Bihar Board 12th Biology Exam 2024 : VVI Important जीवविज्ञान Top 50 सब्जेक्टिव प्रश्न (Subjective Question) उत्तर के साथ; रटलो 1 फरवरी के लिए

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बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (BSEB) द्वारा आयोजित बिहार बोर्ड 12वीं की जीव विज्ञान परीक्षा 1 फरवरी, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा में जो कल बोर्ड परीक्षा में आने जा रही है प्रश्न वह प्रश्न आज आपको मिलने जा रही है तो उसे प्रश्न पत्र को अवश्य अच्छा सा अच्छा मार्क्स लाएं।
इस लेख में, हम आपको बिहार बोर्ड 12वीं जीव विज्ञान परीक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण Top 50 सब्जेक्टिव प्रश्न (Class 12th Biology Subjective Question) प्रदान कर रहे है जो आपके यहां पर हूबहू क्वेश्चन मिलेगी तो आप सभी लोग इस आर्टिकल को शुरू से अंत तक अवश्य पढ़े हैं. छात्रों को इन प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।
Bihar Board Inter Biology Viral Question 2024
प्रश्न 1. पारितंत्र क्या है या पारिस्थितिक तंत्र ?
उत्तर - किसी स्थान विशेष में पाए जाने वाले जैविक तथा अजैविक घटकों के पारस्परिक संबंधों को सामूहिक रूप से पारितंत्र कहते
अथवा
जीवो के समूह जो पारस्परिक क्रिया करते हैं तथा वातावरण के साथ भी क्रियाएं प्रकार के होते हैं
1. स्थलीय पारितंत्र : जंगल, घास के मैदान तथा मरूस्थल आदि कुछ स्थलीय पारितंत्र है
2. जलीय पारितंत्र : झीलें, तालाब, दलदली क्षेत्र, नदियाँ एवं ज्वार नदमुख (एस्टुअरी) आदि कुछ जलीय पारितंत्र के उदाहरण हैं।
3. कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र: मानव निर्मित पारितंत्र के रूप में शस्यभूमि एवं जलजीवशाला को माना जा सकता है
(i). प्राकृतिक पारितंत्र: इस प्रकार के पाए तंत्र के अंतर्गत झील, जंगल, तालाब, दलदली क्षेत्र, नदियां समुद्र, एवं ज्वार, इत्यादि प्राकृतिक पारितंत्र करत है
(ii) मानव निर्मित पारितंत्र: इस प्रकार के पारितंत्र के अंतर्गत कृषि, भूमि, बगीचा, पार्क, फुलवारी, मछली घर इत्यादि आते हैं
प्रश्न 2. अपघटन क्या है ?
उत्तर - अकार्बनिक तत्व जैसे कार्बन डाइऑक्साइड जल एवं पोषकों में खंडित करने में सहायता करते हैं अपघटन कहलाते हैं
प्रश्न 3. जैविक घटक क्या है यह कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर - इस प्रकार के घटक के अंतर्गत पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीव को सम्मिलित किया गया है इन्हें तीन वर्गों में बांटा गया है
(i) उत्पादक : हरे पौधे जो भोजन का संश्लेषण स्वयं करते हैं उत्पादक कहते हैं
(II) उपभोक्ताः पौधे और उनके विभिन्न उत्पादकों को उपभोक्ता कहते हैं
(ii) अपघटन कर्ता: यह मृत उत्पादक तथा उपभोक्ताओं का अपघटन करते हैं इससे उत्पन्न पोषक और गैसों को वातावरण में छोड़ देते हैं अपघटन कहलाते हैं
प्रश्न 4. ऊर्जा प्रवाह क्या है ?
उत्तर - गहरे समुद्र के जल तापीय पारितंत्र को छोड़कर पृथ्वी पर सभी पारितंत्र के लिए सूर्य प्रकाश एक मात्र ऊर्जा का स्त्रोत है पादप प्रकाश संश्लेषण सक्रिय विकिरण ग्रहण करते हैं
प्रश्न 5. प्राथमिक उपभोक्ता द्वितीय उपभोक्ता तृतीयक उपभोक्ता को उदाहरण सहित लिखे ?
1. प्राथमिक उपभोक्ता: वैसे उपभोक्ता जो शाकाहारी जीवो से आहार पूर्ति करते हैं जैसे जंतुप्लवक, टिड्डे एवं गाय etc
2. द्वितीय उपभोक्ता: वैसे उपभोक्ता जो मांसाहारी जीवो या भक्षि पर आश्रित होता है जैसे पक्षी, मछलियाँ, भेड़िया etc
3. तृतीय उपभोक्ता: वैसे उपभोक्ता जो अपने भोजन प्राथमिक मांसाहारी पक्षियों पर आश्रित रहते हैं जैसे मनुष्य, शेर etc
प्रश्न 6. पोषी स्तर क्या है परिभाषित करें ?
उत्तर - सभी जीव अपने जीवन में पोषण आहार के स्त्रोत के आधार पर आहार श्रृंखला में एक विशेष स्थान ग्रहण करते हैं पोषी स्तर कहलाता है
प्रश्न 7. ऊर्जा प्रवाह के 10 परसेंट का नियम क्या है ?
उत्तर - विभिन्न पारितंत्र तंत्रों में ऊर्जा प्रवाह के अध्ययन के लिए लेडेमेन 1942 ईस्वी में एक महत्वपूर्ण नियम दिया जिसे ऊर्जा प्रवाह का नियम कहते हैं
इस नियम के अनुसार श्रृंखला के प्रत्येक पोषण स्तर पर कुल ऊर्जा के 10% ऊर्जा का स्थानांतरण है तथा शेष 90% ऊर्जा का व्यवहार विभिन्न प्रकार से खर्च हो जाता है
प्रश्न 8. पारितंत्र पिरामिड क्या है या कितने प्रकार होते हैं ?
उत्तर - एक खाद्य श्रृंखला में उत्पाद और प्रथम द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के उपभोक्ताओं की संख्या तथा उनके बीच का संबंध एक निश्चित अनुपात रहता है और अंत में उत्तर श्रेणी के मांसाहारी उपभोक्ता की संख्या सबसे कम
यह तीन प्रकार के होते हैं
(i) संख्या का पिरामिड: उत्पादक एवं प्रथम द्वितीय तृतीय श्रेणी के उपभोक्ता के बीच संख्या के आधार पर जो संबंध स्थापित होता है उसे संख्या का पिरामिड कहते हैं
वृक्ष के इकोसिस्टम पारितंत्र में संख्या का पिरामिड हमेशा उल्टा होता है यह परजीवी पारितंत्र कहलाता है
(II) जैव भार के पिरामिड: इनमें प्रत्येक पोषण स्तर जैव भार को दर्शाते हैं ए पिरामिड भी अधिकांश तो सीधे होते हैं
(iii) ऊर्जा का पिरामिड: यह हमेशा सीधा होता है क्योंकि उत्पादक में सबसे अधिक सौर ऊर्जा संचित रहता है जो क्रमशः घटते क्रम में सर्वोच्च उपभोक्ता में संचित होता है।
प्रश्न 9. उत्पादकता क्या है या कितने प्रकार के होते हैं लिखें
उत्तर - हरे पौधे जो अपना भोजन प्रकाश संश्लेषण के द्वारा संग्रहित करते हैं उसे हम उत्पादकता कहते हैं यह दो प्रकार होते हैं
(i). प्राथमिक उत्पादक: हरे पादपों द्वारा एक निश्चित समयावधि में प्रति इकाई क्षेत्र द्वारा उत्पन्न किये गये जैव पदार्थ या कार्बनिक सामग्री की मात्रा को प्राथमिक उत्पादन कहते हैं। जैव मात्रा के उत्पादन की दर को उत्पादकता कहते हैं। । इसे भार (92) या ऊर्जा (Kcal m-2) के रूप में व्यक्त किया जा सकता है
(ii). द्वितीय उत्पादक: विषमपोषी द्वारा नए कार्बनिक पदार्थ की निर्माण की द्वितीय उत्पादकता कहता है
प्रश्न 10. कार्बन चक्र के बारे में समझाएं
उत्तर - पृथ्वी पर जितने जीव जीवित है उनमें 49% कार्बन उपस्थित होते हैं प्रत्येक कार्बनिक घटक में कार्बन उपस्थित होता है कार का मुख्य महासागर, कार्बोनेट की चट्टान, कोयला, लकड़ी के जलाने जंगली आग एवं जीवाश्म ईंधन कारण के जलने के कार्बन सामग्री आदि अतिरिक्त स्त्रोत द्वारा वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त किया जाता है के स्वपोषी हरे पौधे वायुमंडल में CO2 लेकर प्रकाश संश्लेषण द्वारा खाद बनाते हैं जिनको अन्य जीब ग्रहण करते हैं मांसाहारी जी भी शाकाहारी जीवो से कार्बनिक भोजन प्राप्त करते हैं समुद्र में 71% कार्बन विलेय रूप में विद्यमान है
प्रश्न 11. आहार श्रृंखला तथा आहार जाल में विभेद करें।
उत्तर - आहार श्रृंखला तथा आहार जाल में अंतर
आहार श्रृंखला:
(I) आहार श्रृंखला जीवों का वह क्रम है जिसमें पारितंत्र के एक जीव से दूसरे जीव में भोजन स्थानांतरित होती है।
(ii) इसमें जीवों की संख्या सीमित होती है।
आहार जाल
(i) आहार जाल आहार-शृंखलाओं का एक नेटवर्क होता है जिसमें आहार श्रृंखलाएँ आपस में मिलकर आहार जाल बनाती है। इसमें जीवधारियों को भोजन प्राप्त करने के अनेक वैकल्पिक रास्ते होते हैं।
(ii) इसमें अपेक्षाकृत जीवों की संख्या अधिक या असीमित हो सकती है।
प्रश्न 12. पारिस्थितिक तंत्र से आपका क्या अभिप्राय है? इसे कितने भागों में बाँटा गया है?
उत्तर - फिट्जपैट्रिक ने 1974 में पारिस्थितिक तंत्र को इस प्रकार परिभाषित किया कि "जीवों के समूह जो पारस्परिक क्रियाएँ करते हैं तथा वातावरण के साथ भी क्रियाएँ करते हैं, उसे पारिस्थितिक तंत्र कहते हैं। "
इसे तीन प्रमुख प्रकारों में बांटा जा सकता है
(i) स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र
(ii) जलीय पारिस्थितिक तंत्र
(iii) कृत्रिम पारिस्थितिक तंत्र प्रश्न
13. आयु पिरामिड क्या है?
उत्तर - किसी जीव की समष्टि में उसकी आयु की अनेक समूहों के अनुपात को रेखागणितीय रूप से दर्शाने वाले मॉडल आयु पिरामिड कहलाते हैं। इसके तीन रूप हैं
(i) विस्तृत आधार वाला पिरामिड वयस्कों का प्रतिशत अधि
(ii) घंटीनुमा बहुभुज वयस्कों की संख्या कम परन्तु वृद्धों से अधिक होती है।
(iii) कलशनुमा आकृति: वयस्कों के आयु के कम करना।
प्रश्न 14. प्राथमिक उत्पादकता क्या है?
उत्तर - हरे पादपों द्वारा एक निश्चित समयावधि में प्रति इकाई क्षेत्र द्वारा उत्पन्न किये गये जैव पदार्थ या कार्बनिक सामग्री की मात्रा को प्राथमिक उत्पादन कहते हैं। जैव मात्रा के उत्पादन की दर को उत्पादकता कहते हैं ।
इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है -
(i) सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP)
(ii) ने प्राथमि उत्पादकता (NPP)
जहाँ R = Respiration loses ( श्वसन द्वारा क्षति)
(ii) सकल प्राथमिक उत्पादकता प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बनिक तत्व का उत्पादन दर/
(ii) शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता सकल प्राथमिक उत्पादकता श्वसन के दौरान
प्रश्न 15. आहार जाल किसे कहते हैं? एक मैदानी पारिस्थितिकी तंत्र के दो आहार श्रृंखलाओं के जीवों के नाम लिखें।
उत्तर - पारितंत्र में पाये जाने वाले अनेक खाद्य शृंखलाएँ आपस में सम्बन्धित होते हैं। अनेक खाद्य शृंखलाओं के संबंधित होने से एक जाल जैसी संरचना बनाती है जिसे खाद्य (आहार) जाल कहते हैं।
दो आहार श्रृंखलाओं वाले जीवों के नाम
(i) खरगोश तथा (ii). बाज
घास- बकरी - बाघ
प्रश्न 16. एक पारिस्थितिकी तंत्र से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - पारिस्थितिकी तंत्र : बायोटिक समुदाय तथा उसके वातावरण को एक साथ पारिस्थितिकी तंत्र कहा जाता है।
17. पारितंत्र में कितने प्रकार के पिरामिडों का निर्माण हो सकता है ? उदाहरण सहित लिखें जाते हैं।
उत्तर - (i) संख्या का पिरामिड-तालाब पारितंत्र - जिसमें उत्पादक सबसे अधिक तथा उपभोक्ता उत्तरोत्तर कम होते जाते हैं।
(ii) जैवभार का रामिड-वन पारितंत्र - जिसमें उत्पादकों का भार अधिक तथा उपभोक्ता क्रमशः कम जैवभार वाले
(iii) ऊर्जा पेरामिड - हमेशा ऊर्ध्वाधर । जो क्रमशः अगले पोषण स्तर में कम होता जाता है।
प्रश्न 18. किसी पारिस्थितिक तंत्र के सभी अवयवों का वर्णन करें।
उत्तर - पारिस्थितिक तंत्र के अवयव पारितंत्र को प्रकृति की एक क्रियाशील इकाई के रूप में देखा जाता है, जहाँ पर जीवधारी आपस में तथा आसपास के भौतिक पर्यावरण के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। । जैविक एवं अजैविक घटकों की परस्पर क्रियाओं के फलस्वरूप एक भौतिक संरचना विकसित होती है, जो प्रत्येक प्रकार के पारितंत्र की विशिष्टता है।
अजैविक घटक के अंतर्गत अजैव घटक
(i) Inorganic Substances जैसे कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीज जल, CO2, Ca इत्यादि ।
(ii) Organic Compounds जैसे कार्बोहाइड्रेट्स, प्रोटीन, लिपिड, न्यूक्लिक अम्ल आदि मृत कार्बनिक पदार्थों में पाये जाते हैं। इसका विखंडन बैक्टीरिया एवं कवक जैसे- अपघटक द्वारा होता है।
(iii) Climatic Factors इसके अंतर्गत प्रकाश, ताप, आर्द्रता, हवा, जल, वायुमंडलीय गैसें आदि आते हैं।
प्रश्न 19. उत्पादकता की धारणा को समझाएँ । प्राथमिक उत्पादकता क्या है? इसको प्रभावित करनेवाले कारकों के बारे में लिखें।
उत्तर - उत्पादक: हरे पौधे जो भोजन का संश्लेषण स्वयं करते हैं उत्पादक कहते हैं उत्पादकता के लिए तीन चीजें आवश्यक हैं
(a) उत्पादन की दर, (b) प्रति इकाई क्षेत्रफल एवं (c) इकाई समय।
उत्पादकता दो प्रकार की होती है
(1) प्राथमिक उत्पादकता और (2) द्वितीयक उत्पादकता।
(a)प्राथमिक उत्पादकता हरे पादपों द्वारा एक निश्चित समयावधि में प्रति इकाई क्षेत्र द्वारा उत्पन्न किये गये जैव पदार्थ या कार्बनिक सामग्री की मात्रा को प्राथमिक उत्पादन कहते हैं। जैव मात्रा के उत्पादन की दर को उत्पादकता कहते हैं।
इसे दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) सकल प्राथमिक उत्पादकता (GPP): सकल प्राथमिक उत्पादकता प्रकाश संश्लेषण के दौरान कार्बनिक तत्व का उत्पादन दर को सकल प्राथमिक उत्पादकता कहलाता है
(ii) शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता (NPP) : शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता सकल प्राथमिक उत्पादकता श्वसन के दौरान को नेट प्राथमिक उत्पादकता कहलाता
(2) द्वितीयक उत्पादकता- उत्पादकों द्वारा प्रकाश - संश्लेषण एव रसायन संश्लेषण से सैर ऊर्जा को कार्बनिक यौगिकों में परिवर्तित करने की दर को प्राथमिक उत्पातकता कहते है इसे प्रति इकाई समय एव क्षेत्रफ़ल में मापा जाता है, इसे सकल एव शुद्ध प्राथमिक उत्पादकता में विभाजित किया जा सकता है
प्रश्न 20. अनुकूलन क्या है? मरुस्थल में पाए जाने वाले पौधों में किस प्रकार का अनुकूलन पाया जाता है?
उत्तर - जीवों का कोई एक ऐसा गुण जो उसे अपने आवास में जीवित बने रहने और जनन करने के योग्य बनाता है उसे अनुकूलन कहते हैं।
ये दो प्रकार का होता है- अस्थायी और स्थायी । उदाहरण के लिए, तेज प्रकाश के कारण पुतली का सिकुड़ना, अस्थायी अनुकूलन है जबकि पक्षियों में उड़ने के लिए अग्रपादों का पंखों में परिवर्तित होना स्थायी अनुकूलन है।
निम्न्लिखित अनुकूलन मरुस्थलीय पौधों में पाए जाते हैं
(i) इनकी जड़े बहुत लम्बी, मोटी एवं मिट्टी के नीचे अधिक गहराई तक जाती है।
(ii) इनके तने जल-संचय करने के लिए मांसल और मोटे होते हैं
(iii) वाष्पोत्सर्जन के द्वारा जल की क्षति को रोकने के लिए तथा सामान्यतःतना क्यूटिकलयुक्त तथा घने रोम से भरा होता है।
(v) पत्तियों में जल संचय करने योग्य ऊतक होते हैं।
(vi) रंध्र स्टोमेटल कैविटी में धँसे रहते हैं। मरुस्थलीय पौधों के गफनी, यूफोर्बिया, आर्जेमोन इत्यादि
Q.21. निम्नांकित को परिभाषित करें । (2009)
a. क्लोनिंग स्थल
b. माइक्रो इन्जेक्शन
उत्तर - a. क्लोनिंग स्थल - जैव प्रौद्योगिकी में क्लोनिंग स्थल संवाहक में उस स्थल को कहते है, जहां वांछित DNA को स्मावेशित किया जाता है और क्लोनिंग संवाहक में इसी स्थल पर प्रतिबंधन एंजाइम भी क्रिया करते है।
b. माइक्रो इंजेक्शन – जैव प्रौद्योगिकी में कोशिका के अंदर सीधे वांछित जीन को प्रवेश करवाने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है, इस प्रयोग में सूक्षम इंजेक्शन उपकरण का उपयोग होता है।
Q.22. द्विविखंडन तथा बहुविखंडन को उदाहरण के साथ समझाएँ । (2009)
उत्तर - : द्विविखंडन – द्विविखंडन एक प्रकार का अलैंगिक प्रजनन है जहाँ एक मूल कोशिका विभाजित होती है, जिसके परिणामस्वरूप दो समान कोशिकाएँ निर्मित होती हैं, जो अपने जनक के शारीरिक और आनुवंशिक रूप से एकदम समान क्लोन होती है।
यह प्रक्रिया अमीबा, पैरामीशियम, साइनोबैक्टरीया आदि में पाए जाती है।
बहुविखंडन - यह अलैंगिक जनन की एक विधि है जिसमें एक जनक कोशिका अपने केंद्रक को बार-बार विभाजित करके बहु केंद्रकीय कोशिका में बदलता है, तथा पुनः यह कोशिका अपने आप को कई भागों में विभाजित कर के नई संततियों का निर्माण करती है ।
इस प्रक्रिया का सामान्य उदहारण प्लास्मोडियम है।
Q.23. सहप्रभाविता तथा अपूर्ण प्रभाविता को परिभाषित करें। (2010)
उत्तर - : विषमयुग्मकी अवस्था में जब किसी लक्षण के दोनों ही जीन पूरी तरह से संतान में प्रकट नहीं हो पाते हैं और एक नया माध्यमिक लक्षण प्रकट करते हैं तो यह घटना अपूर्ण प्रभाविता कहलाती है | उदाहरण - स्नेपड्रैगन में लाल और सफेद पुष्प में संकरण से गुलाबी पुष्प उत्पन्न होना
विषमयुगमकी अवस्था में जब किसी लक्षणके दोनों ही एलील एक साथ प्रकट हो जाए तो इसे सहप्रभावित रहते हैं जैसे मानव में AB रक्त समूह
Q.24. जी०एम० ओ० पर प्रकाश डालें। (2010)
उत्तर - : ऐसे सजीव ( पादप, जंतु, सूक्ष्मजीव ) जिनके अनुवांशिक पदार्थ में किसी बाह्य जीन को जोड़ कर परिवर्तन लाया जाता है, उन्हे अनुवांशिकता रूपांतरित जीव कहते है । ये हमारे लिए कई रूप में लाभदायक है ।
जैसे - Bt फसल।
Q.25. मानव अंडाशय के अनुप्रस्थ काट का स्वच्छ एवं नामांकित चित्र बनाएँ। (2011)
उत्तर -:
Q.26. एक प्रारूपिक प्रतिपिंड (प्रतिरक्षी) का स्वच्छ नामांकित चित्र बनाएँ।
उत्तर -:
Q.27. निम्नांकित पर संक्षेप में लिखें-
(a) बी.ओ.डी.
(b) ऊर्णक
उत्तर -:
(a) बी.ओ.डी. - इसी बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड कहते हैं, यह जल में उपस्थित ऑक्सिजन की उस मात्रा को प्रदर्शित करता है जो एक लीटर जल में उपस्थित कार्बनिक पदार्थ को अपघटित करने में जीवाणु द्वारा उपयोग की जाती है।
(b) ऊर्णक - वाहित मल उपचार संयंत्र के द्वितीयक टैंक में सूक्ष्मजीव के द्वारा कार्बनिक पदार्थ को अपघटित किया जाता है, इसके लिए वायवीय जीवाणु और कवक मिलकर संरचना का निर्माण करते है, जिसे उर्णक कहते है।
Q.28. जीन चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? एडिनोसिन डीएमिनेज की कमी का उदाहरण देते हुए वर्णन करें । (2012)
उत्तर -: इस जीन चिकित्सा जैव प्रौद्योगिकी का चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साधन है, तकनीक में दोषपूर्ण जीन के स्थान पर सक्रिय जीन को रोगी में भेजा जाता है।
जैसे - 1990 में एक चार वर्षीय बच्ची में ADA की कमी को दूर करने के लिए ADA जीन को लिम्फोसाइट में प्रवेश करा कर रोग का इलाज किया गया ।
Q.29. किण्वित पेय क्या है ? इनका उत्पादन कैसे होता है ? (2013)
उत्तर -: किणवित पेय फूलों का वह रस है जिसमे सूक्ष्मजीव के द्वारा ऑक्सिजन की अनुपस्थिति में एथेनॉल (अल्कोहल) का उत्पादन हो । फलों के रस को ऐसे बर्तन में रखा जाए जिसमे सूक्ष्मजीव जैसे यीस्ट उपस्थित हो उसमे ऑक्सिजन की अनुपस्थिति में अल्कोहल का निर्माण होता है।
Q.30. किसी चार यौन संचारित रोगों के नाम, उनके कारक रोगाणुओं के साथ लिखें। [2013]
उत्तर -:
- गोनोरिया - निसेरिया गोनोरी
- सिफलिस ट्रेपोनेमा पैलिडम
- एड्स – HIV
- यकृतशोथ- हेपेटाइटिस
Q.31. बंध्याकरण क्या है? इसके तरीकों का उल्लेख करें।
उत्तर -: शल्य क्रिया द्वारा मानव में स्थायी गर्भनिरोधक की प्रक्रिया को ही बंध्याकरण कहते है ।
इसके प्रमुख रूप से दो साधन होते है –
शुक्रवाहिका विच्छेदन - इसे पुरुष नसबंदी कहते है जिसमे शुक्रवाहिका को काट कर बांध दिया जाता है ।
अंडवाहिनी विच्छेदन- इसे महिला नसबंदी भी कहते है जिसमें अंडवाहिनी को काट कर बांध दिया जाता है ।
Q.32. कार्पस ल्युटियम का क्या कार्य है? (2009)
उत्तर -: कार्पस ल्यूटियम अंडाशय में अंडोस्तसर्ग के बाद बनने वाली संरचना है, जो प्रोजेस्ट्रॉन का स्त्रावण करता है जिसका कार्य गर्भाशय अंत स्तर को बने रखना होता है।
Q.33. निकोटिन के क्या प्रभाव हैं ? (2015)
उत्तर -: निकोटिन एक उत्तेजक पदार्थ है, जोकि तंबाकू से प्राप्त होता है, यह तंत्रिका तंत्र, ह्रदय परिसंचरण तंत्र, वृक्क पर दुष्प्रभाव डालता है, यह कैंसर कारक होता है, और मुंह और फेफड़े के कैंसर का प्रमुख करके है।
Q.34. शुक्राणुजनन तथा अंडजनन के बारे में लिखें। (2015)
उत्तर -: पुरुषों में किशोरावस्था में आने पर शुक्राणु बनने की प्रक्रिया को शुक्राणु जनन कहा जाता है, इस प्रक्रिया में अर्धसूत्री विभाजन के द्वारा 4 शुक्राणु का निर्माण होता है।
स्त्रियों में किशोरावस्था में पहुंचने पर मादा युग्मक अंडाणु के निर्माण की प्रकिया को अंडाणुजनन कहते है, यह सभी प्रक्रिया हार्मोस के द्वारा नियंत्रित होती है।
Q.35. किसी एक उदाहरण के साथ पृथक्करण के नियम का वर्णन करें। (2016)
उत्तर -: इस नियम के अनुसार जीव ने युग्मक निर्माण के दौरान एलील के जोड़े पृथक होकर अलग अलग युगमको में वंशगत होते है।
मेंडल ने मटर के पौधे के F2 पीढी में 3:1 में लंबे और बौने पौधे देखे जिस से इस नियम की पुष्टि हुई।
Q.36. रामापिथिकस और ड्रायोपिथिकस में अन्तर स्थापित करें। (2016 )
उत्तर -: ड्रायोपिथेकस यह प्रथम मानव पूर्वज था जो कपि की भांति था और कभी कभी द्विपदगमन करता था, यह मानव और कपि का पूर्वज था इसकी कपाल गुहा का आयतन 400 cc था।
रामापिथेकस यह मनुष्य की भांति था जिसमे अधिक द्विपदगामन था, यह बंदर और मानव का पूर्वज था और इसकी कपाल गुहा का आयतन 500-600 cc था।
Q.37.ह्य स्थान संरक्षण पर प्रकाश डालें। (2016 )
उत्तर -: बाह्य स्थाने संरक्षण का आशय पौधे अथवा जंतु को उनके प्राकृतिक आवास या मूल वातावरण के बाहर एक अलग स्थान पर संरक्षित करना होता है, जैसे बीज बैंक, जीन बैंक आदि।
Q.38.नवों में मादा / स्त्री जनन तंत्र का नामांकित चित्र बनाएँ। (2016)
उत्तर -:
Q.39. बाहित मल क्या है? इनके उपचार की किसी एक विधि का संक्षिप्त विवरण दें। (2022)
उत्तर -: बड़े - बड़े शहरों व कस्बो मे घरो से निकला मनुष्यो का मल व नालियों में बहुता गन्दा पानी वाहित मल कहलाता है। इस वाहित मल को सीधे किसी नदी या झरने में डालना हानिकारक होता है क्योंकि
- इनमें कार्बनिक पदार्थ की मात्रा अधिक है जो जल को दूषित करती है।
- इसमे रोग जनक रोगाणु होते है।
- इसमे हानिकारक भारी धातु / अकार्बनिक यौगिक होते हैं।
- वाहित मल जलाशयो को प्रदूषित कर देता है। इसलिये शहरो मे वाहित मल को उपचारित करने के लिये बड़े- बड़े वाहितमल संयन्त्र लगाये गये है जो पानी को प्रदूषण मुक्त करने के काम आते है।
वाहितमल उपचार के लिए दो चरण होते हैं।
प्राथमिक उपचार - इसमे वाहित मल को भौतिक रूप से उपचारित किया जाता है। इसमे निस्पंदन (Filtration) व अवसादन विधि का उपयोग कर बड़े-छोटे ठोस कणो को अलग किया जाता है। इन्हें भिन्न-भिन्न चरणो में अलग किया जाता है।
आरम्भ में तैरते हुए कूडे -करकट को अनुक्रमिक नियंदन द्वारा हटा दिया जाता है। इसके बाद ग्रिंट (अर्थात छोटे- छोटे पत्थर व मिट्टी कण) को अवसादन द्वारा निष्कासित किया जाता है।
सभी ठोस जो नीचे बैठ जाते हैं व Primary sludge बनाते है तैरता प्राथमिक बहिः स्त्राव कहलाता है। अब primary efficient को प्राथमिक सेटलिंग टैंक से द्वितीय उपचार के लिए ले जाया जाता है।
इसमे बहिः स्त्राव को वायवीय टैंको से ले जाया जाता है और इसे किसी यन्त्र द्वारा हिलाया जाता है। इससे बहिःस्त्राव मे पाये जाने वाले कार्बनिक पदार्थों को वायुवीय जीवाणु अपघटित कर देते हैं, जिससे वाणुओ की संख्या मे तेजी से वृद्धि हो जाती है और ये एक झुण्ड बना लेते है, जिसे ऊर्णक कहते है।
कवक के तन्तु जीवाणु के साथ मिलकर ऊर्जा निर्मित करते है । इस प्रकार कार्बनिक को ये जीवाणु तेजी से कम करते है, इसके कारण बहिःस्त्राव की BOD भी घटने लगती है।
सक्रियीत आपंक को आवायुवीय टैंक में प्रवेश कराया जाता है। आवायुवीय टैंक को अवायुवीय आपक संपाचित्र कहा जाता है। आवायुवीय जीवाणु आपंक को विघटित करने का कार्य करते हैं। मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड व CO2 गैस अपघटन से प्राप्त होती है।
मीथेन, हाइड्रोजन सल्फाइड व CO2 गैस अपघटन से प्राप्त होती है। इससे बायोगैस (गोबर गैस) बनती है।
इस गैस का उपयोग रोशनी करने व खाना बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रकार उपचारित पानी मे प्रदूषक की बहुत कम मात्रा पाई जाती है, जिसे अब किसी भी नदियों, झरनो मे डाला जा सकता है।
Q.40. पर परागण को परिभाषित करें। पर परागण के विभिन्न अभिकर्मकों को लिखें। (2020)
उत्तर -: पर परागण :- इस क्रिया में एक पुष्प के परागकण उसी जाति के अन्य पौधो के पुष्प के वतिकाग्र पर पहुंचते हैं, इस क्रिया को पर परागण कहते है।
पर परागण की विधियाँ :- परागकणों को वतिकाग्र पर पहुंचने के लिए साधन या माध्यम की आवश्यकता होती है, इन साधनों को कर्मक कहते हैं।
ये कर्मक मुख्यता पाँच प्रकार के हो सकते हैं:-
- जल द्वारा परागण :- जब परागण की क्रिया जल के माध्यम से होती है, तो उसे जल द्वारा परागण कहते हैं। Ex- वैलिसनेरिया।
- वायु द्वारा परागण :- जब परागण की क्रिया वायु के माध्यम से होती है, तो उसे वायु द्वारा परागण कहते हैं। Ex. मक्का, गेहूँ आदि।
- कीट द्वारा परागणः- जब परागण की क्रिया कीट द्वारा होती है, तो उसे कीट परागण कहते है। Ex. मधुमक्खी, तितली आदि।
- पक्षी द्वारा परागण:- जब परागण की क्रिया पक्षी द्वारा होती है, तो उसे पक्षी परागण कहते हैं। Ex- बिग्नोनिया।
- चमगादड द्वारा परागण:- जब परागण की क्रिया चमगादड द्वारा होती है तो उसे चमगादड द्वारा परागण कहते है।
परपरागण के लाभ:-
(i) पर परागण द्वारा उत्पन्न बीज बड़े, स्वस्थ व अच्छी नस्ल वाले होते हैं।
(ii) पर परागण से बनने वाले फल बडे व स्वादिष्ट होते हैं।
पर परागण से हानियाँ:-
(i) अधिक परागकणो का व्यर्थ हो जाना ।
(ii) इसमे सदैव साधन की आवश्यकता होती है।
Q.41. अलैंगिक जनन के बारे में अलैंगिक भाषा में टिप्पणी लिखिए ?
उत्तर -: लैंगिक जनन :- जनन की वह विधि जिसमें लैंगिक जनन अंग भाग लेते हैं, लैंगिक जनन कहलाता है।
- नर में नरयुग्मको तथा मादा में मादायुग्मको का निर्माण होता है।
- ये दोनों युग्मक आपस में संयोजित होकर युग्मनज का निर्माण करते है जो विभाजन करके नए जीव का निर्माण करता है।
- यह जनन अलैगिक जनन की तुलना में जटिल व धीमी गति वाला है।
अलैंगिक जनन :- इस जनन प्रक्रिया में केवल एक ही प्राणी भाग लेता हैं अर्थात जिस जनन क्रिया में एक जनक भाग लेता हैं, उसे अलैंगिक जनन कहते हैं ।
- अलैंगिक जनन में युग्मक निर्माण व युग्मक संलयन नहीं होता हैं।
- अलैंगिक जनन में उत्पनन संतति आकार व आनुवांशिक रूप में जनक के समान होती है, जिन्हें ‘क्लोन' कहते हैं।
- अलैंगिक जनन में सभी समसूत्री विभाजन होते हैं।
- अलैंगिक जनन तीव्र गति से होता है।
Q.42. क्लोन या एक पुंजक की परिभाषा बताइए। एक पुंजक एक-एक लाभ एवं हानि के बारे में लिखें।
उत्तर -: आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से (genetically) एक समान जीवों के लिये क्लोन शब्द की रचना की गई है।
अलैंगिक जनन के परिणामस्वरूप जो संतति उत्पन्न होती है, वह केवल एक-दूसरे के समरूप ही नहीं, बल्कि अपने जनक के आनुवंशिक रूप से भी समान होती है। इसलिए अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न संतत्ति को क्लोन (clone) कहा गया है।
लाभ-आकारिकीयं तथा आनुवंशिक रूप से संतति जनक के समान होती है।
हानि-आनुवंशिक विभिन्नताएँ उत्पन्न नहीं होती हैं।
Q.43. संक्रामक रोग क्या है ? किन्हीं तीन संक्रामक रोगों के नाम दीजिए ।
उत्तर -: ऐसे रोग जिसमें संक्रमण कारक तुरन्त संक्रमण उत्पन्न कर देता है, संक्रामक या संचरणीय रोग कहलाते हैं।
उदाहरण- हैजा (बिब्रियो कोलेरी), पोलियो ( पोलियो विषाणु और रेबीज (रेन्डोवाइरस) इत्यादि।
Q.44. प्रतिरक्षी व प्रतिजन के बीच विभेद कीजिए ।
उत्तर -: प्रतिजन - वे कार्बनिक पदार्थ हैं, जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा प्रतिरक्षी का निर्माण करके अनुक्रिया उत्पन्न करते हैं।
प्रतिरक्षी – ये विशेष प्रकार के प्रोटीन्स हैं जो प्रतिजन के प्रति अनुक्रिया के लिए उत्पन्न होते हैं तथा प्रतिजन से शरीर की सुरक्षा करते हैं।
Q.45. भ्रूणकोष की घटक कोशिकाओं के नाम क्या हैं ?
उत्तर -: भ्रूणकोष की घटक कोशिकाओं के नाम इस प्रकार हैं-
(i) अंडा (n)
(ii) द्वितीयक केन्द्रक (2n)
(iii) सहायक कोशिका (n)
(iv) एन्टीपोडल कोशिका (n)
Q.46. ट्रांसजेनिक जन्तुओं के लाभों का वर्णन करें।
उत्तर -: ट्रांसजेनिक जन्तुओं के अनेक लाभ हैं इन जन्तुओं के द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। इन जन्तुओं के माध्यम से ट्रांसजेनिक प्रक्रिया पूरी होती है इसलिए ये जन्तु बहुत उपयोगी नजर आते हैं।
Q.47. प्रतिरक्षी व प्रतिजन के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर -: प्रतिजन - वे कार्बनिक पदार्थ हैं, जो शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा प्रतिरक्षी का निर्माण करके अनुक्रिया उत्पन्न करते हैं।
प्रतिरक्षी - ये विशेष प्रकार के प्रोटीन्स हैं जो प्रतिजन के प्रति अनुक्रिया के लिए उत्पन्न होते हैं तथा प्रतिजन से शरीर की सुरक्षा करते हैं ।
Q.48. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर -: खाद्य उत्पादक को बढ़ाने के लिए कृषि के क्षेत्र में जो प्रयास किए जाते हैं तथा उसके फलस्वरूप उत्पाद में जो वृद्धि होती है, उसे हरित क्रांति कहते हैं।
हरित क्रांति को लाने में निम्नलिखित कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है –
(i) सिंचाई के लिए उपयुक्त प्रबंध होना।
(ii) वैज्ञानिक विधि तथा दृष्टिकोण को कृषि के क्षेत्र में उपयोग में लाना।
Q.49. सहभोजिता को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर -: ऐसी पारस्परिक क्रिया जिसमें एक जाति को लाभ होता है और दूसरी को न लाभ होता है न हानि, उसे सहभोजिता कहते हैं; जैसे— आर्किड का आम के वृक्ष की शाखाओं पर उगना ।
Q.50. ध्वनि प्रदूषण से आप क्या समझते हैं? इसके दुष्परिणामों का उल्लेख करें।
उत्तर -: ध्वनि प्रदूषण: 40 dB से अधिक तीव्रता वाली ध्वनि के कारण ज्ञानेंद्रियाँ सहित मानव शरीर के अन्य भागों पर पड़ने वाले कुप्रभावों को ध्वनि प्रदूषण कहते हैं।
दुष्परिणाम प्रभाव : कर्णपटल के क्षतिग्रस्त होने के कारण सुनने में बाधा, दूसरे व्यक्ति से बात करने में बाधा।
तनाव, नेत्रदोष, सरदर्द, अनिंद्रा आदि रोगों का उत्पन्न होना।
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