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MP Board 12th Political Science Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं राजनीति शास्त्र पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

MP Board 12th Political Science Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं  राजनीति शास्त्र पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

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MP Board 12th Political Science Trimasik Exam 2023-24 : एमपी बोर्ड 12वीं राजनीति शास्त्र पेपर त्रैमासिक महत्‍वपूर्ण प्रश्‍न (VVI Most Important Question)

एमपी बोर्ड कक्षा 12वीं राजनीति शास्त्र त्रैमासिक पेपर की तैयारी के लिए हम आपको MPBSE 12th Political Science Trimasik Paper 2023 Most Important Questions इस लेख के माध्यम से बता रहें हैं, जो आपके Paper के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और ये Most Important Question तैयारी को और बेहतर बना सकते है I

जिनसे 19/09/2023 को होने वाला एमपी बोर्ड 12th राजनीति शास्त्र त्रैमासिक एक्जाम क्वेश्चन पेपर 2023 बनाया जाएगा। जिससे वे त्रैमासिक परीक्षा के राजनीति शास्त्र के पेपर में अच्छे अंकों से पास हो सकें।

2 अंकीय महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1 : शॉक थेरेपी क्या है

उत्तर : शॉक थेरेपी एक आर्थिक नीति है जो राज्य द्वारा संचालित अर्थव्यवस्था को मुक्त-बाजार अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए अचानक और महत्वपूर्ण बदलावों पर आधारित है। शॉक थेरेपी का उद्देश्य आर्थिक उत्पादन को बढ़ावा देना, रोजगार की दर बढ़ाना और जीवन स्थितियों में सुधार करना है।

प्रश्न 2 : शॉक थेरेपी के परिणाम लिखिए।

उत्तर : शॉक थेरेपी के परिणाम को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट कर सकते हैं

1. असमानता में वृद्धि - निजीकरण के कारण पूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों के अमीर व गरीब लोगों के बीच असमानता अधिक बढ़ गई थी। पुराना व्यापारिक ढाँचा तो नष्ट हो गया था लेकिन उनके स्थान पर कोई वैकल्पिक ढाँचा नहीं दिया गया। शॉक थेरेपी से भूतपूर्व सोवियत संघ के खेमे के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और लोगों को बेहतर जीवन की अपेक्षा बर्बादी का सामना करना पड़ा।

2. आर्थिक परिवर्तन पर अधिक ध्यान - आर्थिक परिवर्तन पर ही अधिक ध्यान दिया गया जबकि लोकतांत्रिक संस्थाओं का सही निर्माण नहीं हो सका। कहीं संसद शक्तिहीन रही तो कहीं राष्ट्रपति बहुत अधिक सत्तावादी हो गये। इन देशों में संविधान निर्माण भी सही तरह से न हो सका।

3. गरीबी का प्रसार - शॉक थेरेपी के परिणामस्वरूप सोवियत संघ में गरीबी का प्रसार होने लगा। पहले लोगों को रियायती दरों पर वस्तुएँ उपलब्ध होती थीं। अब वस्तुओं की कीमत बाजार के आकार पर निश्चित होती थी, जो पहले से अधिक थी।

प्रश्न 3 : रूस के साथ किन-किन देशों की सीमाएं मिलती है।

उत्तर : रूस के साथ जिन देशों की सीमाएँ मिलती हैं उनके नाम हैं - (वामावर्त) - नार्वे, फ़िनलैण्ड, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, पोलैण्ड, बेलारूस, यूक्रेन, जॉर्जिया, अज़रबैजान, कजाकिस्तान, चीन, मंगोलिया और उत्तर कोरिया।

प्रश्न 4: द्विध्रुवीयता का आशय लिखिए।

उत्तर : द्विध्रुवीयता का अर्थ है विश्व में दो महाशक्तियों का प्रभुत्व। सोवियत विघटन से पहले, दुनिया दो प्रमुख महाशक्तियों के रूप में अमेरिका और यूएसएसआर के साथ द्विध्रुवीय बन गई थी।

प्रश्न 5 : शरणार्थी किसे कहते है?

उत्तर : शरणार्थी यानि शरण में उपस्थित असहाय, लाचार, निराश्रय तथा रक्षा चाहने वाले व्यक्ति या उनके समूह को कहते हैं। इसे अंग्रेजी भाषा में refugee लिखा व सम्बोधित किया जाता है। इस प्रकार वह व्यक्ति विशेष या उनका समूह जो किसी भी कारणवश अपना घरबार या देश छोड़कर अन्यत्र के शरणांगत हो जाता है, वह शरणार्थी कहलाता है।

प्रश्न 6 : सोवियत संघ के विघटन के दो कारण लिखिए।

उत्तर सोवियत संघ के विघटन के दो कारण हैं:

  • एक दल का प्रभुत्व
  • साम्यवादी व्यवस्था का सत्तावादी होना

प्रश्न 7 : सोवियत संघ के इतिहास की सबसे बड़ी ‘गराज सेल’ कौन सी थी?

उत्तर : रूस में पूरा राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढाँचा चरमरा गया। लगभग 70 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों या कम्पनियों को बेचा गया। इसे ही ‘इतिहास की सबसे बड़ी गराज-सेल’ कहा जाता है।

प्रश्न 8 : नियोजन के उद्देश्‍य लिखिए।

उत्तर : नियोजन के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित है:

(1) समाज के विभिन्न वर्गों के मध्य विद्यमान आय तथा सम्पत्ति के असमान वितरण का कम करना या दूर करना।

(2) देश में उपलब्ध प्राकृतिक तथा मानव संसाधनों का समुचित उपयोग करके उत्पादन में वृद्धि करना ।

(3) आप तथा रोजगार के अवसरो में वृद्धि की दिशा में प्रयास करना।

प्रश्न 9 : योजना आयोग के कार्य लिखिए।

उत्तर : राज्य के संसाधनों का आकलन करना और उनके प्रभावी उपयोग के लिए योजनाएं तैयार करना। जिला योजना अधिकारियों को जिला योजना प्रस्ताव तैयार करने में सहायता करना ताकि उन्हें समग्र योजना में शामिल किया जा सके। राज्य की अर्थव्यवस्था के विकास में बाधा डालने वाले कारणों का पता लगाना और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के उपाय सुझाना।

प्रश्न 10 : ऑपरेशन फ्लड को समझाइये।

उत्तर : ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम 1970 में शुरू हुआ था। ऑपरेशन फ्लड ने डेरी उद्योग से जुड़े किसानों को उनके विकास को स्वयं दिशा देने में सहायता दी है, उनके द्वारा सृजित संसाधनों का नियंत्रण उनके हाथों में दिया है। राष्ट्रीय दुग्ध ग्रिड देश के दूध उत्पादकों को 700 से अधिक शहरों और नगरों के उपभोक्ताओं से जोड़ता है।

प्रश्न 11 : सार्क संगठन में कौन-कौन देश शामिल हैं?

उत्तर : दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में आठ देश शामिल हैं:

अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका|
 
प्रश्न 12 : भारत के पड़ोसी देशों के नाम लिखिए।
 
उत्तर : भारत के पड़ोसी देश हैं:
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका|
 
प्रश्न 13 : ताशकंद समझौता क्‍या हैं?
 
उत्तर : ताशकंद समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 10 जनवरी 1966 को हुआ एक शांति समझौता था। इस समझौते के अनुसार यह तय हुआ कि भारत और पाकिस्तान अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करेंगे और अपने झगड़ों को शान्तिपूर्ण ढंग से तय करेंगे।
 
प्रश्न 14 : दल-बदल का क्‍या अर्थ हैं?
 
उत्तर : यदि कोई निर्वाचित सांसद या विधायक यदि अपने दल की सदस्यता का परित्याग करता है तो उसकी सदस्यता रद्द या अयोग्य हो जायेगी।
 
3 अंकीय महत्वपूर्ण प्रश्न
 
प्रश्न 1 : आसियान संगठन के उद्देश्य लिखिए |

उत्तर : आसियान के उद्देश्य
  1. क्षेत्रीय शान्ति व स्थिरता को प्रोत्साहित करना।
  2. क्षेत्र में सामाजिक, सांस्कृतिक व आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना।
  3. सांझे हितों में परस्पर सहायता व सहयोग की भावना को बढ़ाना।
  4. शिक्षा, तकनीकी ज्ञान, वैज्ञानिक क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना।
  5. क्षेत्र में अनुसंधान, प्रशिक्षण तथा अध्ययन को प्रोत्साहित करना।
  6. समान उद्देश्यों वाले क्षेत्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अधिक सहयोग करना।

प्रश्न 2 : खुले द्वार की नीति क्या है ?

उत्तर : खुले द्वार की नीति 1899 और 1900 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शुरू की गई एक नीति थी। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि सभी देश चीन के साथ अप्रतिबंधित व्यापार कर सकें। नीति ने समान विशेषाधिकारों की सुरक्षा और चीनी क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता के समर्थन का आह्वान किया।

डेंग ज़ियाओपिंग ने 1978 में चीन में विदेशी व्यापारियों के लिए चीन खोलने के लिए एक समान आर्थिक नीति शुरू की। इस नीति ने आधुनिक चीन के आर्थिक परिवर्तन को गति प्रदान की।
 
प्रश्न 3 : डोकलाम प्रकरण क्या है? समझाइए |
 
उत्तर : समस्या 18 जून 2017 में शुरू हुइ थी जब लगभग 270 से 300 भारतीय सैनिक बुलडोज़र्स के साथ भारत-चीन सीमा को पर करके चीन के सड़क निर्माण को रोक लिया। भारत का ये कहना था के ये जगह विवादित थी भूटान और चीन के बीच में और यहाँ सड़क नहीं बन सकता। इससे दोनों देशों के बीच एक सैन्य गतिरोध की शुरुआत हुई। 28 अगस्त में, 2017 ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के कुछ दिनों पहले, दोनों देश भारत और चीन ने सहमत हुए कि वे अपनी सेना वापस ले लेंगे डोकलाम से, हालांकि वापसी का स्तर दोनों देशों के बीच विवादित है।
डोकलाम विवाद 2017 के कुछ हफ्ते बाद, चीन ने 500 सैनिकों के साथ फिर से सड़क निर्माण शुरू कर दिया है।
 
प्रश्न 4 : सोवियत प्रणाली के तीन दोष लिखिए।
उत्तर : सोवियत प्रणाली के प्रमुख दोष –

⦁    सोवियत प्रणाली पर नौकरशाही का पूर्ण नियन्त्रण था। सोवियत प्रणाली सत्तावादी होती चली गई तथा जन साधारण का जीवन लगातार कठिन होता चला गया।
⦁    सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का एकदलीय कठोर शासन था। साम्यवादी दल का देश की समस्त संस्थाओं पर कड़ा नियन्त्रण था तथा यह दल जनसाधारण के प्रति उत्तरदायी भी नहीं था।
⦁    सोवियत संघ के पन्द्रह गणराज्यों में रूस का अत्यधिक वर्चस्व था तथा शेष चौदह गणराज्यों के लोग स्वयं को उपेक्षित तथा दबा हुआ समझते थे।
⦁    सोवियत प्रणाली प्रौद्योगिकी तथा आधारभूत ढाँचे को सुदृढ़ बनाने में विफल रहने के साथ ही पाश्चात्य देशों से काफी पिछड़ गई। सोवियत संघ ने हथियारों के विनिर्माण में देश की आय का बहुत बड़ा हिस्सा व्यय कर दिया।

प्रश्न 5 : शॉक थेरेपी के कोई तीन परिणाम लिखिए।

उत्तर : शॉक थेरेपी के परिणाम को निम्न बिन्दुओं में स्पष्ट कर सकते हैं

1. असमानता में वृद्धि - निजीकरण के कारण पूर्व सोवियत संघ के गणराज्यों के अमीर व गरीब लोगों के बीच असमानता अधिक बढ़ गई थी। पुराना व्यापारिक ढाँचा तो नष्ट हो गया था लेकिन उनके स्थान पर कोई वैकल्पिक ढाँचा नहीं दिया गया। शॉक थेरेपी से भूतपूर्व सोवियत संघ के खेमे के देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई और लोगों को बेहतर जीवन की अपेक्षा बर्बादी का सामना करना पड़ा।

2. आर्थिक परिवर्तन पर अधिक ध्यान - आर्थिक परिवर्तन पर ही अधिक ध्यान दिया गया जबकि लोकतांत्रिक संस्थाओं का सही निर्माण नहीं हो सका। कहीं संसद शक्तिहीन रही तो कहीं राष्ट्रपति बहुत अधिक सत्तावादी हो गये। इन देशों में संविधान निर्माण भी सही तरह से न हो सका।

3. गरीबी का प्रसार - शॉक थेरेपी के परिणामस्वरूप सोवियत संघ में गरीबी का प्रसार होने लगा। पहले लोगों को रियायती दरों पर वस्तुएँ उपलब्ध होती थीं। अब वस्तुओं की कीमत बाजार के आकार पर निश्चित होती थी, जो पहले से अधिक थी।

प्रश्न 6 : सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताऍं लिखिए।

उत्तर : सोवियत प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

(1) सोवियत प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। इस दल का सभी संस्थाओं पर गहरा नियंत्रण था।

(2) सोवियत प्रणाली में सम्पत्ति पर राज्य का नियंत्रण एवं स्वामित्व था।

(3) सोवियत संघ के पास विशाल ऊर्जा संसाधन थे, जिसमें खनिज तेल, लोहा, लोकतांत्रिक उर्वरक, इस्पात व मशीनरी आदि शामिल थे।

(4) सोवियत संघ का घरेलू उपभोक्ता उद्योग भी बहुत उन्नत था। सत्तावादी होते

(5) सोवियत संघ में बेरोजगारी नहीं थी।

प्रश्न 7 : सोवियत संघ के विघटन के चार परिणाम लिखिए।

उत्तर : (i) सोवियत संघ के विघटन का मतलब शीत युद्ध के टकरावों का अंत था जो सशस्त्र दौड़ की समाप्ति और संभावित शांति की बहाली की मांग करता था। 

(ii) इस विघटन ने बहुध्रुवीय व्यवस्था लाने की संभावना पैदा की। जहां कोई भी ताकत हावी नहीं हो सकती. 

(iii) अमेरिका एकमात्र महाशक्ति बन गया और पूंजीवादी अर्थव्यवस्था अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख आर्थिक व्यवस्था बन गई। 

(iv) यह विघटन कई नए देशों में उभरा जिन्होंने सोवियत संघ को अपनी आकांक्षाओं और विकल्पों के साथ 15 स्वतंत्र देशों में विभाजित कर दिया।

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प्रश्न 8 : आसियन विजन 2020 की मुख्‍य बातों को लिखिए।

उत्तर : आसियान तेजी से बढ़ता हुआ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। इसके विजन दस्तावेज 2020 में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गयी है।
आसियान विजन-2020 की मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-

(1) आसियान विजन 2020 में अन्तर्राष्ट्री समुदाय में आसियान की एक बहिर्मुखी भूमिका को प्रमुखता दी गयी है।

(2) आसियान द्वारा टकराव की जगह बातचीत द्वारा समस्याओं के हल निकालने को महत्व देना। इस नीति से आसियान ने कम्बोडिया के टकराव एवं पूर्वी तिमोर के संकट को सम्भाला है।

(3) आसियान की असली ताकत अपने सदस्य देशों, सहभागी सदस्यों और बाकी गैर-क्षेत्रीय संगठनों के बीच निरन्तर संवाद और परामर्श करने की नीति में है।

प्रश्न 9 : आसियान के कार्यों को समझाइये।

उत्तर : आसियान के उद्देश्य इस प्रकार दिए जा रहे हैंः

  • आसियान का मुख्य लक्ष्य सांस्कृतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक और प्रशासनिक मुद्दों के आधार पर राष्ट्रों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना है। 
  • इसका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय राष्ट्रों और क्षेत्रीय संगठनों के साथ ठोस संबंध और पारस्परिक संबंध बनाए रखना है।
  • शिक्षा, टेक्नोलाॅजी और साइंस की फील्ड में सहयोग को बढ़ावा देना।
  • रिसर्च, ट्रेनिंग और स्टडी को प्रोत्साहित करना।
  • कृषि व्यापार तथा उद्योग के विकास में सहयोग देना।
  • प्रभावी ढंग से सहयोग करना, देश के कृषि उद्योग के उपयोग में सुधार करना और बढ़ावा देना

प्रश्न 10 : राज्‍य पुनर्गठन आयोग को समझाइये।

उत्तर : राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना दिसंबर 1953 में की गई थी और इसने कम से कम प्रमुख भाषाई समूहों के लिए भाषाई राज्यों के निर्माण की सिफारिश की । 1956 में कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ । इससे भाषाई राज्यों के निर्माण या उनके मांग की शुरुआत हुई और यह प्रक्रिया आज भी जारी है ।

प्रश्न 11 : भारत विभाजन के प्रमुख कारण लिखिए।

उत्तर : इसके मुख्य कारण थे-

(अ) मुस्लिमों में द्विराष्ट्रवाद की भावना-(राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रारंभिक काल में एक भारतीय राष्ट्र की स्थापना की भावना प्रभावशाली थी। जैसे-जैसे आन्दोलन ने अपनी शक्ति और प्रभाव दिखाना प्रारंभ किया इससे मुस्लिम लीग एवं जिन्ना के मन में अपने लिये भी एक राष्ट्र की स्थापना जाग्रत हुई। यहीं से द्विराष्ट्रवाद के सिद्धांत को बल मिला। जिन्ना कहने लगे कि हिन्दू और मुसलमान धर्म, जाति, इतिहास, नियम कायदों से पूर्णत: अलग-अलग जातियाँ हैं अतः दोनों को अपना देश स्थापित करने का अधिकार मिलना चाहिये।

(ब) अंग्रेजों द्वारा मुसलमानों की सांप्रदायिक भावना को बढ़ावा-(अंग्रेज, हिन्दू और मुसलमानों में एकता और समन्वय नहीं चाहते थे। अत: राष्ट्रीय आन्दोलन को कमजोर करने हेतु फूट डालो और राज्य करो की नीति अपनाते हुए न केवल दो राष्ट्रों के सिद्धान्त का समर्थन किया वरन् चुनावों में भी अल्पसंख्यकों के नाम पर छूट देकर उन्हें उकसाना शुरू किया।

(स) कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति-(कांग्रेस विशेषकर गाँधीजी मुसलमानों के प्रति अधिक उदार थे वे राष्ट्रीय आन्दोलन में साम्प्रदायिक दरार न आ सके इसके लिये कई बार लीग की अनुचित माँग के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनायी। फलतः मुस्लिम लीग अधिक मुखर होकर पाकिस्तान की स्थापना के लिए देश का विभाजन करने की माँग करने लगे।

4 अंकीय महत्वपूर्ण प्रश्न

प्रश्न 1 : भारत-पाक के बीच कश्मीर समस्या को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कश्मीर भारत की उत्तर-पश्चिम सीमा पर स्थित होने के कारण भारत और पाकिस्तान दोनों को जोड़ता है। कश्मीर के राजा हरीसिंह ने अपनी रियासत जम्मू-कश्मीर को स्वतंत्र रखने का निर्णय लिया। राजा हरीसिंह सोचते थे कि कश्मीर यदि पाकिस्तान में मिलता है तो जम्मू की हिन्दू जनता और लद्दाख की बौद्ध जनता के साथ अन्याय होगा और यदि वह भारत मिलता है तो मुस्लिम जनता के साथ अन्याय होगा। अतः उसने यथा स्थिति बनाए रखी और विलय के विषय में तत्काल कोई निर्णय नहीं लिया। 22 अक्टूबर 1947 को यह उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत के कबायलियों और अनेक पाकिस्तानियों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। पाकिस्तान कश्मीर को अपने में मिलाना चाहता था, अतः उसने सीमाओं पर सेना को इकट्ठा कर चार दिनों के भीतर ही हमलाकर आक्रमणकारी श्रीनगर से 25 मील दूर बारामूला तक आ पहुँचे। कश्मीर के शासक ने आक्रमणकारियों से अपने राज्य को बचाने के लिए भारत सरकार से सैनिक सहायता मांगी, साथ ही कश्मीर को भारत में सम्मिलित करने की प्रार्थना की। भारत सरकार ने इस प्रस्ताव को स्वीकार किया और भारतीय सेनाओं को कश्मीर भेज दिया।
संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् ने इस समस्या के लिए पाँच राष्ट्रों चेकोस्लोवाकिया, अर्जेण्टाइना, अमेरिका, कोलम्बिया और बेल्जियम के सदस्यों का एक दल बनाया, इस दल को मौके पर जाकर स्थिति का अवलोकन करना था और समझौते का मार्ग ढूँढना था। संयुक्त राष्ट्र संघ के दल ने मौके पर जाकर स्थिति का अध्ययन किया। लम्बी वार्ता के बाद दोनों पक्ष 1 जनवरी 1949 को युद्ध विराम के लिए सहमत हो गए। कश्मीर के विलय का निर्णय जनमत संग्रह के आधार पर होना था। लेकिन जनमत संग्रह का कोई परिणाम नहीं निकला। जवाहरलाल नेहरू जनमत संग्रह की अपनी वचनबद्धता का पालन करना चाहते थे परन्तु पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्रसंघ की शर्तों का उल्लंघन कर अधिकृत क्षेत्र (आजाद कश्मीर) से अपनी सेनाएँ नहीं हटाई थीं।
कबाइली भी वहीं बने हुए थे। अतः जनमत संग्रह कराया जाना संभव नहीं था। पाकिस्तान कश्मीर को छोड़ना नहीं चाहता था बल्कि उसका दावा भारत के नियंत्रण में स्थित कश्मीर पर भी था। पं. नेहरू ने कश्मीर नीति में परिवर्तन किया, उन्होंने जब तक पाकिस्तान अपनी सेना नहीं हटा लेता तब तक जनमत संग्रह से मना किया। कश्मीर के प्रश्न पर सोवियत संघ ने भारत का समर्थन किया। इस समर्थन से भारत की स्थिति मजबूत हो गयी। 6 फरवरी 1954 को कश्मीर की विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर जम्मू-कश्मीर राज्य का विलय भारत में करने की सहमति प्रदान की। भारत सरकार ने 14 मई 1954 को संविधान में संशोधन कर अनुच्छेद 370 के अंतर्गत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान किया। 26 जनवरी 1957 को जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हो गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर भारतीय संघ का एक अभिन्न अंग बन गया। इसके बाद पाकिस्तान निरंतर कश्मीर का प्रश्न उठाकर वहाँ राजनीतिक अस्थिरता पैदा करने का प्रयास करता रहा है। पाकिस्तान ने इस मामले को सुरक्षा परिषद् में उठाकर जनमत संग्रह की माँग की। पाकिस्तान को इस प्रश्न पर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन प्राप्त रहा। परन्तु भारत ने इसका विरोध किया। भारत की मित्रता सोवियत संघ के साथ थी अतः सोवियत संघ ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर मामले को शांत किया।

प्रश्न 2 : भारत-श्रीलंका मतभेद के कारण लिखिए।

उत्तर : भारत-श्रीलंका के संबंध हजारों वर्ष पुराने / श्रीलंका की प्रजातियाँ भारत मूल की हैं फिर भी स्वतंत्रता के बाद जातीयता को लेकर जो मतभेद उपजे इससे दोनों के मध्य तनाव की स्थिति कायम हो गयी । इसके चार प्रमुख कारण निम्न हैं-

  1. नागरिकता विवाद– श्रीलंका की स्वाधीनता के साथ ही वहाँ नागरिकता के प्रश्न को लेकर बहुसंख्यक सिंहली जाति के लोगों ने भारत से चाय के खेतों में काम करने आये भारतीयों को नागरिकता प्रदान न किये जाने के लिए आन्दोलन छेड़ते हुए उन पर हिंसात्मक कार्यवाही करते हुए श्रीलंका छोड़ने के लिये बाध्य किया जाने लगा।

ये भारतीय श्रीलंका में पीढ़ियों से रहते आये हैं। ऐसे में उन्हें देश से निकाले जाने के प्रश्न पर भारत ने कड़ी आपत्ति करते हुए इसका विरोध किया। फलस्वरूप सन् 1965 'दोनों देशों के मध्य नागरिक समझौता हुआ। जिसके अन्तर्गत श्रीलंका तीन लाख भारतीय लोगों को अपने यहाँ नागरिकता देगा तथा शेष बचे भारतीयों को भारत 15 वर्षों में अपने यहाँ वापस बुला लेगा ।

  1. तमिल नागरिकों की समस्या - सिंहली और तमिलों के मध्य कभी भी सौहार्द्रपूर्ण संबंध नहीं रहे जब भारतीयों को श्रीलंका से बाहर करने की मुहिम चलायी जा रही थी तो श्रीलंका में नागरिकता पाने वाले तमिलों ने‘तमिल ईलम’ राज्य की स्वायत्तता देने की माँग रख दी। फलत: यह संघर्ष सन् 1976 से 2008 तक चलता रहा जिसमें दोनों पक्षों का नरसंहार हुआ। तमिल नेता प्रभाकरण की हत्या के बाद यह समस्या शांत हो गयी है। श्रीलंका इन्हें समान नागरिक अधिकार देने के लिए तैयार हो गयी है ।
  2. जल सीमा विवाद– श्रीलंका और भारत की समुद्री सीमा में स्थित कच्च – तिवू द्वीप के अधिकार को लेकर मतभेद खड़े हो गये। यह द्वीप मछली पकड़ने के लिये बहुत उपयोगी है। भारत ने यह द्वीप श्रीलंका को - तीवू द्वीप के अधिकार को सौंप दिया। इसी बीच अन्तर्राष्ट्रीय कानून के अन्तर्गत ज्यों ही भारत ने अपनी समुद्री सीमा को 12 मील तक बढ़ा दिया तो श्रीलंका ने विरोध किया। अंत में जिनेवा वार्ता में यह मामला शांत हुआ।
  3. आर्थिक हितों की समस्या - भारत व श्रीलंका चाय उत्पादन में शीर्ष स्थिति रखते हैं अतः इनके व्यापार को लेकर दोनों देशों के हितों में टकराव होता रहता था यह समस्या सातवें दक्षेस सम्मेलन के समय हुए मुक्त व्यापार समझौता हुआ और भारत ने दक्षेस देशों को आयात की छूट प्रदान की।

प्रश्न 3 : संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के लक्ष्‍य एवं उद्देश्‍यों का वर्णन कीजिये।

उत्तर : संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

(1) मानव जाति की सन्तति को युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा को स्थायी रूप प्रदान करना और इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु शान्तिविरोधी तत्वों को दण्डित करना ।

(2) समान अधिकार तथा आत्म-निर्णय के सिद्धान्तों को मान्यता देते हुए इन सिद्धान्तों के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों के मध्य सम्बन्धों एवं सहयोग में वृद्धि करने के लिए उचित उपाय करना ।

(3) विश्व की आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आदि मानवीय समस्याओं के समाधान हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करना।

(4) शान्तिपूर्ण उपायों से अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को सुलझाना ।

(5) इस सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति में लगे हुए विभिन्न राष्ट्रों के कार्यों में समन्वयकारी केन्द्र के रूप में कार्य करना ।

प्रश्न 4 : सुरक्षा परिषद के कार्यों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : सुरक्षा परिषद के कार्य :

(1) अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति का प्रयास :- संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर के अनुच्छेद 24के अनुसार सुरक्षा परिषद् का प्रमुख कार्य अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति को बनाए रखना।

(2) स्व-निर्णय का क्रियान्वयन :- अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के सम्बंध में सुरक्षा परिषद् जो भी फैसला करती है उसका क्रियान्वयन करना उसी का उत्तरदायित्व है।

(3) कार्य योजना बनाना :- सुरक्षा परिषद् जो भी काम करती है, उसकी योजना बनाना उसी का काम है इसी तरह वह अपनी वार्षिक रिपोर्ट महासभा को भोजने का कार्य भी क्रियान्वित करती है।

(4) अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों का चुनाव करना

प्रश्न 5 : भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाए जाने के कारणों की समीक्षा कीजिए।

उत्तर : टनिरपेक्षता व की-वर्ड है जो भारत की विदेश नीतियों का निर्देशन करती है। भारत द्वारा गुटनिरपेक्षता नीति अपनाये जाने के कारण :

(1) अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम करने के लिए :- भारत किसी गुट में सम्मिलित होता तो वह अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को बढ़ावा देता परन्तु भारत ने अन्तर्राष्ट्रीय तनाव को कम के कारण गुटनिरपेक्षता की नीति का पालन किया।

(2) विशिष्ट पहचान हेतु :- स्वतंत्रता के बाद भारत न इतनी छोटी शक्ति थी कि उसे नज़र अंदाज किया जा सके। भारत में एक बड़ी शक्ति बनने की सम्भावनाएं थी तथा अपनी विशिष्ट पहचान हेतु उसने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई।

(3) आर्थिक विकास हेतु :- भारत की प्रथम आवश्यकता आर्थिक विकास की थी यदि वह किसी एक गुट में शामिल होता तो उसे उसी गुट से मात्र सहायता प्राप्त होती। गुटनिरपेक्षता के कारण दोनों गुटों से आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सकती थी।

(4) निर्णय की स्वतंत्रता हेतु :- निर्णय की स्वतंत्रता :- भारत अपनी निर्णय की स्वतंत्रता को बरकरार रखना चाहता था। भारत स्वतंत्र विदेशी नीति का निर्धारण करना चाहता था। इसीलिए उसने गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई।

भारत ने इसे अपना आधार बनाया व इसे सिद्धान्त के रूप में स्वीकार किया।

प्रश्न 6 : भारत की विदेश नीति के प्रमुख सिद्धान्‍त कौन-कौन से हैं?

उत्तर : भारत की विदेश नीति के पांच सिद्धांत हैं:
  • दूसरे की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के लिए पारस्परिक सम्मान
  • परस्पर गैर आक्रामकता
  • परस्पर गैर हस्तक्षेप
  • समानता और पारस्परिक लाभ
  • शांतिपूर्ण सह अस्तित्व
भारत की विदेश नीति के अन्य सिद्धांतों में शामिल हैं:
  • पंचशील
  • गुटनिरपेक्षता की नीति
  • उपनिवेशवाद, साम्राज्यवाद, जातिवाद का विरोध करने की नीति
  • अंतर्राष्ट्रीय विवादों का शांतिपूर्ण निपटारा
  • संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय कानून और एक न्यायसंगत और समान विश्व व्यवस्था का समर्थन
  • लोकतंत्र में विश्वास और समर्थन
  • विश्व शांति को प्रोत्साहन
  • आन्तरिक मामलो मे विदेशी हस्तक्षेप का विरोध

 

 

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