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MP Board 12th Biology Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं जीव विज्ञान पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

MP Board 12th Biology Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं जीव विज्ञान पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

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MP Board 12th Biology Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं जीव विज्ञान पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं जीव विज्ञान त्रैमासिक पेपर की तैयारी के लिए हम आपको MPBSE 12th Biology Trimasik Paper 2023 Most Important Questions इस लेख के माध्यम से बता रहें हैं, जिनसे 15/09/2023 को होने वाला एमपी बोर्ड 12th जीव विज्ञान त्रैमासिक एक्जाम क्वेश्चन पेपर 2023 बनाया जाएगा। जिससे वे त्रैमासिक परीक्षा के जीव विज्ञान के पेपर में अच्छे अंकों से पास हो सकें।

सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1. निषेचन क्रिया है

(a) एक नर युग्मक का अण्डाणु से संयोजन
(b) परागकणों का परागकोष से वर्तिकाग्र पर स्थानान्तरण
(c) नर युग्मकों का ध्रुवीय केन्द्रकों से संयोजन
(d) बीजाण्ड से बीज का निर्माण।

उत्तर

(a) एक नर युग्मक का अण्डाणु से संयोजन

प्रश्न 2. आवृत्तबीजियों में मादा युग्मकोद्भिद होता है

(a) गुरुबीजाणु मातृ कोशिका
(b) बीजाण्ड
(c) भ्रूणकोष
(d) बीजाण्डकाय।
उत्तर
(c) भ्रूणकोष

प्रश्न 3. भ्रूणीय झिल्लियाँ उपलब्ध कराती हैं

(a) भ्रूण की रक्षा
(b) भ्रूण का पोषण
(c) भ्रूण की रक्षा और पोषण
(d) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर
(c) भ्रूण की रक्षा और पोषण

प्रश्न 4. जरावस्था (वयता) का विज्ञान कहलाता है

(a) कालक्रम विज्ञान
(b) दन्त विज्ञान
(c) स्त्री रोग विज्ञान
(d) वृद्ध रोग विज्ञान।
उत्तर
(d) वृद्ध रोग विज्ञान।

प्रश्न 5. DNA पृथक्करण एवं शोधन की तकनीक का विकास किया था

(a) बीडल एवं टॉटम
(b) टेमिन एवं ब्लैकविथ
(c) वॉटसन एवं क्रिक
(d) ब्लैकविथ एवं साथी।

उत्तर

(c) वॉटसन एवं क्रिक

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

1. मानव …………… उत्पत्ति वाला है। (अलैंगिक/लैंगिक)
2. मानव ……………. हैं। (अंडप्रजक/सजीव प्रजक/अंडजरायुज)
3. मानव में ……………. निषेचन होता है। (बाह्य/आंतरिक)
4. नर एवं मादा युग्मक …………… होते हैं। (अगुणित/द्विगुणित)
5. युग्मनज ……………. होता है। (अगुणित/द्विगुणित)
6. एक परिपक्व पुटक से अंडाणु (ओवम) के मोचित होने की प्रक्रिया को ……………. कहते हैं।
7. अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) ……………. नामक हॉर्मोन द्वारा प्रेरित (इन्ड्यू स्ड) होता है।
8. नर एवं स्त्री के युग्मक के संलयन (फ्यूजन) को …………… कहते हैं।
9. निषेचन ……………. में संपन्न होता है।
10. युग्मनज विभक्त होकर ……………. की रचना करता है जो गर्भाशय में अंतर्रोपित (इंप्लांटेड) होता है।
11.भ्रूण और गर्भाशय के बीच संवहनीय सम्पर्क बनाने वाली संरचना को ……………. कहते हैं।
उत्तर

  1. लैंगिक
  2. सजीव प्रजक
  3. आंतरिक
  4. अगुणित
  5. द्विगुणित
  6. अंडोत्सर्ग
  7. LH एवं FSH
  8. निषेचन
  9. फैलोपियन नलिका
  10. भ्रूण
  11. अपरा (प्लेसैन्टा)।

प्रश्न : एक आवृत्तबीजी पुष्प के उन अंगों के नाम बताइए जहाँ नर एवं मादा युग्मकोद्भिद का विकास होता है।

उत्तर : युग्मकोद्भिद का विकास पुंकेसर के परागकोष में, परागकण (Pollengrain) के रूप में होता है तथा मादा युग्मकोद्भिद का विकास स्त्रीकेसर (Pistil) के अण्डाशय में बीजाण्ड के अन्दर होता है (भ्रूण कोष (embryo sac) के रूप में)।

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प्रश्न : निम्नलिखित शब्दावलियों को सही विकासीय क्रम में व्यवस्थित कीजिएपरागकण, बीजाणुजन ऊतक, लघुबीजाणु चतुष्क, परागमातृ कोशिका, नर युग्मक।

उत्तर : उपर्युक्त शब्दावलियों का विकासीय क्रमानुसार सही क्रम निम्न प्रकार से हैंबीजाणुजन ऊतक, परागमातृ कोशिका, लघुबीजाणु चतुष्क, परागकण, नर युग्मक।

प्रश्न : वृषण तथा अण्डाशय के बारे में प्रत्येक के दो-दो प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : वृषण के कार्य-

  • शुक्राणुओं का निर्माण करना।
  • वृषण में स्थित अन्तराली कोशिकाओं द्वारा नर हॉर्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) उत्पन्न करना जिसके कारण नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।

अण्डाशय के कार्य-

  • अण्डाणु का निर्माण करना।
  • एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्त्रावण करना जो मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न : मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुये?

उत्तर : मेण्डल ने अपने आनुवंशिक प्रयोगों के लिए मटर के पौधों का चयन निम्नलिखित आधार पर किया

  1. मटर का जीवन-चक्र छोटा होता है, जिससे प्रयोग करने में कम समय लगता है।
  2. इसमें पर-परागण द्वारा सरलतापूर्वक संकरण किया जा सकता है।
  3. मटर में काफी स्पष्ट विपर्यायी या विपरीत लक्षण होते हैं।
  4. सामान्यतः मटर में स्व-परागण एवं निषेचन होता है, जिसके कारण पौधे समयुग्मजी होते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके पौधे शुद्ध लक्षण वाले बने रहते हैं।
  5. इसका पौधा द्विलिंगी होता है और स्व-परागण द्वारा गुणों की शुद्धता को बनाये रखता है, लेकिन यदि इसके पुष्प के पुमंगों को हटा दिया जाय तो वह एकलिंगी के समान व्यवहार करने लगता है।
  6. संकरण से प्राप्त संकर पौधे पूर्णत: जननक्षम होते हैं।

प्रश्न : यदि एक द्विरज्जुक DNA में 20 प्रतिशत साइटोसीन है तो DNA में मिलने वाले ऐडेनीन के प्रतिशत की गणना कीजिए।

उत्तर : इरविन चारगाफ (Erwin Chargaff) ने परीक्षण के आधार पर बताया कि ऐडेनीन व थायमिन तथा ग्वानीन व साइटोसीन के बीच अनुपात स्थिर व एक-दूसरे के बराबर होता है। यदि द्विरज्जुक DNA रज्जुक में नाइट्रोजनी क्षार की संख्या 100 है और इसमें साइसोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत है तो ग्वानीन की मात्रा भी 20 प्रतिशत होगी। . साइटोसीन तथा ग्वानीन की कुल मात्रा 20% + 20% = 40% होगी। इसका तात्पर्य यह है कि ऐडेनीन तथा थाइमीन का कुल प्रतिशत 100 – 40 = 60 % होगा। ऐडेनीन तथा थाइमीन की मात्रा बराबर होती है अर्थात् ऐडेनीन 30 प्रतिशत तथा थाइमीन 30 प्रतिशत होगा। अतः उक्त DNA रज्जुक में ऐडेनीन की मात्रा 30 प्रतिशत होगी।

प्रश्न : DNA द्विकुण्डली की कौन-सी विशेषता वाटसन व क्रिक को DNA प्रतिकृति के सेमीकंजर्वेटिव रूप को कल्पित करने में सहयोग किया।

उत्तर : DNA द्विकुण्डली के दोनों रज्जुकों (Strands) का एक-दूसरे के पूरक होना वाटसन व क्रिक को DNA प्रतिकृति के अर्द्ध-संरक्षी (Semi-conservative) स्वरूप को कल्पित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न : टेम्पलेट (DNA या RNA) के रासायनिक प्रकृति व इससे (DNA या RNA) संश्लेषित न्यूक्लिक अम्लों की प्रकृति के आधार पर न्यूक्लिक अम्ल पॉलीमरेज के विभिन्न प्रकार की सूची बनाइये।

उत्तर : (1) DNA आधारित DNA पॉलीमरेज एन्जाइम प्रतिकृति के लिए आवश्यक है। यह DNA संश्लेषण के लिए DNA टेम्पलेट (DNA template) का उपयोग करता है।

(2) DNA पर निर्भर RNA पॉलीमरेज (DNA dependent RNA polymerase) जो RNA संश्लेषण के लिए DNA टेम्पलेट का उपयोग करता है। RNA पॉलीमरेज अस्थायी रूप से प्रारम्भन कारक या समापन कारक से जुड़कर अनुलेखन का प्रारंभ व समापने करता है। केन्द्रक में RNA पॉलीमरेज के अतिरिक्त निम्नलिखित तीन प्रकार के पॉलीमरेज मिलते हैं

  • RNA पॉलीमरेज-I यह r-RNA (28 S, 18 S व 5.8S) को अनुलेखित करता है।
  • RNA पॉलीमरेज-II यह t-RNA तथा छोटे केन्द्रकीय RNA का अनुलेखन करता है।
    (स)पॉलीमरेज-III यह m-RNA के पूर्ववर्ती विषमांगी केन्द्रकीय RNA (heterogenous nuclear RNA = hn RNA का अनुलेखन करता है।

प्रश्न : स्थानान्तरण के दौरान राइबोसोम की दो मुख्य भूमिकाओं की सूची बनाइए।

उत्तर :

  • कोशिकीय कारखाना जो प्रोटीन संश्लेषण के लिए आवश्यक है वह राइबोसोम है। अपनी निष्क्रिय अवस्था में यह दो उप-एकको (Sub-unit) से मिलकर बना है। जब छोटा उप-एकक (Sub-unit) मैसेंजर RNA से मिलता है तब मैसेंजर RNA का प्रोटीन में स्थानान्तरण की प्रक्रिया शुरु हो जाती है।
  • पेप्टिक बंध बनने के लिए राइबोसोम उत्प्रेरक का कार्य करता है।

प्रश्न : डार्विन के चयन सिद्धांत के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गये प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण कीजिए।

उत्तर : डार्विन के चयन सिद्धांत के अनुसार, प्राणी अपने को वातावरण के अनुकूल बनाकर ही जीवित रहते हैं तथा संतान उत्पन्न करते हैं । इसके विपरीत जो जीव अपने को वातावरण के अनुकूल बनाने में असमर्थ हात हे, नष्ट हो जाते हैं। संक्रामक रोगों के उपचार के लिए ऐसी औषधियों का प्रयोग किया जाता है जो रोगजनक जीवाणुओं की वृद्धि रोक दे अथवा उन्हें मार डाले।

इन औषधियों में प्रतिजैविकों (Antibiotics) का काफी प्रयोग किया जाता है। पेनिसिलिन, स्ट्रेप्टोमाइसीन, ओरियोमाइसिन आदि कुछ प्रमुख प्रतिजैविकों के उदाहरण हैं। काफी समय तक यह समझा जाता रहा कि प्रतिजैविकों के प्रयोग से रोगजनक जीवाणु इत्यादि पर पूर्णत: नियंत्रण संभव हो गया है, परंतु धीरे-धीरे पता चला कि जो प्रतिजैविक कुछ समय पूर्व किसी रोगजनक पर नियंत्रण कर सकते थे, वे अब निरर्थक हो गये हैं। इन प्रतिजैविकों का रोगजनक जीवाणुओं पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। दूसरे शब्दों में, ये जीवाणु प्रतिजैविकों के लिए प्रतिरोधी हो गये हैं

प्रश्न : समाचार पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों से विकास संबंधी नये जीवाश्मों और मतभेदों की जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर : जीवाश्मों (Fossils) के अध्ययन को जीवाश्म विज्ञान कहते हैं। लाखों करोड़ों वर्षों पूर्व के जीव-जंतु एवं पौधों के अवशेष या चिन्ह चट्टानों में दबे हुए हैं, जीवाश्म कहलाते हैं । जीव श्मों के अध्ययन से जीवों के विकासक्रम या जाति वंश (Phylogeny) का ज्ञान होता है। हजारों जीवाश्मों का अध्ययन अब वैज्ञानिकों द्वारा हो चुका है। जीवाश्म अभिलेखों की सहायता से जीव वैज्ञानिकों को जैविक विकास के इतिहास का पता लगाने में काफी सहायता प्राप्त हुई है। सन् 1952 में निओपिलना (Neopilina) के जीवाश्म कोस्टारिका के पेसीफिक तट से 3500 मीटर की गहराई से प्राप्त किये गये। इसमें मोलस्का व ऐनेलिडा संघ दोनों के लक्षण पाये जाते हैं। जीवाश्मों में सबसे प्रचलित उदाहरण आर्किओप्टेरिक्स तथा डायनोसोर है। डायनोसोर विशालकाय सरीसृप थे।

इथोपिया तथा तंजानिया से कुछ मानव जैसी अस्थियों के जीवाश्म प्राप्त हुए हैं। इस शताब्दी के तीसरे व चौथे दशकों में चीन में चाऊकाऊटीन नामक स्थान के समीप मानव की भाँति अनेक जावाश्म प्राप्त हुए हैं जिन्हें बाद में पेकिंग मानव के नाम से जाना गया। मिस्र देश में कैरो (Cairo) के पास सन् : 961 में एक पुरानी दुनिया का एक जीवाश्म प्राप्त हुआ है। इसमें 32 दाँत थे। प्रोप्लियोपिथिकस के जीवाश्म मित्र के फैयूम प्रांत से प्राप्त हुए। एजिप्टोपिथिकस के जीवाश्म 1980 में काहिरा में खोजे गये। 1858 में ओरियोपि थकस का जीवाश्म इटली में एक कोयले की खान में इसका पूरा कंकाल प्राप्त हुआ इस प्रकार जीवाश्मों से जैव विकास प्रमाणित होता है।

प्रश्न : पारिस्थितिक तंत्र के घटकों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : पारिस्थितिक तन्त्र-टेंसले के अनुसार, “वातावरण के जीवीय तथा अजीवीय घटकों की समन्वित प्रणाली को पारिस्थितिक तन्त्र कहते हैं।” तालाब परितन्त्र के घटक-तालाब के घटक भी एक प्रारूपिक घटकों के ही समान निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

(A) अजैविक घटक-तालाब का मुख्य अजीवीय घटक जल होता है, जिसमें सभी कार्बनिक तथा अकार्बनिक रसायन घुले रहते हैं।

(B) जीवीय घटक-तालाब पारितन्त्र में सभी जीवीय घटक पाये जाते हैं

(1) उत्पादक-प्लवक जैसे-वॉलवॉक्स, पेण्डोराइना, ऊडोगोनियम, स्पाइरोगायरा इत्यादि के अलावा हाइड्रिला, सेजिटेरिया, युट्रिकुलेरिया, ऐजोला, ट्रापा, लेना, टाइफा, निम्फिया आदि पादप तालाब पारितन्त्र उत्पादक वर्ग का निर्माण करते हैं।

(2) प्राथमिक उपभोक्ता-इस श्रेणी में जन्तु प्लवक डेफ्निया, साइक्लोप्स, पैरामीशियम, अमीबा आदि आते हैं।

(3) द्वितीयक एवं तृतीयक उपभोक्ता-छोटी शाकाहारी मछलियों को खाने वाली बड़ी मछलियाँ द्वितीयक उपभोक्ता एवं सारस तथा मांसाहारी मछली खाने वाले आदमी जल तन्त्र के तृतीयक उपभोक्ता की तरह कार्य करते हैं।

(4) अपघटक-विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव इसके अन्तर्गत रखे जाते हैं, जो जन्तुओं एवं पादपों के मृत शरीर को विघटित करके फिर से उनके अवयवों को भूमि में मिला देते हैं, जिससे उत्पादक उनका उपयोग कर सकें। कवक सिफैलोस्पोरियम, क्लैडोस्पोरियम, पायथियम, कवुलेरिया, सैप्रोलिग्निया तथा जीवाणु इस श्रेणी के उदाहरण हैं।

नोट- वातावरण के मुख्य घटक निम्नानुसार हैं
(A) अजैविक घटक-ये दो प्रकार के होते हैं

  • ऊर्जा-प्रकाश, ताप तथा रासायनिक पदार्थों की ऊर्जा।
  • पदार्थ-पानी, मिट्टी, लवण इत्यादि।

(B) अजैविक घटक-ये तीन प्रकार के होते हैं

  • उत्पादक-हरे पौधे।
  • उपभोक्ता-प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक।
  • अपघटक-जीवाणु एवं कवक

प्रश्न : अपघटन की परिभाषा दीजिए तथा अपघटन की प्रक्रिया एवं उसके उत्पादों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : आपने शायद सुना होगा कि केंचुए किसान के मित्र होते हैं, क्योंकि ये खेतों और बगीचों में जटिल कार्बनिक पदार्थों का खण्डन करने के साथ-साथ मृदा को भुरभुरा बनाते हैं। इसी प्रकार अपघटक (Decomposer) जटिल कार्बनिक पदार्थों को अकार्बनिक तत्वों जैसे CO2, जल व पोषक पदार्थों में खण्डित करने में सहायता करते हैं तथा इस प्रक्रिया को अपघटन (Decomposition) कहते हैं।

पादपों के मृत अवशेष ‘ जैसे–पत्तियाँ, छाल, टहनियाँ, पुष्प एवं प्राणियों के मृत अवशेष, मल सहित अपरद (Detritus) बनाते हैं जो कि अपघटन हेतु कच्चे माल का काम करते हैं। इस प्रक्रिया में कवक, जीवाणुओं, अन्य सूक्ष्मजीवों के अतिरिक्त छोटे प्राणियों जैसे-निमेटोड, कीट, केंचुए आदि का मुख्य योगदान रहता है। अपघटन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण चरण-खण्डन, निक्षालन अपचयन, ह्यूमीफिकेशन (Humification), खनिजीकरण है।

ह्यूमीफिकेशन तथा खनिजीकरण की प्रक्रियाएँ अपघटन के समय मृदा में सम्पन्न होती हैं। हयूमीफिकेशन के कारण एक गहरे रंग के क्रिस्टल रहित पदार्थ का निर्माण होता है जिसे ह्यूमस (Humus) कहते हैं । ह्यूमस सूक्ष्मजैविकी क्रियाओं के लिये उच्च प्रतिरोधी होता है और इसका अपघटन बहुत धीमी गति से होना है। स्वभाव से कोलॉइडल होने के कारण यह पोषक के भण्डार का कार्य करता है। ह्यूमस पुनः सूक्ष्मजीवों द्वारा अपघटित होता है और खनिजीकरण प्रक्रिया के द्वारा अकार्बनिक पोषक उत्पन्न होते हैं।

 

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