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MP Board Class 12th Biology Exam 2024 : Most Important Question (2, 3, 4 Marks ) - जल्दी -जल्दी रटलो पेपर से पहले

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मध्यप्रदेश बोर्ड 12वीं की जीवविज्ञान परीक्षा 16 फरवरी, 2024 शुक्रवार को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा में वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड परीक्षा में आने जा रहे है।

यहाँ पर MP Board क्लास 12th के बायलॉजी - Biology प्रश्न बैंक (VVI Question MP Board Class 12th Biology Exam 2024) से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है। महत्वपूर्ण प्रश्नों का एक संग्रह है जो बहुत ही अनुभवी शिक्षकों के द्वारा तैयार किये गए है। इसमें प्रत्येक इकाई से महत्वपूर्ण प्रश्नों को छांट कर एकत्रित किया गया है, जिससे कि विद्यार्थी कम समय में अच्छे अंक प्राप्त कर सके।

जिस में आपके लिए महत्वपूर्ण लघु उत्तरीय, दीर्घ उत्तरीय (2, 3, 4 Marks) सभी प्रकार के प्रश्न सम्मिलित किये गए हैं.

ये भी पढ़ें - MP Board Class 12th Biology Exam 2024 : VVI Most Important Objective Question With Answers- रटलो 16 फरवरी के लिए

MP Board Class 12th Biology Exam 2024 : Most Important Question

प्रश्न 1. प्रसव किसे कहते हैं ? इसको प्रेरित करने में कौन-से हॉर्मोन शामिल होते हैं ?

उत्तर - गर्भवती मादाओं के गर्भस्थ शिशु के बाहर निकलने की क्रिया को शिशु जन्म या प्रसव कहा जाता है। प्रसव एक जटिल तंत्र - अंत: स्रावी (Neuroendocrine) क्रियाविधि द्वारा प्रेरित होता है। प्रसव के लिए संकेत पूर्ण विकसित गर्भ एवं अपरा से उत्पन्न होते हैं, जो गर्भाशय में हल्के संकुचन को प्रेरित करते हैं। जिन्हें गर्भ उत्क्षेपन प्रतिवर्त (फीटल इंजेक्शन रिफ्लेक्स) कहते हैं। यह मातृ पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीसीटोसीन गर्भाशय पेशी पर क्रिया करता है और इसके कारण गर्भाशय में तीव्र संकुचन प्रारंभ हो जाता है। गर्भाशय संकुचनों तथा ऑक्सीटोसीन स्राव के बीच लगातार उद्दीपक प्रतिवर्त के कारण यह संकुचन अत्यधिक तीव्र होता जाता है। इसके परिणामस्वरूप शिशु माता के गर्भाशय से जनन नाल द्वारा बाहर आ जाता है, इस प्रकार प्रसव की क्रिया सम्पन्न होती है।

प्रसव क्रिया को प्रेरित करने वाले प्रमुख हॉर्मोन्स हैं - (i) कार्टिसॉल, (ii) एस्ट्रोजन, (iii) ऑक्सीटोसीन ।

प्रश्न 2. शुक्रीय प्रदव्य के प्रमुख संघटक क्या है ?

उत्तर - शुक्रीय प्रद्रव्य (सेमिनल प्लाज्मा) के प्रमुख संघटक- फ्रक्टोज, कैल्सियम आयन, कुछ एन्जाइम व प्रोस्टाग्लैंडिन्स आदि हैं।

प्रश्न 3. लैंगिक रूप से संचरित होने वाले कोई दो रोग बताईये।

उत्तर- (i) सूजाक (Gonorrhoea), (ii) सिफलिस (Syphilis) ।

प्रश्न 4. क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है, यदि हाँ तो क्यों ?

उत्तर- हाँ, विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है, ताकि छात्र/छात्राओं को यौन संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में फैली हुई भ्रान्तियों एवं यौन संबंधी गलत धारणाओं से छुटकारा मिल सके। बच्चों को जनन अंगों, किशोरावस्था एवं उससे संबंधित परिवर्तनों, सुरक्षित और स्वच्छ यौन क्रियाओं, यौन संचारित रोगों एवं एड्स की जानकारी देना, विशेष रूप से किशोर आयु वर्ग में जनन संबंधी स्वस्थ जीवन बिताने में सहायक होती है।

प्रश्न 5. एक आवृतबीजी पुष्प के उन अंगो का नाम बताईये जहाँ नर एवं मादा युग्मकोद्भिद का विकास होता हैं ।

उत्तर - नर युग्मकोद्भिद का विकास पुंकेसर के परागकोप में, परागकण (Pollen grain) के रूप में होता है तथा मादा युग्मकोद्भिद का विकास स्त्रीकेसर (Pistil) के अण्डाशय में बीजाण्ड के अन्दर होता है। (भ्रूणकोप (Embryo sac) के रूप में)।

प्रश्न 6. बैगिंग किसे कहते हैं ? इसकी उपयोगिता लिखिये ।

उत्तर - यहं पादप प्रजनन कार्यक्रम की एक प्रमुख विधि है। बैगिंग की प्रक्रिया में मादा जनक के रूप में लिए गए पुष्प को विपुंसन (Emasculation) के बाद बटर पेपर से बनी एक थैली द्वारा बाँध दिया जाता है। यह थैली ग्राह्य वर्तिकाग्र को किसी अवांछित परागकण से परागित नहीं होने देती। वर्तिकाग्र को वांछित परागकण से परागित करने के बाद थैली पुनः बाँध दी जाती है ताकि अन्य कोई परागकण यहाँ न पहुँच सके। बैंगिंग चयनित पादप प्रजनन कार्यक्रम की सफलता हेतु आवश्यक है ताकि केवल वांछित संकरण उत्पाद प्राप्त हो सके ।

प्रश्न 7. उत्परिवर्तन किसे कहते हैं ?

उत्तर- यह समस्त जीवों में विभिन्नता का प्रमुख स्रोत है। यह जीवों आनुवंशिक पदार्थ में होने वाले अकस्मात् परिवर्तन के कारण होता है। कायिक कोशिकाओं में उत्पन्न उत्परिवर्तन वंशानुगति प्रदर्शित नहीं करते हैं । दूसरी ओर, जनन कोशिकाओं में उत्पन्न होने वाले उत्परिवर्तन पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशानुगत होते हैं ।

प्रश्न 8. सहलग्नता को परिभाषित किजिये ।

उत्तर - एक ही गुणसूत्र पर पाये जाने वाले जीन्स की वह प्रवृत्ति जिसके कारण वह समूह में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाना चाहते हैं अथवा साथ रहना चाहते हैं, सहलग्नता कहलाती हैं।

प्रश्न 9. डाऊन सिड्रोम से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - जब कभी किसी व्यक्ति में गुणसूत्रीय विकृति, के कारण 21 वें जोड़े कायिक गुणसूत्र में दो के स्थान पर तीन गुणसूत्र हो तब इस प्रकार संलक्षण (सिण्ड्रोम) बनते हैं। ऐसे व्यक्ति में 45 + 2 = 47 गुणसूत्र होते हैं। ऐसे व्यक्ति का ललाट चौड़ा, गर्दन छोटी, हाथ चपटे, हथेली तथा पैर मोटे एवं भद्दे, मुँह खुला, नेत्र तिरछे, जिह्वा मोटी एवं मस्तिष्क असामान्य होता है। ऐसे व्यक्ति को मंगोलियन मूर्ख कहते हैं, जिसकी 8-12 वर्ष बाद मृत्यु हो जाती है।

प्रश्न 10. टर्नर सिंड्रोम क्या हैं ? इसके दो लक्षण लिखिये ।

उत्तर - टर्नर सिण्ड्रोम (Turner Syndrome) आनुवंशिक अनियमितता के कारण पैदा हुई एक विकृति है। इस संलक्षण से व्यक्ति की द्विगुणित कोशिका में 45 गुणसूत्र (44+ X ) होते हैं। इस संलक्षण वाले व्यक्ति में अग्रलिखित प्रमुख लक्षण विकसित होते हैं -

(i) इससे ग्रसित मादा में अण्डाशय विकसित नहीं होता अर्थात् यह बन्ध्य होती है।

(ii) इससे ग्रस्त मादा के स्तन कम विकसित होते हैं।

(iii) इससे ग्रस्त मादा की गर्दन जालयुक्त तथा छाती चौड़ी होती है।

प्रश्न 11. मेण्डल द्वारा प्रयोगों के लिए मटर के पौधे चुनने से क्या लाभ हुये ?

उत्तर - मेण्डल ने अपने आनुवंशिक प्रयोगों के लिए मटर के पौधों का चयन निम्नलिखित आधार पर किया -

(i) मटर का जीवन-चक्र छोटा होता है, जिससे प्रयोग करने में कम समय लगता है।

(ii) इसमें पर-परागण द्वारा सरलतापूर्वक संकरण किया जा सकता है।

(iii) मटर में काफी स्पष्ट विपर्यायी या विपरीत लक्षण होते हैं।

(iv) सामान्यत: मटर में स्व-परागण एवं निषेचन होता है, जिसके कारण पौधे समयुग्मजी होते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी इसके पौधे शुद्ध लक्षण वाले बने रहते हैं।

(v) इसका पौधा द्विलिंगी होता है और स्व-परागण द्वारा गुणों की शुद्धता को बनाये रखता है, लेकिन यदि इसके पुष्प के पुमंगों को हटा दिया जाए तो वह एकलिंगी के समान व्यवहार करने लगता है।

(vi) संकरण से प्राप्त संकर पौधे पूर्णतः जननक्षम होते हैं।

प्रश्न 12. चारगॉफ का नियम लिखिये ।

उत्तर - इरविन चारगाफ (Erwin Chargaff) ने परीक्षण के आधार पर बताया कि ऐडिनीन व थायमिन तथा ग्वानीन व साइटोसीन के बीच अनुपात स्थिर व एक-दूसरे के बराबर होता है। यदि द्विरज्जुक DNA रज्जुक में नाइट्रोजनी क्षार की संख्या 100 है और इसमें साइसोटीन की मात्रा 20 प्रतिशत है तो ग्वानीन की मात्रा भी 20 प्रतिशत होगी। साइटोसीन तथा ग्वानीन की कुल मात्रा 20% + 20% = 40% होगी। इसका तात्पर्य यह है कि ऐडिनीन तथा थाइमीन का कुल प्रतिशत 100 - 40 = 60% होगा। ऐडिनीन तथा थाइमीन की मात्रा वरावर होती है अर्थात् ऐडिनीन 30 प्रतिशत तथा थाइमीन 30 प्रतिशत होगा। अतः उक्त DNA रज्जुक में ऐडिनीन की मात्रा 30 प्रतिशत होगी।

प्रश्न 13. जैविक (बायोलॉजिकल) ऑक्सीजन मांग किसे कहते हैं ?

उत्तर - जैविक आक्सीजन मांग, एक विशिष्ट समय अवधि पर किसी निश्चित तापमान पर दिए गए पानी के नमूने में कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए वायवीय जैविक जीवों द्वारा आक्सीजन की आवश्यकत होती हैं। जीवाणु जैसे सूक्ष्मजीव कार्बनिक कचरे को विघटित करने के लिए जिम्मेदार हैं। जब कार्बनिक पदार्थ जैसे—मृत पौधे, घास की कतरन, खाद, सीवेज पानी में मौजूद होते हैं तो बैक्टीरिया इस कचरे को तोड़ने को प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। जब ऐसा होता है, तब उपलब्ध विघटित आक्सीजन का अधिकांश भाग एरोबिक जीवाणुओं द्वारा ग्रहण किया जाता है जिसे जैविक ऑक्सीजन मांग कहा जाता है।

प्रश्न 14. बोतल में बंद गंगाजल बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता । क्यों ?

उत्तर - गंगा के जल में वर्षों से मृत शरीर तथा अन्य उत्सर्जी पदार्थों का विसर्जन किया जाता है, लेकिन जीवाणुभोजी की उपस्थिति के कारण यह जल बोतल में बहुत अधिक समय तक रखने पर भी नहीं सड़ता।

प्रश्न 15. जनसंख्या विस्फोट के कोई दो कारण लिखिये ।

उत्तर - शीघ्र एवं अनियमित जनसंख्या वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं -

(1) रोगों व महामारियों पर नियंत्रण

(2) कृषि का विकास

(3) संचार व आवागमन के साधन

(4) उच्च जन्मदर

(5) निम्न मृत्युदर

(6) मनुष्य का वर्षभर मैथुनकाल होना 

प्रश्न 16. क्या गर्भ निरोधकों का उपयोग न्यायोचित है ? कारण बताइये ।

उत्तर - भारत में जनसंख्या वृद्धि दर अत्यधिक होने के कारण राष्ट्रीय संकट उत्पन्न हो गया है। अतः गर्भ निरोधकों का उपयोग न्यायोचित है। इसके उपयोग से परिवार को सीमित किया जा सकता है एवं उनकी सुविधाओं में वृद्धि की जा सकती है। इन गर्भ निरोधकों के उपयोग से यौन संचारित रोगों (STDs) से बचा जा सकता है। इसके साथ ही दो संतानों के बीच अन्तराल भी रखा जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि को कम करके परिवार, समाज व देश की समृद्धि में सहयोग कर सकते हैं।

प्रश्न 17. चिकित्सकीय गर्भ समापन (MTP) क्या है ?

उत्तर - चिकित्सकीय गर्भ समापन (Medical Termination of Pregnancy) - वैधानिक रूप से गर्भपात (Abortion) कराकर भी जनसंख्या नियन्त्रण किया जा सकता है। शासकीय चिकित्सालयों में इसकी मुफ्त व्यवस्था उपलब्ध है, लेकिन बार-बार गर्भपात करवाना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। इस कारण गर्भधारण को रोकना ही सबसे सही विधि हो सकती है। चिकित्सकीय गर्भ समापन (Medical Termination of Pregnancy) को शासन द्वारा कानूनी मान्यता प्राप्त है। जन्मनियन्त्रण के तरीकों को अपनाते समय अनुभवी डॉक्टरों की सलाह के अनुसार ही किसी विधि को अपनाना चाहिए।

प्रश्न 18. वंशावली विश्लेषण किसे कहते हैं ?

उत्तर - मानव समुदाय में वंशागतिकी के अध्ययन हेतु इच्छानुसार संकरण नहीं कराया जा सकता इसके लिए इनमें वंशागतिकी के अध्ययन के लिए सम्बन्धित मनुष्य के कुल के इतिहास का अध्ययन कर वंशागतिकी लक्षणों को एकत्रित करके एक आरेख तैयार किया जाता है, जिस वंश वृक्ष (Family tree) कहा जाता है तथा इस प्रकार किया गया अध्ययन वंशावली विश्लेषण कहलाता है। इसमें कुछ विशिष्ट चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। इस वृक्ष में मादा को वृत तथा नर को वर्ग एवं विवाह को वर्ग एवं वृत के बीच क्षैतिज रेखा वृत तथा वर्ग के द्वारा व्यक्त करते हैं। इस क्षैतिज रेखा से लटकती हुई समानान्तर रेखा से लटकते हुए वर्ग नर तथा वृत्त मादा सन्तान को व्यक्त करते हैं। यदि संतानों की संख्या ज्यादा हो, तो इन वर्गों तथा वृतों में सन्तानों की संख्या को लिख देते हैं। जिस लक्षण का अध्ययन किया जाता है, यदि वह किसी व्यक्ति में उपस्थित हो, तो उसके वर्ग या वृत को भरा हुआ बनाते हैं तथा इसके वाहक या विपमयुग्मजी रूप में आधे भरे वर्ग या वृत के द्वारा निरूपित किया जाता है। कुल वृक्ष में मरे हुए व्यक्तियों के वर्ग या वृत में क्रॉस (X) का निशान लगा देते हैं। कुल वृक्ष के किसी व्यक्ति के फीनोटाइप में शंका होने पर खाने के सामने प्रश्नवाचक चिन्ह (?) लगा देते हैं।

महत्व - वंशावली विश्लेषण से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि पैदा होने वाली संतान किन गुणों वाली हो सकती है। यदि इसका उपयोग विवाह से पूर्व किया जाये तो कई विकृतियों से बचा जा सकता है। यह आनुवंशिक समस्याओं के समाधान में मदद करता है।

प्रश्न 19. टर्नर सिण्ड्रोम किसे कहते हैं ?

उत्तर - टर्नर सिण्ड्रोम (Turner Syndrome) आनुवंशिक अनियमितता के कारण पैदा हुई एक विकृति है। इस संलक्षण से व्यक्ति की द्विगुणित कोशिका में 45 गुणसूत्र (44+ X) होते हैं। इस संलक्षण वाले व्यक्ति में अग्रलिखित प्रमुख लक्षण विकसित होते हैं -

(i) इससे ग्रसित मादा में अण्डाशय विकसित नहीं होता अर्थात् यह बन्ध्य होती है ।

(ii) इससे ग्रस्त मादा के स्तन कम विकसित होते हैं।

(iii) इससे ग्रस्त मादा की गर्दन जालयुक्त तथा छाती चौड़ी होती है।

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प्रश्न 20. लिंग गुणसूत्र किसे कहते हैं ?

उत्तर - लिंग गुणसूत्र (Sex Chromosomes ) :- "लिंग गुणसूत्र, वे गुणसूत्र हैं, जो एकल अथवा संयुक्त रूप से द्विलिंगाश्रयी जीवों (Dioecious organisms) में लिंग का निर्धारण करते हैं ।" इन्हें एलोसोम्स (Allosomes) भी कहा जाता है। अधिकांश जीवों में ये दो प्रकार के होते हैं, X तथा Y। मनुष्य एवं अन्य अनेक जन्तुओं में Y गुणसूत्र की उपस्थिति पुरुपत्व (Maleness) को निर्धारित करता है। इसके चलते इसे एन्ड्रोसोम (Androsome) कहते हैं। इसके एक भाग पर पुरुपत्व अर्थात् नर होने के लिए उत्तरदायी जीन पाया जाता है। इस जीन को TDF (Testis determining factor) कहा जाता है। यह शायद अब तक खोजे गये समस्त जीन्स में सबसे छोटा होता है, जिसकी लम्बाई मात्र 14 क्षार युग्म (Base pair ) होती है। मादा में यह पूर्णरूप से अनुपस्थित होता है। लिंग गुणसूत्र एक लिंग में समरूपी (Homomorphic) तथा दूसरे लिंग में विपमरूपी (Heteromorphic ) हो सकते हैं। उदाहरण, मनुष्य का नर विषमरूपी तथा मादा समरूपी होती है। इस कारण से मादा द्वारा केवल एक प्रकार के गैमिट (X- युक्त) तथा नर द्वारा दो प्रकार के गैमिट्स (X एवं Y - युक्त) बनाये जाते हैं। लिंग गुणसूत्र के अलावा किसी जीव में पाये जाने वाले अन्य सभी गुणसूत्र को ऑटोसोम्स (Auto-somes) कहा जाता है। इनका जीवों में लिंग निर्धारण से कोई लेना-देना नहीं होता है।

प्रश्न 21. मेटास्टेसिस का क्या मतलब है ?

उत्तर - अर्बुद कोशिकाएँ सक्रियता से विभाजित और वर्धित होती हैं जिससे वे अत्यावश्यक पोषकों के लिए सामान्य कोशिकाओं से स्पर्धा करती हैं और उन्हें पोपण के अभाव में रखती हैं। ऐसे अर्बुदों से उतरी हुई कोशिकाएँ रक्त द्वारा दूरदराज स्थलों पर पहुँच जाती हैं और जहाँ भी ये पहुँचती हैं। नये अर्बुद बनाना प्रारंभ कर देती है। मेटास्टेसिस कहलाने वाला यह गुण दुर्दम अर्बुदों का सबसे खतरनाक गुण है।

प्रश्न 22. खाद और जैव उर्वरक में तीन-तीन अंतर लिखिये ।

उत्तर -

खाद (Mannure) :-

1. इसमें कार्बनिक पदार्थों की मात्रा अधिक होती है।

2. खाद को जन्तुओं के अपशिष्ट तथा पौधों के मृत भागों के अपघटन से तैयार किया जाता है।

3. ये मृदा की उर्वरता को प्रभावित नहीं करते अपितु उसकी वृद्धि करते हैं।

जैव उर्वरक (Bio Fertilizer) :-

1. उर्वरक नाइट्रोजन फास्फोरस तथा पोटैशियम प्रदान करते हैं।

2. इसे व्यावसायिक रूप से रासायनिक पदार्थों से बनाया जाता है।

3. इनके लगातार उपयोग से मृदा की उर्वरता में कमी आती है।

प्रश्न 23. प्लाज्मिड क्या है ? इसके प्रकार लिखिये ।

उत्तर - प्लाज्मिड (Plasmid ) प्लाज्मिड कोशिकाओं में प्राय: अतिरिक्त गुणसूत्रीय एवं बाह्य नाभिकीय DNA के रूप में पाया जाता है जो कि द्विसूत्री एवं वलयाकार होता है जो प्रायः सभी जीवाणु कोशिका मे पाया जाता है। जीवाणु के अतिरिक्त ये यीस्ट (कवक) तथा मटर के अपरिपक्व मूल कोशिकाओं में भी पाये जाते हैं।

कार्य के आधार पर पाँच प्रकार के प्लाज्मिड होते हैं :-

(1) फर्टिलिटी F- प्लाज्मिड - यह संयुग्मन के लिए जिम्मेदार होता है।

(2) प्रतिरोधी प्लाज्मिड – यह ऐसा जीन होता है जो प्रतिजैविक के विरूद्ध प्रतिरोध उत्पन्न करता है।

(3) कोल प्लाज्मिड – इसमें ऐसा जीन होता है जो उस प्रोटीन को कोड करता है जो दूसरे वैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं।

(4) अपक्षयी (डिजेनेरेटिव) प्लाज्मिड - अवयवों के पाचन को रोकता है।

(5) वायरूलेन्स प्लाज्मिड – यह जीवाणुओं को रोगकारक बना देता है।

प्रश्न 24. भारत में वन्य जीवन की विलुप्ती के कारणों को समझाइये |

उत्तर - आदिकाल से ही जन्तुओं की विभिन्न जातियाँ प्राकृतिक कारणों से विलुप्त होती जा रही हैं, जैसे - एमोनाइट्स (Ammonites), दैत्याकार सिफैलोपॉड्स (Cephalopodes), ब्रेकियोपॉड्स (Brachio-pods) तथा डाइनोसॉर्स (Dinosaurs) मानव के आगमन के पूर्व ही मध्यजीवी कल्प (Mesozoic era) के समाप्त होते-होते विलुप्त हो गये। बढ़ती मानव जनसंख्या ने वन्य जीवन एवं उनके प्राकृतिक आवासों दोहन किया है। साथ ही बढ़ते शहरीकरण, औद्योगीकरण एवं प्रदूषण के परिणामस्वरूप जन्तुओं के लुप्त होने की गति बढ़ती जा रही है। 17वीं, 18वीं एवं 19वीं सदी में जन्तुओं की क्रमशः 7, 11 एवं 27 जातियाँ विलुप्त हुई जबकि बीसवीं सदी में जन्तुओं की 67 जातियाँ विलुप्त हुई।

मानव द्वारा वन्य जीवन के विनाश के विभिन्न कारण निम्नलिखित दो श्रेणियों में आते हैं :-

(1) प्रत्यक्ष विनाश (Direct destruction ) :- सुरक्षा, क्रीड़ा, मनोरंजन, मांस, गौरव, उपहार आदि के लिए मानव द्वारा वन्य जन्तुओं के शिकार को हमेशा से प्रोत्साहित किया गया है। शेर, बाघ, तेंदुआ, भेड़िया, आदि महत्वपूर्ण वन्य जन्तुओं का शिकार राजा-महाराजाओं द्वारा किया जाता रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से अथवा पशुधन को सुरक्षित रखने के लिए भी इनका वध किया जाता है। सौन्दर्य प्रसाधनों, सुगन्ध द्रव्यों, साज-सज्जा आदि के लिए भी इनका शिकार किया गया। लों को प्रसाधनों एवं साबुन उद्योगों में प्रयुक्त होने वाले वसा के लिए हजारों की संख्या में प्रतिवर्ष मारा जाता है। इसी प्रकार हाथी दाँत के लिए हाथियों का, कामोत्तेजक औषधियों (Aphrodisiac) के संश्लेषण में प्रयुक्त सींग के लिए गेंडे (Rhinoceros) का, कस्तूरी के लिए कस्तूरी मृगों (Musk deers) का, फर या समूर के लिए हिमालयी हिमचीते (Himalayan snow-leopard ) आदि का वध होता चला आ रहा है जिसके कारण आज यह संकटग्रस्त अवस्था में पहुँच गये हैं।

(2) अप्रत्यक्ष विनाश (Indirect destruction ) :- वन्य जीवन के अप्रत्यक्ष रूप से विनाश के भी अनेक कारण हैं। इनमें सर्वाधिक प्रमुख कारण है - मनुष्य की निरन्तर बढ़ रही जनसंख्या की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण। जैसे-जैसे मानव जनसंख्या में वृद्धि होती गयी, आवास, कृषि, ईंधन एवं औद्योगीकरण आदि की आवश्यकताओं में भी वृद्धि होती गयी। परिणामस्वरूप वनोन्मूलन (Deforestation), आवासों का विनाश, मरुस्थलों का प्रसार आदि से मानव आवश्यकताओं की पूर्ति करता चला गया, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव वन्य जीव-जन्तुओं पर पड़ा और उनकी संख्या में लगातार कमी आती चली गई। कीट- नाशकों के प्रयोग एवं पर्यावरणीय प्रदूषण ने भी जीवों का विनाश किया है।

प्रश्न 25. स्पर्मेटोजिनेसिस और ऊजेनेसिस में अन्तर समझाइये |

उत्तर -

स्पर्मेटोजिनेसिस (Spermatogenesis) :-

1. इस क्रिया द्वारा वृपण से स्पर्मेटोजोआ या शुक्राणु का निर्माण होता है।

2. इस विधि में वृषण की जर्मिनल एपीथीलियम कोशिकाओं के परिपक्वन से प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट बनता है।

3. प्राथमिक स्पर्मेटोसाइट के विभाजन से चार स्पर्मेटिड बनते हैं।

4. शुक्राणु में पीतक नहीं पाया जाता है।

5. शुक्राणु अधिक संख्या में बनते हैं।

ऊजेनेसिस (Oogenesis ) :-

1. इस क्रिया द्वारा अण्डाशय में अण्डाणु का निर्माण का निर्माण होता है।

2. अण्डाशय की जर्मिनल एपीथिलियम की कोशिकाओं द्वारा प्राथमिक ऊसाइट बनता है।

3. प्राथमिक ऊसाइट का विभाजन निषेचन के समय शुक्राणु के प्रवेश द्वारा होता है जिससे एक अण्डाणु एवं तीन ध्रुवीय कोशिकाएँ बनती हैं।

4. अण्डाणु में पीतक पाया जाता है।

5. अण्डाणु कम संख्या में बनते हैं।

प्रश्न 26. मनुष्य में लिंग निर्धारण कैसे होता है ?

उत्तर - मनुष्य की प्रत्येक कोशिका में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। इनमें 22 जोड़े एक समान होते हैं, जिन्हें ऑटोसोम्स कहते हैं, 23 वाँ जोड़ा अन्यों से भिन्न होता है इसे लिंग गुणसूत्र कहते हैं। नर के 23 वें जोड़े गुणसूत्रों में से एक बड़ा तथा एक छोटा होता है, इन्हें 'XY' से व्यक्त करते हैं। मादा के 23 वें जोड़े के गुणसूत्र एक समान होते हैं और इन्हें 'XXX' से व्यक्त करते हैं। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि नर में दो प्रकार के शुक्राणु बनते हैं एक तो वे जिनमें 22 + X तथा दूसरे वे जिनमें 22 + Y गुणसूत्र पाये जाते हैं। इसके विपरीत मादा के सभी अण्डाणुओं में 22 + X गुणसूत्र पाये जाते हैं। निषेचन के समय जब किसी अण्डाणु से 'X' गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तब पैदा होने वाली सन्तान में 'XX' लिंग गुणसूत्र होते हैं अर्थात् यह सन्तान मादा होती है, लेकिन जब किसी अण्डाणु से 'Y' गुणसूत्र वाला शुक्राणु मिलता है तब पैदा होने वाली सन्तान में 'XY" लिंग गुणसूत्र होते हैं अर्थात् यह सन्तान नर होती है। इस प्रकार मनुष्यों में लिंग के निर्धारण में, नर के गुणसूत्र का बहुत अधिक महत्व होता है। दूसरे शब्दों में, यही गुणसूत्र मनुष्य की सन्तान के लिंग का निर्धारण करता है।प्रश्न 27. वृषण तथा अण्डाशय के दो-दो प्रमुख कार्य लिखिये ।

उत्तर -

वृषण के कार्य :-

( 1 ) शुक्राणुओं का निर्माण करना ।

(2) वृषण में स्थित अन्तराली कोशिकाओं द्वारा नर हॉर्मोन (टेस्टोस्टेरॉन) उत्पन्न करना जिसके कारण नर में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों का विकास होता है।

अण्डाशय के कार्य :-

(1) अण्डाणु का निर्माण करना ।

(2) एस्ट्रोजन हॉर्मोन का स्रावण करना जो मादा में द्वितीयक लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।

प्रश्न 28. क्या कारण हैं कि मनुष्य के वृषण उदरगुहा के बाहर स्थित होते हैं ?

उत्तर - स्पर्मेटोजेनेसिस की क्रिया मनुष्य के वृषण के सेमिनीफेरस ट्यूब्यूल में जनन उपकला में चलती है, जिसके लिए शरीर के सामान्य ताप से 2°C से 3°C तक कम तापक्रम की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि वृपण मनुष्य के शरीर में उदर गुहा के बाहर स्थित होते हैं क्योंकि उदर गुहा का तापक्रम सामान्य शरीर तापक्रम (37°C) होता है। अत: वृपंण उदरगुहा के बाहर स्क्रोटम में पाये जाते हैं, ताकि शुक्राणु निर्माण आसानी से हो सके।

प्रश्न 29. अण्डोत्सर्ग को समझाइये |

उत्तर - पुटिका निर्माण या विकास के समय आदि पुटिका अण्डाशय की गुहा के अन्दर धीरे-धीरे गति करती रहती है, लेकिन परिपक्व होने अर्थात् डिम्ब पुटक में परिवर्तित होने के बाद यह पुनः अण्डाशय की दीवार की तरफ आ जाती है, और दीवार से सटकर फट जाती है जिससे पुटिका का अण्डाणु देहगुहा में आ जाता है। इस क्रिया को जिसमें अण्डाणु अण्डाशय से बाहर आ जाता है, अण्डोत्सर्ग (Ovulation ) कहते हैं ।

प्रश्न 30. माँ का दूध नवजात के लिये अच्छा क्यों माना जाता हैं ?

उत्तर - माँ के दूध में शिशु के पोषण के लिए पोषक पदार्थों का आदर्श संतुलन होता है। दुग्ध स्रावण के आरंभिक कुछ दिनों तक निकलने वाला दुग्ध प्रथम स्तन्य या खीस अथवा कोलोस्ट्रम कहलाता है। यह गाढ़ा, हल्का पीला द्रव माता के स्तन से लगभग 4 से 5 दिनों तक निकलता रहता है। कोलोस्ट्रम, प्रोटीन्स व खनिज लवणों से समृद्ध होता है, जो नवजात शिशु की पोषण आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम होते हैं। कोलोस्ट्रम में अनेक प्रकार के प्रतिरक्षी (Antibodis) गुण भी पाए जाती है। अतः माँ के दूध को नवजात शिशु के लिए अच्छा माना जाता है।

प्रश्न 31. समजात अंग से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - जन्तुओं तथा जीवों के वे अंग (या संरचनाएँ) जो रचना तथा उत्पत्ति में समानता रखते हैं, लेकिन अलग-अलग कार्य के कारण बाह्य रूप में अलग दिखाई देते हैं समजात अंग कहलाते हैं तथा अंगों की यह समानता समजातता (Homology) कहलाती है। मेढक के अग्रपाद, सीलफ्लिपर, चमगादड़ के पंख, मनुष्य के हाथ, घोड़े के अग्रपाद तथा मोल के अग्रपाद समजात अंगों के उदाहरण हैं, क्योंकि ये समान उपस्थिति को दशांने वाले जीव इस बात को प्रमाणित करते हैं कि वे विकास की दृष्टि से आपस में जुड़े हैं।

प्रश्न 32. जैव-विविधता के जैविक संगठन के स्तर के नाम लिखिये ।

उत्तर - किसी क्षेत्र विशेष में पायी जाने वाली प्रजातियों की अधिकता या जैव समृद्धि को जैवविविधता कहते हैं। जैवविविधता से तात्पर्य किसी परिभाषित क्षेत्र में पाये जाने वाली सभी समष्टियों, प्रजातियों एवं समुदायों से हैं।

जैव विविधता को तीन श्रेणीबद्ध स्तरों पर व्यक्त किया जाता है :-

1. आनुवंशिक विविधता - किसी प्रजाति विशेष में आनुवंशिक विभिन्नता या जीनों की कुल संख्या या बहुरूपिता आनुवंशिक विविधता कहलाती है।

2. प्रजातीय विविधता - किसी क्षेत्र विशेष में पाये जाने वाली प्रजातियों की कुल संख्या या प्रजातीय समृद्धि प्रजाति विविधता कहलाती है।

3. पारिस्थितिकीय विविधता - पारिस्थितिकीय विविधता से तात्पर्य किसी क्षेत्र में पाये जाने वाले तरह-तरह के पारिस्थितिक तंत्रों से हैं। जैसे— रेगिस्तान, वर्षा वन, गरान (मैग्रूव), प्रवाल भित्ति (कोरल रीफ), वैट लैन्ड, एस्चुअरी आदि से हैं। जैव विविधता। संकल्पना यह दर्शाती है कि जैव विविधता का ताना-बाना बहुत ही संवेदनशील होता है तथा इसकी किसी एक कड़ी को यदि प्रभावित किया जाता है तो इसका ज्यामितीय प्रभाव नजर आता है। इसका एक उदाहरण, किसी पारिस्थितिक तंत्र में किसी एक प्रजाति के समाप्त हो जाने से उसके सह-अस्तित्व में रहने वाली कई प्रजातियों के विलुप्तीकरण से समझा जा सकता है। प्राकृतिक आवास के सिकुड़ने तथा खण्डीकरण से कई जातियों के विलुप्तीकरण को खतरे के रूप में देखा जा सकता है। जैव विविधता को हानि पूरे पारिस्थितिक तंत्र की अस्थिरता एवं असंतुलन को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 33. राष्ट्रीय उद्यान किसे कहते हैं ? भारत के किन्हीं पाँच मुख्य राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिये ।

उत्तर - वह क्षेत्र जो भारत सरकार द्वारा वन्य जीवन के विकास के लिये घोपित किया गया हो, राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है। ऐसे क्षेत्रों में वनों के काटने, पशु चारागाह या पशुचारण, खेती इत्यादि की अनुमति नहीं दी जाती। हमारे देश में कुल 66 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 33, 988-14 वर्ग किलोमीटर है।

हमारे देश के कुछ प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान निम्नलिखित हैं :-

(1) शिवपुरी पार्क (Shivpuri Park) : यह मध्य प्रदेश में ग्वालियर के पास शिवपुरी में एक झील के किनारे स्थित है। इसमें चीतल, साँभर, बाघ प्रमुख रूप से पाये जाते हैं।

(2) गुण्डी डीयर पार्क (Gundy Deer Park) : यह काले चीतल तथा ऐल्बिनों हिरणों के लिए स्थापित किया गया है। यह चेन्नई के पास तमिलनाडु में स्थित है।

(3) जिम कार्बेट पार्क (Jim Corbett Park) : यह उत्तराखण्ड में नैनीताल के पास बनाया गया है। यहाँ शेरों को संरक्षित किया गया है।

(4) बेतला राष्ट्रीय उद्यान (Betla National Park) : यहाँ बाघों व हाथियों का संरक्षण किया गया है। विहार राज्य के पलामू जिले में है।

(5) डचिगम राष्ट्रीय उद्यान (Dachigam National Park) : चीता, काले भालू, कस्तूरी मृग, एण्टिलोप, हिमालयी तहर, जंगली बकरी तथा कश्मीरी बारहसिंगों का संरक्षण कश्मीर में किया गया है।

प्रश्न 34. स्वपरागण एवं परपरागण में अंतर लिखिये ।

उत्तर -

स्वपरागण (Self-Pollination)

1. यह एक ही पौधे के नर एवं मादा पुष्पों के बीच होता है।

2. इसके लिए पौधों का द्विलिंगी होना आवश्यक है।

3. स्व- परागण के लिए पौधे का आकर्षक, बड़ा सुन्दर एवं मकरन्दयुक्त होना आवश्यक नहीं है।

4. इसके लिए कम परागकण की आवश्यकता होती है।

पर परागण (Cross-Pollination)

1. यह परागण एक ही जाति के दो पौधों के नर एवं मादा पुष्पों के बीच होता है।

2. इसके लिए पौधों का द्विलिंगी होना आवश्यक नहीं है।

3. इसके लिये पौधे का आकर्षक, बड़ा सुंदर एवं मकरंदयुक्त होना चाहिये ।

4. इसके लिए अधिक परागकणों की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 35. एक प्रारूपिक बीजाण्ड की लम्बकाट की रचना समझाइये |

उत्तर - बीजाण्ड की संरचना (Structure of ovule) - बीजाण्ड, अण्डाशय की दीवार से एक डण्ठल अथवा वृन्त द्वारा जुड़ा रहता है। इसे बीजाण्डवृन्त (Funicle) कहते हैं। बीजाण्ड-वृन्त जिस स्थान पर बीजाण्ड के शरीर से जुड़ा रहता है वह स्थान नाभिका (Hilum) कहलाता हैं। बीजाण्ड का मुख्य भाग बीजाण्डकाय (Nucellus) कहलाता है। यह भाग पतली भित्ति वाली कोशिकाओं से निर्मित होता है। बीजाण्ड एक द्विस्तरीय अध्यावरण (Integuments) से ढँका रहता है, लेकिन कुछ बीजाण्डों में केवल एक ही अध्यावरण होता है। अध्यावरण बीजाण्डकाय को पूर्णत: नहीं ढँकते, बल्कि कुछ भाग खुला ही रह जाता है। इस स्थान को बीजाण्डद्वार (Micropyle) कहते हैं। बीजाण्डकाय का आधारीय भाग निभाग (Chalaza) कहलाता है, यहीं से अध्यावरण पैदा होते हैं। बीजाण्डद्वार की ओर मादा युग्मक (Female gametophyte) के रूप में भ्रूणकोष (Embryo sac) पाया जाता है। भ्रूणपोष के अण्डद्वारी छोर की ओर तीन केन्द्रक मिलते हैं, इनमें से एक अण्ड गोल (Egg of oosphere) व दो सहायक कोशिकाएँ (Synergids) बनाती हैं। निभागी छोर पर भ्रूणकोष में तीन प्रतिमुखी कोशिकाएँ (Antipodals) और बीचों-बीच द्वितीयक केन्द्रक (Secondary nucleus) पाया जाता है।

प्रश्न 36. लेक ओपेरान मॉडल को समझाइये ।

उत्तर - लॅक्टोज एंजाइम बीटा- गैलेक्टोसाइडेज के लिए क्रियाधार का काम करता है जो प्रचालेक की सक्रियता के शुरू या निष्क्रियता समाप्ति को नियमित करता है। इसे प्रेरक कहते हैं। सबसे उपयुक्त कार्बन स्रोत-
ग्लूकोज की अनुपस्थिति में यदि जीवाणु के संवर्धन माध्यम में लैक्टोज डाल दिया जाता है तब परमिएज की क्रिया द्वारा लैक्टोज कोशिका के अंदर अभिगमन करता है। (याद रखो कोशिका में लॅक-प्रचालेक की अभिव्यक्ति निम्न स्तर पर हमेशा बनी रहती है अन्यथा लैक्टोज कोशिकाओं के भीतर प्रवेश नहीं कर सकता है)। इसके बाद लॅक्टोज प्रचालक को निम्न ढंग से प्रेरित करता है। प्रचालक का दमनकारी आई (i) जीन द्वारा संश्लेपित (हमेशा उपस्थित रहता है) होता है। दमनकारी प्रोटीन प्रचालक के प्रचालक स्थल से बंधकर आरएनए पॉलीमरेज को निष्क्रिय कर देता है जिससे प्रचालेक अनुलेखित नहीं हो पाता है। प्रेरक जैसे लैक्टोज (या एलोलॅक्टोज) की उपस्थिति में दमनकारी प्रेरक से क्रियाकर निष्क्रियत हो जाता है। इसके फलस्वरूप आर. एन. ए. पॉलीमरेज उन्नायक से बंधकर अनुलेखन की शुरुआत करता है (चित्र) । लैक प्रचालेक के नियमन को इसके क्रियाधार द्वारा एंजाइम के संश्लेषण के रूप में निरूपित किया जा सकता है। याद रखो लैक-प्रचालेक किए ग्लूकोज या गैलेक्टोज प्रेरक के रूप में कार्य नहीं कर सकता है। दमनकारी - R.N.A. द्वारा लैक-प्रचालक के नियमन को ऋणात्मक नियमन (निगेटिव रंगुलेशन) कहते हैं। लैक-प्रचालक धनात्मक नियमन (पॉजिटिव रेगुलेशन) के नियंत्रण में भी होता है।

 

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