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CGBSE Chhattisgarh Board 12th History Exam 2024 : Important Question with Answers

CGBSE Chhattisgarh Board 12th History Exam 2024 : Important Question with Answers

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छत्तीसगढ़ बोर्ड 12वीं की इतिहास परीक्षा 7 मार्च, 2024 को निर्धारित है। तो यह आर्टिकल आपके लिए काफी ज्यादा महत्वपूर्ण साबित होने वाला है क्योंकि इस आर्टिकल में आपको बोर्ड परीक्षा के लिए वो ही प्रश्न दिए गए है जो बोर्ड पेपर में आने जा रहे है।

इस पोस्ट में छत्तीसगढ़ बोर्ड 12th परीक्षा 2024 के लिए इतिहास के महत्वपूर्ण (CG Board 12th History Important Question 2024) प्रश्न दिये गये है जो आपके पेपर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

छात्रों को इन (CG Board 12 History Viral Question 2024) प्रश्नों को अच्छी तरह से याद रखना चाहिए, जिससे आपको तैयारी करने में आसानी होगी।

अब आपकी परीक्षा में कुछ ही घंटे बचे है I जिससे  इतिहास के पेपर की तैयारी कर सकते हैं और अच्छे मार्क्स ला सकते है I

CGBSE Board 12th Exam 2024 History Important Questions

अति लघुउत्तरीय प्रश्न : 1 अंक

1. सिंधु सभ्यता को जानने के स्रोत कौन-कौन से हैं ?

Ans. सिंधु सभ्यता को जानने का सबसे बड़ा स्रोत पुरातत्व विभाग की महत्वपूर्ण खोजें है, जो कि 1922 ,के लगभग शुरू हुई थी । इसी दौरान वहां खुदाई शुरू की गई थी, जिसमें निम्नलिखित अवशेष प्राप्त हुए थे ।

2. पुरातत्व का क्या अर्थ है ?

Ans. पुरातत्व का अर्थ है 'पुरानी चीज़ों का अध्ययन' या 'ऐतिहासिक अवशेषों की खोजबीन।'

3. जॉनमॉल कौन थे ?

Ans. जॉनमॉल एक प्रमुख अंग्रेजी यात्री और विजेता थे, जो भारतीय महासागर क्षेत्र में अपनी यात्रा करते थे। अमेरिकी राजनीतिज्ञ और प्रथम अमेरिकी राष्ट्रपति थे।

4. मोहन जोदड़ो शब्द का क्या अर्थ है ?

Ans. मोहन जोदड़ो सिंधी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ है "मुर्दों का टीला"।

5. हड़प्पा में जल संचय के (अवशेष) कहां से प्राप्त हुए हैं ?

Ans. हड़प्पा में जल संचय के अवशेष मुख्य रूप से निम्नलिखित स्थानों से प्राप्त हुए हैं : 1. स्नानागार, 2. बांध, 3. कुएं, 4. जल निकासी व्यवस्था, 5. मिट्टी के बर्तन ।

6. सबसे पहले खोजा गया हड़प्पा स्थल कौन सा है ?

Ans. सबसे पहले खोजा गया हड़प्पा स्थल हड़प्पा ही था, जिसे 1921 में खोजा गया था।

7. हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम क्या है ?

Ans. हड़प्पा सभ्यता का दूसरा नाम "सिंधु-सरस्वती सभ्यता" है।

8. हड़प्पा लिपि कैसे लिखी जाती थी ?

Ans. यह चित्रात्मक थी, और इसे दाईं ओर से बाईं ओर लिखा जाता था । इसे बूस्ट्रोफ़ेडन पद्धति कहा जाता है ।

9. हड़प्पा सभ्यता की मुहरे किस पत्थर से बनी थी ?

Ans. हड़प्पा सभ्यता की मुहरे मुख्य रूप से सेलखड़ी नामक पत्थर से बनी थी।

10. स्तूप का संस्कृत अर्थ क्या है ?

Ans. स्तूप शब्द संस्कृत और पालि से लिया गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ “ढेर” होता है । यह एक गोल टीले के आकार की संरचना है, जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है।

11. भगवान बुद्ध के बचपन का नाम क्या था ?

Ans. भगवान बुद्ध के बचपन का नाम "सिद्धार्थ" था।

12. रामायण के रचयिता कौन थे ?

Ans. रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि थे।

13. पुराणों की कुल संख्या कितनी है ?

Ans. पुराणों की कुल संख्या 18 है।

14. स्तूप किसे कहते हैं ?

Ans. स्तूप को मिट्टी व अन्य पदार्थों का ढेर या एकत्र किये गये समूह कहते हैं। यह एक गोल टीले के आकार की संरचना होती है, जिसका प्रयोग पवित्र बौद्ध अवशेषों को रखने के लिए किया जाता है।

15. "जिन" शब्द का क्या आषय है ?

Ans. “जिन” शब्द का आषय जीतने वाला होता है। यह शब्द जैन धर्म से संबंधित है, जहां “जिन” का अर्थ होता है, वह व्यक्ति जिसने अपने मन, वाणी और काया को जीत लिया हो। इसके अलावा, “जिन” शब्द का उपयोग भूतों के संदर्भ में भी होता है।

16. पुनर्जन्म का सिद्धांत क्या है ?

Ans. पुनर्जन्म का सिद्धांत है, कि जीवात्मा लगातार जन्म-मृत्यु की चक्रव्रिद्धि में परिसंसार में फिर से जन्म लेता है। इस सिद्धांत के अनुसार, कर्मों के आधार पर आत्मा को उच्च या नीचे जन्म लेना पड़ता है, और इस सार्थक जीवन में कर्मों के अनुसार फल प्राप्त होता है।

17. वैष्णव परम्परा क्या है ?

Ans. वैष्णव परम्परा एक धार्मिक परंपरा है जो हिन्दू धर्म में है, जिसमें वैष्णविज्ञानियों, संतों, और भक्तों के अनुयायियों का समृद्धि से संस्कृति और भक्ति का अध्ययन किया जाता है। इस परम्परा में विष्णु भगवान को आदि, अनादि, और अनंत (बिना आरंभ और अंत के) माना जाता है और उनके अवतारों का भक्ति और सेवा का प्रमाण किया जाता है।

18. रैयतवाड़ी व्यवस्था में भूमि का स्वामी कौन था ?

Ans. रैयतवाड़ी व्यवस्था में भूमि का स्वामी किसान होता था ।

19. संथाल विद्रोह का नेता कौन था ?

Ans. संथाल विद्रोह का नेता सिदो मुर्मू था।

20. बुकानन कौन था ?

Ans. फ्रांसिस बुकानन एक स्कॉटिश चिकित्सक, वनस्पतिशास्त्री, भूगोलवेत्ता और यात्री थे। वे 1794 में ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए एक चिकित्सक के रूप में भारत आए थे।

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लघुउत्तरीय प्रश्न : 2 अंक

1. अभिलेख किसे कहते हैं ?

Ans. वह पुरातात्विक साक्ष्य होते हैं, जो प्राचीन काल में राजाओं तथा अन्य शाषकों द्वारा पाषाणों, शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों एवं दीवारों पर उत्कीर्ण किये जाते थे। अभिलेखों का उपयोग आमतौर पर आदेशों का प्रसार करने के लिए किया जाता था, ताकि लोग उन्हें देख सके और उन आदेशों का पालन कर सके। इन अभिलेखों को अलग अलग भाषाओं में लिखा जाता था, जिसमें से प्रमुख भाषाएँ पाली, संस्कृत और प्राकृत है।

2. मगध साम्राज्य की चार महत्वपूर्ण राज्यों के नाम लिखिए।

Ans. मगध साम्राज्य के चार महत्वपूर्ण राज्यों के नाम निम्नलिखित हैं :

1. हर्यक वंश (544 BC से 413 BC) : इसके संस्थापक बिम्बिसार थे।

2. शिशुनाग वंश (413 BC से 345 BC) : इसके संस्थापक शिशुनाग थे।

3. नन्द साम्राज्य (345 BC से 322 BC) : इसके संस्थापक महापद्म नन्द थे।

4. मौर्य साम्राज्य (322 BC से 185 BC) : इसके संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य थे।

3. धम्म क्या है ?

Ans. धम्म एक पाली शब्द है जिसका अर्थ होता है "धार्मिक आदर्श" या "धार्मिक नियमों का पालन करना"। बौद्ध धर्म में, धम्म बुद्ध के उपदेश और मार्गदर्शन का सार है, जिसमें करुणा, शान्ति, और सहिष्णुता के सिद्धांत शामिल हैं। यह बौद्ध धर्म की मुख्य भूलें में से एक है और उपयोग में विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों में विभिन्न अर्थों में प्रयुक्त हो सकता है।

4. मथुरा कला शैली क्या है ?

Ans. मथुरा कला शैली भारतीय कला का एक महत्वपूर्ण शैली है जो उत्तर भारत, विशेषकर मथुरा नगर में विकसित हुई थी। यह कला शैली प्रमुख रूप से गुप्त शासकों के समय (4वीं से 6वीं सदी ईसा पूर्व) में उत्कृष्टता की दृष्टि से महत्वपूर्ण हुई। मथुरा कला शैली का केंद्र गंगा नदी के किनारे स्थित मथुरा नगर था, जहां से इस शैली की अनेक कलात्मक सृष्टियाँ मिलती हैं।

मथुरा कला शैली के प्रमुख लक्षण मूर्तिकला, स्थापत्यकला, शिल्पकला, और वास्तुकला में दिखाई देते हैं। इसमें देवता-देवीयों की मूर्तियों में आकार-विधान और अभूतपूर्व शैली की विशेषताएं हैं। इस शैली की मूर्तियों में सुवर्ण या राजत का प्रयोग, विविधता, और आकर्षण की खोज में अद्वितीयता होती है। मथुरा कला शैली का प्रभाव भारतीय कला के विभिन्न क्षेत्रों में दिखाई देता है और इसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

5. गांधार कला शैली क्या है ?

Ans. गांधार कला शैली एक प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय कला है। इस कला का उल्लेख वैदिक तथा बाद के संस्कृत साहित्य में मिलता है। गांधार कला की विषय-वस्तु भारतीय थी, परन्तु कला शैली यूनानी और रोमन थी। इसलिए गांधार कला को ग्रीको-रोमन, ग्रीको बुद्धिस्ट या हिन्दू-यूनानी कला भी कहा जाता है। इसके प्रमुख केन्द्र जलालाबाद, हड्डा, बामियान, स्वात घाटी और पेशावर थे। इस कला में पहली बार बुद्ध की सुन्दर मूर्तियाँ बनायी गयीं।

6. गुप्त काल के चार साहित्यकारों के नाम लिखिए।

Ans. गुप्त काल के चार प्रमुख साहित्यकार :

1. कालिदास : कालिदास गुप्त राजवंश के दरबारी और सबसे महत्वपूर्ण साहित्यकारों में से एक थे। उनकी महाकाव्य 'शाकुन्तला', 'रघुवंशम्', और 'कुमारसम्भव' आदि काव्यग्रंथ हैं।

2. बाणभट्ट : बाणभट्ट गुप्त साम्राज्य के राजा चण्ड्रगुप्त द्वितीय के दरबारी थे। उनका महत्वपूर्ण काव्य कृष्णायन और कादम्बरी हैं।

3. भास : भास एक प्रमुख नाटककार थे और उनका काव्य 'प्रतिज्ञाया उत्सव' एक प्रसिद्ध नाटक है।

4. अमरसिंह : अमरसिंह गुप्त राजवंश के कवियों में एक थे और उनका अमरकोष एक प्रसिद्ध संस्कृत कोष है।

 7. अंतर्विवाह तथा बहिर्विवाह में दो अंतर लिखिए |

Ans. अंतर्विवाह और बहिर्विवाह में निम्नलिखित दो अंतर हैं :

विवाह का दायरा : अंतर्विवाह में व्यक्ति को अपने ही समूह या वर्ग के भीतर विवाह करना होता है। वहीं, बहिर्विवाह में व्यक्ति को अपने समूह या वर्ग से बाहर किसी व्यक्ति के साथ विवाह करना होता है।

समाजिक प्रभाव : अंतर्विवाह समूह के भीतरी संघटन और संरचना को मजबूत करता है, जबकि बहिर्विवाह विभिन्न समूहों के बीच संपर्क और संवाद को बढ़ावा देता है।

8. मनुस्मृति क्या है, इसका संकलन कब हुआ ?

Ans. मनुस्मृति हिन्दू धर्म और मानवजाति का एक प्राचीन धर्मशास्त्र और प्रथम संविधान है। इसमें कुल 12 अध्याय हैं, जिनमें 2684 श्लोक हैं। मनुस्मृति का संकलन काल ई.पू. एक हज़ार वर्ष से लेकर ई.पू. दूसरी शताब्दी तक माना जाता है। इसकी रचना के संबंध में कहा गया है, कि धर्म, वर्ण और आश्रमों के विषय में ज्ञान प्राप्ति की इच्छा से ऋषिगण स्वायंभुव मनु के समक्ष उपस्थित हुए।

9. दक्कन का युद्ध स्थल किसे कहा गया है ?

Ans. दक्कन का युद्ध स्थल को तालीकोटा कहा जाता है। यह युद्ध 1565 में विजयनगर साम्राज्य और बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा और बीदर की संयुक्त सेनाओं के बीच लड़ा गया था। यह युद्ध दक्षिण भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी। तालीकोटा कर्नाटक राज्य के रायचूर जिले में स्थित एक शहर है। यह शहर कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। तालीकोटा का युद्ध इस शहर के पास कृष्णा नदी के किनारे लड़ा गया था।

10. स्त्री धन क्या है ?

Ans. शादी के समय माता-पिता द्वारा महिला को दी गई भौतिक संपत्ति को स्त्रीधन कहा जाता है। इसमें पैसा, आभूषण, जमीन, और बर्तन शामिल हो सकते हैं। स्त्रीधन दहेज से अलग है। दहेज वर पक्ष को दिया जाता है, जबकि स्त्रीधन वधु को ही दिया जाता है। स्त्रीधन पर कानूनी तौर पर भी स्त्री का ही पूर्ण अधिकार है।  

11. गोत्र शब्द से क्या तात्पर्य है ?

Ans. गोत्र एक ऋषि या पुरुष पूर्वज का वंश है। यह एक सामाजिक समूह है जो एक ही ऋषि या पुरुष पूर्वज से जुड़ा हुआ है।

12. सभा मण्डप क्या था ?

Ans. सभा मण्डप एक ऊँचा मंच था, जिसमें पास-पास तथा निश्चित दूरी पर लकड़ी के स्तम्भों के लिए छेद बने हुए थे। इन स्तम्भों पर टिकी दूसरी मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं।

13. भारतीय संविधान की कोई दो प्रमुख विशेषताएं लिखिए ?

Ans. भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं :

1. लिखित और निर्मित संविधान : विश्व का सबसे विस्तृत लिखित संविधान।

2. संघवाद और एकतावाद का मिश्रण : शक्तियों का विभाजन, लचीलेपन, और कठोरता।

14. अनुच्छेद 356 क्या है ?

Ans. अनुच्छेद 356 भारतीय संविधान के भाग XIX में है। यह राज्य सरकार को निलंबित कर देता है और राज्यपाल राज्य के मुख्य कार्यकारी (केंद्र में नियुक्त) के रूप में कार्य करता है। इसके अतिरिक्त, अनुच्छेद 356 को “राज्य आपातकाल” या “संवैधानिक आपातकाल” के रूप में जाना जाता है।

15. लोकतंत्र शब्द का क्या अर्थ है ?

Ans. लोकतंत्र शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है: लोक (जनता) और तंत्र (शासन)। इसका अर्थ है जनता का शासन। यह एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें जनता अपनी स्वेच्छा से निर्वाचन में आए हुए किसी भी उम्मीदवार को मत देकर अपना प्रतिनिधि चुन सकती है। लोकतंत्र में जनता अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से स्वयं शासन करती है।

16. सार्वभोमिक वयस्क मताधिकार से क्या अभिप्राय है ?

Ans. सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार का अर्थ है कि बिना किसी भेदभाव के सभी वयस्कों (एक जेसे आयु से अधिक आयु वालों को) मताधिकार प्राप्त होना। अर्थात वोट देने का अधिकार। भारत में मतदान की न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष निर्धारित है, और मताधिकार के संबंध सभी में संपत्ति, लिंग या शिक्षा जैसा किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। इसका महत्वपूर्ण अर्थ है कि सभी वयस्क नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मतदान का अधिकार होना चाहिए, चाहे वह किसी जाति, धर्म, लिंग, नस्ल या संपत्ति का हो। यह व्यवस्था लोकतांत्रिक सिद्धांतों और भावनाओं के अनुकूल है, जो समानता के सिद्धांत पर आधारित है।

17. राष्ट्रीय भाषा की क्या विशेषताएं होनी चाहिए ?

Ans. राष्ट्रीय भाषा की विशेषताएं :

1. व्यापकता : अधिकांश लोगों द्वारा बोली और समझी जाए।

2. सांस्कृतिक महत्व : संस्कृति और इतिहास को दर्शाए।

3. राजनीतिक महत्व : एकता और अखंडता को मजबूत करे।

4. साहित्यिक महत्व : समृद्ध साहित्यिक परंपरा हो।

5. लचीलापन : समय के साथ विकसित हो सके। 

18. उपनिवेशवाद से क्या अभिप्राय है ?

Ans. उपनिवेशवाद एक विचारधारा है, जो समाज में सामाजिक और आर्थिक समानता की प्राप्ति के लिए विभिन्न वर्गों के बीच समानता की ओर प्रोत्साहित करती है।

19. जोतदार जमींदारों की सत्ता का किस प्रकार विरोध करते थे ?

Ans. जोतदार जमींदारों गाँव में अपना प्रभाव नियंत्रण बढ़ाने के लिए जमींदारों का विरोध करते थे। वे जमींदारों द्वारा गाँव की जमा (लगान) को बढ़ाने के प्रयत्नों का विरोध करते थे और जींदारों के अधिकारियों को अपने कर्तव्यों का पालन करने से रोकते थे, तथा उन पर निर्भर किसानों को अपने पक्ष में एकजुट रखते थे।

20. पांचवी रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के क्या कारण थे ?

Ans. पांचवीं रिपोर्ट को 1928 में प्रस्तुत किया गया था ताकि भारतीय गणराज्य की स्थापना के लिए संविधान बनाने के लिए विचार किया जा सके।

लघुउत्तरीय प्रश्न : 3 अंक

1. विजयनगर साम्राज्य के पतन के क्या कारण है लिखिए ?

Ans. विजयनगर साम्राज्य के पतन के निम्नलिखित कारण थे :-

1. पुर्तगालियों का आगमन - पुर्तगालियों का आगमन भी विजयनगर के लिए घातक सिद्ध हुआ। ये लोग व्यापारियों के रूप में आये थे पर समुद्रीय तटों पर अधिकार जमा कर उन्होंने विजयनगर पर अपना प्रभाव जमा लिया।

2. दक्षिण मुस्लिम राज्यों में हस्तक्षेप - कृष्णदेवराय की मृत्यु के साथ विजयनगर का विवेक भी जाता रहा था, क्योंकि रामराय जैसे शासकों ने दक्कनी राज्य की आन्तरिक राजनीति में हस्तक्षेप आरम्भ कर दिया था, जिसके फलस्वरूप दक्कनी महासंघ की स्थापना हुई और तालिकोट का युद्ध विजयनगर के लिए अन्तिम प्रहार साबित हुआ।

3. उत्तराधिकारियों की अयोग्यता - विजयनगर साम्राज्य के अयोग्य उत्तराधिकारी विजयनगर साम्राज्य के पतन का एक प्रमुख कारण थे। कृष्णदेव राय की मृत्यु के पश्चात् विजयनगर साम्राज्य में कोई भी शासक कृष्णदेव राय के समान कुशल व योग्य नहीं था। कृष्णदेव राय के पश्तचात् उनका भाई अतच्युत राय एवं उसकी मृत्यु के बाद उसका भतीजा सदाशिव राय विजयनगर के अयोग्य उत्तराधिकारी थे, जिनके कारण विजयनगर साम्राज्य का पतन हो गया।

4.सेना का सामन्तवादी स्वरूप - विजयनगर साम्राज्य की सेना सामन्तशाही स्वरूप की थी। सेना अपने सामन्त के प्रति वफादार होती थी। सामन्त का सम्राट से अवसहयोग सेना के असहयोग को जन्म देता था। सामन्तों की महत्वाकांक्षा के कारण विजयनगर साम्राज्य के सैनिक सम्राट के प्रति पूर्णतः वफादार नहीं थे।

2. मुगल काल में कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान लिखिए।

Ans. मुगलकालीन भारत में कृषि उत्पादन में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान था। मर्द खेत जोतते और हल चलाते थे, जबकि महिलाएँ बुआई, निराई, और कटाई के साथ-साथ पकी हुई फसल का दाना निकालने में भी सक्रिय थीं। उनका सहयोग परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता था और उनके सामाजिक आदिकारों को भी मजबूती प्रदान करता था।

3. ग्राम पंचायत के कार्य लिखिए।

Ans. ग्राम पंचायत के कार्य :-

1. विकास योजनाएँ : ग्राम पंचायत विकास योजनाओं की योजना बनाती है और उनके अनुसार काम करती है।

2. सामाजिक कल्याण : ग्राम पंचायत सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में उपायुक्त कार्य करती है।

3. स्वच्छता अभियान : ग्राम पंचायत स्वच्छता अभियान को प्रोत्साहित करती है और साफ-सुथरे गाँव का संचालन करती है।

4. सार्वजनिक सुरक्षा : ग्राम पंचायत सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए कदम उठाती है और गाँवीयों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

5. सामुदायिक विकास : ग्राम पंचायत सामुदायिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए समुदाय के सभी सदस्यों को समाहित करती है।

6. नौकरी योजनाएँ : ग्राम पंचायत नौकरी योजनाओं को प्राथमिकता देती है ताकि गाँवीयों को रोजगार का अवसर मिल सके।

7. शिक्षा : ग्राम पंचायत शिक्षा के क्षेत्र में उपायुक्त पहल करती है और ग्रामीण बच्चों को शिक्षित बनाने के लिए कदम उठाती है।

4. मुगलकालीन भारत में काश्तकारी के कितनी श्रेणियां थी ? स्पष्ट कीजिए।

Ans. मुगलकालीन भारत में काश्तकारी कई श्रेणियों में विकसित हुई थी। यह चित्रकला 16वीं और 18वीं शताब्दी के बीच की अवधि का काल है, जब मुगलों ने भारत के बड़े हिस्से पर शासन किया था। मुगल चित्रकला का विकास सम्राट अकबर, जहाँगीर, और शाहजहाँ के शासनकाल में हुआ। इसका रूप फारसी और भारतीय शैली का मिश्रण के साथ ही विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं का संयोजन भी है।

मुगल चित्रकला के विषयों में विविधता है, जिसमें चित्र, दृश्य, अदालत जीवन की घटनाएँ, अंतरंग स्थानों में प्रेमियों को चित्रित करने वाले चित्र आदि शामिल हैं। मुगल चित्रकला अक्सर लड़ाई, पौराणिक कहानियों, शिकार के दृश्य, शाही जीवन, वन्यजीव, आदि के चारों ओर घूमती है। यह चित्रकला मुगल बादशाहों की लंबी कहानियों को बयान करने के लिए भी महत्त्वपूर्ण बन गई है।

मुगलकालीन भारत में चित्रकला के विकास में बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता होती थी। इसके लिए दो प्रकार के कारखाने थे : स्वतंत्र कारखाने और शाही कारखाने। स्वतंत्र कारखाने चित्रकारों द्वारा उनकी निजी पूंजी से छोटे स्तर पर चलाए जाते थे, जबकि शाही कारखाने विशेष रूप से शाही घराने की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए काम करते थे।

5. मौर्य साम्राज्य के इतिहास की जानकारी के प्रमुख स्त्रोतों का वर्णन करो।

Ans. मौर्य साम्राज्य के इतिहास के प्रमुख स्त्रोतों में शामिल हैं बौद्ध धर्म ग्रंथ, पुराण, अर्थशास्त्रीय ग्रंथ, अशोकावादिक प्रशासनिक अभिलेख, और ग्रीक और यूनानी लेखकों के दरबारी दूतों की रिपोर्टें। इन स्त्रोतों से प्राप्त जानकारी ने मौर्य साम्राज्य की राजनीति, सांस्कृतिक विकास, और प्रमुख घटनाओं को समर्थन दिया है, यहां तक ​​कि अशोक के शासनकाल की बहुल जानकारी प्राप्त होती है।

6. दिगम्बर और श्वेताम्बर में अंतर बताइये ।

Ans. जैन धर्म में दिगम्बर और श्वेताम्बर दो प्रमुख संप्रदाय हैं। अंतर के रूप में, दिगम्बर संप्रदाय के साधक वस्त्र रहित रहते हैं, जबकि श्वेताम्बर संप्रदाय के साधक वस्त्र पहनते हैं। दिगम्बर और श्वेताम्बर संप्रदायों के अद्वितीय अभिप्रेत्य सिद्धांतों में भी अंतर है, जो सुधी बुद्धिमत्ता, तपश्चर्या, और अनुयायियों की संख्या में विभिन्नता प्रदान करता है।

7. बौद्ध धर्म की तीनप्रमुख विषेशताएं लिखिए |

Ans. बौद्ध धर्म की तीन प्रमुख विशेषताएं :-

1. चारित्र परिवर्तन का सिद्धांत : बौद्ध धर्म में सिद्धांत है कि जीवन में संघर्षों और कष्टों के बावजूद, बोधिचित्त का पूर्णता की ओर बढ़ना चाहिए।

2. अहिंसा का पालन : बौद्ध धर्म में अहिंसा का महत्वपूर्ण स्थान है, और उन्होंने शान्ति और सामंजस्य के लिए शिक्षाएं दी हैं।

3. त्रिरत्न की शिक्षा : बौद्ध धर्म में बुद्ध, धर्म, और संघ को 'त्रिरत्न' कहा जाता है, और इनका पालन करने के माध्यम से सच्चे धर्मिक जीवन की प्राप्ति का प्रयास किया जाता है।

8. बर्नियर ने मुगल साम्राज्य को किस रूप में देखा ?

Ans. बर्नियर ने मुगल साम्राज्य को एक प्राचीन और भव्य साम्राज्य के रूप में देखा। उन्होंने मुगल सम्राटों की विशालकाय सेना, विकासशील सांस्कृतिक समृद्धि, और आलीशान दरबार की प्रशंसा की। उनका वर्णन मुगल साम्राज्य को एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक समृद्धि का केंद्र मानते हुए किया गया था, जिसमें बहुत रंगीन और आलीशान तस्वीर थी।

9. सूफी संतों की प्रसिद्धि की कोई तीन कारण लिखिए ।

Ans. 

1. तात्कालिक सामाजिक और धार्मिक असंतुलन : सूफी संत ने तात्कालिक समाज में हो रहे असंतुलन और धार्मिक तकरारों के समाधान के लिए अपने उपास्य और उपदेशों के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त की।

2. सामाजिक समर्थन : कई सूफी संतों को सामाजिक समर्थन और उनके द्वारा स्थापित किए गए धार्मिक आंदोलनों से सम्बंधित था, जिससे उन्हें लोगों की सामाजिक पहचान मिली।

3. अनुभूत भक्ति और सुधार दृष्टिकोण : सूफी संत ने अपने शिष्यों को अनुभूत भक्ति और सर्वधर्म समानता की शिक्षा दी, जिससे उनकी प्रसिद्धि बढ़ी और सामाजिक सुधार में योगदान हुआ।

10. कबीर की वाणी कौन कौन - सी विशिष्ट पुस्तकों में संकलित है ?

Ans. कबीर की वाणी विभिन्न लोक-ग्रंथों और संग्रहों में संकलित है, जिनमें कुछ प्रमुख हैं - 'कबीर ग्रंथावली', 'बीजक', 'सत्सैई', और 'कबीर बीजाक'। इन पुस्तकों में कबीर के दोहे, साखी, और भजनों का संग्रह है, जिनमें उन्होंने सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर अपने अद्वितीय दृष्टिकोण को व्यक्त किया है।

11. 16 वीं और 17 वीं शताब्दी का ग्रामीण समाज किन किन रिश्तों के आधार पर निर्मित था ?

Ans. 16वीं और 17वीं शताब्दी में भारत में ग्रामीण समाज समाज व्यवस्था, जाति, वर्ण, और खुदरा व्यापार पर आधारित था। जातिवाद और वर्णव्यवस्था समाज की रचना में महत्वपूर्ण थे और लोगों के सामाजिक स्थान को निर्धारित करते थे। समाज में खुदरा व्यापार, बाजार, और स्थानीय उद्यम भी महत्वपूर्ण थे, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को समर्थन करते थे।

12. मुगल काल में ग्राम पंचायत के मुखिया के कोई तीन कार्य बताइये ।

Ans. मुगल काल में ग्राम पंचायत के मुखिया का कार्य न्याय, शासन, और सामाजिक समर्थन में था। उन्हें ग्राम के विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेना, क़ानूनी मामलों की सुनवाई करना, और समाज के विकास के लिए योजनाएं बनाना था। वे ग्रामवासियों के बीच मध्यस्थ रूप में कार्य करते थे और सामाजिक समर्थन प्रदान करते थे।

13. भारत के विभाजन के दौरान महिलाओं के क्या अनुभव थे, स्पष्ट कीजिए ?

Ans. भारत के विभाजन के दौरान, महिलाएं असहमति, असुरक्षा, और परिवार की चुनौतियों का सामना कर रही थीं। वे घरों से बाहर निकलने में परेशान थीं और समाज में स्थान पाने में कठिनाई महसूस कर रही थीं। साथ ही, उन्हें धार्मिक और सामाजिक बंधनों का भी सामना करना पड़ा, जिसने उनके जीवन को प्रभावित किया।

14. भारत के विभाजन के दौरान सांप्रदायिक सद्भाव बहाल करने के लिए गांधी जी की भूमिका को समझाइए |

Ans. भारत के विभाजन के समय, महात्मा गांधी ने सांप्रदायिक सद्भाव की प्रोत्साहना की। उन्होंने लोगों से धार्मिक सांगठन से दूरी बनाए रखने का आग्रह किया और एक एकता भाव को प्रोत्साहित किया। गांधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सामाजिक हरित भावनाओं की बढ़ाई।

15. सन 1920 और 1930 के दशकों में कौन-कौन से मुद्दे हिंदू और मुसलमान के मध्य व का कारण बने ?

Ans. 1920 और 1930 के दशकों में हिंदू-मुस्लिम विभाजन के कई कारण थे। खिलाफत आंदोलन और नौजवानों का हिंदू-मुस्लिम एकता आंदोलन, सामाजिक और आर्थिक असमानता, गोलमेज आयोजन, स्वाराज्य अभियान, बबरी मस्जिद मुद्दा, खिलफत और असहमति आदि मुद्दे हिंदू-मुस्लिम विभाजन के पीछे थे। इन मुद्दों ने सामाजिक और धार्मिक असमानता को बढ़ावा दिया और विभाजन की प्रक्रिया को तेजी से बढ़ाया।

16. कृष्णदेवराय की किन्हीं तीन उपलब्धियां को लिखिए ।

Ans. कृष्णदेवराय, विजयनगर साम्राज्य के सम्राट, ने अपने शासनकाल में कई उपलब्धियाँ प्राप्त कीं। पहली, उन्होंने विजयनगर को सांस्कृतिक और कला केंद्र बनाया। दूसरी, व्यापार में वृद्धि और समृद्धि के क्षेत्र में अपने साम्राज्य को मजबूत किया। तीसरी, उन्होंने अपने राजा दरबार को कला और साहित्य में समृद्ध किया और विशेषकर तेलुगु भाषा को प्रोत्साहित किया।

17. हंपी के बाजार की विशेषताएं लिखिए।

Ans. हंपी का बाजार विभिन्न वस्त्रों, आभूषणों, खाद्य पदार्थों, और कला-साहित्य के लिए प्रसिद्ध था। यहां एक विशेष बाजार था जो स्थानीय शिल्पकला की उत्पत्ति और बढ़ावा देने के लिए अभिज्ञानों और कलाकारों को एकत्र करता था। हंपी का बाजार अपने सौंदर्य, समृद्धि, और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध था और यह स्थानीय और विदेशी व्यापारिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ था।

18. विजयनगर साम्राज्य में राजाओं, संप्रदायों एवं मंदिरों के मध्य क्या संबंध थे ?

Ans. विजयनगर साम्राज्य में राजाएं, संप्रदायों, और मंदिरों के बीच गहरा संबंध था। राजा हिरण्यराया और उसके पूर्वजों ने हिन्दू धर्म के प्रचार-प्रसार, मंदिर निर्माण, और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए समर्थन किया। मंदिरों के निर्माण और संरक्षण में साम्राज्य ने योगदान किया, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक प्रसार हुआ और समृद्धि हुई।

19. विट्ठल मंदिर की संरचनात्मक विशेषता लिखिए |

Ans. विट्ठल मंदिर विजयनगर साम्राज्य का एक अद्वितीय मंदिर है जो हंपी में स्थित है। इसकी संरचना में विशेषता यह है कि यह एक अत्यंत सुंदर रायल दर्शनीय है और इसमें विजयनगर स्थापत्यकला की श्रेष्ठ प्रतिष्ठा को प्रदर्शित करती है। इसमें विभिन्न शैलियों का समंगठन है और अनेक सुंदर स्तूप, मंच, और सुंदर मुख्य गोपुर शामिल हैं।

20. गोपुरम तथा मंडप में अंतर स्पष्ट कीजिए।

Ans. गोपुरम और मंडप, दोनों ही हिन्दू मंदिरों के प्रमुख भाग होते हैं। गोपुरम एक प्रवेश द्वार होता है, जो मंदिर के प्रमुख स्थल की सुरक्षा करता है और इसे सुंदरता से सजाता है। मंडप, आमतौर पर मंदिर के गर्भगृह के सामने होता है और यहां पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए स्थान होता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न : 5 अंक

1. कौन - कौन से तथ्य हड़प्पा सभ्यता को एक उच्च नगरी योजना के रूप में स्थापित करते हैं ?

Ans. हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, नगर योजना में अपनी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। इस सभ्यता के नगरों को जालनुमा सड़कों, जल निकासी पाइपों, ईंट-रेखा वाले स्नानघर, सीढ़ी वाले कुएं, और अन्य संरचनाओं के साथ नियोजित किया गया था। यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य हैं :

1. ईंट-रेखा वाले स्नानघर और सीढ़ी वाले कुएं : हड़प्पा के सभी स्थलों में ईंट-रेखा वाले स्नानघर और सीढ़ी वाले कुएं पाए जाते थे।

2. जल निकासी प्रणाली : हड़प्पावासी, केंद्रीय जल निकासी प्रणाली से अच्छी तरह से जुड़े हुए थे।

3. नगरों का विभाजन : नगरों को नगर-दुर्ग और निचला नगर के दो क्षेत्रों में विभाजित किया गया था।

4. अन्नदाताओं के शहर : हड़प्पा को अन्नदाताओं के शहर के रूप में जाना जाता है।

इन विशेषताओं ने हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना को एक उच्च नगरी योजना के रूप में स्थापित किया। 

2. हड़प्पा लोगों की शिल्पकला, और तकनीकी क्षेत्र में प्राप्त की गई उपलब्धियोंकी व्याख्या कीजिए।

Ans. हड़प्पा सभ्यता ने अपनी शिल्पकला और तकनीकी क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त कीं :

1. सील सिकाई : हड़प्पा सभ्यता ने सील सिकाई में माहिर थी। वे अपने सीलों को स्थानीय भाषा में छपाकर वस्तुओं पर चिह्नित करते थे, जो व्यापारिक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए उपयोग होते थे।

2. पशुपति महादेव मूर्तियाँ : हड़प्पा सभ्यता में मिली पशुपति महादेव की मूर्तियाँ इस समय के धार्मिक और कला सांस्कृतिक विकास का प्रमुख प्रतीक थीं।

3. अच्छी निर्माण शैली : नगरी में मकानों की अच्छी निर्माण शैली और स्थानीय शिल्पकला का विकास हुआ। उनके निर्मित सड़कें, तालाब, और सार्वजनिक स्थलों के लिए सुंदरता का ध्यान रखा गया था।

4. कुशल कारीगरी : हड़प्पा के लोग कांस्य, तांबे, सोने, छाया-चित्रकला, और गहनों में कुशल कारीगर थे। उन्होंने अपनी कौशल से आभूषण बनाए और यह व्यापार के लिए भी महत्वपूर्ण थे।

5. सौगंधिक उत्पादन : हड़प्पा सभ्यता ने अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सुगंधित तेल और सौगंधिक उत्पादन में भी कौशल दिखाया।

इन शिल्पकला और तकनीकी क्षेत्रों में प्राप्त की गई उपलब्धियां इस सभ्यता के उच्च सांस्कृतिक और आर्थिक स्थान को दर्शाती हैं।

3. सिंधु सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन कीजिए।

Ans. सिंधु सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों में कई कारक शामिल थे :

1. जलवायु परिवर्तन : इस समय जलवायु परिवर्तन के कारण सिंधु सभ्यता क्षेत्र में जलवायु में परिवर्तन हुआ जिससे यहाँ की सुखद भूमि क्षेत्र में समस्याएं उत्पन्न होने लगीं।

2. नदी के पर्यावरणीय परिवर्तन : सिंधु नदी के पर्यावरणीय परिवर्तन ने उच्च जलस्तर और अत्यधिक उच्च बारिशों को लाया, जिससे इर्थ और बंदरगाहों में असुविधा हुई।

3. आर्थिक समस्याएं : व्यापार में हानि, उच्च कीमतों की मांग और अन्य आर्थिक समस्याएं सिंधु सभ्यता की अस्तित्व को प्रभावित करने लगीं।

4. विदेशी आक्रमण : विदेशी आक्रमण भी सिंधु सभ्यता के पतन का कारण बना। आर्य और अन्य समृद्धि शील समाजों के आगमन ने इस सभ्यता को प्रभावित किया।

5. भूकंप और प्राकृतिक आपदाएं : कुछ विद्वानों का मानना ​​है कि भूकंप और प्राकृतिक आपदाएं भी सिंधु सभ्यता के पतन के लिए एक कारक हो सकती हैं।

इन कारणों के समूह ने सिंधु सभ्यता को २००० ईसा पूर्व में समाप्त कर दिया, और भारतीय साम्राज्यों का नया युग आरंभ हुआ।

4. हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक और सामाजिक जीवन की प्रमुख विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

Ans. हड़प्पा सभ्यता के धार्मिक और सामाजिक जीवन की कुछ प्रमुख विशेषताएँ थीं :

1. प्रदूषणरहित जीवन : सिंधु सभ्यता ने स्वच्छता का विशेष महत्व दिया था। सड़कों, घरों और जलस्रोतों की सफाई बनाए रखी गई थी।

2. धार्मिक रूप से प्रतिष्ठितता : छवियों में देवताओं की छवियाँ, पुजाओं की स्थलों की अच्छी सुरक्षा, और यज्ञों का आयोजन इस सभ्यता के धार्मिक जीवन को सूचित करता है।

3. सामाजिक संरचना : सिंधु सभ्यता में वर्ण व्यवस्था, समाज में विभिन्न वर्गों की प्रस्तुति, और श्रमिकों तथा व्यापारिक व्यक्तियों की मौद्रिक गुप्ति देखी जा सकती है।

4. बाल संस्कार : सिंधु सभ्यता में बच्चों के शिक्षा एवं संस्कार को लेकर विशेष ध्यान दिया गया था। खिलाने और खेलने के साथ-साथ शिक्षा भी दी जाती थी।

5. व्यापारिक गतिविधियाँ : सिंधु सभ्यता के लोगों के बीच व्यापार के साक्षर लक्षण, स्थानीय और विदेशी उत्पादों की आदान-प्रदान और वस्तुओं की मौद्रिक व्यवस्था दिखाई जाती है।

5. मुगल साम्राज्य के प्रशासन की प्रमुख पांच विशेषताओं को समझाइए |

Ans. मुगल साम्राज्य के प्रशासन की प्रमुख पांच विशेषताएँ थीं :

1. सुल्तानत प्रणाली का अनुसरण : मुगलों ने तुगलक वंश द्वारा स्थापित सुल्तानत प्रणाली का अनुसरण किया, जिसमें संभागों, सुबों, और इलाकों में शासकों को नायक बनाया गया।

2. प्रशासनिक सुधार : अकबर, जहांगीर, और शाहजहां ने प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा दिया और विभिन्न प्रणालियों को समन्वयित किया।

3. मिलाप नीति : अकबर ने अपनी सरकार में हिन्दू और मुस्लिमों के बीच सामंजस्य बनाए रखने के लिए 'सुलह-ए-कुल' या 'मिलाप नीति' को अपनाया।

4. जजीवाद : मुगल साम्राज्य में न्यायपालिका की प्रणाली मजबूत थी, और इसमें जजों को अनेक बड़े और न्यायिक शासन किए गए।

5. राजशाही व्यवस्था : मुगल सम्राटों ने राजशाही व्यवस्था को बढ़ावा दिया और अपनी सेना और प्रशासन को सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न तंत्रों का उपयोग किया।

6. पांडुलिपि का अर्थ समझाते हुए मुगल दरबार में इसे तैयार करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।

Ans. "पांडुलिपि" एक प्रमुख स्क्रिप्ट था जिसका उपयोग मुगल दरबार में रिकॉर्ड रखने के लिए किया जाता था। इसका अर्थ है "लिखने योग्य पत्र" या "लेखनी का सामग्री"। पांडुलिपि को बनाने के लिए एक विशेष प्रक्रिया अनुसरण की जाती थी :

1. खगोलीय शिक्षा : पांडुलिपि बनाने के लिए शिक्षित खगोलज्ञों की सहायता ली जाती थी ताकि योग्य तिथि और नक्षत्रों का चयन किया जा सके।

2. शास्त्रीय विद्या : इसके बाद, शास्त्रीय विद्याओं जैसे वेद, पुराण, और संस्कृत साहित्य का अध्ययन किया जाता था।

3. प्रस्तावना तथा विवरण : तैयारी के बाद, लेखकों द्वारा एक प्रस्तावना और विवरण तैयार किया जाता था जिसमें राजा के गुण, कार्य, और उपलब्धियों का विस्तृत विवरण शामिल था।

4. चित्र और अलंकार : पांडुलिपि में चित्र और अलंकार भी शामिल होते थे जिनसे लेख को सुंदर बनाया जाता था।

5. तैयारी और स्वीकृति : आखिरी चरण में, पांडुलिपि तैयार होती और सम्राट की स्वीकृति के बाद यह सभी आवश्यक स्थानों पर पहुँचाई जाती थी।

7. अबुल फजल कौन था ? उनके द्वारा रचित अकबरनामा का वर्णन कीजिए।

Ans. अबुल फजल एक मुग़ल विशेषज्ञ, इतिहासकार, और भाषा विद्वान थे जो मुग़ल सम्राट अकबर के दरबार में कार्यरत रहे। उन्होंने "अकबरनामा" का रचनात्मक कार्य किया, जो तारीखी और साहित्यिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

अकबरनामा :

अकबरनामा मुग़ल सम्राट अकबर के जीवन और राजनीतिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण लेख है। यह तीन भागों में है: "आइन-ए-अकबरी," "अकबरनामा," और "अकबरी खत्मा"। आइन-ए-अकबरी में अकबर के साम्राज्यिक नृत्य, साहित्य, विज्ञान, और धर्म से संबंधित विषयों का विवेचन है। अकबरनामा अकबर के राजनीतिक और सैन्य जीवन को छुपाता है, जबकि अकबरी खत्मा में उनकी निधन का विवेचन है। अबुल फजल ने यह लेख अकबर के प्रति अपनी श्रद्धासुमन और गहरी जानकारी के साथ लिखा और इसे मुग़ल साम्राज्य के उज्ज्वल राजनीतिक और सांस्कृतिक इतिहास का एक मौल्यवान स्रोत बनाया।

8. मुगल काल में केंद्रीय प्रशासन के प्रमुख पदों का वर्णन कीजिए।

Ans. मुग़ल साम्राज्य में केंद्रीय प्रशासन के प्रमुख पदों ने बहुत अहम भूमिका निभाई और इन पदों ने साम्राज्य के व्यापक प्रबंधन को सुनिश्चित किया।

  1. वखील (दाना): वखील साम्राज्य के मुख्य क़ानूनी सलाहकार थे, जो साम्राज्य के क़ानूनी और न्यायिक मामलों की देखभाल करते थे।

  2. दीवान: दीवान साम्राज्य के अर्थशास्त्रीय प्रबंधन का प्रमुख अधिकारी था और इसका कार्य राजाई खज़ाने, कर और राजस्व से संबंधित था।

  3. मीर बक़शी (मीर बक़शी): मीर बक़शी सेना के मुख्य प्रमुख थे और सेना की प्रबंधन और विकास के लिए उत्तरदाता थे।

  4. सदर नियबत: सदर नियबत राजा की सबसे बड़ी सेना का मुख्य कमांडर था और उसके नेतृत्व में सैन्य की प्रबंधन को सुनिश्चित करता था।

  5. विज़ीर: विज़ीर साम्राज्य के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी थे और उनका कार्य प्रशासनिक कार्यों को संगठित रूप से प्रबंधित करना था।

इन पदों के धारक ने साम्राज्य के प्रशासन को सुदृढ़ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और साम्राज्य की स्थिति को मजबूत रखने में योगदान किया।

9. मुगलकालीन 526 ई से 1707 ई तक के प्रमुख पांच शासको का संक्षिप्त परिचय लिखिए।

Ans. मुग़लकालीन साम्राज्य के प्रमुख पाँच शासक इस प्रकार हैं :

1. बाबर (बाबर) : बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई में इब्राहीम लोदी को हराकर पंजाब में मुघल साम्राज्य की नींव रखी।

2. हुमायूँ (हुमायूँ) : हुमायूँ ने 1530 से 1540 और 1555 से 1556 तक साम्राज्य का केंद्रीय शासक रहा, लेकिन उसे बहुत ही अस्थायी रूप से हटाया गया।

3. अकबर (अकबर) : अकबर ने 1556 से 1605 तक शासन किया और उन्होंने विभिन्न साम्राज्यों को एक किया और सुलतानात को मुघल साम्राज्य में बदला।

4. जहाँगीर (जहाँगीर) : जहाँगीर ने 1605 से 1627 तक शासन किया और उनके शासनकाल में सुलतानात ने आरंभिक रूप से विशेष रूप से भारतीय सांस्कृतिकों को समर्थन किया।

5. शाहजहाँ (शाहजहाँ) : शाहजहाँ ने 1628 से 1658 तक शासन किया और उनके शासनकाल में ताजमहल का निर्माण किया गया, जो आज एक विश्व धरोहर है।

10. 1857 के विद्रोह की प्रमुख घटनाओं का वर्णन कीजिए।

Ans. 1857 का विद्रोह, जिसे भारतीय इतिहास में सिपाही विद्रोह, भारतीय विद्रोह, और महान विद्रोह के नामों से भी जाना जाता है, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था। यह विद्रोह ब्रिटिश राज की ओर से एक संप्रभु शक्ति के रूप में कार्य किया गया था, जिसने भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया। यह विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के सिपाहियों के विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, लेकिन जनता की भागीदारी भी इसने हासिल कर ली। इसके कारण राजनीतिक कारण अंग्रेज़ों की विस्तारवादी नीति, सामाजिक और धार्मिक असहमति, आर्थिक असंतोष, और व्यपगत का सिद्धांत था। यह विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली अभिव्यक्ति थी।

 

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