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MP Board कक्षा 10वी 2022 : Hindi - हिंदी VVI Most Important Objective ( OT ) & One Word Question & Answer

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MP Board कक्षा 10वी 2022 : Hindi - हिंदी VVI Most Important Objective ( OT ) & One Word Question & Answer

इस पोस्ट में MP Board कक्षा 10वी परीक्षा 2022 के लिए Hindi - हिंदी के VVI Most Important Objective ( OT ) & One Word Question & Answer समाधान के साथ प्रश्न दिये गये है जो आपके Paper के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये 100 Most Important Question दिए गये जिससे आप अपनी तैयारी को और बेहतर बना सकते हो I आप नीचे दिए गए प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है।

  1. सूरदास कृष्‍णभक्ति धारा के प्रमुख कवि हैं।
  2. मलिक मुहम्‍मद जायसी निर्गुण भक्ति धारा के प्रेममार्गी कवि हैं।
  3. गोस्‍वामी तुलसीदास जी भक्तिकाल के प्रतिनिधि कवि हैं।
  4. श्रृंगार रस का स्‍थाई भाव ‘रति होता है।
  5. शांत रस का स्‍थाई भाव ‘निर्वेद होता है।
  6. करूण रस का स्‍थाई भा‍व ‘करूणा ‘शोक’ होता है।
  7. हास्‍य रस का स्‍थाई भा‍व ‘हास होता है।
  8. वीर रस का स्‍थाई भा‍व ‘उत्‍साह होता है।
  9. रौद्र रस रस का स्‍थाई भा‍व ‘क्रोध होता है।
  10. भयानक रस का स्‍थाई भा‍व ‘भय होता है।
  11. वीभत्‍स रस का स्‍थाई भा‍व ‘जुगुत्‍सा या घृणा’ होता है।
  12. अद्भुत रस का स्‍थाई भा‍व ‘विस्‍मय’ होता है।
  13. वात्‍सल्‍य रस का स्‍थाई भा‍व ‘वत्‍सल होता है।
  14. स्‍थाई भावों के उत्‍पन्‍न होने के कारणों को विभाव कहते हैं।
  15. जिसके प्रति स्‍थाई भाव उत्‍पन्‍न हो वह आलंबन कहलाता है।
  16. रस के चार अंग होते हैं।
  17. जिस रचना में नायक और नायिका का विरह वर्णन होता है। वहां वियोग श्रृंगार होता है।
  18. मात्रिक छंद के प्रत्‍येक चरण में 15 व 13 पर यति होती हैं।
  19. मात्रिक छंद में 28 मात्राएं होती हैं।
  20.  गेहूं और गुलाब निबंध के लेखक रामवृक्ष बेनीपुरी हैं।
  21. अमरकंटक की केन्‍द्रीय सत्‍ता नर्मदा है।
  22. जो पुरूषों में उत्‍तम है, वह पुरूषोत्‍तम कहलाता है।
  23. संचारीभाव की कुल संख्‍या 33 मानी जाती है।
  24. संवत् 1900 में आधुनिक हिन्‍दी कविता का प्रारम्‍भ माना जाता है।
  25. ‘बैल की बिक्री’ में महाजन का नाम ज्‍वालाप्रसाद था।
  26. सुश्रुत संहिता में शल्‍य यंत्रों की संख्‍या 101 बताई गई है।
  27. द्वन्‍द्व समास में दोनो पद प्रधान होते हैं।
  28. रसयुक्‍त वाक्‍य ही काव्‍य होता है।
  29. बिहारी की भाषा साहित्यिक ब्रज है।
  30. ‘थके हुए कलाकार से’ यह एक कविता है।
  31. कृष्‍ण की राजनीतिक बुद्धि अद्भुद थी।
  32. ‘बेटियां पावन दुआएं हैं’ कविता अजहर हाशमी ने लिखि है।
  33. ‘मन की एकाग्रता’ निबंध पं बालकृष्‍ण भारद्वाज ने लिखा है। 
  34. मीठे फल का आनंद गुंगा व्‍यक्ति ले रहा है।
  35. रचना के आधार पर वाक्‍य तीन प्रकार के होते हैं।
  36. भगिनी निवेदिता के गुरू का नाम परमहंस था।
  37. सुजानसिंह पंजाबी भाषा के विख्‍यात साहित्‍यकार थे।
  38. ‘आश्रय’ तत्‍सम शब्‍द है।
  39. सूरसागर, साहित्‍य लहरी के रचनाकार सूरदास हैं।
  40. तुलसीदास का राम से अनन्‍य भक्ति का नाता है।
  41. विनय के पद सूरदास जी द्वारा रचित हैं।
  42. तुलसीदास के पदों में भक्ति रस है।
  43. राम का नाम चिंतामणि है।
  44. तुलसीदास जी का मन भौंरा के समान चंचल है।
  45. तुलसीदास जी ने कवितावली की रचना की।
  46. ‘वीरों का कैसा हो वसंत’ सुभद्राकुमारी चौहान द्वारा लिखित है।
  47. तुलसीदास जी के गुरू नरसिंहदास थे।
  48. तुलसी दास जी की भाषा अवधि ब्रज थी।
  49. तुलसीदास जी के पदों में अनुप्रास और उपमा अलंकार प्रधान है।
  50. महाराणा प्रताप का युद्ध मुगलों से हुआ था।
  51. अलंकार दो प्रकार के होते हैं।
  52. राष्‍ट्र के विकास का आधार राष्‍ट्र भाषा है।
  53. राम की कृपा से माया रात्रि बीत जाती है।
  54. सूरदास जी ने अपने अवगुणों पर ध्‍यान ना देने के लिए श्री कृष्‍ण से प्रार्थना की थी।
  55. पारस पत्‍थर में लोहे को सोना बनाने का गुण होता है।
  56. बालक राम चन्‍द्र खिलोना मांग रहे हैं।
  57. बालक की आंखों की तुलना तितली के पंखों से की है।
  58. बिहारी जी कहते हैं कि श्‍याम शरीर पर पीला वस्‍त्र ओढते हैं तो ऐसा लगता है। मानो नीलमणि के पर्वत पर प्रात:कालीन धूप पड रही है।– उत्‍प्रेक्षा अलंकार,
  59. श्रीकृष्‍ण के ह्रदय पर गुंज माला है।
  60. गोपाल के कानों में मछली की आकृति के कुण्‍डल सुशोभित होते हैं।
  61. हृदय रूपी गढ किले पर कामदेव ने विजय प्राप्‍त कर ली है।
  62. माथे पर टीका ललाट(चन्‍द्रमंडल) में आकर सूर्य उसकी छवि बढा रहा है।
  63. कल्‍पवृक्ष की पत्‍तों सहित डाल समुद्र में विलास कर रही है।
  64. सगुन सलोने रूप का खारा पानी नेत्रो की प्‍यास को और अधिक बढा देता है।
  65. सौंदर्य बोध बिहारी जी ने लिखा है।
  66. नीति अष्‍टक’ भारतेन्‍दु हरिश्‍चन्‍द्र द्वारा रचित है।
  67. कोई व्‍यक्ति कोरा पद पाकर एवं परोपकार की भावना से कार्य करके समाज में माननीय हो सकता है।
  68. भारतवासी लोग मोह के फन्‍दे में बंधे हैं।
  69. जिस देश में रहने वाले नागरिकों में बुद्धि का विवेक नहीं होता बुद्धिमान लोगों को वहां नहीं जाना चाहिए।
  70. गिरधर के अनुसार बीती बातों को भूल जाना चाहिए।
  71. भारत की दुर्दशा का प्रमुख कारण आपस में बैर और फूट की भावना है।
  72. पंजाब केसरी के नाम से लाला लाजपतराय को जाना जाता है।
  73. जापानी यूवक ने स्‍वामी रामतीर्थ को फल देने के बदले यह कहा कि आप अपने देश में जाकर यह ना कहिएगा कि जापान में अच्‍छे फल नहीं मिलते।
  74. बूढे किसान ने राष्‍ट्रपति कमालपाशा को मिट्टी की छोटी सी हंडिया में पाव भर शहद दिया था।
  75. लेखक के अनुसार हमारे देश को शक्ति बोध एवं सौन्‍दर्य बोध की आवश्‍यकता है।
  76. जापान के सरकारी पुस्‍तकालय में किसी अन्‍य देश से आये यूवक ने पुस्‍कत से कुछ दुर्लभ चित्र फाड लिये थे।
  77. एक भूकम्‍प मन-मानस में आया था जिससे दीवार में दरार पड गयी थी।
  78. शल्‍य कर्ण का सारथी था।
  79. स्‍वामी रामतीर्थ जापान गये थे।
  80. जीवन एक युद्ध स्‍थल है और युद्ध में लडना ही तो काम नहीं होता है।
  81. राजधानी में अपनी वर्षगांठ का उत्‍सव समाप्‍त कर वे अपने भवन में ऊपर चले गये।
  82. लाला लाजपत राय की कलम और वाणी दोनों में तेजस्विता की अद्भुत किरणें थीं।
  83. कन्‍हैयालाल मिश्र प्रभाकर ने मैं और मेरा देश निबंध लिखा है।
  84. मैं और मेरा देश निबंध दृष्‍टान्‍त शैली में रचा गया है।
  85. श्री कन्‍हैया लाल मिश्र जी ने ज्ञानोदय, नयाजीवन, और विकास पत्रों का सम्‍पादन किया।
  86. ‘’कृष्‍ण द्वैपायन’’ को देश महर्षि वेदव्‍यास के नाम से भी जानता है।
  87. भारतीय साहित्‍य का एक बडा भाग कृष्‍ण चरित्र से अनुप्राणित है।।
  88. कृष्‍ण का जन्‍म आज से पांच सहस्‍त्र वर्ष पूर्व हुआ था। यह भारतीय संस्‍कृति के गौरव एवं अमूल्‍य निधि हैं।
  89. श्री कृष्‍ण के बडे भाई का नाम बलराम था।
  90. शिशुपाल दुष्‍ट और अत्‍याचारी के साथ ही दुर्योधन का समर्थक भी था।
  91. श्री कृष्‍ण ने सहित मुर और नरक का वध कर कामरूप प्रदेश को स्‍वतन्‍त्र किया।
  92. महाभारत का युद्ध भारतीय इतिहास की बहुत ही दारूण घटना है।
  93. कंस को राज्‍यच्‍युत करके कृष्‍ण ने उग्रसेन को सिंहासन पर बैठाया।
  94. यदि मुझे बज्रधारी इन्‍द्र और कृष्‍ण में से एक को लेना पडे तो मैं कृष्‍ण को ही लूंगा।
  95. दुर्योधन ने सब कुछ सुनकर कहा मैं सुई की नोंक के बराबर भी भूमि पाण्‍डवों के लिये नहीं छोड सकता।
  96. लेखकों द्वारा कृष्‍ण को सोलह कला का अवतार कहा है।
  97. श्री कृष्‍ण मस्तिष्‍क साधना हेतु गुरू सान्‍दीपनि के पास गये।
  98. गीता शास्‍त्र के महान उपदेशक श्रीकृष्‍ण हैं
  99. हस्तिनापुर में कृष्‍ण, बलदेव, और कुन्‍ती पाण्‍डवों के घनिष्‍ठ संबधों का सूत्रपात हुआ है।
  100. कृष्‍ण ने शिशुपाल का वध कर माहिष्‍मति की गद्दी पर उसके पुत्र धृष्‍टकेतु को बैठा दिया।
  101. महर्षि वेद व्‍यास ने महाभारत की रचना की है

 

 

 

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