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CGBSE Board 12th Chemistry Exam 2024 : Important Question with Answer

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छत्तीसगढ़ बोर्ड 12वीं की रसायन विज्ञान परीक्षा 14 मार्च, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।

इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ बोर्ड 12th परीक्षा 2024 के लिए रसायन विज्ञान के महत्वपूर्ण (CG Board 12th Chemistry  Important Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

छात्रों को इन (CG Board 12 Chemistry Viral Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।

अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे रसायन विज्ञान के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I

 CGBSE Board 12th Exam 2024 Chemistry Important Questions 

Very Short Answers Question

1. ईथर के दो उपयोग लिखिए।

Ans: 

  • इनका सर्वाधिक प्रयोग प्रयोगशाला एवं उद्योगों में तेल, रेजिन, गोंद आदि के विलायकों के रूप में किया जाता है।
  • ईथर का प्रयोग सामान्य बेहोशीकारक के रूप में किया जाता है।
  • ऐल्कोहॉल तथा ईथर के मिश्रण का प्रयोग पेट्रोल के विकल्प के रूप में किया जाता है।

2. समपरासी विलयन किसे कहते है ?

Ans: ऐसे विलयन, जिनके परासरण दाब समान ताप पर समान हों, समपरासरी विलयन कहलाते हैं। दो समपरासरी विलयनों को अर्द्ध-पारगम्य झिल्ली द्वारा पृथक् करने पर परासरण नहीं होता है।

3. गैसों की जल में विलेयता किन-किन कारकों पर निर्भर करती हैं ?

Ans: गैस की प्रकृति पर, ताप पर, गैस के दाब पर।

4. आदर्श विलयन की शर्तें लिखिए ।

Ans: आदर्श विलयन की शर्तें :

  1. अंतराण्विक बल समान: विलयन के घटकों के बीच आकर्षण बल और घटकों के बीच आकर्षण बल समान होने चाहिए।
  2. आयतन परिवर्तन शून्य: विलयन बनाने पर आयतन में परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
  3. मिश्रण की एन्थैल्पी शून्य: विलयन बनाने पर ऊष्मा का अवशोषण या उत्सर्जन नहीं होना चाहिए।
  4. राउल्ट का नियम: सभी तापमानों और सान्द्रताओं पर राउल्ट का नियम लागू होना चाहिए।
  5. वाष्प दाब: विलयन का वाष्प दाब, घटकों के आंशिक दाबों के योग के बराबर होना चाहिए।
  6. बॉयल का नियम: गैसीय विलयनों के लिए, बॉयल का नियम लागू होना चाहिए।

5. कोलाइडी विलयन में कोलाइडी कणों का आकार क्या होता है?

Ans: कोलाइडी विलयन में कोलाइडी कणों का आकार 10-7 सेमी से 10-15 सेमी तक होता है। यह आकार, सामान्य विलयन में घुलित कणों के आकार से बड़ा और असली विलयन में कणों के आकार से छोटा होता है।

6. किसी गैस की ठोस सतह पर अधिशोषण की मात्रा किस पर निर्भर करती है?

Ans: गैस की ठोस सतह पर अधिशोषण की मात्रा निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है:

  1. गैस का दाब: दाब बढ़ने पर अधिशोषण बढ़ता है।
  2. तापमान: तापमान बढ़ने पर अधिशोषण कम होता है।
  3. गैस और ठोस की प्रकृति: गैस और ठोस के बीच आकर्षण बल जितना मजबूत होगा, अधिशोषण उतना ही अधिक होगा।
  4. ठोस की सतह क्षेत्र: सतह क्षेत्र जितना बड़ा होगा, अधिशोषण उतना ही अधिक होगा।
  5. अशुद्धियाँ: अशुद्धियाँ अधिशोषण को कम कर सकती हैं।

7. ब्राउनियन गति के कारण को स्पष्ट कीजिए।

Ans: ब्राउनियन गति, एक प्रकार की धार्मिक चलन है, जिसमें अणु या रसायनिक कण अपने आप संयोजित होते हैं, जिससे अशुद्धियों को बाहर किया जाता है। इसका परिणाम होता है कि कण चलते हैं और समानांतर गति में बने रहते हैं, जो उन्हें एक साथ स्थिर रखता है।

8. आइस्क्रीम के निर्माण में जिलेटिन का उपयोग क्यों किया जाता है?

Ans: जिलेटिन एक रंगहीन, स्वादहीन, खाद्य योज्य है जो पशुओं के कोलैजन से बनाया जाता है। आइसक्रीम में जिलेटिन पायसीकारक का कार्य करता है। यह आइसक्रीम को एक नरम बनावट और ताज़ा रूप भी प्रदान करता है। बड़े क्रिस्टल बनने की रोकथाम करता है। अपने पानी की मात्रा को कम करके आइसक्रीम की स्थिरता बनाए रखता है।

9. भौतिक अधिशोषण में गैस के कण ठोस सतह पर किस बल द्वारा बंधे रहते हैं?

Ans: भौतिक अधिशोषण में गैस के कण ठोस सतह पर वाण्डर वाल्स बलो द्वारा बंधे रहते हैं।

10. अधिशोषण क्या है?

Ans: जब गैस या द्रव के अणु किसी वृहत क्स्जेटरफल वाले ठोस के संपर्क में आते हैं तो कभी-कभी गैस या द्रव के अणुओं की ठोस की सतह पर सांद्रता बाद जाती है। इस घटना को अधिशोषण कहते हैं।

11. ऐरोसॉल क्या है?

Ans: जब ठोस कण गैसीय परिक्षेपण माध्यम में परिक्षिप्त होते हैं, तब ऐरोसॉल का निर्माण होता है।

12. विशोषण किस कहते हैं?

Ans: विशोषण एक व्याकरणिक शब्द है जो किसी शब्द, वाक्य या वाक्यांश की विशेषता या गुण को जाहिर करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह हिन्दी व्याकरण में बहुत महत्वपूर्ण है और भाषा को सुंदर, स्पष्ट और व्यवस्थित बनाने में सहायक होता है।

13. He के उपयोग लिखिए।

Ans: हीलियम के उपयोग - (1) दमा के रोगियों को हीलियम ऑक्सीजन का मिश्रण सांस लेने के लिए दिए जाता हैं|
(2) वायु की अपेक्षा हीलियम का भार कम होने के कारण इसे वायुयानों के टायरों में भरा जाता हैं|

14. वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 सबसे प्रबल अपचायक हैं, क्यों?

Ans: वर्ग 15 के तत्वों के हाइड्राइडों में BiH3 के प्रबल अपचायक होने का कारण यह है कि इस वर्ग के हाइड्राइडों में Bi-H आबन्ध की लम्बाई सबसे अधिक होती है जिसके कारण BiHसबसे कम स्थायी होता है।

15. निम्न में से कौन सा तत्व ऑक्सीजन के साथ क्रिया नहीं करता, , क्यों?
Zn, Ti, Pt, Fe

Ans: प्लैटिनम एक उत्कृष्ट धातु है। इसकी पहली चार आयनन एन्थैल्पियों का योग बहुत अधिक होता है, इसलिए यह ऑक्सीजन से सीधे संयोग नहीं करती है। दूसरी ओर Zn, Ti तथा Fe सक्रिय धातुएँ हैं, इसलिए ये ऑक्सीजन से सीधे संयोग करके संगत ऑक्साइड बनाती हैं।

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16. N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील हैं क्यों?

Ans: N2 कमरे के ताप पर कम क्रियाशील होती है; क्योंकि प्रबल pπ – pπ अतिव्यापन के कारण त्रिओबन्ध N ≡ N बनता है।

17. हैलोजन प्रबल आक्सीकारक क्यो हैं ?

Ans: हैलोजेनों में अल्प आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी, उच्च विद्युत ऋणात्मकता तथा अधिक ऋणात्मक इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी के कारण इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके अपचयित होने की प्रबल प्रवृत्ति होती है। 

X + e → X– 

अत: हैलोजेन प्रबल ऑक्सीकरण कर्मक या ऑक्सीकारक होते हैं। यद्यपि इनकी ऑक्सीकारक क्षमता F2 से I2 तक घटती है जैसा कि इनके इलेक्ट्रोड विभवों से सत्यापित होता है –

 

इसलिए F2 प्रबलतम तथा I2 दुर्बलतम ऑक्सीकारक होता है।

18. समतल ध्रुवित प्रकाश किसे कहते हैं?

Ans: (i) इस प्रकाश में विद्युत् वेक्टर के कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लम्बवत् तल में केवल एक ही दिशा में होते हैं ।
(ii) यदि इस प्रकाश को पोलेरॉइड में से गुजारा जाये तथा पोलेरॉइड को प्रकाश किरणों के परितः घुमाया जाये तो प्रकाश की तीव्रता विशेष स्थितियों में अधिकतम तथा विशेष स्थितियों में न्यूनतम होती है

19. अमोनिया का उपयोग प्रशीतन में क्यो किया जाता हैं ?

Ans: अमोनिया प्रशीतन में उपयोग किया जाता है क्योंकि यह उपयोगी उपाद्य है जो तेजी से गैस के रूप में उत्पन्न होता है और यह शीर्षक से लाभकारी आद्रता बढ़ाने में मदद कर सकता है।

20. फ्रीऑन किसे कहते हैं?

Ans: ऐल्केनों के पॉलिक्लोरोफ्लुओरो व्युत्पन्नों को फ्रेऑन कहते हैं। पॉलिक्लोरोफ्लुओरोमेथेन तथा पॉलिक्लोरोफ्लुओरोएथेन महत्त्वपूर्ण फ्रीऑन हैं,

21. क्यूमीन से फिनॉल बनाने की अभिक्रिया का समीकरण लिखिए -

Ans:

इस विधि का उपयोग फिनॉल के औद्योगिक उत्पाद के लिए किया जाता है।

22. डी0डी0टी0 और बी0एच0सी0 का पूरा नाम बताइये?

Ans: डी0डी0टी0 :- डाईक्लोरो-डाईफेनिइल-ट्राईक्लोरोमेथेन
बी0एच0सी0 :- बेन्जीन हाइड्रॉक्सी 'कार्बोनेट

23. विकृत एल्कोहॉल क्या है ?

Ans: विकृत अल्कोहल एथिल अल्कोहल है जिसमें थोड़ी मात्रा में मेथनॉल या पाइरीडीन जैसे हानिकारक पदार्थ मिलाए जाते हैं, जिससे यह पीने के लिए अनुपयुक्त हो जाता है। यह मुख्य रूप से औद्योगिक अल्कोहल को मनोरंजन प्रयोजनों के लिए उपयोग करने से रोकने के लिए किया जाता है।

24. पिक्रिक अम्ल का IUPAC नाम तथा संरचना सूत्र लिखिए।

Ans: पिक्रिक अम्ल का IUPAC नाम :- 2, 4, 6-ट्राईनाइट्रोफिनॉल

पिक्रिक अम्ल का संरचना सूत्र:- 

25. पावर एल्कोहॉल क्या होता है?

Ans: एथिल ऐल्कोहॉल पेट्रोल व बेन्जीन के मिश्रण को पॉवर एल्कोहॉल कहते है।

 

Short Answers Questions

1. ठोस अवस्था के अभिलाक्षणिक गुणधर्म लिखिए।

Ans:

  • ये निश्चित द्रव्यमान, आयतन एवं आकार के होते हैं।
  • इनमें अंतराआण्विक दूरियाँ लघु होती हैं।
  • इनमें उच्चअंतराआण्विक बल प्रबल होते हैं।
  • इनके अवयवी कणों (परमाणुओं, अणुओं अथवा आयनों) की स्थितियाँ निश्चित होती हैं और यह कण केवल अपनी माध्य स्थितियों के चारों ओर दोलन कर सकते हैं।
  • ये असंपीड्य और कठोर होते हैं।

2. क्रिस्टलीय एवं अक्रिस्टलीय ठोसों में अंतर स्पष्ट कीजिए। (कोई 4)

Ans: (i)क्रिस्टलीय ठोसों की ज्यामिति निश्‍चित होती है जबकि अक्रिस्टलीय ठोसों की ज्यामिति अनिश्‍चित होती है।
(ii) क्रिस्टलीय ठोसों के गलनांक निश्‍चित होते हैं लेकिन अक्रिस्टलीय ठोसों के गलनांक‌ निश्‍चित नहीं होते ।
(iii) क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते हैं जबकि अक्रिस्टलीय ठोस समदैशिक होते हैं।
(iv) क्रिस्टलीय ठोसों के शीतलन वक्र असतत होते हैं जबकि अक्रिस्टलीय ठोसों के शीतलन वक्र सतत होते हैं।

3. त्रिज्या अनुपात से आप क्या समझते है ?

Ans: त्रिज्या अनुपात एक गणितीय अनुपात है जो त्रिभुज के तीनों कोणों के ज्यामिति या त्रिज्याओं के बीच का अनुपात होता है। यह एक महत्वपूर्ण गणितीय संबंध है, जो त्रिभुज के विभिन्न पहलुओं को अनुमानित करने में मदद करता है।

त्रिज्या अनुपात को समझने के लिए, हमें त्रिभुज के तीनों कोणों की मान और उनके विपरीत कोनों की लंबाई को प्राप्त करना होता है। त्रिज्या अनुपात को किसी एक त्रिभुज के लिए ज्ञात करने में, हम उस त्रिभुज के तीनों कोणों की ज्यामितियों को समझते हैं और फिर उनके बीच के त्रिज्याओं को लेते हैं। इसे एक साधारण फार्मूला के रूप में प्रकट किया जा सकता है:

त्रिज्या अनुपात = (विपरीत कोन की लंबाई) / (उस कोन की मान)

इस अनुपात का प्रयोग त्रिभुज के विभिन्न गुणों की गणना करने में किया जाता है, जैसे कि क्षेत्रफल, रचना, और अन्य त्रिभुज संबंधी विशेषताओं को निर्धारित करने में। यह अनुपात त्रिभुज के अन्य गुणों को भी परिभाषित करने में सहायक होता है, जैसे कि समांतर श्रेणी, बहुभुजीय क्षेत्रफल, और उसकी विभिन्न विशेषताएं।

4. क्रिस्टल जालक तथा एकक कोष्ठिका को परिभाषित करते हुए इनके अभिलक्षण लिखिए।

Ans: जब क्रिस्टल में प्रत्येक कण को बिन्दु द्वारा दर्शाया जाए तब इन अवयवी कणों की त्रिविमीय व्यवस्था के आरेख को क्रिस्टल जालक कहते हैं ।अर्थात अंतराल या दिक् स्थान (Space) में कणों (बिन्दुओं) की नियमित त्रिविमीय व्यवस्था को क्रिस्टल जालक कहते है जबकि एकक कोष्टिका (Unit cell) किसी क्रिस्टल जालक का वह सबसे छोटा भाग है जिसकी विभिन्न दिशाओं में पुनरावृत्ति से पूर्ण जालक का निर्माण होता है।

5. अंतराकाशी रिक्ति किसे कहते हैं?

Ans: वे यौगिक जिनके क्रिस्टल जालक में अंतराकाशी स्थलों को छोटे आकार वाले परमाणु अध्यासित कर लेते हैं, अंतराकाशी यौगिक कहलाते हैं। अंतराकाशी यौगिक संक्रमण धातुओं के लिए भली प्रकार से ज्ञात होते हैं क्योंकि संक्रमण धातुओं के क्रिस्टल जालकों में उपस्थित रिक्तियों (voids) में छोटे आकार वाले परमाणु; जैसे- H, N या C सरलता से सम्पाशित हो जाते हैं।

6. एमीन के एसीलीकरण में पिराडीन का क्या कार्य हैं?

Ans: पिराडीन, एमीन के एसीलीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक अल्कोहल होता है जो विभिन्न रासायनिक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है। पिराडीन का मुख्य कार्य एमीन के एसीलीकरण में नाइट्रोजन एटम को प्राप्त करना होता है। यह नाइट्रोजन एटम फास्फोरस के साथ एमीन का अमोनिया को प्रतिस्थापित करने में मदद करता है, जिससे एमीन की स्थिरता और जीवाश्मिता बढ़ती है। पिराडीन की यह गुणधर्मिता एमीन के एसीलीकरण को संभव बनाती है और रासायनिक प्रक्रिया को समाप्त करने में मदद करती है।

7. मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड क्या है? इसे कैसे बनाया जाता है?

Ans: मानक हाइड्रोजन इलेक्ट्रोड - इसमें प्लैटिनम ब्लैक की परत चढ़ी हुई प्लैटिनम की एक पतली पत्ती का इलेक्ट्रोड हाइड्रोजन आयन (H+) के एक मोलर सांद्रता के विलयन में डुबाकर रखा जाता है । यह काँच की एक नली से ढँका रहता है । नली में से एक वायुमंडलीय दाब पर शुद्ध हाइड्रोजन गैस प्रवाहित की जाती है । जैसा की चित्र में दिखाया गया है।

8. ईंधन सेल को समझाइए ।

Ans: ईंधन सेल को एक इलेक्ट्रोकेमिकल सेल के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो एक इलेक्ट्रोकेमिकल प्रतिक्रिया के माध्यम से, ईंधन से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करता है। बिजली उत्पन्न करने वाली प्रतिक्रियाओं को बनाए रखने के लिए, इन कोशिकाओं को ईंधन और एक ऑक्सीकरण एजेंट (आमतौर पर ऑक्सीजन) के निरंतर इनपुट की आवश्यकता होती है। इस प्रकार, ईंधन और ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद होने से पहले ये कोशिकाएं लगातार बिजली का उत्पादन करेंगी।

एक ईंधन सेल, जिसमें एक कैथोड, एक एनोड और एक इलेक्ट्रोलाइट होता है, इलेक्ट्रोकेमिकल कोशिकाओं के समान होता है। इलेक्ट्रोलाइट इन कोशिकाओं में प्रोटॉन की गति को संभव बनाता है।

9. ताप का वेग स्थिरांक पर क्या प्रभाव होगा?

Ans: सामान्यतः अभिक्रिया का वेग स्थिरांक 10°C ताप बढ़ाने पर लगभग दोगुना हो जाता है। वेग स्थिरांक की ताप पर सटीक निर्भरता आरेनियस समीकरण k = Ae-Ea/RT द्वारा दी जाती है जहाँ A आवृत्ति गुणांक तथा E, अभिक्रिया की सक्रियण ऊर्जा है।

10. शून्य कोटि की अभिक्रिया क्या है? सूत्र भी लिखिए।

Ans: शून्य कोटि की अभिक्रिया – वह अभिक्रिया जिसकी प्रगति में अभिकारक के किसी भी अणु का सान्द्रण परिवर्तित नहीं होता है अर्थात् जिसका वेग अभिकारक के सान्द्रण पर निर्भर नहीं करता है, शून्य कोटि की अभिक्रिया कहलाती है। 

A → B+ C 

यदि इसका वेग ∝ [A]0 हो, तो यह शून्य कोटि की अभिक्रिया होगी। उदाहरणार्थ- सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में H2 व Cl2 का संयोग

 

शून्य कोटि के वेग स्थिरांक का व्यंजक – शून्य कोटि की अभिक्रिया के वेग स्थिरांक का व्यंजक x = kt है। जहाँ x अभिकारक A की वह मात्रा है जो t समय में अभिक्रिया करती है और है अभिक्रिया का वेग स्थिरांक है।

11. अभिक्रिया की अणुसंख्यता की परिभाषा लिखिए।

Ans: किसी अभिक्रिया की अणुसंख्य्ता, उस अभिक्रिया में भाग लेने वाले अणुओं, परमाणुओं या आयनों की संख्या है जिनसे स्टाइकियोमिति (रससमीकरणमिति) समीकरण को प्रदर्शित किया जाता है।

12. ताप गुणांक किसे कहते हैं?

Ans: कुछ रासायनिक अभिक्रियाओं में केवल ताप में 10°C वृद्धि करने पर अभिक्रिया दर दो गुना या तीन गुना हो जाता है। ताप के इस प्रभाव को तापमान गुणांक द्वारा दर्शाते है,

विभिन्न समय पर अभिक्रिया दर का अनुपात जिनके मध्य 10°C ताप का अंतर् हो, उसे तापमान गुणांक कहते है।

13. दर निर्धारण पद क्या है?

Ans: कुछ रासायनिक अभिक्रियाएँ एक से अधिक पदों में संपन्न होती है। अभिक्रिया की दर का निर्धारण सबसे धीमी गति से होने वाले पद द्वारा होता है, जिसे दर निर्धारक पद कहते है।

14. ऊर्जा अवरोध क्या है?

Ans: उस न्यूनतम ऊर्जा को जिसे प्राप्त करने के बाद ही अभिकारक अणु उत्पाद में परिवर्तित हो सकते है, ऊर्जा अवरोध कहलाते है। अभिकारी अणु जब तक इस शिखर की ऊँचाई (सक्रियण ऊर्जा) तक नहीं पँहुचते तब तक वे सक्रियित संकुल नहीं बना सकते और उत्पाद में परिवर्तित नहीं हो सकते।

15. नदी तथा समुद्र के मिलने के स्थान पर डेल्टा का निर्माण क्यों होता हैं ?

Ans: नदी का जल मृदा का कोलॉइडी विलयन होता है और समुद्र के जल में बहुत से वैद्युत्‌ अपघट्य होते हैं। दोनों प्रकार के जल जिस स्थान पर मिलते हैं वहाँ मृदा का स्कंदन हो जाता है। मृदा के जमने से डेल्टा का निर्माण होता है।

16. स्टार्च तथा आर्सेनिक सल्फाइडसॉल बनाने की विधि लिखिए।

Ans: स्टार्च तथा आर्सेनिक सल्फाइड सॉल बनाने के लिए, पहले एक बड़े प्याले में पानी उबालें। फिर, स्टार्च को पानी में हल्का करके डालें और अच्छे से मिलाएं। फिर उसमें आर्सेनिक सल्फाइड पाउडर डालें और फिर से मिलाएं। अब इस मिश्रण को धीरे-धीरे गरम करें, स्टार्च का अवशेष वाष्पीकरण हो जाएगा और एक ठोस आर्सेनिक सल्फाइड सॉल छोड़ जाएगा। इसे ठंडा होने दें, और फिर इसे आसानी से उपयोग के लिए इकट्ठा करें। यह विधि स्टार्च और आर्सेनिक सल्फाइड सॉल का तैयार करने के लिए प्रयोग में आती है।

17. अभिक्रिया दर की इकाई लिखिये।

Ans: अभिक्रिया दर की इकाई - मोल प्रति लीटर प्रति सेकण्ड ।

18. अधिशोषण के अनुप्रयोग लिखिए।

Ans: 

  1. कटैलिसीस (विषम कटैलिसीस):
    ए। ठोस उत्प्रेरक का उपयोग कई औद्योगिक विनिर्माण प्रक्रियाओं में किया जाता है।
    बी। उदाहरण के लिए, लोहे का उपयोग अमोनिया के निर्माण में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है, प्लैटिनम का उपयोग सल्फ्यूरिक एसिड के निर्माण में, एच 2 एसओ 4 (संपर्क प्रक्रिया द्वारा) जबकि बारीक विभाजित निकल का उपयोग तेलों के हाइड्रोजनीकरण में उत्प्रेरक के रूप में किया जाता है।
  2. गैस मास्क:
    ए. यह एक उपकरण है जिसमें सक्रिय चारकोल या अधिशोषक का मिश्रण होता है।
    बी। इसका उपयोग कोयला खदानों में जहरीली गैसों से बचने के लिए सांस लेने के लिए किया जाता है।
  3. आर्द्रता पर नियंत्रण:
    सिलिका और एल्युमिना जैल नमी के अच्छे अवशोषक हैं।
  4. उच्च वैक्यूम का उत्पादन:
    ए. किसी दिए गए दबाव पर तापमान कम करने से चारकोल पाउडर पर गैसों के सोखने की दर बढ़ जाती है। इस सिद्धांत का उपयोग करके, सोखना द्वारा एक उच्च वैक्यूम प्राप्त किया जा सकता है।
    बी। वैक्यूम पंप द्वारा खाली किया गया एक बर्तन दूसरे बर्तन से जुड़ा होता है जिसमें तरल हवा द्वारा ठंडा किया गया नारियल का कोयला होता है। उच्च निर्वात बनाने के लिए लकड़ी का कोयला हवा या नमी के शेष अंशों को सोख लेता है।
  5. अक्रिय गैसों का पृथक्करण:
    a. उत्कृष्ट गैसों के मिश्रण में, अलग-अलग गैसें अलग-अलग सीमा तक सोखती हैं।
    बी। चयनात्मक सोखना सिद्धांत के कारण, गैसों को नारियल के कोयले पर अलग किया जा सकता है।
  6. झाग उत्प्लावन प्रक्रिया:
    a. निम्न श्रेणी के सल्फाइड अयस्क को झाग बनाने वाले एजेंट के रूप में पाइन तेल का उपयोग करके सिलिका और अन्य मिट्टी के पदार्थ से अलग करके केंद्रित किया जाता है।
    बी। हाइड्रोफोबिक पाइन तेल अधिमानतः सल्फाइड अयस्क को सोख लेता है जो झाग में समा जाता है।

19. ऐल्युमिनियम की तीन मिश्र धातुओं के संगठन व उपयोग लिखिए।

Ans: ऐल्युमिनियम एक महत्वपूर्ण धातु है जो विभिन्न धातुओं के साथ मिश्रित होकर विभिन्न उपयोगों के लिए उपयुक्त होता है। निम्नलिखित हैं तीन मुख्य ऐल्युमिनियम मिश्र धातुओं के संगठन और उपयोग:

  1. धातु आइन्स: ऐल्युमिनियम को लोहे के साथ मिश्रित करने से धातु आइन्स बनता है। इस मिश्रण का लोहा बहुत ही स्थिर होता है और इसका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे कि सॉल्डर, बिजली के तार, इत्यादि बनाने में किया जाता है। धातु आइन्स का उपयोग विद्युत और इलेक्ट्रॉनिक उद्योगों में व्यापक रूप से किया जाता है।

  2. धातु और धातु यौगिक: ऐल्युमिनियम को अन्य धातुओं जैसे कि मैग्नीजियम, कॉपर, निकेल, आदि के साथ मिश्रित किया जाता है तो यह धातु और धातु यौगिक बनता है। ये मिश्रण अधिक टिकाऊता, धारण क्षमता, और अच्छी संघटनात्मक गुणवत्ता प्रदान करते हैं। इस मिश्रण का उपयोग वाहन उद्योग, कृषि मशीनरी, इमारत निर्माण, और अन्य उद्योगों में किया जाता है।

  3. धातु और अणुमल: ऐल्युमिनियम को चुने हुए अणु, जैसे कि सिलिका, के साथ मिश्रित करके धातु और अणुमल बनता है। इस मिश्रण का उपयोग विभिन्न विज्ञानिक और औद्योगिक उपयोगों में किया जाता है, जैसे कि धातुर्गी, रेखांकन, और अन्य क्षेत्रों में। यह मिश्रण भी उच्च तापमान और रोचक विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है।

इन तीन मुख्य ऐल्युमिनियम मिश्र धातुओं के संगठन और उपयोगों के माध्यम से, ऐल्युमिनियम धातु का विस्तार समझा जा सकता है और इसका उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जा सकता है।

20. क्लोरीन के आक्सी अम्लो की सरंचना लिखकर अम्लीयता का क्रम लिखिए।

Ans: 

संरचना - HCIO की संरचना - HCIO के CIO आयन में केंद्रीय परमाणु क्लोरीन sp3 संकरण द्वारा चार संकर कक्षक बनाता है, जिनमे से तीन पर एकाकी इलेक्ट्रान युग्म और चौथा ऑक्सीजन परमाणु के d -कक्षक से अतिव्यापन करके σ-बंध बनाता है| इनकी आकृति रेखीय हो जाती है|

HCIO4 की संरचना- इसके केंद्रीय परमाणु Cl में sp3 संकरण होता है, इस प्रकार CIO4 आयन की संरचना चतुष्फलकीय होती है|

21. ब्लीचिंग पाउडर की विरंजन क्रिया को समझाइए ।

Ans: जिस वस्त्र का विरंजन करना होता है, उसे Na2CO3 विलयन के साथ उबालकर चिकनाई हटा लेता है| फिर उसे घरियों की सहायता से अनेक बड़े पथरों के टबों में ले जाया जाता है| वस्त्र को पहले एक ऐसे पात्र में डुबाया जाता है, जिसमे विरंजक चूर्ण (CaOCl2) का तनु विलयन भरा रहता है| वस्त्र को इस पात्र से निकाल कर दूसरे पात्र में डुबाते है, जिसमे तनु H2SO4 भरा रहता है| तनु H2SO4 की विरंजक चूर्ण की क्रिया से क्लोरीन गैस निकलती है , जो वस्त्र का विरंजन कर देती है|

CaOCl2 + H2SO4 → CaSO4 + H2O + Cl2

अब इसे तीसरे पात्र में, जिसमे सोडियम थायो-सलफेट हाइपो का विलयन होता है डूबा देते है| हाइपो द्वारा क्लोरीन की अधिक मात्रा समाप्त हो जाती है| इसके पश्चात कपडे को चौथे तब में ले जाया जाता है, जिसमे इसे पानी में खूब धोते है| यहाँ कपडे में लगे सारे रासायनिक पदार्थों को धोकर निकाल दिया जाता है| इसके बाद कपडे को गर्म रोलरों पर दबाया जाता है, जिससे कपडा सुख जाता है तथा इस्त्री करने के बेलनों से कपडे की सिकुड़न कर दी जाती है| अंत में रंग उड़े कपडे को छड़ पर गोल करके लपेट देते हैं|

22. लैंथेनाइड संकुचन क्या है? लैन्थेनाइड संकुचन के प्रभाव लिखिए।

Ans: लैन्थेनाइड संकुचन-लैन्थेनाइडो के परमाणु क्रमांक बढ़ने के साथ-साथ उनके परमाणुओं एवं आयनों के आकार में कमी होती है, इसे लैन्थेनाइड संकुचन कहते है |

कारण- लैन्थेनाइडो में आने वाला नया इलेक्ट्रॉन बाह्यतम कक्ष में न जाकर (n-2)f-उपकोश में प्रवेश करता है, फलतः इलेक्ट्रॉन और नाभिक के मध्य आकर्षण बल में वृद्धि होती है, जिससे परमाणु अथवा आयन संकुचित हो जाता है |

लैन्थेनाइड संकुचन के प्रभाव-

(i) लैन्थेनाइडो के गुणों में परिवर्तित-लैन्थेनाइड संकुचन के कारण इनके रासायनिक गुणों में बहुत कम परिवर्तन होता है | अतः इन्हें शुध्द अवस्था में प्राप्त करना अत्यन्त कठिन होता है |

(ii) अन्य तत्वों के गुणों पर प्रभाव- लैन्थेनाइड संकुचन का लैन्थेनाइडो से पूर्व आने वाले तथा इनके बाद आने वाले तत्वों के आपेक्षिक गुणों पर बहुत महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है | उदाहरण के लिए, Ti और ज़र के गुणों में भिन्नता होती है, जबकि Zr और Hf गुणों में काफी समानता रखती है |

23. द्विक लवण तथा संकुल लवण में तीन अंतर लिखिये।

Ans:

24. सेण्डमेयर अभिक्रिया को उदाहरण सहित लिखिए |

Ans: सैण्डमेयर अभिक्रिया- ऐरोमैटिक प्राथमिक ऐमिन को HNO2 के साथ 0C से 5C ताप पर अभिक्रिया कराने पर बेंजीन डाइ इंजोनियम लवण बनता है जो क्यूप्रस और उसके संगत अम्ल की उपस्थिति में विघटित होकर हैलोएरिन देते है।

25. एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि लिखिए।

Ans: क्रियाविधि (Mechanism) – एथेनॉल के अम्लीय निर्जलन से एथीन प्राप्त करने की क्रियाविधि निम्नलिखित पदों में सम्पन्न होती है – 

प्रथम पद : प्रोटॉनित ऐल्कोहॉल का बनना (Formation of protonated alcohol) – 

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