Bihar Board Metric Hindi Exam 2025 : कक्षा 10 हिन्दी VVI महत्वपूर्ण ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न उत्तर के साथ

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Bihar Board Metric Hindi Viral Question 2025: बिहार बोर्ड 10वीं हिन्दी परीक्षा 2025 (BSEB Metric Viral Question 2025) के लिए सबसे महत्वपूर्ण और वायरल प्रश्न यहां दिए गए हैं। इस आर्टिकल में हम आपको सभी प्रमुख ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव प्रश्न प्रदान कर रहे हैं, जो आगामी परीक्षा में पूछे जा सकते हैं।
इन प्रश्नों को अच्छे से तैयार करके आप अपनी परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं। सभी छात्रों से अनुरोध है कि इस आर्टिकल को ध्यानपूर्वक पढ़ें और आगामी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को और बेहतर बनाएं।
Bihar Board Class 10th Hindi Most Important Question 2025
आप नीचे दिए गए हिन्दी के Most VVI Question (BSEB Metric Important Question 2025) के महत्वपूर्ण प्रश्न को अच्छी तरह से पढ़ सकते है। अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है, जिससे हिन्दी के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते हैं।
Bihar Board Class 10th Hindi Most Important Objective Question 2025
1. डॉ० भीमराव अम्बेदकर का जन्म कब हुआ ?
(a) 14 अप्रैल, 1988
(b) 14 अप्रैल, 1989
(c) 14 अप्रैल, 1890
(d) 14 अप्रैल, 1891
Answer :- (d) 14 अप्रैल, 1891
2. अम्बेदकर का जन्म किस परिवार में हुआ था ?
(a) ब्राह्मण
(b) क्षत्रिय
(c) दलित
(d) कायस्थ
Answer :- (c) दलित
3. विष के दांत’ शीर्षक कहानी के कहानीकार कौन हैं ?
(a) मोहन राकेश
(b) कमलेश्वर
(c) प्रेमचंद
(d) नलिन विलोचन शर्मा
Answer :- (d) नलिन विलोचन शर्मा
4. विष के दाँत कैसी कहानी है ?
(a) सामाजिक
(b) ऐतिहासिक
(c) धार्मिक
(d) मनोवैज्ञानिक
Answer :- (d) मनोवैज्ञानिक
5. नालंदा विश्वविद्यालय कहाँ पर स्थित है ?
(a) बिहार में
(b) उत्तर प्रदेश में
(c) मध्य प्रदेश में
(d) गुजरात में
Answer :- (a) बिहार में
6. सर विलियम जोन ने भारत की यात्रा कब की थी ?
(a) 1957 ई. में
(b) 1750 ई में
(c) 1790 ई. में
(d) 1783 ई. में
Answer :- (d) 1783 ई. में
7. महाभारत’ क्या है?
(a) उपन्यास
(b) कहानी
(c) शास्त्र
(d) पुराण
Answer :- (d) पुराण
8. ‘देवताओं का राजा’ से किन्हें सम्बोधित किया जाता है ?
(a) महादेव
(b) विष्णु
(c) इन्द्र
(d) ब्रह्मा
Answer :- (c) इन्द्र
9. कौन मनुष्य का आदर्श नहीं बन सकती ?
(a) शेर
(b) बदरियाँ
(c) भालू
(d) हाथी
Answer :- (b) बदरियाँ
10. किस देश के लोग बड़े-बड़े नख पसंद करते थे ?
(a) गौड़ देश
(b) कैकय
(c) वाहीक
(d) गांधार
Answer :- (a) गौड़ देश
11. कौन छोटे नखों को पसंद करते थे ?
(a) दाक्षिणात्य
(b) पौर्वात्य
(c) मालव
(d) मध्यदेशीय
Answer :- (a) दाक्षिणात्य
12. नेपाली भाषा किस लिपि में लिखी जाती है ?
(a) गुरूमुखी लिपि मे
(b) खरोष्ट लिपि में
(c) ब्राह्मणी लिपि में
(d) देवनागरी लिपि में
Answer :- (d) देवनागरी लिपि में
13. मराठी भाषा की लिपि कौन-सी है?
(a) ब्राह्मी
(b) नंदिनागरी
(c) देवनागरी
(d) मराठी लिपि
Answer :- (c) देवनागरी
14. ‘मौत का नगर’ किस लेखक की कहानी-संग्रह है ?
(a) अनामिका
(b) महादेवी वर्मा
(c) डॉ० रामविलास शर्मा
(d) अमरकान्त
Answer :- (d) अमरकान्त
15. ‘परम्परा का मूल्यांकन’ पाठ के रचनाकार हैं-
(A) यतीन्द्र मिश्र
(B) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(C) रामविलास शर्मा
(D) गुणाकर मूले
Answer :- (C) रामविलास शर्मा
16. ‘जित-जित मैं निरखत हूँ’ किस विधा की रचना है ?
(A) व्यक्ति चित्र
(B) निबंध
(C) आत्मकथा
(D) साक्षात्कार
Answer :- (D) साक्षात्कार
17. दिल्ली में हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक स्कूल किनका था ?
(A) निर्मलाजी का
(B) विमलाजी का
(C) श्यामाजी का
(D) प्रतिभाजी का
Answer :- (A) निर्मलाजी का
18. ‘एक पतंग अनंत में’ किनकी रचना है ?
(A) गुणाकर मूले
(B) यतीन्द्र मिश्र
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(D) अशोक वाजपेयी
Answer :- (D) अशोक वाजपेयी
19. ‘पेड़ पर कमरा’ किनकी रचना है ?
(A) वीरने डंगवाल
(B) रामविलास शर्मा
(C) रामचन्द्र शुक्ल
(D) विनोद कुमार शुक्ल
Answer :- (D) विनोद कुमार शुक्ल
20. ‘नौकर की कमीज’ किस विधा की रचना है ?
(A) निबंध
(B) कहानी
(C) नाटक
(D) उपन्यास
Answer :- (D) उपन्यास
21. बालाजी मंदिर काशी में किस घाट पर अवस्थित है ?
(A) अस्सी घाट
(B) पंचगंगा घाट
(C) हरिश्चन्द्र घाट
(D) दशाश्वमेघ घाट
Answer :- (B) पंचगंगा घाट
22. बिस्मिल्ला खाँ को किस चीज का बुखार था ?
(A) शहनाई बजाने का
(B) ढोल बजाने का
(C) गाना गाने का
(D) फिल्म देखने का
Answer :- (A) शहनाई बजाने का
23. गाँधीजी को ‘महात्मा’ की उपाधि किसने दी ?
(A) भीमराव अंबेडकर
(B) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(D) जवाहर लाल नेहरू
Answer :- (B) रवीन्द्रनाथ ठाकुर
24. महात्मा गाँधी का जन्म स्थान है-
(A) पोरबंदर
(B) सूरत
(C) साबरमती
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer :- (A) पोरबंदर
25. महात्मा गाँधी की रचना है-
(A) शिक्षा में हेरफेर
(B) शिक्षा और संस्कृति
(C) गेहूँ और गुलाब
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer :- (B) शिक्षा और संस्कृति
26. दस्तकारी का अर्थ है-
(A) यंत्र पर आधारित
(B) कौशल
(C) हस्त कोशल
(D) दस्तक देनेवाला
Answer :- (C) हस्त कोशल
27. अमल का अर्थ है-
(A) व्यवहार
(B) अव्यावहारिक
(C) स्वच्छ
(D) अस्वच्छ
Answer :- (A) व्यवहार
28. ‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ किसकी रचना है ?
(A) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की
(B) डॉ. सम्पूर्णानन्द की
(C) महर्षि अरविन्द की
(D) महात्मा गाँधी की
Answer :- (D) महात्मा गाँधी की
29. रीति मुक्त काव्यधारा के सिरमौर कवि किन्हें माना जाता है?
(A) प्रेमधन
(B) घनानंद
(C) रसखान
(D) कबीर
Answer :- (B) घनानंद
30. ‘डफाली’ का अर्थ क्या है?
(A) गानेवाला
(B) भाषाविद्
(C) बाजा बजानेवाला
(D) नर्तक
Answer :- (C) बाजा बजानेवाला
31. सुमित्रानंदन पंत ने ‘मिट्टी की प्रतिमा उदासिनी’ किसे कहा है ?
(A) मूर्ति
(B) माता
(C) विमाता
(D) भारतमाता
Answer :- (D) भारतमाता
32. ‘दिनकर’ ने अपनी पढ़ाई कहाँ तक की?
(A) इंटरमिडियट
(B) बी० ए० ऑनर्स
(C) एम० ए० ऑनर्स
(D) पी-एच. डी.
Answer :- (B) बी० ए० ऑनर्स
33. ‘चिंता’ अज्ञेय की किस प्रकार की रचना है?
(A) काव्य
(B) कहानी
(C) निबंध
(D) नाटक
Answer :- (A) काव्य
34. कुँवर नारायण ने बूढ़ा चौकीदार किसे कहा है ?
(A) पहाड़
(B) व्यक्ति
(C) वृक्ष
(D) सेनिक
Answer :- (C) वृक्ष
35. ‘झगड़ा-फसाद’ कौन-सा समास है?
(A) दिगु
(B) अव्ययीभाव
(C) द्वन्द्व
(D) तत्पुरुष
Answer :- (C) द्वन्द्व
36. ‘गलत पते की चिट्ठी’ किनकी रचना है?
(A) वीरेन डंगवाल की
(B) यतीन्द्र मिश्र की
(C) अज्ञेय की
(D) अनामिका की
Answer :- (D) अनामिका की
37. ‘लौटकर आऊँगा फिर’ कविता को हिन्दी में रूपान्तर कीन किये हैं?
(A) अज्ञेय
(B) प्रयाग शुक्ल
(C) यतीन्द्र मिश्र
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer :- (B) प्रयाग शुक्ल
38. ‘प्रभु के पादुका’ की संज्ञा किसे दी गई है ?
(A) खड़ाऊँ को
(B) पद-चिह्न को
(C) दास को
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer :- (C) दास को
39. ‘दही वाली मंगम्मा’ कहानी का कहानीकार कौन है ?
(A) श्री निवास
(B) सातकौड़ी होता
(C) ईश्वर
(D) सुजाता
Answer :- (A) श्री निवास
40. ‘ढहते विश्वास’ कहानी का कहानीकार कौन है ?
(A) श्री निवास
(B) साँवर दइया
(C) सातकौड़ी होता
(D) सुजाता
Answer :- (C) सातकौड़ी होता
41. ‘माँ’ कहानी का कहानीकार कौन है?
(A) सुजाता
(B) ईश्वर पेटलीकर
(C) साँवर दइया
(D) लक्ष्मी
Answer :- (B) ईश्वर पेटलीकर
42. ‘नगर’ कहानी का कहानीकार कौन हैं ?
(A) सुजाता
(B) श्री निवास
(C) सातकौड़ी होता
(D) साँवर दइया
Answer :- (A) सुजाता
43. ‘धरती कब तक घूमेगी’ कहानी में किसकी प्रधानता दी गई है ?
(A) नारी
(B) पुरुष
(C) बच्चों
(D) कोई नही
Answer : – (A) नारी
44. जिस वर्ण के उच्चारण में थोड़ा श्रम लगाना पड़ता है और जिससे ‘हकार’ की ध्वनि नहीं निकलती है, उसे कहते हैं-
(A) अल्पप्राण
(B) अक्षर
(C) स्वर
(D) बलाघात
Answer : – (A) अल्पप्राण
45. किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान, भाव आदि के नामों को बोध कराने वाले शब्दों को कहते हैं –
(A) संज्ञा
(B) सर्वनाम
(C) क्रिया
(D) विशेषण
Answer : – (A) संज्ञा
46. शब्द के जिस रूप से एक वस्तु या एक व्यक्ति का बोध हो उसे कहते हैं ?
(A) एकवचन
(B) बहुवचन
(C) द्विवचन
(D) कोई नहीं
Answer : – (A) एकवचन
47. होली आ गई। रेखांकित शब्द का लिंग बताइए।
(A) पुल्लिंग
(B) स्त्रीलिंग
(C) (A) और (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer : – (B) स्त्रीलिंग
48. वहाँ कौन गया है ? यहाँ रेखांकित शब्द का प्रकार है –
(A) पुरुषवाचक
(B) प्रश्नवाचक
(C) निश्चयवाचक
(D) अनिश्चयवाचक
Answer : – (B) प्रश्नवाचक
49. किस वाक्य में संयुक्त क्रिया का प्रयोग हुआ है ?
(A) मैं पढ़ लिया करता हूँ
(B) गोपेश्वर कल पत्र का जवाब देगा
(C) दीदी आज आएगी
(D) वह प्रतिदिन पढ़ता है
Answer : – (A) मैं पढ़ लिया करता हूँ
50. ‘राम द्वारा आम खाया जाता है।’ कौन वाच्य है ?
(A) कर्तृवाच्य
(B) कर्मवाच्य
(C) भाववाच्य
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer : – (B) कर्मवाच्य
51. वह आये तो मैं जाऊँ। कौन-सा भविष्य काल है ?
(A) सामान्य भविष्यत्
(B) संभाव्य भविष्यत्
(C) हेतुहेतुमद भविष्यत्
(D) इनमें से कोई नहीं
Answer : – (C) हेतुहेतुमद भविष्यत्
52. “राम ने रावण को मारा।’ इस वाक्य में कौन दो कारकों के चिह्न लगे हैं ?
(A) कर्ता और अपादान के
(B) कर्ता और कर्म के
(C) करण और सम्बन्ध के
(D) कर्म और सम्प्रदान के
Answer : – (B) कर्ता और कर्म के
53. काश! आज वर्षा होती? काश ! कौन-सा निपात है ?
(A) बलप्रदायी निपात
(B) तुलनाबोधक निपात
(C) बलप्रदायक निपात
(D) विस्मयादिबोधक निपात
Answer : – (D) विस्मयादिबोधक निपात
54. ‘विद्यार्थी’ का संधि-विच्छेद क्या है ?
(A) विद्याः + अर्थी
(B) विद्या + अर्थि
(C) विद्या + अर्थी
(D) वीद्या + अर्थी
Answer : – (C) विद्या + अर्थी
55. रेलयात्रा’ में कौन-सा समास है ?
(A) अव्ययीभाव समास
(B) द्विगु समास
(C) तत्पुरुष समास
(D) द्वन्द्व समास
Answer : – (C) तत्पुरुष समास
56. “महादेव” का पर्याय है
(A) विप्र
(B) त्रिनेत्र
(C) विद्युत
(D) गिरि
57. ‘नरक’ का विलोम शब्द है-
(A) अंधकार
(B) स्वर्ग
(C) शीतल
(D) अनागत
Answer : – (A) अंधकार
58. “करोड़’ का श्रुतिसमभिन्नार्थक शब्द क्या है ?
(A) कली
(B) क्रोड
(C) कर्म
(D) कपट
Answer : – (B) क्रोड
59. ‘बरखास्त’ में कौन-सा उपसर्ग है ?
(A) दुस्
(B) बर
(C) परि
(D) प्रति
Answer : – (B) बर
60. ‘तीरंदाज’ में कौन-सा प्रत्यय है ?
(A) घूम
(B) नि
(C) मान
(D) अंदाज
Answer : – (D) अंदाज
61. नीचे लिखे शब्दों में कौन-सा शब्द शुद्ध है ?
(A) आशीष
(B) आशिष
(C) आशीष
(D) असिष
Answer : – (A) आशीष
62. नीचे लिखे शब्दों में कौन-सा शब्द शुद्ध है ?
(A) अजोध्या
(B) अयोध्या
(C) अयोध्या
(D) औयध्या
Answer : – (C) अयोध्या
63. निम्नांकित में कौन तत्सम शब्द है ?
(A) आदमी
(B) सर्प
(C) चिड़िया
(D) भाखा
Answer : – (B) सर्प
64. निम्नांकित में कौन तद्भव शब्द है ?
(A) उल्लू
(B) परात
(C) हिम
(D) भूतल
Answer : – (A) उल्लू
65. ‘बैठकर पढ़ो’ अर्थ की दृष्टि से वाक्य के प्रकार बताएँ
(A) विधि वाचक वाक्य
(B) निषेधवाचक वाक्य
(C) आज्ञावाचक वाक्य
(D) प्रश्नवाचक वाक्य
Answer : – (C) आज्ञावाचक वाक्य
66. “जो जानने की इच्छा रखता हो’ निम्ननांकित में कौन एक शब्द है ?
(A) जिज्ञासु
(B) अद्वितीय
(C) निशाचर
(D) गगनचुंबी
Answer : – (A) जिज्ञासु
67. ‘बहुत परिश्रम करना’ के लिए किस मुहावरे का प्रयोग होता है ?
(A) आग-बबूला होना
(B) आकाश-पाताल एक करना
(C) आकाश को छूना
(D) आग में घी डालना
Answer : – (B) आकाश-पाताल एक करना
68. संज्ञा का कार्य करनेवाला पद-समूह को कहते हैं
(A) संज्ञा पदबन्ध
(B) सर्वनाम पदबन्ध
(C) विशेषण पदबन्ध
(D) क्रिया पदबन्ध
Answer : – (A) संज्ञा पदबन्ध
69. ‘जल’ का अर्थ होता है
(A) प्रतिष्ठा
(B) शिव
(C) स्वभाव
(D) रंग
Answer : – (A) प्रतिष्ठा
70. निम्नलिखित में कौन-सा वाक्य शुद्ध है ?
(A) श्रीकृष्ण के अनेकों नाम हैं।
(B) हमारी सौभाग्यवती कन्या का विवाह होने जा रहा है।
(C) मेरा नाम श्री कमल किशोर जी है।
(D) मैं गाने का अभ्यास कर रहा हूँ।
Answer : – (D) मैं गाने का अभ्यास कर रहा हूँ।
लघु उत्तरीय प्रश्न :-
1. लेखक किस विंडवना कि बात करते है ? वींड्वना का स्वरुप क्या है ?
उतर :- लेखक भीमराव अम्बेडकर जी वींड्वना कि बात करते हुए कहते है कि इस युग मे जातिवाद के पोषको कि कमी नहींहै जिसका स्वरुप है कि जतिप्रथा श्रम विभाजन के साथ- साथ श्रमिक विभाजन का भी रुप ले रखा है , जो अस्वभविक है।
2. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर :- मदन और ड्राइवर के बीच विवाद के द्वारा कहानीकार बताना चाहते हैं। कि अपने पर किये गये अत्याचार का विरोध करना पाप नहीं है। सेन साहब की नयी चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध के लिए मदन शोफर द्वारा घसीटा जाता है। यह गरीब बालक पर अत्याचार है। मदन द्वारा उसका मुकाबला करना अत्याचारियों पर विजय प्राप्त करने का प्रयास है।
3. लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- लेखक ने नया सिकंदर भारत को समझन, जानन एवं सम्पूण लाभ प्राप्त करने हेतु भारत आनेवाले नवागंतुक अन्वेषकों, पर्यटकों एवं अधिकारियों को कहा है। उसी प्रकार आज भी भारतीयता को निकट से जानने के नवीन स्वप्नदशी को आज का सिकंदर कहना अतिशयोक्ति नहीं है, यह उचित है।
4. मनुष्य बार-बार नाखूनों को क्यों काटता है ?
उत्तर :- मनुष्य निरंतर सभ्य हीने के लिए प्रयासरत रहा है। प्रारंभिक काल में मानव एवं पशु एकसमान थे। नाखून अस्त्र थे। लेकिन जैसे-जैसे मानवीय विकास की धारा अग्रसर होती गई मनुष्य पशु से भिन्न होता गया। उसके अस्त्र-शस्त्र, — आहार-विहार, सभ्यता-संस्कृति में निरंतर नवीनता आती गयी । वह पुरानी जीवन-शैली को परिवर्तित करता गया । जो नाखून अस्त्र थे उसे अब सौंदर्य का रूप देने लगा। । इसमें नयापन लाने, इसे सँवारने एवं पशु से भिन्न दिखने हेतु नाखूनों को मनुष्य काट देता है।
5. नागरी को देवनागरी क्यों कहते हैं ? लेखक इस संबंध में क्या जानकारी देता है ?
उत्तर :- नागरी नाम की उत्पत्ति तथा इसके अर्थ के बारे में विद्वानों में बड़ामतभेद है । एक मत के अनुसार गुजरात के नागर ब्राह्मणों ने पहले-पहल नागरी लिपि का इस्तेमाल किया। इसलिए इसका नाम नागरी पड़ा। एक दूसरे मत के अनुसार बाकी नगर सिर्फ नगर है, परन्तु काशी देवनगरी है। इसलिए काशी में प्रयुक्त लिपि का नाम देवनागरी पड़ा।
6. ‘यदि मैं न मारता, तो शायद वह न जाता’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी साहित्य के सशक्त कथाकार अमरकांत के द्वारा रचित ‘बहादुर’ नामक शीर्षक से उद्धृत है। यहाँ बहादुर के भागने पर लेखक के पश्चात्ताप में एक अजीब सी लघुता का अनुभव कराया गया है।
– इस गद्यांश से पता चलता है, कि बहादुर को भगाने में लेखक की भूमिका भी कार्य कर रही है। घर के सभी सदस्य बहादुर को तिरस्कृत और प्रताड़ित कर रहे थे। केवल लेखक ही उससे प्यार और ममता का भाव रखते थे। बहादुर लेखक की सहानुभूति के आधार पर ही अभी तक उस घर में उपस्थित था। लेकिन जब एक दिन लेखक ने भी उसकी मारपीट की तो वह अंत:करण से कराह उठा और बर्दाश्त करने की क्षमता नष्ट हो गयी जिससे घर से भाग गया।
7. उसकी हँसी बड़ी कोमल और मीठी थी, जैसे फूल की पंखुड़ियाँ बिखर गई हों। व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत गद्यांश हिन्दी साहित्य के प्रमुख कथाकार अमरकांत द्वारा लिखित ‘बहादुर’ शीर्षक से अवतरित है। प्रस्तुत अंश में कथा के प्रमुख नायक बहादुर की स्वाभाविक, निश्छल और निष्कपट हँसी का वर्णन किया गया है।
प्रस्तुत व्याख्यांश में लेखक दफ्तर से आने के बाद परिवार के सदस्यों से घर के अनुभव सुनते, बाद में बहादुर की बारी आती। बहादुर कोई बहुत-सी मामूली घटना का रिपोर्ट देता। रिपोर्ट देते समय वह बिल्कुल निडर, नि:संकोच और स्वाभाविक हो जाता। उसे लगता कि मैं साहब को बहुत मजेदार बात सुना रहा हूँ। बात सुनाते समय अंदर ही अंदर इतना आनंदित होता कि वह हँसने लगता । उसकी हँसी इतनी कोमल और मीठी होती थी जैसे फूल की पंखुडियाँ बिखर गई हों।
8. परंपरा का ज्ञान किनके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ?
उत्तर :- जो लोग साहित्य में युग-परिवर्तन करना चाहते हैं, क्रांतिकारी साहित्य रचना चाहते हैं, उनके लिए साहित्य की परंपरा का ज्ञान आवश्यक है। क्योंकि साहित्य की परंपरा से प्रगतिशील आलोचना का ज्ञान होता है जिससे साहित्य की धारा को मोड़कर नए प्रगतिशील साहित्य का निर्माण किया जा सकता है।
9. नदी और कविता में लेखक क्या समानता पाता है ?
उत्तर :- जिस प्रकार नदी सदियों से हमारे साथ रही है उसी प्रकार कविता भी मानव की जीवन-संगिनी रही है। नदी में विभिन्न जगहों से जल आकर मिलते हैं और वह प्रवाहित होकर सागर में समाहित होते रहते हैं। हर दिन सागर में समाहित होने के बावजूद उसमें जल का टोटा नहीं पड़ता । कविता में भी विभिन्न विडम्बनाएँ, शब्द भंगिमा, जीवन छवियाँ और प्रतीतियाँ आकर मिलती और तदाकार होती रहती हैं। जैसे नदी जल-रिक्त नहीं होती, वैसे ही कविता शब्द-रिक्त नहीं होती । इस प्रकार नदी और कविता में लेखक अनेक समानता पाता है।
10. पिताजी किससे नाराज थे और क्यों ?
उत्तर :- पिताजी नरेन से नाराज थे । क्योंकि, बच्चों मछलियों के चलते स्वयं परेशान रहे साथ ही भग्गू को भी परेशान किया । बच्चे मछली को पालना चाहते थे, कोमल बालमन मछली को कटते देख विह्वल हो उठा और बच्चा एक मछली को लेकर भाग गया। पीछे-पीछे भग्गू को भागना पड़ा । छीना-झपटी की स्थिति आई । पिताजी इन हरकतों के कारण नाराज हुए।
11. संतू के विरोध का क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :- संतू मानवीय गुणों को उजागर करता है। मानव में सेवा, परमार्थ, ममता जैसे गुण विद्यमान होते हैं। परन्तु आज मानव अपने आदर्श को भूलकर, इन गुणों को त्यागकर, स्वार्थ में अंधा होकर विवश और लाचार की मदद में नहीं बल्कि शोषण में लिप्त है। मूक मछलियों को निर्ममता पूर्वक काटते देख संतू उसकी रक्षा को आतुर हो उठता है और उसे बचाने हेतु झपट कर भग्गू के सामने से मछली को. लेकर भाग जाता है। इस विरोध का मतलब है कि आज नि:स्वार्थ भाव से बेबस, लाचार, शोषित, पीड़ित जनों की रक्षा, उत्थान एवं कल्याण के लिए अग्रसर होना परमावश्यक है। ममत्व में धैर्य टूट जाता है। सभी प्राणी में अपनी परछाईं दिखनी चाहिए।
12. ‘अगर बाल्टी भरी होती तो पछली उछल कर नीचे आ जाती’ की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत पंक्ति विनोद कुमार शुक्ल के ‘मछली’ शीर्ष की है । प्रस्तुत पंक्ति में बच्चों का मछली की रक्षा के लिए सजगता परिलक्षित होता है। बच्चे की हार्दिक इच्छा थी कि हम मछली को मरने नहीं देंगे बल्कि जीवित अवस्था में रहने के लिए कआँ में डाल देंगे । इसके लिए पिताजी से एक मछली माँगने का इंतजार कर रहे थे। जबतक पिताजी नहीं आ जाते तब तक कुआँ में डालना नहीं था। इसलिए उसे बाल्टी में रखना अनिवार्य था । उन्हें डर था कि बाल्टी भरी होगी तो मछलियाँ बाहर जमीन पर कूद जायेंगी। इसलिए भरी बाल्टी आधा कर के उसमें मछलियों को रखा गया ।
13. पठित पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन करें।
उत्तर :- अमीरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सुनते और शहनाई को ढूँढते थे। उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कौशल विकास में लाभान्वित किया । 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज़ करने के क्रम में संगीत साधनारत हुए और आगे चलकर महान कलाकार हुए।
14. दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी है ?
उत्तर :- दूसरी संस्कृतियों की समझ और कद्र स्वयं अपनी संस्कृति की कद्र होने और उसे हजम कर लेने के बाद होनी चाहिए, पहले हरगिज नहीं। कोई संस्कृति इतने रत्न-भण्डार से भरी हुई नहीं है जितनी हमारी अपनी संस्कृति है। सर्वप्रथम हमें अपनी संस्कृति को जानकर उसमें निहित बातों को अपनाना होगा। इससे चरित्र-निर्माण होगा जो संसार के अन्य संस्कृति से कुछ सीखने की क्षमता प्रदान करेगा।
15. ‘यहाँ एक तैं दसरौ औंक नहीं की व्याख्या करें।
उत्तर :- प्रस्तुत पक्ति हिन्दी साहित्य की पाठय-पस्तक के कवि घनानंद द्वारा राचत आत सूधी सनेह को मारग है” पाठ से उद्धत है। इसके माध्यम से कवि प्रमा आर प्रयों का एकाकार करते हुए कहते हैं कि प्रेम में दो का पह अलग-अलग नहीं रहती, बल्कि दोनों मिलकर एक रूप में स्थित हो जाते हैं। प्रेमी निश्छल भाव से सर्वस्व समर्पण की भावना रखता है और तुलनात्मक अपक्षा नही करता है। मात्र देता है, बदले में कुछ लेने की आशा नहीं करता है।
प्रस्तुत पंक्ति में कवि घनानंद अपनी प्रेमिका सुजान को संबोधित करत हक ह सुजान, सुनो ! यहाँ अर्थात् मेरे प्रेम में तुम्हारे सिवा कोई दसरा चिह्न नहीं है। मेरे हृदय में मात्र तुम्हारा ही चित्र अंकित है।
16. नेताओं के बारे में कवि की क्या राय है? अथवा, नेताओं के बारे में कविवर “प्रेमघन’ की क्या राय है ?
उत्तर :- आज देश के नेता, देश के मार्गदर्शक भी स्वदेशी वेश-भूषा, बोल-चाल से परहेज करने लगे हैं। अपने देश की सभ्यता-संस्कृति को बढ़ावा देने के बजाय पाश्चात्य सभ्यता से स्वयं प्रभावित दिखते हैं। कवि कहते हैं कि जिनसे धोती नहीं सँभलती अर्थात् अपने देश के वेश-भूषा को धारण करने में संकोच करते हों वे देश की व्यवस्था देखने में कितना सक्षम होंगे यह संदेह का विषय हो जाता है। जिस नेता में स्वदेशी भावना रची-बसी नहीं है, अपने देश की मिट्टी से दूर होते जा रहे. हैं, उनसे देशसेवा की अपेक्षा कैसे की जा सकती है। ऐसे नेताओं से देशहित की अपेक्षा करना खयालीपुलाव है।
17. भारतमाता शीर्षक कविता में पंत जी ने भारतीयों का कैसा चित्र खींचा है ?
उत्तर :- प्रस्तुत कविता में कवि ने दर्शाया है कि परतंत्र भारत की स्थिति दयनीय हो गई थी। परतंत्र भारतवासियों को नंगे वदन, भूखे रहना पड़ता था। यहाँ की तीस करोड़ जनता शोषित-पीड़ित, मूढ, असभ्य, अशिक्षित, निर्धन एवं वृक्षों के नीचे निवास करने वाली थी।
18. कवि की दृष्टि में आज के देवता कौन हैं और वे कहाँ मिलेंगे ?
उत्तर :- कवि ने भारतीय प्रजा, जो खून-पसीना बहाकर देशहित का कार्य करती है, जिसके बल पर देश में सुख-संपदा स्थापित होता है, किसान, मजदूर जो स्वयं आहूत होकर देश को सुखी बनाते हैं, को आज का देवता कहा है।
19. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव सौंदर्य स्पष्ट करे :
“धूप में वारिश में; गर्मी में सर्दी में
हमेशा चौकन्ना; अपनी खाकी वर्दी में”
उत्तर :- कवि ने इन पंक्तियों में एक बूढ़ा वृक्ष को युगों-युगों का प्रहरी मानते हुए सभ्यता-संस्कृति की रक्षा हेतु मानव को जगाने का प्रयास किया है। कवि की कल्पना ने वृक्ष को अभिभावक, चौकीदार, पहरुआ के रूप में चित्रित कर मानवीयता प्रदान किया है। इसमें वृक्ष की चेतनता, कर्तव्यनिष्ठता एवं आत्मीयता दर्शाई गई है।
20. व्याख्या करें –
‘गरीब बस्तियों में भी
धमाके से हुआ देवी जागरण
लाउडस्पीकर पर’
उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी साहित्य के सुप्रसिद्ध कवि वीरेन डंगवाल के द्वारा लिखित ‘हमारी नींद’ से ली गई है। इस अंश में कवि ने उन लोगों का चित्र खींचा है जो गरीब बस्तियों में जाकर अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए देवी जागरण जैसे महोत्सव का आयोजन करते हैं। कवि कहते हैं कि आज भी हमारे समाज में कुछ ऐसे स्वार्थपरक लोग हैं जिनके हृदय में गरीबों के प्रति हमदर्दी नहीं है। केवल उनसे समय-समय पर झूठेवादे करते हैं । नेता, पूँजीपति एवं अत्याचारी ये सभी गरीबों की
आंतरिक व्यथा से खिलवाड़ कर उनकी विवशता से लाभ उठाते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न :-
1. विष के दाँत’ कहानी का सारांश लिखें।
उत्तर :- सेन साहब को अपनी कार पर बडा नाज था । घर में कोई ऐसा न था जो गाड़ी तक बिना इजाजत फटके । पाँचों लड़कियाँ माता-पिता का कहना। अक्षरशः पालन करतीं। किन्तु बुढ़ापे में उत्पन्न खोखा पर घर का कोई नियम लागू। न होता था । अतः गाड़ी को खतरा था तो इसी खोखा अर्थात् काश से। सेन साहब अपने लाडले को इंजीनियर बनाना चाहते थे। ये बड़ी शान से मित्रों से अपने बेटे की काबलियत की चर्चा करते थे। एक दिन मित्रों की गप्प-गो और काश के गुण-गान से उठे ही थे कि बाहर गुल-गपाड़ा सुना। निकले तो देखा कि गिरधारी की पत्नी से शोफर उलझ रहा है और उसका बेटा मुदन शोफर पर झपट रहा है। शोफर ने कहा कि मदन गाडी छ रहा था और मना करने पर उथम मचा रहा है। सेन साहब ने मदन क स को चेतावनी दी और अपने किरानी गिरधर को बुलाकर डाँटा-अपने बेटे को संभालो। घर आकर गिरधारी ने मदन को खूब पीटा।। दूसरे दिन बगल वाली गली में मदन दोस्तों के साथ लट्टू खेल रहा था। काशू भी खेलने को मचल गया। किन्तु मदन ने लट्टू देने से इनकार कर दिया काशू की।आदत तो बिगड़ी थी। बस, आदतवश हाथ चला दिया। मदन भी पिल पड़ा और मार मार कर काश के दाँत तोड दिए ।देर रात मदन घर आया तो सुना कि सेन साहब ने उसके पिता को नौकरी में हुआ दिया है और आउट हाउस से भी जाने का हुक्म दिया है। मदन के पैर से लोटा। लुढ़क गया। आवाज सुनकर उसके माता-पिता निकल आए। मदन मार खाने को तैयार हो गया। गिरधारी उसकी ओर तेजी से बढ़ा किन्तु सहसा उसका चेहरा बदल गया। उसने सदन को गोद में उठा लिया-‘शावास बेटा एक मैं हैं और एक तू है जो खोखा के दो-दो दाँत तोड़ डाले।’ इस प्रकार हम देखते हैं कि कहानीकार ने ‘विष के दाँत’ उच्च वर्ग के सेन साहब की महत्त्वाकांक्षा, सफेदपोशी के भीतर लड़के-लड़कियों में विभेद भावना, नौकरी-पेशा वाले गिरधारी की हीन-भावना और उसके बीच अन्याय का प्रतिकार करनेवाली बहादुरी ओर साहस के प्रति प्यार और श्रद्धा को प्रस्तुत करते हुए प्यार-दुलार के परिणामों को बुखबी दर्शाया है।
2. ‘कमबख्त नाखून बढ़ते हैं तो बढ़े, मनुष्य उन्हें बढ़ने नहीं देगा’ की व्याख्या करें।
उत्तर :- प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हिंदी पाठ्य-पुस्तक के ललित निबंध ‘नाखून क्यों बढ़ते हैं’ पाठ से ली गई है । इस पंक्ति के माध्यम से निबंधकार हजारी प्रसाद द्विवेदी ने नाखून बढ़ाना पाश्विक प्रवृत्ति और काटना मानवीय प्रवृत्ति का अत्यन्त लाक्षणिक और स्वाभाविक रूप में वर्णन किया है। निबंधकार यहाँ मनोवैज्ञानिक रूप का अंश भी प्रस्तुत करते हैं। यह स्पष्ट है कि मनुष्य वर्तमान परिवेश में बौद्धिकता का महानतम स्वरूप है। सभ्यता और संस्कृति के सोपान पर हमेशा अग्रसर है। दिनों-दिन पाशविक प्रवृत्ति को समाप्त करने में अपनी ईमानदारी का परिचय दे रहा है । इस आधार पर लेखक को विश्वास है कि यदि नाखून बढ़ते हैं तो मनुष्य उन्हें निश्चित रूप से बढ़ने नहीं देगा । अर्थात् पाशविक प्रवृत्ति का लक्षण ज्यों ही दिखाई पड़ता है मनुष्य उसे काट देता है। यह आशावादी विचारधारा लेखक को एक सुसंस्कृत और सभ्य समाज स्थापित होने में सहायक होता है।
3. निबंध के आधार पर काल-क्रम से नागरी लेखों से संबंधित प्रमाण प्रस्तुत करें ।
उत्तर :- निबंध के आधार पर कालक्रम से नगरी लेखों से संबंधित प्रमाण इसप्रकार मिलते हैं-11वीं सदी में राजेन्द्र जैसे प्रतापी चेर राजाओं के सिक्कों पर नागर अक्षर देखने को मिलते हैं। 12वीं सदी के केरल के शसकों के सिक्कों पर ‘वीर केरलस्य’ जैसे शब्द नागरी लिपि में अंकित हैं। दक्षिण से प्राप्त वरगुण क पलयम ताम्रपत्र भी नागरी लिपि में 9वीं सदी की है। 1000 ई० के आस-पास मालवा नगर में नागर लिपि का इस्तेमाल होता था। विक्रमादित्य के समय पटना में देवनागरी का प्रयोग मिलता है। ईसा की 8वीं से 11वीं सदियों में नागरी लिपि पूरे भारत में व्याप्त थी। 8वीं सदी में दोहाकोश की तिब्बत से जो हस्तलिपि मिली है, वह नागरी लिपि में है। 754 ई० में राष्ट्रकूट राजा दंतिदुर्ग का दानपत्र नागरी लिपि में प्राप्त हुआ है। 850 ई० में जैन गणितज्ञ महावीराचार्य के गणित सार-संग्रह की रचना मलती है जो नागरी लिपि में है।
4. ‘मैं तो बेचारा उसका असिस्टेंट हूँ। उस नाचने वाले का’, व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हिन्दी पाठ्यपुस्तक के ‘जित-जित मैं निरखत हूँ’ शीर्षक से ली गई है। यह शीर्षक हिन्दी साहित्य की साक्षात्कार विधा है। इसमें भारतीय कत्थक के महानतम नायक बिरजू महाराज स्वयं अपने मुखारविन्द से कत्थक के प्रति अपनी समर्पण भावना का वर्णन किया है।
प्रस्तुत पंक्ति में साक्षात्कार के दरम्यान अपनी कत्थक के प्रति निष्ठा, समर्पण एवं अंतर्बोध की प्रामाणिकता को उजागर किया है। उनकी दृष्टि में लाखों लोग उनके आशिक हैं। लेकिन बिरजू महाराज का स्वीकार करना है कि लाखों लोग मेरे हाड़-मांस के बने शरीर पर फिदा नहीं हैं बल्कि मेरे जो आशिक हैं वे मेरे व्यक्तित्व अर्थात् नाच के प्रति । मैं भी तो नाच के कारण ही लोगों के बीच दर्शन का पात्र हूँ। आशिक किसी व्यक्ति का कोई नहीं होता बल्कि उसके आंतरिक व्यक्तित्व के प्रति होता है। मेरा नाच तो एक व्यक्ति है जिसमें व्यक्तित्व की गरिमा भरी हुई है। उसी नाचरूपी व्यक्ति का मैं भी सहायक हूँ। मैं तो उसे केवल सहयोग करता हूँ। मूल रूप से मेरा आंतरिक व्यक्तित्व ही मझे नचाकर लोगों को आशिक बनाया है।
5. ‘राम नाम बिनु बिस्थे जगि जनमा’ और ‘जो नर दुख में दुख नहि मानै।” कविता का सारांश लिखें।
उत्तर :- पाठयपुस्तक में गुरुनानक के दो पद संगृहित हैं : ‘राम नाम बिन बिरथे जगि जनमा’ और ‘जो नर दुख में दुख नहिं माने।” प्रथम पद में गुरु नानक ने बाहरी वेश-भूषा , पूजा-पाठ और कर्मकांड के स्थान पर निश्छल-निर्मल हृदय से राम नाम के कीर्तन। पर जोर दिया है। गुरु नानक ऐसा मानते हैं कि राम नाम कीर्तन से ही व्यक्ति को स्थायी शांति मिल सकती है और उसके सारे सांसारिक दु:ख-दर्द मिट सकते हैं। दूसरे पद में गुरु नानक ने कहा है कि सुख-दु:ख, हर्ष-विषाद आदि में एक सम्मान उदासीन रहते हुए हमें अपने मानसिक दुर्गुणों से ऊपर उठकर अंत:करण को विश् शुद्ध और निर्मल रखना चाहिए, क्योंकि इसी स्थिति में गोविंद से एकाकार होने की संभावना रहती है। गुरु नानक कहते हैं कि राम नाम के बिना इस संसार में जन्म होना व्यर्थ है। राम नाम के बिना हम विष खाते हैं और विष ही बोलते हैं। अर्थात, राम नाम के बिना हमारा खाना जहर के समान होता है और हमारी वाणी जरह के समान होती है। पुर तक पढ़ने, शास्त्रों पर चर्चा करने और संध्याकालीन उपासना करने से हमें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। राम के बिना हम विभिन्न जंजालों में उलझकर मर जाते हैं। जीवन में स्थायी शांति धार्मिक बाह्याडंबरों और तीर्थाटन करने से नहीं प्राप्त होती, राम नाम के जपने से ही प्राप्त होती है। भवसागर पार करने का सबसे सुगम मार्ग है राम नाम का जप करना। गुरु नानक कहते हैं कि जो नर दु:ख में दु:ख नहीं मानता, सुख-दु:ख में जो उदासीन रहता है प्रीति और भय जिसके लिए एक समान है, सोना और मिट्टी में जो द नहीं करता; हर्ष और शोक जिसके लिए पृथक्-पृथक् नहीं हैं, वह नर गुरु की कृपा प्राप्त करता है और उसे ही प्रभु के सान्निध्य का सुख मिलता है।
6. “एक दिन सहसा/सूरज निकला’ की व्याख्या कीजिए।
उत्तर :- प्रस्तुत पद्यांश हिन्दी प्रयोगवादी विचारधारा के महान प्रवर्तक कवि अज्ञेय द्वारा लिखित ‘हिरोशिमा’ नामक शीर्षक से अवतरित है। प्रस्तुत अंश में हिरोशिमा में हुए बम विस्फोट के बाद दुष्परिणाम का जो अंश उपस्थित हुआ है उसी का मार्मिक चित्रण है। कवि कहना चाहते हैं कि जब हिरोशिमा में आण्विक आयुध का प्रयोग हुआ उस समय प्रकृति के शाश्वत तत्त्व भी कुंठित हो गये । सूरज जैसा ब्रह्माण्ड का शक्ति सम्पन्न तत्त्व भी अपनी प्रचण्डता को झुठला दिया । बम विस्फोट से निकलने वाली ज्वाला प्रकृति के सूरज को भी कई दिनों तक उगने से अवरुद्ध कर दिया। जबकि प्रकृति का सूरज अंतरिक्ष से निकलता है लेकिन बमरूपी सूरज धरती को फोड़कर केवल हिरोशिमा के चौक से निकला । प्रकृति का सूरज़ प्राणदाता के रूप में अवतरित होता है लेकिन आण्विक सूरज प्राण लेने वाला सूरज के रूप में निकला है।
7. ‘कवयित्री अनामिका की ‘अक्षर-ज्ञान’ शीर्षक कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर :- अबोध बालक हिंदी वर्णमाला के अक्षर पाटी पर (स्लेट पर) साधने चला है। वह ‘क’ लिखता है, पर उसका ‘क’ निर्धारित स्थान की सीमा का उल्लंघन कर जाता है, वह चौखटे में नहीं अँटता। उसे बताया गया है कि ‘क’ से कबूतर होता है। उसका ध्यान ‘क’ लिखते समय कबूतर पर होता है, उसका ‘क’ रेखा के इधर-उधर फुदक जाता है। ‘ख’ के साथ भी यही होता है। वह जानता है-‘ख’ से खरहा होता है। ‘ख’ लिखते समय उसका ध्यान ‘ख’ से ज्यादा खरहा पर होता है। परिणामस्वरूप उसका ‘ख’ रेखा से उतर जाता है। वह अबोध बालक ‘ग’ भी ठीक से नहीं लिख पाता। उसका ‘ग’ टूटे हुए गमले-सा इधर-उधर बिखर जाता है। घड़ा जैसे लुढ़कता है ठीक उसी तरह उस बालक का ‘घ’ भी लुढ़कता हुआ-सा दिखता है। रेखाओं के बीच वह ‘घ’ सही-सही नहीं बैठा पाता। ‘ङ’ लिखते समय तो वह बहुत परेशान हो जाता है। वह ‘ङ’ को दो हिस्सों में बाँटता है-‘ड’ और ‘ड’ के बगल में लगनेवाला बिंदु (.)। ‘ड’ उसे माँ की तरह दिखाई पड़ता है और बगल का बिंदु (.) माँ की गोद में बैठे हए बेटे की तरह। माँ और बेटे को एक साथ साधने में अपने को असमर्थ पाता है। वह ‘ङ’ लिखने की कोशिश करता है, पर हर बार वह असफल हो जाता है। अपनी विफलता के कारण उसके आँखों में आँसू आ जाते हैं। बालक के उन सजह-निश्छल आँसू की बूंदों पर कवयित्री टिप्पणी करती है कि “पहली विफलता पर छलके ये आँस ही/हैं शायद प्रथमाक्षर/सृष्टि की विकास-कथा के।” सृष्टि की विकास-कथा विफलता पर छलके हुए आँसू के प्रथमाक्षर से ही लिखी गई है शायद !
8. कवि रेनर मारिया रिल्के रचित कविता ‘मेरे बिना तुम प्रभु’ का सारांश अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
उत्तर :- भक्त कवि रिल्के अपने प्रभु से करता है-प्रभु, जब मेरा अस्तित्व ही नहीं रहेगा, तब तुम क्या करोगे? मैं ही तुम्हारा जलपात्र हूँ, मैं ही तुम्हारी मदिरा हूँ। जब जलपात्र टूटकर बिखर जाएगा और मदिरा सूख जाएगी या स्वादहीन हो जाएगी तब प्रभु तुम क्या करोगे ? कवि अपने प्रभु से कहता है कि मैं तुम्हारा वेश हूँ, तुम्हारी वृत्ति हूँ। मैं ही तुम्हारे होने का कारण हूँ। तुम मुझे खोकर अपना अर्थ खो बैठोगे। मेरे अभाव में तुम गृहविहीन हो जाओगे। तब तुम निर्वासित-सा. अपना जीवन बिताओगे। तब तुम्हारा स्वागत कौन करेगा? प्रभु मैं तुम्हारे चरणों की पादुका हूँ। मेरे बिना तुम्हारे चरणों में छाले पड़ जाएँगे; तुम्हारे पैर लहूलुहान हो जाएँगे; तुम्हारे पैर मेरे बिना कहीं भ्रांत दिशा में भटक जाएँगे।
कवि अपने आराध्य से कहता कि जब मेरा अस्तित्व ही नहीं रहेगा, तब तुम्हारा शानदार लबादा गिर जाएगा। तुम्हारी सारी शान मेरे होने पर ही निर्भर है। मैं नहीं रहूँगा तो तुम्हारी कृपा दृष्टि को सुख कहाँ से नसीब होगा? दूर की चट्टानों की ठंढी गाद में सूर्यास्त के रंगों में घुलने का सुख तुम्हें मेरे नहीं रहने पर कैसे प्राप्त होगा? कवि अपनी आशंका व्यक्त करता हआ कहता है कि मेरे बिना प्रभु शायद ही 30 ही कर सकें।
9. दही वाली मंगग्मा कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर :- मंगमा अवलूर के समीप वेंकटपुर के रहनेवाली थी | और रोज दही बेचने बेंगलूर आती थी। मंगम्मा का पति नहीं था | और बेटा-बहू से गृह-कलह के कारण अलग हो गई। प्रत्यक्ष में तो झगड़े का कारण पोते की पिटाई थी | किन्तु मूल रूप में सास-बहू की अधिकार सम्बन्धी ईष्र्या थी। औरत को अकेली जानकर कुछ अवांछित तत्व के लोग उसके धन और प्रतिष्ठा पर भी आँखें उठाते । रंगप्पा भी ऐसा ही किया| जिसे बहू की पैनी निगाहों ने ताड़ लिया। उसने पोते को उसके पास भेजने का एक नाटक किया। अब मंगम्मा पोत के लिए मिठाई भी बाजार से खरीदकर ले जाने लगी ।
एक दिन कौवे ने उसके माथे से मिठाई का दोना ले उडा। अंधविश्वास के कारण मंगम्मा भयभीत हो उठी। | बहू के द्वारा नाटकीय ढंग से पोते को दादी के पास भेजने का बहू का मंत्र – बड़ा कारगर हुआ । दूरी बढ़ने से भी प्रेम बढ़ता है। मानसिक तनाव घटता है। हुआ भी ऐसा ही । मंगम्मा को भी बहू में सौहार्द| बेटे और पोते में स्नेह नजर आने लगी। बड़े-बूढों ने भी समझाया। बहू ने मंगम्मा का काम अपने जिम्मे ले लिया। बहू ने बड़ी कुशलता से पुन: परिवार में शान्ति स्थापित कर लिया और पूर्ववत रहने लगी।
10. ढहते विश्वास कहानी का सारांश प्रस्तुत करें।
उत्तर :- लक्ष्मी वर्षा की निरन्तरता में भीषण बाढ़ आने की बात सोचकर दु:खी हो रही थी। उसके पति लक्ष्मण कलकत्ता की नौकरी में कुछ पैसे भेज देता था और वह स्वयं तहसीलदार का छिटपुट काम करके बच्चों के साथ अपना भरण-पोषण कर रही थी। भूमि की छोटा टुकड़ा तो प्रकृति-प्रकोप से ही तबाह रहता है। कटक में लौटा गुणनिधि महानदी की इस बाँध की सुरक्षा के लिए गाँव के युवकों को स्वयंसेवी दल बनाकर बाँध की सुरक्षा में सब संलग्न थे । लक्ष्मी भी बडे लड़के को बाँध पर भेजकर दो लड़कियों और एक साल के लड़का के साथ घर पर है। लक्ष्मी भी पूर्व के आधार पर कुछ चिउड़ा बर्तन-कपड़ा संग्रह कर लिया । गाय, बकरियों के पगहा खोल दिया अच्युत तो बाँध पर ही जूझ रहा था। बाढ़ आ गई और शोर मच गया। गुणनिधि-काम में जुटा था। लोगों में जोश भर रहा था और लोगों को ऊँचे पर जाने का निर्देश भी दे रहा था। सब लोगों का विश्वास आशंका में बदल गया। लोग काँपते पैरों से टीले की ओर भागे। स्कूल में भर गये । देवी स्थान भी भर गया। लोग हतास थे अब तो केवल माँ चंडेश्वरी का ही भरोसा है। लक्ष्मी भी अच्यूत की आशा छोड़कर जैसे-तैसे बच्चों को लेकर भाग रही थी क्योंकि बाढ़ वृक्ष घर सबों को जल्दी-जल्दी लील रही थी। शिव मन्दिर के समीप पानी के बहाव इतना बढ़ गया कि लक्ष्मी बरगद की जटा में लटककर पेड़ पर चढ़ गई । वह बेहोश हो गई । कोई किसी की पुकार सुननेवाला नहीं। टीले पर लोग अपने को खोज रहे थे। स्कूल भी डूब चुका था। अतः लोग कमर भर पानी में किसी प्रकार खड़े थे। लक्ष्मी को होश आने पर उसका छोटा लडका लापता था। वह रो चिल्ला रहा थी, पर सुननेवाला कौन था ? लोगों का विश्वास देवी-देवताओं पर से भी उठ गया क्योंकि इनपर बार-बार विश्वास करके लोग, मात्र ठगे जाते रहे हैं। लक्ष्मी ने पुनः पीछे देखा पर उसकी दृष्टि शुन्य थी। फिर भी एक शिशु शव को उसने पेड़ की तने पर से उठा लिया और सीने से भींच लिया यद्यपि वह उसक पुत्र का शव नहीं था।