Rajasthan Board 10th Science Exam 2024 : Most Important Question with Answers

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राजस्थान बोर्ड 10वीं की विज्ञान परीक्षा 18 मार्च, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।
इस पोस्ट में राजस्थान बोर्ड 10th परीक्षा 2024 के लिए विज्ञान के महत्वपूर्ण (RBSE Board 10th Science Important Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
छात्रों को इन (RBSE Board 10th Science Viral Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।
अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे विज्ञान के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I
RBSE Class 10 Study Material
RBSE 10th Exam 2024 Science Most Important Question Answers
Important MCQ
Q.1 जब O, की उपस्थिति में मैंग्नेशियम रिबन को जलाया जाता है, तो MgO में होने वाला परिवर्तन है-
(1) अपचयन
(2) ऑक्सीकरण
(3) दोनों
(4) इनमें से कोई नहीं
Ans. (2)
Q.2 फेरस सल्फेट को गर्म करने पर होने वाली अपघटनीय वियोजन अभिक्रिया है-
(1) ऊष्मीय वियोजन
(2) प्रकाशीय अपघटन
(3) विद्युत अपघटन
(4) कोई नहीं
Ans. (1)
Q.3 जिप्सम को कितने ताप पर गर्म करने से प्लास्टर ऑफ पेरिस बनता है-
(1) 373K
(2) 473K
(3) 573K
(4) 273K
Ans. (1)
Q.4 दांतों के इनेमल का क्षय प्रारंभ हो जाता है मुंह का pH मान-
(1) 5.5 से कम
(2) 6 से कम
(3) 6.5 से कम
(4) 7
Ans. (1)
Q.5 विद्युत तारों की परस्पर वेल्डिंग के लिए कौनसी मिश्र धातु को प्रयुक्त करते हैं?
(1) सोल्डर
(2) पीतल
(3) कांसा
(4) कोई नहीं
Ans. (1)
Q.6 निम्नलिखित में से आयनिक यौगिक नहीं है ?
(1) KCI
(2) NaCl
(3) CCl4
(4) AgCl
Ans. (3)
Q.7 ग्लैशल एसिटिक अम्ल का गलनांक होता है-
(1) 240K
(2) 290K
(3) 390K
(4) 190K
Ans. (2)
Q. 8 बोमेन सम्पुट निम्नलिखित में से किस तंत्र का भाग है?
(1) उत्सर्जन
(2) पाचन
(3) श्वसन
(4) परिसंचरण
Ans. (1)
Q.9 पतियों का हरा रंग किस वर्णक के कारण होता है ।
(1) जैन्थोफिल
(2) क्लोरोफिल
(3) क्रोमोप्लास्ट
(4) ल्युकोप्लास्ट
Ans. (2)
Q.10 दो तंत्रिका कोशिकाओं के मध्य योजक स्थान को कहते हैं -
(1) एक्सान
(2) द्रुमिका
(3) कोशिका काय
(4) सिनेप्स
Ans. (4)
Q.11 निम्न में से पादप वृद्धि को संदमित करने वाला हार्मोन है -
(1) ऑक्सिन
(2) जिबरेलिन
(3) साइटोकाईनिन
(4) एब्सिसिक अम्ल
Ans. (4)
Q.12 पुष्प के स्त्रीकेसर में होते हैं-
(1) वर्तिकाग्र
(2) वर्तिका
(3) अण्डाशय
(4) उपर्युक्त सभी
Ans. (4)
Q.13 पुष्पीय पादप में निषेचन के बाद भ्रूण का विकास कहां होता है ?
(1) बीजाण्ड
(2) अण्डाशय
(3) वर्तिकाग्र
(4) परागनलिका
Ans. (1)
Q.14 मैंडल ने आनुवांशिकता के प्रयोग के लिए किस पौधे का चयन किया?
(1) उद्यान मटर
(2) गोभी
(3) बैंगन
(4) मिर्च
Ans. (1)
Q.15 मेंडल ने आनुवांशिकता के प्रयोग में मटर के कितने जोड़ी विपर्यासी लक्षणों का अध्ययन किया?
(1) 7
(2) 5
(3) 8
(4) 10
Ans. (1)
Q.16 प्रकाश का वेग सर्वाधिक कहाँ होता है-
(1) वायु
(2) जल
(3) निर्वात
(4) कोई नहीं
Ans. (3)
Q.17 एक प्रकाश किरण दर्पण पर 30° पर आपत्तित होती है तो परावर्तन कोण का मान होगा-
(1) 30°
(2) 60°
(3) 900
(4) 120°
Ans. (1)
Q.18 मानव नेत्र में किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब कहां बनता है ?
(1) कॉर्निया
(2) दृष्टिपटल
(3) परितारिका
(4) लैंस
Ans. (2)
Q.19 मानव नेत्र में पुतली के आकार को नियंत्रित करता है ?
(1) पारितारिका
(2) दृष्टि पटल
(3) लैंस
(4) कॉर्निया (स्वच्छ मंडल)
Ans. (1)
Q.20 विद्युत परिपथ में धारा मापने वाला उपकरण है-
(1) अमीटर
(1) वोल्टमीटर
(3) धारा नियंत्रक
(4) प्रतिरोध
Ans. (1)
Q.21 किसी विद्युत बल्ब का अनुमतांक 220 V; 100 W है। जब इसे 110 V पर प्रचालित करते हैं, तब इसके द्वारा उपमुक्त शक्ति होगी-
(1) 100W
(2) 75 W
(3) 50 W
(4) 25 W
Ans. (4)
Q.22 विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं-
(1) जनित्र
(2) गेल्वेनोमीटर
(3) अमीटर
(4) मोटर
Ans. (1)
Q.23 निम्नलिखित में से कौन किसी लबे विद्युत धारावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णन करता है ?
(1) चुंबकीय क्षेत्र का क्षेत्र रेखाएं तार के लंबवत् होती है।
(2) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएं तार के समांतर होती है ।
(3) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएं अरीय होती है ।
(4) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
Ans. (4)
Q.24 वे जीव जो सौर ऊर्जा का उपयोग कर रासायनिक ऊर्जा (कार्बोहाइड्रेट) का संश्लेषण करते हैं-
(1) उत्पादक
(2) उपभोक्ता
(3) अपघटक
(4) अपमार्जक
Ans. (1)
Q.25 किसी आहार श्रृंखला में मान लीजिए कि चौथे पोषी स्तर पर ऊर्जा की मात्रा SKJ है तो बताइए कि प्रथम उत्पादक पोषी स्तर पर कितनी ऊर्जा उपलब्ध होगी-
(1) 5KJ
(2) 50KJ
(3) 500KJ
(4) 5000KJ
Ans. (4)
Important Questions
Q.1 प्रबल अम्ल, प्रबल क्षार, दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के उदाहरण लिखिए ।
Ans. प्रबल अम्ल, प्रबल क्षार, दुर्बल अम्ल तथा दुर्बल क्षार के उदाहरण:
प्रबल अम्ल:
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)
- सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)
- नाइट्रिक अम्ल (HNO3)
- परक्लोरिक अम्ल (HClO4)
प्रबल क्षार:
- सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)
- पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)
- लिथियम हाइड्रॉक्साइड (LiOH)
- बेरियम हाइड्रॉक्साइड (Ba(OH)2)
दुर्बल अम्ल:
- एसिटिक अम्ल (CH3COOH)
- कार्बोनिक अम्ल (H2CO3)
- बोरिक अम्ल (H3BO3)
- फॉस्फोरिक अम्ल (H3PO4)
दुर्बल क्षार:
- अमोनिया (NH3)
- सोडियम बाइकार्बोनेट (NaHCO3)
- पोटेशियम बाइकार्बोनेट (KHCO3)
- बोरिक अम्ल (H3BO3)
उदाहरण:
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) + सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) → सोडियम क्लोराइड (NaCl) + जल (H2O)
- एसिटिक अम्ल (CH3COOH) + सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) → सोडियम एसीटेट (CH3COONa) + जल (H2O)
Q.2 विस्थापन अभिक्रिया को एक उदाहरण सहित समझाइए ।
Ans. विस्थापन अभिक्रिया:
विस्थापन अभिक्रिया एक रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसमें एक तत्व किसी दूसरे तत्व को उसके यौगिक से विस्थापित कर देता है। इस अभिक्रिया में, विस्थापित करने वाला तत्व अधिक सक्रिय होता है और विस्थापित होने वाला तत्व कम सक्रिय होता है।
उदाहरण:
जब जस्ता (Zn) धातु को कॉपर सल्फेट (CuSO4) विलयन में डाला जाता है, तो जस्ता धातु कॉपर (Cu) धातु को विस्थापित कर देती है और कॉपर सल्फेट (CuSO4) में जस्ता सल्फेट (ZnSO4) बन जाता है।
Zn + CuSO4 → ZnSO4 + Cu
इस अभिक्रिया में:
- जस्ता (Zn) विस्थापित करने वाला तत्व है क्योंकि यह कॉपर (Cu) से अधिक सक्रिय है।
- कॉपर (Cu) विस्थापित होने वाला तत्व है क्योंकि यह जस्ता (Zn) से कम सक्रिय है।
Q.3 रेडॉक्स अभिक्रिया को उदाहरण सहित समझाइए ।
Ans. रेडॉक्स अभिक्रिया:
रेडॉक्स अभिक्रिया एक रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसमें इलेक्ट्रॉन का स्थानांतरण होता है। इस अभिक्रिया में, ऑक्सीकरण और अपचयन दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं।
ऑक्सीकरण:
ऑक्सीकरण एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी परमाणु या अणु से इलेक्ट्रॉन का ह्रास होता है। ऑक्सीकरण में, ऑक्सीकरण संख्या बढ़ जाती है।
अपचयन:
अपचयन एक रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें किसी परमाणु या अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन का ग्रहण होता है। अपचयन में, ऑक्सीकरण संख्या कम हो जाती है।
रेडॉक्स अभिक्रिया का उदाहरण:
जब मैग्नीशियम (Mg) धातु को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) में डाला जाता है, तो मैग्नीशियम धातु ऑक्सीकृत होकर मैग्नीशियम क्लोराइड (MgCl2) बनाती है और हाइड्रोजन (H2) गैस अपचयित होकर मुक्त होती है।
Mg + 2HCl → MgCl2 + H2
इस अभिक्रिया में:
- मैग्नीशियम (Mg) ऑक्सीकृत होता है क्योंकि यह
- हाइड्रोजन (H2) से इलेक्ट्रॉन खो देता है।
- हाइड्रोजन (H2) अपचयित होता है क्योंकि यह
- मैग्नीशियम (Mg) से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है।
Q.4 मूर्तियों व सजावटी सामान बनाने में प्रयुक्त होता है ?
Ans. "मूर्तियों और सजावटी सामान बनाने में कई प्रकार की सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। कुछ सबसे आम सामग्रियों में शामिल हैं:
- पत्थर: संगमरमर, ग्रेनाइट, और बलुआ पत्थर सहित पत्थर, मूर्तियों के लिए एक लोकप्रिय सामग्री है। यह टिकाऊ है, अपेक्षाकृत मौसम प्रतिरोधी है, और इसे विभिन्न आकृतियों में तराशा जा सकता है।
- धातु: कांस्य, तांबा, और एल्यूमीनियम सहित धातु, मूर्तियों के लिए एक और लोकप्रिय सामग्री है। इसे ढाला जा सकता है, वेल्डेड किया जा सकता है, और विभिन्न फिनिश के साथ इलाज किया जा सकता है।
- लकड़ी: लकड़ी मूर्तियों के लिए एक लोकप्रिय सामग्री है क्योंकि यह काम करने में अपेक्षाकृत आसान है और इसे विभिन्न आकृतियों में तराशा जा सकता है। यह विभिन्न प्रकार के फिनिश के साथ भी इलाज किया जा सकता है।
- मिट्टी: मिट्टी मूर्तियों के लिए एक लोकप्रिय सामग्री है क्योंकि इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है और विभिन्न प्रकार के रंगों और फिनिश के साथ इलाज किया जा सकता है।
- प्लास्टिक: प्लास्टिक मूर्तियों के लिए एक लोकप्रिय सामग्री है क्योंकि यह सस्ता है, टिकाऊ है, और इसे विभिन्न आकृतियों में ढाला जा सकता है।
मूर्तियों और सजावटी सामान बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली कई अन्य सामग्री हैं, जिनमें शामिल हैं:
- कांच
- राल
- कपड़ा
- कागज
- पुनर्नवीनीकरण सामग्री
Q.5 विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि में अविलेय अशुद्धियों एनोड तली पर निक्षेपित हो जाती है, कहते हैं? एनोड पंक
Ans. विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि में अविलेय अशुद्धियों को एनोड पंक कहा जाता है।
एनोड पंक:
- परिभाषा: विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि में, एनोड पर जमा होने वाली अविलेय अशुद्धियों को एनोड पंक कहा जाता है।
- कारण: जब धातु को विद्युत अपघटनी परिष्करण विधि द्वारा शुद्ध किया जाता है, तो धातु के अशुद्धियां एनोड पर ऑक्सीकृत होकर अघुलनशील यौगिक बनाते हैं। ये अघुलनशील यौगिक एनोड पर जमा हो जाते हैं, जिन्हें एनोड पंक कहा जाता है।
- प्रकृति: एनोड पंक का रंग और रूप धातु और अशुद्धियों की प्रकृति पर निर्भर करता है। यह काला, भूरा, या हरा हो सकता है, और यह पाउडर, दानेदार, या ठोस हो सकता है।
- उदाहरण:
- तांबे के विद्युत अपघटनी परिष्करण में, एनोड पंक में मुख्य रूप से आयरन ऑक्साइड और सिलिका होता है।
- एल्यूमीनियम के विद्युत अपघटनी परिष्करण में, एनोड पंक में मुख्य रूप से एल्यूमीनियम ऑक्साइड होता है।
एनोड पंक का महत्व:
- एनोड पंक का उपयोग धातु की शुद्धता का निर्धारण करने के लिए किया जा सकता है।
- एनोड पंक को धातु से अलग करके धातु को और भी शुद्ध किया जा सकता है।
Q.6 आयनिक यौगिकों के 3 गुणधर्म लिखिए ?
Ans. आयनिक यौगिकों के 3 गुणधर्म:
- उच्च गलनांक और क्वथनांक: आयनिक यौगिकों में मजबूत आयन-आयन आकर्षण बल होते हैं, जिसके कारण उन्हें पिघलने या उबलने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- विद्युत चालकता: आयनिक यौगिक विलयन में विद्युत धारा का संचालन करते हैं क्योंकि उनके विलयन में मुक्त आयन होते हैं।
- जल में घुलनशीलता: अधिकांश आयनिक यौगिक पानी में घुलनशील होते हैं क्योंकि पानी के ध्रुवीय अणु आयनिक यौगिकों के आयनो को घेर लेते हैं और उन्हें विघटित करते हैं।
Q.7 संतृप्त तथा असंतृप्त कार्बनिक यौगिक में अंतर लिखिए ?
Ans. संतृप्त और असंतृप्त कार्बनिक यौगिक में अंतर:
विशेषता | संतृप्त कार्बनिक यौगिक | असंतृप्त कार्बनिक यौगिक |
---|---|---|
परिभाषा | जिन कार्बनिक यौगिकों में सभी कार्बन परमाणुओं के बीच केवल एकल बंध होते हैं, उन्हें संतृप्त कार्बनिक यौगिक कहा जाता है। | जिन कार्बनिक यौगिकों में कम से कम एक कार्बन-कार्बन दोहरा या तिहरा बंध होता है, उन्हें असंतृप्त कार्बनिक यौगिक कहा जाता है। |
उदाहरण | मीथेन (CH4), ईथेन (C2H6), एथेनॉल (C2H5OH) | एथिलीन (C2H4), एसिटिलीन (C2H2), बेंजीन (C6H6) |
बंध | केवल एकल बंध | एकल, दोहरा और तिहरा बंध |
संक्षिप्त सूत्र | CnH2n+2 (एल्केन के लिए) | CnH2n (एल्कीन के लिए), CnH2n-2 (एल्काइन के लिए) |
संयोजकता | प्रत्येक कार्बन परमाणु चार अन्य परमाणुओं से जुड़ा होता है। | प्रत्येक कार्बन परमाणु चार या कम परमाणुओं से जुड़ा होता है। |
प्रकृति | आमतौर पर गैस या तरल होते हैं। | आमतौर पर तरल या ठोस होते हैं। |
घुलनशीलता | पानी में कम घुलनशील होते हैं। | पानी में अधिक घुलनशील होते हैं। |
रासायनिक अभिक्रियाएं | कम क्रियाशील होते हैं। | अधिक क्रियाशील होते हैं। |
उपयोग | ईंधन, स्नेहक, विलायक आदि के रूप में उपयोग किए जाते हैं। | प्लास्टिक, रबर, दवाओं आदि के रूप में उपयोग किए जाते हैं। |
Q.8 समजातीय श्रेणी को उदाहरण सहित समझाइए ।
Ans. समजातीय श्रेणी:
समजातीय श्रेणी रासायनिक यौगिकों का एक समूह होता है जिनमें समान रासायनिक गुण होते हैं और जिनके अणुओं में एक समान संरचनात्मक इकाई होती है। इस इकाई को मूल समूह या कार्यात्मक समूह कहा जाता है।
उदाहरण:
- एल्केन: जिन कार्बनिक यौगिकों में केवल एकल बंध होते हैं और जिनके अणुओं में CnH2n+2 (जहाँ n कार्बन परमाणुओं की संख्या) का अनुपात होता है, उन्हें एल्केन कहा जाता है। एल्केन की समजातीय श्रेणी में मीथेन, ईथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि शामिल हैं।
- एल्केन: जिन कार्बनिक यौगिकों में कम से कम एक दोहरा बंध होता है और जिनके अणुओं में CnH2n (जहाँ n कार्बन परमाणुओं की संख्या) का अनुपात होता है, उन्हें एल्केन कहा जाता है। एल्केन की समजातीय श्रेणी में एथिलीन, प्रोपिलीन, ब्यूटिलीन आदि शामिल हैं।
- एल्काइन: जिन कार्बनिक यौगिकों में कम से कम एक तिहरा बंध होता है और जिनके अणुओं में CnH2n-2 (जहाँ n कार्बन परमाणुओं की संख्या) का अनुपात होता है, उन्हें एल्काइन कहा जाता है। एल्काइन की समजातीय श्रेणी में एसिटिलीन, प्रोपाइन, ब्यूटाइन आदि शामिल हैं।
Q.9 एड्रीनलिन हार्मोन स्त्रावण से हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है ।
Ans. एड्रीनलिन हार्मोन स्त्रावण से हमारे शरीर में कई अनुक्रियाएं होती हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. हृदय गति और रक्तचाप में वृद्धि: एड्रीनलिन हृदय गति और रक्तचाप को बढ़ाता है, जिससे मांसपेशियों को अधिक ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं।
2. रक्त शर्करा में वृद्धि: एड्रीनलिन ग्लूकागन हार्मोन के स्त्राव को उत्तेजित करता है, जो यकृत में संग्रहीत ग्लूकोज को रक्त में छोड़ता है।
3. वायुमार्गों का फैलाव: एड्रीनलिन वायुमार्गों को फैलाता है, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है।
4. पेशियों में तनाव: एड्रीनलिन पेशियों को तनाव देता है, जिससे शरीर "लड़ाई या उड़ान" के लिए तैयार हो जाता है।
5. पाचन क्रिया का धीमा होना: एड्रीनलिन पाचन क्रिया को धीमा कर देता है ताकि ऊर्जा का उपयोग अन्य कार्यों के लिए किया जा सके।
6. पसीना आना: एड्रीनलिन पसीने के उत्पादन को बढ़ाता है, जो शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करता है।
Q.10 अमीबा में द्विखण्डन द्वारा जनन को समझाइए |
Ans. अमीबा में द्विखंडन द्वारा जनन:
अमीबा एककोशिकीय जीव है जो द्विखंडन नामक अलैंगिक प्रजनन विधि द्वारा प्रजनन करता है। द्विखंडन एक सरल प्रक्रिया है जिसमें एक कोशिका दो समान आकार की संतति कोशिकाओं में विभाजित हो जाती है।
द्विखंडन की प्रक्रिया:
- अमीबा का शरीर थोड़ा लंबा हो जाता है।
- नाभिक दो भागों में विभाजित हो जाता है।
- कोशिका द्रव्य भी दो भागों में विभाजित हो जाता है।
- दो नई कोशिकाएं बन जाती हैं, जो एक दूसरे से अलग हो जाती हैं।
Q.11 कायिक प्रवर्धन क्या है ? कोई 4 लाभ बताइए ।
Ans. कायिक प्रवर्धन क्या है?
कायिक प्रवर्धन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी पौधे का नया पौधा वनस्पति भागों (जैसे कि तने, पत्ती, जड़) से उगाया जाता है। यह बीज से पौधे उगाने के विपरीत है।
कायिक प्रवर्धन के 4 लाभ:
- तेज़ी से प्रजनन: बीज से उगाए गए पौधों की तुलना में कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे जल्दी फल और फूल पैदा करते हैं।
- आनुवंशिक समानता: कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे मूल पौधे के आनुवंशिक रूप से समान होते हैं।
- रोगों का प्रतिरोध: कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होते हैं।
- विशिष्ट गुणों का संरक्षण: कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधे मूल पौधे के वांछित गुणों को बनाए रखते हैं।
Q.12 थॉयराइड ग्रंथि के द्वारा स्त्रावित हार्मोन का नाम तथा इसका कार्य लिखिए ।
Ans. थायराइड ग्रंथि द्वारा स्त्रावित हार्मोन और उनका कार्य:
1. थायरोक्सिन (T4): यह थायराइड ग्रंथि द्वारा स्त्रावित मुख्य हार्मोन है। यह शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। T4 शरीर के ऊतकों को ऊर्जा का उपयोग करने में मदद करता है। यह प्रोटीन संश्लेषण, विकास और हड्डियों के विकास को भी नियंत्रित करता है।
2. ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3): यह T4 का सक्रिय रूप है। यह शरीर के चयापचय को नियंत्रित करने में T4 की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। T3 मस्तिष्क, हृदय, मांसपेशियों और अन्य अंगों के कार्यों को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
3. कैल्सीटोनिन: यह हार्मोन रक्त में कैल्शियम के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह हड्डियों से कैल्शियम के अवशोषण को कम करता है और गुर्दे द्वारा कैल्शियम के उत्सर्जन को बढ़ाता है।
Q.13 आनुवांशिकी की कार्यिकीय इकाई क्या है ?
Ans.
आनुवंशिकी की कार्यिकीय इकाई जीन है। जीन डीएनए (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) का एक छोटा सा हिस्सा है जो एक विशिष्ट प्रोटीन के लिए कोड करता है। प्रोटीन शरीर के लिए आवश्यक सभी कार्यों को करने के लिए जिम्मेदार होते हैं, जैसे कि विकास, चयापचय, और प्रजनन।जीन डीएनए के दो स्ट्रैंडों में से एक पर स्थित होते हैं। डीएनए चार न्यूक्लियोटाइड से बना होता है: एडेनिन (A), ग्वानिन (G), साइटोसिन (C), और थाइमिन (T)। जीन में न्यूक्लियोटाइड का क्रम एक विशिष्ट प्रोटीन के लिए कोड करता है।
Q.14 आनुवांशिक तथा उपार्जित लक्षणों में अंतर स्पष्ट कीजिए ?
Ans. आनुवंशिक और उपार्जित लक्षणों में अंतर:
आनुवंशिक लक्षण:
- ये लक्षण माता-पिता से संतानों को विरासत में मिलते हैं।
- ये लक्षण डीएनए में मौजूद जीन द्वारा निर्धारित होते हैं।
- ये लक्षण जीवन भर स्थायी होते हैं और बदले नहीं जा सकते।
- इन लक्षणों में आँखों का रंग, बालों का रंग, त्वचा का रंग, ऊंचाई, रक्त समूह आदि शामिल हैं।
उपार्जित लक्षण:
- ये लक्षण जन्म के बाद पर्यावरण के प्रभाव से प्राप्त होते हैं।
- ये लक्षण डीएनए में मौजूद जीन द्वारा निर्धारित नहीं होते हैं।
- ये लक्षण जीवन भर स्थायी नहीं होते हैं और बदले जा सकते हैं।
- इन लक्षणों में चोट के निशान, टैटू, तन का रंग, भाषा, शिक्षा आदि शामिल हैं।
Q.15 वाहनों में पश्च दृश्य दर्पण के रूप में उत्तल दर्पण का उपयोग क्यों किया जाता है?
Ans. वाहनों में पश्च दृश्य दर्पण के रूप में उत्तल दर्पण का उपयोग कई कारणों से किया जाता है:
1. व्यापक दृष्टि क्षेत्र: उत्तल दर्पण समतल दर्पण की तुलना में अधिक व्यापक दृष्टि क्षेत्र प्रदान करते हैं। इसका मतलब है कि ड्राइवर आसानी से अपने पीछे की वस्तुओं और वाहनों को देख सकता है।
2. वस्तुओं का छोटा प्रतिबिम्ब: उत्तल दर्पण वस्तुओं का छोटा प्रतिबिम्ब बनाते हैं। यह ड्राइवर को वस्तुओं की दूरी का बेहतर अनुमान लगाने में मदद करता है।
3. मृत क्षेत्र को कम करना: उत्तल दर्पण वाहन के मृत क्षेत्र को कम करते हैं। मृत क्षेत्र वह क्षेत्र है जो वाहन के पीछे होता है और ड्राइवर के रियरव्यू मिरर में दिखाई नहीं देता है।
4. कम विकृति: उत्तल दर्पण समतल दर्पण की तुलना में कम विकृति पैदा करते हैं। इसका मतलब है कि वस्तुओं का प्रतिबिम्ब अधिक सटीक होता है।
5. टिकाऊ: उत्तल दर्पण समतल दर्पण की तुलना में अधिक टिकाऊ होते हैं। वे टूटने या खरोंच होने की संभावना कम होती है।
Q.16 किसी लैंस की क्षमता को परिभाषित कीजिए ।
Ans. किसी लैंस की क्षमता:
किसी लैंस की क्षमता प्रकाश की किरणों को मोड़ने की उसकी शक्ति को दर्शाती है। इसे डायोप्टर (D) में मापा जाता है।
लैंस की क्षमता का सूत्र:
F = 1/f
जहाँ:
- F लैंस की क्षमता (डायोप्टर में)
- f लैंस की फोकस दूरी (मीटर में)
Q.17 इन्द्रधनुष के बनने की प्रक्रिया को समझाइए ?
Ans. इंद्रधनुष बनने की प्रक्रिया:
इंद्रधनुष एक प्राकृतिक घटना है जो तब बनती है जब सूर्य की रोशनी वायुमंडल में मौजूद पानी की बूंदों से अपवर्तित और परावर्तित होती है।
इंद्रधनुष बनने की प्रक्रिया:
- अपवर्तन: सूर्य की रोशनी वायुमंडल में प्रवेश करते समय हवा के अणुओं द्वारा अपवर्तित (मोड़) जाती है।
- विक्षेपण: अपवर्तित प्रकाश की किरणें पानी की बूंदों से टकराकर विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाती हैं।
- परावर्तन: विभाजित प्रकाश की किरणें पानी की बूंदों के अंदर से परावर्तित होती हैं।
- अपवर्तन: परावर्तित प्रकाश की किरणें पानी की बूंदों से बाहर निकलते समय फिर से अपवर्तित होती हैं।
- इंद्रधनुष का निर्माण: अपवर्तित और परावर्तित प्रकाश की किरणें हमारी आंखों तक पहुंचती हैं और हमें इंद्रधनुष दिखाई देता है।
Q.18 तारे क्यों टिमटिमाते हैं ?
Ans. तारे टिमटिमाते हैं क्योंकि:
1. वायुमंडलीय अपवर्तन: जब तारे की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरती है, तो वायुमंडल में मौजूद गैसों और धूल के कणों द्वारा प्रकाश की किरणें बिखर जाती हैं। यह बिखराव तारे की रोशनी को कमजोर करता है और इसे टिमटिमाता हुआ दिखाता है।
2. वायुमंडलीय अशांति: वायुमंडल में लगातार गतिशीलता होती रहती है, जिसके कारण वायुमंडलीय अशांति पैदा होती है। यह अशांति तारे की रोशनी को मोड़ती और बिखेरती है, जिससे तारे टिमटिमाते हुए दिखते हैं।
3. पृथ्वी का घूर्णन: पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती है, जिसके कारण तारे आकाश में अपनी स्थिति बदलते रहते हैं। जैसे-जैसे तारे क्षितिज के करीब आते हैं, वायुमंडल से होकर गुजरने वाली उनकी रोशनी की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वे अधिक टिमटिमाते हुए दिखते हैं।
4. तारे की दूरी: जो तारे पृथ्वी से दूर होते हैं, वे कम टिमटिमाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी रोशनी को वायुमंडल से होकर गुजरने के लिए अधिक दूरी तय करनी पड़ती है, जिसके कारण बिखराव कम होता है।
5. तारे का आकार: बड़े तारे छोटे तारों की तुलना में कम टिमटिमाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि बड़े तारों से अधिक प्रकाश निकलता है, जिसके कारण बिखराव का प्रभाव कम होता है।
Q.19 घरेलू परिपथ में विद्युत का संयोजन किस प्रकार किया जाता है ?
Ans. घरेलू परिपथ में विद्युत का संयोजन:
घरेलू परिपथ में विद्युत का संयोजन समांतर क्रम में किया जाता है। इसका मतलब है कि सभी विद्युत उपकरण एक ही तार (जिसे फेज कहा जाता है) से जुड़े होते हैं और एक ही तार (जिसे न्यूट्रल कहा जाता है) से वापस आते हैं।
समांतर क्रम में विद्युत का संयोजन करने के लाभ:
- प्रत्येक उपकरण को समान वोल्टेज मिलता है।
- यदि कोई उपकरण खराब हो जाता है, तो अन्य उपकरण काम करना बंद नहीं करते हैं।
- नए उपकरणों को आसानी से जोड़ा जा सकता है।
घरेलू परिपथ में विद्युत का संयोजन करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जाता है:
- मुख्य स्विच: सबसे पहले, घर के मुख्य स्विच को बंद कर दें।
- फ्यूज या एमसीबी: फ्यूज या एमसीबी को चेक करें और यदि आवश्यक हो तो बदलें।
- तारों का कनेक्शन: तारों को सही तरीके से कनेक्ट करें। फेज तार को लाल रंग से और न्यूट्रल तार को काले रंग से चिह्नित किया जाता है।
- अर्थिंग: अर्थिंग तार को जोड़ें। अर्थिंग तार सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
- मुख्य स्विच चालू करें: मुख्य स्विच को चालू करें और सभी उपकरणों की जांच करें कि वे ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं।
Q.20 दो अर्द्धचालकों के नाम लिखिए ?
Ans.
- सिलिकॉन (Silicon)
- जर्मेनियम (Germanium)
Q.21 छड़ चुम्बक द्वारा संरक्षित चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की कोई 4 विशेषताएँ लिखिए?
Ans. छड़ चुम्बक द्वारा संरक्षित चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की 4 विशेषताएँ:
- बंद वक्र: चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ हमेशा बंद वक्र होती हैं। वे चुम्बक के उत्तरी ध्रुव से शुरू होकर दक्षिणी ध्रुव पर समाप्त होती हैं।
- समान्तर: चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को कभी नहीं काटती हैं। वे हमेशा एक दूसरे के समानांतर होती हैं।
- घनत्व: चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं का घनत्व चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता का संकेत देता है। जहाँ रेखाएँ अधिक घनी होती हैं, वहाँ चुंबकीय क्षेत्र अधिक तीव्र होता है।
- दिशा: चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।
Q.22 भूसंपर्क 'तार क्या है? धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है ?
Ans. भूसंपर्क तार क्या है?
भूसंपर्क तार एक हरा या पीला-हरा रंग का तार होता है जो विद्युत उपकरणों को पृथ्वी से जोड़ता है। यह तार किसी भी विद्युत रिसाव को सुरक्षित रूप से पृथ्वी में प्रवाहित करता है, जिससे बिजली का झटका लगने का खतरा कम हो जाता है।
धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
धातु के आवरण वाले विद्युत साधित्रों को भूसंपर्कित करना आवश्यक है क्योंकि यदि इन उपकरणों में कोई खराबी आती है, तो उनके आवरण विद्युत धारा से चार्ज हो सकते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस आवरण को छूता है, तो उसे बिजली का झटका लग सकता है। भूसंपर्क तार इस खतरे को कम करता है क्योंकि यह विद्युत धारा को सुरक्षित रूप से पृथ्वी में प्रवाहित करता है।
Q.23 UNEP का पूरा नाम क्या है ?
Ans. UNEP का पूरा नाम संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (United Nations Environment Programme)
Q.24 ओजोन परत की क्षति के क्या कारण हैं? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
Ans. ओजोन परत की क्षति के कारण:
ओजोन परत की क्षति के मुख्य कारण मानव निर्मित रसायन हैं, जिनमें शामिल हैं:
- क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs): CFCs का उपयोग रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, और एरोसोल स्प्रे में किया जाता था। CFCs ओजोन परत में जाने और ओजोन अणुओं को तोड़ने के लिए जाने जाते हैं।
- हेलोन: हेलोन का उपयोग आग बुझाने के यंत्रों में किया जाता था। हेलोन भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचाते हैं।
- हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs): HCFCs का उपयोग CFCs के विकल्प के रूप में किया जाता था। HCFCs CFCs की तुलना में कम हानिकारक होते हैं, लेकिन वे अभी भी ओजोन परत को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए उठाए गए कदम:
ओजोन परत की क्षति को सीमित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो CFCs और अन्य ओजोन-क्षयकारी रसायनों के उत्पादन और उपयोग को प्रतिबंधित करता है। मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल को 1987 में हस्ताक्षरित किया गया था और यह ओजोन परत की रक्षा में बहुत प्रभावी रहा है।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: वैज्ञानिक ओजोन परत की क्षति के कारणों और प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं। वे ओजोन परत की रक्षा के लिए नए तरीके विकसित कर रहे हैं।
- सार्वजनिक जागरूकता: लोगों को ओजोन परत की क्षति के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जा रहे हैं। लोगों को ओजोन-क्षयकारी रसायनों के उपयोग से बचने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
Q.25 पोषी स्तर किसे कहते हैं?
Ans. पोषी स्तर वह स्तर है जिसमें आहार श्रृंखला के विभिन्न चरणों या स्तरों को कहा जाता है। यह उन जीवों की संरचना होती है जो आहार या ऊर्जा को एक से दूसरे स्तर तक पहुँचाते हैं। आहार श्रृंखला में उत्पादक का पहला स्तान होता है। उत्पादक जीव खुद अपना आहार बनाते हैं, जैसे कि पौधों द्वारा फोटोसिंथेसिस के माध्यम से। उपभोक्ता स्तर पर उपभोक्ता जीव आहार का सेवन करते हैं, जैसे कि हिरन जो पौधों को खाते हैं। मांसाहारियों की आहार श्रृंखला में अधिक उपभोक्ता होते हैं, जैसे कि शेर जो हिरन को खाते हैं।
एक आहार श्रृंखला का उदाहरण निम्नलिखित हो सकता है:
- घास → हिरन → शेर
Important Formula
(1) 2Mg +02→ 2 MgO
Ans. संयोजन
(2) 2PbO+C→2 Pb+ CO₂
Ans. रेडॉक्स
(3) ZnO C→ Zn + CO
Ans. रेडॉक्स
(4) CuO+H2→ Cu + H₂O
Ans. रेडॉक्स
(5) Pb+ CuCl2 → PbCl2 + Cu
Ans. विस्थापन
(6) CuSO4+Zn→ ZnSO4 + Cu
Ans. विस्थापन
(7) CuSO4 + Fe→ FeSO4 + Cu
Ans. विस्थापन
(8) AgNO3 + KCl → AgCl + KNO3
Ans. द्विविस्थापन
(9) CaO + H₂O → Ca(OH)2 + ऊष्मा
Ans. संयोजन व ऊष्माक्षेपी
(10) 2Pb (NO3)2 —Δ— 2PbO + 4NO₂ + O2
Ans. वियोजन
(11) 2FeSO4 ऊष्मा Fe₂O3 + SO₂+ SO3
Ans. वियोजन
(12) Na2SO4+ BaSO4→ BaSO4 + 2NaCl
Ans. द्विविस्थापन
(13) Fe₂O3+2AI→ Al₂O3 + 2Fe
Ans. विस्थापन
(14) MnO2+4HCl → MnCl2 + 2H,O + Cl₂
Ans. रेडॉक्स
(15) CaCO3 —Δ— A, CaO + CO2
Ans. वियोजन