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MP Board 12th 2023 : रसायन विज्ञान VVI Important Question with Solution

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MP Board 12th 2023 : रसायन विज्ञान VVI Important Question with Solution

यहां रसायन विज्ञान 12वी Exam 2023 के लिए New Blue Print पर आधारित Most Important Subjective Questions-Answer  दिए गए है. ये प्रश्न (Question ) Study Material के रूप में तैयार किये गए. जो आपके Paper के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये Most Important Question तैयारी को और बेहतर बना सकते है I

Most Important Question

प्रश्न 1. विलयन किसे कहते है?

उत्तर- दो या दो से अधिक अवयवों के समांगी मिश्रण को विलयन कहा जाता है। जैसे- नमक और जल का मिश्रण तथा चीनी और जल का मिश्रण आदि।

प्रश्न 2. सान्द्रता के आधार पर विलयन का वर्गीकरण कीजिए ?

उत्तर- सान्द्रता के आधार पर विलयन को तीन प्रकारों में बाँटा गया है-

(1) संतृप्त विलयन
(2) असंतृप्त विलयन
(3) अतिसंतृप्त विलयन।

प्रश्न 3. गैसों में द्रवों की विलेयता किन-किन कारकों पर निर्भर करती है? लिखिए।

उत्तर- गैसों में द्रवों की विलेयता निम्न कारकों पर निर्भर करती है-

(1) गैसों की प्रकृति
(2) विलायक की प्रकृति
(3) ताप का प्रभाव
(4) विलायक में अन्य पदार्थों की उपस्थिति
(5) दाव का प्रभाव।

प्रश्न 4. ऑक्सीकरण क्रिया को समझाइये |

उत्तर - किसी तत्व की संयोजकता में वृद्धि होना ऑक्सीकरण कहलाता हैं।

किसी पदार्थ का ऑक्सीजन या अन्य ऋण विद्युती तत्व के साथ जुड़ना ऑक्सीकरण कहलाता है।

उदाहरण - 2Hg + O2 2HgO, Mg + Cl2 MgCl2 CH2 + 202 CO, + H2O

प्रश्न 5. अपचयन क्रिया को समझाइये ।

उत्तर- जब पदार्थ विद्युत धनात्मक तत्व अथवा हाइड्रोजन का योग एवं ऑक्सीजन का हरास करता है, तो इसे अपचयन क्रिया कहते हैं।

"पदार्थों द्वारा एक या अधिक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के को अपचयन क्रिया कहते हैं।"

प्रश्न 6. विद्युत अपघट्य किसे कहते है ?

उत्तर- किसी लवण में जलीय विलयन को जिसमें से विद्युत धारा गुजर सकती है विद्युत अपघट्य कहलाते हैं।

प्रश्न 7. विशिष्ट चालकता को परिभाषा व इकाई लिखिए।

उत्तर- किसी चालक के पदार्थ के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को उस चालक की विशिष्ट चालकता कहते है। इसे सिग्मा से प्रदर्शित करते है इसका SI मात्रक Ohm-1 Meter-1

प्रश्न 8. तात्क्षणिक दर किसे कहते हैं?

उत्तर- समय के किसी विशेष क्षण पर किसी अभिकारक या उत्पाद के सान्द्रण में परिवर्तन की दर उस समय की तात्क्षणिक दर कहलाती है।

प्रश्न 9. तीव्र अभिक्रिया किसे कहते हैं?

उत्तर- वे अभिक्रियाएँ जो 109 सेकण्ड अथवा उससे कम समय में भी सम्पन्न हो जाती है, तीव्र अभिक्रियाएँ कहलाती हैं।

प्रश्न 10. अभितिया का अर्द्ध आयुकाल किसे कहते हैं?

उत्तर- वह समय जिसमें अभिकारक की सान्द्रता का मान प्रारंभिक सान्द्रता से आधा रह जाता है, उसे उस अभिक्रिया का अर्द्ध आयुकाल कहते हैं।

प्रश्न 11. संक्रमण तत्व किसे कहते हैं?

उत्तर- वे तत्व जिनके परमाणु अथवा साधारण आयनों के इलेक्ट्रॉन विन्यास में भीतरी d कक्षक अपूर्ण रूप से भरे होते हैं, संक्रमण तत्व कहलाते हैं। ये समूह 2 से 13 के मध्य स्थित होते हैं।

उदाहरण- Fe, Ni, CO आदि।

प्रश्न 12. लेन्थेनाइड एवं एक्टिनाइड किसे कहते हैं?

उत्तर- "परमाणु संख्या 57 से 71 वाले तत्व ही लेन्थेनाइड कहलाते है तथा एक्टिनाइड एक 15 रासायनिक तत्वों की श्रेणी होती है जो एक्टिनियम से लेकर लॉरेन्शियम तक आवर्त वारणी में पाये जाते है। "एक्टिनाइड आसानी से कॉम्लेक्स बना सकते हैं, जबकि लेन्थेनाइड आसानी से कॉम्प्लेक्स नहीं. बनाते हैं।"

प्रश्न 13. संक्रमण श्रेणी में दस तत्व हैं, क्यों?

उत्तर- प्रत्येक संक्रमण श्रेणी दस छात्रों वाली होती है, क्योंकि d - उपकोश अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉनों वाला हो सकता है।

प्रश्न 14. लेन्थेनाइड का पृथककरण आसान नहीं है, क्यों?

उत्तर- लेन्थेनाइड के आकार लगभग समान होने के कारण इनका पृथक्करण आसानी से नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इनके गुणों में पर्याप्त समानता होती है।

प्रश्न 15. लेवेनाइड एवं ऐक्टिनाइड के 2-2 उपयोग लिखिए।

उत्तर- लेन्थेनाइड के उपयोग (1) लॅन्थेनाइड्स के मिश्र धातुओं का उपयोग स्टील्स, स्टेनलेस स्टील्स |

प्रश्न 16. संकुल यौगिक किसे कहते हैं?

उत्तर- ऐसे बौगिक जो किसी विलयन में जाने के पश्चात् अपना अस्तित्व बनाये रखते हैं। संकुल यौगिक कहलाते हैं। संकर- लवण या संकुल यौगिक (Complex compound)- इन यौगिकों में लिगैण्ड किसी धातु परमाणु या आयन से उप- सहसंयोजी बन्ध द्वारा जुड़े रहते हैं। धातु व लिगैण्ड मिलकर संकुल आयन बनाते हैं। जलीय विलयन में संकुल आयन अकेला आयन, जैसा व्यवहार करता है तथा संकुल आयन में लिगैण्ड के रूप में जुड़े आयन अपनी पहचान खो देते हैं, जैसे - K4 [ Fe (CN)6]

प्रश्न 17. कार्बधात्विक यौगिक किन्हें कहते हैं?

उत्तर- ऐसे यौगिक जिनमें कार्बनिक समूह का कार्बन परमाणु धातु परमाणु से आबन्धित होता है, कार्यधात्विक यौगिक कहलाते हैं।

प्रश्न 18. ईथर में मध्यावयवता समावयवता का उदाहरण दीजिए।

उत्तर- यदि ऐसे यौगिकों की समावयवता ऐसी समायवता एक ही श्रेणी के यौगिकों के बीच हो, तो ऐसी समावयवता को मध्यावयवता कहते हैं! इसका उदाहरण- डाइएथिल ईथर

(C2H5-O-C2H5)

मेथिल प्रोपिल ईथर - (CH3-O-C3H2) है।

प्रश्न 19. असामान्य अणुभार किसे कहते हैं?

उत्तर- यदि विलयन में विलेय कणों की वियोजन या संगुणन होता है तो विलयन में विलेय कणों की संख्या परिवर्तित हो जाती है। इस कारण अणुसंख्य गुणधर्म का मान भी परिवर्तित हो जाता है तथा विलेय का अणुभार भी परिवर्तित हो जाता है अर्थात् विलेय का अणुभार वास्तविक अणुभार से भिन्न प्राप्त होता हैं, इसे ही असामान्य अणुभार कहते हैं।

प्रश्न 20. समपरासरी विलयन किसे कहते हैं?

उत्तर- वे दो विलयन, जिन्हें अर्द्धपारगम्य झिल्ली से पृथक करने पर परासरण नहीं होता है, समपरासरी विलयन कहलाते हैं। इन विलयनों का परासरण दाब समान होता है।

प्रश्न 21. संक्षारण किसे कहते है ?

उत्तर- जब कोई धातु अपने आस-पास अम्ल, नमी आदि के संपर्क में आती है, तो उसकी चमक धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है, अतः इस प्रक्रिया को संक्षारण कहते हैं।

प्रश्न 22. वेग निर्धारक पद क्या है?

उत्तर- कुछ रासायनिक अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में सम्पन्न होती है। अभिक्रिया की दर का निर्धारण सबसे धीमी गति से होने वाले पद द्वारा होता है, सम्पूर्ण अभिक्रिया का वेग वेग निर्धारक पद कहलाता हैं।

प्रश्न 23. लेवेनाइड एवं ऐक्टिनाइड के 2-2 उपयोग लिखिए।

उत्तर- लेन्थेनाइड के उपयोग-

(1) लैन्थेनाइड्स के मिश्र धातुओं का उपयोग स्टील्स, स्टेनलेस स्टील्स |

(2) गर्मी प्रतिरोध तथा मेटालोथर्मिक प्रतिक्रियाओं में किया जाता है।

ऐक्टिनाइड के उपयोग-

(1) एक्टिनाइड एमरिकियम का उपयोग स्मोक डिटेक्टरों में।

(2) ऐक्टिनाइड्स में कोई भी स्थिर आइसोटोप नहीं है वह सभी रेडियोधर्मी है।

प्रश्न 24. द्विकलवण किन्हे कहते हैं?

उत्तर- द्विक लवण (Double Sail )- ये योगशील यौगिक होते हैं जो जलीय विलयन बनाने पर अपने संघटक आयनों में टूट जाते हैं। द्विक लवण के सभी संघटक आयन अपनी स्वतन्त्र पहचान रखते हैं तथा आयनीकरण होने पर अपने परीक्षण देते है।

जैसे- फेरस अमोनियम सल्फेट-

FeSO4. (NH4)2SO46H2O.

पोटाश एल- K2 SO4 .Al2 (SO4)3 24H2O.

प्रश्न 25. ग्राम अणुक उन्नयन स्थिरांक तथा ग्राम अणुक अवनमन स्थिरांक की परिभाषा लिखिये।

उत्तर- ग्राम अणुक उन्नयन स्थितंक किसी विलायक के 100 ग्रामों में किसी अवाप्पशील विलेय या वैद्युत-अन अपघट्य के एक प्रान अणु घोलने पर उसके स्वथनांक में जो उन्नयन होता है, वह उस विलायक का ग्राम अणुक उन्नयन स्थिरांक कहलाता है। इसको K या K 100 से व्यक्त करते हैं। ग्राम अणुक अवनमन स्थिरांक किसी अवाष्पशील बंधुत अपघट्य की 1 ग्राम अणु (मोल) को 100 ग्राम विलायक में घोलने पर विलायक के हिमांक को अवनमन स्थिरांक कहते हैं।

प्रश्न 26. समपरासरी विलयन किसे कहते हैं?

उत्तर- सम परासरी विलयन जब दोनों विलयनों की सांद्रता का मान समान हो तो दोनों विलयन के लिए परासरण दाय का मान भी बराबर होगा, अतः वे विलयन जिनके लिये परासरण दाव का मान समान होता है, उन्हें समपरासरी विलयन कहते हैं।

प्रश्न 27. ऐल्कोहॉल एवं जल के एक विलयन में आण्विक अन्योन्य क्रिया की क्या भूमिका है?

उत्तर- ऐल्कोहॉल एवं जल के विलयन में ऐल्कोहॉल तथा जल के अणु अन्तराआण्विक H - बन्ध बनाते हैं लेकिन यह H2O-H2O तथा ऐल्कोहॉल - ऐल्कोहॉल H - बन्च में दुर्बल होते हैं। इससे अणुओं की वाष्प अवस्था में जाने की वृत्ति बढ़ जाती है। अतः यह विलयन राउल्ट के नियम ने क विचलन प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 28. हेनरी के निधन को उदाहरण सहित समझाइये।

उत्तर- हेनरी का नियम "स्थिर ताप पर किसी विलायक के निश्चित आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान गैस के दाय के समानुपाती होता है, जिसके साथ वह विलायक साम्यावस्था में है।" यदि विलायक के इकाई आयतन में विलेय गैस का द्रव्यमान दया साम्य दाय हो, तो M = kp जहाँ k एक स्थिरांक है।

प्रश्न 29. अणुसंख्य गुणधर्म को उदाहरण सहित समझाइये |

उत्तर- विलयन के ऐसे गुण जो उसके निश्चित आयतन में उपस्थित विलय के कणों (अणुओं या आयन) की संख्या पर निर्भर करते हैं, अणुसंख्यक गुण (Colligative Properties) कहलाते हैं। ये गुण विलेय की प्रकृति, संघटन या संरचना पर निर्भर नहीं होते हैं।

उदाहरण- (1) विलयन का परासरण दाय (2) वाप्प दाय में आपेक्षिक अवनमन (3) हिमांक में अवनमन (4) क्वथनांक में उन्नयन।

प्रश्न 30. अभिक्रिया के वेग पर उत्प्रेरक का क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर- उत्प्रेरक अभिक्रिया के वेग को कम या अधिक कर देता है। जब उत्प्रेरक सक्रियण ऊर्जा को कम करता है तो अभिक्रिया वेग में वृद्धि होती है। उत्प्रेरक अभिक्रिया में भाग नहीं लेता, केवल क्रिया की गति को प्रभावित करता है।

प्रश्न 31. शून्य कोटि की अभिक्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरण सहित समझाइये |

उत्तर- वह अभिक्रिया जिसकी प्रगति में अभिकारक के किसी भी अणु का सान्द्रण परिवर्तित नही होता है अर्थात् जिसका वेग अभिकारक के सान्द्रण पर निर्भर नही करता है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है।

प्रश्न 32. रासायनिक अभिक्रिया के वेग पर प्रभाव डालने बाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- रासायनिक अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक निम्न है-

1. अभिकारक का सांद्रण अभिकारक का सांद्रण बढ़ाने से अभिक्रिया की दर बढ़ जाती है।

2. अभिक्रिया का ताप सामान्य अभिक्रियाओं में ताप बढ़ाने से अभिक्रिया की दर में वृद्धि हो जाती है, क्योंकि ताप चढ़ाने से अणुओं की गतिज ऊर्जा का मान बढ़ जाता है। प्रति 10°C ताप में वृद्धि से अभिक्रिया की दर दुगुनी हो जाती है।

3. उत्प्रेरक की उपस्थिति उत्प्रेरक की उपस्थिति से अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा का मान कम हो जाता है, अतः अभिक्रिया की दर परिवर्तित हो जाती है। धनात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को बढ़ा देते हैं, जबकि ऋणात्मक उत्प्रेरक अभिक्रिया की दर को कम कर देते हैं।

4. अभिकारक की प्रकृति यदि अभिक्रिया में अभिकारकों. के पुराने बन्ध टूटते हैं और नये बन्ध बनते है, तब अभिक्रिया का वेग मन्द होता है, किन्तु अभिकारक अणु जितने सरल होते हैं, उनमें उतने ही कम बन्ध टूटते हैं। अतः अभिक्रिया की दर उतनी ही तीव्र होती है।

प्रश्न 33. संक्रमण धातुओं में संकुल यौगिक बनाने की प्रवृत्ति होती है। समझाइए |

उत्तर- निम्न विशेषताओं के कारण संक्रमण तत्व संकर आयन बनाते हैं-

1. कैटायन की छोटी त्रिज्या संक्रमण तत्वों के कैटायन को त्रिज्या छोटी होती है, जिससे कैटायन पर घन- आवेश का उच्च घनत्व पाया जाता है, जिसके कारण कैटायन संलग्नी से प्रदत्त इलेक्ट्रॉन युग्मों को सरलता से ग्रहण कर लेता है। इस कारण संकुल वन जाता है।

2. रिक्त d - ऑर्बिटल की उपलब्धता- संक्रमण तत्वों के कैटायन में एकाकी इलेक्ट्रॉन युग्म ग्रहण करने के लिये उचित ऊर्जा के रिक्त d - ऑविंटल उपलब्ध रहते हैं, जिससे वे रिक्त d- ऑर्बिटलों को पूरा कर लेते हैं। इस प्रकार संकर आयन बन जाता है।

प्रश्न 34. स्पष्ट कीजिए संक्रमण तत्व परिवर्तित संयोजकता प्रदर्शित करते हैं। क्यों?

उत्तर- संक्रमण तत्व अथवा धातुएँ परिवर्ती संयोजकता प्रदर्शित करती हैं। इन तत्वों के (n-1)d- कक्षक तथा ns- कक्षक में इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा में अधिक अंतर नहीं होता है, जिससे d- कक्षक के इलेक्ट्रॉन भी संयोजी इलेक्ट्रॉन का कार्य करते हैं। जिस तत्व के d-कक्षक में जितने अधिक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, वह उतनी ही ऑक्सीकरण अवस्थाएँ दर्शाता है।

उदाहरण- (i) संक्रमण तत्वों में मैग्नीज (Mn) सबसे ज्यादा ऑक्सीकरण अवस्थाएँ प्रदर्शित करता है। Mn के 3d- कक्षक में अधिकतम अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं। इसी कारण से इसकी उच्चतम ऑक्सीकरण अवस्था का मान +7 है।

(ii) क्रोमियम की ऑक्सीकरण अवस्थाएँ + 1 + 2 +3, +4 व +6 होती है।

(iii) सामान्य रूप में Cu की संयोजकता होती है, किन्तु कुछ रासायनिक क्रियाओं में अंतिम कोश के 3d10 में से भी एक इलेक्ट्रॉन निकल जाता है, जिसके कारण क्यूप्रिक यौगिकों में कॉपर की संयोजकता 2 होती है।

प्रश्न 35. लैन्थेनाइड संकुचन के क्या कारण है?

उत्तर- लैन्थेनाइड्स तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ- साथ, उनकी परमाणु त्रिज्या एवं आयनिक त्रिज्या छोटी होती जाती है अर्थात् संकुचित होती जाती है। इस गुण को लैन्थेनाइड संकुचन कहते हैं।

कारण- लैन्थेनाइड्स तत्वों के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ- साथ नया आने वाला इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कक्ष में प्रवेश करने के बजाय 4f उपकोश [(n - 2)f] में प्रवेश करता है, 4f इलेक्ट्रॉन का परिरक्षण प्रभाव बहुत ही कम होता है। परमाणु के नाभिक पर आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक को ओर अधिक आकर्षित हो जाते हैं, जिससे परमाणु का आवन संकुचित हो जाता है।

लैन्थेनाइड संकुचन के परिणाम

1. तत्वों का पृथक्करण- लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इन तत्वों के रासायनिक गुणों में अत्यधिक समानता होती है, अत: इन्हें शुद्ध अवस्था में अलग-अलग प्राप्त करना कठिन होता है।

2. तत्वों के गुणों में समानता द्वितीय श्रेणी के तत्वों की परमाणु त्रिज्या तथा तृतीय श्रेणी के संक्रमण तत्वों की परमाणु त्रिज्या लगभग समान होती है। इस कारण Ti और Zx के गुणों में भिन्नता है, जबकि Zr और Hf के गुणों में समानता है।

3. सहसंयोजक लक्षण- लैन्थेनाइड्स संकुचन के कारण M3+ आयन का आकार कम होता है। M-OII में सहसंयोजक लक्षण बढ़ता है।

प्रश्न 36. लेन्थेनाइड समूह को पृथक करना क्यों कठिन होता है? समझाइये |

उत्तर- लेन्थेनाइड संकुचन के कारण चाहातन दो कोश का विन्यास समान होने के कारण इन तत्वों के रासायनिक गुणों में अत्यधिक समानता होती है। अत: इन्हें शुद्ध अवस्था में अलग-अलग प्राप्त करना कठिन होता है।

प्रश्न 37. Cu+रंगहीन है जबकि Cu++रंगीन होता है, क्यों?

उत्तर- Cu+ का उपकोश पूर्ण भरा होता है। इस प्रकार इनका d-d संक्रमण नहीं होता और वह सफेद अथवा रंगहीन रहता है। जबकि Cu2+ में अयुग्मित 3d इलेक्ट्रॉन होने के कारण एवं d-d संक्रमण सम्भव होने के कारण वह रंगीन होता है।

प्रश्न 38. निम्नलिखित उपसहसंयोजी यौगिकों के सूत्र लिखिए

(अ) पोटेशियम टेट्रासायनिडोनिकलेट ( II )

(ब) टेट्राऐमीन डाइऐक्वाकोबाल्ट ( II ) क्लोराइड

(स) हेक्सा ऐमीन प्लेटीनम (IV) क्लोराइड

(द) हेक्सा एक्वा क्रोमियम ( III ) क्लोराइड

(इ) पेन्टाकार्बोनिल आयरन (0)

उत्तर- (अ) K4[Ni (CN)4]

(ब) [Co (NH3)4 (H2O)2CI]CI2

(स) [Pt (NH3) 6]CI4

(द) [Cr (H2O)6]CI3

(इ) [Fe(Co)5]

प्रश्न 39. [Fe(H2O)6]3+ प्रबल अनुचुम्बकीय है, जबकि [Fe(CN)6]3- दुर्बल अनुचुबकीय क्यों? समझाइए ।

उत्तर- दोनों संकुलों में Fe की +3 ऑक्सीकरण अवस्था है, जिसका विन्यास d5 है। CN- प्रबल क्षेत्र लिगैण्ड है, इसकी उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन होता है, केवल एक अयुग्मित इलेक्ट्रॉन शेष रहता है। अतः संकरण d2-sp3 के कारण अन्तर कक्षक संकुल बनते हैं। H2O दुर्बल क्षेत्र लिगैण्ड है। इसकी उपस्थिति से 3d इलेक्ट्रॉनों का युग्मन नहीं होता। संकरण sp3d2 से बाह्य कक्षक संकुल बनते हैं, जिसमें पाँच अयुग्मित इलेक्ट्रॉन होते हैं, अतः यह प्रबल अनुचुम्बकीय है।

प्रश्न 40. आप मंथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विभेद कैसे करेंगे?

उत्तर- मैथिल ऐल्कोहॉल और एथिल ऐल्कोहॉल में विट आयोडोफॉर्म परीक्षण द्वारा किया जा सकता है। एथिल ऐल्कॉहॉल को जब आयोडीन तथा जलीय सोडियम हाइड्रॉक्सीड जलीय सोडियम कार्बोनेट विलयन के साथ गर्म करते है पीला क्रिस्टलीय ठोस आयोडीफॉर्म बनता है। थल ऐल्कोहॉल आयोडोफॉर्म परीक्षण नहीं देता है।

CH3 CH2OH + 4I2 + 6NaOH → CHI3+5Nal + HCOONa + 5H20

प्रश्न 41. फार्मेलिन क्या है? इसके उपयोग लिखिए।

उत्तर- फॉर्मेलिन, फॉर्मेल्डिहाइड का जलीय विलयन होता है जिसमें फार्मोल्डिहाइड की अधिकतम सान्द्रता 40 प्रतिशत तक होती है। इसका उपयोग नृत जीवों के परिरक्षण में किया जाता है तथा कार्बनिक अभिकर्मक के रूप में।

प्रश्न 42. कीटोन ऐल्डिहाइडों की तुलना में कम सक्रिय होते हैं, क्यों?

उत्तर- ऐल्हिडाइड, कीटोन की अपेक्षा निम्न दो कारणों से अधिक क्रियाशील होते हैं- ऐल्डिहाइड के एक ऐल्किल समूह अधिक+I प्रभाव के कारण कार्बोनिल कार्बन पर धन आवेश का परिमाण कीटोन की अपेक्षा ऐल्डिहाइड में अधिक पाया जाता है। इसी के फलस्वरूप ऐल्डिहाइड में अधिक पाया जाता है। इसी के फलस्वरूप ऐल्डिहाइड में नाभिक स्नेही योग क्रिया कीटोन की अपेक्षा अधिक शीघ्रता से होती है। ऐल्डिहाइड कार्बोनिल समूह पर H- परमाणु की उपस्थिति के कारण इसका कीटोन की अपेक्षा ऑक्सीकरण अधिक सरल होता है। परिणामस्वरूप ऐल्डिहाइड अपचायक की भाँति कार्य करता है और इसलिए यह टॉलेन्स अभिकर्मक और फेहलिंग विलयन को अपचयित कर देता है।

प्रश्न 43. क्या कारण है कि ऐथिल ऐमीन जल में विलेय है जब कि ऐनिलीन नहीं?

उत्तर- अन्तराआण्विक हाइड्रोजन बंध के कारण एथिल एमीन पानी में घुलनशील होता है। ऐनिलीन में बड़ा जल विरोधी भाव (हाइड्रोफोबिक) हाइड्रोजन बंध के विस्तार को घटाता है अतः ऐनिलीन जल में अघुलनशील होता है।

प्रश्न 44. आवश्यक एवं अनावश्यक एमीनों अम्लों की परिभाषा दीजिये।

उत्तर- 1. आवश्यक एमीनो अम्ल एमीनो अम्ल जिन्हें हमारा शरीर नहीं बनाता है, ये आहार से प्राप्त होते हैं।

उदाहरण- वैलीन, आइसोल्यूसीन, आर्जिनीन, ल्यूसीन, प्रिऑनीन आदि।

2. अनावश्यक एमीनो अम्ल- ये वे एमीनो अम्ल हैं जिन्हें हमारा शरीर बनाता है।

उदाहरण- ग्लूसीन, ऐलानिन, ग्लूटेनिक अम्ल, ऐस्पार्टिक अम्ल, ग्लूटेसिन, सेरीन इत्यादि।

प्रश्न 45. हमारे शरीर में विटामिन 'C' संचित क्यों नहीं होता है?

उत्तर- विटामिन C पानी में घुलनशील होता है इसलिए यह शरीर में स्टोर करके नहीं रहता है, क्योंकि यह जलीय विलयन के रूप में हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है। विटामिन सी के स्तर को बनाए रखने के लिए इसे रोज विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना जरूरी होता है।

प्रश्न 46. जल में घुलनशील और वसा में घुलनशील विटामिन को उदाहरण सहित समझाइये |

उत्तर- जल में घुलनशील विटामिन सामान्यतः विटामिन B और C होते हैं, जबकि विटामिन ADEk वसा में घुलनशील होते हैं तथा आहार में वसा के साथ अवशोषित होते हैं और इसे शरीर के वसायुक्त ऊतक में संग्रहित किया जा सकता है।

प्रश्न 47. पौधों में कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख कार्य लिखिए।

उत्तर- (1) पादप कोशिका भित्रियों का संरचनात्मक पदार्थ

उदाहरण- पॉलीसेकेराइड तेल्युलोस पादप कोशिका भित्ति का प्रमुख संरचनात्मक पदार्थ होता है।

(2) जैव ईंधन कार्बोहाइड्रेट जैसे- ग्लूकोज, फ्रक्टोस शर्करा स्टार्च तथा ग्लाइकोजन जैव ईंधनों के रुप में कार्य करते हैं तथा जैव तन्त्रों में विभिन्न कार्यों के लिए ऊर्जा प्रदान करते हैं।

उदाहरण -C6H12O6+ 602 →6CO2 + 6H2O + 2880KJ

प्रश्न 48. गोताखोरों द्वारा गहरे समुद्र में सांस लेने के लिए हीलियम और ऑक्सीजन मिश्रण का उपयोग किया जाता है, क्यों?

उत्तर- गहरे समुद्र में सांस लेने के लिए गोताखोर ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए संपीड़ित वायु पर निर्भर करते हैं अधिक वायुमंडलीय दाब के कारण सांस के साथ ली गई वायुमंडलीय गैसों (O2 तथा N2) की रक्त में विलेयता अधिक हो जाती है चूंकि गहरे समुद्र में नाइट्रोजन रक्त में घुल जाती है जो गोताखोर के ऊपर आने पर भयंकर दर्द उत्पन्न करती है। होलियम रक्त में घुलती नहीं है। इसी कारण से गोताखोर गहरे समुद्र में ऑक्सीजन व हीलियम का मिश्रण प्रयोग में लाते हैं।

प्रश्न 49: पेप्टीकरण को परिभाषित कीजिये

उत्तर-पेप्टीकरण विधि में जिस पदार्थ का कोलॉइडी विलयन बनाना है उसका ताजा अवक्षेप लेते हैं। इस अवक्षेप में एक अन्य उपयुक्त अभिकर्मक मिलाते हैं जो पेप्टीकारक कहलाता है। यह पेप्टीकारक बहुधा समान आयन वाले विद्युत्-अपघट्य का तनु विलयन होता है। पेप्टीकरण स्कन्दन का विपरीत है। उदाहरण—ऐल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड के ताजे अवक्षेप को कुछ तनु HCI मिले जल के साथ उबालने से AI(OH)3 का कोलॉइडी विलयन प्राप्त होता है।

जब किसी ताजे अवक्षेपित पदार्थ में विद्युत्-अपघट्य मिलाते हैं तो अवक्षेप के कण विद्युत्-अपघट्य के किसी एक आयन को वर्णात्मक अधिशोषण करके स्थिर विद्युतीय प्रतिकर्षण के कारण कोलॉइडी अवस्था में चले जाते हैं। इसे फेरिक हाइड्रॉक्साइड के अवक्षेप में विद्युत्-अपघट्य फेरिक क्लोराइड मिलाने पर प्राप्त फेरिक हाइड्रॉक्साइड सॉल के द्वारा समझा सकते हैं।

प्रश्न 50. दो पीड़ाहारी औषधियों के नाम लिखिए।

उत्तर- पीड़ाहारी -वे रासायनिक पदार्थ जो शरीर की पीड़ा कम करते या दूर करते हैं, पीड़ाहारी कहलाते हैं। जैसे-मॉर्फीन, कोडीन, हेरायन आदि कु नार्कोटिक समूह के पीड़ाहारी हैं तथा ऐस्पिन और ऐनालजिन अनार्कोटिक वर्ग के पीड़ाहारी हैं। ये ज्वर भी कम करते हैं।

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