहीं होता, जिससे भूमि की गुणवत्ता में कमी आती है, इसे भूमि प्रदूषण कहते हैं। औद्योगिक कचरे में रासायनिक दुर्गन्धयुक्त, ज्वलनशील विषैले पदार्थ पर्यावरण को क्षति पहुँचाते हैं। भूमि प्रदूषण को ‘मृदा प्रदूषण’ भी कहते हैं।
(iv) ध्वनि प्रदूषण- वातावरण में ऐसी कोई भी ध्वनि, जो कानों को प्रिय न लगे, मानसिक क्रियाओं में बाधा डाले अर्थात् ‘शोर' ही ध्वनि प्रदूषण का मुख्य रूप है। उद्योगों में अनेक प्रकार की मशीनें प्रयोग की जाती हैं, जिनसे निरन्तर शोर होता रहता है। इसके अतिरिक्त कारखानों में जनरेटर भी चलाए जाते हैं, इन सभी से निरन्तर और अधिक शोर होता है। इससे इनमें कार्य करने वाले श्रमिक अनेक मानसिक रोगों तथा बहरेपन के शिकार हो जाते हैं।
प्रश्न 68: अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाले चार कारकों को समझाइये।
उत्तर- अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रभावित करने वाले कारक-
(i) स्थिति- जो देश संसार के व्यापारिक मार्गों पर स्थित होते हैं, उनकी व्यापारिक उन्नति शीघ्र होती है।
(ii) कटा-फटा समुद्र तट- जिन देशों का समुद्र तट बहुत कटा-फटा होता है, वहाँ उन्नत बंदरगाह विकसित होते हैं, लोग साहसी और अच्छे नाविक होते हैं।
(iii) प्राकृतिक साधन- किसी देश का व्यापार वहाँ के प्राकृतिक साधनों की भिन्नता से प्रभावित होता है। प्राकृतिक साधनों में देश की जलवायु, वन, कृषि योग्य भूमि, कृषि उपजें, खनिज आदि सम्मिलित किये जाते हैं। इन्हीं साधनों पर उत्पादन निर्भर करता है।
(iv) आर्थिक विकास- सभी देशों के आर्थिक विकास की स्थिति एक समान नहीं होती। जो देश आर्थिक प्रगति में आगे है, उनका व्यापार अधिक उन्नत होता है।
प्रश्न 69: भारत में निर्यात संवर्द्धन के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए। (कोई 4)
उत्तर- भारत में निर्यात संवर्द्धन के लिए किए गए प्रयास निम्नलिखित हैं-
(i) विभिन्न संगठनों की स्थापना- भारत सरकार ने निर्यात के लिए बाजार खोजने, घरेलू माल का विदेशों में प्रचार करने तथा निर्यातकों को सुविधा देने के लिए विदेशी व्यापार संस्थान, आयात-निर्यात सलाहकार परिषद्, राजकीय व्यापार निगम, निर्यात संवर्द्धन परिषद, सूती वस्त्र निगम, जूट निगम, निर्यात-आयात बैंक की स्थापना की है।
(ii) व्यापार विकास संस्था- निर्यात संवर्द्धन के क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं में समन्वय स्थापित कर आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध करने हेतु व्यापार विकास संस्था को स्थापित किया गया।
(iii) राजकीय व्यापार निगम की स्थापना- निर्यात के विविधीकरण, विद्यमान बाजार को विस्तार देने एवं निर्यात कर आवश्यक सेवाएँ उपलब्ध करने हेतु व्यापार विकास संस्था को स्थापित किया गया।
(iv) निर्यातगृहों की स्थापना- मान्यता प्राप्त संस्थाओं को निर्यात संवर्द्धन के लिए विपणन विकास निधि से आर्थिक सहायता प्रदान कराने हेतु इसकी स्थापना की गई। भारत में सात निर्यात संसाधन क्षेत्र हैं- कांडला (गुजरात), सांताक्रूज (महाराष्ट्र), कोच्चि (केरल), चैन्नई (तमिलनाडु), नोएडा (उत्तरप्रदेश), फाल्टा (पश्चिमी बंगाल), विशाखापट्टनम् (आन्ध्रप्रदेश)। यहाँ कस्टम क्लियरेंस की सुविधाएँ हैं।
प्रश्न 70: बाढ़ आपदा के लिए उत्तरदायी कारणों का वर्णन करते हुए उसके नियन्त्रण के उपाय बताइए।
उत्तर- बाढ़ आपदा के लिए उत्तरदायी कारक हैं-
(i) तटबंध टूटने, बाँध टूटने और बराज से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ आती है। अविवेकपूर्ण तरीके से तटबंधों का निर्माण होने, पुराने व जीर्ण हो रहे बाँधों के कारण बाढ़ आने का खतरा बढ़ जाता है।
(ii) हिमालय क्षेत्र में बहने वाली नदियों से मिट्टी और गाद पानी के साथ घुलकर एवं बहकर मैदानों एवं समुद्र तटीय क्षेत्रों में जमा हो जाती है, जिससे नदियों का तल उठ जाता है और उनकी जल धारा ही बाढ़ का रूप धारण कर लेती है।
(iii) पर्वतीय क्षेत्रों में सड़कों के निर्माण, वन कटाई, अनियन्त्रित खनन से पहाड़ों की भूमि अस्थिर हो गई है, जिससे बाढ़ आने की संभावना बढ़ जाती है।
(iv) पर्वतीय क्षेत्रों में भूस्खलन द्वारा नदी का मार्ग अवरूद्ध होने से जलाशय बन जाते हैं और फिर उनके अचानक टूटने से प्रलयंकारी बाढ़े आती हैं।
प्रश्न 71: भारत में भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-भारत में भूकम्प प्रभावी क्षेत्र- भूकम्प के वितरण एवं प्रभाव के आधार पर भारत को पाँच क्षेत्रों में बाँटा जाता है-
1. अत्यधिक प्रभावित क्षेत्र
2. अधिक खतरा प्रभावित क्षेत्र
3. मध्यम प्रभावित क्षेत्र
4. निम्न खतरा प्रभावित क्षेत्र
5. सामान्य क्षेत्र।
देश में सबसे खतरा प्रभावित क्षेत्र हैं- हिमालय, जिसके अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर बिहार तथा पूर्वोत्तर भारत शामिल है। इसके अतिरिक्त कच्छ एवं कोकण तट भी अधिक खतरा प्रभावित क्षेत्र हैं। मध्यभारत, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उड़ीसा, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, झारखंड तथा छत्तीसगढ़ भूकम्प से कम प्रभावित क्षेत्र हैं। देश के अन्य भाग मध्यम खतरनाक क्षेत्र के अंतर्गत हैं।
प्रश्न 72: भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम 1947 के प्रमुख प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारतीय स्वतन्त्रता अधिनियम में कुल 20 धाराएँ तथा दो परिशिष्ट थे। इसके प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित-
1. भारत के दो अधिराज्यों- भारत और पाकिस्तान में बाँटना था, गवर्नर जनरल ने 15 अगस्त 1947 को भारत का दायित्व भारतीय नेताओं को सौंपा जाना तय किया।
2. अधिनियम के अनुसार प्रत्येक अधिराज्य में एक गवर्नर जनरल होगा, जिसकी नियुक्ति ब्रिटिश सम्राट करेंगे।
3. दोनों अधिराज्यों की सीमाएँ निर्धारित की गयीं। इसके अतिरिक्त जनमत संग्रह के आधार पर बंगाल, पंजाब तथा असम के विभाजन तथा उनकी सीमाओं के निर्धारण के सम्बन्ध में बातें तय की गयीं।
4. दोनों अधिराज्यों की संविधान सभाओं को अपना संविधान बनाने का अधिकार होगा। जब तक दोनों राज्य नया संविधान नहीं बना लेते हैं, तब तक 1935 के भारत शासन अधिनियम के द्वारा ही शासन होना था।
5. भारत सचिव का पद समाप्त करके उसके स्थान पर राष्ट्रमण्डल सचिव की नियुक्ति का प्रावधान रखा गया।
प्रश्न 73: भारत छोड़ो आन्दोलन की असफलता के क्या कारण| (कोई 4)
उत्तर- आन्दोलन की असफलता के कारण-
(1) संगठन तथा निश्चित योजना का अभावभारत छोड़ो आन्दोलन आरम्भ करने से पूर्व महात्मा गाँधी ने इसकी कोई स्पष्ट योजना नहीं बनायी थी कि इसे किस प्रकार संचालित किया जायेगा।
(2) ब्रिटिश शासन का शक्तिशाली होना- एक कारण ब्रिटिश शासन को आन्दोलनकारियों की अपेक्षा अत्यधिक शक्तिशाली होना था। आन्दोलनकारियों के पास धन तथा अस्त्र-शस्त्रों का अभाव था, अतः उन्हें बिना अस्त्र, शस्त्र के पुलिस तथा सेना का सामना करना पड़ता था।
(3) राष्ट्रीय नेताओं को बन्दी बनाया जाना- ब्रिटिश सरकार ने प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को अचानक गिरफ्तार कर लिया था, जिससे जनता समुचित मार्गदर्शन प्राप्त नहीं कर सकी तथा आन्दोलन को गहरा आघात लगा।
(4) मुस्लिम लीग की राजनीति- मुस्लिम लीग ने मुसलमानों को आन्दोलन से पृथक रहने का परामर्श दिया, जिससे मुसलमानों ने आन्दोलन में भाग नहीं लिया। इससे भी आन्दोलन पर गहरा आघात लगा।
प्रश्न 74: ताशकन्द समझौता क्या है? इसकी शर्ते लिखिए?
उत्तर- भारत-पाक युद्ध विराम के बावजूद युद्ध क्षेत्रों में झड़पें बंद नहीं हुई थीं। इस स्थिति को समाप्त करने के लिए सोवियत संघ ने विशेष रुचि ली। सोवियत संघ ने दोनों पक्षों को वार्ता के लिए ताशकन्द आमंत्रित किया। 4 जनवरी 1966 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खाँ तथा भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के मध्य ताशकन्द में वार्ता आरंभ हुई। अंततः 19 जनवरी 1966 को ऐतिहासिक ताशकन्द समझौते पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर किए जिसे ताशकन्द समझौते के नाम से जाना जाता है।
ताशकन्द समझौते की शर्ते निम्नलिखित हैं-
1. दोनों पक्षों ने अच्छे पड़ोसियों जैसे संबंध निर्माण करने पर सहमति व्यक्त की।
2. दोनों पक्षों ने यह सहमति व्यक्त की कि वे 5 अगस्त 1965 के पूर्व जिस स्थिति में थे वहाँ अपनी सेनाओं को वापस बुला लेंगे। दोनों पक्ष युद्ध विराम रेखा पर युद्ध विराम की शर्तों का पालन करेंगे।
3. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार को निरुत्साहित करने तथा पुनः राजनयिक संबंधों की स्थापना करने का निर्णय लिया। इसके अतिरिक्त आर्थिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक संबंधों को मधुर बनाने पर भी सहमति व्यक्त की गयी।
प्रश्न 75: आपातकाल कितने प्रकार के होते हैं? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर- आपातकाल तीन प्रकार के होते हैं-
(अ) राष्ट्रीय आपातकाल- भारत के राष्ट्रपति यदि संतुष्ट हो जाये कि स्थिति बहुत विकट हैं तथा भारत अथवा उसके किसी भाग की सुरक्षा खतरे में है। युद्ध अथवा बाहरी आक्रमण या क्षेत्र के अंतर्गत सशस्त्र विद्रोह के कारण समस्या विकट हो सकती है। तब राष्ट्रपति ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से पहले भी आपातकाल की घोषणा कर सकता है। वर्तमान में राष्ट्रपति ऐसी संकटकालीन घोषणा केवल मंत्रीमण्डल की लिखित अनुशंसा पर ही कर सकता है।
(ब) राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता से उत्पन्न आपातकाल-राष्ट्रपति किसी राज्य के राज्यपाल की रिपोर्ट पर या किसी अन्य प्रकार से संतुष्ट हो जाये कि वहाँ राज्य का शासन विधिपूर्वक चलाया नहीं जा सकता है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा कर संवैधानिक तंत्र की विफलता को रोकने का प्रयास करता है।
(स) वित्तीय संकट-यदि राष्ट्रपति संतुष्ट हो जाए कि भारत अथवा इसके किसी भाग की वित्तीय स्थिति या साख को खतरा है तो वह वित्तीय संकट की घोषणा कर सकता है।
प्रश्न 76: भारत में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन कीजिए। (कोई 4)
उत्तर- नागरिकों के सर्वांगीण विकास हेतु मौलिक अधिकार आवश्यक हैं, इसीलिए भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का प्रावधान है। इनका हनन होने पर नागरिक उच्च अथवा सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले सकता है, किन्तु इन अधिकारों को संकटकाल में प्रतिबन्धित किया जा सकता है। सन् 1976 में संविधान के 42वें संशोधन में 10 मूल कर्तव्यों को जोड़ा गया है।
नागरिकों के मौलिक अधिकार निम्नलिखित हैं- भारतीय संविधान द्वारा नागरिकों को एक स्वतन्त्र तथा विकासशील जीवन प्रदान करने के लिए मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं। संविधान द्वारा नागरिक को छः मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं, जो निम्न हैं-
1. समानता का अधिकार- भारतीय संविधान में कानून के सामने सभी नागरिक समान हैं। धर्म, जाति, लिंग, भाषा, जन्म आदि की दृष्टि से किसी भी तरह की असमानता को नहीं माना गया है।
2. स्वतन्त्रता का अधिकार- भारतीय नागरिकों को भाषण देने, शान्तिपूर्ण सम्मेलन करने, इच्छानुसार व्यापारव्यवसाय करने, किसी भी धर्म का पालन करने आदि की स्वतन्त्रता है।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार- अगर किसी भी व्यक्ति का शारीरिक, भावनात्मक, मानसिक, आर्थिक या किसी भी तरह का शोषण किया जाता है, तो उसके विरुद्ध यह व्यक्ति कानून की सहायता लेकर शोषण से मुक्त हो जाता है।
4. धार्मिक स्वतन्त्रता का अधिकार- व्यक्ति अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म को अपना सकता है, उसका पालन कर सकता है।
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बन्धी अधिकार- इस अधिकार के अन्तर्गत भारत के नागरिकों को अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को सुरक्षित रखने तथा उसका विकास करने का अधिकार है।
6.संवैधानिक उपचारों का अधिकार- इस अधिकार के अनुसार प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार दिया गया है कि यदि उपरिवर्णित पाँच अधिकारों में से किसी भी अधिकार पर आक्षेप किया जाये या उससे छीना जाये, चाहे वह सरकार की ओर से ही क्यों न हो, तो वह सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय से न्याय की माँग कर सकता है।
इन अधिकारों को संकटकाल में प्रतिबन्धित किया जा सकता है।
प्रश्न 77: भारत में नागरिकों के मूल कर्तव्यों को लिखिए। (कोई 8)
उत्तर- नागरिकों के मूल कर्त्तव्य निम्नलिखित हैं-
1. संविधान का वह पालन करें और उसके आदर्शों, संस्थानों, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
2. स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रख उनका पालन करें।
3. भारत की सम्प्रभुता, एकता और अखण्डता, की रक्षा करें एवं उसे अक्षुण्ण रखें।
4. देश की रक्षा करें और आव्हान किए जाने पर उसकी सेवा करें।
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करें जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से परे हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करें, जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध हो।
6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और परीक्षण करें।
7. प्राकृतिक पर्यावरण की, जिसके अन्तर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, उनकी रक्षा करें तथा उनका संवर्द्धन कर प्राणीमात्र के प्रति दया रखें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद, ज्ञानार्जन और सुधार की भावना का विकास करें।
प्रश्न 78: वैश्वीकरण की प्रक्रिया में सहायक कारकों का वर्णन करो? अथवा
वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने वाले चार कारकों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- वैश्वीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत सभी व्यापारिक क्रियाओं का अंतर्राष्ट्रीयकरण हो जाता है। और वे एक इकाई के रूप में कार्य करने लगती हैं। वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करने वाले तत्व निम्नलिखित हैं-
(1) तकनीकी ज्ञान का विस्तार- पिछले 50 वर्षों में तकनीकी ज्ञान का तेजी से विकास हुआ है। परिवहन प्रौद्योगिकी ने अब लम्बी दूरी तक वस्तुओं को कम लागत पर भेजना संभव बनाया है। दूरसंचार सुविधाओं, जैसे- इंटरनेट, मोबाइल फोन, फैक्स आदि ने विश्वभर में एक-दूसरे से सम्पर्क करने के कार्य को सरल बना दिया है। संचार उपग्रहों ने इस सुविधाओं का विस्तार कर क्रांतिकारी परिवर्तन कर दिया है। फलतः वैश्वीकरण का तेजी से विस्तार हुआ है।
(2) उदारीकरण की प्रक्रिया - बीसवीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन मुख्यतः देशों की सीमाओं के अन्दर ही सीमित था। अनेक देशों ने अपने द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विदेशी प्रतियोगिता से बचाने के लिये अनेक प्रकार के कठोर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। भारत ने भी 1950 एवं 1960 के दशकों में केवल अनिवार्य वस्तुओं जैसे मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की ही अनुमति दी थी। इस नीति से देश में अनेक उद्योगों का विकास हुआ और भारत अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन गया। किन्तु 1970 एवं 1990 के दशकों में अनेक ऐसे परिवर्तन हुए, जिनसे विदेशी व्यापार को उदार बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। सन् 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के बाद प्रायः विश्व के सभी देशों ने अपने आयात करों में कमी की है और अपने देश के बाजार को अन्य देशों के लिये खोल दिया है।
(3) प्रतियोगिता एवं बाजार का विस्तार – पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में प्रतियोगिता का विशेष महत्व है। इस प्रणाली में विभिन्न उत्पादक कम्पनियाँ बाजारों पर कब्जा करने के उद्देश्य से प्रतियोगिता का सहारा लेती हैं। इसके लिये ये कम्पनियाँ कीमत कम करने के साथ-साथ विज्ञापनों एवं प्रचार-प्रसार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करती हैं।
(4) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार- दूरस्थ देशों को आपस में जोड़ने में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विशेष महत्व है। ये कम्पनियाँ उन देशों में उत्पादन के लिए कारखाने स्थापित करती हैं, जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य साधन मिलते हैं। इससे उत्पादन लागत में कमी आती है। तथा कम्पनियों की प्रतियोगिता करने की क्षमता बढ़ जाती है।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ केवल वैश्विक स्तर पर ही अपने उत्पादन नहीं बेचतीं, वरन् अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन विश्व स्तर पर करती हैं।
प्रश्न 79: मिश्रित अर्थव्यवस्था के किन्हीं चार दोषों की विवेचना कीजिए।
उत्तर- मिश्रित अर्थव्यवस्था के दोष- मिश्रित अर्थव्यवस्था में पाये जाने वाले प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1. दुर्बल एवं अकुशल प्रणाली-मिश्रित अर्थव्यवस्था में पाये जाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र पूर्णतः विपरीत पद्धति से कार्य करने वाले क्षेत्र हैं, जिसके कारण इनमें उचित सामंजस्य स्थापित नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था का कुशल संचालन नहीं हो पाता और दोनों क्षेत्र परस्पर पूरक न बनकर प्रतिस्पर्धा बन जाते हैं। अतः इसे एक दुर्बल और अकुशल प्रणाली माना जाता है।
2. राष्ट्रीयकरण का भय-मिश्रित प्रणाली में निजी क्षेत्र को सदैव राष्ट्रीयकरण का भय बना रहता है। इस भय के कारण उद्यमियों में विनियोग के प्रति विशेष रुचि एवं प्रेरणा उत्पन्न नहीं हो पाती। राष्ट्रीयकरण के भय के कारण विदेशी उद्यमी भी इन देशों में अपनी पूँजी का निवेश नहीं करते।
3. अकुशलता-मिश्रित अर्थव्यवस्था में पूँजीवादी एवं समाजवाद दोनों के दोष विद्यमान रहते हैं। इस प्रणाली में न तो नियोजन तंत्र ठीक ढंग से कार्य कर पाता है और न ही बाजार यंत्र क्रियाशील हो पाता है।
4. निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन नहीं-इस प्रणाली में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र को अधिक महत्व देती है। फलतः निजी क्षेत्र की उपेक्षा होती है। सरकारी नीतियाँ एवं कार्यालय भी निजी क्षेत्र के हित में नहीं होते।
प्रश्न 80: भारत के सीमाकार मानचित्र में निम्न को दर्शाइए-
(1) भाखड़ा-नंगल बाँध , (2) कच्छ का रन, ( 3 ) कर्क रेखा,
(4) हजीरा-जगदीशपुर गैस पाइपलाइन, ( 5 ) आनन्द-अहमदाबाद दुग्ध पाइपलाइन।
प्रश्न 81 : निम्नलिखित मौसम सम्बन्धी संकेतों को अपनी उत्तर पुस्तिका में दर्शाइए-
(1) शान्त, (2) ललित वायु, (3) धीर समीर,(4) अल्पबल समीर, (5) सबल समीर।
उत्तर-
प्रश्न 82: झण्डा सत्याग्रह किस प्रकार हुआ? वर्णन कीजिए। or झण्डा सत्याग्रह को संक्षिप्त में लिखिए।
उत्तर- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में चरखा युक्त तिरंगे झंडे की आन-बान-शान को लेकर एक ऐसी घटना घटी जिसमें न केवल राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्पूर्ण राष्ट्रीय की श्रद्धा और निष्ठा की मुखर अभिव्यक्ति हुई, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत तक को उसे मान्य करने पर विवश होना पड़ा। इतिहास के इस स्वर्णिम अध्याय को ‘झण्डा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। असहयोग आंदोलन की मानसिक तैयारी की पड़ताल के लिए गठित कांग्रेस की समिति जबलपुर आई, हकीम अजमल खाँ उसके नेता थे। जबलपुर कांग्रेस कमेटी ने तय किया कि खाँ साहेब को अभिनन्दन पत्र भेंट किया जाएगा और जबलपुर नगरपालिका भवन पर राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज फहराया जायेगा। यह सम्मान गोरे डिप्टी कमिश्नर को ब्रिटिश हुकूमत का अपमान और चुनौती देता हुआ प्रतीत हुआ और वह भड़क उठा। उसने पुलिस को हुक्म दिया कि तिरंगे झण्डे को न केवल उतार दिया जाये बल्कि पैरों से कुचला जाये, जिसके परिणाम स्वाभाविक रूप से तीव्र जनाक्रोश के रूप में फूटा और आंदोलन हो गया, जिसके कुछ ही महीनों में इसने अखिल भारतीय स्वरूप ग्रहण कर लिया, अंग्रेज हुकुमत की अपमानजनक कार्यवाही के विरोध में पं. सुन्दरलाल, सुभद्रा कुमारी चौहान, नाथूराम मोदी, नरसिंह दास अग्रवाल, लक्ष्मणसिंह चौहान तथा कुछ अन्य स्वयंसेवकों में झण्डे के साथ जुलूस निकाला। पुलिस ने जूलुस को आगे बढ़ने से रोक दिया और सभी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया।
*********** 2nd Answer************
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में चरखा युक्त तिरंगे झण्डे की आन-बान-शान को लेकर एक ऐसा प्रसंग उपस्थित हो गया, जिसमें न केवल राष्ट्रीय ध्वज के प्रति सम्पूर्ण राष्ट्र की श्रद्धा और निष्ठा की मुखर अभिव्यक्ति हुई, बल्कि अंग्रेजी हुकूमत तक को उसे मान्य करने पर विवश होना पड़ा। इतिहास के इस स्वर्णिम अध्याय को ‘झण्डा सत्याग्रह' के नाम से जाना जाता है। असहयोग आन्दोलन की मानसिक तैयारी की पड़ताल के लिए गठित कांग्रेस की समिति जबलपुर आई, हकीम अजमल खाँ उसके नेता थे। जबलपुर कांग्रेस कमेटी ने तय किया कि खाँ साहेब को अभिनन्दन पत्र भेंट किया जाएगा और जबलपुर नगरपालिका भवन पर राष्ट्रीय तिरंगा ध्वज फहराया जाएगा। यह सम्मान गोरे डिप्टी कमिश्नर को ब्रिटिश हुकूमत का अपमान व चुनौती देता हुआ प्रतीत हुआ और वह भड़क उठा उसने पुलिस को हुक्म दिया कि तिरंगे झण्डे को न केवल उतार दिया जाये, बल्कि पैरों से कुचला जाये, जिसका परिणाम स्वाभाविक रूप से तीव्र जनाक्रोश के रूप में फूटा और आन्दोलन आरम्भ हो गया, जिसने कुछ ही महीनों में अखिल भारतीय स्वरूप ग्रहण कर लिया।
प्रश्न 83 : मध्यप्रदेश का राष्ट्रीय आन्दोलन में क्या योगदान रहा है? वर्णन कीजिए।
उत्तर- मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन की सभी धाराएँ संघर्षशील रहीं। यहाँ के वनवासियों ने आजादी के महायज्ञ में अपनी आहुति दी, यहाँ की रियासतों की जनता ने और कई खुद्दार राजपरिवारों ने पराधीनता की बेड़ियों को काटने के लिए सर्वस्व दाँव पर लगाया। यहाँ के रजवाड़ों की प्रजा को दोहरी गुलामी को उतार फेंकने के लिए जूझना पड़ा, यहाँ के किसानों ने लड़ाई लड़ी, असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, नमक सत्याग्रह, जंगल सत्याग्रह और सन् 1942 की जनक्रांति में मध्यप्रदेश की सक्रिय भागीदारी रही। चन्द्रशेखर आजाद की क्रांतिकारी गतिविधियों का केन्द्र अगर ओरछा था तो मंगल लाल बागड़ी की हिन्दुस्तानी, लाल सेना ने इसी धरती पर सशस्त्र संग्राम छेड़ा था।
लोकमान्य तिलक, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, राष्ट्रनायक जवाहर लाल नेहरू, सरदार पटेल, देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. अंसारी, मौलाना आजाद आदि महापुरुषों ने मध्यप्रदेश के स्वातंत्र्य समर को प्रेरित किया। पं. रविशंकर शुक्ल, पं. सुन्दरलाल शर्मा, द्वारिका मिश्र, ठाकुर निरंजन सिंह, सेठ गोविन्द दास, हरिविष्णु कामथ, ठाकुर प्यारेलाल, पं. लक्ष्मीनारायण दास, सुभद्रा कुमारी चौहान, वामनराव लाखे, शंकर लाल दुबे, कृष्णकांत व्यास, दुर्गाशंकर मेहता और अन्य अनेक अग्रणी स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने मध्य प्रदेश में यत्र-तत्र सर्वत्र आजादी की अलख जगाई, आन्दोलन का संचालन और नेतृत्व किया।
प्रश्न 84 : सन् 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के परिणाम लिखिए।
उत्तर- 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के निम्नलिखित परिणाम हुए-
(अ) पाकिस्तान कश्मीर समस्या का समाधान शस्त्र द्वारा करना चाहता था। उसने युद्ध का मार्ग अपनाया : परन्तु उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई।
(ब) पाकिस्तान का विश्वास था कि कश्मीर की मुस्लिम जनता उसका साथ देगी परन्तु ऐसा नहीं हुआ। भारत ने यह सिद्ध किया कि भारतीय धर्मनिरपेक्षता का आधार अत्यन्त ठोस है।
(स) युद्ध के दौरान भारतीय नागरिकों तथा सैनिकों का मनोबल ऊँचा रहा। भारतीय सेना के अधिकांश हथियार स्वदेशी थे।
(द) पाकिस्तान को विश्वास था कि संकट के अवसर पर चीन उसका साथ देगा परन्तु उसका यह भ्रम टूट गया।
(ङ) भारत-पाकिस्तान के युद्ध में संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका महत्वपूर्ण थी। संयुक्त राष्ट्र संघ को सफलता इसलिए मिली क्योंकि सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपूर्व सहयोग दिया था।
(ई) पाकिस्तान के लिए यह युद्ध घातक सिद्ध हुआ। युद्ध में पराजय ने उसकी सैनिक तानाशाही के खोखलेपन को सिद्ध कर दिया।
प्रश्न 85 : भारत में परमाणु नीति के सिद्धान्तों को समझाइए।
उत्तर- भारत का आण्विक शक्ति के रूप में उदय होना- परमाणु ऊर्जा रेडियोधर्मी तत्त्वों के विखण्डन से प्राप्त की जाती है। इस ऊर्जा से विद्युत तैयार की जाती है। यूरेनियम, थोरियम, प्लूटोनियम आदि प्रमुख रेडियोधर्मी तत्त्व हैं, इन तत्त्वों में भारी मात्रा में ऊर्जा छिपी है। एक अनुमान के अनुसार एक किलो यूरेनियम से जितनी ऊर्जा प्राप्त होती है, उतनी 27,000 टन कोयले से प्राप्त की जाती है। यूरेनियम अत्यन्त मूल्यवान तत्त्व है। परमाणु ऊर्जा का उपयोग जहाँ शान्तिपूर्ण और विकास कार्यों के लिए किया जाता है, इसका उपयोग विध्वंशक शस्त्रों के निर्माण में भी किया जाता है। भारत के परमाणु ऊर्जा एवं आन्तरिक शोध कार्यक्रमों का कुशल निर्देशन डॉ. होमी भाभा, डॉ. विक्रम साराभाई और राजा रामन्ना जैसे वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है। भारत की परमाणु नीति पर उसके सामाजिक और आर्थिक आधारों का प्रभाव पड़ा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् से। ही भारत परमाणु ऊर्जा के शान्तिपूर्ण उपयोग की दिशा में प्रयासरत रहा है। परमाणु ऊर्जा अधिनियम 1948 एवं परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना इस दिशा में प्रारम्भिक कदम रहे।
प्रश्न 86 : सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियाँ निम्नानुसार हैं-
1. प्रारम्भिक क्षेत्राधिकार- ऐसे विवाद जो देश के अन्य न्यायालयों में नहीं जाते केवल सर्वोच्च न्यायालय में ही प्रस्तुत होते हैं।
(क) राज्यों के मध्य विवाद-
(i) संघीय सरकार एवं एक या एक से अधिक राज्यों के बीच विवाद।
(ii) ऐसा विवाद जिसमें एक ओर संघीय शासन व एक या अधिक राज्य हों तथा दूसरी ओर एक या अधिक राज्य हो।
(iii) दो या दो से अधिक राज्यों के बीच विवाद
(ख) मौलिक अधिकारों से संबंधित विवाद- नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय को समुचित कार्यवाही करने की शक्ति प्राप्त है।
2. अपीलीय क्षेत्राधिकार- सर्वोच्च न्यायालय देश का सबसे बड़ा अंतिम अपीलीय न्यायालय है। उस क्षेत्राधिकार के तहत् सर्वोच्च न्यायालय को निम्न अपील सुनने का अधिकार है।
(क) संवैधानिक अपीलें (ख) दीवानी अपीलें (ग) फौजदारी अपीलें (घ) विशेष अपीलें ।
3. परामर्शदात्री क्षेत्राधिकार- संविधान की धारा 143 के अनुसार यदि राष्ट्रपति किसी संवैधानिक या कानूनी प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेना चाहे तो राष्ट्रपति को परामर्श दे सकता है।
4. न्यायिक पुनरावलोकन सम्बन्धी क्षेत्राधिकारसर्वोच्च न्यायालयों को संसद एवं विधानसभाओं द्वारा निर्मित विधियों एवं प्रशासकीय निर्देशों की वैधता को जांचने का अधिकार है। इस अधिकार के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय विधियों या नियमों की वैधता की जांच करता है। कि ये नियम या विधियाँ संविधान के अनुसार है या नहीं। अपनी इस शक्ति के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय विधान की रक्षा करता है।
5. अभिलेख न्यायालय- सर्वोच्च न्यायालय अभिलेख न्यायालय भी है। अर्थात् उसके समस्त निर्णय एवं अभिलेख लिखित रहते हैं तथा प्रकाशित किए जाते हैं तथा इन्हें अभिलेख के रूप में रखा जाता है। अधीनस्थ न्यायालयों के सम्मुख इन निर्णयों को नजीर (उदाहरण) के रूप में प्रस्तुत किया जाता है तथा अधीनस्थ न्यायालय इन नजीरों को मानते हैं।
6. अन्य कार्य- सर्वोच्च न्यायालय उपरोक्त अधिकारों के अलावा निम्न कार्य भी करता है-
(अ) अपने अधीनस्थ न्यायालयों का निरीक्षण एवं जांच।
(ब) अपने तथा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों व अधिकारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण उन्हें पदोन्नति तथा पदच्युत करना।
(स) न्यायालय की अवमानना करने वाले किसी भी व्यक्ति को दण्डित करने की शक्ति।
प्रश्न 87: मंत्री परिषद् के कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- मंत्री परिषद के कार्य निम्नलिखित हैं –
(i) नीति निर्धारित करना- देश की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, वैदेशिक आदि समस्याओं को हल करने के लिए मंत्रिपरिषद् समस्त पहलुओं पर विचार करके नीति निर्धारित करता है।
(ii) नियुक्ति सम्बन्धी कार्य- देश के भीतर एवं बाह्य महत्वपूर्ण पदों पर की जाने वाली महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ जैसे राजदूत, राज्यपाल विभिन्न आयोगों के सदस्य एवं अध्यक्ष, महान्यायवादी आदि की नियुक्ति मंत्रिमण्डल द्वारा की जाती है।
(iii) वित्त सम्बन्धी कार्य- देश के आय-व्यय पर मंत्रिमण्डल का नियंत्रण रहता है। वित्तमंत्री बजट तैयार करता है, मंत्रिमण्डल में प्रस्तुत करता है। मंत्रिमण्डल की स्वीकृति के बाद उसे सदन में प्रस्तुत करता है। यदि बजट को लोकसभा स्वीकृति नहीं देती तो सम्पूर्ण मंत्रिमण्डल को त्यागपत्र देना होता है।
(iv) राष्ट्रपति को परामर्श- मंत्रिपरिषद् समय-समय पर राष्ट्रपति को परामर्श देता है। राष्ट्रपति मंत्रिमण्डल की सलाह को मानने के लिए बाध्य है।
प्रश्न 88: भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपायों का वर्णन कीजिए।
उत्तर- भारत में बेरोजगारी दूर करने के उपाय निम्नलिखित-
(1) जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण- जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करना चाहिये। इससे श्रमिकों की पूर्ति दर में कमी आएगी। रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ यह भी अति आवश्यक है।
(2) लघु और कुटीर उद्योगों का विकास- ये उद्योग ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्थापित हैं तथा अंशकालीन रोजगार प्रदान करते हैं। इसमें पूंजी कम लगती है और ये परिवार के सदस्यों द्वारा ही संचालित होते हैं। इसके द्वारा बेकार बैठे किसान और उनके घर के सदस्य अपनी क्षमता, श्रम, कला-कौशल और छोटी-छोटी जमा राशि का उपयोग कर अधिक आय और रोजगार प्राप्त कर सकते हैं। अतः सरकार को इनके विकास के लिये पूंजी उपलब्ध करानी चाहिए।
(3) व्यावसायिक शिक्षा- देश की शिक्षा पद्धति में परिवर्तन की आवश्यकता है। हमें शिक्षा को रोजगारोन्मुख बनाना है। हाईस्कूल पास करने के बाद छात्रों की रुचि के अनुसार व्यावसायिक शिक्षा चुनने के लिए जोर देना चाहिए। इससे शिक्षा प्राप्त करने के बाद के व्यवसाय से जुड़ सकेंगे और देश में बेरोजगारी की समस्या हल हो सकेगी।
(4) विनियोग में वृद्धि- सार्वजनिक क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर पूंजी का विनियोग कर बेरोजगारी दूर की जा सकती है। निजी क्षेत्र में बड़े उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए, जो कि श्रम प्रधान हों। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा। बड़े-बड़े उद्योगों में पूंजी गहन तकनीक पर नियंत्रण रखना चाहिये, क्योंकि इनमें बड़ी-बड़ी मशीनों का उपयोग किया जाता है और मानव श्रम कम लगता है। इससे बेरोजगारी बढ़ती है।
(5) सहायक उद्योगों का विकास- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि के सहायक उद्योग जैसे-दुग्ध व्यवसाय, मछली पालन, मुर्गीपालन, बागवानी, फूलों की खेती आदि का विकास करना चाहिये।
प्रश्न 89: मादक पदार्थों का शरीर पर क्या प्रभाव होता है? लिखिए।
उत्तर- मादक पदार्थों का शरीर पर निम्नलिखित प्रभाव होता-
(i) शारीरिक कमजोरी- मादक पदार्थों के सेवन से शरीर में कमजोरी उत्पन्न होने लगती है तथा व्यक्ति की शारीरिक क्षमता घटती जाती है।
(ii) मानसिक कमजोरी- मादक पदार्थों के सेवन से मानसिक कमजोरी होने लगती है, जो मनुष्य की सोचने- समझने की शक्ति को क्षीण कर देती है।
(iii) रोगों में वृद्धि- मादक पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति को विभिन्न रोग हो जाते हैं, क्योंकि उसकी शारीरिक क्षमता घट जाती है।
(iv) बच्चों के विकास पर प्रभाव- मादक पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति के परिवार में पारिवारिक कलह बढ़ जाती है, जिससे बच्चे के मानसिक व शारीरिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 90: मृदा संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- मृदा के अपरदन और विनाश को रोकना मृदा संरक्षण कहलाता है।
प्रश्न 91: ऊर्जा के परम्परागत एवं गैर-परम्परागत साधनों के नाम बताइये।
उत्तर- (1) ऊर्जा के परम्परागत साधन में कोयला, खनिज तेल, प्राकृतिक गैस तथा जल-विद्युत् सम्मिलित हैं।
(2) ऊर्जा के गैर-परम्परागत साधन में सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, भू-तापीय ऊर्जा, गौबर गैस आदि आते हैं।
प्रश्न 92: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण क्या था?
उत्तर- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम का तात्कालिक कारण ‘चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग नहीं करना था।
प्रश्न 93: नाना साहेब के योगदान को लिखिए।
उत्तर- नाना साहेब- नाना साहेब, संग्राम के अन्य महत्वपूर्ण नेता थे। नाना साहेब भूतपूर्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे और बिठूर में निवास करते थे। पेशवा की मृत्यु के उपरान्त लॉर्ड डलहौजी ने नाना साहेब को पेंशन एवं उपाधि देने से वंचित कर दिया था। अतः नाना ने अपने स्वामीभक्त सैनिकों की मदद से अंग्रेजों को कानपुर से निकाल दिया और स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया। तात्या टोपे और अजीमुल्लाह नाना साहेब के स्वामीभक्त सेनानायक थे।
प्रश्न 94: 'जॉब कार्ड' क्या है? इसे कैसे प्राप्त किया जाता है?
उत्तर- रोजगार गारंटी योजना के तहत् रोजगार प्राप्त करने वाले पंजीयत परिवारों को ग्राम पंचायत द्वारा रोजगार पत्र (जॉब कार्ड) जारी किया जाता है, जिसमें संबंधितों का पूर्ण विवरण होता है। यह रोजगार पत्र जारी होने के दिनांक से 5 वर्ष के लिये वैध होता एवं प्रत्येक 5 वर्ष की समाप्ति के बाद एक माह के अंदर ग्राम पंचायत द्वारा नवीनीकृत किया जा सकता है। जॉब कार्ड बीपीएल सर्वे पर आधारित होता है। जॉब कार्ड में किसी भी प्रकार के परिवर्तन करने हेतु ग्राम पंचायत सक्षम होती है। कार्ड गुम होने, खराब होने पर निर्धारित शुल्क जमा करके नया कार्ड बनवाया जा सकता है।
प्रश्न 95: भूमि विकास बैंक किसान को किस अवधि के लिए ऋण देता है?
उत्तर- भूमि विकास बैंक किसान को दीर्घकालीन अवधि के लिए ऋण देता है।
प्रश्न 96: ज्ञान आधारित समाज किसे कहते हैं?
उत्तर- ज्ञान आधारित समाज-
वह समाज जिसमें सभी क्रियाएँ उपलब्ध ज्ञान के आधार पर संचालित होती हैं। दूरसंचार तंकनीक के विस्तार से ज्ञान आधारित समाज की धारणा का विकास हुआ है।
प्रश्न 97: दूरसंवेदी इकाई से क्या आशय है?
उत्तर- उपग्रहों के माध्यम से संचालित संचार सेवाएँ, भूजल स्तर मापना, खनिज व पेट्रोलियम पदार्थों का पता लगाना, नक्शा तैयार करना, गुप्त जानकारियाँ आदि सेवाओं का क्रियान्वयन दूरसंवेदी इकाई के द्वारा होता है।
प्रश्न 98: बाढ नियंत्रण के कोई दो उपाय लिखिए।
उत्तर- बाढ़ नियन्त्रण के उपाय बाढ़ नियन्त्रण के लिए निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं-
(1) नदियों के ऊपरी क्षेत्रों में अनेक जलाशय बनाये जा सकते हैं।
(2) सहायक नदियों व धाराओं पर अनेक छोटे-छोटे बाँधों का निर्माण किया जाना चाहिए जिससे मुख्य नदी में बाढ़ के खतरे को कम किया जा सके।
(3) नदियों के ऊपरी जल संग्रहण क्षेत्रों में सघन वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।
(4) मैदानी क्षेत्रों में अनुपयुक्त भूमि पर जल संग्रहण किया जाना चाहिए।
(5) नदियों के किनारों की भूमि पर मानवीय बस्तियों के अतिक्रमण पर रोक लगाई जानी चाहिए।
(6) नदियों के जल ग्रहण क्षेत्रों में वन विनाश को नियन्त्रित करना चाहिए।
(7) पर्वतीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण के समय विस्फोटकों का सीमित उपयोग कर भूस्खलन पर नियन्त्रण किया जाना चाहिए।
बाढ़ सम्भावित क्षेत्रों में किसी भी बड़े विकास कार्य की अनुमति नहीं देनी चाहिए। बाढ़ क्षेत्रों में भवनों का निर्माण मजबूत होना चाहिए।
प्रश्न 99: उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार बतलाइये।
उत्तर- उपभोक्ता शोषण के दो प्रकार हैं-
(अ) घटिया गुणवत्ता
(ब) मिलावट एवं अशुद्धता
प्रश्न 100: संशोधित वन नीति, 1988 का मुख्य आधार क्या है?
उत्तर- 7 दिसम्बर, 1988 को नवीन वन नीति घोषित की गई जिसके मुख्य आधार निम्नलिखित हैं-
(1) पर्यावरण में स्थिरता लाना,
(2) जीव-जन्तुओं व वनस्पति जैसी प्राकृतिक धरोहर की सुरक्षा करना,
(3) लोगों की बुनियादी जरूरतें पूरी करना।
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